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Desi छोटी बहन के साथ

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Desi छोटी बहन के साथ
rajbr1981 Offline
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#31
22-04-2016, 09:27 PM
तभी मैंने देखा कि एक और जोडा जो वहीं बैठा चुम्मा-चाटी में लगा था, उसमें से लडका हमारी तरफ़ आया। विभा सकुचा कर मेरे से अलग हो कर बैठ गई। मैं भी थोडा घबडाया कि यह लडका अपनी माल को छोड कर क्यों आ रहा है। उसने हमारे पास आ कर हमें नमस्कार किया। वो २७-२८ साल का सांवला, दुबला-पतला लडका था। उसने अपना परिचय दिया कि उसका नाम संदीपन है, विशाखापट्टन में हीं बैंक में काम करता है और वो अपने बीवी, रुमी, के साथ पुरी घुमने आया है। उसने फ़िर हमसे हमारा परिचय पूछा तो मैंने अपने को पटना का रहने वाला, विभा को अपनी पत्नी बताया और कहा कि हमलोग भी यहाँ घुमने आए हैं। फ़िर उसने अपने आने का उद्देश्य बताया और फ़िर एक अजीब प्रस्ताव रखा। उसने कहा कि वो चाहता है कि वो अपनी बीवी को चुदते हुए देखे। वो दोनों यहाँ पिछले दो दिन से आ रहे हैं और यहाँ जोड़ों को चुदाई करते देखते हैं। अब उसका मन था कि वो अपनी बीवी को ऐसे ही देखे सो आज वो यहाँ किसी ऐसे जोड़े के लिए इंतजार में बैठा था जो शक्ल-सूरत से थोडा उत्तर-भारतीय लगे औए जिससे फ़िर उन दोनों के मुलाकात की संभवना न के बराबर हो। उसने जब मुझसे यहा कहा कि वो चाहता है कि मैं उसकी बीवी को चोदूँ तो मेरा दिमाग झन्ना गया। मैंने एक नजर विभा पर डाली तो वो बोला, “ओफ़-कोर्स… अगर भाभी जी परमिशन दें तब…”। विभा का चेहरा देखने लायक था।


मुझे यह एक ऐसा मौका दिखा जो शायद मेरे जीवन में फ़िर न आए सो मैंने विभा से पूछा, “क्या बोलती हो?” पर वो तो चुप रही फ़िर सोंच कर बोली, “मुझे नहीं करना ऐसा कुछ…”। संदीपन तुरंत बोला, “नहीं.. नहीं भाभी जी, आप गलत समझ रही हैं… आपको कुछ नहीं करना बस मैं चाहता हूँ कि आपके मिस्टर एक बार रूमी के साथ सेक्स करें और मैं बैठ कर देखूँ। प्लीज भाभी जी, बस १५-२० मिनट लगेगा ज्यादा से ज्यादा”। वो चुप रही और नजर नीचे कर ली तो मैंने संदीपन से पूछा, “आपने अपनी वाईफ़ से पूछा है इस बार में, वो तैयार होंगी”। वो अब बोला, “हाँ… यहाँ से होटल जा कर हम जब सेक्स करते हैं तो खुब मजा आता, और जब बाद में मैंने उसको अपना इरादा बताया तो वो तुरंत रेडी हो गई”। मैंने एक नजर अब उसकी बीवी पर डाली जो हम सब से करीब १० फ़ीट दूर बैठी थी और हमारी तरफ़ देख रही थी। दुबली-पतली से लम्बी लडकी दिखी वो, गहरे रंग का सलवार-सूट पहने… रोशनी कम होने से नाक-नक्श इतनी दूर से साफ़-साफ़ नहीं दिखे पर लगी ठीक-ठाक। मैंने हाँ कह दिया और मेरा जवाब सुनते हीं वो रूमी तो इशारा किया और वो तुरंत उठ कर हमारी तरफ़ आ गई। उसने अपनी बीवी से हमारा परिचय कराया और फ़िर अपनी भाषा में उसको कुछ बताया जो मैं समझ नहीं सका। उसकी बीवी ने अपना दुपट्टा उतार कर उसको दिया और वो उस दुपट्टे को वहीं बालू पर बिछा दिया। जब रूमी उस दुपट्टे पर बैठने लगी तो मैंने कहा, “आप तैयार हैं इसके लिए भाभी जी?” तो उसने मुस्कुराते हुए अपना सर हाँ में हिलाया। रूमी बहुत दुबली थी, करीब ५’७” लम्बी जिस वजह से और ज्यादा दुबली लग रही थी। उसकी चुचियाँ बहुत बडी थी उसकी बदन की चौडाई के हिसाब से। ३६ साईज की पर ब्रा का कप सबसे लार्ज उसको फ़िट होता होगा। विभा थोडा से करीब २ फ़ीट पीछे खिसक गई थी जब दुपट्टा बालू पर बिछाया गया था। संदीपन उसी दुपट्टे पर बैठ गया था। मैंने विभा को गाल पर हल्के से चुम्मा लिया और फ़िर उस दुपट्टे पर रूमी के पास आया। उसने अपनी बाँहें फ़ैलाई और मैंने भी जवाब में उसको अपने सीने से लगा कर उसके होठ चुमने लगा। वो खुब मस्त हो कर मेरे चुम्बन का जवाब दे रही थी। मैंने अब उसकी चुचियों पर अपने हाथ फ़ेरने शुरु किए तो वो मस्त हो कर और जोर-जोर से चुमने लगी। मैंने अब उसको अपने बदन से अलग किया और फ़िर उसके पीठ पर अपने हाथ ले जा कर कुर्ते का हुक खोलने लगा।
यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।

छः हुक खुलने के बाद उसका कमर की चमड़ी मेरे हाथ से सटी। मैंने उसके कुर्ते को उसके बदन से अलग कर दिया। रूमी की बडी-बडी चुचियाँ सफ़ेद ब्रा में शान से सर उठाए खडी थी। मैंने उसके सपाट पेट पर हाथ फ़ेरते हुए अपने हाथ को उसके सलवार की डोरी को खोजा तो पाया कि उसकी सलवार में डोरी नहीं था बल्कि एलास्टीक था। मैंने उसकी सलवार को नीचे सरारा और उसने अपनी चुतड ऊपर उठा कर मुझे सहयोग किया। अगले कुछ पलों के बाद दुबली-पतली लम्बी रूमी चाँदनी रात में अपनी नंगी चूत के साथ मेरे सामने बैठी थी। उसने कोई पैन्टी नहीं पहना हुआ था। मुझे दिखाते हुए उसने अपने जाँघ खोले तो मुझे उसकी चिकनी चूत दिखी। वो मुस्कुराते हुए अपने हाथ को पीछे ले जा कर अपने ब्रा का हुक खुद खोली और ब्रा को बदन से अलग करके अपने चुचियों को दो बार खुब प्यार से सहलाया। मैंने उसको फ़िर से अपनी तरफ़ खींचा और कहा, “मस्त बौडी है मेरी जान….”। मेरी बात सुनकर उसने एक बार मेरी विभा को देखा फ़िर बोला, “आपकी बीवी भी सुन्दर है…. पर ठीक है, सब को दूसरे की बीवी अपनी वाली से अच्छी लगती है। संदीपन से पूछिए तो वो कहेगा कि आपनी बीवी ज्यादा सुन्दर है”। मुझे उम्मीद नहीं थी कि रूमी ऐसे खुल कर मस्त बोलेगी। मुझे तो मजा आ गया। मैंने उसे धीरे से दुपट्टे पर सीधा सुला दिया और उसकी बडी-बड़ी चुचियों पर पिल गया। मैं उन दोनों फ़ुटबौल को अपने दोनों हाथों से मसल रहा था और वो मेरे जोर को देख कर बोली, “धीरे-धीरे…. दर्द होता है”। मैंने उससे पूछा, “इत्ती बड़ी-बडी ऐसे पतले २०” कमर पर ले कर चलती कैसे हो?” उसने कहा, “२० नहीं २३” कमर है मेरी अब… शादी के पहले २२” की थी… अब भगवान जब ऐसा दे दिए हैं तो हमलोग क्या कर सकते हैं”। मैं अब उसकी चुचियों को चुस रहा था और वो सित्कारी भर रही थी। मेरा लन्ड मेरे प्जीन्स में फ़नफ़नाया हुआ था। मैंने जब उसकी चूत को चुसने के लिए अपना मुँह नीचे किया तो वो बोली, “मुझे भी लौलीपौप दीजिए न भाई साहब…”। मैं तुरंत उठा और अपने कपडे झटपट खोल दिए और अपना लन्ड उसके मुँह के सामने कर दिया। वो अब मुझे सीधा लिटा दी और फ़िर मेरे ऊपर ऐसे चढ गई कि उसकी पीठ मेरे चेहरे की तरफ़ हो गई। फ़िर वो झुकी और मेरे लन्ड को अपने मुँह में डाल कर चुसने लगी। उसकी चिकनी चूत अब मेरे चेहरे के सामने थी। काली-पतली लम्बी फ़ाँक देख मैं समझ गया कि वो 69 के चक्कर में हैं सो मैं भी उसकी चूत को चुसने लगा। मैं बीच-बीच में उसकी चूत में अपनी एक ऊँगली घुसा देता था। करीब ३-४ मिनट की चुसाई-चटाई के बाद वो मेरे ऊपर से उठी। वो अब पूरा से गर्म थी। उसकी कराह ने मुझे उसका हाल बता दिया था।



