Desi कमसिन कलियाँ और हरामी लाला
|
(24-06-2017, 12:17 PM)arav1284 : सोनी भी जानती थी की अब यहाँ से निकल जाने में ही भलाई है...
इसलिए उसकी माँ को ये कहकर की पिंकी को उसी के घर भेज देना, वो वहां से आ गयी..
अब उसे और पिंकी को कुछ ऐसा प्लान बनाना था ताकि ये रोज-2 के छोटे-मोटे मज़े से बढ़कर कुछ आगे निकल सके...
और इसके लिए लालाजी से अच्छा बंदोबस्त कोई और हो ही नही सकता था..
**************
अब आगे
**************
नहा धोकर पिंकी बाहर आई और उसने लालाजी के घर पर आने की बात माँ को बतायी...
लालाजी का नाम सुनकर तो उसकी माँ भी घबरा गयी..
उसे भी लालाजी के बर्ताव के बारे में अच्छे से पता था और वो ये भी जानती थी की उनके हालात आजकल अच्छे नही चल रहे है इसलिए सूद चुकाने में देरी हो रही है...
अपनी माँ को उनकी सोच में छोड़कर वो सोनी के घर पहुँच गयी...
सोनी के पिता का देहांत कई सालों पहले हो चुका था...
इसलिए उनके खेतो का काम उसका बड़ा भाई और माँ मिलकर संभालते थे...
और दोनो शाम से पहले घर आने वाले नही थे
इसलिए उन दोनो को किसी भी बात की रोक टोक या डर नही था..
सोनी की बहन मीनल आजकल अपने ससुराल से आई हुई थी, वो भी अपने बचपन की सहेली बिजली के घर गयी हुई थी...
सोनी : "पिंकी , एक तो ये तेरी माँ है ना, दिन ब दिन खड़ूस होती जा रही है... मुझे देखते ही ना जाने कैसी आग सी लग जाती है उन्हे...ऐसा ही रहा तो मैने तेरे घर आना बंद कर देना है...''
पिंकी भी ये बात जानती थी की उसकी माँ को सोनी फूटी आँख नही सुहाती ...
उनका मानना था की उसके साथ मिलकर वो पूरे गाँव में बिना संगल की गाँय की तरह घूमती रहती है...
उन्हे शायद 1-2 लोगो ने बोला भी था की दोनो के पर निकल आए है आजकल...
अपनी फूट रही जवानी को दोनो गाँव भर में घूमकर दिखाती फिरती है...
इसलिए उन्हे लगता था की सोनी के साथ पिंकी ज़्यादा ना ही मिले तो ही सही है..
पर उन दोनो की दोस्ती इन बातों को नजरअंदाज करके आगे बढ़ती चली जा रही थी..
पिंकी : "छोड़ ना ये रोज की बातें....पहले ये बता की लालाजी को कैसे काबू में लाया जाए...!!
सोनी : "अर्रे, वो लाला तो पहले से ही काबू में है... फ्री में क्रीमरोल कोई ऐसे ही नही दे देता... हा हा हा''
पिंकी : "मुझे तो लगता है की वो अपना क्रीम रोल देने की फिराक में है....''
सोनी : "हाँ , वही...काला सा...जो तुझे पसंद नही है....''
पिंकी तुनककर बोली : "हाँ , नही है...''
सोनी : "नही है तो पसंद करना पड़ेगा...नही तो लालाजी तेरे काबू में नही आएँगे...''
पिंकी ने सोचने वाला चेहरा बना लिया...
जैसे उसकी बात पर गोर कर रही हो.
सोनी : "देख पिंकी...बात सिर्फ़ मज़े की नही है...बात तेरे पिताजी के सूद की भी है...हो सकता है लालाजी के साथ मज़े लेने के बाद वो तेरे पिताजी का सूद भी माफ़ कर दे...''
पिंकी (थोड़ा गुस्से में ) : "तू कहना क्या चाहती है...लालाजी के सूद के बदले मैं उन्हे अपनी चूत भेंट कर दूँ क्या..मुझे ऐसा-वैसा समझ रखा है क्या तूने..? ''
सोनी : "ओहो....बात तो तू ऐसे कर रही है जैसे खुद बड़ी दूध की धुली है...और ये काम करना ही नही चाहती...
याद है न, पिछले हफ्ते क्या बात हुई थी हमारी, और कल की 10 रूपए वाली शर्त के बाद तो तूने अपनी नंगी गांड भी दिखा दी उस लाला को...अब रह ही क्या गया है..??
जब 10 रुपय के बदले नंगी गांड दिखा सकती है तो 10 हज़ार के बदले चूत भी तो दे सकती है ना..., इसलिए ये बेकार की बाते मत कर, जो सच है वो यही है की तुझे लाला की ज़रूरत है और लाला को तेरी जवानी की...''
वैसे सोनी सच ही कह रही थी....
रोजाना आपस में सैक्स के बारे में तरह-2 की बातें करने के बाद उन्होने यही सोचा था की अपने हुस्न का जलवा दिखाकर वो लालाजी से समान ऐंठा करेंगी, और ऐसा करने में वो कामयाब भी हो गयी थी...
पिंकी :"चल..मान ली तेरी बात...पर लालाजी ने अगर ये बात गाँव भर में फैला दी तो मेरी माँ तो मेरा गला काट देगी....और तेरा भाई भी तुझे जिंदा नही छोड़ेगा...''
सोनी : "बस...यही तो...यही प्लानिंग तो हमें करनी है...ताकि हमारा काम भी हो जाए और लाला भी अपनी ज़ुबान से कुछ ना बोले...''
दोनो आपस में ऐसे बातें कर रही थी जैसे कोई जंग जीतने निकलना हो ..
वैसे ये प्लानिंग किसी जंग से कम की लग भी नही रही थी...
इतने सालों तक संभाल कर रखी जवानी का पहला सौदा बिना सोचे समझे नही करना चाहती थी वो दोनो...
यहाँ एक बात जान लेनी आवश्यक है की चूत की खुजली के बारे में पिंकी ज़्यादा आगे थी...
उसी का दिमाग़ इस तरह की बातों में ज़्यादा दौड़ता था...
अपने माँ बाप का मूड भाँपकर वो रात भर सिर्फ़ उनकी चुदाई भरी आहें सुनने के लिए जागा करती थी....
अपनी चूत को रगड़ कर वो जब तक दिन में 2-3 बार झड़ नही जाती थी, उसे चैन ही नही आता था...
नहाते हुए भी वो अपने पूरे बदन, ख़ासकर मुम्मो को निचोड़कर रख देती थी...
