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Incest मेरी अन्तर्वाशना भाभी के साथ

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Incest मेरी अन्तर्वाशना भाभी के साथ
chutphar Offline
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#1
27-01-2017, 04:54 PM (This post was last modified: 27-01-2017, 06:53 PM by King Of All.)
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम महेश कुमार है और मै सरकारी नौकरी करता हुँ। मै
आपको बता देना चाहता हुँ की मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक है जिनका किसी से
भी कोई सम्बन्ध नही है अगर होता भी है तो ये मात्र सँयोग ही होगा। ये
कहानी मेरे पहले सेक्स अनुभव कि है। यह मेरी और मेरी प्यारी पायल भाभी की
कहानी  है।
चलो अब मै कहानी पर आता हुँ। बात उस समय की है जब मै ग्याहरवी मे पढता था
उस समय मै बहुत डरपोक और शर्मीला लडका था। शादी मे जब मैने पहली बार भाभी
को दुल्हन के रुप मे देखा तो बस देखता ही रह गया था वो दुल्हन के लिबास
मे स्वर्ग की किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी बिल्कुल दुध जैसा सफेद
रँग, गोल चेहरा, सुर्ख गुलाबी पतले पतले होठ, बङी बङी काली आँखे, पतली और
लम्बी सुराहीदार गर्दन, काले घने लम्बे बाल, बङे बङे सख्त उरोज, पतली
कमर,  गहरी नाभी, पुष्ठ और भरे हुवे बङे बङे नितम्ब हालांकी उस समय मुझे
सेक्स के बारे मे कुछ नही पता था मगर फ़िर भी भाभी मुझे बहुत अच्छी लगी।
भाभी ने आते ही सारे घर कि जिम्मेदारी सम्भाल ली। भाभी सारा दिन घर के
कामो मे व्यस्त रहती और जब कभी समय मिलता तो मेरी पढने मे भी सहायत करती
थी। भाभी ने बी एस सी कर रखी थी इसलिये मै भी पढाई मे कोई दिक्कत आने पर
भाभी से पुछ लेता था। स्कुल से आने के बाद मै भी भाभी कि घर के कामो मे
हाथ बटा देता था मगर भाभी मना करती थी और कहती कि तुम बस पढाई करो ये सब
तो मै अपने आप कर लुंगी। मेरे भैया चाहते थे कि मै आर्मी मे आफीशर बनु और
ये बात उन्होने भाभी को भी बता रखी थी। इसलिये भाभी हमेशा मुझे पढने के
लिये बोलती थी और मै भी पढने मे काफ़ी तेज था हमेशा स्कुल मे अव्व्ल आता
था।
समय के साथ साथ मै और भाभी एक दुसरे से बिल्कुल खुल गये थे अब तो हम एक
दुसरे से हँशी मज़ाक भी कर लेते थे मगर अभी तक मैने भाभी के बारे मे गलत
नही सोचा था और वैसे भी सेक्स के बारे मे मुझे इतना कुछ पता भी नही था
मगर मेरे एक दो दोस्त थे जो कि सेक्स के बारे मे बहुत कुछ जानते थे
उन्होने तो लडकियो के साथ सेक्स भी कर रखा था। उन्होने ही मुझे पहली बार
औरत कि अश्लिल और नन्गी तस्वीर दिखाई थी और हस्तमैथुन करना भी सिखाया था।
एक बार स्कुल से आते समय हम सारे दोस्त सेक्स के बारे मे बाते कर रहे थे
कि तभी मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा कि तु तो ऐसे ही घुम रहा है जबकि तेरे
तो घर मे ही जबरदस्त माल है। मैने कहा कि कैसे ? तो वो बोला कि तेरी भाभी
है ना…। और वैसे भी तेरे भैया आर्मी मे है जो कि बहुत कम ही तेरी भाभी के
साथ रहते है तेरे भैया के जाने के बाद तेरी भाभी का दिल भी तो सेक्स के
लिये करता होगा…। और मेरे सारे दोस्त हँसने लगे।
उस समय तो मैने उन्की बातो को मजाक मे उडा दिया मगर एक दिन कुछ ऐसा हुवा
की मेरा भाभी के प्रती नजरिया ही बदल गया। उस दिन मै और भाभी ऐसे ही बाते
कर रहे थे और बीच बिच मे एक दुसरे से मजाक भी कर रहे थे कि तभी भाभी ने
मेरी बगल मे गुदगुदी कर दी और हँशने लगी, मै भी भाभी को गुदगुदी करना
चाहता था इसलिये मैने भाभी को बेड पर गिरा दिया और दोनो हाथो से उनकी कमर
मे गुदगुदी करने लगा। भाभी हँश हँश कर दोहरी हो गयी और उन्होने अपने दोनो
घुटने मोड लिये जिस से उनकी साडी और पेटीकोट कमर तक उलट गये और उनकी दुध
सी गोरी जाँघे और काले रन्ग कि पेन्टी दिखने लगी जिसे देखते ही मेरा रोम
रोम मे एक तुफ़ान सा उठने लगा और मेरा लिँग उत्तेजित हो गया। भाभी जल्दी
से अपने कपडे ठीक करके हँशते हुवे कहने लगी तुम बहुत शरारती हो गये हो और
उठ कर कमरे से बाहर चली गयी। भाभी जा चुकी थी मगर मुझे तो जैसे सांप
सुन्घ गया था मेरे सामने अब भी भाभी कि नँगी गोरी जाँघे और उनकी काली
पेन्टी घुम रही थी। कुछ देर बाद भाभी खाने कि प्लेट लेकर कमरे मे आई और
मुस्कुराते हुवे कहा चलो खाना खा लो और खाने कि प्लेट को बेड पर रख कर
मेरे पास ही बैठ गइ। मै चुप चाप उठ कर खाना खाने लगा मगर मेरा लिँग अब भी
उत्तेजित था जो की मेरी हाफ़ पेन्ट मे उभरा हुवा स्पस्ट दिखाई दे रहा था
जिसे मै बार बार दबा कर भाभी से छुपाने कि कोशिस कर रहा था। शायद भाभी को
भी मेरी हालत का अहसास हो गया था इसलिये भाभी ने हँशते हुवे कहा कि कुछ
चाहिये तो आवाज दे देना मै कीचन मे जा रही हुँ। मुझे रह रह कर उस दिन
वाली मेरे दोस्तो कि बाते याद आने लगी और वो सही भी कह रहे थे। इस घटना
ने मेरा सबकुछ बदल कर रख दिया। अब मै भाभी को वाशना की नजरो से देखने लगा
और भाभी के अधिक से अधिक पास रहने की कोशिस करता रहता। इसका अहसास शायद
भाभी को भी हो गया था मगर भाभी कुछ नही कहती थी।
हमारे घर मे दो ही कमरे है जिसमे से एक कमरे मे मम्मी पापा रहते है और
दुसरे कमरा भाभी का है, मैने ड्राईँग रुम ही अपना बिस्तर लगा रखा है और
वही पढाई करता हुँ। एक बार रात को पढते समय गणित का एक प्रशन मुझसे हल
नही हो रहा था इसलिय पुछ्ने के लिये मै भाभी के पास चला गया और भाभी के
कमरे का दरवाजा बजा कर उनको बताया मगर भाभी ने दरवाजा नही खोला और कहा की
अभी मै सो रही हुँ कल बता दुँगी। मै वापस आ कर फिर से अपनी पढाई करने लगा
मगर कुछ देर बाद भाभी ने पता नही क्या सोचकर दरवाजा खोल दिया और कमरे से
ही आवाज देकर मुझे बुला लिया। मै कमरे मे गया तो देखा कि भाभी ने काले
रँग की पतली सी एक नाईटी पहनी हुई थी जिसमे से उनकी नीले रँग कि ब्रा और
पेन्टी यहाँ तक की ट्युब लाईट कि रोशनी मे उनका दुधियाँ गोरा बदन स्पस्ट
दिखाइ दे रहा था जिसे देखकर मेरी हालत पतली होने लगी और मेरे लिँग ने
उत्तेजित होकर मेरी हाफ़ पेन्ट मे उभार सा बना लिया। मै बस भाभी को ही
देखे जा रहा था शायद भाभी ने भी मेरी हाफ़ पेन्ट मे मेरे लिँग के उभार को
देख लिया था। भाभी ने मुस्कुराते हुवे कहा बोलो क्या पुछना है। मेरी आवाज
नही निकल रही थी इसलिये मैने हाथ के इसारे से किताब मे वो प्रश्न बता
दिया और भाभी मुझे बेड पर बिठा कर समझाने लगी मगर मेरा ध्यान पढने मे कहा
था मै तो बस भाभी को ही देखे जा रहा था और मेरा लिँग तो मेरी हाफ पेन्ट
को फाङ कर बाहर आने को हो रहा था। कुछ देर मे ही भाभी ने वो सवाल हल कर
दिया और कहा समझ आ गया ? मैने छुठ मे ही हाँ कह दिया जबकि मैने तो ठीक से
किताब की तरफ भी नही देखा था मै तो बस भाभी के अँगो को ही देखे जा रहा
था। भाभी ने कहा तो फिर चलो अब मुझे सोना है। भाभी के कमरे से आने को
मेरा दिल तो नही हो रहा था मगर फिर भी मै वहाँ से आ गया और भाभी ने फिर
से दरवाजा बन्द कर लिया।
भाभी के गोरे बदन को देख कर मुझे बहुत मझा आ रहा था और मेरे लिँग ने तो
पानी छोङ छोङ कर मेरे अण्डरवियर को भी गीला कर दिया था मगर अब क्या करे…?
तभी मुझे एक तरीका सुझा और मैने फिर से भाभी के कमरे का दरवाजा बजा दिया
भाभी ने दरवाजा खोल कर मुस्कुराते हुवे पुछा अब क्या हुवा ? मैने कहा
भाभी एक बार फिर से बता दो मुझसे नही हो रहा है और भाभी फिर से मुझे वो
सवाल समझाने लगी मगर मेरा ध्यान तो भाभी पर ही था और वैसे भी मै पढने कहा
आया था मै तो भाभी कि पारदर्शी नाईटी से दिखाई देते उनके अँगो को देखने
आया था और कुछ देर मे ही भाभी ने वो सावाल फिर से हल कर दिया। मुझे फिर
से उनके कमरे से आना पङा।
कुछ देर बाद मैने एक नया सवाल लेकर फिर से भाभी का दरवाजा बजा दिया...
इस बार भाभी दरवाजा खोलकर हँशने लगी और हँशते हुवे कहा फिर से....?
मैने कहा नही ये दुसरा है, शायद भाभी समझ गयी थी की मै बार बार क्यो आ
रहा हुँ इसलिये वो हँशने लगी और हँशते हुवे कहा सारी पढाई आज ही करनी है
क्या..?
मेरे बार बार भाभी का दरवाजा बजाने की आवाज सुनकर पापा अपने कमरे से बाहर
आ गये और पापा के आते ही भाभी दरवाजे के पीछे छुप गयी। पापा ने मुझे
डाटते हुवे कहा क्यो परेशान कर रहा है भाभी को..?
मैने कहा मै तो बस पढने आया था। पापा ने कहा तो फिर बार बार दरवाजा क्यो
बजा रहा है…? मैने बताया कि वो सवाल पुछने के लिये आना पङता है। पापा ने
कहा तुम कल से भाभी के कमरे मे ही बिस्तर क्यो नही लगा लेते हो वो
तुम्हारी खबर भी लेती रहेगी और तुम्हे पढा भी देगी, इतना कह कर पापा वापस
अपने कमरे मे चले गये। भाभी के कमरे मे बिस्तर लगाने कि बात से मुझे बहुत
खुशी हुई क्योकी अब तो रात भर भाभी के साथ ही रहुँगा। पापा के जाते ही मै
अपना सामान भाभी के कमरे मे लाने लगा मगर भाभी ने मना कर दिया और हँशते
हुवे कहा कि अभी रात को रहने दो मै कल तुम्हारा सामान यहाँ ले आउँगी अभी
तो ये बताओ तुम्हे पुछना क्या है?
मैने एक नया सवाल भाभी के सामने रख दिया मगर भाभी ने कहा कि तुम्हे पहले
वाला समझ आ गया ? मैने जल्दी से हाँ कह दिया। भाभी ने मुस्कुराते हुवे
कहा तो ठीक है जरा मुझे पहले वाला करके तो दिखावो....
मै हल करने तो लग गया मगर मुझे आ नही रहा था और आता भी कहा से मैने ठिक
से देखा हि कहा था। भाभी को पता चल गया था कि मुझे वो सवाल नही आ रहा है
और मै बार बार उनके पास किसलिये आ रहा हुँ इसलिये वो जान बुझकर मेरी
खिँचाई कर रही थी। भाभी हँशने लगी और कहा अभी सो जाओ कल पढ लेना। मै चुप
चाप भाभी के कमरे से वापस आ गया और आकर सो गया। मै सोचने लगा कि अब तो
भाभी मुझे अपने कमरे मे कभी नही सुलायेगी और डर भी लग रहा था कि कही भाभी
ये सब मम्मी पापा को ना बता दे।
सुबह मेरी भाभी से बात तक करने कि हिम्मत नही हुई और मै चुप चाप स्कुल
चला गया मगर जब मै स्कुल से वापस घर आया तो देखा कि मेरा सारा सामान
ड्राईँग रुम से गायब था। मैने बाहर जाकर देखा तो भाभी किचन मे खाना बना
रही थी वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। मैने भाभी के कमरे मे जाकर
देखा तो मेरी खुशी का कोई ठीकाना नही रहा क्योकी मेरा सारा सामान भाभी ने
अपने कमरे मे लगा रखा था मगर मेरा बिस्तर नही था। मेरी भाभी से बात करने
कि हिम्मत तो नही हो रही थी मगर फ़िर भी मै पुछने के लिये भाभी के पास
किचन मे चला गया। भाभी ने बताया कि इतना सामान कमरे मे नही आयेगा तुम
मेरे साथ बेड पर हि सो जाना और वैसे भी डबल बेड है हम दोनो आराम से सो
सकते है। ये बात सुनकर तो मै इतना खुश हुवा जैसे कि मुझे कोइ खजाना मिल
गया हो मगर मैने जाहीर नही किया और रात होने का इँतजार करने लगा। भाभी ने
दिन से ही शलवार कमीज पहन रखा था और रात को भी उसे ही पहनकर सो गयी इसलिय
मुझे कुछ भी देखने को नही मिला उपर से भाभी के इतना नजदिक होने के कारण
मेरा लिँग रात भर उत्तेजित हि रहा जिस कारण मुझे रात भर नीँद भी नही आई।
अगले दिन भाभी ने साडी पहनी इसलिये मै दिन भर ये सोच कर खुश होता रहा कि
शायद भाभी आज रात को सोते समय नाईटी पहनेंगी और मुझे कुछ देखने को मिलेगा
मगर रात को भी भाभी ने कपडे नही बदले बस अपनी साडी को ही उतारा। भाभी ने
साडी को उतार कर मेज पर रख दिया और मुझे पढाने के लिये मेरे पास मुझसे
बिल्कुल सट कर बैठ गयी। नीचे उन्होने काले रंग का पेटीकोट और उपर भी काले
रंग का ही ब्लाउज पहन रखा था जिनके बीच से भाभी का गोरा पेट दिखाई दे रहा
था जिसे देख कर मेरा लिँग उत्तेजित हो गया। मुझे डर लगने लगा कही भाभी को
मेरा उत्तेजित लिँग दिखाई ना दे ज़ाये इसलिये मैने भाभी को मना कर दिया और
कहा कि मुझे कुछ पुछ्ना होगा तो मै आपको बता दुगां आप सो जाओ। भाभी ने
कहा ठिक है और बेड पर जाकर सो गयी मगर सोते समय भाभी का पेटीकोट उनके