मैंने उसको पूरी तरह से उठने ना दिया और उसको जल्दी से पकड कर झुकाया तो वो अपने चारों हाथ-पैर के सहारे वहीं झुक गई और मैं अब उसके ऊपर चढ गया। पीछे से जब मैंने उसकी खुली हुई चूत में अपना लन्ड घुसाया तो वो सिसकार रोक न सकी। मैं अब मस्त हो कर रूमी को चोद रहा था। उसकी पीठ पर झुक कर मैं उसके बडे-बड़े गेन्दों को भी सहला रहा था। उसका पति संदीपन बगल में बैठ कर सब देख रहा था। विभा भी चुप-चाप हम दोनों की चुदाई देख रही थी। वो चरम-सुख पा कर अब थोडा शान्त होने लगी थी और मैं अभी भी जोश में था तो उसने अपने को मेरे नीचे से निकाल लिया और फ़िर मुझे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गई। उसने अपने हाथ से मेरा लन्ड पकड कर अपनी चूत में घुसाया और फ़िर ऊछल-ऊछल कर मुझे चोदने लगी। इस तरह से मुझे उसके गेंदों का ऊछाल देखने का भरपूर मौका मिल रहा था। तभी संदीपन ने कहा, “रूमी लेट जाओ, मैं आता हूँ अब”। रूमी अपने चूत में मेरा लन्ड फ़ँसाए हुए हीं मेरे ऊपर लेट गई। उसकी चुचियाँ मेरे सीने से लगी थी। अब संदीपन फ़टाक से ्कमर के नीचे नंगा हो कर आया और उसकी गाँड़ चाटने लगा। हम दोनों को अब थोडा आराम करने का मौका मिल गया था सो हम जोर-जोर से साँस लेने लगे थे। जल्दी हीं संदीपन उठा और उसकी गाँड़ में अपना लन्ड डाल दिया फ़िर उसने ऊअप्र से धक्के लगाने शुरु किए। अब रूमी की चूत में मेरा लन्ड था और उसकी गाँड में उसके पति का। हम दोनों के लन्ड उसकी दोनों छेदों की चुदाई करने लगे थे। बेचारी अब कभी-कभी दर्द से कराह देती थी। मैं भी अपने लन्ड पर संदीपन के लन्ड का दबाव महसूस कर लेता था जब वो धक्का देता। हम दोनों के लन्ड के बीच रूमी के बदन की एक पतली झील्ली ही तो थी। संदीपन जल्द हीं उसकी गाँड में झड गया और हट गया। तब मैंने रूमी तो पलट कर सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर से उसकी चुदाई करने लगा। मैं अब उसको चुमते हुए चोद रहा था। वो अब तक दो बार झड़ कर थक कर निढ़ाल हो गई थी और अपना बदन बिल्कुल ढीला छोड दिया था जैसे बेजान हो गई हो। मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर चढा लिया और फ़िर उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसल्ते हुए तेज धक्के लगाने शुरु कर दिए। चुचियों के मसलने से वो दर्द से बिलबिला गई थी पर मैं अब झडने के कागार पर था सो रुकने का नाम नहीं ले रहा था… घच्च घच्च घच्च घच्च थप-थप-थप… और मैं झड गया। मेरा सारा माल उसकी चूत में भर गया था।

मैं अब उसके ऊपर से हटा तो वो बेचारी दर्द से कराहते हुए पलट गई और एक-दो बार अपने जाँघ सिकोड कर थोड़ा तसल्ली की। फ़िर उसने अपने हाथों से आँसू पोंछते हुए कहा, “कितना जोर से दबा दिए थे मेरी छाती को, लगा कि प्राण निकल जाएगा… छीः”। मैंने उसको सौरी बोला, और अब जब होश में आकर सब तरफ़ देखा तो पाया कि एक और जोडा पास में खडा हो कर हम सब को देख रहा है। उस जोडे के लडके ने मेरे और संदीपन से हाथ मिलाया और लडकी रूमी और विभा से गला मिली। फ़िर वो लोग चले गए। उस समय अब सिर्फ़ हम सब ही बचे थे। मैंने घड़ी देखी तो पौने आठ बज गया था। विभा को अब यहाँ चोदने का समय नहीं था और मैं भी थक गया था। रूमी अपना कपडा पहन चुकी थी। सो हम सब एक-दूसरे से विदा ले कर अपने-अपने रास्ते निकल गए।बाहर ही खाना खा कर हम होटल आ गए। विभा कपडे बदलते हुए रूमी के बारे में बात कर रही थी कि कैसी गंदी थी वो। मैंने कहा, “मस्त थी… गंदी मत कहो उसको”। वो मुझे देख कर मुँह बिचकाई और चुप हो गई। आज मैं भी थक गया था और विभा भी सो तय हुआ कि आज का कसर कल निकालेंगे। वो समझ गयी कि अब कल तक के लिए वोह बच गयी है। सो थोडा निश्चिन्त हुई और बिस्तर पर सोने के लिए आई और मेरी गोदी में सिमट गई। मैंने प्यार से जब उसका माथा चूमा तब वो बोली, “भैया, आप भी बहुत गन्दे हैं… कैसे आप रूमा को चोद रहे थे? क्या सोच कर उसको ऐसे खुले में हम सब के सामने चोदे?” मैंने भी उसको प्यार से सहलाते हुए कहा, “देखो बहना… यह लन्ड और चूत के रिश्ते में कोई चीज नहीं होती है। जब उसका पति खुद बोला उसको चोदने के लिए तो मैं क्यों न कहता। वैसे भी रूमा जवान थी… माल थी… और चुदाने को तैयार भी थी”।
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rajbr1981 Offline
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#32
22-04-2016, 09:30 PM
अब वो बोली, “मतलब… अगर कल को कोई आया और बोला कि वो मेरे साथ … करेगा, तब आप उसको भी हाँ कह देंगे?” मैं उसका इरादा समझ गया और बोला, “अरे नहीं मेरी रानी बहना…, तू तो स्पेशल है मेरे लिए। कोई साला आँख भी उठाया तो उसका आँख निकाल देंगे…” मैंने उसको पुचकारा तो उसको तसल्ली हुई और फ़िर वो अपना चेहरा मेरे सीने से चिपका दी। मैंने अब उसको चिढाने के लिए कहा, “तुम्हारी प्यारी चूत तो सिर्फ़ मेरे लिए है बहना रानी… अभी तो उसको कम से कम साल भर चोदुँगा फ़िर एक साला हस्बैंड ला दुँगा जिससे फ़िर खुले-आम चुदाना”। वो सब समझी और बोली, “जैसे आप तो अभी सब छुप के कर रहे हैं… जब से किशनगंज से निकले हैं तब से लगातार मुझे बीवी बनाए हुए हैं… आपको शर्म नहीं आती, कैसे सब को कह देते हैं कि मैं आपकी बीवी हूँ और कितायदारे के यहाँ कैसे बोल दिए कि आप बिना शादी किए मुझे साथ लाए हैं और मेरे घरवाले साथ भेजे हैं… छी:”। मैंने हँसते हुए कहा, “अरे तो मजा आया ना… कैसे सब तुमको मौड समझ कर बीहेव कर रहे थे”। वो मुंह बनाते हुए बोली, “सब मुझे बेशर्म समझ रहे होंगे… कैसी लडकी है बिना शादी किए एक लडके के साथ घुम रही है और इसके घर वाले भी वैसे हीं बेशर्म है जो इसको ऐसे भेज देते हैं”। मैंने कहा, “अरे तो फ़िर इसमें गलत क्या है… बेशर्म तो तुम हो ही… अपने भैया से चुदाती हो, और तुम्हारे घर वाले ही सब साले ठरकी हैं हीं, तुम्हारी बहन ट्रेन में अपने भैया से चुदाती है और तुम दो महीना भाई का लन्ड चुसके मजा लेने के बाद एक होटल में भाई से चुदवाने में मजा लेती हो… अब तो सिर्फ़ तुम्हारा रंडी बनना बाकी है… बोल न मेरी बहना, बनेगी एक टौप की रंडी”। वो मेरा आशय समझ गई, और फ़िर मेरी नजर से नजर मिलाकर बोली, “अब क्या बचा है, इतना दिन से अपना इज्जत बचा कर रखे हुए थे, पर आप न मुझे फ़ँसा हीं लिए”, और मेरे होठ चूम ली।