गाँव के हर मर्द के बारे में सोचकर, उसके लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसकारियां मारते हुए अपनी चूत रगड़ना उसके लिए आम बात थी...
और इसलिए उसने अपनी इन बातों के जाल में सोनी को भी फँसा लिया था...
जब दिन भर उसकी पक्की सहेली सैक्स के बारे में बाते करती तो वो भला कैसे इस रोग से अछूती रह जाती...
जवानी के कीड़े ने उसे भी काट लिया और वो दोनो अक्सर सैक्स से जुड़ी गंदी बाते करके घंटो हँसती रहती...
खेल - २ में वो एक दूसरे के अंगो सहलाती और जल्द ही वो खेल सारी मर्यादाएं लांघकर सैक्स के खेल में बदल गया, जिसमें वो गन्दी वाली मूवीज की तरह लैस्बियन सैक्स भी करने लगी
और इसी दौरान उन्होने शर्त लगाकर, लालाजी को भी सताया और अपनी भड़क रही जवानी को शांत करने का उन्हे ये एक नया तरीका मिल गया..
पिंकी बोली : "मेरे दिमाग़ में एक आइडिया है...और अगर वो आइडिया कामयाब हो गया तो पिताजी के पैसो की सिरदर्दी भी दूर हो जाएगी और हमारा काम भी बन जाएगा...और इसके लिए आज शाम को ही हम दोनो लाला की दुकान पर चलेंगे..बोल मंजूर है..''
सोनी जानती थी की उसके खुराफाती दिमाग़ में ज़रूर कुछ गंदा पक रहा है...
पर मज़े लेने की चाह तो उसमे भी बहुत थी और वो जानती थी की वो जो भी करेगी, उसमे मज़े तो दोनो को ही मिलेंगे...
इसलिए उसने तुरंत हां कर दी.
पिंकी ने उसे पूरा प्लान समझाया और सारी बात सुनकर सोनी भी उसके दिमाग़ की दाद दिए बिना नही रह सकी..
बस...
फिर क्या था....
दोनो शाम को अपनी प्लानिंग के अनुसार लालाजी की दुकान पर पहुँच गयी.
लालाजी ने जब दूर से उन दोनो हुस्न की परियों को अपनी दुकान पर आते देखा तो उनकी धोती में सुस्ता रहा काला अजगर अंगड़ाई लेता हुआ खड़ा हो गया...
जैसे कह रहा हो 'आ गयी दोनो हरामजादियां , अब आएगा मज़ा'
लालाजी : "आओ आओ.... क्या हाल है पिंकी....सोनी, बोल क्या लेना है आज तुम्हे ...!!
बात तो वो पिंकी से कर रहे थे पर उनका एक हाथ उनकी धोती में घुस कर अपने लंड को रगड़ रहा था...
पिंकी ने सोनी की तरफ देखा, उसने एक डरा हुआ सा चेहरा बना रखा था....
जैसे कुछ कहना चाहती हो पर सकुचा रही हो..
लालाजी : "अररी, साँप सूंघ गया है क्या तुझे....बोल ना...क्या लेगी...??
लालाजी का तो मन कर रहा था की बस एक बार बोल दे 'लालाजी , आपका लंड लूँगी...बोलो...दोगे क्या..'
पर वो भी जानते थे की वो ऐसा नही बोलेगी...
अचानक लालाजी ने नोट किया की जो कुर्ती पिंकी ने पहनी हुई है, उसका गाला काफी गहरा है ...
और उसकी वजह से उसकी गोलाइयाँ सॉफ दिख रही है...
लालाजी की तो हालत पतली हो गयी....
कल वो अपनी नंगी गांड दिखा कर गयी थी और आज अपने नंगे आम दिखाने पर उतारू है.....
पिंकी ने डरा हुआ सा फेस बना रखा था...
वो धीरे से बोली : "लालाजी ..वो...वो ..आपसे कुछ ख़ास बात करनी थी...''
लालाजी ने आस पास देखा, दूर -2 तक कोई नही दिखाई दे रहा था...
लालाजी अपनी जगह से उठ कर बाहर निकले और अंदर पड़ी चारपाई पर जाकर बैठ गये...
उन्होने दोनो को भी वही बुला लिया..
दरवाजे पर परदा कर दिया ताकि बाहर से कोई उन्हे देख ना सके..
लालाजी की प्यासी नज़रों के सामने पिंकी के कबूतर फड़फड़ा रहे थे...
उसकी आधे से ज्यादा गोलाइयाँ उनकी आँखों के सामने थी ...
लालाजी ने फ्रिज में से 2 केम्पा निकाल कर उन्हे पकड़ा दी....
ठंडी-2 बोतल हाथ में आते ही दोनो ने उसे मुँह से लगा कर पीना शुरू कर दिया...
बॉटल से 2 बूँद टपक कर उसकी क्लिवेज पर जाकर गिरी और गहरी घाटियों में गायब हो गयी...
लालाजी ने बड़ी मुश्किल से अपने सूखे गले को तर किया...
मन तो कर रहा था की उसकी गोलाईयों पर जीभ फिरा कर वो 2 बूँद भी वेस्ट होने से बचा ले...
पर ऐसा करना मुमकिन नही था..
लालाजी : "हाँ ...अब बोल....क्या बात है....किसी चीज़ की ज़रूरत है क्या तुझे...?''
केम्पा पीने के बाद पिंकी बोली : "हाँ लालाजी ... और आपके सिवा हमारी मदद कोई और नही कर सकता...''
लालाजी ने अपने कान उसकी तरफ लगा दिए और बोले : "हाँ हाँ बोल, क्या मदद चाहिए तुझे...??
पिंकी : "लालाजी ...वो ...वो, हमें..... कुछ पैसो की ज़रूरत थी...''
लालाजी ने उन दोनो को ऐसे देखा जैसे विश्वास ही ना कर पा रहे हो...
भला उन्हे पैसो की क्या ज़रूरत आन पड़ी...
पर वो कुछ नही बोले.....
उनके दिमाग़ में तो कुछ और ही चलना शुरू हो गया था..
पिंकी : "हमे दरअसल....12 हज़ार रूपए की सख़्त ज़रुरत है''
लालाजी : "देख पिंकी...मुझे वैसे पूछना तो नही चाहिए...पर...इतने पैसे तुझे किस काम के लिए चाहिए...और ये पैसे तू वापिस कैसे करेगी...??
पिंकी जानती थी की लालाजी ये सब ज़रूर पूछेंगे...
इसलिए वो पहले से ही जवाब तैयार करके लाई थी...
