मैं अब विभा को उसके हाल पर छोड़ कर अपना ध्यान पूजा पर लगाया। मुझे पूजा को चोदने के बाद कनक को भी चोदना था। मैंने पूजा को कुर्सी के सहारे झुकने को कहा तो वो मेरा इशारा समझ कर झुक गई और तब मैंने चट से अपना लन्ड पीछे से उसकी चूत में पेल दिया। हल्के से कराह के साथ पूजा मेरा लन्ड अपने चूत में घुसवा ली और मैं अब आराम से उसकी चुदाई करने लगा। मैंने एक बार पीछे मुड़ कर बिस्तर की तरफ़ देखा कि विभा विजय को नीचे लिटा कर उसके लंड पर खुद सवार हो गई है और उसके ऊपर लेट कर हल्के-हल्के अपने कमर को हिला-हिला कर चुद रही है। मैंने अब पूजा को जोर-जोर से चोदना शुरु किया तो वो अब मजे से अपने मुँह से तरह-तरह की आवाज निकालने लगी। थोड़ी देर ऐसे चोदने के बाद मैंने अपना लन्ड बाहर निकाल कर पूजा को सीधा सोफ़े पर लिटा दिया और उसके जाँघों को खोल कर उसके ऊपर चढ कर उसको चोदने लगा और तब मैंने देखा कि मेरी बहन विभा अब कुतिया बनी हुई है और विजय उसको चोद रहा है जबकि राजन उसकी मुँह में लंड डाले हुए है। आज पहली बार मेरी बहन के ऊपर और नीचे के दोनों होंठ में मर्दाना लन्ड घुसा हुआ था। मैं पूजा के चोदते समय विभा को ऐसे देख कर जल्द ही झड़ गया और अपना सारा माल पूजा की चूत में निकाल दिया। जैसे ही उसको यह महसूस हुआ, वो जोर से बिदकी और बोली, "ओह... भीतर क्यों यह सब निकाल दिये। मैं भीतर नहीं निकलवाती यह सब"। मैंने उसको सौरी कहा, और वो अब चट से उठ कर जल्दी-जल्दी अपना चूत तौलिये से साफ़ करने लगी। मेरा धयान अब बिस्तर पर गया तो देखा कि राजन आराम से विभा की गाँड़ में अपना दो ऊँगली चला रहा है। मुझे पता भी नहीं चला कि जब मैं पूजा को चोद रहा था, तब कब और कैसे राजन और विजय ने विभा को गाँड़ मराने के लिए तैयार कर लिया और विजय के झड़ने के बाद राजन ने उसकी गाँड़ को क्रीम के सहारे ढ़ीला करने में कामयाब हो गया। विजय कनक के साथ साईड में बैठ कर राजन की कला को देख रहा था। तभी मेरे मन में आया कि विभा को आज एक साथ तीन लण्ड का मजा दिया जाए, सो मैंने कहा, "विजय और राजन, तुम दोनों यार विभा की दोनों छेदों में पेलो और विभा से मैं अपना लण्ड चुसवा कर कड़ा करता हूँ, कनक के लिए। विभा को भी आज एक साथ तीन लण्ड अपने तीनों लन्डों में लेने का मजा मिल ही जाए"। मेरी बात सुन कर पूजा बोली, "यह तो हम दोनों को भी कभी नसीब नहीं हुआ।" कनक बोली, "चलो, आज के बाद कम से कम दो का मजा तो हम जब चाहेंगे मिल जाएगा... आज के लिए यह भी कम नहीं है"।
तय हुआ कि राजन नीचे सीधा लेटेगा और उसके ऊपर विभा अपने चूत में राजन का लन्ड घुसा कर लेटेगी और उसके ऊपर से विजय उसकी गाँड़ में अपना लंड पेलेगा। जब दोनों अच्छे से विभा की चूत और गाँड़ मारने की पोजिशन ले लेंगे तब विभा मेरा लन्ड अपने मुँह में ले कर चूसेगी और अपने तीनों छेद में एक साथ तीन लन्ड घुसवा कर अपना जन्म धन्य करेगी। थोडी कोशिश के बाद विभा की गाँड़ ने विजय का लंड अपने भीतर ले लिया। उसकी चूत तो अब तक लन्ड लीलने में विशेषज्ञ हो गई थी। जब विभा सब ठीक से ले ली तो मुझे आने का इशारा किया। मैंने अपना लन्ड, अब तक अपनी