मैंने भी उसको चूमा और कहा, “अभी रंडी कहाँ बनी हो मेरी जान… उसके लिए तुमको बेशर्म हो कर सब के सामने चुदाना होगा… तब जा कर रंडी की डीग्री मिलेगी मेरी बहना को… बोल न विभा, कब रंडी बनेगी?” वो चुप रही तो मैंने कहा, “कल से शुरुआत कर दो तो किशनगन्ज लौटने से पहले रंडी की डीग्री मिल जाएगी तुमको, अभी कुछ समय तो हमलोग पुरी में हैं हीं, और यहाँ मौका भी है”। वो करवट बदलते हुए बोली, “अब सोइए, आप अपनी मनमानी किए बिना छोडिएगा थोडे न… कल मेरा काँन्ख का बाल साफ़ कर दीजिएगा, स्लीवलेस पहनने में कैसा गन्दा लगता है, कल अंकल की नजर बार-बार मेरे काँख की तरफ़ जाती थी, जब मैं अपना हाथ उठा कर बाल चेहरे से हटाती थी, अब कल नाश्ते में सुबह उनके घर ही जाना है और और आप सब कपड़ा हीं मेरा स्लीवलेस रखवा दिए हैं।” मैंने भी उसकी पीटः से चिपकते हुए कहा, “अरे तो बढीया है न उस बुढे की लाईफ़ में थोडा रंग तो आया”। फ़िर हम वैसे ही चिपक कर सो गए।अब बस हम दोनों भाई-बहन और अंकल घर पर थे। मैंने मौका ठीक समझा तो कहा, “अंकल अगर आप बूरा न माने तो एक बात कहूँ…”। मैं और विभा अंकल के सामने एक ही सोफ़ा पर बैठे हुए थे। जब अंकल ने मुझे प्रश्नवाचक नजरों से देखा तो मैंने बेशर्म की तरह कह दिया, “रात में तो हम लोग थक कर सो गए थे, फ़िर सुबह मौका मिला नहीं और कुछ दिन में हम लौट भी जाएंगे… तो क्या करीब आधा घन्टा हम दोनों अकेले एक कमरे में जा सकते हैं”… कहते हुए मैंने विभा की कमर के गिर्द अपने हाथ लपेट दिया। अंकल समझ कर मुस्कुराए और फ़िर कहा, “ठीक है, पर आंटी के आने के पहले बाहर आ जाना…”। मैंने कहा, “बस घडी देख कर आधा घन्टा से ज्यादा नहीं लगेगा”। वो मुस्कुराते हुए हमे अपने बेडरूम में ले गए और बोला, “इस कमरे से बाथरूम अटैच है तो सुविधा होगी बाद के लिए”। मैंने थैन्क-यू कहा और फ़िर विभा को कमरे में खींच लिया। मैंने दरवाजा वैसे हीं छोड दिया, पर अंकल थोडा सज्जन थे, वो टीवी खोल कर बैठ गए।


विभा ने दरवाजे की तरफ़ इशारा किया तो मैंने कहा, “चल आ जल्दी से ऐसी ही न रंडी-गिरी की डीग्री मिलेगा तुमको”, और फ़टाफ़ट उसके कपडे उतार दिए। मेरा लन्ड तो कमरे में घुसते समय हीं लहराने लगा था सो मैंने उसको अंकल की बिस्तर पर लिटा कर उसकी झाँटों वाले चूत चाटने लगा, जल्दी हीं उसके मुँह से सिसकी निकलने लगी थी। मैंने फ़िर उसको सीधा लिटा कर चोदना शुरु कर दिया। थप्प-थप्प की आवाज होने लगी थी और मेरे धक्कों पर कभी-कभी विभा के मुँह से कराह निकल जाती… मुझे पक्का भरोसा था कि अंकल को हमारी चुदाई की आवाज सुनाई दे रही होगी। करीब ८ मिनट की धक्कमपेल चुदाई के बाद मैं उसकी चूत के भीतर हीं झड गया और मेरा सब माल उसकी बूर से बह निकला। मैंने अब अपने रुमाल से उसकी चूत पोछी, पर कुछ माल उसकी बूर में भीत्र ही रह गया। फ़िर जब हम कपडे पहनने लगे तो मैंने कहा, “ऐसे हीं बिना पैन्टी के ही जीन्स पहन लो, पैन्टी गन्दा हो जाएगा… अभी जब खडा हो कर चलोगी तो मेरा कुछ पानी तो तुम्हारे बूर से रिसेगा हीं बाहर”। विभा भी मेरा बात मान ली और फ़िर जीन्स सीधे पहन कर अपने पैन्टी को अपने जीन्स की जेब में ठुँस लिया। जब वो उठी तो मैंने देखा कि उसकी बूर का रज और मेरा वीर्य उस बिस्तर पर थोड़ा स लग गया था और करीब एक ईंच व्यास का गीला दाग बना दिया था।


फ़िर हम बाहर आ गए, कुल करीब ३८ मिनट हमने लिया था।अंकल हमे देख कर मुस्कुराए और कहा, “तुम दोनों का चेहरा देख कर लगता है बहुत मेहनत करना हुआ है जल्दी के चक्कर में”, फ़िर विभा को देखते हुए बोले, “इसका तो चेहरा लाल भभूका हो गया है जल्दी से पाने से चेहरा धो लो, वर्ना आंटी को सब समझ में आ जाएगा ऐसा चेहरा देख कर”। विभा तुरंत डायनिंग टेबूल के पास के वाश-बेसीन पर चली गई। हम दोनों मर्द एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराए। अंकल ने मुझे देख कर कहा, “बधाई हो…. मेरे बिस्तर पर लाल दाग तो नहीं लगा दिया”। मैंने कहा, “अरे नहीं अंकल, पहले से भी मेरे साथ सो रही है, ऐसी नहीं है… नहीं तो ऐसे शान्ति से सब होता कि रोना-चीखना भी होता”। मेरी बात सुनकर वो बुढा ठहाका लगा कर हँस पडा। विभा की कमर पर नजर गडाए हुए वो कहा, “इसकी पैन्ट कहाँ गई गुड्डू जी, कहीं बिना पैन्ट उतारे भीतर तो नहीं उसको ठेल दिए…”, अब फ़िर से हम दोनों का जोरदार ठहाका लगा। मैंने कहा, “नहीं, उसकी जेब में है…. अभी पहनती तो गन्दा हो जाता न, सब भीतर ही था जब हम हटे थे”। वो समझ गया और बोला, “बहुत गजब का है वो पैन्ट भी”। तभी विभा अपना चेहरा तौलिया से पोछती हुई वहाँ आई तो मैंने उसको कहा, “डार्लिंग डीयर… जरा अपना पैन्टी अंकल को दिखाओ न, बेचारे के टाईम में ऐसा तो होता नहीं था”।
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विभा तो शर्म से लाल हो गई पर उसने बिना हिचके अपने जेब से उस छोटी सी लाल पैन्टी को जेब से निकाल कर अंकल के हाथ में दे दिया और उस ठरकी बुढे ने उस पन्टी को ऊलट-पुलट कर खुब प्यार से देखा और फ़िर कहा, “हमारी ऐसी किस्मत कहाँ थी कि ऐसी को लडकी की कमर से उतारते…, कभी फ़ोटो में भी किसी को ऐसी चीज में नहीं देखा”। मैंने तब कहा, “डार्लिंग एक बार अंकल को जल्दी से पहन कर दिखा ही दो, बेचारे को इतनी कीमत तो देनी ही चाहिए, आखिर हम उनका बिस्तर इस्तेमाल किए हैं”। विभा को अपना झाँट को ले कर कन्फ़्युजन था, पर मैंने अंकल को कह दिया, “अंकल असल में बेचारी अपना बाल साफ़ की नहीं है सो ऐसा खुले में पहनना चाह नहीं रही है, वो तो कमर पर ऐसी डोरी दिखाने के फ़ैशन के चक्कर में पहन ली थी”। अंकल को जब मौका मिल रहा था यह सब देखने का तो बोले, “अरे तो कोई बात नहीं है, मुझे तो यह पैन्ट देखना है कि कैसी लगती है बाकी चीज थोदे न देखना है”। उनकी मुस्कुराहट सब कह रही थी तो मैंने विभा को इशारा किया और वो अंकल के हाथ से पैन्टी ले कर फ़िर से कमरे की तरफ़ मुडी तो मैंने कहा, “इस पैन्टी को पहनने के लिए कहीं जाने की क्या जरुरत है, यही पहन लो… वैसे भी जैसे अंकल ने नोटीस किया ऐसे ही आंटी भी तुम्हें बिना पन्टी के देख कर बेचारे अंकल का जीना हराम कर देगी”। हम दोनों हँस पडे और विभा समझ गई कि मेरी इच्छा है कि वो वहीं हमारे सामने पैन्टी पहने। उसने फ़ट से अपने जीन्स की बट्न को खोल कर उसको उतार दिया और उसकी झांटों भरी चूत हम दोनों के सामने थी। मैं खुश था कि विभा मेरा कहा मान कर बेशर्म की तरह मेरा सहयोग कर रही थी। अंकल ने अपनी जेब से रुमाल निकाल कर कहा, “पोछ कर साफ़ कर लो फ़िर पहनना…”, विभा भी आराम से अंकल के रुमाल सफ़ेद रुमाल में अपनी चूत को पोछी और फ़िर अपने फ़ाँक को थोडा खोल कर भी साफ़ किया। रुमाल पर उसकी चूत का गीला पन अपना दाग बना दिया था। फ़िर उसने पैन्टी पहन ली।