वो बोली : "वो मैं अभी आपको नही बता सकती...पर मेरा विश्वास करिए...मैं आपके सारे पैसे जल्द ही लौटा दूँगी...''
लालाजी तो अंदर से बहुत खुश हो रहे थे...
उनके हिसाब से तो ये उनके पास अपने आप फँसने चली आई थी...
12 हज़ार उनके लिए बहुत छोटी रकम थी...
और लालाजी अच्छे से जानते थे की उनके चुंगल में एक बार जब कोई फँस जाता है तो पूरी उम्र ब्याज देता रहता है..
असल वही खड़ा रहता है...
और इन दोनो हिरनियों को काबू में करने के लिए इससे अच्छा उपाय कुछ और हो ही नही सकता था..
लालाजी ये तो समझ गये थे की जैसा मुँह बनाकर वो उनके सामने बैठी है, पैसो की ज़रूरत कुछ ज़्यादा ही है...
इसलिए उन्होने एक बार फिर से पूछा : "पहले तू मुझे बता दे की पैसे किसलिए चाहिए तो मुझे देने में कोई परेशानी नही है..''
पिंकी ने तो सोचा था की लाला उनकी बात को जल्द ही मान जाएगा, पर वो भी बनिया आदमी था, इतनी आसानी से पैसे निकालने वाला नही था..
पिंकी ने कोई बहाना भी नही बनाया था, इसलिए उसके दिमाग़ ने तुरंत काम करना शुरू कर दिया...
उसने सोनी की तरफ देखा, उसके चेहरे पर भी हवाइयां उड़ रही थी, यानी उसका दिमाग़ भी नही चल रहा था..
पिंकी ने जल्द ही एक बहाना तैयार कर लिया, और बोली : "देखिए लालाजी , आपको मैं बता तो रही हूँ , पर आपसे निवेदन है की आप किसी से भी इस बारे में कुछ नही बोलना..ख़ासकर हमारे घर वालो से...''
पिंकी का इतना कहना था की ठरकी लाला ने आगे बढ़कर उसके हाथ पर अपने हाथ रख दिया और उसके नर्म हाथों को अपने खुरदुरे हाथों से मसलता हुआ बोला : "अर्रे, नही रे...तू मुझपर पूरा बिस्वास कर सकत है....बतला अब...''
पास आने की वजह से लाला उसकी मुम्मो की घाटी को थोड़ी और गहराई से नाप पा रहा था..
पिंकी की मुनिया तो एकदम से पनिया गयी....
एक तो लाला के सख़्त हाथ और उपर से उनकी गंदी नज़रे...
ऐसा लग रहा था जैसे उनकी आँखो से कोई शक्ति निकल कर उसके सख़्त मुम्मे मसल रही है...
पिंकी : "वो क्या है ना...इस साल हमारी 12वी क्लास ख़तम हो जवेगी...उसके बाद हमें कॉलेज करना है, और हमारे दोनो के घर वाले ये नही चाहते, वो बोल रहे है की इतना खर्चा करना उनके बस की बात नही है...
इसलिए हमने सोचा की अभी के लिए आपसे पैसे लेकर अपने-2 फॉर्म भर लेंगे..और साथ में अपने अडोस पड़ोस के बच्चो को टूशन पढ़ा कर पैसे बनाते रहेंगे..ऐसा करने से घर वालो पर भी बोझ नही पड़ेगा और आपके पैसे भी धीरे-2 उतर जाएँगे..''
लालाजी मुस्कुराए और बोले : "वह , इरादा तो बहुत अच्छा है तुम दोनो का...और सच कहूं तो ऐसे काम के लिए मैं पैसे देने से कभी मना नही करता...पर कारोबारी आदमी हूँ , इसलिए सूद पर ही दूँगा...और हर महीने तुम दोनो को 600-600 रुपय मुझे सूद के देने होंगे..''
पिंकी ने हिसाब लगाया तो वो काफ़ी ऊँची ब्याज दर थी...
पर उनके दिमाग़ में जो प्लान था उसके सामने ये 10% का ब्याज उनके आड़े आने वाला नही था...
इसलिए दोनो ने तुरंत हां कर दी...
लालाजी ने एक पेपर पर उन दोनो का राज़ीनामा लिया
उनके दस्तख़त करवाकर लाला ने उन दोनो के हाथ में 6-6 हज़ार रूपर रख दिए...
पैसे देखकर दोनो के चेहरे चमक उठे...
और लालाजी को धन्यवाद बोलकर वो दोनो उठ खड़ी हुई...
और जैसे ही वो दोनो जाने लगी तो लाला ने कहा : "अर्रे, इतनी जल्दी भी क्या है...थोड़ी देर रुक जा...अपने क्रीम रोल तो लेते जाओ दोनो...''
इतना कहकर लाला अपनी खीँसे निपोरता हुआ बाहर निकल आया और मर्तबान से 2 लंबे से क्रीमरोल्ल निकाल लिए...
अभी कुछ देर पहले ही फ्रेश बनकर आए थे इसलिए उनकी क्रीम भी ताज़ा थी...
लाला के दिमाग़ में कुछ चालाकी आई और उसने एक रोल में से उपर की क्रीम निकाल कर दूसरे पर लगा दी...
और अंदर आकर वो ज़्यादा क्रीम वाला रोल उसने पिंकी की तरफ लहरा दिया..
और जैसा लाला चाहता था, वैसा ही हुआ
उपर रखी क्रीम उछलकर नीचे गिरी और सीधा पिंकी के सीने पर आकर चिपक गयी...
लाला का हाथ तुरंत हरकत में आ गया और उसने वो क्रीम उसके सीने से पोंछ डाली..
ये सब इतनी जल्दी हुआ की पिंकी को भी समझने का मौका नही मिला की ये हुआ क्या है...
सोनी तो अपने रोल को पकड़ने के साथ ही उसे खाने में व्यस्त हो गयी...
पर पिंकी का पूरा शरीर काँप कर रह गया..
लाला ने उसकी छाती पर पड़ी क्रीम को जब अपनी 4 उंगलियो से समेटा तो उसके गुदाज मुम्मो को बुरी तरह से रगड़ता चला गया...
ऐसा लग रहा था जैसे लाला ने उसके मुम्मो के साथ क्रीम वाली होली खेल ली है..
उसका उपरी छाती वाला हिस्सा चिकना हो गया...
लाला ने अपनी बेशर्मी दिखाते हुए वो सॉफ की हुई क्रीम अपने मुँह में लेकर चाट ली..
पिंकी तो सुलग कर रह गयी...
आज पहली बार उसके मुम्मो को किसी ने छुआ था...
और वो भी लाला ने..
