• HOME
  • AWARDS
  • Search
  • Help
Current time: 29-07-2018, 11:19 PM
Hello There, Guest! ( Login — Register )
› XXX STORIES › Hindi Sex Stories v
« Previous 1 ..... 6 7 8 9 10 11 12 ..... 61 Next »

Desi चोरी मेरा काम

Verify your Membership Click Here

Pages ( 13 ): « Previous 1 ..... 8 9 10 11 12 13
Jump to page 
Thread Modes
Desi चोरी मेरा काम
deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#121
23-07-2016, 08:06 PM
लेकिन तभी कोई हाथ उसकी पैरों के पास चादर में अंदर घुस गया।
उसने रोकना चाहा पर मैंने टोका- जानेमन, यह मैं हूँ। तुम्हारी पिंडली छू रहा हूँ।
लेकिन असल में यह प्रकाश की हरकत थी।
‘नहीं, नहीं…’ उसने रोकने के लिए हाथ बढ़ाए।
मैंने उसके ना ना करते मुँह पर एक चुम्बन ठोक दिया, वह ठगी-सी रह गई।
मैंने पूछा- बताओ, यह कौन था?
अंजलि के हाथ आँखों पर से पट्टी हँटाने के लिए उठे मगर सुषमा-प्रकाश ने एक एक हाथ पकड़ लिया।
मैंने जोड़ा, “नहीं, नियम नहीं तोड़ना है। लो, फिर से बताओ।
कहते हुए मैंने उसे फिर चूमा, इस बार दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़कर देर तक चुम्बन दिया।
वह मेरे चुम्बन को पहचान गई।
अब उसके विरोध को कमजोर करने के लिए उसके स्तन सबसे जरूरी थे, मैंने एक हाथ से उसका एक स्तन थामा और दूसरे पर सुषमा को बुला लिया।
दोनों मिल कर उसके रसीले आमों को दबा-दबा कर चूसने के लिए तैयार करने लगे।
प्रकाश ने होटल की चादर उसके बदन पर से धीरे धीरे खींच दी, ब्लाउज और साए में औरत का दृश्य तो यों ही मादक होता है, उभरा वक्ष, नंगे पेट की तहें, उसके नीचे साए का बंधन, उसके अंदर नंगे पैर – रसीली योनि का साम्राज्य!
प्रकाश अभी तो अंजलि के पैरों को कपड़े पर से ही सहला रहा था लेकिन उस अकेली पतली परत के जाने में कितनी देर लगेगी।
मेरी उत्तेजना पैंट के बंधन में कसमसाने लगी।
लेकिन असली कसमसाहट तो अंजलि में हो रही थी। उसकी उम्म.. उम्म.. बोलने की कोशिशों को मैं अपने मुँह में दफन कर दे रहा था।
यह एक तरह से जबरदस्ती थी, लेकिन मेरी नजर में वाजिब हद के भीतर। औरत सहमति देती है मगर खुलकर और आसानी से नहीं, उसे प्रायः एक जबरदस्ती की आवश्यक खुराक देनी पड़ती है।
मैंने उसके मांसल स्तनों को पहले कितनी बार सहलाया था मगर आज और ही बात थी। आज उसे नए सिरे से महसूस कर रहा था – मुलायम और लचीले, और भरे-भरे, दबाने पर बच्चों की तरह अंदर से ठेलते। उन्हें नंगे करके चूचुकों पर मुँह लगाने के बाद तो अंजलि के बेबस हो जाने की गारंटी थी। पति होने के नाते मैं उसकी कमजोरी जानता था।
हमारी कोशिशें बेकार नहीं जा रही थीं। प्रकाश अंजलि के पैरों को कभी साए के ऊपर से, कभी उसके अंदर घुस कर सहला रहा था। अंजलि बचाव में पैरों को आगे-पीछे कर रही थे जिसे देखकर मुझे उनके उत्तेजना में बिस्तर की चादर पर रगड़ खाने का खयाल आ रहा था। मैंने हल्के से ही उसके एक पाँव को अपने पाँव से नियंत्रित कर लिया।