बहन को इस दशा में देख कर खुद टनटना गया था, उसके मुँह में घुसा दिया। अब हम सब मिल कर विभा की तीनों छेद को चोदने लगे। बेचारी कभी-कभी कराह दे रही थी पर हिम्मत के साथ हमारे लन्ड को अपने बदन में घुसने दे रही थी। जल्दी ही हम तीनों जोश से भर कर एक साथ हुमच-हुमच कर बेचारी की मुँह, चूत और गाँड मारने लगे। वो अब हमारी पकड़ से आजाद होना चाही पर अब कोई रुकने के चक्कर में नहीं था। मुझे अपने बहन की ऐसी दशा देख कर दया आ गई तो मैंने अपने लन्ड को उसके मुँह से निकाल लिया जिससे अब विभा कम से कम जोर-जोर से साँस ले सकती थी, पर उन दोनों लडकों ने उसको बूरी तरह से अपनी जकड़ में ले लिया था और जबर्दस्त तरीके से उसको चोद रहे थे। बेचारी अब करीब-करीब चीख रही थी, मुझे पता नहीं चल रहा था कि उसकी यह चीख मजा वाली चीख है कि दर्द वाली। करीब ३-४ मिनट के धक्कम-पेल चुदाई और गाँड़ मराई के बाद दोनों ने अपना-अपना माल उसकी चूत और गाँड में निकाल दिया और उसको आजाद कर दिया। पसीने से लथपथ बेचारी विभा गहरी-गहरी साँस लेते हुए बिस्तर पर हाथ-पैर फ़ैला कर निढाल सी फ़ैल गई। विजय और राजन का लन्ड तो झडने के बाद अब सिकुडने की तरफ़ चल दिया था, पर मेरा अभी भी टनटनाया हुआ था। मैंने कनक को इशारा किया तो वो बिस्तर के एक साईड में सीधा लेट गई और अपना जाँघ फ़ैला दी। विजय और राजन भी समझ गई कि अब मैं कनक को चोदना चाहता हूँ तो वो बिस्तर से उतर कर सामने के सोफ़े पर बैठ कर आराम करने लगे, जहाँ पूजा पहले से नंगी बैठी हुई थी। मैं अब आराम से कनक की खुली हुई जाँघों के बीच आ कर घुटनों के बल बैठ गया। कनक ने अपने दोनों हाथों की मदद से अपने चूत के होठ खोल दिये जिससे भीतर का गुलाब कमरे की तेज रोशनी में चमक उठा। मैं अब अपने लन्ड को उसकी खुली चूत के मुँह से सटा कर धीरे-धीरे उसके ऊपर लेटता चला गया, जिससे मेरा लन्ड भी धीरे-धीरे उसके चूत में समाता चला गया। मैं अब आराम से धीरे-धीरे उसको चोदने लगा। वो भी अपनी आँखें बन्द कर के अपनी चुदाई का मजा लेने लगी। बीच-बीच में उसकी सिसकी उसके मजे की गवाही दे देती थी। करीब पाँच मिनट बीतने के बाद वो बोली, "अब जल्दी-जल्दी करो न..., ऐसे पैर फ़ैला कर रहने से तकलीग होती है"। मैंने भी अब अपने को थोड़ा पीछे किया और फ़िर उसकी दोनों टाँगों को उठा कर अपने कंधों पर रख लिया और फ़िर जोर-जोर से उसकी चूत में लन्ड घुसाने लगा। वो अब अपने जाँघों को थोड़ा और फ़ैलाना चाही, पर मैंने उसकी जाँघों को जोर से पकड कर भींच दिया जिससे उसकी छेद थोड़ा सिकुड़ गई और मेरा मोटा लन्ड जब भीतर-बाहर करता तो वो अपने चूत के दीवारों पर मेरे लन्ड का घर्षण महसूस करती। मेरे लन्ड पर उगे कुछ झाँट उसकी चूत की कोमल चमड़ी को अब रगड़ रहे थे और इस रगड़ से होने वाली जलन अब वो भी महसूस कर रही थी। वो मुझे हटने को बोली, पर मैं अब कहाँ रुकने वाला था। मैं अब और अच्छी तरह से उसको जकड़ कर अपने लन्ड से घपा-घप उसको चोदने लगा। वो अब कराह उठी थी मेरे रफ़तार की वजह से। करीब ५ मिनट की तेज चुदाई के बाद मेरा लन्ड पिचकारी छोडने को हुआ तो मुझे पूजा की बात याद आई, पर