फिल्म देखने के बाद शायद मिली की भी नींद उड़ गई थी। वो एकटक छत को घूरे जारही थी मिली को ऐसे देखते देखते पता नहीं कब मुझे नींद ने आ घेरा और मैं सो गया।।।।।।।।।।
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अब आगे
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अगले दिन सुबह मैं थोड़ा लेट जगा क्योंकि कॉलेज की दो दिन की छुट्टी थी मम्मी और पापा अपने जॉब पर चले गए थे।
में हॉल में आया तो मुझे मिली दिखाई नहीं दी तभी किचन से कुछ खटर पटर की आवाज आई शायद मिली किचन में है। ये सोचते हुए मैं वहां पंहुचा तो सामने का नजारा देख कर मेरा लंड टाइट होने लगा। मिली की पीठ मेरी तरफ थी और वो एक शार्ट टॉप और टाइट हाफ पैंट में खड़ी कुछ काम कर रही थी।
वो पैंट बड़ी मुश्किल से उसके कुल्हो को ही ढक पारहा था। उसके भारी कूल्हे उस पैंट में सामने से इंकार करते हुए पूरा दम लगा कर बहार आने को हो रहे थे। उसकी गोरी मांसल जंघे मेरे मन्न में खलबली मचाये दे रही थी। वैसे भी रात में देखि ब्लू फिल्म के कारन मैंने तय कर लिया था की मुझे मिली की चुत जब मिलेगी तब मिलेगी लेकिन उसकी गदराई गांड का भोग तो मुझे जल्द से जल्द लगाना है।
मेरा लंड अपने पुरे शबाब पर आचुका था और मिली की गांड देख देख कर मेरे बॉक्सर के अन्दर ठुमके लगा रहा था। मैं धीरे धीरे बगैर आहात किये आगे बढा और मिली को पीछे से दबोच लिया इससे पहले की वो कुछ समझ पति मेरे होंठ ढक्कन बन कर उसके होंठो से चिपक गए और मेरे हाथ उसके बूब्स की सॉफ्टनेस का अंदाजा लगाने लगे इधर मेरा खड़ा लंड कपड़ो के ऊपर से ही उसकी गांड में घूसने को संघर्ष करने लगा।
मिली मेरी हरकतो का विरोध कर रही थी लेकिन मैंने उसे कोई मौका नहीं देते हुए अपना कार्यक्रम जरी रख मेरा लंड लगातार उसके कुल्हो और गांड की दरार पर रगड खा रहा था और मेरे हाथ बेरहमी से उसकी चूचियां मसल रहे थे।
थोड़ी ही देर में मिली का विरोध ख़तम हो चूका था। शायद वो भी गरम हो चुकी थी अब वो भी मेरे होठ चूसते हुए मेरा साथ दे रही थी।
कुछ देर हम वैसे ही खड़े खड़े ये सब करते रहे लेकिन मेरा मन्न इतने से नहीं भरने वाला था। मैंने मिली को अपनी बहो में उठाया और रूम में लेकर बेड पर लेटा दिया और उस पर टूट पड़ा। मिली मेरा कोई विरोध नहीं कर रही थी बल्कि मुझे उक्सा रही थी की मैं और बेरहमी से पेश आउ शायद उसकी भी यही मर्जी रही होगी तभी उसने ऐसे सेक्सी कपडे पहने हुए थे जिसमे उसका सारा भूगोल नजर आए।
कुछ देर ऐसे कपड़ो के ऊपर से खेलने के बाद मेरे सबर ने जवाब दे दिया और मैं मिली के कपडे उतारने लगा लेकिन अब मिली को शरारत सुझ रही थी वो मुझे अपने कपडे नहीं उतरने दे रही थी जितना वो विरोध कर रही थी मैं उतना ही जोर लगा रहा था उसके कपडे उतरने के लिए।
उसकी हँसी की आवाज मेरे कनो में कोहराम मचाये हुई थी और जैसे आग में घी का काम कर रही थी लगभग १० मिनट की कोशिश के बाद जब मिली तक गई तो मैं उसे नंगी करने में कामयाब हो गया अब वो बेड पर नंगी पड़ी थी और मैं अपने कपडे उतार रहा था।
मिली मेरे सामने नंगी पड़ी हुई थी और मैं भी नँगा हो चूका था वो बेड पर लेटे हुए बड़ी मादक नजरो से मेरे तरफ देख रही थी। मेरा लंड अपनी औकात पर आकर पूरी तरह अकड गया था और आज किसी भी तरह मिली की गांड में घूसने की ज़िद्द कर रहा था और इसी उम्मीद में थोड़ा थोड़ा पानी भी छोड़ रहा था।
मैने आज फैसला कर ही लिया था की चाहे जो भी हो आज मिली की गांड की ओपनिंग करनि ही है मैंने एक बार फिर मिली के बदन का मुआयना किया सच में भगवन ने उसे बहुत ही मस्त बनाया था। उसकी चूचिया कड़क हो कर छत को घूर रही थी और उसके मांसल कूल्हे गढ्डे पर दबे हुए थे उसकी चुत के होंठ खुल बंद हो रहे थे और चेहरे पर एक मधक मुस्कान खिल रही थी। जैसा व्यवहार आज वो कर रही थी उससे मुझे बहुत उम्मीद बढ़ गई थी की आज कुछ नया तो जरूर ही होगा।
"ऐसे खड़े खड़े क्या सोच रहा है राजू" वो बोली।
उसकी आवाज सुनकर मैं अपनी सोचो से बहार आया और बेड पर उसके बगल में लेट्टा हुए मैंने अपने एक हाथ से उसकी चुत को मुट्ठी में भर कर भींच लिया और उसके गलो को चुमने लगा मिली ने भी साथ देते हुए मेरे लंड की कसरत शुरू कर दी।
"मिली अब ये सब कर कर के मैं बोर हो गया हु अब ओरल करने में मजा नहीं आता कुछ नया करते है ना" मैं बोला।
"देख राजू मैं तुझे पहले ही कह चुकी हु की मैं तेरे साथ चुदाई नहीं कर सकती क्योंकि मैं इसके लिए अपने आप को तैयार नहीं कर पारहि हु हम जितना भी कर रहे है वो भी हमारे रिष्ते में गलत है इसलिए ऐसे ही मजे ले और खुश रह" मिली बोली।
"लेकिन ये सब करने से चुदाई वाला मजा तो नहीं मिलता है ना, मैं चाहता हु की हम कुछ ऐसा करे जिससे चुदाई वाला मजा मिले" मैं बोला।
"अब मेरा मुँह तो तू चोद ही चूका है ना कई बार सिर्फ चुदाई ही बाकि है उसके अलवा तुझे चुदाई वाला मजा कैसे दू में" वो परेशां होती बोली।