अंकल की नजर लगातार सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी बूर पर थी। विभा ने फ़िर जीन्स पहन लिया तब जा कर अंकल को होश आया। वो अब आराम से बैठे और कहा, “थैन्क यू”, उनकी साँस गर्म हो गई थी और वो रुमाल को ले कर अपने जेब में रख लिए। मैंने कहा, “अब यह रुमाल तो शायद नहीं धुलेगा…”। अंकल ने भी हँसते हुए कहा, “सही कह रहे हैं गुड्डू जी आप, अब यह बिल्कुल नहीं धुलेगा… आज जो हुआ वह रोज थोडे न होता है जिन्दगी में। यह आज का यादगार रहेगा”। हम हम दोनों हँस पडे और विभा मुस्कुरा दी। फ़िर हम बातें करने लगे। करीब १० मिनट बाद आंटी आ गयी और हम सब नाशता-वाश्ता करके करीब ११.३० में अंकल के साथ हीं उनकी गाड़ी से निकले, वो हमें होटल में ड्रौप करते हुए औफ़िस चले गये। विभा रूम में पहुंच कर नकली नाराजगी दिखा रही थी कि मैंने क्यों ऐसा व्यवहार किया था अंकल के सामने। फ़िर उसने कहा कि अब वो सोएगी, तो मैंने भी उसको परेशान नही किया और सोने दिया। वो बेड पर सो गई और मैंने टीवी खोल लिया। फ़िर आधे घन्टे बाद मैं भी अलग बिस्तर पर सो गया।करीब दो घन्टे बाद तीन बजे हम दोनों लगभग साथ साथ उठे। विभा ब जिद करने लगी कि अब मैं उसका बाल बना दूँ, वर्ना वो मेरे साथ कहीं नहीं जाएगी। मैंने भी रुम सर्विस को चाय का आर्डर करते हुए हाँ कह दिया और फ़िर मैंने बाल्टी में पानी गर्म करने को लगा दिया, कहा कि दो मिनट रेजर को पानी में उबाल देता हूँ, नया ब्लेड नहीं है अभी… तुम तब तक तैयार हो जाओ”। वो खुश हो कर बिस्तर से उठी और चट से अपने कपडे उतार कर नंगी हो गई। ऐसे उसको नंगी होते देख कर मुझे खुशी हुई, विभा सेक्स का खेल खेलने मे अब थोड़ा खुलने लगी थी। विभा आराम से नंगी बिस्तर पर अधलेटी हो कर अपने झाँटों से खेल रही थी। जैसे हीं मैं रेजर ले कर बाथरुम से बाहर आया कि दरवाजा नौक हुआ, “चाय”, बाहर से आवाज आई। विभा घबडागई तो मैंने चट दुसरे बिस्तर से चादर खींच कर उसपर उछाल दिया और फ़िर दरवाजे की तरफ़ बढा। जब मैंने दरवाजा खोला तो एक १८-२० साल का लडका चाय और बिस्किट की ट्रे लिए सामने खडा था।


तब तक विभा चादर से अपने बदन को ढक चुकी थी, हडबडी में उसने चादर लम्बाई के बजाए चौडाई में ओढ ली थी सो उसके पैर लगभग घुटनों तक बाहर हो गए थे, जो उसकी मजबूरी थी वर्ना उसकी चुची उघड जाती। चाय जिस टेबुल पर रखा जाता वहाँ उसने अपने कपडे उतार कर रख दिए थे सो वेटर बिस्तर के बगल में रखे टेबुल के पास जा कर सकपका कर खडा हो गया। विभा अब थोडा संभलते हुए अपना एक हाथ चादर से बाहर निकाली और चादर को अपने गले से नीचे अपनी छाती तक कर लिया और फ़िर ठीक से काँख से चादर को दबा कर अपने एक हाथ को फ़ैला कर कपडे हटाने लगी। उसको अपने काँख के बाल को भी उस लडके की नजर से बचाना था। इसके लिए वो हाथ कम फ़ैलाई और थोडा सा उस दिशा में घुमना भी पड़ा था पर इससे चादर उसके बदन से खिसका और उसका पूरा पीठ और कमर नंगा हो गया। उस लडके की नजर विभा के बदन पर एक बार फ़िसली और उसका हाथ काँप गया। विभा अब फ़िर से हडबडा कर चादर पकडी और फ़िर अपने काँख की चिन्ता छोड कर वो किसी तरह से फ़िर से अपने बदन को ढकी और फ़िर टेबुल से कपडे हटाए तो वेटर चाय वहाँ रखा और फ़िर सकपकाते हुए सर नीचे किए हुए बाहर निकल गया। मैंने हँसते हुए कहा, “क्या से क्या हो जाता है”। वो भी अब चादर बदन से फ़ेंकते हुए बोली, “चाय के बारे में तो मैं भूल हीं गई थी, …. बेचारा क्या सोच रहा होगा”। मैंने कहा, “छोडो साले को… साला का दिन बन गया आज”।

यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
फ़िर विभा आराम से नंगी हीं चाय बनाई और फ़िर वैसे हीं मेरे सामने बैठ कर मेरे साथ चाय पीने लगी। मुझे याद आया, मेरी माँ कहती थी कि अगर एक बार लडकी की शादी हो जाते है तो उसमें आत्मविश्वास बढ जाता है, मुझे लगा वो कहना चाहती थी कि अगर लडकी चुदा कर अपना कुँवारापन खो देती है तो उसमें आत्मविश्वास आ जाता है। चाय पीने के बाद मैंने पहले उसकी काँख के बाल साफ़ किए और फ़िर उसकी चूत पर से झाँट को पहले कैंन्ची से काट कर छोटा कर दिया और फ़िर उसकी झाँट को साफ़ कर दिया। उसकी चिकनी चूत एकसम से बदल गई थी। पहले और अब उसकी चूत की शक्ल में कोई तुलना ही नहीं था। वो अब किसी बच्ची के चूत की तरह दिख रही थी साफ़, चिकनी और मुलायम। विभा इसके बाद उठी और नहाने चले गई। मैं भी साथ में हीं नहाने के लिए बाथरुम में घुस गया। नहाते हुए ही मैंने उसको कह दिया कि आज उसको फ़िर से मैं वहीं समूद्र किनारे बालू पर ले जाऊँगा। वो समझ गई और सलवार-सूट पहनते हुए बोली, दुपट्टा काम आएगा वहाँ बालू पर बैठने में। हम करीब ५ बजे कमरे से निकले।रास्ते में चलते हुए मैं सोच रहा था कि अब विभा को कुछ ऐसे चोदना है कि वहाँ का बाकी जोड़ा अपना चुदाई छोड कर विभा की चुदाई देखे। मैंने विभा को कह दिया कि वहाँ वो मुझे पुरा सहयोग करे और बिन्दास चुदे, बिना कोई फ़िक्र। वो बोली, “अभी तक आपको परेशानी हुई है…. जो कहे सब कर रही हूँ। जैसा कपड़ा बोले… पहनी, जब जैसा कहे… की। यहाँ ऐसे खुले में सब के सामने करते इतना लाज लगेगा फ़िर भी आपके लिए अभी तैयार हुई की नहीं। आपको क्या लगता है कि मैं आपको निराश करुँगी। मम्मी-पापा के बाद आप हम सब को इतना मेहनत से और प्यार से पाले हैं। आपकी शादी के लिए कैसे सब जोर दे रहे थे माँ के मरने के बाद की घर में ३ लडकी है कैसे रहेगी, पर अगर आप शादी कर लेते और भाभी के साथ अलग हो जाते तब हम लोग कहाँ जाते।” उसकी आँख डबडबा गई थी, यह सब कहते। मैंने उसको कहा, “पगली यही सब सोचती हो… तुम लोग को पाले तो क्या इसीलिए तुम चुदवा रही हो। मैं प्यार नहीं करता क्या? सिर्फ़ चुदाई का हीं रिश्ता हमारे बीच नहीं है। यह सब मत सोच… मेरी बहन। अब चट-पट मेरी जान बन जाओ…. यहाँ अभी तुम बहन नहीं हो मेरी, कोई दया नहीं करने वाला मैं…” और मैंने उसको आँख मारी। वो हँसने लगी… तो मैंने कह दिया, “यहाँ तो मैं अपनी जान को रंडी बनाने के लिए लाया हूँ”। वो बोली, “चुप… बदमाश… गुंडा कहीं का”। हम दोनों हँस दिए। बीच पर पहुँचते-पहुँचते ६ बजने लगा था और सूर्यास्त के बाद का हल्का सा रोशनी अब था। उस चाय की दुकान पर फ़िर हम दोनों पहुँचे तो उस लडके ने पहचान कर पूछा, “कल कोई परेशानी नहीं हुई न… कुछ हो तो बताना”। मैंने उस लडके को २०० रु० देते हुए कहा, “पीछे खाली है?” वो मुस्कुराते हुए बोला, “खाली होता है ऐसा जगह… अभी भी दो या तीन होगा, अब लोग के आने का समय हुआ है… जाओ, ८ बजे का टाईम याद रखना।” मैं अभी बात कर हीं रहा था कि दो और जोडा आ गया। दोनों दक्षिण भारतीय लग रहे थे, एक तो ४० पार का जोडा था और एक जवान जोडा था विद्यार्थी टाईप। हम सब एक दुसरे पर नजर डाले और लगभग साथ-साथ झोपड़ी के पीछे चल दिए। पीछे दो और जोडा था।