पिंकी जानती थी की वो अगर चाहे तो गाँव के जवान और हॅंडसम लड़को को पटा कर ये सब मज़े ले सकती है
पर उस लाला में ना जाने क्या सम्मोहन था की वो उसके हाथो ऐसा काम करवाने चली आई थी...
और आज पहली बार उसका कामोत्तेजना से भरा स्पर्श पाकर और भी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी...
लाला की भी हालत खराब हो गयी थी...
उन्हे पैसे देकर तो अब लाला में भी हिम्मत सी आ गयी थी, इसलिए उसने ऐसा दुस्साहसी कदम उठाया था...
और जब ऐसा करने के बाद भी पिंकी ने कुछ नही कहा और अपना क्रीमरोल लेकर चुपचाप खाने लगी तो लाला समझ गया की चिड़िया ने दाना चुग लिया है...
यानी आगे भी वो उसके साथ ऐसी छेड़खानी कर सकता है, वो कुछ नही कहेगी..
उसके बाद लाला को धन्यवाद बोलकर दोनो बाहर निकल आई...
घर आकर दोनो बहुत खुश थी, उनकी प्लानिंग का पहला चरण पूरा हो चुका था...
(24-06-2017, 12:17 PM)arav1284 : सोनी भी जानती थी की अब यहाँ से निकल जाने में ही भलाई है...
इसलिए उसकी माँ को ये कहकर की पिंकी को उसी के घर भेज देना, वो वहां से आ गयी..
अब उसे और पिंकी को कुछ ऐसा प्लान बनाना था ताकि ये रोज-2 के छोटे-मोटे मज़े से बढ़कर कुछ आगे निकल सके...
और इसके लिए लालाजी से अच्छा बंदोबस्त कोई और हो ही नही सकता था..
**************
अब आगे
**************
नहा धोकर पिंकी बाहर आई और उसने लालाजी के घर पर आने की बात माँ को बतायी...
लालाजी का नाम सुनकर तो उसकी माँ भी घबरा गयी..
उसे भी लालाजी के बर्ताव के बारे में अच्छे से पता था और वो ये भी जानती थी की उनके हालात आजकल अच्छे नही चल रहे है इसलिए सूद चुकाने में देरी हो रही है...
अपनी माँ को उनकी सोच में छोड़कर वो सोनी के घर पहुँच गयी...
सोनी के पिता का देहांत कई सालों पहले हो चुका था...
इसलिए उनके खेतो का काम उसका बड़ा भाई और माँ मिलकर संभालते थे...
और दोनो शाम से पहले घर आने वाले नही थे
इसलिए उन दोनो को किसी भी बात की रोक टोक या डर नही था..
सोनी की बहन मीनल आजकल अपने ससुराल से आई हुई थी, वो भी अपने बचपन की सहेली बिजली के घर गयी हुई थी...
सोनी : "पिंकी , एक तो ये तेरी माँ है ना, दिन ब दिन खड़ूस होती जा रही है... मुझे देखते ही ना जाने कैसी आग सी लग जाती है उन्हे...ऐसा ही रहा तो मैने तेरे घर आना बंद कर देना है...''
पिंकी भी ये बात जानती थी की उसकी माँ को सोनी फूटी आँख नही सुहाती ...
उनका मानना था की उसके साथ मिलकर वो पूरे गाँव में बिना संगल की गाँय की तरह घूमती रहती है...
उन्हे शायद 1-2 लोगो ने बोला भी था की दोनो के पर निकल आए है आजकल...
अपनी फूट रही जवानी को दोनो गाँव भर में घूमकर दिखाती फिरती है...
इसलिए उन्हे लगता था की सोनी के साथ पिंकी ज़्यादा ना ही मिले तो ही सही है..
पर उन दोनो की दोस्ती इन बातों को नजरअंदाज करके आगे बढ़ती चली जा रही थी..
पिंकी : "छोड़ ना ये रोज की बातें....पहले ये बता की लालाजी को कैसे काबू में लाया जाए...!!
सोनी : "अर्रे, वो लाला तो पहले से ही काबू में है... फ्री में क्रीमरोल कोई ऐसे ही नही दे देता... हा हा हा''
पिंकी : "मुझे तो लगता है की वो अपना क्रीम रोल देने की फिराक में है....''
सोनी : "हाँ , वही...काला सा...जो तुझे पसंद नही है....''
पिंकी तुनककर बोली : "हाँ , नही है...''
सोनी : "नही है तो पसंद करना पड़ेगा...नही तो लालाजी तेरे काबू में नही आएँगे...''
पिंकी ने सोचने वाला चेहरा बना लिया...
जैसे उसकी बात पर गोर कर रही हो.
सोनी : "देख पिंकी...बात सिर्फ़ मज़े की नही है...बात तेरे पिताजी के सूद की भी है...हो सकता है लालाजी के साथ मज़े लेने के बाद वो तेरे पिताजी का सूद भी माफ़ कर दे...''
पिंकी (थोड़ा गुस्से में ) : "तू कहना क्या चाहती है...लालाजी के सूद के बदले मैं उन्हे अपनी चूत भेंट कर दूँ क्या..मुझे ऐसा-वैसा समझ रखा है क्या तूने..? ''
सोनी : "ओहो....बात तो तू ऐसे कर रही है जैसे खुद बड़ी दूध की धुली है...और ये काम करना ही नही चाहती...
याद है न, पिछले हफ्ते क्या बात हुई थी हमारी, और कल की 10 रूपए वाली शर्त के बाद तो तूने अपनी नंगी गांड भी दिखा दी उस लाला को...अब रह ही क्या गया है..??
जब 10 रुपय के बदले नंगी गांड दिखा सकती है तो 10 हज़ार के बदले चूत भी तो दे सकती है ना..., इसलिए ये बेकार की बाते मत कर, जो सच है वो यही है की तुझे लाला की ज़रूरत है और लाला को तेरी जवानी की...''
वैसे सोनी सच ही कह रही थी....
रोजाना आपस में सैक्स के बारे में तरह-2 की बातें करने के बाद उन्होने यही सोचा था की अपने हुस्न का जलवा दिखाकर वो लालाजी से समान ऐंठा करेंगी, और ऐसा करने में वो कामयाब भी हो गयी थी...
पिंकी :"चल..मान ली तेरी बात...पर लालाजी ने अगर ये बात गाँव भर में फैला दी तो मेरी माँ तो मेरा गला काट देगी....और तेरा भाई भी तुझे जिंदा नही छोड़ेगा...''
सोनी : "बस...यही तो...यही प्लानिंग तो हमें करनी है...ताकि हमारा काम भी हो जाए और लाला भी अपनी ज़ुबान से कुछ ना बोले...''