"कल हमने ब्लू फिल्म में जो देखा वो तो हम कर ही सकते है ना" मैं धीरे से बोला।
"क्या।।। तु मेरी गांड मरना चाहता है" मिली चौक कर बैठ गई "तुने ये सोचा भी कैसे की मैं इस गंदे काम के लिए तैयार हो जाउंगी"।
"इसमे गलत क्या है मिली सभी लोग करते है और भले ही तू अपने रिष्ते का ख्याल कर के मुझसे ना चुदवा लेकिन गांड मरवाने में तो कोई रिश्ता बिच में नहीं आता ना" मैं भी बैठते हुए बोला।
"नही राजू मैं ये नहीं कर साकती" मिली सपत स्वर में बॉली।
"प्लीज यार मिली मान जा ना कभी ना कभी तेरा पति भी तो तेरी गांड मरेगा ही न इसलिए तू मुझे चुत नहीं देना चाहती तो ना दे लेकिन अपनी गांड तो देदे" मैं उसे मस्का लगाता हुआ बोला।
मेरी बात सुनकर उसने कुछ सोचा और फिर गर्दन हिलाते हुए बोली "नही राजू मैं ये नहीं कर साकती"।
"मातलब मुझे फिर रीना के पास जाना पडेगा" मैं बोला।
"क्य मतलब" वो गौर से मुझे देखते हुए बॉली।
"मतलब ये की ओरल करने से मुझे शांति नहीं मिलती इतना मजा तो मैं अपने हाथ से ही ले सकता हु मुझे सिर्फ चुदाई में ही मजा आएगा इसलिए अब मुझे दोबारा रीना के पास जाना पडेगा क्योंकि तू तो मान ही नहीं रही है" मैं उसे डराता हुआ बोला।
"लेकिन तूने वादा किया था की अब तू कभी रीना जैसी लड़की से सम्बन्ध नहीं रखेंगा" वो कुछ परेशां होती बॉली।
"तूझे शायद याद नहीं मैंने कहा था की जब तक तू मुझे संतुष्ट करती रहेगी मैं रीना के पास नहीं जाउंगा लेकिन अब तू मुझे संतुष्ट नहीं कर पारही है तो मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है" मैं बोला।
"लेकिन राजू गांड मारना गन्दा काम है कितनी गन्दी जगह होती है वो कैसे तू वहां अपना लंड घुसायेगा" मिली बोलि।
"वो तू मुझ पर छोड़ दे मैं सब कर लुँगा और अगर वो तुझे गन्दा काम लगता है तो फिर मुझे अपनी चुत चोदने दे क्योंकि तेरे दोनों में से किसी भी छेद में लंड घुसाये बगैर मैं संतुष्ट नहीं हो सकता अब फैसला तेरे हाथ में है की तू मुझे कोन सा छेद इस्तेमाल करने देती है वरना आखिर में रीना तो है हि" मैंने उससे स्पष्ट कहा।
आब वो सोच में पड़ गई थी शायद फैसला नहीं कर पा रही थी की क्या करे उसके चेहरे पर उल्झन वाले भाव थे और मैं उसे ही देखे जा रहा था और सोच रहा था की मेरी ज़िद्दी बहन क्या फैसला करेगी गांड देने का या चुत देने का या फिर मुझे रीना के पास भेजने का।।।।।।।।।।।।।।
आब वो सोच में पड़ गई थी शायद फैसला नहीं कर पा रही थी की क्या करे उसके चेहरे पर उल्झन वाले भाव थे और मैं उसे ही देखे जा रहा था और सोच रहा था की मेरी ज़िद्दी बहन क्या फैसला करेगी गांड देने का या चुत देने का या फिर मुझे रीना के पास भेजने का।।।।।।।।।।।।।।
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अब आगे
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१० मिनट के आस पास हो चुके थे हमारे बिच चुप्पी छाये हुए ना मैं कुछ बोल रहा था ना मिली। मैं जनता था की ऐसे वक्त में मिली को ज्यादा छेडना ठीक नहीं था इसलिए मैं बगैर कुछ बोले बेड से उतरने लगा तभी मिली अपनी सोचो से बहार आई और मुझे बेड से उतरता देख बोली "कहा जा रहा है"।
"अपने बेड पर अब यहाँ मेरा क्या काम है तू तो कुछ जवाब दे ही नहीं रही है" मैं बोला।
"तु रुक और बैठ यहीं मुझे थोड़ा सोचने दे" मिली बोली और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वापस बैठा लिया।
मेरे मन्न में एक उम्मीद जागी लेकिन मिली का फैसला क्या होगा मुझे अभी भी समझ में नहीं आया था।
"राजु लोग पीछे से कैसे कर लेते है" थोड़ी देर बाद मिली बोली।
"कैसे कर लेते है मतलब, तूने कल फिल्म में देखा नही" मैंने जवाब दिया।
"अरे मेरा वो मतलब नहीं था मैं ये कह रही हु की चुत में तो पानी के कारन चिकनाइ होती है इसलिए लंड आराम से अन्दर चला जाता है लेकिन गांड तो पूरी सुखी होती है फिर वहां लंड कैसे घुसता है और क्या लंड रगड़ने से तकलीफ नहीं होती?" वो बोली।
"ऐसा कुछ नहीं होता शुरू में ही थोड़ा दर्द होता है बाद में छेद बड़ा हो जाये तो कुछ तकलीफ नहीं होती जहाँ तक चिकनाई की बात है तो उसके लिए तेल या थूक का इस्तेमाल कर लेते है" मैं थोड़ी ख़ुशी से बोला मुझे लगने लगा था की अब मुझे मिली के पिछवाड़े की सैर करने को मिलने वाली है।
"तु सच कह रहा है ना सच में ज्यादा तकलिफ नहीं होती ना" वो कुछ ड़रते हुए बोली।
"मिली मैं तुझसे झूठ क्यों बोलूंगा तूने खुद ही तो फिल्म में देखा है की वो लड़की कैसे मजे ले लेकर गांड मरवा रही थी यदि यकीन ना आए तो वो फिल्म एक बार और देखले" मैं मस्का मारते हुए बोला।
"नही मैं देख चुकी हु लेकिन फिर भी डर लगता है की कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए"।
"आरे कुछ नहीं होता मैं कह रहा हु ना"