एक अपनी चुदाई खत्म कर चुका था और लडकी खडा हो कर अपनी साड़ी पहन रही थी, जबकि लड़का पास में सिर्फ़ अंदरवीयर पहन कर बैठा था, शाय्द वो एक बार और चुदाई करने के लिए आराम कर रहा था। दुसरा जोडा का चुदाई चल रहा था। लडकी आँख बन्द करके लेटी थी और अपना चेहरा अपने हथेली से ढकी हुई थी। घरेलू नौकरानी टाईप की थी २० के आस पास की और उसके जाँघ को अपने हाथों से फ़ैला कर एक दुबला-पतला मरीयल सा करीब ४० साल का मर्द उसको चोद रहा था। उसको हमारे आने से कोई फ़र्क नहीं पडा था। हमारे साथ का जवान जोडा एक तरफ़ अलग आगे बढा और फ़िर साईड में बैठ कर एक दुसरे को बाँहों में भर कर चुमने लगा। हमारे साथ वाले अंकल-आंटी भी अपना जगह खोज लिए और शान्ति से बैठ कर कभी समुद्र तो कभी उस चुदाई कर रहे जोडे को देखते थे चुप-चाप। शायद उन्हें अंधेरा होने का इंतजार था। मैं विभा का हाथ पकड कर उस चुदाई कर रहे जोड़े की तरफ़ बढ गया। हमारे साथ वाले दोनों जोडे भी ऐसी जगह बैठे थे कि उनको चुदाई करते देख सकते थे और थोडा दूर थी। पर मैंने जो जगह चुना वो ऐसा था जैसे मैं विभा को दिखाना चाहता था सब। मैं विभा का हाथ पकड़े उन चुदाई करते जोडे से २’ की दूरी पर जा कर उनपर भरपूर नजर डालते हुए बैठा और फ़िर विभा को भी बैठने का इशारा किया। उस लडकी को चोद रहे लडके अपना धक्का रोक कर एक नजर हम दोनों पर डाली तो उस लडकी ने भी अपना हाथ चेहरे से हटा कर आँख खोल कर देखा। हम सब की नजरे मिली। उसी समय मैंने विभा को कहा कि वो अपना कपड़ा उतारे और मैं भी अपने शर्ट की बटन खोलने लगा। हमें अपने चुदाई की तैयारी करते देख उस मर्द ने थोडा निश्चिन्त हो कर अपना लन्ड बाहर निकाला और लडकी से पलटने को कहा। लड़की की चूत झाँटों से भरी हुई थी, जैसा कि गरीब नौकरानी टाईप लडकियों का होता है। उसका केवल सलवार खुला था और वो अपना कुर्ता पहने हुए थी। वो पलट गई और तब उस मर्द ने उसको पीछे से चोदना शुरु किया। मैं अपना आधा बदन नंगा किया तब तक विभा भी अपना कुर्ता उतार दी थी। वो काली ब्रा पहने हुए थी नई वाली। घुटने पर बैठ कर वो अपने सलवार का डोरी खींचने वाली थी कि मैं उसको अपने बाँहों में भर लिया और होठ चुमने लगा। मुझे पक्का यकीन था कि सब अब हमें भी देख रहे हैं। मैं तिरछी नजर से इसकी जाँच भी की और फ़िर विभा को खड कर दिया और उसकी सलवार उतार दी। काली नन्ही सी पैन्टी में विभा का सिर्फ़ फ़ाँक ढ़का हुआ था और वो उस ब्रा-पैन्टी में मस्त माल दिख रही थी। उस जगह १० लोग थे, पर वो अकेली खडी थी। जब वो बैठने लगी तब मैंने उसको वैसे ही रुकने को कहा और भर नजर उसकी खुबसुरती को देखने लगा। शाम के रोशनी में मैंने विभा का सुनदर गोरा बदन को खुब निहारा सामने बैठ कर और बाकी सब को भी खुब मौका दिया कि वो लोग भी विभा की जवानी का रस पान करें। फ़िर मैं उठा और उसको सीने से चिपका कर चुमते हुए उसके ब्रा का हूक खोला, फ़िर चुचियों को सहलाते हुए अपने हाथ पेट से कमर पर घुमा कर उसको अपने कमर से सटाया। इसके बाद मैं घुटनों क बल बैठ गया जैसे नमाज पढते समय लोग बैठता है और उसकी पैन्टी की डोरी पकड कर नीचे खींच दिया। उसका मक्खन जैसई चिकनी चूत शाम की हल्की रोशनी में दमक उठी। उसी समय मेरे बगल में चोद रहे मर्द ने अपना माल उस नौकरानी के चूत में निकाल दिया और और गुस्सा करने लगी। फ़िर दोनों अपना-अपना कपड़ा पहनने लगे और अब वो दोनों मेरी विभा को भरपूर नजर से देख रहे थे। उस शाम की रोशनी में भी मुझे विभा का चेहरा शर्म से लाल होता हुआ दिखा। मैंने नजर घुमाई तो देखा कि सब मर्द लोग अपनी अपनी लडकी के कपडे उतारते हुए चुम्मा-चाटी कर रहे हैं। मैंने विभा को हिम्मत दिया, लोग पर ध्यान मत दो, सब अपने काम में लगे हैं, तुम भी अपने काम में लगो।मैं विभा को वैसे ही खडा रखे हुए उसकी चोत पर अपना मुँह चिपका दिया और उसकी चिकनी चूत को चाटने लगा। बिना झाँट के उसकी चूत मक्खन-मलाई का मजा दे रही थी।जल्दी ही वह उत्तेजना से सिस्की लेने लगी। बाके के सब लोग भी आपने खेल के साथ बीच-बीच में हम दोनों का भी खेल देख रहे थे। विभा वहाँ मौजुद सब माल में सबसे हिट थी। उससे अब रहा नहीं जा रहा था तो वो वो बैठने लगी मैं भी अब अति उत्तेजित हो गया था, सो मैंने उसको बैठने दिया और खडा हो कर अपना पैन्ट खोल दिया और नंगा हो गया। मेरा लन्ड अपना पूरा ७’ का शक्ल ले चुका था। लाल सुपाड़ा चमक रहा था। मैंने उसको अपना लन्ड चुसने को कहा, जब मैंने देखा कि वो अंकल अपना लन्ड आंटी से चुसा रहे हैं और हमारे तरफ़ देख रहे हैं। वो विद्यार्थी जोडा अब चुदाई शुरु कर दिया था। लड़का नीचे लेटा हुआ हम दोनों को देख रहा था और लडकी उसके लन्ड की सवारी कर रही थी।

The End
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#33
17-07-2016, 09:34 PM
छोटी बहन के साथ Restart


विभा पर उस महौल का सर हुआ और फ़िर वो भी खुलने लगी। यह सब देख कर जोश में भर कर मैंने विभा को दो पानी चोदा। बेचारी थक जाने के बाद भी मेरे खुशी के लिए मेरे ईशारे पर नाच रही थी। शुरु की उसकी हिचक अब पूरी तरह से दूर हो गई थी और वो बिना किसी लाज-शर्म के अब एक असल कुतिया की तरह चुद रही थी। करीब दो घन्टे की मस्ती के बाद अब मेरा भी बुरा हाल हो गया था सो अब हम दोनों भी थक कर शान्त हो गए और फ़िर वहाँ से निकल लिए। उस रात कमरे में हम दोनों नंगे ही सोए, इतना थक गए थे कि आज रात चुदाई का सवाल ही नहीं था। सुबह-सुबह विभा ने मुझे जगाया और फ़िर एक जोरदार चुम्बन के बाद हम दोनों बिस्तर से बाहर निकले और नहा-धोकर मंदिर निकल गए। दिन भर घुम-घाम कर शाम को फ़िर से समुद्र किनारे पहुँच गए चुदाई करने के लिए।



आज वहाँ कोई नहीं था, सो विभा और मैं आराम से अपने कपडे खोले और फ़िर एक-दूसरे से चिपट कर चुम्मा-चाटी करने लगे। तभी वहाँ दो जोडा आया, वो सब हमलोग की तरह ही २०-३० के बीच की उम्र के थे। वो सब हम दोनों को नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए देख कर हाथ हिला कर हमें विश किया और फ़िर हमलोग से करीब १० फ़ीट बगल में अपने बैग से चादर निकाल कर बिछाने लगे। लडके सब इंतजाम कर रहे थे जबकि लड़कियाँ साथ-साथ बात करते हुए अपने कपड़े उतारने लगीं। वो सब लोकल ओडिसा के हीं थे और ऊड़िया में आपस में बात कर रहे थे। दोनों लडकियाँ जब नंगी हो गई तो दोनों चादर कर लेट गई और फ़िर उन दोनों लड़कों ने अपनी-अपनी लडकी की चुतड़ों को सहलाते हुए उनकी गांड़ की छेद को चाटना शुरु कर दिया। दोनों आपसे में खिलखिला कर बाते कर रही थीं जबकि दोनों लडके लगातार उनकी गाँड़ से खेल रहे थे। मैं समझने लगा कि दोनों आज इन लड़कियों की गाँड मारेंगे। मैंने विभा के यह बात कहा तो वो भी देखने लगी। उस समय विभा मेरे ऊपर चढी हुई थी और मेरे लंड को खुब मजे से अपनी चुत में घुसा कर मजा दे रही थी। हम दोनों अब अपनी चुदाई का खेल रोक कर अब उन दोनों को देख रहे थे। हमलोग को ऐसे देखते हुए देख कर एक लडके ने हमें देखते हुए ऊड़िया में कुछ कहा तो मैंने कहा कि हमें यह भाषा नहीं आती, हम बाहर से आए हैं। अब एक हिन्दी में बोला, "ब्रदर ऐसे क्या देख रहे हो? अपनी वाली से मजा लो न"। मैंने भी हाँ कहा और फ़िर विभा को अब नीचे लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और फ़िर उसकी चूत में लंड डाल कर चोदने लगा। विभा की मुँह से सिसकी निकलने लगी थी। मैं अब विभा को चोदते हुए अपनी नजर उन लोगों पर भी गराए हुए थे। अचानक बैग से क्रीम निकाल कर दोनों लडकों ने अपनी-अपनी लड़कियों की गाँड में लगाते हुए अपना बीच वाला ऊंगली घुसा दिया। लडकियाँ चिहुँक रही थी, पर दोनों आराम से अपनी ऊँगलियों से उनकी गाँड़ की छेद को खोल रहे थे। थोड़ा क्रीम, फ़िर ऊँगली... थोडा क्रीम, फ़िर ऊँगली... करते हुए अब तक दोनों लड़कियों की गाँड़ अब तक दो ऊँगली घुसवा ली थी।