मेरी नजर बगल में निढाल लेटी हुई विभा पर गई, जिसकी चूत और गाँड़ से अभी भी उन दोनों का वीर्य के बहने का निशान था। मैंने बिना अब आगे कुछ सोचे कनक की चूत को अपने लन्ड की पिचकारी से पूरी तरह भर दिया और इसके बाद भी उसको चोदते रहा। मेरा वीर्य मेरे ही लन्ड की ठोकर से जितना बाहर निकलता उताना ही भीतर ठेल दिया जाता। कनक पूरा ताकत लगा रही थी छुटने के लिए पर जब तक मेरा लन्ड सिकुडन की वजह से बाहर नहीं फ़िसला, मैंने उसकी चुदाई नहीं रोकी। फ़िर मैं उसके ऊपर से हट गया तो वो भी पूजा कि तरह सी बैचैन सी हडबडा कर उठी और अपने चूत से बह रहे मेरे वीर्य को पोछने लगी। मुझे खुशी हुई कि आज पहली बार उन दोनों लड़कियों की चूत को वीर्य से भरने का सौभाग्य मुझे मिला।
अब विभा उठी और नंगे ही हम सब को कोल्ड-ड्रिंक सर्व की, फ़िर बाथरूम में जा कर नहा कर नंगी ही आई और हम सव के सामने ही कपड़े पहने। हम सब भी बारी-बारी से नहाए और अपने-अपने कपडे पहने और फ़िर सब साथ में करीब ५.३० बजे बाहर घुमने निकल पड़े। इसके बाद हमने ६-९ के शो में फ़िल्म देखी और फ़िर एक होटल में खाना खाया और एक-दूसरे को अपना-अपना नम्बर दिया। इसके बाद मैं और विभा अपने कमरे में आ गये। अगले दिन शाम में हमारी वापसी की टिकट थी, और हम थक भी गए थे सो बिना सेक्स की बात भी किये हम सो गए। सुबह करीब ७ बजे हम दोनों सो कर उठे और आरम से नहा-धोकर करीब ९ बजे नाश्ता करके शाम को लौटने से पहले बाजर से कुछ ऐसे ही सामान वगैरह खरीदने का प्लान करने लगे। बाजार वैसे भी ११ बजे के पहले खुलने वाला नहीं था तो कमरे में ही टीवी चला कर हम दोनों लेट गए। तभी मेरे किरायेदार अंकल का फ़ोन आया। वो जानना चाह रहे थे कि मेरा आज वापस जाना हो रहा है कि नहीं। अगले दिन रविवार था सो छुट्टी के दिन वो हमें खाने पर बुलाने के लिए फ़ोन किए थे। मुझे यहाँ आए आज एक सप्ताह हो गया था और अब मेरा वापस जाना जरूरी हो गया था, बिजनेस को ऐसे बहुत दिन नहीं छोडा जा सकता है। मैंने उन्हें मना कर दिया। मुझे उनके बात से लगा कि वो थोडा निराश हो गए हैं। उन्होंने कहा, "वोह... कोई बात नहीं... मुझे लगा शायद इस बार विभा बेटा से मिलूँ तो कुछ और चीज मिल जाए। पिछली बार रुमाल मिला था। आज तक वैसे हीं है, बिना धुले... मेरे कपड़ों की आलमारी में सबसे नीचे"। मैं उनके इस ठरकीपने को समझ सकता था। करीब ६० साल की उम्र थी, सो साठा तो पाठा वाली बात थी उनके साथ। अचानक मुझे जाने क्या सुझा तो मैं कहा, "आज तो अंकल दिन में बाजार से कुछ ऐसे भी सामान खरीदने का प्रोग्राम है, बाकि कुछ खास नहीं। आप अगर आज अपनी छुट्टी कर सकें तो होटल ही आ जाईए, हम सब साथ में बाजार चल चलेंगे और आपको भी विभा का साथ कुछ घंटों के लिए मिल जाएगा। अगर आपलोग का मन गप्पे मारने का होगा तो आप दोनों यहीं रुक जाना और मैं बाजार से दो घंटे में घुम आउँगा"। मेरी बात सुन कर अंकल खुश हो गए और बोले, "ठीक है, मैं करीब ११ बजे तक आता हूँ, एक बार औफ़िस जाकर सब को काम समझाने के बाद। हम सब साथ में बाजार चलेंगे, मेरी गाड़ी है हीं, परेशानी नहीं होगी"।