मेरी बात सुमकर मिली कुछ देर सोचती रही फिर बोली "देख राजू मैं तेरे साथ पीछे से करने को तैयार हु लेकिन तू कभी भी रीना के बारे में बात नहीं करेगा और नहीं कभी मेरी चुत चोदने की डिमांड करेगा बोल मंजूर है"।
अंधा क्या चाहे दो आँखे मैंने झट से हामी भर दी और मिली से चिपक गया।
"अरे... अरे... जरा रुक तो अभी मैं तैयार नहीं हु और खाना खाने का भी टाइम हो गया है" मिली बोली।
मैने टाइम देखा १२ बज चुके थे "तो फिर कब करेंगे" मैं बोला।
"पहले खाना खा लेते है उसके बाद करेंगे जब तक मैं भी अपना मन्न पक्का कर लुंगी और खाना कहने से थोड़ी ताकत भी आजायेगी तेरा लंड झेलने की" वो हस्ते हुए मेरा लंड पकड़ कर बोली जो उसकी लंड में घूसने के नाम से ही झटके मार रहा था।
मिली हस्ते हुए बेड से निचे उतर गई लेकिन मेरा मूड अभी खाना खाने से ज्यादा उसकी गांड मरने का था "ख़ाना भी खा लेंगे यार पहले एक बार तो हो जाए" मैं बोला।
"मेने कहा ना खाना खाने से ताकत आएगी और वैसे भी मुझे बहुत भुख लगी है इसलिए प्ल्ज़ तू भी उठ और खाना खा ले" अब मिली थोड़ा गम्भीर होते हुए बोली।
मंन मार कर मुझे भी उठना पड़ा उधर मिली अपने कपडे उठाने लगी थी पहनने के लिए तभी मुझे शरारत सुझी "थिक है मानी तेरी बात लेकिन आज खाना हम बगैर कपड़ो के ही खाएँगे एकदम नंगे हो कर" मैं बोला।
"ये कैसी बात कर रहा है तू क्या नंगे होकर भी खाना खाया जाता है" वो बोली।
"हमेशा नहीं खाया जाता लेकिन खास मौको पर चलता है" मैं बोला।
"तो अभी कौन सा खास मौका है" वो भी चुहल करते हुए बोली ये बात अलग थी की अब वो कपडे पहनने की कोशिश नहीं कर रही थी।
"आज मैं पहली बार तेरी गहराई को नापने जा रहा हु भले ही वो पीछे की क्यों ना हो तो खास मौका तो है ही और वैसे भी खाने के बाद तो कपडे उतरना ही है तो बेकार में ही पहनने उतार की मेहनत क्यों करे" मैं उसकी पीठ से सटते हुए बोला।
अब मेरा तना हुआ सख्त लंड उसकी गांड की दरार से रगड खा रहा था उसकी गांड का स्पर्श अपने लंड पर होने से मैं बहुत उत्तेजित हो गया था में अपने एक हाथ से उसकी एक चूचि को मसलना शुरू कर दिया था और दूसरे हाथ से अपना लुंड पकड़ कर उसकी गांड की दरार में ऊपर से निचे घुमा रहा था।
चुचि मसलने से मिली भी उत्तेजित हो गई थी और शायद गंड पर रगड होन से भी इसलिए उसके मुँह से लगातार मादक सिसकारियां फुट रही थी जिससे मेरा लंड और भी फुलता जारहा था अभी ऐसा करते दो तिन मिनट ही हुए होंगे की मिली चिटक कर मुझसे दूर हो गई और बोली "बस राजू अब और नहीं पहले चल कर खाना खा बाकि उसके बाद करेंगे और हाँ खाना ख़तम होन तक तू मुझे हाथ भी नहीं लगायेगा समझ"।
मिली के दूर हटने और उसकी बात सुनकर मेरा लंड झटके मारते हुए धीरे धीरे निचे बैठने लगा था अब मैंने भी सोच लिया की मिली को ज्यादा सतना ठीक नहीं है वरना वो बिदक भी सकती है।
"ओके, चल पहले खाना ही खा लेते है" मैं बोला।
आब हम दोनों बहार आगये थे मिली ने मेरी बात मानकर कपडे नहीं पहने थे वो मेरे सामने चल रही थी और चलने से उसके भरी नितम्बो में होती थिरकन मेरे होश उड़ाए जारही थी बड़ी मुश्किल से मैं अपने आपको रोके हुए था 'कोई बात नहीं सालो थोड़ी देर बाद ही कुचलता हु तुम्हे' मन्न ही मन्न मैं उसके नितम्बो से बोला।
मिली नंगे बदन ही खाना लगा निकल चुकी थी और अब थाली परोसने वाली थी "चल मिली आज हम एक ही थाली में खा लेते है" मैं बोला।
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई और एक ही थाली लगाने लगी जब वो थाली लगा चुकी तो मेरी तरफ देखा मैं जाकर डाइनिंग टेबल की एक कुर्सी पर बैठ गया मिली ने टेबल पर थाली रखी और मेरे साइड की कुर्सी खीचने लगी "उसकी क्या जरुरत है तू मेरी गोद में ही बैठ जा ना खाना खाने में परेशानी नहीं होगी" मैं बोला।
"तु भी ना बहुत नाटक करने लगा है जरा भी सबर नहीं हो रहा तुझे" कहति हुए मिली आकार मेरी गोद में बैठ गई।
उसके बैठने से मेरा लंड उसके मुलायम चूतडो के निचे गंड की दरार में दब गया था लेकिन जैसे ही मिली का स्पर्श हुआ मेरा लंड फिर से फुल्ने लगा और मिली की गंड की दरार में अपनी जगह बनाने लगा।
"टेरा लंड भी ना साला बहुत अकड़ता है इसका कुछ करना ही होगा" मिली बोली और अपनी गंड हिलाते हुए मेरे लुंड को अपनी गंड से थोड़ा और दबा दिया।
मेरे मजे की अभी कोई सिमा नहीं थी मिली अब खाना खाने लगी थी और मैं भी मजे लेते हुए उसका साथ देने लगा था।।।।।।।।।
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मेरे मजे की अभी कोई सिमा नहीं थी मिली अब खाना खाने लगी थी और मैं भी मजे लेते हुए उसका साथ देने लगा था।।।।।।।।।
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हम दोनों ही खाना खा चुके थे मैंने मिली के साथ बर्तन वगैरह उठाये और हम दोनों ही रूम में आगए मेरी धड़कने अब तेज हो गई थी आखिर मेरे मन्न की मुराद जो पूरी होन वाली थी और शायद धड़कने तो मिली की भी तेज थी लेकिन वो डर की वजह से थी गंड मरवाने में जो दर्द उसे होना था शायद वही सोच सोच कर उसकी गंड लपके ले रही थी।