अब दोनों लडकों ने अपने कपड़े खोलने शुरु किए जबकि दोनों लडकियाँ एक-दूसरे की गाँड़ को खोले हुए थी। दोनों लड़कों ने फ़िर अपने-अपने लंड पर क्रीम चुपड़ा और फ़िर उन लडकियों को घोडी बना कर पीछे से चढ गए। दोनों लड़कियाँ अब गाँड़ में घुसते लंड के दर्द को बर्दास्त करते हुए हल्के-हल्के चीख रही थी। पर दो मिनट में सब ठीक हो गया और अब दोनों मजे से अपनी हथेलियों पर सर टिका कर अपना गाँड़ हवा में ऊठाए उन दोनों लड़कों से गाँड़ मरवा रही थी। करीब १२-१४ मिनट की गाँड़ मराई के बाद जब लडके झड़े तो दोनों बालू पर अपना माल गिराए और फ़िर दोनों लडकियों ने उनके लन्ड पोछते हुए हमारी तरफ़ देखा, और मैं तब विभा की मुँह में अपना माल निकाल रहा था। जब लडकों ने विभा कि ऐसे मुँह में गिरवाते और निगलते देखा तो वो भी अपनी लड़कियों को ऐसा करने को बोले, तो दोनों ना करने लगी। यह सब देख कर एक लड़के ने मुझे कहा, "तुम लकी हो ब्रदर..."। मैंने भी हँसते हुए कहा, "लकी तो तुम लोग हो यार, यह तो अपनी गाँड़ छुने भी नहीं देती।" तब एक लडकी ने विभा को कहा, "क्यों सिस्टर..., जब सेक्स करना ही है, तो पूरा मजा लो न। अभी तो ये लोग प्यार से करेंगे, शादी के बाद तो पूरे अधिकार से बिना कुछ सोचे और चिन्ता किए पूरे जोर-जबर्दस्ती से करेंगे, तो पहले से करवाते रहने से खुला रहेगा तो परेशानी कम होगी।" मैंने अब उससे कहा, "बात तो तुम बिल्कुल सही कह रही हो बहन, पर यह माने तब न..."। तभी एक लड़के ने कहा, "बहन.... हा हा हा... क्या किस्मत है तुम्हारी कनक, दो भाई के रहते तुम गाँड मरवा रही हो"। अब कनक नाम की लडकी बोली, "और दीक्षा भी तो, उसे भी तो अपने भाई के सामने गाँड मराना पर रहा है", और उसने बगल में बैठ कर लन्ड साफ़ कर रही लडकी के गाल पर चिकोटी लेते हुए बोली। अब वो लडका हमारी तरफ़ आया और फ़िर मुझसे हाथ मिलाते हुए बोला, "मेरा नाम राजन है, और यह कनक है, मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड और मेरे दोस्त विजय की बहन (उसने उस दूसरे लडके की तरफ़ इशारा किया, और विजय ने हाथ हिला कर मेरा अभिवादन किया)... और वो जो विजय के साथ लड़की है वो मेरी बहन पूजा है (पूजा ने अपने हाथ जोड कर मुझे नमस्ते कही)। हम दोनों दोस्तों ने एक-दूसरे की बहन को गर्ल-फ़्रेन्ड बनाया हुआ है"।


वो अब पास में थोड़ा सिकुड कर नंगी बैठी विभा को देख रहा था। मैंने अब उससे अपना परिचय दिया, मेरा नाम गुड्डू है और मैं बिजनेस-मैन हूँ। यह विभा है मेरी छोटी बहन... हम बिहार से यहाँ घुमने आए हैं। मैं इससे शादी तो कर नहीं सकता, तो इसको गर्ल-फ़्रेन्ड भी नहीं कहूँगा, पर जो है तुम सब देखे ही..."। राजन ने अब जोर का ठहाका लगाया और फ़िर उसने अपनी टीम को हमारे पास ही बुला लिया और फ़िर उन लोगों ने बैग से बीयर निकाल कर बाँट लिया। मुझे और विभा को भी दिया, और थोड़ा हिचकते हुए विभा ने कैन पकड़ लिया तो मैं खुश हुआ। विजय अब चीयर्स किया, "हमारे नए दोस्तों के नाम"। हम सब अब बीयर पीते हुए बात करने लगे। विजय बोला, "यार ७ महिना से हमलोग का ऐसा संबंध है, पर अभी तक हमलोगों ने अपनी-अपनी बह्न नहीं चोदी कभी। बल्कि सच तो यह है कि अभी तक हमने कभी और किसी के साथ सेक्स नहीं किया है और हम लोग जब सेक्स करते है साथ में करते हैं"। मैंने अब चुटकी ली, "मतलब अभी तक ब्रह्मचारी ही हो"। अब पूजा बोली, "क्या मतलब?" अब मैंने मजाक करते हुए कहा, "जब तक एक लडकी से संबंध है तब तक तो ब्रह्मचारी ही कहलाओगे"। अब राजन बोला, "कोई बात नहीं, हम लोग को अपना ब्रह्मचर्य खोलने के लिए कुछ करना थोडे है, बस लडकी को पलट लेना है, यह तो कभी भी हो जाएगा"। कनक अब बोली, "और फ़िर भैया से रिश्ता बदल जाएगा..." मैंने बात काटते हुए कहा, "हाँ, बहनचोद... बन जाओ तो तुरंत ब्रह्मचर्य खत्म..."। हम सब हँसने लगे। विभा की चिकनी चूत देख कर राजन बोला, "कनक, देखो विभा का... कैसा साफ़ चमकदार है, तुम हो कि हमेशा कैंची से ही काट लेती हो"। मैंने अब गौर किया कि दोनों लडकियों की चूत पर खुब बाल थे, करीब आधा इंच के और दोनों लडके अब मेरी बहन विभा की चिकनी चूत को देख रहे थे। विभा उन दोनों को ऐसे अपनी चूत निहारते देख कर अपने पैरों को और ज्यादा सिकोड रही थी। मुझे यह सब देख कर मजा आ रहा था सो मैंने और मजा लेने का सोच कर विभा की जाँघ पर अपना हाथ रखते हुए विभा से कहा, "विभा, दिखाओ न आराम से खोल कर... तुम्हारे चूत की अभी बडाई ही हो रही है और मैंने थोडा ताकत लगा कर विभा की जाँघों को खोल दिया और उसकी चिकनी चूत अब चाँदनी में चमक उठी।
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rajbr1981 Offline
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#34
21-07-2016, 01:08 AM
राजन से रहा न गया और उसने कह ही दिया, "क्या मक्खन चूत है तुम्हारी बहन के पास दोस्त, जी कर रहा है कि चूम लूँ"। मैंने विभा के अकबकाहट की परवाह किये बिना कह दिया, "अरे यार तो चूम लो न, विभा को भी नया मजा मिलेगा"। मेरी तरफ़ से हरा सिग्नल मिलते ही राजन चट से आगे बढा और नीचे झुकते हुए विभा की चूत से अपना मुँह सटा दिया। मैंने विभा को हल्के से इशारा किया और वो थोड़ा हिचकते हुए पीछे झुकती हुई सीधा लेट गई और अपने घुटने मोड कर अपनी जाँघों को खोल दिया। राजन अब आराम से उसकी चूत चाटने लगा। विभा अब अपने पेट को हल्के से कभी-कभी सिकोड रही थी, मतलब उसको अब मजा आ रहा था। राजन ने तब अपना चेहरा उठाया और कहा, "यार चिकनी चूत का स्वाद ही अलग होता है" और विभा की चूत में ऊँगली घुसा कर उसके चूत के रस से सराबोर ऊँगली को चाटने लगा। उसके दोस्त विजय ने अब उसको हटाते हुए कहा, "हटो जरा, अब मुझे स्वाद ले कर देखने दो" और अब विजय मेरी बहन विभा की चूत में अपनी जीभ घुसा कर उसके रस को जोर-जोर से चूसने लगा। विभा के मुँह से सिसकी निकल ही रही थी, साथ में विजय के जोर-जोर से चूसने से विभा की चूत के पास से भी किस्म-किस्म की आवाज हो रही थी। राजन की बहन पूजा, जो विजय की गर्लफ़्रेन्ड थी, ने कहा, "अगर आपको इसका स्वाद इतना अच्छा लगता है तो मैं कल पक्का अपना पूरा साफ़ कर दूँगी, फ़िर उसने अपने भाई राजन से पूछा, "भैया, आपके पास नया रेजर है न?" राजन ने कहा, ’मैं क्यों दूँ, तुम विजय से लो रेजर... स्वाद उसको लेना है न"। विजय अब विभा की चूची सहलाते हुए कहा, "यार दे देना उसको, मैं कनक को दे दूँगा अपने पास से, तो तुम भी चिकनी का स्वाद ले लेना अगली बार..."। कनक ने विभा की चूत पर अपना हाथ फ़ेरा और उससे पूछा, "रेजर से साफ़ करने में कटेगा तो नहीं न?" विभा अब तक मस्त हो चूकी थी, वो बोली, "मैं तो कभी साफ़ की नहीं, हमेशा भैया ही मेरी साफ़ कर देते हैं... तुम भी अपने भैया को बोल देना साफ़ करने के लिए, उनको रेजर चलाने का अभ्यास होगा, नहीं कटेगा"।