अंजलि समझ चुकी थी कि हम तीनों ने उसे खेल खेल में फंदे में ले लिया है। उसके हाथ-पाँव पकड़ रखे हैं। लगातार हो रहा चुम्बनों, स्तन-मर्दन, टांगों के बीच गुदगुदी के हमलों को वह कहाँ तक संभल पाएगी। उसकी तेज चलती साँसों और चेहरे की लाली में गुस्सा और उत्तेजना दोनों की भूमिका था।
मैं कोशिश कर रहा था उसमें गुस्से की भूमिका घटाने की।
जाएगी कहाँ… होंठों और स्तनों पर के अनुभवों को इनकार कर सकना उसके लिए मुश्किल था, असंभवप्राय! वह बेहद संवेदनशील अंगों वाली औरत थी।
मुझे गर्व हुआ। यह तेज साँस छोड़ती, मेरे होंठों के नीचे उम्म उम्म करती, उड़हुल की तरह चेहरा लाल कर रही औरत मेरी है। वह जितना असहाय हो रही थी उतनी ही मुझे उत्तेजना हो रही थी।
लगा इसे रस्सी से बाँध दूँ और सब मिलकर उसके साथ संभोग करें।
सुषमा ने देखा, अंजलि मेरे चुम्बन स्वीकार कर रही है। उसने उसका हाथ छोड़ दिया और उसकी पीठ पर ब्लाउज के बटन खोलने लगी। अंजलि ने हुमक-सी मारी पर मैंने उसे आलिंगन में बाँध रखा था।
उसने पीठ सिकोड़ी मगर इससे उल्टे ब्लाउज का कपड़ा ढीला होकर बटन खोलने में मददगार हो गया।
बटन खोलकर सुषमा ने ब्रा का हुक भी खोल दिया। ओह, यह हुक खोलना मेरी प्रिय चीज थी। पर ‘समाज’ के लिए मैंने इस व्यक्तिगत सुख का त्याग कर दिया।
ब्लाउज के नीचे ब्रा का सफेद फीता हल्का सा नम था। कपों के नीचेवाली पट्टी में स्तनों के बोझ से लम्बाई में पड़ी समानांतर सिलवटें थीं। ब्लाउज पीठ को खोलकर यूँ झूल गया था जैसे ड्यूटी समाप्त कर निश्चिंत पड़ गया हो।
यौन सुख का नशा जल्दी ही अंजलि पर तारी होने लगा, उसकी आहें निकलने लगी, होंठ काँपने लगे।
सुषमा ने उसकी हालत देखकर अपने हाथ में पकड़े उसके हाथ को मेरे सिर पर लाकर जमा दिया। अंजलि का दूसरा हाथ स्वयं मेरे सिर पर आ लगा।
बला का चुम्बन, बला की बीवी, बला का लुत्फ़।
आज उसी चिरपरिचित पत्नी की साँस की गंध में कोई और ही एहसास था, आज उसकी लार में कोई और ही मिठास थी। हथेली के नीचे उसकी छातियों के ऊपर नीचे होने में कोई और ही अनुभव मिल रहा था। लेकिन मैं याद रखे था- आज यह स्वाद मुझे नहीं लेना है, किसी और को दिलाना है। आज मैं उसे किसी और के लिए लाया हूँ। एक बार यह फूल अपना मधु किसी और भंवरे को दे दे।
मधु से मुझे अंजलि के निचले होंठों का ध्यान आया। पैरों को आगे-पीछे करने से साया जाँघों के ऊपर चढ़ जाता था, जिसे अंजलि पैरों के बीच दबाकर रोकने की कोशिश करती थी। निश्चित रूप से प्रकाश को पैंटी की झलक मिल रही होगी।
चोली और ब्रा खुलकर स्तनों पर झूल रहे थे और लेकिन उन्हें हटाकर नंगे स्तनों को थामने की जल्दबाजी मैंने नहीं दिखाई। सुषमा भी उसे सतर्क नहीं करना चाहती थी।
उसने धीरे धीरे अंजलि के कंधों से चोली और फिर ब्रा को भी खिसका दिया। अंजलि के मुँह पर मेरा मुँह जमा था सो उसने कंधे उचकाकर बचने की कोशिश की लेकिन सुषमा ने उसकी रीढ़ पर उंगली फिराकर उसे मीठी गुदगुदी देते हुए निष्फ़ल कर दिया।