रूम में आते ही मिली चुपचाप बेड पर बैठ गई थी और उसकी गर्दन निचे की ओर झुकि हुई थी वो मुझसे नजर नहीं मिला रही थी मैं भी जाकर उसके पास बैठ गया और उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोला "क्य बात है मिली तू इतनी शांत क्यों है"।
"राजु मुझे बहुत डर लग रहा है प्ल्ज़ तू अपनी ज़िद्द छोड़ दे ना मैं मुँह से ही कर देती हो" मिली बोली।
"मेने तुझे समझया था न की बस थोड़ा सा ही दर्द होगा वो भी पहली बार बाद में सब ठीक हो जायेगा फिर क्यों डारति है और अगर तुझे ज्यादा दर्द हुआ तो मैं लंड बहार निकाल लुँगा और कुछ नहीं करुँगा" मैं उसे मानते हुए बोला।
"लेकिन फिर भी राजू मुझे डर लग रहा है एक काम करते है आज तू मेरे मुँह से ही काम चला ले पीछे से कल कर लेंग" वो बोली।
"देख मिली मैं तेरे से कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा हु यदि तू चाहती है की मैं सिर्फ तेरा बॉय फ्रेंड बनकर राहु और किसी और लड़की के पास ना जाऊ तो आज तुझे मेरी बात मंनि ही होगी गंड में लेने में डर लग रहा हो तो चुत में ले मैंने तहँ रख है की आज तेरे दोनों छेद में से किसी एक में मेरा लंड घुस कर ही रहेगा और अगर ऐसा नहीं हुआ तो कल से मैं किसी और के पास चला जाउंगा फिर मैं तेरे मनाने से भी नहीं मानुगा" मैं उसे धमकी देता हुआ बोला।
आब मिली सोच में पद गई थी एक तरफ दर्द का डर और दूसरी तरफ मेरी धमकी। ५ मिनट तक वो ऐसे ही सोचती रही फिर एकाएक ही बेड पर पेट के बल लेट गई और बोली "कर ले राजू जो करना है लेकिन ऐसे करना की मुझे दर्द काम हो"।
मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था मिली की मस्त गंड मेरी आँखों के सामने थी और मिली भी मुझे आमंत्रित कर चुकी थी अब रुकना बेकार था मैं उठा और सीधे मिली की गंड पर किस्स करते हुए बोला "तु चिंता मत कर मिली मैं पूरी कोशिश करूँगा की तुझे काम से काम दर्द हो"।
आब मैंने अपने दोनों हाथो से उसके कुल्हो को फैला दिया और उसकी गंड की दरार को ध्यान से देखने लगा ख़ुशी के मरे मुझे समझ नहीं आरहा था की शुरुआत कहाँ से करू मिली ने भी बेड की चादर को अपनी मुठियों में भींच लिया था और मेरे हमले को झेलने की तैयारी कर रही थी।
"मिली ऐसे कुछ नहीं होगा यार थोड़े घुटने मोड़ ले ताकी गंड अछे से उभर कर बहार आजाए" मैं बोला।
मेरी बात सुनकर मिली ने घुटने मोड़ लिए और अपनी गंड को ऊपर की तरफ उठा लिया जिससे उसके कूल्हे फेल गए और मुझे उसकी गंड का छेद नजर आने लगा मैंने देर न करते हुए अपनी एक ऊँगली उस छेद से लगा दी और उसे सहलाने लगा मेरा हाथ छेद से टच होते ही मिली का बदन जोर से कँपा और उसके मुँह से एक सिसकारी निकल गई थोड़ी देर बाद मैंने अपनी बिच वाली ऊँगली को थूक से गिला किया और एक ही झटके में छेद के अन्दर घुसा दिया "आउउउछछः।।।।" एक जोरदार आह मिली के होंठो से निकली।
"क्या दला अंदर" मिली कराहते हुए बोली।
"उंगली दलि है, दर्द हुआ क्या?" मैंने पुछा।
"थोडा थोड़ा" वो बॉली।
"देखा ना दर्द कम होता है तू तो बेकार में ही डर रही थि" मैं अपनी ऊँगली छेद में अन्दर बहार करते हुए बोला।
"ये ऊँगली है इसलिए दर्द काम हुआ है लेकिन तेरा लंड तो इससे १० गुना मोटा है सोच कितना दर्द होगा" मिली गंड में ऊँगली अन्दर बहार होन से कराहते हुए बोली।
"कुछ नही होगा तुझे दर्द कम हो इसीलिए तो मैं ऊँगली से तेरा छेद बड़ा कर रहा हु" मैं वैसे ही ऊँगली चलता हुआ बोला।
लगभग ५ मिनट हो गए थे मुझे उसकी गांड में ऊँगली करते हुए अब मेरा धैर्य ख़तम हो चूका था और लंड फट पड़ने को हो रहा था मुझे पता था की लंड अन्दर जाने से मिली को बहुत दर्द होगा इसलिए मैं उठा और नारियल का तेल ले आया और उससे अपनी एक ऊँगली अछे से भिगो कर फिर मिली की गंड में चलने लगा।
"अब की बार दर्द हुआ कया" मैंने पुछा।
"नहि" वो बोली।
"ऐसे ही लंड जाने पर भी एक ही बार दर्द होगा वो भी बहुत कम उसके बाद तो हम दोनों के ही मजे है" मैं लगातार ऊँगली अन्दर बहार करते हुए बोला।
थोड़ी देर बाद ही मैंने उसकी गांड तेल से सराबोर कर दी और बहुत सारा तेल अपने लंड पर भी चुपड़ लिया मेरा लंड किसी काले नाग की तरह चमकने लगा था और अपने बिल में घूसने को एकदम तैयार हो चूका था।
अब मेरे सामने बड़ी चुनौती थी मुझे बहुत होशियारी के साथ मिली की गांड में पूरा लंड घुसेड़ना था जरा सी भी चूक मेरा सारा खेल बिगाड़ सकती थी अगर मैं दो ही धक्को में लंड अन्दर नहीं कर पता हु तो दर्द के कारन शायद मिली मुझे आगे कुछ करने ही नहीं देगी यही सोच कर मैंने फैसला किया की मुझे कोई रहम नहीं करना है और दो ही धक्को में पूरा लुंड मिली की गंड में ठूस देना है।