राजन अब बोला, "असल में हम दोनों ने कभी अपनी-अपनी बहन की चूत छुई भी नही है, अभी यह कमीनापन किया नही है आज तक"। मैंने हँसते हुए कहा, "तो कर लो ना यह कमीनापन भी... बहन को गाँड मराते देखते ही हो"। राजन ने जवाब दिया, "अरे तो जब वह पूजा की गाँड मारता है तब बदले में मैं भी तो उसकी बहन कनक की गाँड़ मार देता हूँ ना। जब वो मेरी बहन चोदता है तब मैं उसकी बहन चोद देता हूँ। हिसाब बराबर..."। मैंने अब हँसते हुए कहा, "कैसे बेवकूफ़ हो यार तुम दोनों, तुम्हारी बहनों को मस्ती है बिना हिचक चुदा रही है और तुम लोग हिसाब बराबर करने में लगे हो। तुम्हारी बहन दूसरे से चोदे और तुमलोग खुद सिर्फ़ देखो, अजब मुर्ख हो यार तुम दोनों भी"। इस बार सब लड़कियाँ खिल्खिलाकर हँस पडी और अचानक विभा बोली, "अगर आप लोग अभी मेरे सामने अपनी-अपनी बहन को चोद लेंगे तो मैं कल आप दोनों से चुदा लूँगी, मुझे भी अब किसी अलग टाईप के लन्ड की चाह होने लगी है"। मुझे इस बात की उम्मीद नहीं थी कि विभा ऐसा गन्दा भी बात सोच सकती है। मैं देख रहा था कि पिछले दो-चार दिनों में ही साली छुईमुई लड़की से रंडी बन गई थी। विजय ने अब अपनी बहन कनक से पूछा, "क्या बोलती हो कनक तुम अब...? कनक ने मुस्कुराते हुए कहा, "मतलब, अब आपका भी मन हो रहा है...मुझे तो इसका पहले से आशंका लग रहा था, पर आज तो बहुत देर हो गया है"। राजन भी बोला, "हाँ, आज तो अब कुछ नहीं हो पाएगा... कल का रक्खें प्रोग्राम?’ वो अब विभा से यह बात पूछ रहा था। वो अब थोड़ा असमंजस में थी, तो मैंने अपनी तरफ़ से कह दिया, "कल आप सब आओ न हमारे होटल के कमरे में। वहीं हम सब करेंगे आराम से"। पूजा इस सब में थोड़ा हिचक रही थी, सो अभी की बात को टलते देख चट बोली, हाँ यही ठीक रहेगा। कल तक हम सब आराम से सोच भी लेंगे, इसके बारे में"। राजन ने अपनी बहन पूजा को देखते हुए कहा, "अब क्या सोचना है इस बारे में... अब तो मुझे यही सोचना है कि कल लगातार दो-दो बार अलग-अलग चूत को चोदने की ताकत कैसे बचाई जाए, आज रात केसर वाला दूध पीना होगा"। हम सो उसकी बात सुनकर हँसने लगे, और फ़िर कपडे पहने लग गए। फ़िर मैंने उन सब को अपने होटल का पता दिया, आपस में नंबरों का आदान-प्रदान किया और फ़िर कल चार बजे का टाईम तय कर अपने-अपने रास्ते निकल गए।
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suraj_2008g Offline
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#35
21-07-2016, 02:10 PM
Mast hai update karo
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rajbr1981 Offline
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#36
22-07-2016, 12:13 AM
Hi Bees,

Participate in our running en.roksbi.ru VIDEOS Banner Contest 2016

Please ignore if already participate.


Good-luck
rajbr1981
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rajbr1981 Offline
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#37
24-07-2016, 12:16 AM
अगले सुबह हम दोनों नास्ता करके टीवी खोल कर टाईम-पास करने लगे। विभा अचानक से बोल पडी, "आप भैया बहुत गन्दे हैं, और मुझे भी अपने जैसा बना दिए"। यह बोलते हुए वो मुस्कुरा रही थी तो मैंने बुरा नहीं माना और पूछा, "क्यों, क्या तुमको यह सब करते हुए मजा नहीं आता है... अगर ऐसा है तो फ़िर हम नहीं करेंगे"। विभा बोली, "नहीं यह बात नहीं है, पर कभी-कभी लगता है कि आखिर हैं तो आप मेरे भैया... और यह सब आपस में... सब लोग तो ऐसा नहीं करते"। मैंने बात को हल्के से लेते हुए कहा, "क्यों सब नहीं करते यह बात ठीक है, पर हम अजूबा भी नहीं हैं। बाप-बेटी, माँ-बेटा... और बाकी के रिश्तेदार भी... सब आपस में सेक्स करते रहते हैं। कल देखी न राजन-पूजा और विजय-कनक को... वो लोग भी तो भाई-बह्न ही हैं"। मेरी बात को लगभग काटते हुए विभा बोली, "हाँ, पर वो लोग आपस में नहीं यह सब करते हैं, दोनों की बहनें भाई के साथ नहीं दोस्त के साथ करती हैं, जबकि हमदोनों सगे भाई-बहन हैं"। मैंने कह दिया, "अरे तो क्या हुआ,

उनकी इच्छा शुरु से थी, बस हिम्मत नहीं थी। तुम देखी कल, जरा सी हिम्मत दी मैंने तो दोनों चट अपनी-अपनी बहन को चोदने के लिए तैयार हो गए, वो भी यहाँ हमारे सामने। तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम उन लोगों के लिए उदाहरण हो कि सगी बहन भी अपने भाई से चुदा सकती है"। एक तरह से मैं विभा की बड़ाई कर रहा था, तो वो थोडा खुश होते हुए बोली, "मतलब, अब आप अपने जैसे लोगों की संख्या बढाने में लग गए हैं"। मैंने उसको बाहों में भर कर चुम्बन लेते हुए कहा, "हाँ, बहनचोद युनियन का प्रेसीडेन्ट जो बनना है मुझे।" विभा ने मुझे अपने से दूर करते हुए कहा, "हटो भी अब, आज चार बजे अगर वो दोनों अपनी-अपनी बहन को चोदने के बाद कहीं मुझे पूछे तो फ़िर उन दोनों से मुझे भी चुदाना पडेगा। लगातार दो बार के लिए ताकत भी तो बचा कर रखना है। आपको तो कई लडकी का स्वाद मिला हुआ है, मेरे लिए यह पहला मौका है कि किसी दूसरे के साथ यह सब करुँगी"। मैंने उसके उत्साह को बढाते हुए कहा, "हाँ... सो तो है। वैसे टेस्ट बदल कर तुम्हें अच्छा ही लगेगा। सब लन्ड अलग किस्म के होते है, और सब लडकों के धक्का का तरीका भी अलग-अलग होता है तो तुम्हें भी मजा आएगा। वैसे आज मुझे भी अपना ताकत बनाए रखना है"। दोपहर में खाने के बाद हम करीब दो घन्टे सो गए और करीब साढे तीन में जगने के बाद हम दोनों ने चाय रूम में मँगवा कर पी और फ़िर उन सब का इंतजार करने लगे।