घुटनो तक पहुँच गया और भाभी कि दुधियाँ सफेद पिण्डुलियाँ दिखने लगी। मै
पढाई करने लगा मगर मेरा पढाई मे बिल्कुल भी ध्यान नही था मै चोरी निगाहो
से बार बार भाभी को ही देख रहा था। मै ये चाह रहा था कि भाभी का पेटीकोट
थोडा सा और उपर खिशक जाये मगर तभी बिजली चली गयी जिस से कमरे मे अंधेरा
हो गया और मेरा सारा मझा खराब हो गया। अब मै कुछ नही कर सकता था इसलिये
मै बेड पर जाकर सो गया मगर मेरा लिँग अब भी उत्तेजित था जो कि मुझे सोने
नही दे रहा था। मै बार बार करवट बदल रहा था मगर निन्द नही आ रही थी तभी
भाभी ने करवट बदली और वो मेरे बिल्कुल पास आ गयी। अब तो मुझमे भी थोडी सी
हिम्मत आ गयी, मै सोने का नाटक करते हुवे करवट बदल कर भाभी से बिल्कुल
चिपक गया और एक हाथ भाभी के उरोजो पर रख दिया व दुसरे हाथ से अपने लिँग
को सहलाने लगा। भाभी के नर्म उरोज ऐसे लग रहे थे मानो मैने अपना हाथ
मक्ख्न पर रखा हो। मुझे डर लग रहा था कही भाभी जाग ना जाये और मेरा दिल
डर के मारे जोरो धक धक कर रहा था मगर फ़िर भी मै धीर धीरे भाभी के उरोज को
सहलाने लगा। मै पहली बार किसी के उरोज को छु रहा था। भाभी के नर्म मुलायम
उरोजो के अहसास ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मेरा कपडो मे ही रस
खलिल हो गया जिस से मेरा हाथ और कपडे गीले हो गये। मै डर गया कही भाभी को
ये बात पता ना चल जाये इसलिये मै जल्दी से करवट बदल कर सो गया और पता नही
कब मुझे नीन्द आ गयी।
अगले दिन मेरी भाभी से बस एक दो बार ही बात हो पाई कयोकि मेरी मम्मी कि
तबियत खराब थी इसलिये भाभी दिनभर मम्मी के ही पास रही। रात को जब मै पढाई
कर रहा था तो करीब साढे ग्यारह बजे भाभी कमरे मे आई और मुझसे कहने लगी
“तुम्हे पता है ना कल पापा जी, मम्मी को ईलाज के लिये दुसरे शहर जा रहे
है वो शाम तक वापस आयेंगे इसलिये तुम्हे कल स्कुल नही जाना है नही तो मै
घर पर अकेली रह जाउंगी।“
मैने हामी भर दी। घडी मे अलार्म भरते हुवे भाभी ने एक बार फिर से कहा कि
तुम्हे कुछ पुछना है तो पुछलो नही तो मै सो रही हुँ मुझे सुबह जल्दी उठकर
मम्मी पापा के लिये खाना भी बनाना है। मैने मना कर दिया।
भाभी ने कहा तो ठीक तुम एक बार बाहर जाओ मुझे कपङे बदलने है मैने मजाक मे
कह दिया कि ऐसे ही बदल लो ना तो भाभी हशँने लगी और कहा अच्छा जी...आजकल
तुम कुछ ज्यादा ही बदमाश होते जा रहे हो चलो अभी बाहर चलो और मेरा हाथ
पकङ कर मुझे बाहर करके अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया। मै बाहर खङा होकर
इन्तजार करने लगा और जब भाभी ने दरवाजा खोला तो मेरी आँखे फटी की फटी रह
गयी भाभी ने उस दिन वाली ही नाईटी पहन रखी थी जिसमे से उनकी ब्रा,पेन्टी
और पुरा बदन सपस्ट दिखाई दे रहा था। भाभी बेड पर जाकर सो गयी मगर सोते
समय आज भी भाभी कि नाईटी उनके घुटनो तक पहुँच गयी और भाभी कि सँगमरमर सी
सफेद पिण्डुलियाँ दिखने लगी। भाभी उसे ठीक किये बिना ही सो गयी और मै फिर
से पढाई करने लगा मगर मेरा ध्यान अब पढने मे कहाँ था मै तो बस टयुब लाईट
कि सफेद रोशनी मे दमकती भाभी कि दुधियाँ पिण्डुलियो को ही देखे जा रहा था
और मेरे लिँग ने तो पानी छोङ छोङ कर मेरे अण्डरवियर तक को गीला कर दिया
था। मै भगवान से दुवा कर रहा था की भाभी कि नाईटी थोङा और उपर खिसक जाये।
इसी तरह करीब घण्टा भर गुजर गया और फिर तभी भाभी ने करवट बदली जिस से
उनकी नाईटी जाँघो तक पहुँच गयी। शायद भगवान ने मेरी दुवा सुन ली थी। अब
तो मेर लिये अपने आप पर काबु पाना मुश्किल हो गया था। मेरा लिँग अकङ कर
लोहे कि राड कि तरह हो गया था और उसमे तेज दर्द होने लगा था। मै हाथो से
अपने लिँग को मसलने लगा मगर फिर भी मुझे चैन नही मिल रहा था इसलिये मै
जल्दी से बाथरुम गया और हस्तमैथुन किया तब जाकर मुझे कुछ राहत मिली मगर
जब मै वापस आया तो मेरी साँस अटक कर रह गयी क्योकी भाभी अब बिल्कुल सीधी
करवट करके सो रही थी और उनकी नाईटी पेट तक उल्टी हुई थी। भाभी की दुधियाँ
गोरी जाँघे व उनकी लाल रँग की पेन्टी दिखाई दे रही थी। मेरी साँसे फुल
गयी और मेरा लिँग फिर से उत्तेजित हो गया। मै दबे पांव बेड के पास गया और
भाभी की दुधियाँ गोरी जाँघो को देख्ने लगा। मेरा दिल डर के कारण जोरो से
धङक रहा था कि कही भाभी जाग ना जाय मगर फिर भी मै भाभी के बिल्कुल पास
चला गया। अब तो मुझे भाभी कि पेन्टी मे उनकी फुली हुई योनि व योनि कि
फ़ांको के बीच की रेखा का उभार स्पस्ट दिखाइ दे रहा था जिसे देख कर मुझे
बेचैनी सी होने लगी मेरा दिल कर रहा था की मै अभी भाभी कि ये पेन्टी उतार
कर फेंक दूँ और भाभी के शरीर से चिपक जाउँ मगर डर भी लग रहा था मुझे कल
वाला ही तारिका सही लग रहा था इसलिये मैने जल्दी से लाईट बँद कर दी और
भाभी के बगल मे जा कर सो गया। मै खिसक कर भाभी के बिल्कुल पास चला गया और
भाभी कि तरफ करवट बदल कर धीरे से अपना एक पैर भाभी कि जाँघो पर रख दिया
क्योकि अगर भाभी जाग भी जाये तो लगे जैसे कि मै नीन्द मे हुँ और धीर धीर
पैर को उपर कि तरफ ले जाने लगा। मैने हाफ पेन्ट पहन रखी थी और उसे भी
मैने उपर खिँच रखा था इसलिये मेरी भी जाँघे नँगी ही थी और जब मेरी जाँघो
से भाभी कि नर्म मुलायम जाँघो का स्पर्स हो रहा था तो मुझे बहुत आन्नद आ
रहा था। कुछ देर तक मै ऐसे ही करता रहा और भाभी कि तरफ से कोई भी हलचल ना
होने पर मैने अपना एक हाथ भी भाभी कि नर्म मुलायम गोलाइयो पर भी रख दिया
और धीरे धीरे उन्हे सहलाने लगा जिस से मुझे बहुत मझा आ रहा था। मै काफ़ी
देर तक ऐसे ही लगातार करता रहा मगर तभी भाभी हिली तो मेरी डर के मारे
साँस अटक गयी। मैने जल्दी से अपना हाथ भाभी के उरोजो पर से हटा लिया और
सोने का नाटक करने लगा। डर के कारण मेरी तो दिल कि धडकन ही बन्द हो गयी
मगर भाभी के शरीर मे कुछ हलचल सी हुई शायद खुजया होगा और वो फिर से सो
गयी। मै काफी देर तक चुप चाप ऐसे ही पङा रहा मगर मुझे चैन कहा आ रहा था
इसलिये कुछ देर बाद एक बार फिर से हिम्मत करके भाभी के उरोजो पर हाथ रख
दिया मगर मैने जैसे ही भाभी के उरोजो पर हत रखा तो मेरे रोन्गटे खङे हो
गये क्योकि भाभी कि नाईटी के बटन खुले हुवे थे और ब्रा भी उपर हो रखी थी
मेरा हाथ भाभी के अधनन्गे नर्म मुलायम उरोजो को छु रहा था। भाभी के रेशमी
उरोजो के स्पर्श ने मुझे पागल सा कर दिया मुझे डर तो लग रहा था मगर फ़िर
भी मै भाभी के उरोजो पर हाथ को धीरे धीरे फ़िराने लगा। कफ़ी देर तक मै ऐसे
ही भाभी के उरोजो को सहलाता रहा मगर आगे कुछ करने कि मुझ से हिम्मत नही
हो रही थी। उत्तेजना से मेरा तो बुरा हाल हो रहा था और तभी भाभी ने मेरी
तरफ करवट बदल ली और भैया का नाम लेकर मुझसे लिपट गयी। भाभी ने अपनी एक
जाँघ मेरी जाँघ पर चढा दी और एक हाथ से मुझे खीँच कर अपने शरीर से चिपका
लिया। मेरी और भाभी की लम्बाई समान ही थी इसलिये मेरा चेहरा भाभी के
चेहरे को स्पर्श कर रहा था और भाभी कि गर्म साँसे मेरी साँसो मे समाने
लगी। मेरे लिये ये पहला अवसर था कि मै किसी औरत के इतने करीब था। भाभी के
उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरा लिँग बिल्कुल भाभी कि योनि को छु
रहा था। मै ये सोचने लगा कि भाभी कही जाग तो नही रही और वो भैया का बहाना
करके ये सब कर रही हो और ये भी हो सकता है भाभी सपनो मे कर रही हो मगर
कुछ भी हो मुझे तो बहुत मझा आ रहा था। अब तो उत्तेजना से मै पागल हो रहा
था।
एक बाए फ़िर से भाभी ने आह… भरते हुवे भैया का नाम लिया और मुझे बाहो मे
भर कर सीधी करवट बदलते हुवे मुझे अपने उपर खिंच लिया। अब मै भाभी के उपर
पहुंच गया था और मेर शरीर भाभी के मखमल कि तरह मुलायम शरीर को स्पर्श कर
रहा था। भाभी के नर्म और मुलायम उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरे
लिँग को भाभी सुलगती योनि कि गर्माहट महशुस हो रही थी। मै इतना उत्तेजित
हो गया कि भाभी के शरीर के स्पर्श से ही मेरा रशखलित हो गया और मेरा लिँग
ढेर सारा वीर्य उगलने लगा जिसने मेरे कपडो के साथ साथ भाभी कि भी पेन्टी
को भी गीला कर दिया और तभी अलार्म घडी बजने लगी। मै जल्दी से भाभी के उपर
से उतर गया और सोने का नाटक करने लगा। भाभी अलार्म को बन्द करके जल्दी से
उठ कर खङी हो गयी। मैने थोङी सी आँखे खोलकर  देखा तो भाभी कपङे बदल रही
थी कमरे की लाईट बन्द थी मगर कम पावर का बल्ब जल रहा था जिसकी रोशनी मे
मै बिल्कुल साफ से तो नही मगर फिर भी भाभी को कपङे बदलते देख सकता था।
भाभी कपङे बदल कर कमरे से बाहर चली गयी और मै ऐसे ही लेटा रहा। मुझे डर
लग रहा था की कही भाभी मेरी शिकायत मम्मी पापा से ना कर दे और यही सोचते
सोचत पता नही कब मुझे नीन्द आ गयी। दिन के करीब बारह बजे भाभी ने मुझे
जगाया और कहा अब क्या सारा दिन ही सोते रहोगे...?
रात को तो ना तुम खुद सोते हो और ना ही मुझे सोने देते हो। तभी मुझे रात
की घटना याद आने लगी मैने भाभी कि तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी। मैने
डर और शर्म के कारण गर्दन झुका ली। भाभी ने मुझे डाटते हुवे कहा रात को
अपने कपङो के साथ साथ मेरे कपङे भी गन्दे कर दिये तभी मैने अपनी हाफ
पेन्ट कि तरफ देखा तो उस पर मेरे वीर्य का दाग लगा हुवा था जो की सुख कर
सख्त हो गया था। भाभी ने फिर से हँशते हुवे कहा अभी देख क्या रहे हो चलो
अभी नहा लो मै खाना बना देती हुँ। मै बुरी तरह से डर रहा था इसलिये बीना
कुछ बोले चुप चाप नहाने चला गया,  और फिर खाना खा कर ड्राईँग रुम मे जाकर
लेट गया। रात भर नही सोने के कारण मुझे फिर से नीँद आ गयी मगर कुछ देर
बाद ही मेरी नीँद खुल गयी और जब मैने आँखे खोली तो मेरी आँखे खुली की
खुली रह गयी क्योकि भाभी मात्र ब्लाउज और पेटीकोट मे ही मेरी बगल मे सो
रही थी। भाभी के ब्लाउज के भी बटन खुले हुवे थे और नीचे उन्होने ब्रा भी
नही पहन रखी थी जिससे उनके आधे से भी ज्यादा दुधिया सफेद उरोज नजर आ रहे
थे जिन्हे देखते ही मेरा लिँग उत्तेजित हो गया। मै समझ गया कि शायद भाभी
भी मुझसे ये सब करना चाहती तभी तो वो मेरे पास इन कपङो मे आकर सोई है। ये
बात मेरे दिमाग मे आते ही मेरी ना जाने मुझमे कहा से इतनी हीम्मत आ गयी
की मैने भाभी के ब्लाउज के बचे हुवे बटन भी खोल दिये और बटन के खुलते ही
भाभी के उरोज स्वतः ही बाहर आ गये मानो दो सफेद कबुतर पिँजरे से आजाद
हुवे हो। मै पहली बार किसी के नग्न उरोज देख रहा था इसलिये मै उन्हे बङे
ध्याने से देखने लगा। भाभी के दुधियाँ उरोज और उन पर छोटे से गुलाबी
निप्पल ऐसे लग रहे थे जैसे की सफेद आईस-क्रीम पर सट्राबेरी रखी हो।
आईस-क्रीम को देखते ही जैसे किसी छोटे बच्चे के मुँह मे पानी आ जाता है
वैसे ही भाभी के आईस-क्रीम रुपी उरोजो को देख कर मेरे मुँह मे भी पानी भर
आया। मुझे सेक्स के बारे मे इतना कुछ पता तो नही था मगर फिर भी भाभी के
उरोज मुझे इतने अच्छे लगे की मै एक निप्पल को अपने मुँह मे भर कर चुसने
लगा और साथ ही दुसरे उरोज को एक हाथ से धीरे धीरे सहलाने लगा। उनके नग्न
उरोज का स्पर्श रेशम कि तरह मुलायम और आन्न्द भरा था। भाभी ने आँखे बन्द
कर रखी थी और ना ही वो कुछ बोल रही थी मगर फिर भी उनके चेहरे की भाव
भँगिमाओ को देख कर पता चल रहा था कि उन्हे भी आन्नद आ रहा है। जब मै उनके
उरोज को जोर से मसलता तो  दर्द के कारण भाभी के होठ थोङा भिच जाते और जब
हल्के से सहलाता तो उनका मुख आन्नद से आह भरने के लिये खुल जाता। मै भाभी
के निप्पल को लगातर चुस रहा था उस मे से कोइ रस तो नही आ रहा था मगर मेरे
मुँह मे एक चिकनाहट सी घुल गयी और मुझ पर उत्तेजना का एक खुमार सा छा
गया। मेरा लिँग तो अकङ कर लोहे सा सख्त हो गया था जिसमे से पानी निकल
निकल कर मेर अण्डरवियर को भी गीला करने लगा था। अपने आप ही मेरा एक हाथ
भाभी के चिकने पेट पर से फिसलता हुवा उन्के सँधि स्थल पर जा पहुँचा। भाभी
ने निचे भी पेन्टी नही पहन रखी इसलिये मै पेटीकोट के उपर से ही भाभी कि