विभा पास बैठी हम दोनों की बातें सुन रही थी। वो बोली, "अब जब अंकल गाड़ी ले कर आ रहे हैं तो आराम से दोपहर में निकलेंगे, बाजार में भीड़ कम मिलेगा दोपहर में"। मैंने उसको बताया कि अंकल यहाँ उससे मिलने हीं आ रहे हैं, उनको उस दिन का रुमाल आज तक मस्त किए हुए हैं, तो विभा हँस पड़ी, "अजीब हाल है मर्द सब का, अब इस उम्र में भी उनका यह हाल है तो मैं समझ सकती हूँ कि आप क्यों ऐसे सेक्स के लिए बेचैन रहते हैं"। मैंने अब उसको बताया कि मर्द कभी बुढा नहीं होता, और अगर वो अपना फ़िटनेस ठीक रखे तो किसी भी उम्र में लडकी चोद सकता है। वो बोली, "हाँ, दिख रहा है मुझे... आपका बस चले तो आप आज मुझे अंकल से भी चुदवा दीजिए, राजन और विजय से तो चुदा ही दिए यहाँ ला कर"। मैंने उसकी बात पकड़ ली, "क्यों नहीं... बहुत मजा आएगा, तुम एक बार कोशिश कर ही लो, अगर अंकल चाहे तो कर लेना उनके साथ सेक्स"। वो मुझे झिडकते हुए बोली, "हट्ट... आप भी न, अंकल बेचारे इतने बुजुर्ग आदमी... वो यह सब क्यों करेंगे... ऐसे बात कर लेना, मजाक कर लेना अलग बात है और सेक्स करना अलग बात"। मैंने भी उसको उसकाया कि वो बस हल्के से थोडा अंग-प्रदर्शन करे और उनको थोड़ा उकसाये, जरा मैं भी तो देखूँ कि इस ठरकी में कितना जिगर है...वैसे भी तुम यहाँ पर अब तक सब कुछ मेरी मर्जी से की हो तो यह भी एक बार कर लो ना। विभा बोली, "ठीक है, अंग प्रदर्शन में क्या है... वो तो उस दिन भी उनके सामने ही पैन्टी पहनी ही थी तो मेरा असली अंग तो वो देखे हुए हैं, अब इसमें क्या लाज... अभी तक आपकी बात मानी हूँ से आज भी वही करुँगी जो आप कहेंगे"। मैंने उसको बाँहों में बह कर चुम लिया, "मेरी डार्लिंग विभा, तुम बहुत अच्छी हो"। वो मुझे जोर से अपने बाहों में भींचती हुई बोली, "चलिए न किशनगंज उसके बाद आपको बताती हूँ, यहाँ तो मैं आपकी बात मानने का कसम खाई हुई हूँ, पर एक बार किशनगंज पहुँची कि मैं आजाद हुई और तब आपसे सब बदला लुँगीं"। हम दोनों अब हँसने लगे। फ़िर विभा हटी और जल्दी से अपने कपडे उतारने लगी, "भैया, जल्दी से मेरा काँख और चूत पर का बाल साफ़ कर दीजिए न। जब अंकल को यह सब दिखाना ही है तो ठीक से साफ़ ही आज दिखाती हूँ, उस दिन तो सब कुछ बाल से भरा हुआ था।" मुझे भी उसका आइडिया पसंद आया सो मैं भी पानी और रेजर ले कर आ गया और फ़िर रेजर को सीधा और फ़िर उल्टा चला कर अपनी छोटी बहन विभा की काँख और चूत को एक दम चिकनी सफ़ाचट बना दिया। पिछले सप्ताह भर की लगातार चुदाई से उसकी चूत की फ़ाँक बहुत सुन्दर तरीके से खुल गई थी और भीतर के होठ अब थोडा सा बाहर लटक रहे थे, क्योंकि म्रेरे द्वारा उसके बदन को छुने से वो गर्म हो रही थी। वो अब एक सेक्सी वाली लाल माईक्रो-पैन्टी और गुलाबी ब्रा पहनने के बाद एक बिल्कुल शुद्ध देसी घरेलू लड़की की तरह सफ़ेद सलवार सूट पहन लिया और सज्जन की तरह एक दुपट्टा भी ले लिया। बाल वगैरह भी सेट करके हल्का सा काजल और लिपस्टिक लगा कर बहुर सुन्दर तरीके से सज गई। समय बीताने के लिए हमने चाय और पकौडे का आर्डर कर दिया और रूम सर्विस वाला वही लड़का यह सब लाया जो उस दिन लाया था जिस दिन मैंने विभा की झाँट पहली बार बनाई थी। वो कनखियों से विभा को बार-बार देख रहा था पर आज कि विभा एक दम घरेलू लड़की थी। वो बेचारा चला गया तो हम दोनों पिछली बार को याद करके जोर से हँस पडे। हम अब टीवी देखते हुए उस ठरकी किरायेदार का इंतजार करने लगे।
