और मुझे देखकर उसने हाय बोला जैसे आज की तारीख में पहली बार मिल रही हो मुझसे..
कुछ ही देर में वो लोग मार्केट के लिए निकल गये और मैं घर में अकेला रह गया..
वो शाम से पहले आने वाले नही थे...
मैं मॉम के बारे मे सोचता हुआ सोफे पर लेट गया और टीवी देखने लगा..
मेरे मन में बस यही चल रहा था की मॉम के साथ कुछ करते हुए कैसा फील होगा.
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अब आगे
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यही सब सोचते-2 मेरी आँख लग गयी
मेरे साथ और अक्सर दूसरे लोगो के साथ भी हमेशा यही होता है की जो बात सोचते-2 सोया जाए,उसी के सपने आते है..
मॉम के बारे में सोचते-2 सोया तो सपने में भी उन्ही के दर्शन हो गये..
और सपनो की दुनिया में तो आप खुद की इच्छा अनुसार कुछ भी कर सकते हो...
जैसा मर्ज़ी सोच सकते हो...
वही होता है.
यहाँ भी वही हो रहा था.
मॉम और मैं एक सुनसान टापू पर थे...
मैं एक चेयर पर नंगा लेटा हुआ था...
मेरे हाथ में बियर का केन था और मेरा लंड समुंद्र में नहाती हुई मॉम को देखकर अकड़ कर खड़ा था...
वो नीले पानी की लहरो में गोते लगा रही थी
एकदम नंगी
हमारे सिवा पूरे टापू पर कोई और नही था..
पानी की लहरे मॉम के नंगे बदन को चूम कर सारे समुंदर को नशीला बना रही थी..
उनकी चूत का पानी रिस कर नमकीन पानी को मीठा कर रहा था..
और उनका नंगा बदन मेरे लंड को एक नयी एनर्जी प्रदान कर रहा था...
जिसे देखकर मैं बियर के सिप भरता हुआ , अपना लंड मसलता हुआ, उस सैक्सी नज़ारे का मज़ा ले रहा था.
उन्होने मुझे देखा और मुस्कुराइ...
और अपनी मोरनी जैसी गांड मटकाती हुई मेरी तरफ आने लगी...
जैसे-2 वो करीब आ रही थी वैसे -2 उनके नशीले बदन के रसीले अंग और बड़े होते जा रहे थे...
उनके हिलते हुए मोम्मे जो दूर से आम की तरह दिख रहे थे, पास आते आते खरबूजे में बदल गये..
उनकी चूत जो दूर से दिखाई भी नही दे रही थी
पास आने पर उसकी लकीरो के पीछे छुपा गुलबीपन तक दिखाई देने लगा.
और सीधा वो मेरे उपर आकर लेट गयी और मुझे जोरों से स्मूच करने लगी...
उनके होंठो से समुंदर के नमकीन पानी का स्वाद आ रहा था...
होंठो से ही नही उनके जिस-2 अंग को मैं चूम रहा था वहां से नमक निकल रहा था...
आज मुझे एक नमकीन औरत को चखने का एहसास हो रहा था...
हम दोनो तो पहले से ही नंगे थे और उनका मेरे उपर लेटने का स्टाइल ही ऐसा था की मेरा लंड सीधा मॉम की गीली चूत पर रगड़ खा रहा था...
उनसे और सब्र नही हुआ और उन्होने अपनी टांगे फेला दी और मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी चूत के मुहाने पर चिपका लिया...
और एक ही झटके में उन्होने मेरे लंड को अपनी फुददी में घुसेड लिया और मेरे उपर उछल कूद मचाती हुई मुझे चोदने लगी..
''आआआआआआआअहह सोनू..... ज़ोर से चोद मुझे..... और ज़ोर से..... जैसे अपनी बहन को चोदता है तू...मुझे भी वैसे चोद .....अहह मज़ा आ गया...... कब तू इतना बड़ा हो गया रे....... मेरी इसी चूत से निकला है तू, जिसे आज तू चोद रहा है....''
उनकी ये बात सुनकर मैं सपने में भी इतना उत्तेजित हो गया की अपने ओर्गास्म के करीब पहुँच गया...
और इससे पहले की मैं नींद में ही अपनी चड्डी गीली कर लेता
दरवाजे पर किसी ने बेल बजा दी.