उभरी हुई योनि कि बनावट को महसुस कर रहा था। जब मेरा हाथ भाभी कि योनि को
सहलाता हुवा थोङा निचे  योनि द्वार पर लगा तो मुझे कुछ गीलापन सा महसुस
हुवा शायद भाभी कि योनि से भी उत्तेजना के कारण पानी रीस रहा था। अब तो
मेरे लिये अपने आप पर काबु पाना मुश्किल हो गया था मेरे दिल मे जल्दी से
भाभी कि योनि को देखने कि चाहत हो रही थी इसलिये मैने भाभी के पेटीकोट को
पेट तक पलट दिया जिस से भाभी नीचे से बिल्कुल नग्न हो गयी और उनकी
सँगमरमर सी सफेद और केले के तने से भी चिकनी जाँघे व फुली हुई योनि दिखने
लगी मगर तभी भाभी ने जल्दी से अपने दोनो घुटने मोङ कर योनि को छुपा लिया।
भाभी ने अब भी आँखे बन्द कर रखी थी, शायद मेरे ऐसा करने पर भाभी को शर्म
आ रही थी। मै भाभी के घुटनो को दबा कर उन्हे फीर से सीधा करने लगा और
मेरे दबाने पर भाभी ने घुटनो को तो सीधा कर लिया मगर दोनो जाँघो को बन्द
करके रखा। अब भाभी की दुधियाँ गोरी जाँघे व जाँघो के बीच उनकी फुली हुई
बालो रहीत योनि मेरे सामने थी जिसके भाभी ने शायद आज ही बाल साफ किये थे।
मैने आज पहली बार किसी कि योनि को देखा था, दोनो जाँघो के बीच उभरी हुई
छोटी सी योनि और गुलाबी रँगत लिय हुवे योनि कि दरार ऐसी लग रही थी मानो
पांव (डबलरोटी) को बीचोबीच चाकु से काटकर उसमे सिँदुर से लाईन खीँच रखी
हो और योनि कि दोनो फाँको के बीच हल्का सा दिखाइ देता दाना तो ऐसा लग रहा
था मानो भाभी की योनि अपनी जिभ निकाल कर मुझे चिढा रही हो। मै भाभी कि
गोरी जाँघो को चुमने लगा तभी भाभी ने मेरे सर के बालो को पकङ कर मुझे
अपने उपर खिँच लिया मै भी खिँचता हुवा भाभी के उपर पहँच गया और जल्दी से
अपना अण्डरवियर व हाफ पेन्ट निकाल कर भाभी के उपर लेट गया। मेरे सामने
फिर से ये समस्या थी कि अब क्या करु क्योकि मुझे सेक्स करना तो आता नही
था। मै ऐसे ही भाभी के उपर लेटा रहा मुझे कुछ करना तो आ नही रहा था
इसलिये मै ऐसे ही अपने शरीर को आगे पीछे करने लगा जिस से भी मुझे बङा सुख
मिल रहा था और मेरे लिँग ने पानी छोङ छोङ कर भाभी के पुरे योनि छेत्र को
गीला कर दिया था क्योकि मेरा शरीर भाभी के नर्म मुलायम व गर्म शरीर का
स्पर्श पा रहा था और मेरा लिँग भाभी की आग कि तरह धधकती योनि पर रगड खा
रहा था। मेरा लिँग भाभी कि योनि पर तो था मगर प्रवेश द्वार से दुर था और
मुझे तो पता भी नही था की योनि मे प्रवेश द्वार कहा पर होता है क्योकि
मैने तो आज पहली बार योनि को देखा था। एक बार फिर से भाभी ने हिम्मत
दिखाई और मुझे थोङा सा पीछे धकेल कर एक हाथ से मेरे लिँग को पकङ कर योनि
के प्रवेश द्वार पर लगा लिया और दुसरे हाथ से मेरे कुल्हो पर दबाव डालने
लगी, अब तो मै भी समझ गया था कि मुझे आगे क्या करना है इसलिये मैने भी
कमर का थोङा सा दबाव डाला तो भाभी के मुहँ से एक जोरदार मीठी आह्……निकली
और एक झटके मे ही मेरा आधे से ज्यादा लिँग भाभी की योनि मे समा गया
क्योकि मेरे लिँग और भाभी कि योनि पानी निकलने के कारण इतने चिकने हो गये
थे कि आसानी से मेरा लिँग योनि मे चला गया। भाभी कि योनि मे मेरे लिँग का
अहसास सख्त चिकनाहट भरा और इतना गर्म था मानो मेरा लिँग किसी गर्म आग कि
भट्टी मे समा गया हो। भाभी ने प्यार से मेरे गाल को चुम लिया और मुझे
अपनी दोनो बाँहो मे भर लिया मगर भाभी ने अब भी आँखे बँद कर रखी थी। मै
धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे हिलाने लगा। भाभी ने भी मेरा साथ दने के
लिये मेरे पैरो मे अपने पैर फँसा लिये और अपने कुल्हे उचका उचका कर
सिसकियाँ भरने लगी। मेरा भी जोश दोगुना हो गया इसलिये मैने अपनी गति बढा
दी और साथ ही भाभी के गालो पर चुम्बन भी करने लगा मगर भाभी ने मेरे सर को
पकङ लिया और मेरे होठो को मुहँ मे भर कर जोर जोर से चुसने लगी। मै भी
भाभी एक होठ को मुहँ मे भर कर चुसने लगा तभी भाभी ने मेरी जिभ को अपने
मुहँ मे खीँच लिया और चुसने लगी इस से मुझे थोङा दर्द हो रहा था मगर कुछ
देर बाद भाभी ने मेरी जिभ को छोङ दिया और अपनी जिभ मेरे मुँह मे दे दी मै
भी उसे चुसने लगा मुझे इतना मझा आ रहा था कि उस आन्नद को बयान करने के
लिये मेरे पास शब्द ही नही है। ये मेरा पहला चुम्बन था। मै और अधिक तेजी
से धक्के लगाने लगा। भाभी भी जोर जोर से आहे भरते हुवे जल्दी जल्दी अपनी
कमर को उचकाने लगी और साथ मे ही कभी मेरे गालो को तो कभी मेरे होठो को
चुशने लगी। मेरी व भाभी कि साँसे फुलने लगी थी भाभी के चेहरे पर तो पसीने
कि बुन्दे भी उभर आई थी। मेरे लिये सहवाश का ये पहला अवशर था इसलिये मै
इतना अधीक उत्तेजित हो गया कि कुछ देर मे ही मै चर्म पर पहुँच गया मैने
भाभी शरीर को कश कर पकङ लिया और मेरा लिँग भाभी कि योनि मे वीर्य उगलने
लगा तभी भाभी ने भी ईईइइइशशश.....
अआआआहहहः.....
ईईइइइशशशश......
अआआआहहहः....
करते हुवे मेरे कुल्हो को अपनी दोनो जाँघो के बीच और मेरी पीठ को दोनो
हाथो से भीँच लिया और मुझसे चिपट गयी। भाभी का भी रश खलित हो गया था। काम
हो जाने के बाद मै भाभी के उपर ऐसे ही पङा रहा तो भाभी ने मुझे धकेल कर
अपने उपर से उतार दिया। मै भी उतर कर भाभी के बगल मे लेट गया। अब सब कुछ
शाँत हो गया था मगर हम दोनो कि साँसे अब भी उखङी हुई थी। भाभी सामान्य
होने पर अपने कपङे ठीक करके बाहर चली गयी मगर मै ऐसे ही पङा रहा। कुछ देर
बाद भाभी चाय का कप लेकर मेरे पास आई और मुझे देख कर हँशने लगी क्योकि मै
अब भी नँगा हि पङा हुवा था और तभी दरवाजे की घण्टी बजी शायद मम्मी पापा आ
गये थे। मै उठ कर जल्दि से अपने कपङे पहनने लगा और भाभी चाय का कप मेरे
पास रख कर दरवाजा खोलने चली गयी। मम्मी पापा आ गये थे इसलिये भाभी उनके
पास चली गयी और मै चाय पीने लगा। उसके बाद मेरी और भाभी कि कोई बात नही
हुई मगर मेरा जब भी भाभी से सामना होता तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने
लगती और मै भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराहट से देता।
ये कहानी आपको‌ कैसी लगी मुझे मेल करना
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chutphar Offline
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#2
30-01-2017, 05:18 PM
मम्मी पापा के आ जाने के बाद भाभी घर के कामो मे व्यस्त हो गयी और मै ऐसे ही घर मे घुमता रहा, घुम तो क्या रहा था बस जल्दी से रात होने का इन्तजार कर रहा था। ये मेरा दिल ही जानता है कि मै कैसे समय निकाल रहा था, भाभी के साथ दोपहर मे जो कुछ हुवा था मै बस उसे ही सोच-सोचकर अपने आप उत्तेजित हो रहा था। इस दौरान मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा भाभी से सामना होता.. तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं..., मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता। खैर कैसे भी करके रात हो गयी, मैने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही भाभी के कमरे मे जाकर पढाई करने लगा, पढाई तो कहा हो रही थी बस मै तो भाभी के कमरे मे आने का इन्तजार कर रहा था। करीब दस बजे भाभी घर के काम निपटाकर कमरे मे आई.....,
भाभी के आते ही मेरे शरीर का तपनान अचानक से बढ गया और दिल जोरो से धङकने लगा। भाभी मुझे देखकर थोङा सा मुस्कुराई और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साङी निकालने लगी। शर्म के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी, मै बस चोर निगाहों से भाभी को देख रहा था। भाभी ने साङी निकाल कर सोफे पर डाल दी और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज मे बैड पर जाकर लेट गयी। भाभी ने अभी भी दिन वाले ही कपङे पहने हुवे थे। भाभी लेटते हुवे एक बार फिर मुझे देखकर मुस्कुराई और हँसते हुवे मुझे कहा की सोते समय लाईट बन्द कर देना। मै कौन सा पढाई कर रहा था, भाभी के बोलते ही मैने तुरन्त किताबे बन्द कर दी और लाईट बन्द करके भाभी के बगल मे जाकर लेट गया। कुछ देर तक मै और भाभी ऐसे ही लेटे रहे क्योकी शायद भाभी सोच रही थी की मै पहल करूँगा मगर शर्म व डर के कारण मुझसे पहल करने की हिम्मत नही हो रही थी। फिर भी मैने करवट बदलकर भाभी की तरफ मुँह कर लिया और इसी बहाने धीरे से एक पैर भाभी के पैरो पर रख दिया, पैरो पर तो क्या रखा था बस ऐसे ही छुवा दिया था, शर्म व घबराहट के कारण मेरा दिल जोरो से धङक रहा था और मेरा शरीर भी हल्का-हल्का काँप रहा था
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jacksexamania Offline
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#3
30-01-2017, 07:51 PM
Bhai story achi ja rahi he
Aap lege raho rply be milege
Update daily aur jada dejiye
Aap ko devanagiri lipi me pareshani ho rahi to aap anjraje ma
be likh sakte he
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chutphar Offline
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#4
31-01-2017, 12:12 PM
मेरे करवट बदलते ही भाभी ने भी करवट बदलकर मेरी तरफ मुँह कर लिया और थोङा सा मेरे नजदीक भी हो गयी जिससे हम दोनो के बदन स्पर्श करने लगे। मेरे काँपकँपाहट के कारण शायद भाभी को मेरी स्थिति का अहसास हो गया था इसलिये भाभी ने पहल की, वो खिसक कर मेरे बिल्कुल पास आ गयी और अपने नाजुक होठो को मेरे होठो से छुवा दिया। भाभी का चेहरा अब मेरे बिल्कुल पास आ गया था और हम दोनो की गर्म साँसे एक दुसरे के चेहरे पर पङने लगी। मुझसे अब रहा नही गया इसलिये मैने अपने होठो को खोलकर धीरे से भाभी का एक होठ अपने होठो के बीच थोङा सा दबा लिया और अपने होठो से ही उसे हल्का-हल्का सहलाने लगा, मुझे अब भी थोङा डर लग रहा था, मगर फिर तभी भाभी ने एक हाथ से मेरे सिर को पकङ कर मुझे अपनी तरफ खिँच लिया और मेरे होठो को मुहँ मे लेकर चुसने लगी। मुझमे भी अब कुछ हिम्मत आ गयी इसलिये मै भी भाभी के होठो को चुसने लगा और साथ ही अपना एक हाथ भाभी के नितम्बो पर रख कर पेटीकोट के उपर से ही धीरे धीरे उनके भरे हुवे माँसल नितम्बो व जाँघो को सहलाने लगा। भाभी की मखमली जाँघो व नितम्बो पर मेरा हाथ ऐसे फिसल रहा था जैसे की मखन पर मेरा हाथ घुम रहा हो। भाभी के होठो को चुशते हुवे मुझे लगा जैसे की भाभी की जीभ बार बार मेरे होठो के बीच आकर मेरे दाँतो से टकरा रही हो पहले एक दो बार तो मैने ध्यान नही दिया मगर जब बार बार ऐसा होने लगा तो इस बार मैने अपने दाँतो को थोङा सा खोल दिया, मेरे दाँत अलग होते ही भाभी की जीब मेरे मुँह मे अन्दर तक का सफर करने लगी। भाभी की गर्म लचीली जीभ मेरे होठो के भीतरी भाग को तो, कभी मेरी जीभ को सहलाने लगी। मैने भी भाभी की नर्म जीब को अपने होठो के बीच दबा लिया और उसे चुशने शुरू कर दिया, भाभी के मुँह का मधुर रश अब मेरे मँह मे घुलने लगा और भाभी के इस मधुर रश के स्वाद मे मै इतना खो गया की मुझे पता ही नही चला कब मेरी जीभ भाभी की जीभ का पीछा करते हुवे उनके मुँह मे चली गयी। अब भाभी की बारी थी भाभी ने जोरो से मेरी जीभ को दाँतो तले दबा लिया और बहुत जोरो से उसे चुसने लगी जिससे मुझे दर्द होने लगा, मैने भाभी से दुर होकर अपनी जीभ को छुङाने का प्रयास भी किया मगर भाभी ने अपना दुसरा हाथ भी मेरी गर्दन के नीचे से लेकर मेरे सिर को पकङ लिया, भाभी का पहले वाला हाथ जो की मेरे सिर पर था वो अब मेरी कमर पर आ गया और भाभी ने मेरे सिर व कमर को पकङकर मुझे जोरो से अपनी तरफ खीँच लिया, साथ ही भाभी ने खुद भी मुझसे चिपक कर अपने दोनो उरोजो को मेरी छाती मे चुभो दिया। मेरी जीभ को भाभी इतने जोरो से चुश रही थी की मुझे अपनी जीभ खीँच कर भाभी के मुँह जाती सी महसूस हो रही थी, दर्द के कारण मै छटपटाने लगा मगर भाभी छोङने का नाम ही नही ले रही थी, तभी मैने भाभी के एक होठ को दाँतो से काट लिया जिससे की भाभी ने छटपटा कर मेरी जीभ को छोङ दिया और मुझसे अलग हो गयी। इस बार मैने भाभी को पकङकर जोरो से भीँच लिया जिससे उनके दोनो उरोज मेरे सीने से पीस गये और उनकी योनि मेरे उत्तेजित लिँग से चिपक गयी। तभी भाभी मेरी कमर को जोरो से पकङ कर सीधी हो गयी जिससे की मै भी उनके साथ साथ खिँचकर भाभी के उपर आ गया और भाभी का मखमली नर्म मुलायम बदन मेरे भार से दब गया। भाभी के नर्म मुलायम उरोज अब मेरी छाती से दब रहे थे और मेरा उत्तेजित लिँग ठीक भाभी की योनि पर लग गया था, जो की मेरे लिँग को अपनी गर्मी का अहसास करवा रही थी। भाभी अब भी मेरे होठो को जोरो से चुम चाट रही थी मगर मै भाभी के होठो को चुसते हुवे अब ब्लाउज के उपर से ही उनके दोनो उरोजो को भी सहलाने लगा था। भाभी ने अब भी ब्रा नही पहन रखी थी इसलिये ब्लाउज के उपर से ही मुझे उनकी मखमली नर्मी का अहसास हो रहा था और उनके चुचक कठोर होकर अपनी मौजुदगी का अलग ही अहसास करवा रहे थे। भाभी के होठो को छोङकर मै अब उनके गालो व गर्दन पर से होते हुवे उनके उरोजो पर उपर आ अा गया और धीरे धीरे उनके उरोजो को चुमने लगा मगर भाभी के उरोजो व मेरे प्यासे होठ के बीच उनका ब्लाउज आ रहा था और तभी.....