दोनो आपस में ऐसे बातें कर रही थी जैसे कोई जंग जीतने निकलना हो ..
वैसे ये प्लानिंग किसी जंग से कम की लग भी नही रही थी...
इतने सालों तक संभाल कर रखी जवानी का पहला सौदा बिना सोचे समझे नही करना चाहती थी वो दोनो...
यहाँ एक बात जान लेनी आवश्यक है की चूत की खुजली के बारे में पिंकी ज़्यादा आगे थी...
उसी का दिमाग़ इस तरह की बातों में ज़्यादा दौड़ता था...
अपने माँ बाप का मूड भाँपकर वो रात भर सिर्फ़ उनकी चुदाई भरी आहें सुनने के लिए जागा करती थी....
अपनी चूत को रगड़ कर वो जब तक दिन में 2-3 बार झड़ नही जाती थी, उसे चैन ही नही आता था...
नहाते हुए भी वो अपने पूरे बदन, ख़ासकर मुम्मो को निचोड़कर रख देती थी...
गाँव के हर मर्द के बारे में सोचकर, उसके लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसकारियां मारते हुए अपनी चूत रगड़ना उसके लिए आम बात थी...
और इसलिए उसने अपनी इन बातों के जाल में सोनी को भी फँसा लिया था...
जब दिन भर उसकी पक्की सहेली सैक्स के बारे में बाते करती तो वो भला कैसे इस रोग से अछूती रह जाती...
जवानी के कीड़े ने उसे भी काट लिया और वो दोनो अक्सर सैक्स से जुड़ी गंदी बाते करके घंटो हँसती रहती...
खेल - २ में वो एक दूसरे के अंगो सहलाती और जल्द ही वो खेल सारी मर्यादाएं लांघकर सैक्स के खेल में बदल गया, जिसमें वो गन्दी वाली मूवीज की तरह लैस्बियन सैक्स भी करने लगी
और इसी दौरान उन्होने शर्त लगाकर, लालाजी को भी सताया और अपनी भड़क रही जवानी को शांत करने का उन्हे ये एक नया तरीका मिल गया..
पिंकी बोली : "मेरे दिमाग़ में एक आइडिया है...और अगर वो आइडिया कामयाब हो गया तो पिताजी के पैसो की सिरदर्दी भी दूर हो जाएगी और हमारा काम भी बन जाएगा...और इसके लिए आज शाम को ही हम दोनो लाला की दुकान पर चलेंगे..बोल मंजूर है..''
सोनी जानती थी की उसके खुराफाती दिमाग़ में ज़रूर कुछ गंदा पक रहा है...
पर मज़े लेने की चाह तो उसमे भी बहुत थी और वो जानती थी की वो जो भी करेगी, उसमे मज़े तो दोनो को ही मिलेंगे...
इसलिए उसने तुरंत हां कर दी.
पिंकी ने उसे पूरा प्लान समझाया और सारी बात सुनकर सोनी भी उसके दिमाग़ की दाद दिए बिना नही रह सकी..
बस...
फिर क्या था....
दोनो शाम को अपनी प्लानिंग के अनुसार लालाजी की दुकान पर पहुँच गयी.
लालाजी ने जब दूर से उन दोनो हुस्न की परियों को अपनी दुकान पर आते देखा तो उनकी धोती में सुस्ता रहा काला अजगर अंगड़ाई लेता हुआ खड़ा हो गया...
जैसे कह रहा हो 'आ गयी दोनो हरामजादियां , अब आएगा मज़ा'
लालाजी : "आओ आओ.... क्या हाल है पिंकी....सोनी, बोल क्या लेना है आज तुम्हे ...!!
बात तो वो पिंकी से कर रहे थे पर उनका एक हाथ उनकी धोती में घुस कर अपने लंड को रगड़ रहा था...
पिंकी ने सोनी की तरफ देखा, उसने एक डरा हुआ सा चेहरा बना रखा था....
जैसे कुछ कहना चाहती हो पर सकुचा रही हो..
लालाजी : "अररी, साँप सूंघ गया है क्या तुझे....बोल ना...क्या लेगी...??
लालाजी का तो मन कर रहा था की बस एक बार बोल दे 'लालाजी , आपका लंड लूँगी...बोलो...दोगे क्या..'
पर वो भी जानते थे की वो ऐसा नही बोलेगी...
अचानक लालाजी ने नोट किया की जो कुर्ती पिंकी ने पहनी हुई है, उसका गाला काफी गहरा है ...
और उसकी वजह से उसकी गोलाइयाँ सॉफ दिख रही है...
लालाजी की तो हालत पतली हो गयी....
कल वो अपनी नंगी गांड दिखा कर गयी थी और आज अपने नंगे आम दिखाने पर उतारू है.....
पिंकी ने डरा हुआ सा फेस बना रखा था...
वो धीरे से बोली : "लालाजी ..वो...वो ..आपसे कुछ ख़ास बात करनी थी...''
लालाजी ने आस पास देखा, दूर -2 तक कोई नही दिखाई दे रहा था...
लालाजी अपनी जगह से उठ कर बाहर निकले और अंदर पड़ी चारपाई पर जाकर बैठ गये...
उन्होने दोनो को भी वही बुला लिया..
दरवाजे पर परदा कर दिया ताकि बाहर से कोई उन्हे देख ना सके..
लालाजी की प्यासी नज़रों के सामने पिंकी के कबूतर फड़फड़ा रहे थे...
उसकी आधे से ज्यादा गोलाइयाँ उनकी आँखों के सामने थी ...
लालाजी ने फ्रिज में से 2 केम्पा निकाल कर उन्हे पकड़ा दी....
ठंडी-2 बोतल हाथ में आते ही दोनो ने उसे मुँह से लगा कर पीना शुरू कर दिया...
बॉटल से 2 बूँद टपक कर उसकी क्लिवेज पर जाकर गिरी और गहरी घाटियों में गायब हो गयी...
लालाजी ने बड़ी मुश्किल से अपने सूखे गले को तर किया...
मन तो कर रहा था की उसकी गोलाईयों पर जीभ फिरा कर वो 2 बूँद भी वेस्ट होने से बचा ले...
पर ऐसा करना मुमकिन नही था..
लालाजी : "हाँ ...अब बोल....क्या बात है....किसी चीज़ की ज़रूरत है क्या तुझे...?''
केम्पा पीने के बाद पिंकी बोली : "हाँ लालाजी ... और आपके सिवा हमारी मदद कोई और नही कर सकता...''