मेने अपने लंड और मिली की गांड को पूरी तरह तेल में भीगोने के बाद अपनी पोजीशन ले चूका था और मिली की कमर को एक हाथ से कस कर दूसरे हाथ से अपना लंड उसकी गांड के छेद पर सेट कर चूका था पहले ऊँगली करने की वजह से मेरा लंड उसके खुल बंद होते छेद पर अटक सा गया था।
अब मैंने पूरी सावधानी बरतते हुए दूसरे हाथ से भी उसकी कमर थामली और लंड का दबाव उसकी गांड पर बड़ा दिया लंड उसकी गांड की छेद को फ़ैलता हुआ अन्दर जाने लगा और ऐसा होते ही मिली छटपटाने लगी और जोरो से चीख़ते हुए अपने बदन को आगे की तरफ खीचने लगी लेकिन मैंने भी पूरी ताकत से उसकी कमर को पकड़ रख था इसलिए मिली अपनी कोशिश में सफल नहीं हो सकी और जोर से चिल्लाने लगी की मैं लंड बहार निकल लू लेकिन अभी घर में कोई भी नहीं था जो उसकी मदद को आता।
मुझे लगने लगा था की मुझे जल्द ही कुछ करना चाहिए वरना मिली चिल्ला चिल्ला कर कोहराम मचा देगी मेरा चौथाई लंड उसकी गांड में घुस चूका था।
मैंने अपना लंड बहार को खिंचा और एक जोर का धक्का लगा दिया मेरा आधे से भी ज्यादा लंड इस धक्के से मिली की गांड में समां चूका था "ओहः।।मम्मी मर गई रे।।।।छोड़ दे राजू छोड़ दे मुझे मुझे नहीं करना ये सब मैं अब तुझे कभी भी मना नहीं करुँगी रीना से मिलने को प्ल्ज़ छोड़ दे मुझे"। मिली रोते हुए बोली लेकिन मैं कहाँ मैंने वाला था मैंने अपना लंड फिर बहार खिंचा और एक आखिरी जोर का धक्का और लगा दिया इस धक्के ने मेरा पूरा लंड मिली की गांड में उतार दिया "उफ्फ्।।।।सले कुत्ते क्या मेरी गांड फाड् के ही मानेगा भाई है या कसाई" मिली के मुँह से एक दर्द भरी चीख़ और निकली लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया और वैसे ही उसकी कमर थामे खड़ा रहा।
३ - ४ मिनट तक मैंने कुछ नहीं किया और वैसे ही मिली की गांड में अपना पूरा लंड घुसाये रुका रहा। अब मिली की सिसकिया भी बहुत काम हो गई थी "अब कैसा लग रहा है मिली" मैं बोला।
"कुट्टे कहीं के पहले तू क्या बोला था की दर्द होते ही लंड बहार निकाल लेगा और किया क्या?" मिली गुस्से से हप्ते हुए बोलि।
"मिली मेरा पूरा लंड तेरी गांड में घुस चूका है जरा भी बाकि नहीं है जितना दर्द होना था हो चूका अब बता की तेरा दर्द कैसा है" मैंने फिर पुछा।
"क्या।।। सारा लंड अन्दर चला गया बाप रे कहीं मेरी गांड ना फट गई हो राजू देख तो कहीं खून तो नहीं निकल रहा जलन बहुत हो रही है" वो चौकती हुई बोली उसे उम्मीद नहीं थी की दो ही धक्को में सारा लंड उसकी गांड में था।
"नाठी कोई खून नहीं निकला और थोड़ी देर जलन तो होगी ही लेकिन तुझे दर्द तो नहीं हो रहा अब" मैं बोला।
"दर्द तो हो रहा है लेकिन बहुत कम" वो गहरी गहरी साँस लेते हुए बोल रही थी।
"तो ठीक है मैं पम्पिंग शुरू करता हु अब" मैं बोला और धीरे धीरे उसकी गांड में धक्के लगाने लगा।
"आह्ह्ह्ह।।। उन्नहठ।।। ऊफफ।।।।।।" जैसी सिसकारियां उसके मुँह से निकलने लगी धीरे धीरे मेरे धक्को से वो दर्द भरी आहे अब मादक हो चुकी थी क्योंकि अब मैं उसकी गांड मरने के साथ साथ उसकी चुत में अपनी दो उंगलिया भी अन्दर बहार करने लगा था।
"मिली मजा आरहा है ना?" मैंने पुछा।
"आह्हः।। अब ठीक लग रहा है राजू मजा भी आरहा है जरा स्पीड तो बढा अपनी ऊँगली की" वो बोली।
"तु बोल तो गांड से निकल कर लें4 तेरी चुत में भर दु" मैं अपने लंड और ऊँगली दोनों की ही स्पीड बढ़ाते हुए बोला।
"ना बाबा ना इतना ही बहुत है आज के लिए और वैसे भी मैं तेरा लंड अपनी चुत में नहीं लुंगी तेरे लिए मेरी गांड ही बहुत है" मिली मस्ती भरी मादक सिसकिया लेते हुए बोली।
१५ - २० धक्को के बाद ही मुझे लागने लगा की अब मैं झड़ने वाला हु तो मैंने अपनी स्पीड फुल कर दी मिली भी इन झटको और मेरी ऊँगली की कारस्तानी से झड़ने लगी थी मेरी सारी हथेली उसके यौवन रस से सराबोर हो चुकी थी और ऐसा होते ही मेरे लंड ने भी उसकी गांड में पिचकारियां छोडनी शुरू कर दी थी आज मेरे लंड ने इतना माल निकला की वो मिली की गांड में भी नहीं समाया और बहार निकलने लगा।
झड़ते हुए मैं बुरी तरह तक चूका था इसलिए मैंने मिली की कमर छोड़ी और उसकी गांड में लंड घुसाये हुए ही उस पर ढेर हो गया मिली ही मेरे वजन की वजह से बेड पर धाराशायी हो गई हम दोनों ही गहरी गहरी साँसे लेते हुए बेड पर पड़े थे।।।।।।।।।।।।।
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झड़ते हुए मैं बुरी तरह तक चूका था इसलिए मैंने मिली की कमर छोड़ी और उसकी गांड में लंड घुसाये हुए ही उस पर ढेर हो गया मिली ही मेरे वजन की वजह से बेड पर धाराशायी हो गई हम दोनों ही गहरी गहरी साँसे लेते हुए बेड पर पड़े थे।।।।।।।।।।।।।
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मैं और मिली बहुत देर तक ऐसे ही बेड पर पड़े रहे मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं अभी अभी जन्नत की सैर करके आया था कितना मजा आया था मिली की टाइट गांड मरने में मैं बयां भी नहीं कर सकता था।