जैसे की भाभी ने मेरी मन की बात पढ ली हो उन्होने एक ही झटके मे ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपने दोनो उरोजो को अाजाद कर दिया। ब्लाउज के बटन खुलते ही मै भी उन पर ऐसे टुट पङा जैसे जैसे जन्मो के प्यासे को आज पहली बार कुवाँ मिल गया हो। मै भाभी के दोनो उरोजो को बारी बारी से चुमने चाटने लगा, साथ ही हाथो से उन्हे मसल भी रहा था। भाभी अब हल्का-हल्का कराहने लगी थी। उनके दोनो चुचक खङे हो कर तन गये थे जो की मेरे गालो पर चुभ से रहे थे, मै भी एक चुचक को मुँह ने भरकर गप्प कर गया जिससे भाभी के मुँह से सिसकी सी निकल गयी और उन्होने मेरे सिर को जोरो से दबा लिया। मै भी भाभी के चुचक को अपनी जीभ व दाँतो से कुरेद कुरेद कर चुशने लगा जिससे भाभी के मुँह से हल्की-हल्की सिसकीयाँ फुटने लगी। भाभी ने अपने पैरो को फैलाकर मुझे अपनी जाँघो के बीच दबा लिया और अपने नितम्बो को अागे पीछे करके अपनी योनि को मेरे लिँग पर घीसने लगी।
तभी मेरे दिमाग मे भाभी की योनि का ख्याल आया....
मै भाभी के उपर लेटा हुवा था और मै इस स्थिति मे तो भाभी की योनि को नही छु सकता था इसलिये भाभी के उरोजो को चुसते हुवे ही मै थोङा सा खिसक कर भाभी के बदन पर से निचे उतर गया और एक हाथ भाभी के उरोजो पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुवे उनकी योनि पर ले आया। जबकि मेरा दुसरा हाथ अभी भी भाभी के उरोजो को ही सहलाने मे व्यस्त था। पेटीकोट के उपर से ही मैने भाभी की योनि का मुवाईना किया, भाभी ने पेँटी भी नही पहन रखी थी और योनि रश से भीग कर उनका पेटीकोट हल्का सा नम हो गया था। पेटीकोट के उपर से ही मै धीरे धीरे भाभी की योनि को सहालाने लगा जिससे कुछ ही देर मे भाभी के पेटीकोट का आगे का भाग जहाँ पर मै उनकी योनि को सहला रहा था वो गीला होकर योनि से चिपक गया। भाभी की योनि को सहलाते हुवे ही मैने धीरे धीरे उनके पेटीकोट को भी उपर खिँचकर उनके पेट तक उलट दिया और अब मेरा हाथ भाभी की नँगी योनि को छु गया......
जैसे ही मैने भाभी की नँगी योनि को छुवा.......
भाभी के मुँह से एक हल्की सित्कार सी फुट पङी और स्वतः ही उनकी दोनो जाँघे एक दुसरे से चिपक गयी मगर फिर जल्दी ही वो खुल भी गयी। भाभी की योनि को निर्वस्त्र करने के बाद मैने भाभी के उरोजो को छोङ दिया और धीरे धीरे भाभी के पेट को चुमता हुवा नीचे की तरफ बढने लगा...
भाभी के पेट पर से होते हुवे जैसे ही मेरे होठ भाभी की नँगी योनि के पास पहुँचे भाभी ने
इईईई.......श्श्शशशश......
की आवाज करके अपनी दोनो जाँघो को बन्द कर लिया....
मैने भी बस योनि के उपरी भाग को एक दो बार चुमा और फिर निचे जाँघो की तरफ बढ गया.....क्योकिं योनि काफी गीली व चिपचिपी सी हो रखी थी और उसमे से एक अजीब सी गँध भी आ रही थी उस समय मुझे नही पता था की ये क्या था, मै सीधा भाभी की मासँल भरी हुई जाँघो पर से होते हुवे उनके कोमल पैरो पर पहुँच गया। कुछ देर भाभी के पैरो को चुमने के बाद एक बार फिर मै उपर की तरफ बढने लगा.......
भाभी की नर्म मुलायम पिण्डलियों व मखमली जाँघो को चुमते सहलाते हुवे फिर से उनकी योनि की तरफ बढने लगा.....
और जैसे जैसे मै उपर की तरफ बढ रहा था वैसे वैसे भाभी की जाँघे धीरे धीरे फैलती जा रही थी। इस बार भी मै भाभी की जाँघो को चुमते हुवे सीधा उनके पेट की तरफ बढने लगा.....
मगर इस बार जैसे ही मै योनि को छोङकर उपर की तरफ बढने लगा भाभी ने मेरे सिर को पकङ लिया और खिँचकर अपनी दोनो जाँघो के बीच दबा लिया। भाभी की योनि के पास का हिस्सा काफी गीला और चिपचिपा हो रखा था इसलिये मेरा दिल तो नही कर रहा था मगर फिर भी भाभी का दिल रखने के लिये मै योनि के पास चुमने लगा जिससे मेरे होठ चिपचिपे से हो गये। मेरा यह पहला अवसर था जब मै किसी की योनि को चुम रहा था जो की मेरे लिये बिल्कूल अनोखा व नया था। मुझे ज्यादा कुछ नही पता था इसलिये मै बेमन से और बस उपर उपर से ही योनि को चुम रहा था। कुछ देर ऐसे ही भाभी की योनि को बस उपर उपर से ही चुमने के बाद मै फिर उपर की तरफ बढने लगा मगर फिर से भाभी ने मेरे सिर को पकङ लिया...इस बार भाभी ने अपने दोनो घुटने मोङकर फैला लिये और मेरे सिर को पकङकर मेरे होठो को योनि की दोनो फाँको के ठीक उपर रखवा लिया जो की बहुत अधिक गीली व चिपचिपी हो रखी थी और उसमे से एक अजीब व तीखी गँध आ रही थी। मेरे लिये ये अजीब असमन्जस कि स्थिति थी क्योकि मेरे लिये सब कुछ नया था मै सोच रहा था की जहाँ पर मुझे अपना लिँग डालना चाहिये वहाँ पर भाभी मुझे चुमने के लिये बता रही है, खैर मै भाभी का इसारा समझते हुवे भाभी की योनि कि फाँको को चुमने लगा जिससे की मेरे मुँह का स्वाद बिल्कूल नमकीन और चिकना सा हो गया। मुझे ये अजीब तो लग रहा था मगर मेरे योनि को चुमने पर भाभी के मुँह से हल्की-हल्की कराहे फुटने लगी जो की मुझे भी उत्तेजित कर रही थी इसलिये मै उसे चुमता रहा। मै ऐसे ही योनि की फाँको को चुम रहा था तभी भाभी मेरे सिर को नीचे की तरफ दबाने लगी मै भी समझ गया की मुझे अब योनि की फाँको को चुमते हुवे नीचे की तरफ बढना है। भाभी कुछ बोल नही रही थी मगर अपनी हरकतो से मुझे क्या कुछ करना है ये सब समझा रही थी। भाभी ने दोनो हाथो से मेरे सिर को पकङ रखा था और धीरे धीरे मेरे सिर को नीचे दबा रही थी। मै भी अब योनि की फाँको को हल्के-हल्के धीरे धीरे चुमता हुवा निचे की तरफ बढने लगा।
भाभी ने घुटने मोङकर दोनो पैरो को फैला रखा था इसलिये योनि की दोनो फाँके अलग-अलग होकर फैली हुई थी और मै दोनो फाँको के बीच चुमता हुवा नीचे की तरफ बढ रहा था, तभी भाभी का बदन जोरो से झनझना गया और उन्होने जोरो से
इइईईईई......
श्श्श्शशशश..........
अअअाआह्ह्हहहह......
की अावाज करके मेरे सिर को योनि के नीचे की तरफ दबा दिया। मुझे नही पता था की ये क्या हुवा मगर मेरे होठो ने कुछ छुवा था जिससे की भाभी इतनी जोरो से सिसक उठी थी। दरअसल मेरे होठ योनि के अनार दाने (क्लिट) को छु गये थे जोकी योनि का सबसे शंवेदनशील अँग होता है, उस समय मुझे उसके बारे मे नही पता था इसलिये मै भी योनि की फाँको के बीच चुमता हुवा सीधा नीचे की तरफ बढ गया........
और थोङा सा नीचे बढते ही मेरे होठ भीगकर बिल्कुल तर हो गये और भाभी के मुँह से
इईईई.......श्श्श्शशशश.........
अअाआआ......ह्ह्हहहहह..........
इईईई.......श्श्श्शशशश.........
अअाआआ......ह्ह्हहहहह..........
की आवाजे निकलने लगी.... क्योकी मेरे होठ अब योनिद्वार के होठो पर पहुँच गये थे जोकी बहुत अधिक गीला व चिपचिपा हो रखा था। मै फिर से उपर बढना चाहता था मगर भाभी ने वही पर मेरे सिर को दबा लिया। भाभी का इशारा समझकर मै वही पर चुमने लगा। पहले तो मुझे भाभी की योनि को चुमना अजीब लग रहा था मगर अब मुझे भी मझा आने लगा था। मै भाभी के योनिद्वार को जोरो से चुशने लगा, साथ ही अपनी जीभ निकाल कर योनि को चाटने भी लगा जिससे भाभी का योनिरस मेरे मुँह मे घुल गया और मेरे मुँह का स्वाद बिल्कूल नमकीन व चिकना हो गया। भाभी की सिसकियां भी अब तेज हो गयी थी, भाभी को इस तरह उत्तेजित होता देखकर मुझे मझा आ रहा था। पहले ही भाभी की योनि काफी गीली थी मगर अब तो उसमे मानो बाढ सी आ गयी जिससे मेरा सारा चेहरा गीला हो गया और मेरे होठ व जीभ की चपलता और भी अधिक बढ गयी। मुझ पर एक खुमार सा छा गया था, और मै अपनी पुरी जीभ निकाल कर भाभी की योनि को चुमने चाटने लगा.......
तभी भाभी ने एक बार फिर से मेरे सिर को पकङ लिया और अबकी बार भाभी ने मेरे सिर को पकङ कर थोङा सा नीचे किया जिससे की मेरी जीभ सीधा भाभी के योनिद्वार मे घुस गयी और भाभी जोरो से
इईईई.......श्श्श्शशशश.........
अअाआआ......ह्ह्हहहहह..........ईईईई......
करके कँपकपाँ गयी। मै भी भाभी का इशारा समझ गया और अपनी जीभ को भाभी के योनिद्वार मे डालकर हरकत करने लगा। भाभी अब जोरो से
इईईई.......श्श्श्शशशश.........
अअाआआ......ह्ह्हहहहह..........
इईईई.......श्श्श्शशशश.........
अअाआआ......ह्ह्हहहहह..........
करजे सिसकियां भरते हुवे मेरी जीभ के साथ-साथ अपनी कमर को हिलाने लगी। धीरे धीरे भाभी की कमर की हरकत व सिसकियां तेजी से बढती जा रही थी और फिर अचानक से भाभी ने
अअाआआ......ह्ह्हहहहह..........आआआ....
इईई.......श्श्श्शश.......अआआ......ह्ह्हहह..........आआआ...
की आवाज करके
मेरे सिर को दोनो जाँघो के बीच जोरो से दबा लिया.......,
पुरा बद कमान की तरह तन गया......,
और उनकी योनि ने मेरे चेहरे पर योनिरस की बौछार सी कर दी। एक बार तो मै घबरा गया की ये क्या हो गया मगर फिर जल्दी ही मेरी समझ मे अा गया की भाभी अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गयी है। ये मेरा पहला अवसर था जब मैने अपनी जीभ से किसी को चर्मोत्कर्ष पर पहुँचाया था जो की मेरे लिये बेहद उत्तेजक व रोमांचित करने वाला था।
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chutphar Offline
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#5
20-10-2017, 02:59 PM
कुछ देर तक तो भाभी ने मुझे ऐसे ही अपनी जाँघो के बीच दबाये रखा और फिर आजाद कर दिया। भाभी अभी भी लम्बी-लम्बी व गहरी साँसे ले रही थी। भाभी के छोङते ही मै भाभी के नँगे बदन पर लेट गया और उनके गर्दन व गालो पर चुमने लगा मगर भाभी ने करवट बदलकर मुझे अपने पर से उतार दिया और मेरे लिँग को अपने हाथ से पकङकर धीरे धीरे सहलाने लगी। भाभी के कोमल हाथो के स्पर्श से मुझे मझा तो आ रहा था मगर इससे तो मेरी आग बढती जा रही थी। एक बार फिर मैने भाभी पर लेटने की कोशिश की मगर फिर से भाभी ने मुझे पकङ लिया और खुद उठकर मेरी बगल मे बैठ गयी, अभी तक मेरा लिँग भाभी के हाथ मे ही था जिसे वो धीरे धीरे सहला रही थी। उत्तेजना से मेरी हालत खराब हो रही थी और भाभी का ये व्यवहार मुझे अजीब लग रहा था। मै इस खेल का नया खिलाड़ी था मुझे नही पता था की भाभी मुझे किसी अलग ही दुनिया की सैर कराने वाली है.....?
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chutphar Offline
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#6
20-10-2017, 03:12 PM
खैर उस समय मुझे भाभी पर खीज सी आने लगी थी मगर फिर तभी भाभी मेरे लिँग को पकङे पकङे ही मेरी जाँघो पर झुक गयी और मेरी जाँघो व मेरे लिँग के चारो तरफ चुमने लगी। भाभी के नर्म होठो की छुवन से मेरा सारा बदन कँपकपाँ गया और मैने भाभी के सिर को जोरो से अपनी जाँघो पर दबा लिया जिससे भाभी के नर्म मुलायम गाल मेरी जाँघो पर लग गये और उनके नाजुक होठ मेरे लिँग को छु गये....
अब तो मेरी भी समझ मे आ गया था की भाभी के ईरादे क्या है.....?
मेरे दिमाग मे ये बात आते ही रोमाँच से मेरे रोँगटे खङे हो गये और दिल की धङकन अचानक से बढ गयी।