लालाजी ने अपने कान उसकी तरफ लगा दिए और बोले : "हाँ हाँ बोल, क्या मदद चाहिए तुझे...??
पिंकी : "लालाजी ...वो ...वो, हमें..... कुछ पैसो की ज़रूरत थी...''
लालाजी ने उन दोनो को ऐसे देखा जैसे विश्वास ही ना कर पा रहे हो...
भला उन्हे पैसो की क्या ज़रूरत आन पड़ी...
पर वो कुछ नही बोले.....
उनके दिमाग़ में तो कुछ और ही चलना शुरू हो गया था..
पिंकी : "हमे दरअसल....12 हज़ार रूपए की सख़्त ज़रुरत है''
लालाजी : "देख पिंकी...मुझे वैसे पूछना तो नही चाहिए...पर...इतने पैसे तुझे किस काम के लिए चाहिए...और ये पैसे तू वापिस कैसे करेगी...??
पिंकी जानती थी की लालाजी ये सब ज़रूर पूछेंगे...
इसलिए वो पहले से ही जवाब तैयार करके लाई थी...
वो बोली : "वो मैं अभी आपको नही बता सकती...पर मेरा विश्वास करिए...मैं आपके सारे पैसे जल्द ही लौटा दूँगी...''
लालाजी तो अंदर से बहुत खुश हो रहे थे...
उनके हिसाब से तो ये उनके पास अपने आप फँसने चली आई थी...
12 हज़ार उनके लिए बहुत छोटी रकम थी...
और लालाजी अच्छे से जानते थे की उनके चुंगल में एक बार जब कोई फँस जाता है तो पूरी उम्र ब्याज देता रहता है..
असल वही खड़ा रहता है...
और इन दोनो हिरनियों को काबू में करने के लिए इससे अच्छा उपाय कुछ और हो ही नही सकता था..
लालाजी ये तो समझ गये थे की जैसा मुँह बनाकर वो उनके सामने बैठी है, पैसो की ज़रूरत कुछ ज़्यादा ही है...
इसलिए उन्होने एक बार फिर से पूछा : "पहले तू मुझे बता दे की पैसे किसलिए चाहिए तो मुझे देने में कोई परेशानी नही है..''
पिंकी ने तो सोचा था की लाला उनकी बात को जल्द ही मान जाएगा, पर वो भी बनिया आदमी था, इतनी आसानी से पैसे निकालने वाला नही था..
पिंकी ने कोई बहाना भी नही बनाया था, इसलिए उसके दिमाग़ ने तुरंत काम करना शुरू कर दिया...
उसने सोनी की तरफ देखा, उसके चेहरे पर भी हवाइयां उड़ रही थी, यानी उसका दिमाग़ भी नही चल रहा था..
पिंकी ने जल्द ही एक बहाना तैयार कर लिया, और बोली : "देखिए लालाजी , आपको मैं बता तो रही हूँ , पर आपसे निवेदन है की आप किसी से भी इस बारे में कुछ नही बोलना..ख़ासकर हमारे घर वालो से...''
पिंकी का इतना कहना था की ठरकी लाला ने आगे बढ़कर उसके हाथ पर अपने हाथ रख दिया और उसके नर्म हाथों को अपने खुरदुरे हाथों से मसलता हुआ बोला : "अर्रे, नही रे...तू मुझपर पूरा बिस्वास कर सकत है....बतला अब...''
पास आने की वजह से लाला उसकी मुम्मो की घाटी को थोड़ी और गहराई से नाप पा रहा था..
पिंकी की मुनिया तो एकदम से पनिया गयी....
एक तो लाला के सख़्त हाथ और उपर से उनकी गंदी नज़रे...
ऐसा लग रहा था जैसे उनकी आँखो से कोई शक्ति निकल कर उसके सख़्त मुम्मे मसल रही है...
पिंकी : "वो क्या है ना...इस साल हमारी 12वी क्लास ख़तम हो जवेगी...उसके बाद हमें कॉलेज करना है, और हमारे दोनो के घर वाले ये नही चाहते, वो बोल रहे है की इतना खर्चा करना उनके बस की बात नही है...
इसलिए हमने सोचा की अभी के लिए आपसे पैसे लेकर अपने-2 फॉर्म भर लेंगे..और साथ में अपने अडोस पड़ोस के बच्चो को टूशन पढ़ा कर पैसे बनाते रहेंगे..ऐसा करने से घर वालो पर भी बोझ नही पड़ेगा और आपके पैसे भी धीरे-2 उतर जाएँगे..''
लालाजी मुस्कुराए और बोले : "वह , इरादा तो बहुत अच्छा है तुम दोनो का...और सच कहूं तो ऐसे काम के लिए मैं पैसे देने से कभी मना नही करता...पर कारोबारी आदमी हूँ , इसलिए सूद पर ही दूँगा...और हर महीने तुम दोनो को 600-600 रुपय मुझे सूद के देने होंगे..''
पिंकी ने हिसाब लगाया तो वो काफ़ी ऊँची ब्याज दर थी...
पर उनके दिमाग़ में जो प्लान था उसके सामने ये 10% का ब्याज उनके आड़े आने वाला नही था...
इसलिए दोनो ने तुरंत हां कर दी...
लालाजी ने एक पेपर पर उन दोनो का राज़ीनामा लिया
उनके दस्तख़त करवाकर लाला ने उन दोनो के हाथ में 6-6 हज़ार रूपर रख दिए...
पैसे देखकर दोनो के चेहरे चमक उठे...
और लालाजी को धन्यवाद बोलकर वो दोनो उठ खड़ी हुई...
और जैसे ही वो दोनो जाने लगी तो लाला ने कहा : "अर्रे, इतनी जल्दी भी क्या है...थोड़ी देर रुक जा...अपने क्रीम रोल तो लेते जाओ दोनो...''
इतना कहकर लाला अपनी खीँसे निपोरता हुआ बाहर निकल आया और मर्तबान से 2 लंबे से क्रीमरोल्ल निकाल लिए...
अभी कुछ देर पहले ही फ्रेश बनकर आए थे इसलिए उनकी क्रीम भी ताज़ा थी...
लाला के दिमाग़ में कुछ चालाकी आई और उसने एक रोल में से उपर की क्रीम निकाल कर दूसरे पर लगा दी...
और अंदर आकर वो ज़्यादा क्रीम वाला रोल उसने पिंकी की तरफ लहरा दिया..
और जैसा लाला चाहता था, वैसा ही हुआ
उपर रखी क्रीम उछलकर नीचे गिरी और सीधा पिंकी के सीने पर आकर चिपक गयी...