जबकी शायद मिली की हालत मुझसे जुदा थी जो उसके चेहरे से साफ़ दिखाई दे रही थी उसे बहुत दर्द हुआ था शायद पहली बार गांड मरवाने मे।
"मिली तू ठीक तो है ना?" मैंने पूछा।
"हुमंमं।।।" उसके मुँह से निकला।
"दर्द बहुत हो रहा है क्या?" मैंने फिर पुछा।
"दर्द तो काम हो गया है लेकिन कुछ जलन सी हो रही है वहां" वो बोली।
"तु रुक मैं अभी कुछ करता हु" कहते हुए मैं उठा और बोरो प्लस का ट्यूब उठा लाया।
"में ये क्रीम लगा देता हु तुझे आराम मिल जाएगा" मैं उसे वो ट्यूब दीखाता हुआ बोला।
"लेकिन ये तो और भी जलन करेगा" वो बोरो प्लस को देखती हुई बोली।
"बस एक बार फिर तो आराम मिल ही जाएगा" मैं बोला और मिली को फिर उल्टा लेता दिया और उसकी गांड के छेद पर क्रीम लगाने लगा।
क्रीम की जलन से मिली बार बार करहा रही थी लेकिन ये सब तो उसे एक बार झेलना ही था मैंने देखा उसकी गांड का छेद अब बहुत खुल गया था पहले से।
तोड़ि देर बाद मैं अपने काम से फ़रिग हो चूका था टाइम भी ३ से ऊपर ही हो गया था।
"में चाय बना कर लता हु" मैं बोला।
"में भी सु-सु कर लेती हु" मिली बोली और उठ कर खड़ी हो गई और बाथ रूम की तरफ जाने लगी लेकिन उसकी चाल में लंगड़ाहट थी मेरी नजर उससे मिली तो वो मुस्कुरा दी।
"सॉरी" मैं बोला।
"कोइ बात नहीं राजू कभी ना कभी तो ये होना ही था" वो बोली और बाथ रूम में घुस गई और मैं भी चाय बनाने चला गया।
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इस दिन के बाद हम दोनों ही हमेशा एक दूसरे को खुश रखने लगे थे और भाई बहन वाले प्यार के अलवा भी एक अलग सा प्यार हम दोनों में एक दूसरे के लिए पानप चूका था जिसमे एक अलग ही तड़प थी अब कॉलेज में भी खली समय में हम साथ ही रहते और जरुरी ना हो तो एक ही गाड़ी में कही भी जाते। मैंने अब किसी और लड़की की तरफ देखना भी बंद कर दिया था जिससे मिली बहुत खुश थी।
हम दोनों अब लगभग रोज ही ओरल किया करते और मैं हर हफ्ते ४-६ बार तो मिली की गांड भी अपने माल से गिली कर ही दिया करता था। अब मैं उसकी चुत भी चुस्ने लगा था और अपनी उँगलियों और जीभ से उसे छेड़ा भी करता था। लेकिन इस एक महीने में कभी भी मैंने उससे चुत चोदने की बात नहीं की थी। क्योंकि वो अपने मुँह और गांड से मुझे अछे से शांत कर देती थी।
जीन्दगी मजे से कट रही थी। हम दोनों ही एक दूसरे से पूरी तरह खुश थे लेकिन शायद मेरी किस्मत में पूरी तरह से बहनचोद बनना ही लिखा हुआ था। इसके बाद मुझे मेरी बहन की चुत भी चोदने को मिली लेकिन ये मिली ने अपनी मर्जी से किया इसके लिए मैंने उसे फाॅर्स नहीं किया।
मिली ने मुझे अपनी चुत कैसे मरने दी थोड़ी देर बाद बताता हु।।।।
पलज़ वैट।।।।।।।।।
इसके बाद मुझे मेरी बहन की चुत भी चोदने को मिली लेकिन ये मिली ने अपनी मर्जी से किया इसके लिए मैंने उसे फाॅर्स नहीं किया।
मिली ने मुझे अपनी चुत कैसे मरने दी थोड़ी देर बाद बताता हु।।।।
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अब आगे
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हुआ यूँ की मिली के साथ पीछे से सेक्स करते हुए कोई एक महीना हो चूका था की मिली को मालूम पड़ा की हमारे कॉलेज से एक ट्रिप फेमस हिल स्टेशन पर जा रही थी जो की मिली को बहुत पसन्द था लेकिन वो आज तक वहां जा नहीं पाई थी उसकी कुछ सहेलियां भी उस ट्रिप पर जा रही थी लेकिन उनके साथ उनके बी एफ भी जारहे थे जिस वजह से जाहीर था की मिली वहां अकेली पद जाने वाली थी जबकि वो वहां खूब एन्जॉय करना चाहती थी इसलिए उसने मुझसे साथ चलने को कहा लेकिन मुझे घुमना घंना ज्यादा अच्छा नहीं लगता था।
"नही यार मिली मैं नहीं चल सकता मुझे इन सब का शॉक नहीं है" मैंने उसे मना कर दिया।
"पलज़ राजू मेरी खातिर सिर्फ एक बार मान जा न वहां पर मेरी सारी सहेलिया तो अपने बी एफ के साथ मस्त रहेगी और मैं अकेलि पड़ जाउंगी" मिली ने मुझे मनाया।
"लेकिन मैं वहां बोर हो जाउंगा मिलि" मैंने जवाब दिया।
"तु एक बार चल तो सही मैं वादा करती हु की मैं तुझे बोर नहीं होन दूंगी और वैसे भी इन तिन दिन में तू मेरे बगैर वैसे ही बोर हो जायेगा क्योंकि तुझे मेरे 'पिछे' लागने की आदत जो पड़ गई है" वो मुस्कुराते हुए बोली।
ये बात तो वो सही कह रही थी उसके बिना तो अब मुझे घंटा भर भी चेन नहीं मिलता था और यहाँ तो बात तिन दिन की थी और फिर रात में उसके साथ मस्ती भी तो नहीं कर पाउँगा मुझे उसके साथ ट्रिप पर जाने में ही अपनी भलाई लगी और मैंने हाँ कर दी मिली बहुत खुश हुई।
ट्रिप ने दो दिन बाद रवाना होना था हमने घर आकार पापा मम्मी से पेर्मिशन भी ले ली थी अब मिली अपनी तैयारियॉ में बिजी हो गई थी दो बार तो मार्केट भी ले जाना पड़ा शॉपिंग के लिये
आखीर वो दिन आ ही गया जब हमें रवाना होना था कॉलेज से दो बस में टीचर्स सहित लगभग १०० लोग दो बस में रवाना हुए लड़के और लड़किया अलग अलग बस में थे।