विभा अब आराम से बोली, "भैया, आप इस एक सप्ताह में मुझे क्या से क्या बना दिए, सोचने पर कैसा लगता है"। मैंने बात की गंभीरता को समझा पर बात को हल्का करते हुए बोला, "क्या बना दिए क्या... तुम लडकी थी, जवान हो गई थी तो औरत बना दिए। इसमें ऐसा-वैसा लगने वाली क्या बात है?" विभा बोली, "हाँ सो तो है, पर यहाँ पर मुझे आपके अलावे और भी उन दोनों लडकों के साथ सेक्स करना पड़ा सो... शुरु होने के एक सप्ताह के भीतर ऐसा नहीं होता है", वो मुस्कुरा रही थी। मैंने भी कहा, "अरे तो तुम किस्मत वाली हो जो इतनी जल्दी अलग-अलग टाईप के लन्ड का स्वाद लेने को मिला... और अगर भगवान ने चाहा तो अब तुम्हें एक सिनियर सिटिजेन का भी स्वाद मिलेगा। देख लेना, वो ठरकी तुम्हें चोदे बिना रहेगा नहीं, अगर तुम ने जरा सा भी उसको ढ़ील दे दी"। वो मुझसे पूछी, "आप सलाह दीजिए न भैया, उसके साथ कर लूँ कि उसी दिन की तरफ़ सिर्फ़ बदन दिखा कर रह जाऊँ?" मैंने अब उसकी आँखों में झाँकते हुए पूछा, "तुम्हारा क्या मन है?" वो फ़िर बोली, "यह मैं आप पर छोडती हूँ..."। मैंने कहा, "मुझे तो तुम्हें चुदाते हुए देख कर बहुत मजा आता है। तुम्हारे चेहरे पर जो भाव आता है जब तुम चुद रही होती हो, वो देखने लायक होता है। मेरे से भी जब चुदाती हो तब भी... पर जब तुम दुसरे से चुदाते हुए मुझसे नजर मिलाती हो तो मेरा दिल धक्क से कर जाता है। एक भाई को अपनी सगी छोटी बहन को ऐसे दुसरे से चुदाते देखना नसीब नहीं होता।" विभा मुस्कुराई, "मतलब, उस बुढ़े से मैं अब चुदा हीं लूँ ताकि आपको मजा आए... ठीक है देख लीजिए आज, कैसे उस बुढे का मैं भुर्ता बनाती हूँ"। मैंने भी जोड दिया, "बुढे का नहीं, उसके लन्ड का भुर्ता बनाना वो भी अपनी चूत से, और देखना कहीं वो बुढ़ा ही तुम्हारी चूत का भोंसडा न बना दे"। विभा बोली, "चुप बहेनचोद...", फ़िर उठी और कमरे के फ़्रीज में से एक सेव निकाल कर लाई और उसमें से दो पतली फ़ाँक काटी। फ़िर जल्दी से अपनी सलवार नीचे ससार कर चट पैन्टी भी नीचे की और मेरे सामने सोफ़े पर बैठ कर अपने जाँघ को खोल कर उन सेव के फ़ाँकों को अपने चूत में घुसा ली। मैं यह देख कर दंग था, और विभा आराम से तीनों टुकडों को चूत में डालने के बाद उठी और अपना पैन्टी और सलवार पहन ली। सेव की फ़ाँकें उसके चूत में चुभ रही थी सो थोड़ा कमर नचा कर और पैर को हिला-डुला कर उन फ़ाँकों को अपने चूत में आराम से सेट करके चल कर देखी और फ़िर आराम से बैठी, "हाँ अब ठीक से सेट हो गया है छेद में"। उसकी इस तैयारी को देख मेरा लन्ड फ़नफ़ना गया कि तभी रूम की कौलबेल बज गई।