लाला का हाथ तुरंत हरकत में आ गया और उसने वो क्रीम उसके सीने से पोंछ डाली..
ये सब इतनी जल्दी हुआ की पिंकी को भी समझने का मौका नही मिला की ये हुआ क्या है...
सोनी तो अपने रोल को पकड़ने के साथ ही उसे खाने में व्यस्त हो गयी...
पर पिंकी का पूरा शरीर काँप कर रह गया..
लाला ने उसकी छाती पर पड़ी क्रीम को जब अपनी 4 उंगलियो से समेटा तो उसके गुदाज मुम्मो को बुरी तरह से रगड़ता चला गया...
ऐसा लग रहा था जैसे लाला ने उसके मुम्मो के साथ क्रीम वाली होली खेल ली है..
उसका उपरी छाती वाला हिस्सा चिकना हो गया...
लाला ने अपनी बेशर्मी दिखाते हुए वो सॉफ की हुई क्रीम अपने मुँह में लेकर चाट ली..
पिंकी तो सुलग कर रह गयी...
आज पहली बार उसके मुम्मो को किसी ने छुआ था...
और वो भी लाला ने..
पिंकी जानती थी की वो अगर चाहे तो गाँव के जवान और हॅंडसम लड़को को पटा कर ये सब मज़े ले सकती है
पर उस लाला में ना जाने क्या सम्मोहन था की वो उसके हाथो ऐसा काम करवाने चली आई थी...
और आज पहली बार उसका कामोत्तेजना से भरा स्पर्श पाकर और भी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी...
लाला की भी हालत खराब हो गयी थी...
उन्हे पैसे देकर तो अब लाला में भी हिम्मत सी आ गयी थी, इसलिए उसने ऐसा दुस्साहसी कदम उठाया था...
और जब ऐसा करने के बाद भी पिंकी ने कुछ नही कहा और अपना क्रीमरोल लेकर चुपचाप खाने लगी तो लाला समझ गया की चिड़िया ने दाना चुग लिया है...
यानी आगे भी वो उसके साथ ऐसी छेड़खानी कर सकता है, वो कुछ नही कहेगी..
उसके बाद लाला को धन्यवाद बोलकर दोनो बाहर निकल आई...
घर आकर दोनो बहुत खुश थी, उनकी प्लानिंग का पहला चरण पूरा हो चुका था...
(26-06-2017, 06:23 PM)arav1284 : लालाजी के दिमाग़ में उसके लिए कुछ स्पेशल प्लान बनने शुरू हो चुके थे.Lovely
************
अब आगे
************
क्रीम रोल लेकर पिंकी सीधा निशि के घर पहुँच गयी
वो उसके हिस्से का रोल उसे देना चाहती थी और आज का किस्सा भी सुनाना चाहती थी..
दरवाजा निशि की बहन मीनल ने खोला
वो उसके हाथो में क्रीम रोल देखकर बोली : "ओहो...लगता है लालाजी की दुकान से आ रही है...''
उसके बोलने के स्टाइल और मुस्कुराहट से सॉफ पता चल रहा था की वो सब जानती है..
पिंकी को निशि पर बहुत गुस्सा आया की उसने ये सब बाते अपनी बहन को क्यों बता दी.
मीनल दीदी ने हँसते हुए उसका हाथ पकड़ा और अंदर खींच लिया..
''अररी, घबरा मत, मैं किसी से नही कहने वाली ये सब...तुझे शायद पता नही है, निशि मुझसे कुछ भी नही छिपाती और न ही मैं उससे....समझी....''
पिंकी का चेहरा पीला पड़ गया...
यानी निशि की बच्ची ने कल उनकी एक दूसरे की चूत चूसने वाली बात भी बता दी है क्या...
उसके चेहरे की परेशानी देखकर वो समझ गयी की वो क्या सोच रही है..
मीनल : "कल जो तुम दोनो ने मज़े लिए थे, वो भी पता है मुझे...ये तो नॉर्मल सी बात है...मैं भी अपनी सहेली बिजली के साथ ये सब किया करती थी...कल जब उसके घर गयी तो फिर से वही किया था हमने...कसम से, पुरानी यादे ताज़ा हो गयी...''
इतना कहकर मीनल ने बड़ी बेशर्मी से अपनी चूत को पिंकी के सामने ही मसल दिया..
मीनल की ये बात सुनकर उसे थोड़ी राहत मिली वरना उसे डर था की कहीं वो उसे डराएगी धमकाएगी और माँ को बताने की धमकी देगी..
पर ये तो अपनी बहन निशि की तरह ही निकली...
वो मुस्कुरा दी और मीनल के साथ अंदर आ गयी...
निशि नहा रही थी , इसलिए वो उसे लेकर अपने कमरे में आ गयी...
निशि की माँ और भाई खेतो में गये हुए थे..
मीनल ने अंदर आते ही पिंकी से पूछा : "अच्छा सुन, कल निशि बता रही थी की तूने लाला का लंड देखा...बता ना..कैसा था वो...कितना मोटा था....और लंबा कितना था...बता ना...''
मीनल ने जब लंड बोला तभी से पिंकी का शरीर काँप सा उठा था...
उसने तो सोचा भी नही था की कोई लड़की इतनी बेशर्मी से मर्दो के प्राइवेट पार्ट के बारे में बात कर सकती है...
निशि और उसकी बात अलग थी, मीनल दीदी के साथ वो इतनी घुली मिली नही थी, उसके बावजूद वो उससे ऐसे बेशर्मी भरे सवाल पूछ रही थी.
उसका चेहरा गुलाबी हो गया...
आँखे डबडबा सी गयी....
पर कुछ बोल नही पाई वो.
मीनल उसके करीब आई और अपनी छातिया उसके कंधे पर ज़ोर से दबाकर , उन्हे रगड़ते हुए बोली : "अररी बोल ना...निशि को तो बड़े मज़े लेकर बताया होगा तूने...मुझे बताने में इतना क्यो शर्मा रही है....ऐसे शरमाएगी तो उसे अपनी चूत में कैसे लेगी....'!!
लाला के उस ख़ूँख़ार लॅंड को अपनी कोमल चूत के अंदर लेने के नाम से ही बेचारी काँप सी गयी...
उसने घबराकर मीनल को देखा और सकपकाई हुई सी आवाज़ में बोली : "नही दीदी.....वो...वो तो बहुत मोटा है....मेरी चूत में कैसे घुसेगा भला...??''
मीनल ने जैसे उसकी नब्ज़ पकड़ ली थी...
वो बोली : "अर्रे...मोटा ही है ना...लंबा तो नही है ना....लंबा होता है तब मुस्किल होत है....''