कोई ६ घंटे के सफ़र के बाद हम उस हिल स्टेशन पहुंचे लेकिन ये जंगल में बसा हुआ स्थान था ज्यादा सुविधाये यहाँ अभी नहीं थी एक रेस्ट हाउस में हम सभी के रुक्ने की व्यवस्था की गई थी लेकिन वो भी बड़ा नहीं था तो उसके कंपाउंड में ही छोटे छोटे टेंट लगा दिए गए जिनमे लडको के सोने का प्रबंध किया गया और लड़कियो और टीचर्स को रेस्ट हाउस में ही रहना था वैसे भी मार्च का महीना था तो ठंड और बारिश की चिंता ही नहीं थी।
हम लोग शम को लगभग ५ बजे वहां पहुच चुके थे लेकिन सफ़र की थकावट सभी को थी इसलिए अगले दिन से ही घुमने फ़िरने का प्रोग्राम था रात को सभी लोग खाना खाने के बाद कुछ देर साथ बैठे और फिर सोने चले गए मेरे कुछ दोस्त भी इस ट्रिप पर आये थे तो हम सभी दोस्त एक ही टेंट में सो जाए।
अगले दिन सुबह का नाश्ता कर सभी लोग ग्रुप बना बना कर घुमने जाने लगे मिली और उसकी चार सहेली के बी एफ ने एक ग्रुप बनाया जिसमे मिली ने मुझे भी शामिल कर लिया।
हम सभी लोग अपने अपने जोड़े के साथ आगे बढ़ने लगे और जंगल की सुंदरता को निहारने लगे सिर्फ मेरा और मिली का ही जोड़ा ऐसा था जो सिर्फ हाथ पकडे चल रहा था बाकि चारो जोड़े गले में बाहें डाल एक दूसरे को चिपके हुए आगे बढ़ रहे थे और वो सभी हमसे आगे थे।
मिली का सिर्फ हाथ ही मेरे हाथ में था जबकि उसकी बाकि सभी इन्द्रिया जंगल का ही निरिक्षण कर रही थी और मैं सिर्फ चलता जारहा था जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे धीरे धीरे एक एक जोड़ा हम लोगो से अलग जंगल में गुम होता जारहा था लेकिन मिली को इस बारे में कोई खबर नहीं थी वो तो बस जंगल को ही निहार रही थी और शायद पता भी नहीं चलता लेकिन एक ठोकर जो उसके पैरो पर लगी थी उसने उसका ध्यान जंगल की सुन्दरता से वापस इस दुनिया में ला दिया था और उसी टाइम आखिरी बचा जोड़ा भी जंगल के अन्दर घुस रहा था।
"आउछछ।।।।" मिली की करहा निकली।
"क्य हुआ" मैं बोला।
"थोकर लग गई यार" मिली सामने देखते हुए बोली "लेकिन बाकि के लोग कहाँ गए"।
मैने उस आखिरी जोड़े जो की जंगल की गहराई में गुम होने जारहा था की तरफ इशारा किया और बोला "जैसे ये जारहे है वैसे ही बाकि के भी चले गए"।
मिली मुस्कुरा के रह गई और बोली "तुम बोर तो नहीं हो रह"।
"नही मुझे तो बहुत मजा आरहा है" मैं बोला।
"अब ज्यादा बनो मत मैं कुछ देर के लिए खो सी गई थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा अब आगे चलो" कहते हुए मिली मुझे खींचते हुए आगे बढ़ गई।
कुछ ही दूर आगे एक झरना मिला जिसकी तारीफ के लिए हम दोनों के ही पास शब्द नहीं थे हम दोनों वही बेठ गए और बाते शुरू कर दी थोड़ी देर बाद मैंने जानबूझ कर मिली से पुचा "मिली वो लोग जंगल में अकेले क्या कर रहे होंग"।
"क्य कर रहे होंगे मतलब, अरे पागल वो प्यार की बाते कर रहे होंगे और क्या"।
"तु सच में बहुत भोली है वो कोई बाते नहीं कर रहे होंगे बल्कि धुआँधार चुदाई में लगे होंग" मैं बोला।
"में नहीं मंती ऐसे पथरीले जंगल में चुदाई कैसे होगी, ऐसे में चुदाई करने पर तो निचे वाला छिल जाएगा" वो बॉली।
"तूझे मेरी बात पर यकीन नहीं आरहा है ना तो चल, चल कर देखते है मुझे पूरी उम्मीद है वो वही सब कर रहे होंग" मैं बोला।
"थिक है चल, चल कर देखते है किसकी बात सही है" कहते हुए मिली खड़ी हो गई।
आब हम वापस जाने लगे मुझे अछे से याद था की आखिरी जोड़ा किधर से जंगल में घुसा था मैं मिली का हाथ पकडे वहीँ से जंगल के अन्दर घूसने लगा कुछ दूर जाने के बाद भी वो हमें नजर नहीं आए।
"कहान गए वो लोग तुझे अछे से पता तो है ना की वो यहीं से अन्दर आये थे?" मिली बोली।
"तु चुप रह मुझे अछे से याद है, मुझे कुछ सोचने दे" मैं इतना कह कर सोचने लगा की वो लोग कहाँ हो सकते है कुछ देर सोचने के बाद मुझे लगा की छूप कर चुदाई करने के लिए झाडियों से अच्छी जगह कोई नहीं हो सकती इसलिए मैं मिली को वही रुक्ने का बोल कर बड़ी बड़ी झाड़ियो को चेक करने लगा ५-६ झाड़ियों को देखने के बाद आखिर मुझे कामयाबी मिल ही गई अभी मैं उस झड़ी से १० कदम दूर ही था की मुझे उस झड़ी से कुछ मादक सिसकारियों की आवाजे आयी मेरे होंठो पर विजयी मुस्कान आगई मैंने मिली को चुप रहने का इशारा करते हुए पास आने का इशारा किया मिली भी मेरा इशारा समझते हुए शांति के साथ बिना आवाज किये पास आगई।
कब मैं मिली का हाथ पकडे धीरे धीरे उस झड़ी के पास पहुच गया इस दौरान हम दोनों ने किसी भी प्रकार की आवाज नहीं होन दी जैसे ही हम दोनों की नजर उस झड़ी के अन्दर पड़ी हम दोनों ही रोमाँचित हो गए झाडियों के अन्दर मिली की एक सहेली मादक आवाजे निकलते हुए अपने बी एफ के साथ चुदाई में मतं थी उन लोगो को इतनी मस्ती छाई हुई थी की उन्हें हमारे पास आने की भनक भी नहीं लगी थी।