मैंने उठ कर दरवाजा खोला तो जनाब हाजिर थे। नमस्कार के बाद मैंने बैठने को कहा, तो अंकल ने हाथ के पैकेट को टेबुल पर रखा, "यह पेस्ट्री है, लेता आया हूँ, डार्क-फ़ैरेस्ट...तुम लोग के लिए"। विभा ने उनको गले से लगाया और फ़िर उनके गालों को चुमती हुई बोली, "वाह अंकल, मुझे डार्क-फ़ैरेस्ट बहुत पसंद है, थैंक्यु"। अंकल ने कहा, "इसमें थैंक्स की क्या बात है, बल्कि तुम्हारा जो अहसान है इस बुढ्ढे पर उसके आगे तो यह कुछ भी नहीं है"। विभा ने सब समझते हुए भी अनजान की तरह पूछा, "अह्सान... कैसा अहसान, क्या बात कर रहे हैं आप अंकल?" वो बिना किसी लाग-लपेट के बोले, "उस दिन जो तुम मुझे अपना प्राईवेट अंग दिखाई थी और फ़िर मेरे रुमाल को जो इज्जत बख्शी... मैं उसकी बात कर रहा हूँ"। विभा मुस्कुराते हुए बोली, "ओह, तो वो बात है... अच्छा, आज मैं आपको अपनी पैन्टी ही दे दुँगी, आप चिन्ता मत कीजिए।" अंकल खुश हो गए, तब वो बोली, "लेकिन एक शर्त पर... आपको मेरे बदन से पैन्टी अपने हाथ से उतारनी होगी"। यह कहते हुए उसके एक पेस्ट्री निकाली और फ़िर अपने मुँह में एक बडा सा कौर ले कर अपना चेहरा मेरी तरफ़ कर दिया और मैंने उसके मुँह के बाहर के हिस्से की पैस्ट्री अपने मुँह से खाई और फ़िर विभा के अंदाज को देख कर गर्म हुआ मैं, उसके होठ चुसने लगा। वो पेस्ट्री खाना चाह रही थी पर मेरे चुम्मा की वजह से खा नहीं पा रही थी तो मुझे दूर करके वो पेस्ट्री खाई और बोली, "अभी तो अंकल को भी खिलाना है"। फ़िर उसने वैसे ही एक बडा टुकड़ा फ़िर से मुँह में लिया और फ़िर अंकल के पास जा कर उनके मुँह को खोलने का इशारा किया और जब अंकल ने मुँह खोला तो अपने मुँह की पेस्ट्री उनके मुँह में डाल दी और वो जब खाने लगे तो उनका होठों का चुम्बन ली। अंकल की हालत अब देखने लायक थी। हम सब के मुँह की पेस्ट्री जब खत्म हो गई तो विभा बोली, "आईए अंकल, आज आपको कुछ ज्यादा दे देती हूँ, और वो उनके गोदी में उनके चेहरे की तरफ़ अपना चेहरा करके अपने दोनों घुटनों के बल बैठ गई। सोफ़े पर बैठे अंकल के लन्ड के ठीक उपर अब विभा की चूत थी।
मैंने देखा कि मुझे वहाँ देख कर अंकल थोडा असहज हो रहे हैं तो मैंने कहा, "विभा मैं अब दो घन्टे सो लेता हूँ, तुम अंकल को बोर मत करना... ठीक है। हमलोग करीब दो बजे बाजार चलेंगे"। विभा नाजों के साथ बोली, "ठीक है बाबा, जब उठना तो अंकल से ही पूछ लेना कि वो बोर हुए कि खुश हुए मेरे साथ", और यह कहते हुए वो अपने कमर को चलाते हुए अपना चूत उनके लंड पर रगड रही थी। मैं अब लेटने और आँख बन्द करने का नाटक करते हुए अपना ध्यान उनकी तरफ़ किये हुए था। विभा ने उनको फ़िर कहा, "लीजिए अंकल मैं अपना दुपट्टा खुद हटा देती हूँ, बाकी कपडा आप अपने हाथ से उतार कर मेरा बदन देखिए आज", और वो अपना दुपट्टा अपने छाती से हटा कर सोफ़े पर डाल दी। वो अब अपने बदन को अंकल के बदन से रगड़ रही थी और अंकल बेचारा हक्का-बक्का इस जवान लौंडिया के जलवे से भौंचक हुआ बैठा कुछ सोच रहा था। अंकल जी थोडा मेरे सामने सकुचा रहे थे, सो मैंने अपने आँख को बन्द करने का नाटक किया। विभा भी उनका संकोच समझ गई और फ़िर हिम्मत बढ़ाने के लिए खुद अपने हाथ से उनके हाथों को पकड़ कर अपने चुचियों पर रख दी और दबाई। अंकल भी अब इशारा समझ कर विभा की चुचिओं से खेलते हुए उसको चुमने लगे, जबकि किसी पोर्न-स्टार की तरह अपने कमर