पिंकी चहककर बोली : "अर्रे नही दीदी...मोटा भी है और लंबा भी.....मैने देखा था....ससुरा इतना मोटा था....और इतना लंबा....''
उसने अपनी कलाई की मोटाई और लंबाई दिखा दी मीनल को....
जिसे देखकर और सुनकर उसके मुँह में पानी सा आ गया...
वो फुसफुसाई : "हाय .....कमीना लाला...तभी शादी से पहले मुझे भी चोदने वाली नज़रो से देखा करता था....अगर पता होता तो तभी लपक लेती उसके मोटे लंड को...''
पिंकी : "दीदी.....आपने कुछ कहा क्या...?''
मीनल : "अर्रे नही री.....बस....तूने जो तारीफ की है, उसके बाद तो मेरा भी मन सा कर रहा है उसे एक बार देखने का....''
पिंकी की आँखे फैल सी गयी....
वो बोली : "दीदी.....आप ये कैसी बाते कर रही हो...आपकी तो शादी हो गयी है....और शादी के बाद तो औरत को सिर्फ़ अपने पति के साथ...''
मीनल ने बीच में ही बात काट दी : "अररी, चुप कर...साला ये कौन सा क़ानून है की पति बाहर मुँह मारे तो सब सही है...पत्नी कुछ करे तो ये क़ानून सामने आ जावत है....''
उसके चेहरे से गुस्सा टपक रहा था...
पिंकी समझ गयी की उसके पति का ज़रूर किसी और औरत के साथ चक्कर है..
पर उसने इस बारे में ज्यादा पूछना सही नही समझा...
वैसे भी लाला के लंड के बारे में बात करने से उसकी चूत में जो रसीलापन आ रहा था, ऐसी इधर उधर की बाते करने से वो चला जाना था...
वो बोली : "एक बात बताओ मीनल दीदी...अगर आपको मौका मिले तो क्या आप लाला के साथ वो सब...!!''
बात पूरी होने से पहले ही मीनल तपाक से बोल पड़ी : "हाँ हाँ , बिल्कुल....पहले तो मुझे बिस्वास ही नही हो रहा था लाला के लंड के बारे में सुनकर...
मेरे पति का तो इत्ता सा है...सोनी ने बताया होगा तुझे...पर तूने भी वही बात की है, यानी बात सच्ची है....अब तो सच में मेरा भी मन कर रहा है उसे अपनी चूत में पिलवाने का...''
पिंकी : "तो ले लो ना जाकर ....लाला तो 24 घंटे अपना हाथ में पकड़ कर बैठा रहता है...वो तो एक मिनट में ही मान जाएगा...''
मीनल : "अर्रे पिंकी, तू कितनी भोली है रे....तुझे आज एक पते की बात बताती हूँ मैं ....
हम औरतो को उपर वाले ने सिर्फ़ सुंदर शरीर और ये रसीले अंग ही नही दिए है...एक दिमाग़ भी दिया है....और इसका इस्तेमाल जितनी जल्दी करना सीख लेगी, उतना ही तेरी लाइफ और जवानी के लिए अच्छा है...''
पिंकी : "मैं समझी नही दीदी...''
मीनल : "मतलब ये है की...मर्द क्या चाहता है ये तो हम सभी जानती है...पर उसे चाहने भर से हमारी जवानी मिल जाए, इतने बेवकूफ़ तो हम भी नही है....
मर्द को तरसाकर, उन्हे सताकर, उनका उल्लू बनाकर , बाद में जब उनका लंड लेने में जो मज़ा आता है, उसका कोई मुकाबला नही है...''
पिंकी के कच्चे दिमाग़ में अभी तक कुछ घुस नही रहा था
''पर दीदी...ऐसा करने से तो वो समझेगा की हम सिर्फ़ मस्ती भर का काम कर रहे है...वो कहीं और मुँह मार लेगा तब तक...''
मीनल ने उसकी जाँघ पर हाथ रखा और उसे सहलाते हुए बोली : "यहीं तो तेरी जवानी काम आएगी मेरी बिल्लो....उन्हे सताना है...पागल बना है..पर भगाना नही है...समझी...''
तभी पीछे से आवाज़ आई : "किसको सताने की बाते हो रही है दीदी....''
ये निशि थी जो नहा धोकर बाहर आ गयी थी....
पिंकी ने उसकी तरफ देखा तो हैरान ही रह गयी...
वो नंगी ही बाथरूम से निकलकर बाहर आ गयी थी.
निशि ने बाहर आते ही शिकायत करी : "क्या दीदी...मैं तो टावल का इंतजार कर रही थी अंदर...आपने दिया ही नही...''
अपने चेहरे पर आए पानी को पोंछते हुए वो पिंकी से बोली : "अर्रे पिंकी, तू कब आई....और ये क्या है तेरे हाथ में ..क्रीम रोल....लगता है लाला की दुकान से आ रही है सीधा...''
इतना कहकर उसने वो क्रीम रोल लेकर खाना शुरू कर दिया....
उसे तो जैसे अपने नंगेपन से कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था..
हालाँकि पिंकी के सामने वो कई बार नंगी हो चुकी थी और वो दोनो एक दूसरे को ऐसे देखने की आदी थी..
पर पिंकी ये नही जानती थी की वो घर में भी , अपनी बहन के सामने ऐसे ही बेशर्मो की तरह नंगी खड़ी रह सकती है..
मीनल ये सब नोट कर रही थी...
वो मुस्कुराते हुए बोली : "अर्रे, ऐसे हैरान सी होकर तो ऐसे देख रही है जैसे पहली बार इसे नंगा देखा है तूने...
कल ही तो तेरे घर पर वो प्रोग्राम हुआ था जिसमें तुम दोनो ने वो सब मज़े लिए थे...
ये सुनकर एक बार फिर से पिंकी शरमा गयी....
उसके होंठ फड़फड़ा से रहे थे...
निशि : "अररी मेरी जान पिंकी, तू भी ना, हमारे बीच सब चलता है....मैं दीदी से कुछ नही छुपाती ...इसलिए उन्हे सब पता है हमारे बारे में और लाला के बारे में ...''
वो तब तक अपना क्रीम रोल खा चुकी थी और अपनी उंगलिया चाट रही थी..
पिंकी भी अब नॉर्मल सी हो चुकी थी...
वो सब मिलकर अंदर जाकर बैठ गयी और फिर मीनल और निशि के पूछने पर पिंकी ने आज वाला किस्सा भी पूरे विस्तार से उन्हे सुना दिया...
वो सब सुनते-2 निशि तो अपनी चूत उनके सामने ही रगड़ने लग गयी..