अपनी आँखों के सामने लाइव चुदाई देख कर मिली की साँसे भी भारी हो चुकी थी और उसकी नजरे वहां से हत ही नहीं रही थी इधर मेरे लंड का हाल भी बुरा था लेकिन ये मौका कुछ करने का नहीं था इसलिए मैं मन्न मसोसे कर रह गया।
तोड़ि देर बाद ही वो दोनों जोर जोर की आवाजे निकलने लगे मैं समझ गया की अब इनकी चुदाई ख़तम होने वाली है इसलिए मैंने मिली का हाथ पकड़ा और उसे भी खड़ा कर लिया और बिना कुछ बोले ही हम वहां से वापस चल दिए।
आढे रस्ते तक हम दोनों में ही कोई बात नहीं हुई मिली शायद अभी भी उसी चुदाई के बारे में सोच रही थी जबकि मैं उस घटना से उभर चूका था।
"क्यों मिली मैंने सच कहा था ना" मैं बोला।
"हुमंमं।।।।" मिली ने हुंकारा भरी।
"अब तो यकीन हो गया ना की 'बी एफ' 'जी एफ' का रिश्ता सिर्फ इसीलिए होता है" मैंने एक चोट और की।
"ऐसा कुछ नहीं है बहुत से 'जी एफ' 'बी एफ' ऐसे है जो सच्चा प्यार करते है, लेकिन राजू क्या ऐसी पथरीली जगह में करने से लड़की की पीठ नहीं छिलति" मिली बोलि।
"वो तो मुझे पता नहीं लेकिन शायद उस मजे के आलम में कुछ मालूम ही नहीं पड़ता होगा शायद, वैसे तू अपनी उस सहेली से पुछ सकती है जो निचे लेट कर चुदवा रही थि" मैंने जवाब दिया।
"हुमम्म।।" मिली के मुँह से निकला।
"लेकिन यार मिली में बहुत गरम हो गया हु वो सब देख कर, क्या तू मेरे लिए कुछ कर सकती है जिससे मेरे लंड को शांति मिले" मैं बोला।
"अभी नहीं हम शम को बात करते है, तब पक्का मैं तेरे लिए कुछ ना कुछ करुँगी की तुझे बहुऊऊऊत शांति मिल जाए" मिली नाक पकड़ कर हिलाते हुए बोली तब तक रेस्ट हाउस आ चूका था और लंच का टाइम भी हो चूका था हम दोनों अलग हो चुके थे तभी मेरी नजर पीछे की तरफ गई जहाँ वो चारो ही जोड़े वापस चले आरहे थे और सभी के चेहरे चमक रहे थे सिर्फ मैं अकेला ही प्यासा था हमारे ग्रुप के लडको में लेकिन मिली ने मुझे शम को बहूऊऊत शांति देने की बात कही थी इसलिए मैं उतना भी निराश नहीं था और शम होने का इंतज़ार कर रहा था।।।।
सिर्फ मैं अकेला ही प्यासा था हमारे ग्रुप के लडको में लेकिन मिली ने मुझे शम को बहूऊऊत शांति देने की बात कही थी इसलिए मैं उतना भी निराश नहीं था और शम होने का इंतज़ार कर रहा था।।।।
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अब आगे
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सभी लोग लंच कर चुके थे चूँकि गर्मी का मौसम था इसलिए दोपहर में कहीं घुमने जाना नहीं था शम को ही कहीं बहार जा सकते थे इसलिए हर कोई आराम कर रहा था मैं भी अपने दोस्तों के साथ टेंट में आकर सो गया था।
शाम को ५ बजे मेरी नींद खुली और मैं फ्रेश होकर मिली को ढूँढ़ने लगा लेकिन बहुत ढूँढ़ने के बाद वो मुझे अपनी एक सहेली के साथ सबसे दूर एक तरफ जाते दीखि मैं भी उनके पीछे चल दिया।
वो लोग थोड़ा आगे जाकर एक पेड़ के निचे बैठ गई मैं भी थोड़ा घूम कर उन के पीछे की तरफ पेड़ के तने की ऊट में खड़ा हो गया सोचा देखु तो सही दोनों क्या बात करती है क्योंकि ये वो ही लड़की थी जो दोपहर में अपने बी एफ से चुदवा रही थी।
"तु दोपहर में जंगल में अपने बी एफ के साथ क्या कर रही थी सोना जब हम घुमने गए थे" मिली बोली।
"कुछ नहीं यार बस हम तो घूमते ही राहे" सोना ने जवाब दिया।
"झड़ियो के अन्दर घूम रहे थे क्या?" मिली बॉली।
आब सोना की आँखे सिकुड गई थी।
"तुने क्या देखा?" सोना बोली।
"वही जो तुम दोनों कर रहे थे, और तू भी कितनी मस्ती में थी उस वक्त चुदाई करवाते हुए" मिली बोली।
"ओह।।। तो तूने देख लिया था हमें वो क्या है ना यार रोनी बहुत दिनों से पीछे पड़ा था चुदाई के लिए तो आज मौका देख कर मैंने भी उसे मजे करवा दिए" अब सोना खुलते हुए बॉली।
"तूझे दर्द नहीं हुआ चुदवाने में?" मिली ने पुछा।
"उसमे कैसा दर्द वो तो पहली बार होता है हर बार थोड़े ही ना होता है" सोना ने बताया।
"तो क्या तू पहले भी चुदवा चुकी है" मिली हैरत से बॉली।
"हाँ बहुत बार अब तो मैं गिनती भी भूल गई हु की कितनी बार चुदवाया है और कितने लड़के मुझे चोद चुके है, लेकिन क्या तू अभी भी वर्जिन है?" अब सोना हैरत में थी।
"पीचे से तो करवा चुकी हु लेकिन अभी तक मेरी चुत की सील नहीं टुटी है" मिली बोली।
"तो क्या तेरा बी एफ तुझसे चुत चोदने को नहीं कहता क्या" सोना ने पुछा।
"मेने ही उससे कह रख है की पीछे से कर लिया करे आगे से मैं नहीं दूंगी इसलिए वो जिद्द नहीं करता है, वैसे तू ये बता की इतनी पथरीली जगह में चुदवाने से तेरी पीठ नहीं छिली" मिली बॉली।
"अरे यार हम चादर ले कर गए थे ना बैग में जिससे ज्यादा फरक नहीं पड़ा लेकिन तू भी निरि पागल है पीछे से चुदवाने में क्या मजा है असली मजा तो तब आता है जब चुत में लंड घुसता है" सोना बोली।
"मुझे नहीं लेना अपनी चुत में लंड मैं ऐसे ही ठीक हु अब चल शायद सभी लोग घुमने जाने की तैयारी कर रहे है" कह कर मिली उठ गई और वो दोनों वापस जाने लगी मेरी समझ नहीं आया की मिली क्या चाहती है और मैं भी उन दोनों के पीछे चल दिया।।।।।।।