एक ही पल में मैं सपनो के गीले समुंदर से निकल कर यथार्थ के रेगिस्तान में आ गया..
लंड का तो मेरे ये हाल था जैसे उसे अभी -2 किसी की चूत में से खींचकर निकाला हो...
मैं खुद ही अपने सपने के बारे में सोचकर हंस दिया...
तभी दोबारा बाहर की बेल बजी.
मैं बाहर आने वाले को गालियां देता हुआ दरवाजा खोलने चल दिया...
और दरवाजा खोला तो अपनी हँसी बिखेरती हुई तनवी मेरे सामने खड़ी थी..
उसे इस समय अपने घर पर आया देखकर मैं भी हैरान रह गया...
उसके चेहरे को देखकर पता चल रहा था की वो जानती है की मैं घर पर अकेला हूँ ..
वो मुझे धक्का देते हुए अंदर आ गयी और खुद ही दरवाजे की कुण्डी लगा दी..
उसने एक ब्लू कलर की टाइट सी टी-शर्ट पहनी हुई थी और नीचे जीन्स.
वो बोली : "मुझे पता है की घर में कोई नही है....मैने अभी सोनिया को कॉल किया था , और उसी ने बताया की वो मॉम के साथ मार्केट में है और 1 घंटे से पहले आने वाले नही है...इसलिए मैने सोचा की जब तक वो आ नही जाते मैं तुम्हारी कुछ सेवा पानी ही कर दूँ ....वैसे ये भी तैयार लग रहा है...''
उसने अपने सैक्सी अंदाज में मेरे खड़े हुए लंड को देखते हुए कहा..
एक तो पहले से ही मॉम और सोनिया की लैस्बियन चुदाई देखकर मेरा बुरा हाल था और बाद में मॉम के सपने ने मेरे लंड की लंका लगा रखी थी...
और अब ये सैक्स की पुजारन आकर इस तरह से मेरे अंदर की वासना को भड़का रही थी...
07-07-2017, 03:13 PM (This post was last modified: 07-07-2017, 03:15 PM by honey boy.)
आज से पहले मैने उसके साथ हद में रहकर ही सब कुछ किया था...
यानी चुदाई के सिवा सब कुछ करवा चुकी थी ये रंडी मुझसे...
और आज मैने उसे वो तोहफा भी देने की सोची जिसके लिए उसकी चूत ना जाने कब से कुलबुला रही थी...
वैसे भी अपनी पहली चुदाई सोनिया के साथ करने के बाद अब मेरे लंड के मुँह पर खून लग चुका था...
कुँवारी चूत का खून
और ये प्यास उसी तरह के खून से ही बुझने वाली थी..
वो तो शायद अभी भी सिर्फ़ लंड और चूत चुसाई का प्रोग्राम बना कर ही आई थी
पर मेरे लंड ने उसके लिए जो सर्प्राइज़ सोच लिया था उसके बाद तो उसकी हालत खराब होने वाली थी...
अपनी बात पूरी होने से पहले ही वो मेरे करीब आई और मुझसे लिपट कर अपनी छातिया मुझसे रगड़ने लगी...
उनमें हो रही खुजली को वो ज़ोर-2 से रगड़ कर मिटा रही थी..
उसकी टी शर्ट पर चमक रहे बटन नुमा निप्पल बता रहे थे की उसने आज भी अंदर ब्रा नही पहनी हुई है...
ये साली बिना ब्रा और पेंटी की लड़कियां रंडियो से कम नही होती...
अपने अंदर की प्यास को उजागर करने का इससे अच्छा कोई तरीका नही है इन हरामनो के पास..
ना जाने कितने लंड खड़े करवाती हुई आई होगी अपने घर से यहां तक..
पर अब उनकी हवा निकालना मेरा काम था...
मैने एक ही झटके में उसकी टी शर्ट उतार फेंकी
और अपना मुँह नीचे लगा कर उसके हिम पर्वत का पानी पीने लगा..
उसके काले निप्पल्स को मुँह में भरकर मैने जब चुभलाया तो वो नागिन की तरह लहराकर मुझसे लिपट गयी...
और मेरे खड़े हुए लंड पर अपनी चूत को रगड़ते हुए उत्तेजना के माहौल को और भड़काने लगी..
मैने भी उसके दिल की बात सुनते हुए जिप खोलकर अपना लंड निकालकर उसे थमा दिया...