अंजलि के कंधों के उघड़ते ही उसके बदन की पसीने मिली खास गंध मेरे नथुनों में और बढ़ गई।
सुषमा ने उसके गीले कंधे पर होंठ फिराए… पता नहीं अंजलि को यह बुरा लगा या अच्छा! शायद वह इसे महसूस भी नहीं कर पाई। मुझे अच्छा लगा कि सुषमा को पसीने से एतराज नहीं था।
धीरे धीरे मैंने अंजलि को पीछे की तरफ झुकाना शुरू कर दिया। सुषमा ने सिरहाने तकिया लगा दिया। नीचे प्रकाश अंजलि की ‘चरण-सेवा’ में लगा हुआ था, हालाँकि साया चरणों से बहुत ऊपर उठ चुका था और पैंटी से ढँकी ‘देव-प्रतिमा’ साया के अंदर से लुकाछिपी खेलती भक्त के धैर्य की परीक्षा ले रही थी।
मैंने मन ही मन कहा- लगे रहो वत्स। हम हैं ना। ‘भग-वान’ अवश्य दर्शन देंगे।’
‘ओ अंजलि…’ खुशी से भरकर मैं एक बार उसके चेहरे के ऊपर फुसफुसाया। उसके होंठ उत्तर में फुसफुसाए, लेकिन मुझे शब्दों में कुछ नहीं सुनना था। यह जो आज हो रहा था यह मेरे कितने लम्बे इंतजार में चल रहे सवालों का जवाब ही तो था। अंजलि का एक-एक ‘चीर-हरण’, उसकी एक-एक हरकत, बाद में आनेवाले रति-क्रिया के दृश्य मेरे सवालों के उत्तरों से सिलसिले ही तो होंगे।
प्रकाश ने उसकी साए की गाँठ की डोरी खींची। रेशमी धागे की सरसराहट की मीठी आवाज मेरे मोहित मुग्ध मन में अंकित हो गई। यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
मैंने उसे बाँहों पर लेते हुए बिस्तर पर लिटा दिया, सुषमा ने कमर में खींच खींचकर साए की डोर को ढीला किया।
इस दौरान प्रकाश उसके पैरों को पकड़कर उनकी बगावत को शांत किए रखा, हालाँकि बगावत में कुछ खास दम नहीं बचा था।
डोर पर्याप्त ढीली होने के बाद सुषमा ने उसकी कमर के नीचे हाथ डालकर नितंबों को उठाने के लिए प्रेरित किया और प्रकाश ने साए को नितंबों से खींचकर झटके के साथ पैरों से बाहर निकाल लिया।
मुझे बड़ी इच्छा हुई कि इस अनमोल घटना को किसी वीडियो कैमरे में कैद कर लेते।
मेरी पत्नी कमर से नीचे नंगी थी। दुनिया की नजरों से सदा छिपे रहने वाली टाँगें इस समय ‘खुलकर’ अपनी खूबसूरती बिखेर रही थी। गोरी चमकती जांघें, उनके बीच के उभार पर तनी गुलाबी पैंटी, बीच में अंदर की विभाजक रेखा का आभास।
गोल घुटने, जाँघों से नीचे क्रमशः मोटाई खोती पिंडलियाँ, टखनों से नीचे भरी एड़ियाँ, नेल पॉलिश से चमकती उंगलियाँ।
एक जोड़ी सुंदर स्त्री पाँव! अगर कोई पुरुष इस पर मर न मिटे तो उसका जीना बेकार है।
मैंने अपने भाग्य पर गर्व किया।
‘या देवी सर्वभूतेषु कामनारूपेण संस्थिता’ … हे देवी तुम सभी जीवों में कामना बनकर मौजूद हो।
मैंने उस देवी की आँखों पर से पट्टी उतार दी — कि वह अपने मुग्ध कर देनेवाले सौंदर्य को खुद भी देख सके…
पर वह आँखें कसकर बंद किए थी।