मेरे पकङने के बावजुद भी भाभी मेरे लिँग को चुमती रही और साथ ही धीरे धीरे उसे हाथ से भी सहलाती रही। मैने भी भाभी के सिर को पकङ कर जोरो से अपने लिँग पर दबा लिया, मगर भाभी ने अपने को छुङवा लिया और फिर से मेरे लिँग के चारो तरफ चुमने लगी....

इस बार भाभी नीचे लिँग की जङ से चुमते हुवे धीरे धीरे उपर सुपाङे की तरफ बढ रही थी। मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था की किसी के नर्म मुलायम होठ मेरे लिँग को चुम रहे थे अभी तक मैने बस अपने कठोर हाथ से ही अपने लिँग को सहलाया था मगर आज पहली बार भाभी के नाजुक होठो की छुवन को अपने लिँग पर मै बर्दाश्त नही कर पा रहा था, उत्तेजना के आवेश मे मैने भाभी के बालो को पकङने की कोशिश की मगर तब तक भाभी के होठ फिसल कर मेरे लिँग के उपरी छोर तक पहुँच गये, उन्होने हाथ से मेरे सुपाङे की चमङी को थोङा सा पीछे किया और अपने नर्म होठो से मेरे सुपाङे के अग्र भाग को चुम लिया जिससे मेरा पुरा बदन झनझना गया और अनायास ही मेरे मुँह से एक आह्ह............. निकल गयी। भाभी ने बस एक बार ही अपने कोमल होठो से मेरे सुपाङे को छुवा था उसके बाद उन्होने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और मेरे लिँग के नीचे की तरफ चुमने लगी। मुझसे अब सहन करना मुश्किल हो रहा था इसलिये मै भाभी के सिर को पकङकर जबरदस्ती उनके गालो व होठो पर पर अपने लिँग को रगङने लगा। 
मगर तभी ये क्या.....?
भाभी फिर से उपर की तरफ बढने लगी और अपना थोङा सा मुँह खोलकर मेरे लिँग के अग्र भाग को अपने होठो के बीच दबा लिया......
भाभी के नर्म मुलायम होठो के बीच उनके मुँह की गर्मी अपने लिँग पर महसूस होते ही मै
इईईई............श्श्शशशशश...........