को हिला-हिला कर अपने चूत से उनके लन्ड को रगड़ रही थी, हालाँकि उन दोनों के बदन पर अभी भी कपड़ा था। फ़िर विभा उठी और उनकी तरफ़ पीठ करके उनकी गोदी में बैठी और अपने बालों को अपने हाथों से सामने की तरफ़ करके इशारा किया कि वो उसके कुर्ते की चेन(जिप) खोलें। अंकल ने उसकी कुर्ती की चेन खोल दी तो विभा आराम से अपने बदन से कुर्ता उतार दी। अब सलवार और ब्रा में वो फ़िर से उनके सामने चेहरा करके गोदी में बैठ गई और दोनों पुनः चुम्मा-चाटी करने लगे। अब अंकल थोडा रस ले कर चुम्मी ले रहे थे और अपना हाथ विभा के बदन पर घुमाने लगे थे, कभी पीठ तो कभी पेट, तो कभी कमर...। जल्दी ही उनके हाथ नीचे खिसक कर सलवार पर से ही विभा की जाँघ और सामने से उसकी चूत को भी सहलाने लगे थे। विभा अब उनके हाथ को पकड कर अपने सलवार के गाँठ पर रख दी। यह इशारा था कि वो अब उसकी सलवार खोलें। अंकल ने भी बिना समय गवाँए उसके सलवार की डोरी खींच दी और तब विभा थोड़ा सा उठी तो वो सलवार को नीचे खिसकाए। विभा के उस सेक्सी माइक्रो-पैन्टी की झलक पा कर अंकल एक बारगी सन्न रह गए तो विभा खुद सामने खड़ा हो कर अपने सलवार को अपने बदन से अलग कर दी। अंकल की नजर उसकी पैन्टी पर से हट ही नहीं रही थी। बस इसी समय विभा ने कमाल कर दिया।
उसने अपने पैन्टी में हाथ डाला और फ़िर चूत में से सेव का एक टुकडा निकाला, जो उसकी चूत की रस से भींगा हुआ था, और अंकल के मुँह की तरफ़ बढ़ाया। अंकल ने एक बार विभा को देखा तो वो बोली, "खाइए न, आपके लिए ही इसको दो घन्टा से अपने चूत में डाल कर पका रही थी। खा कर बताइए कि सही से पका है कि नहीं"। अब तो अंकल जैसे ठरकी को खाना ही था, वो बिना देर किए सेव का वो टुकडा खा गए, और विभा को खींच कर अपने गोदी में गिरा पर बेतहाशा चुमने लगे। उस सेव ने तो जैसे कमाल कर दिया था। विभा किसी तरह हँसते हुए उनसे दूर हुई और फ़िर वैसे ही पन्टी में हाथ डाल कर सेव का दुसरा टुकडा निकाल कर खाने के लिए दिया। इस टुकडे को खाने के बाद वो उम्मीद में थे कि विभा उनको और सेव खिलाएगी, पर विभा बोली, "बहुत हो गया, अब दूध पी लीजिए"। अंकल ने उसका इशारा समझा और फ़िर उसकी ब्रा उतार कर उसकी चुचियों को मसलते हुए मुँह में ले कर चुसने लगे। विभा के मुँह से सिसकी निकलने लगी थी और वो अब उसने बाहों में मचल रही थी, पर अपने कमर को उनके लन्ड पर नचाना बन्द नहीं किया था। बेचैन हो कर विभा अब उठी और फ़िर अंकल को साईड में करके सोफ़े पर खुद लेट गई और फ़िर अंकल को कहा, "मेरी पैन्टी खोलिए न अपने हाथ से, और फ़िर मेरी चूत को चूसिए, खुब जोर से।" अंकल ने भी जैसा वो बोली वो करने लगे। विभा ने अपने कम ऊपर उठा दिया तो उनको उसके बदन से पैन्टी उतारने में जरा भी परेशानी नहीं हुई और फ़िर एकटक विभा की साफ़, चिकनी चूत को निहारने लगे। विभा बोली, "कैसा लगा, यह नया रूप, उस दिन तो खुब सारे बाल थे, आज सिर्फ़ आपके लिए इसको साफ़-सुथरा की हूँ..., अब जल्दी से इसको चुम्मी लीजिए और चुसिए"। अंकल ने जैसे ही विभा की चूत से अपना मुँह सटाया, विभा ने अपने चूत को सिकोड़-फ़ैला कर भीतर से सेव का अंतिम टुकड़ा