करीब ४:१० पर वो लोग आ गए। विभा ने हल्के पीले रंग का सलवार-सूट पहना हुआ था। संयोग ऐसा था कि वो दोनों लडकियाँ भी सलवार-सूट में ही थी। कनक का सफ़ेद पर लाल प्रिन्टेड था जबकि पूजा ने हल्के हरे रंग का प्लेन सूट पहना हुआ था। राजन ने कहा, "अब क्या?" तो मैंने कहा, "कुछ नहीं, अगर लडकियों को आपत्ति न हो तो, हम जिस काम के लिए यहाँ जमा हुए हैं वो तो होना ही चाहिए। एक घन्टा के करीब लगेगा, फ़िर हम साथ में घुमने निकलेंगे और साथ में डिनर करेंगे, और क्या?" फ़िर मैंने रूम-सर्विस को आर्डर किया कि वो १० बीयर के कैन और कुछ स्नैक्स कमरे में भेज दे। राजन ने पूजा की तरफ़ देखते हुए कहा, "पूजा बीयर नहीं पीती है..."। तब विजय बोला, "यार... अज पी लेगी, तुम फ़िक्र ना करो। आज स्पेशल डे है..."। उसकी बात का मतलब समझ कर हम सब हँस पडे। तब तक बीयर और काजू रूम में आ गया। मैंने तीन कैन खोले और फ़िर एक-एक तीनों लडकियों को देते हुए कहा, "अब इसी से सब अपने-अपने भाई के साथ पीओ, झूठा पीने से प्यार बढता है।" मैंने पूजा और कनक को गौर से घुरते हुए कहा, "आज तो वैसे भी तुम दोनों को विशेष प्यार मिलेगा अपने भाई का"। दोनों मेरी बात का मतलब समझते हुए मुस्कुराई, और एक-एक सिप बीयर के ले कर कैन अपने-अपने भाई को दे दी। दोनों लड़कों ने दो-तीन घुँट पी कर फ़िर से अपने बहनों को दे दिया। अब वो दोनों भी सही घुँट भर ली, मैंने और विभा ने अब तक अपना कैन खाली भी कर दिया। तभी विभा बोली, "अच्छा है, अब कौन पहले शुरु करेगा?" पूजा को बीयर पसंद नहीं आ रहा था शायद सो वो अपना कैन अपने भाई राजन को देते हुए बोली, "सब को तो करना ही है, चलो भैया हमलोग ही पहले कर लेते हैं, फ़िर आराम से देखेंगे इन लोगों को", कहते हुए उसने अपने बदन से अपना सफ़ेद दुपट्टा हटा कर कुर्सी पर रखते हुए उठी और बिस्तर पर बैठ गई। राजन ने भी आराम से अपने बीयर को खत्म करके अपने शर्ट खोलते हुए बिस्तर की तरफ़ बढा। दोनों अगले की पल एक-दूसरे को बाहोँ में कस कर एक-दूसरे को चूमने लगे थे। थोडी देर के बाद राजन ने खुद को अलग किया और फ़िर अपने कपडे खोलने लगा। एक मिनट भी नहीं लगा होगा कि वो पूरा नंगा हो गया। उसका ६" का लन्ड अपने पूरे शबाब पर था।
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suraj_2008g Offline
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24-07-2016, 10:05 AM
Bahot chhota update tha...
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rajbr1981 Offline
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27-07-2016, 09:15 PM
उधर विजय भी अब अपनी बहन कनक को पीछे घुमा कर उसकी कुर्ती की जिप खोलने लगा था। मेरी नजर कनक की नंगी हो रही पीठ से लगी थी। कल जब मैंने उसको देखा था तो रात था, पर आज पूरी रोशनी में नजारा देखने क मजा ही कुछ और था। बिना किसी हिचक के कनक ने अपने पीठ पर से अपने बालों को एक तरफ़ कर दिया जिससे विजय को उसकी ब्रा खोलने में सहुलियत हो। कनक अब खुद खड़ी हो गई और अपने सलवार को अपने पैरों से नीचे कर दिया। उसकी चूत चमक ऊठी। उसने पैन्टी नहीं पहनी थी और आज उसकी चूत बिल्कुल साफ़ थी। वो अब अपने चूत को सहला रही थी। तभी विभा बोली, "वाह आज तो तुम भी साफ़ करके आई हो..."। कनक ने मुस्कुराते हुए कहा, "सब भैया की कृपा है"। राजन का ध्यान अब अपने प्रेमिका कनक पर गया। अभी तक वो अपनी बहन पूजा की चूचियों को कपडों के ऊपर से मसलने में लगा हुआ था। राजन ने कनक की चिकनी चूत को देख कर कहा, "वाह... कितनी सुन्दर दिख रही है, बिल्कुल नई सी" और वो चट से आया और कनक की चूत को झुक कर चूम लिया। विभा तुम्रंत बोली, "नहीं - नहीं, कोई गडबड नहीं, आज आप दोनों अपने बहन को चोदेंगे पहले तब मैं आप दोनों से चुदाऊँगी।" हम लोग हँसने लगे और तब राजन ने पूजा को कहा, "चल पूजा, जल्दी से तैयार हो"। कमरे के महौल ने सब पर असर डाला था सो पूजा भी गीली हो गई चूत को चट से सलवार और पैन्टी खोल कर चमकाने लगी। उसकी चूत पर कल की तरह ही बाल थे। मैंने उसके बदन को घुरते हुए कहा, "पूरा बदन दिखाओ ना जान..."। पूजा मेरी बेसब्री देख कर खुश हुई और फ़िर चट से अपने बाकी कपडे उतार कर नंगी हो गई। अगले २ मिनट के अंदर दोनों दोस्त अपनी-अपनी बहन की चूत में अपना लन्ड घुसा चुके थे और उनकी बहन आज पहली बार अपने भाईयों के लन्ड का स्वाद अपने निचले होठ से लेने में मशगुल थी। दोनों की आँखें बन्द थी और जब उनके भाई अपने लन्ड का धक्का उनकी चूत में लगाते थी तो हल्की सी कराह उनके मुँह से निकल रही थी जो बताती थी कि दोनों मस्त हैं। करीब ३-४ मिनट चोदने के बाद दोनों ने अपनी बहनों के चूत से लन्ड बाहर निकाल कर उनको पलटने का इशारा किया और फ़िर अपनी-अपनी बहनों को घोडी बना कर पीछे से उनकी चुदाई करने लगे। विभा ने एक नजर मुझ पर डाली, और फ़िर धीमे से बोली, "आपके टीम में लोग अब बढ़ने लगे हैं"। मैंने भी तपाक से उत्तर दिया, "क्यों, तुम्हारी टीम में भी तो... तुम भी तो सगे भाई से चुदाने वाली टीम की लीड़र हो"। हम दोनों भाई-बहन अब हँसते हुए सामने चल रही चुदाई के दृश्य का मजा लेने लगे। करीब २ मिनट की चुदाई के बाद विजय ने पहले हाँफ़ते हुए कनक की चूत से अपना लन्ड बाहर निकाला और फ़िर अपनी बहन कनक की गाँड के पास लन्ड सटा कर झड गया। कनक भी अब तक थक चुकी थी। इसके बाद, राजन ने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ाई और फ़िर एक जोर के आह के साथ अपना लन्ड अपनी बहन पूजा के चूत से बाहर खींचा और लन्ड भी बाहर निकलते हुए ही पिचकारी छोडने लगा। चारों बिस्तर पर थक कर निढ़ाल हो कर पड़ गए।


हाँफ़ते हुए राजन ने अब विभा से कहा, "अब तुम तैयार हो जाओ... अब तो तुमको भी शर्त के मुताबिक हम दोनों से चुदाना होगा"। विभा मुस्कुराते हुए बोली, ’हाँ याद है शर्त... पर पहले तुम में से कोई सही तरीके से टाईट तो हो ले, मैं भाग थोडे ना रही हूँ कहीं"। मैंने आज विभा का मूड देख कर समझ लिया कि अब विभा एक दम से सही वाली चुदक्कड माल बन गई है। मुझे विभा के इस तरह से ऐसे चट-पट बदल जाने की उम्मीद नहीं थी, पर विभा का यह रूप मुझे बहुत पसन्द आया। राजन अब अपनी प्रेमिका कनक के पीठ पर से उसके भाई विजय का वीर्य साफ़ करने लगा। विजय का लन्ड अभी भी उसकी बहन कनक सहला रही थी सो विजय का अब कडा होने लगा था। पूजा अब बिस्तर से उठ कर पानी पीने लगी तो मैंने उसको अपनी तरफ़ खींच लिया और वो धम्म से मेरी गोदी में नंगी ही बैठ कर पानी पीने लगी। विजय अब मेरी बहन विभा की तरफ़ बढ़ा और बोला, "लो अब तुम इसको थोड़ा सा और कड़ा कर दो कि यह फ़िर से लडकी चोद सके। विभा ने चट उसके लन्ड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। विजय का लन्ड कभी चूसा नहीं गया था, सो वो तो मजा से भर गया। मैं देख रहा था कि विभा खुब प्यार से उसके लन्ड को चूस-चाट रही थी। मैंने अब पूजा से कहा, "तुम भी चूस के देखो मेरा लन्ड", पर उसने साफ़ मना कर दिया कि उसको यह चूसना बहुत गन्दा लगता है। मैंने उसको विजय और विभा को दिखाते हुए कहा, "देखो कैसे विजय को खुशी मिली है जब उसका लन्ड चूसा जा रहा है, इसमें गन्दा जैसा कुछ नहीं है। लड़की को लन्ड चूसने जरूर आना चाहिए"। पर पूजा अब भी नहीं मानी तो मैंने उसको सामने खड़ा कर लिया और उसकी गीली चूत चाटने लगा। लग रहा था कि जैसे ये लोग मुख-मैथुन कभी नहीं करते थे, सो पूजा पहली बार अपने चूत की चुसाई से हद तरीके से गीली हो गई थी। वैसे भी उसको अभी-अभी उसका भाई राजन चोदा था सो उसकी चूत खुब गीली हुई थी और मैं उसकी फ़िलसन वाली चूत के नमकीन स्वाद का मजा ले रहा था। अब तक राजन भी बिस्तर से उठ कर विभा से लिपट कर उसके कपडे उतारने लगा था। उन दोनों लड़कों ने जल्द ही मेरी बहन विभा को पूरा नंगा कर दिया तो वो अब बिस्तर की तरफ़ बढ गई और उसके पीछे राजन और विजय भी अपना लन्ड फ़नफ़नाए चल दिये। उन सब को बिस्तर पर आया देख कर कनक बिस्तर के एक तरह हो गई और उन तीनों को देखने लगी।
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urpussysucker Offline
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27-07-2016, 09:17 PM
Nice Updates dude! claps claps Thankyou
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