अअाआआ.........ह्ह्हहहहह..............

करके जोरो से चीख पङा और अपने आप ही मेरे कुल्हे हवा मे उठ गये, मैने भाभी के सिर को अपने लिँग पर दबा लिया ताकी अधिक से अधिक मेरा लिँग भाभी के मुँह मे घुस जाये मगर मेरा लिँग भाभी के दाँतो से टकरा कर वही रह गया और भाभी मेरे सुपाङे पर ही अपने होठ रखे रही, वो जानबुझकर मुझे तङपा रही थी। मुझसे अब रहा नही जा रहा था इसलिये मै अपनी कमर को उपर नीचे हिलाकर अपने लिँग को भाभी के हाथ व होठो के बीच रगङने लगा। शायद अब भाभी को भी मेरी हालत पर तरश आ गया था इसलिये उन्होने दुसरे हाथ से मेरी कमर को दबाकर मुझे रूकने का इशारा सा किया और धीरे धीरे मेरे लिँग को अपने होठो के बीच दबाकर घिसने लगी। मेरे लिँग के पानी से भाभी के होठ चिकने हो गये थे इसलिए आसानी से मेरा लिँग भाभी के होठ के बीच फिसलने लगा। उत्तेजना के मारे मेरे मुँह से अब सिसकियां निकलने लगी थी, और फिर तभी....

भाभी ने अपने दोनो होठो को खोलकर मेरे सुपाङे की चमङी को अपने दोनो होठो के बीच फँसा सा लिया और धीरे धीरे निचे की तरफ दबाने लगी जिससे की मेरे सुपाङे की चमङी पीछे होने लगी और धीरे धीरे मेरा लिँग भाभी के मुँह मे समाने लगा। भाभी ने अपने होठो से ही मेरे सुपाङे की चमङी को पुरा पीछे कर दिया और जहाँ तक मेरे लिँग को अपने मुँह मे ले सकती थी वहाँ तक अन्दर करके जोरो से चुश लिया.....
एक बार फिर मै

इईईई............श्श्शशशशश...........

अअाआआ.........ह्ह्हहहहह..............

करके जोरो से चीख पङा और अपने आप ही मेरे हाथ भाभी के सिर पर जोरो से कस गये। भाभी इतने पर ही नही रूकी उनकी गर्म जीभ भी अब मेरे सुपाङे पर हरकत करने लगी, वो अपनी लचीली जीभ को कभी मेरे सुपाङे पर गोल गोल घुमा देती तो कभी उसे चाटने लगती, उत्तेजना से मेरी हालत अब खराब हो रही थी, मै जोरो से सिसकियां भरते हुवे भाभी के सिर को अपने लिँग पर दबाने लगा। भाभी ने भी अब मेरे लिँग को जोरो से चुशना शुरू कर दिया, साथ उनकी जीभ भी मेरे सुपाङे पर जोरो से चलने लगी। भाभी की नर्म जीभ का स्पर्श व मुँह की गर्मी अपने लिँग पर पाकर मै सातवे आसमान मे उङ रहा था। मेरे लिँग के साथ साथ भाभी के मुँह से भी अब लार निकल रही थी जो की मेरे लिँग 
के सहारे बह कर मेरी जाँघो पर फैलने लगा। मेरे लिँग से निकले प्रेमरश ने भाभी की लार से मिलकर एक नये ही द्रव्य का निर्माण कर लिया जो कि बेहद चिकना था और इस द्रव्य से भीग कर मेरा पुरा लिँग बेहद चिकना हो गया, साथ ही भाभी के होठ, जीभ व पुरा मुँह भी चिकने हो गये इसलिये अपने आप ही मेरा लिँग भाभी के मुँह मे फिसलने लगा। भाभी भी मेरे लिँग को अपने होठो के बीच दबाकर कभी उपर नीचे कर रही थी तो कभी उसे जोरो से चुश रही थी, कभी सुपाङे के उपर जीभ को गोल गोल घुमा देती तो कभी कभी वो पुरी जीभ निकाल कर मेरे लिँग को चाटने लगती।

भाभी मेरे लिँग के साथ ऐसे खेल, खेल रही थी जैसे की कोई छोटा बच्चा लोलीपोप (बच्चो की एक टोफी)  मिल जाने पर करता है। मगर कुछ भी हो भाभी के इस खेल से मुझे बहुत मझा आ रहा था, मेरे लिये ये एक अदभुत व अविश्वसनीय अहसास था। मेरे हाथ भाभी के सिर को पकङे हुवे थे जो की अब भाभी के सिर को सहलाने लगे थे, मै अपने आप पर काबु नही कर पा रहा था इसलिये भाभी के मुहँ के साथ साथ अपने आप ही मेरी कमर अब फिर से हरकत करने लगी, और फिर कुछ ही देर मे मै चर्म पर पहुँच गया.....
मेरा सारा बदन अब अकङने लगा था, जिससे भाभी समझ गयी थी की मेरा काम तमाम हो गया है, वो अपना मुँह मेरे लिँग पर से हटाना चाह रही थी मगर उत्तेजना के वशीभूत होकर मैने जोरो से भाभी के सिर को अपने लिँग पर दबा लिया जिससे मेरा लिँग भाभी के गले तक उतर गया और वोउऊऊ.....
उऊगूँगू्ँगूँ.....
उऊऊ.....
उऊगूँगू्ँगूँ.....
की अावाज करने लगी, मगर मुझे अब होश ही कहाँ था, मैने भाभी के सिर को ऐसे ही दबाये रखा और मेरा लिँग अब भाभी के मु्ँह मे ही लावा उगलने लगा......

भाभी अपने को छुटाने के लिये जोरो से छटपटाने भी लगी मगर, मैने उन्हे तब तक ऐसे ही दबाये रखा जब तक की मेरे लिँग ने अपना सारा लावा उनके मुँह ना उगल दिया। मेरे वीर्य से भाभी का मुँह भर गया और उनके मुँह से निकल कर मेरे लिँग के चारो तरफ भी बह निकला। मेरा ज्वार जब शाँत हुवा तो भाभी के सिर पर मेरी पकङ कुछ कमजोर हो गयी। भाभी ने भी तुरन्त मेरे लिँग को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोरो से खाँशते हुवे जल्दी से बैड के किनारे जाकर थुकने लगी। भाभी ने थुक कर सार वीर्य मुँह से बाहर निकाल दिया और अपने पेटीकोट से ही मुँह पोँछने लगी। अपना मुँह पोछते हुवे भाभी ने मेरी जाँघो पर जोरो से एक चपत लगाई और कहा की क्या करते हो..?
मै भाभी को कुछ नही बोल सका बस चुपचाप अपनी फुली हुई साँसों को काबु करने की कोशिश करता रहा। अपना मुँह साफ करके भाभी मेरी बगल मे लेट गयी।

मै तो बिल्कुल नँगा ही था भाभी ने भी अपने कपङे सही नही किये और ऐसे ही मेरी बगल मे लेट गयी। कुछ देर तक तो हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे फिर भाभी ने करवट बदलकर मेरी तरफ मुँह कर लिया और अपना एक पैर भी मेरे घुटनो पर रख लिया जिससे भाभी का कोमल बदन मुझसे स्पर्श करने लगा। भाभी के उभार जो की अभी भी नँगे ही थे मेरी बाजू को स्पर्श कर रहे थे। भाभी ने घुटना मोङकर अपना पैर मेरे घुटनो पर रखा हुवा था जिससे उनका पेटीकोट भी थोङा उपर हो गया था और उनकी नँगी जाँघ मेरे घुटनो को छु रही थी। भाभी का बदन काफी गर्म लग रहा था शायद मेरा रशखलित कराते कराते भाभी दोबारा से उत्तेजित हो गयी थी।
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chutphar Offline
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20-10-2017, 03:12 PM
खैर उस समय मुझे भाभी पर खीज सी आने लगी थी मगर फिर तभी भाभी मेरे लिँग को पकङे पकङे ही मेरी जाँघो पर झुक गयी और मेरी जाँघो व मेरे लिँग के चारो तरफ चुमने लगी। भाभी के नर्म होठो की छुवन से मेरा सारा बदन कँपकपाँ गया और मैने भाभी के सिर को जोरो से अपनी जाँघो पर दबा लिया जिससे भाभी के नर्म मुलायम गाल मेरी जाँघो पर लग गये और उनके नाजुक होठ मेरे लिँग को छु गये....
अब तो मेरी भी समझ मे आ गया था की भाभी के ईरादे क्या है.....?
मेरे दिमाग मे ये बात आते ही रोमाँच से मेरे रोँगटे खङे हो गये और दिल की धङकन अचानक से बढ गयी।

मेरे पकङने के बावजुद भी भाभी मेरे लिँग को चुमती रही और साथ ही धीरे धीरे उसे हाथ से भी सहलाती रही। मैने भी भाभी के सिर को पकङ कर जोरो से अपने लिँग पर दबा लिया, मगर भाभी ने अपने को छुङवा लिया और फिर से मेरे लिँग के चारो तरफ चुमने लगी....