तनवी : "उम्म्म.....क्या बात है....आज तो ज़्यादा नखरे भी नही कर रहे...डर भी नही रहे...लगता है कुछ करने के मूड में हो आज....''
मैं कुछ नही बोला...
मैं आज उसे उसकी पहली चुदाई एक सर्प्राइज़ के रूप में देना चाहता था.
उसने मेरी बेल्ट खोलकर मेरी जीन्स भी उतार फेंकी....
मेरे हाथ उसकी जीन्स को खोलने में बिज़ी हो गये...
ऐसे वक़्त में कपड़े उतारने का काम इतनी तेज़ी से होता है, उसमें तो हम जैसे लवर्स को गिनीस वर्ड रेकॉर्ड मिल जाना चाहिए, रेकॉर्ड टाइम में कपड़े उतारने के नाम पर..
कुछ ही देर में हम दोनो जन्मजात नंगे थे.
तनवी के नंगे बदन को अपनी आँखो के सामने एक बार फिर से देखकर मुझे उसके नशीले बदन से प्यार सा हो गया...
साली एकदम सॉलिड माल थी...
कोरा...
चिकना...
फाडू माल.
मैने उसे सोफे पर बिठाया और अपना लंड मसलता हुआ उसके करीब आ गया, वो समझ गयी की उसका क्या करना था..
पहले तो उसने उसे अपने हाथ में पकड़ा और गोर से देखने लगी...
शायद आज से पहले उसे इतने करीब से देखने का मौका नही मिला था..
वो मेरे लंड के टोपे को अपने होंठो पर लिपस्टिक की तरह रगड़ते हुए बोली : "उम्म्म्म....ये साला तो दिन ब दिन बड़ा होता जा रहा है.... कब तक तरसाएगा मेरी जान....इन होंठो के अलावा भी एक और होंठो का जोड़ा है, जो इसका वेट कर रहा है....''
साली ने बड़ी मासूमियत से अपनी होने वाली चुदाई की भविष्यवाणी कर दी..
पर उसे पता नही था की उसके मुँह से निकली ये बात कुछ ही देर में सच होने जा रही है.
मेरी आँखो में देखते-2 उसने मेरे लंड को निगल लिया...
और अपनी सकिंग मशीन जैसे मुँह से वो उसे ज़ोर-2 से चूसने लगी..
लड़कियो की यही बात मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी...
मेरे लंड को ऑक्सिजन सिलेंडर समझ कर चूसती थी वो...
जैसे उसमें से निकल रही हवा से ही उनकी जिंदगी चल रही है.
मेरे लंड को अच्छे से चूसने के बाद उसने मेरी गोटियां भी चूसी...
उन्हे चाटा और अच्छे से मेरे अखरोटो को चमका कर गीला कर दिया..
मेरे मुँह में भी एक प्यास जग चुकी थी...
समय कम था पर फिर भी मुझे उसकी कुँवारी चूत का पानी आख़िरी बार पीना था..
मैने उसकी चूत की पंखुड़ियो को फेला कर अंदर का गुलाबीपन देखा
आज के बाद इसकी शक्ल और स्वाद दोनो बदलने वाले थे
मैने उसे बाहों में उठाया और बड़ी बेदर्दी से उसे मॉम डेड के रूम में लेजाकर बेड पर लिटा दिया...
वो भी मेरे रॅफ स्टाइल को देखकर मुस्कुरा दी
उसने मेरे कंधे पर अपनी टाँग रखते हुए मुझे दूर ही रोक दिया और कांपती हुई सी आवाज़ में बोली
''जानेमन....आज तो तेरे इरादे कुछ अच्छे नही लग रहे है...जितने प्यार से तू आज ये सब काम कर रहा है, उतनी ही मेरी प्यास और बढ़ती जा रही है...''
मैने उसकी टाँग को पकड़ा और उसके पैर के सभी उंगलियो को मुँह में लेकर चूस लिया...
ये वो हमला था जिसने उसके अंदर की पिशाचिनी को जगा सा दिया...
उसकी बॉडी वो सबसे सेंसेटिव पॉइंट था...
मैं उसकी उंगलियो को चूसता हुआ धीरे-2 उपर आने लगा...
उसकी कसावट वाली पिंडलिया और घुटनो के पीछे वाला हिस्सा भी बड़ी मादकता लिए हुए था...