सुषमा ने उसकी ब्रा और चोली उतार दी। अब अंजलि के तन में, और मन में भी, कोई बाधा नहीं बची थी। हमने उसके स्तनों को सम्हाल लिया। सुषमा के साथ मिलकर अंजलि के स्तनों को चूसना, चूमना, सहलाना, एक दूसरे की देखादेखी हाथों में लेकर मसलना बहुत अच्छा लग रहा था।
अंजलि ही सुषमा को मेरे नजदीक लाने में माध्यम बन रही थी।
अंजलि कसमसा रही थी।
हमने उसके हाथों को खुला छोड़ दिया था ताकि वे यौनोत्तेजना को प्रकट कर सकें। वे कभी छटपटाते थे, कभी हमारे सिरों को सहलाने लगते, कभी परेशान होकर हमारे चेहरों को स्तनों पर से हटा देते।
हम खुद भी अंजलि को ज्यादा परेशान नहीं करने के लिए बीच बीच में उसके स्तनों को छोड़ देते थे।
मुझे यह सुषमा के प्रति अन्याय ही लग रहा था कि मैं उसके साथ कुछ नहीं कर रहा था, जबकि वह भी तो ‘गर्म’ हो रही होगी।
लेकिन अंजलि के लिए यह पहला मौका था और उस पर पूरा ध्यान देना जरूरी था। सुषमा भी इसे सफल बनाने की पूरी कोशिश में लगी थी। एक बार अंजलि पूर्ण नग्न हो जाए, प्रकाश के लिंग को अपने अंदर स्वीकार कर ले, अपना सतीत्व उसे सौंप दे तो मुझे भी अपनी मंजिल मिल जाएगी।
और अंजलि बची भी कहाँ थी, पूरी नंगी तो हो ही चुकी थी, दूसरा लक्ष्य भी ज्यादा दूर नहीं था।
फिर भी, अंजलि के चेहरे और छातियों के ठीक ऊपर अपने चेहरे के पास सुषमा मुँह की नजदीकी इतनी उत्तेजक थी कि अलग रहना मुश्किल था।
मैंने सुषमा के मुँह को अपनी तरफ घुमा लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ दबा दिए। गरमाई हुई सुषमा तुरंत ही मेरे सिर को पकड़ कर जोर जोर से मेरे होंठों को अपने मुँह में खींचकर चूसने लगी।
चुम्बनों का शोर सुनकर अंजलि की आँखें खुल गईं, उसकी लाल डूबी आँखों में हैरानी का भाव उभरा।
मैंने झुक कर अंजलि को चूम लिया।
अगले ही क्षण सुषमा ने दुगुने जोर से उसके स्तन का चुम्बन लिया, वह फिर आँखें मूंदने को विवश हो गई।
मुझे बड़ा मजा आया। हमने मिलकर कुछ और बार यह खेल दुहराया। कुछ देर में अंजलि सहयोग भी करने लगी। मेरे साथ साथ सुषमा भी उसके होंटों के चुम्बन लेने लगी और वह हम दोनों के चुम्बनों का जवाब देने लगी।
सुषमा ने मेरा ध्यान खींचा – वह एक छोटी-सी बाधा, जो प्रकाश की विनम्र कोशिशों के बाद भी जाने का नाम नहीं ले रही थी - पैंटी। औरत के संकोच का एक कोना हमेशा बचा रहता है – शायद पूर्ण संभोग के बाद भी।
प्रकाश पैंटी को हटाने की संकोच सहित कोशिश कर रहा था, अंजलि अपने पाँव कसे थी, वह बेचारा उसे कमर से भी ठीक से खिसका नहीं पाया था। अंजलि उसके हाथ पकड़ ले रही थी या पैरों से ठेल दे रही थी।
सुषमा को अपने पति की असफलता बुरी लग रही थी।
यहाँ मेरी जरूरत थी, मुझे मालूम था कि क्या करना है। मैंने अंजलि का हाथ उठा कर कंधों से ऊपर कर दिया और उस ‘बाधा’ के अंदर अपना एक हाथ घुसा दिया।
यह मेरे होंठों और उंगलियों की सबसे प्रिय जगह थी। चिकने गीलेपन ने हाथों को अंदर आसानी से घूमने की सुविधा दे दी और मैं ‘दरवाजे’ के अंदर घुसने के साथ साथ ऊपर की ‘कुंडी’ भी खटखटाने लगा।