इस बार भाभी नीचे लिँग की जङ से चुमते हुवे धीरे धीरे उपर सुपाङे की तरफ बढ रही थी। मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था की किसी के नर्म मुलायम होठ मेरे लिँग को चुम रहे थे अभी तक मैने बस अपने कठोर हाथ से ही अपने लिँग को सहलाया था मगर आज पहली बार भाभी के नाजुक होठो की छुवन को अपने लिँग पर मै बर्दाश्त नही कर पा रहा था, उत्तेजना के आवेश मे मैने भाभी के बालो को पकङने की कोशिश की मगर तब तक भाभी के होठ फिसल कर मेरे लिँग के उपरी छोर तक पहुँच गये, उन्होने हाथ से मेरे सुपाङे की चमङी को थोङा सा पीछे किया और अपने नर्म होठो से मेरे सुपाङे के अग्र भाग को चुम लिया जिससे मेरा पुरा बदन झनझना गया और अनायास ही मेरे मुँह से एक आह्ह............. निकल गयी। भाभी ने बस एक बार ही अपने कोमल होठो से मेरे सुपाङे को छुवा था उसके बाद उन्होने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और मेरे लिँग के नीचे की तरफ चुमने लगी। मुझसे अब सहन करना मुश्किल हो रहा था इसलिये मै भाभी के सिर को पकङकर जबरदस्ती उनके गालो व होठो पर पर अपने लिँग को रगङने लगा। 
मगर तभी ये क्या.....?
भाभी फिर से उपर की तरफ बढने लगी और अपना थोङा सा मुँह खोलकर मेरे लिँग के अग्र भाग को अपने होठो के बीच दबा लिया......
भाभी के नर्म मुलायम होठो के बीच उनके मुँह की गर्मी अपने लिँग पर महसूस होते ही मै
इईईई............श्श्शशशशश...........

अअाआआ.........ह्ह्हहहहह..............

करके जोरो से चीख पङा और अपने आप ही मेरे कुल्हे हवा मे उठ गये, मैने भाभी के सिर को अपने लिँग पर दबा लिया ताकी अधिक से अधिक मेरा लिँग भाभी के मुँह मे घुस जाये मगर मेरा लिँग भाभी के दाँतो से टकरा कर वही रह गया और भाभी मेरे सुपाङे पर ही अपने होठ रखे रही, वो जानबुझकर मुझे तङपा रही थी। मुझसे अब रहा नही जा रहा था इसलिये मै अपनी कमर को उपर नीचे हिलाकर अपने लिँग को भाभी के हाथ व होठो के बीच रगङने लगा। शायद अब भाभी को भी मेरी हालत पर तरश आ गया था इसलिये उन्होने दुसरे हाथ से मेरी कमर को दबाकर मुझे रूकने का इशारा सा किया और धीरे धीरे मेरे लिँग को अपने होठो के बीच दबाकर घिसने लगी। मेरे लिँग के पानी से भाभी के होठ चिकने हो गये थे इसलिए आसानी से मेरा लिँग भाभी के होठ के बीच फिसलने लगा। उत्तेजना के मारे मेरे मुँह से अब सिसकियां निकलने लगी थी, और फिर तभी....

भाभी ने अपने दोनो होठो को खोलकर मेरे सुपाङे की चमङी को अपने दोनो होठो के बीच फँसा सा लिया और धीरे धीरे निचे की तरफ दबाने लगी जिससे की मेरे सुपाङे की चमङी पीछे होने लगी और धीरे धीरे मेरा लिँग भाभी के मुँह मे समाने लगा। भाभी ने अपने होठो से ही मेरे सुपाङे की चमङी को पुरा पीछे कर दिया और जहाँ तक मेरे लिँग को अपने मुँह मे ले सकती थी वहाँ तक अन्दर करके जोरो से चुश लिया.....
एक बार फिर मै

इईईई............श्श्शशशशश...........

अअाआआ.........ह्ह्हहहहह..............

करके जोरो से चीख पङा और अपने आप ही मेरे हाथ भाभी के सिर पर जोरो से कस गये। भाभी इतने पर ही नही रूकी उनकी गर्म जीभ भी अब मेरे सुपाङे पर हरकत करने लगी, वो अपनी लचीली जीभ को कभी मेरे सुपाङे पर गोल गोल घुमा देती तो कभी उसे चाटने लगती, उत्तेजना से मेरी हालत अब खराब हो रही थी, मै जोरो से सिसकियां भरते हुवे भाभी के सिर को अपने लिँग पर दबाने लगा। भाभी ने भी अब मेरे लिँग को जोरो से चुशना शुरू कर दिया, साथ उनकी जीभ भी मेरे सुपाङे पर जोरो से चलने लगी। भाभी की नर्म जीभ का स्पर्श व मुँह की गर्मी अपने लिँग पर पाकर मै सातवे आसमान मे उङ रहा था। मेरे लिँग के साथ साथ भाभी के मुँह से भी अब लार निकल रही थी जो की मेरे लिँग 
के सहारे बह कर मेरी जाँघो पर फैलने लगा। मेरे लिँग से निकले प्रेमरश ने भाभी की लार से मिलकर एक नये ही द्रव्य का निर्माण कर लिया जो कि बेहद चिकना था और इस द्रव्य से भीग कर मेरा पुरा लिँग बेहद चिकना हो गया, साथ ही भाभी के होठ, जीभ व पुरा मुँह भी चिकने हो गये इसलिये अपने आप ही मेरा लिँग भाभी के मुँह मे फिसलने लगा। भाभी भी मेरे लिँग को अपने होठो के बीच दबाकर कभी उपर नीचे कर रही थी तो कभी उसे जोरो से चुश रही थी, कभी सुपाङे के उपर जीभ को गोल गोल घुमा देती तो कभी कभी वो पुरी जीभ निकाल कर मेरे लिँग को चाटने लगती।

भाभी मेरे लिँग के साथ ऐसे खेल, खेल रही थी जैसे की कोई छोटा बच्चा लोलीपोप (बच्चो की एक टोफी)  मिल जाने पर करता है। मगर कुछ भी हो भाभी के इस खेल से मुझे बहुत मझा आ रहा था, मेरे लिये ये एक अदभुत व अविश्वसनीय अहसास था। मेरे हाथ भाभी के सिर को पकङे हुवे थे जो की अब भाभी के सिर को सहलाने लगे थे, मै अपने आप पर काबु नही कर पा रहा था इसलिये भाभी के मुहँ के साथ साथ अपने आप ही मेरी कमर अब फिर से हरकत करने लगी, और फिर कुछ ही देर मे मै चर्म पर पहुँच गया.....
मेरा सारा बदन अब अकङने लगा था, जिससे भाभी समझ गयी थी की मेरा काम तमाम हो गया है, वो अपना मुँह मेरे लिँग पर से हटाना चाह रही थी मगर उत्तेजना के वशीभूत होकर मैने जोरो से भाभी के सिर को अपने लिँग पर दबा लिया जिससे मेरा लिँग भाभी के गले तक उतर गया और वोउऊऊ.....
उऊगूँगू्ँगूँ.....
उऊऊ.....
उऊगूँगू्ँगूँ.....
की अावाज करने लगी, मगर मुझे अब होश ही कहाँ था, मैने भाभी के सिर को ऐसे ही दबाये रखा और मेरा लिँग अब भाभी के मु्ँह मे ही लावा उगलने लगा......

भाभी अपने को छुटाने के लिये जोरो से छटपटाने भी लगी मगर, मैने उन्हे तब तक ऐसे ही दबाये रखा जब तक की मेरे लिँग ने अपना सारा लावा उनके मुँह ना उगल दिया। मेरे वीर्य से भाभी का मुँह भर गया और उनके मुँह से निकल कर मेरे लिँग के चारो तरफ भी बह निकला। मेरा ज्वार जब शाँत हुवा तो भाभी के सिर पर मेरी पकङ कुछ कमजोर हो गयी। भाभी ने भी तुरन्त मेरे लिँग को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोरो से खाँशते हुवे जल्दी से बैड के किनारे जाकर थुकने लगी। भाभी ने थुक कर सार वीर्य मुँह से बाहर निकाल दिया और अपने पेटीकोट से ही मुँह पोँछने लगी। अपना मुँह पोछते हुवे भाभी ने मेरी जाँघो पर जोरो से एक चपत लगाई और कहा की क्या करते हो..?
मै भाभी को कुछ नही बोल सका बस चुपचाप अपनी फुली हुई साँसों को काबु करने की कोशिश करता रहा। अपना मुँह साफ करके भाभी मेरी बगल मे लेट गयी।

मै तो बिल्कुल नँगा ही था भाभी ने भी अपने कपङे सही नही किये और ऐसे ही मेरी बगल मे लेट गयी। कुछ देर तक तो हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे फिर भाभी ने करवट बदलकर मेरी तरफ मुँह कर लिया और अपना एक पैर भी मेरे घुटनो पर रख लिया जिससे भाभी का कोमल बदन मुझसे स्पर्श करने लगा। भाभी के उभार जो की अभी भी नँगे ही थे मेरी बाजू को स्पर्श कर रहे थे। भाभी ने घुटना मोङकर अपना पैर मेरे घुटनो पर रखा हुवा था जिससे उनका पेटीकोट भी थोङा उपर हो गया था और उनकी नँगी जाँघ मेरे घुटनो को छु रही थी। भाभी का बदन काफी गर्म लग रहा था शायद मेरा रशखलित कराते कराते भाभी दोबारा से उत्तेजित हो गयी थी।
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22-10-2017, 05:34 PM
Nice Story n Lovely Updates
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22-10-2017, 07:07 PM
nice story and thanks for update
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chutphar Offline
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#10
29-10-2017, 09:45 AM
कुछ देर तक तो हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे फिर भाभी ने करवट बदलकर मेरी तरफ मुँह कर लिया और अपना एक पैर भी मेरे घुटनो पर रख लिया जिससे भाभी का कोमल बदन मुझसे स्पर्श करने लगा। भाभी के उभार जो की अभी भी नँगे ही थे मेरी बाजू को स्पर्श कर रहे थे। भाभी ने घुटना मोङकर अपना पैर मेरे घुटनो पर रखा हुवा था जिससे उनका पेटीकोट भी थोङा उपर हो गया था और उनकी नँगी जाँघ मेरे घुटनो को छु रही थी। भाभी का बदन काफी गर्म लग रहा था शायद मेरा रशखलित कराते कराते भाभी दोबारा से उत्तेजित हो गयी थी। 
भाभी मुझसे चिपकती जा रही थी और साथ ही धीरे धीरे अपनी नँगी जाँघ को भी मेरी जाँघो पर घीसते हुवे उपर मेरे लिँग की तरफ बढा रही थी, मगर फिर भाभी ने
छीहः......
गन्दे इसे साफ तो कर लो....!
कह कर तुरंत वहाँ से अपनी जाँघ हटा ली.....
अभी-अभी भाभी ने मुझे जो सुख दिया था उसका कामरश व भाभी की लार से मेरी जाँघो के पास काफी गीला हो रखा था और मेरा लिँग जो की अभी तक मूर्छित था मगर अभी भी उसमे से वीर्य की कुछ बुन्दे रीश रही थी जिस कारण मेरा लिँग भी काफी गीला हो रखा था।
भाभी की बात को अनसुना करके मै ऐसे ही लेटा रहा। जब मैने कुछ नही किया तो भाभी लेटे लेटे ही अपने पेटीकोट से मेरी जाँघो व लिँग को पौँछने लगी जिससे भाभी का पेटीकोट भी उपर हो गया और उनकी नँगी योनि मेरे कुल्हो को छुने लगी।
भाभी के कोमल हाथो के स्पर्श से मेरे लिँग मे भी फिर से चेतना सी आने लगी, यह देखकर भाभी ने मेरे गाल को प्यार से चुम लिया,शायद यह मेरा इनाम था। मेरे लिँग को साफ करने के बाद भी भाभी ने उसे छोङा नही बल्की ऐसे ही धीरे धीरे उसे सहलाती रही। भाभी ने मेरा हाथ जो की मेरे व भाभी के बीच था उसे सीधा करके अपने सिर के नीचे दबा लिया और अपने उभारो को मेरी बगल से चिपका दिया, भाभी के चुचक कठोर हो गये थे जो कि मुझे चुभते से महसूस हो रहे थे। भाभी ने फिर से अपनी नँगी जाँग मेरी जाँघो पर घिसना शुरू कर दिया और साथ ही वो मेरे गालो पर भी हल्के-हल्के चुमने लगी थी। मेरे लिँग मे अब कठोरता आने लगी थी। मैने भी अपनी गर्दन घुमाकर भाभी की तरफ चेहरा कर लिया जिससे भाभी की गर्म साँसे मेरी साँसो मे समाने लगी, भाभी के मुँह से अब भी मेरे वीर्य की हल्की-हल्की गँध आ रही थी। भाभी ने मेरे गालो की बजाय अब मेरे होठो को चुमना शुरू कर दिया, मैने भी अब करवट बदल कर भाभी की तरफ मुँह कर लिया और भाभी का साथ देने के लिये उनके होठो को चुमने लगा। 