बाहर धकेला, और जैसे ही, हल्का सा वो बाहर दिखा, अंकल ने अपने जीभ से उसको सहलाते हुए बाहर निकाला और सीधे अपने मुँह में ले कर खाने लगे। विभा पूछी, "ऐसा नास्ता कभी किए थे पहले?" बेचारा ठरकी बोले तो क्या बोले... वो तो विभा से यही कहता जा रहा था कि आज तो उसने उसको अपने एहसान से खरीद लिया है"। विभा बोली, "आइए अंकल अब चोदिए मुझे, अब मेरे से बर्दास्त नहीं हो रहा है"। वो चट से अपना पैन्ट खोला कि विभा अपना जाँघ फ़ैला दी और अंकल का ७" का लन्ड विभा की चूत में घुस कर कहीं मस्त हो किलकारी मारने लगा। अंकल अब किसी कुत्ते की तरह हाँफ़ते हुए उसको चोदे जा रहे थे। विभा भी आँख बन्द करके अब अपनी चुदाई का लुत्फ़ लेने में मगन थी। करीब दस मिनट के धक्कमपेल चुदाई के बाद अंकल जब खलास होने को आए तो बोले, "अब मेरा निकल जाएगा विभा बेटा..., अब और नहीं रुको निकालने दो बाहर"। विभा ने उनके कमर के गिर्द अपनी टांगे लपेट दी और कहा, "मेरी चूत में ही निकाल लीजिए अंकल, समझ लीजिए कि आज आपकी सुहागरात है"। अंकल बेचारा पूरी तरह से सुना भी नहीं और हाँफ़ते हुए उसके ऊपर औंधे मुँह गिर पडा, उसका लन्ड अब विभा की चूत में ठुनकी ले रहा था और अपना माल से उसकी चूत को भर रहा था। विभा भी अब शान्ति से नीचे लेट कर उसके लन्ड की टनक का मजा ले रही थी, जब लन्ड ने ठनकना बन्द कर दिया तब विभा अपने चूत को सिकोड़-सिकोड़ कर लन्ड का सारा रस निकाल ली। अंकल का लन्ड अब सिकुडने लगा था सो वो अब विभा की चूत से बाहर फ़िसल गया। अंकल अब विभा पर से हट गए और उसकी खुली हुई चूत में ने निकल रहे सफ़ेद वीर्य को देख रहे थे, जो अब विभा की गाँड़ की छेद की तरफ़ बह चला था। विभा ने हाथ बढ़ा कर अपनी माईक्रो-पैन्टी उठाई और फ़िर उससे अपना चूत पोछने के बाद उस नन्ही सी पैन्टी को अपनी ताजा चुदी चूत के भीतर पूरी तरह से घुसा दिया और फ़िर दो-तीन पर चूत को भींच कर फ़िर आराम से धीरे-धीरे अपनी पैन्टी को बाहर निकाली और फ़िर नंगे ही टहलते हुए बेड के नीचे से एक पौलिथीन निकाल कर उस पैन्टी को उसमें पैक करके अंकल को दी। अंकल तब तक अपना कपड़ा पैन्ट पहन चुके थे, वैसे भी उन्हेंने तो सिर्फ़ अपना नीचे का ही कपडा खोला था और विभा को चोदे थे। विभा अब ब्रा पहन रही थी तो वो बोले, "वो ब्रा भी दे दो न, आज मार्केट में तुमको दुसरा खरीद दूँगा, पर इस वाले में तो तुम्हारे बदन की खुश्बू बसी हुई है, अनमोल है"। विभा मुस्कुराई और फ़िर उस ब्रा को भी अंकल को दे दिया और नंगी ही मेरे पास आ कर मुझे उठाने का नाटक की। उसको पता था कि मैं सोया नहीं हूँ, बस एक्टिंग कर रहा हूँ। मैं भी अब उठा और फ़िर उसके तरफ़ अधखुली नजरों से देखा तो वो बोली, "पूछ लीजिए अंकल से कि उनको मजा आया कि नहीं"। मैंने भी अब पूरी तरह से जगने का नाटक करते हुए कहा, "तुम्हारी हालत से पता चल रहा है कि अंकल को आज क्या सब मिला है", और मैंने अंकल की तरफ़ देखा जो कपड़े पहने हुए होने के बाद भी शर्म से लाल हुए जा रहे थे। विभा अब बोली, "मैं नहाने जा रही हूँ, अब तुम अंकल से बातें करो" और वो तौलिया ले कर नंगी ही बाथरूम में घुस गई।