वहां किस्स करने के बाद तो वो दोहरी होकर मुझसे लिपट गयी और मुझे खींचकर अपनी चूत पर ला पटका...
मैने करीब 5 मिनट तक उसकी चूत से निकल रहा देसी घी जी भरकर चाटा..
और फिर अपनी जीभ उसके पेट पर फिराते हुए उपर की तरफ आने लगा.
तनवी को मेरा ऐसा करना सही नही लगा...
वो तो मेरी जीभ अंदर लेकर ही झड़ जाना चाहती थी...
मैने अपने दांतो से उसके बूब्स को जकड़ कर उन्हे चुभलाना शुरू कर दिया....
एक बार फिर से उसके निप्पल्स में से देसी शराब निकालनी शुरू कर दी..
''आआआआआआआअहह क्यों कर रे हो ये..... मरररर जाउंगी मैं ....... अहह........ भेंनचोद .....नीचे चूस.....वहां मज़ा आ रहा था.....''
मैने एक ही झटके में उसके चेहरे को पकड़ा और उसकी आँखो में देखते हुए उसे स्मूच कर लिया...
बेचारी के होंठ लरज रहे थे....
मैने अपना लंड थोड़ा आगे किया और उसकी फफक रही चूत पर रगड़ने लगा...
वो तो ऐसे तड़पी जैसे पानी में गर्म सरिया डाल दिया हो...
उसकी सिसकारियाँ कान को भेदे जा रही थी.
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... अहह......... सोनू...............मेरी ज़ाआाआअन्न..... क्या फीलिंग है इसकी....... साला जब अंदर जाएगा तो कितना मज़ा आएगा...''
उसके इतना कहने की देर थी की मैने अपनी हथेली से उसके मुँह को दबा दिया...
और पूरा उसके उपर चड गया...
बेचारी भोचक्की सी रह गयी
और इससे पहले की वो कुछ और कर पाती
मैने अपने लंड को धक्का देकर उसकी चूत के गीले होंठो के पार सरका दिया...
बेचारी घिघिया कर रह गयी....
चीख भी नहीं पाई मेरे लंड के प्रहार से...
आँखे फटी की फटी रह गयी...
और मैं इंच दर इंच अपना लंड उसकी चूत में उतारता चला गया और अंत पूरा में लंड उसकी चूत में भेद कर ही माना....
उसकी आँखो में दर्द और मस्ती का मिला जुला मिश्रण देख पा रहा था मैं ...
और मुझे पता था की इस वक़्त मैं एमोशनल हो गया तो कुछ नही कर पाउँगा ..
इसलिए उसकी आँखो में देखना छोड़कर मैने उसके मुम्मो पर नज़रे गाड़ दी और साथ ही अपने पैने दाँत भी...
एक साथ 2 जगह हमला होता देखकर उसकी तो फट्ट कर हाथ में आ गयी..
मैने अपना लंड उसकी लहू लुहान चूत से खींचकर निकाला और एक बार फिर उसी ताक़त से अंदर घोंप दिया...
इतनी रॅफ चुदाई के लिए मैने पहले सोचा नही था पर करने में काफ़ी मज़ा आ रहा था..
मैने उसके मुँह से हाथ हटा लिया और ज़ोर-2 से धक्का मारकर उसकी चूत का हलवा कूटने लगा..
और सिसकती हुई सी आवाज़ में बोली
''साले .......कितना तरसा रहा है आज.......खा जाउंगी तुझे तो मैं .......चल चूस यहाँ .....आग लगी है अंदर.... बुझा इसे....''
मैने भी उसे ज़्यादा तरसाया नही और अपनी जीभ की पतवार निकाल कर उसकी दोनो नाओं को अगल बगल फेला कर , रसीली नदी में चप्पू चलाने लगा..
मैने करीब 5 मिनट तक उसकी चूत से निकल रहा देसी घी जी भरकर चाटा..
और फिर अपनी जीभ उसके पेट पर फिराते हुए उपर की तरफ आने लगा.
तनवी को मेरा ऐसा करना सही नही लगा...
वो तो मेरी जीभ अंदर लेकर ही झड़ जाना चाहती थी...
मैने अपने दांतो से उसके बूब्स को जकड़ कर उन्हे चुभलाना शुरू कर दिया....
एक बार फिर से उसके निप्पल्स में से देसी शराब निकालनी शुरू कर दी..