मेरे करवट बदलने के कारण भाभी ने मेरे लिँग को छोङ दिया और मेरी कमर मे हाथ डालकर मुझे जोरो से अपनी बाँहो मे भीँच लिया जिससे भाभी के उभार मेरे सीने से दब गये और मेरा उत्तेजित लिँग भाभी की नँगी जाँघो के बीच लग गया। भाभी मेरे होठो को चुमते हुवे हल्की-हल्की सी आहे भरने लगी थी साथ ही उनका हाथ भी मेरी कुल्हो से लेकर मेरे सिर तक घुम रहा था। मै भी एक हाथ से भाभी के भरे हुवे मखमली नितम्बो व जाँघो सहलाने लगा। मेरा साथ मिलते ही भाभी ने मुझे जोरो से भीँच लिया था और जोरो से मेरे होठो को चुमने चाटने लगी जिससे मेरा दम सा घुटने लगा और मै अपने को छुङाने की कोशिश करने लगा मगर भाभी ने अपनी एक जाँघ मेरी जाँघो पर रख कर मुझे जोरो से दबा लिया। भाभी के मेरी जाँघ पर जाँघ रखने से उनकी दोनो जाँघे अलग हो गयी और मेरा उत्तेजित लिँग ठीक भाभी की योनि पर लग गया। मैने भी भाभी की जाँघ को पकङ कर अपनी कमर तक चढा लिया और पीछे उनके नितम्बो के बीच से हाथ डालकर भाभी की योनि को सहलाने लगा जो की कामरश से भीग कर तर हो गयी थी। मुझसे अब सब्र नही हो रहा था इसलिये मै अपने लिँग को पकङ कर धीरे से भाभी की योनि मे डालने की कोशिश करने लगा मगर कामयाब नही हो सका, क्योंकि एक तो मै इस खेल का नया खिलाङी था इसलिये मेरा लिँग सही से योनिद्वर पर नही लग रहा था और दुसरा भाभी की योनि इतनी गीली हो गयी थी की मेरा लिँग योनि कि दोनो फाँको के बीच बार बार फिसल रहा था। इसी कोशिश मे मै अपना लिँग भाभी की योनि पर रगङ रहा था की तभी भाभी मेरे गालो को चुमने के लिये थोङा सा उपर हुई और जैसे ही वो उपर हो कर नीचे होने लगी उसी पल मेरे लिँग का सुपाङा ठीक योनिद्वार के होठो के बीच फँस सा गया और भाभी ने
इईईई.......
श्श्श्शशशश......
करके जोरो से मेरे कुल्हो को भीँच लिया मगर अगके ही पल फिर से मेरा लिँग योनिद्वार से निकल गया। मैने भी हार नही मानी मै फिर से अपनी कोशिश मे जुट गया मगर कामयाब नही हो सका, इस दौरान एक दो बार फिर से मेरा लिँग योनिद्वर पर लगा भी मगर चिकनाई की वजह से वो बार बार फिसल रहा था। जब मै कामयाब नही हो सका तो भाभी ने करवट बदल कर मुझे अपने उपर खीँच लिया और अपनी जाँघे फैलाकर मुझे अपनी दोनो जाँघो के बीच भीँच मे दबा लिया। भाभी का मखमली नँगा बदन अब मेरे नीचे था, उनके दोनो उभार मेरी छाती से दबे हुवे थे और मेरा लिँग ठीक भाभी की योनि पर था मगर, अब भी मेरा लिँग सही से योनिद्वार मे नही जा रहा था और मै ऐसे ही योनि की दोनो फाको के बीच लिँग को घीस रहा था, तभी भाभी ने मेरे लिँग को पकङ कर योनिद्वार के होठो से लगा लिया और मेरे हमले का इन्तजार करने लगी..............
बाहर से ही मै अपने लिँग पर उनकी योनि की तपीश महसूस कर रहा था। मैने भी अब देरी नही की और एक जोर को धक्का लगा दिया.....
भाभी का योनिद्वार कामरश से भीग कर चिकना हो हो रखा था और भाभी भी इसके लिये तैयार थी जिससे एक ही झटके मे मेरा आधे से ज्यादा लिँग भाभी की योनि मे समा गया और भाभी के मुँह से
इईईई........
श्श्श्श्शशश......
अआआआआ.......
ह्ह्हहहहहह......
की अावाज निकल गयी। भाभी ने अपने पैरो व हाथो को समेटकर मेरे शरीर को जोरो से भीँच लिया और बङे ही प्यार से मेरे गालो को चुम लिया जैसे की मैने बहुत बङा और गर्व का काम किया हो। एक बार मैने अपने लिँग को थोङा सा बाहर खीँचा और फिर से एक धक्का और लगा दिया इस बार लगभग मेरा समस्त लिँग योनि की गहराई मे उतर गया और फिर से भाभी के मुँह से
इईईई........
श्श्श्श्शशश......
अआआआआ.......
ह्ह्हहहहहह......
की आवाज निकल गयी। भाभी ने फिर से मेरे गालो को चुम लिया और दोनो हाथो से मुझे अपनी बाँहो मे भरकर जोरो से भीँच लिया जिससे भाभी के उरोज मेरी छाती तले पीस गये.........

लगभग मेरा पुरा लिँग अब भाभी की योनि मे था और मै अपने लिँग पर योनि की गर्माहट को महसूस कर रहा था, मेरा ये दुसरा अवसर था जब मेरा लिँग भाभी की योनि मे था और इस अहसास को मै बयाँ नही कर सकता की मुझे कैसा लग रहा था। मै भी अब रुका नही बल्की मै धीरे धीरे अपने शरीर को अागे पीछे करके धक्के लगाने शुरू कर दिये........
जिससे की मेरा लिँग योनिद्वार के अन्दर बाहर होने लगा और साथ ही मेरी छाती से दबे भाभी के दोनो उरोज भी चटनी की तरह मसले जाने लगे। मेरे प्रत्येक धक्के के साथ भाभी
अआआह.....
अआआह.....
अआआह.....
की अावाज करने लगी। भाभी ने अब अपने पैरो को मेरी जाँघो के उपर किया और फिर अपने पैरो को मेरे पैरो मे इस तरह से फँसा लिया की अब मै चाह कर भी भाभी के उपर से उठ नही सकता था। भाभी ने मुझे जोरो से भीँच लिया था और मेरी गर्दन व गालो को चुमने लगी। भाभी का साथ देने के लिये मैने भी उनके होठो को मुँह मे भर लिया और धीरे धीरे उन्हे चुशने लगा......

भाभी ने भी अब मेरे होठो को चुशना शुरू कर दिया, उन्होने पहले की तरह ही अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी और मेरे पुरे मुँह मे अपनी जीभ घुमाने लगी.......
मै भी उनकी जीभ को होठो के बीच दबाकर जोरो से चुशने लगा मगर इस बार मैने अपनी जीभ भाभी के मुँह मे डालने की गलती नही की बस भाभी की ही जीभ को चुशता रहा। जब मैने अपनी जीभ भाभी के मुँह मे नही दी तो भाभी मेरे होठो को ही जोरो से चुशने लगी। भाभी ने दोनो हाथो से मेरे सिर को पकङ लिया और बुरी तरह से मेरे होठो को चुशने लगी, मुझे तो वो अब चुमने का मौका ही नही दे रही थी बल्की खुद ही मुझे चुम चाट रही थी। उत्तेजना के वश धीरे धीरे अपने आप ही मेरे धक्को की गत्ती बढ गयी.... जिससे भीभी के मुँह से फिर सिसकियां निकलनी शुरू हो गयी। भाभी का मुँह मेरे होठो से बन्द था मगर फिर भी वो मेरे होठो को चुशते हुव
हुहुह......
हूहूहूहूहह.......
हुहुह......
हूहूहूहूहह.......
की अवाज करने लगी। भाभी के दोनो पैर अब मेरे कुल्हो पर आ गये और वो अपनी एडीयो से मेरे कुल्हो को दबाकर धक्का लगाने लगी साथ ही उनके दोनो हाथ भी मेरी पीठ को पकङ कर मुझे आगे पीछे करने लगे। मुझमे भी अब जोश आ गया और मैने अपनी गती बढा दी। भाभी भी अब जोरो से मेरे कुल्हो व पीठ को दबाकर मुझे आगे पीछे करने लगी साथ अब उनके नितम्ब भी उपर नीचे होने लगे थे। भाभी बहुत अधिक उत्तेजित हो गयी थी।
भाभी जोरो से सिसकियां भरते हुवे पागलो की तरह मेरे होठो को चुमने चाटने लगी, वो मेरे होठो के साथ साथ अब मेरे गालो को भी जोरो से नोचने काटने लगी जैसे की मेरे होठो व गालो को खा ही जायेगी। भाभी के काटने से बचने के लिये मै भाभी के उरोजो पर से उठ गया, मैने अपने हाथो के सहारे अपनी छाती व मुँह को उपर उठा लिया, बस मेरे पेट के नीचे का ही भाग अब भाभी पर था, नीचे से भी मै अब अपने घुटनो पर हो गया जिससे की मुझे तेजी से धक्के मारने मे आसानी हो गयी। मै अब तेजी से धक्के लगाने लगा। भाभी का मुँह अब आजाद हो गया था इसलिये वो अब जोर जोर से सिसकियां लेने लगी।भाभी के पैर अब मेरी कमर पर आ गये और हाथ मेरे कुल्हो पर पहुँच गये, वो मेरे कुल्हो को पकङकर मुझे जोरो से दबाने लगी। मै अब अपनी पुरी ताकत से धक्के लगा रहा था। मेरा पुरा लिँग अब योनि के बाहर आता और फिर मेरी पुरी ताकत के साथ योनि की गहराई मे उतर जाता जिससे भाभी जोरो से
इईईई........श्श्श्श्शशश......
अआआआआ.......ह्ह्हहहहहह......

इईईई........श्श्श्श्शशश........
अआआआआ.......ह्ह्हहहहहह.........
कर रही थी।
मेरा व भाभी के शरीर पसीने लथपथ  हो गये थे और साँसे भी उखङने लगी थी, फिर अचानक से भाभी की योनि मे सँकुचन सा हुवा और वो
इईईई........श्श्श्श्शशश......
अआआआआ.......ह्ह्हहहहहह......
म्म्म...अ.अ......म..अ.अ
ह्ह....ए...ऐ....हेहे.ऐ....
श्श....अ...श.अ.अ
इईईई........श्श्श्श्शशश......
अआआआआ.......ह्ह्हहहहहह.....
करके मुझसे लिपट गयी.....
भाभी के हाथ मेरी पीठ पर और दोनो पैर मेरी कमर पर कश गये। भाभी ने एक और लम्बी आह......
भरते हुवे मुझे जोरो से भीँच लिया और उनकी योनि ने मेरे लिँग को योनिरश से नहला दिया।
भाभी चर्म पर पहुँच गयी थी मगर मै अब भी प्यासा ही था इसलिये मै धक्के लगाता रहा, योनिरश से भीगकर मेरा लिँग और भी आसानी से योनि के अन्दर बाहर होने लगा। कुछ देर तो भाभी ऐसे ही मुझसे लिपटी रही मगर फिर वो मुझे रोकने लगी शायद उन्हे दिक्कत हो रही थी, मगर मै रूका नही और धक्के लगाता रहा क्योकी मै भी अपनी मँजिल के करीब ही था। 
भाभी को भी शायद अहसास हो गया था की इस हालत मे मेरा रुकना मुमकिन नही होगा इसलिये उन्होने अपने बदन को ढीला छोङ दिया और मुझे अपने मुकाम पर पहुँचाने के लिये मेरी कमर को सहलाने लगी........
और कुछ ही देर मे मै चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गया..... 

मैने तीन चार जोरो से धक्के लगाये और फिर भाभी के बदन से लिपट गया......भाभी से लिपट कर मै हल्के हल्के धक्को के साथ उन्की योनि को अपने वीर्य से सिँचने लगा। भाभी ने भी मुझे जोरो से भीँचकर मेरा साथ दिया। उस रात को चार बार इस खेल का दौर चला और रात भर मैने भाभी को जगाये रखा।

इसके बाद तो रोजाना ही मेरे व भाभी के बीच ये खेल चलने लगा। जब भैया छुट्टी आते तभी मै दुसरे कमरे मे सोता नही तो भाभी के कमरे मे ही सोता और हमारे बीच इस खेल का दौर चलता।
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