''आआआआआआआअहह क्यों कर रे हो ये..... मरररर जाउंगी मैं ....... अहह........ भेंनचोद .....नीचे चूस.....वहां मज़ा आ रहा था.....''
मैने एक ही झटके में उसके चेहरे को पकड़ा और उसकी आँखो में देखते हुए उसे स्मूच कर लिया...
बेचारी के होंठ लरज रहे थे....
मैने अपना लंड थोड़ा आगे किया और उसकी फफक रही चूत पर रगड़ने लगा...
वो तो ऐसे तड़पी जैसे पानी में गर्म सरिया डाल दिया हो...
उसकी सिसकारियाँ कान को भेदे जा रही थी.
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... अहह......... सोनू...............मेरी ज़ाआाआअन्न..... क्या फीलिंग है इसकी....... साला जब अंदर जाएगा तो कितना मज़ा आएगा...''
उसके इतना कहने की देर थी की मैने अपनी हथेली से उसके मुँह को दबा दिया...
और पूरा उसके उपर चड गया...
बेचारी भोचक्की सी रह गयी
और इससे पहले की वो कुछ और कर पाती
मैने अपने लंड को धक्का देकर उसकी चूत के गीले होंठो के पार सरका दिया...
बेचारी घिघिया कर रह गयी....
चीख भी नहीं पाई मेरे लंड के प्रहार से...
आँखे फटी की फटी रह गयी...
और मैं इंच दर इंच अपना लंड उसकी चूत में उतारता चला गया और अंत पूरा में लंड उसकी चूत में भेद कर ही माना....
उसकी आँखो में दर्द और मस्ती का मिला जुला मिश्रण देख पा रहा था मैं ...
और मुझे पता था की इस वक़्त मैं एमोशनल हो गया तो कुछ नही कर पाउँगा ..
इसलिए उसकी आँखो में देखना छोड़कर मैने उसके मुम्मो पर नज़रे गाड़ दी और साथ ही अपने पैने दाँत भी...
एक साथ 2 जगह हमला होता देखकर उसकी तो फट्ट कर हाथ में आ गयी..
मैने अपना लंड उसकी लहू लुहान चूत से खींचकर निकाला और एक बार फिर उसी ताक़त से अंदर घोंप दिया...
इतनी रॅफ चुदाई के लिए मैने पहले सोचा नही था पर करने में काफ़ी मज़ा आ रहा था..
मैने उसके मुँह से हाथ हटा लिया और ज़ोर-2 से धक्का मारकर उसकी चूत का हलवा कूटने लगा..
बेचारी के मुँह से अब चूख भी नहीं निकल रही थी...
फफक कर रह जाती मेरे हर प्रहार से....
मुझे तो ऐसा एहसास हो रहा था जैसे मेरा लंड मखमली चादर में फँस गया है...
उसी चादर में लिसड़ कर मेरा लंड अपने मुकाम की तरफ बढ़ता ही चला जा रहा था..
मैने उसकी कमर को अपने हाथ में पकड़ा और उसे जोरों से चोदने लगा...
और अब मुझे लगने लगा की उसे भी मज़ा मिलने लगा है....
वो अपनी आँखे बंद करके सिसकारियां मार रही थी..
''आआआआआआआअहह सोनू....... साआले...... ये क्या कर दिया......... उम्म्म्मममम.... करना ही था तो...... पहले बता तो देता........ सही से मज़ा लेती......... आआआआआहह ..... पर जो भी किया....... सही किया........... कब से तरस रही थी इस मज़े के लिए.........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... आज तूने मुझे ये प्यारा सा एहसास दिया है......आई एम् लविंग इट.........एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... फककक मिईीईई.... चोदो मुझे........ अहह...... ज़ोर से चोदो ........''
उसका एक-2 शब्द मेरे अंदर नयी उर्जा भर रहा था और मैं दुगनी ताक़त से उसकी चूत का बेंड बजा रहा था....
हर झटके से उसकी कमर हवा में उछल जाती....
पहली धार की शराब जैसा नशा दे रही थी उसकी चूत मुझे....
और मैं उस नशे मे डूबकर उसके और अंदर घुसता चला गया...
और अंत में आकर जब मेरे लंड से रुक पाना मुश्किल हो गया तो मैं चिल्ला पड़ा...
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