अंजलि बचने के लिए कमर हिलाने लगी मगर घूमती हुई कमर ने पैंटी को हर तरफ से नीचे खिसकाने की सुविधा दे दी। मेरे सहयोग का बल पाकर प्रकाश ने उसकी एड़ियों को अपनी एक बाँह में जकड़ा और सुषमा की मदद से पैंटी को भगों के उभार पर से और नितम्बों से खिसका दिया।
मैंने योनि के अंदर घुसी उंगलियों की हरकत बढ़ा दी, अंजलि के पैर जरा से अलग हुए और पैंटी आजाद हो गई।
मैंने हाथ बाहर निकाल लिया, योनि के रस की एक गंध एकबारगी हवा में तैर गई।
अंजलि ने पुनः पाँव कस लिए।
मैंने गीली उंगलियों को थोड़ा सा अंजलि के होंठों पर पोंछ दिया। हिचकते हुए मैंने उन्हें सुषमा की ओर बढ़ाया तो उसने जीभ बढ़ाकर चख लिया।
मुझे अच्छा लगा, हम दोनों मिलकर इसकी योनि भी चूसेंगे, मैंने सोचा, पर एक ही समय क्या क्या करेंगे।
प्रकाश ने दोनों हाथों में अंजलि की एक एक एड़ी पकड़ी और जोर लगाकर लकड़हारा जैसे लकड़ी चीरता है वैसे ही अंजलि के पाँव झटके से फैला दिए। भगों की विभाजक रेखा नितम्बों को फाड़ती गुदा को दिखाती ठहाके की तरह खुल गई।
अंजलि ने शर्म से भरकर पाँव खींच लिए मगर तब तक प्रकाश उनके बीच घुस चुका था। उसने झुककर उसकी योनि पर मुँह लगा दिया।
मैंने और सुषमा ने अंजलि के पैरों को अलगाकर उसकी सहायता की।
अंजलि हैरानी की सीमा से भी कहीं बहुत ऊपर जा चुकी थी। हैरान तो कुछ मैं भी था – यह प्रकाश तो मौखिक रति का बड़ा प्रेमी निकला!
मैंने सुषमा की ओर मुस्कुराते हुए भौंहे उचकाईं।
सुषमा थोड़ा गर्व से हँसी – हम झूठ नहीं कहते थे।
प्रकाश पूरे लगाव से अंजलि की योनि को चूम और चूस रहा था। उसकी दीवानगी देखकर मुझे गर्व हो रहा था अंजलि पर।
मैं अंजलि के स्तनों को हौले-हौले ही सहला रहा था ताकि वह योनिप्रदेश से मिल रहे आनन्द पर ज्यादा ध्यान लगा सके।
सुषमा उसकी जाँघों को, पेट को, शरीर के अन्य हिस्सों को सहला रही थी।
सचमुच यह अंजलि का यादगार अनुभव होगा! वह इतनी चंचल हो रही थी कि प्रकाश को सुविधा देने के लिए हमें उसे पकड़ना पड़ रहा था। वह जोर जोर से सीत्कार भर रही थी और हमें चिंता हो रही थी कि आवाज कहीं बाहर न चली जाए।
सुषमा उसकी उग्रता से चकित थी, कभी कभी तो अंजलि छटपटा-सी जाती। जिस समय प्रकाश की जीभ की अंदर भगनासा पर गुदगुदी करती, वह सहन नहीं कर पाती, वह उसका सिर हटा देती।
प्रकाश रुक कर फिर शुरू करता।
मैंने कामदेव को धन्यवाद दिया, उनकी पूरी मेहरबानी अंजलि पर हो रही थी, अंजलि आहें भर भरकर मानो उनकी आराधना में मंत्र-पाठ कर रही थी। प्रकाश उसे पूरे दिल से चूस रहा था।
मैं योनि और मुख के संगम के इस अनोखे दृश्य को मंत्रमुग्ध होकर देख रहा था, मुझमें तरंगें उठ रही थीं, कितनी गहरी इ्च्छा पूरी हो रही थी। कोई और स्त्री होती तो मुझ पर इतना असर न होता पर अपनी प्राण प्यारी पत्नी को इस हाल में देखना।
यह खुशी की इंतिहा थी। मुझे डर लग रहा था कहीं मेरा आधे रास्ते में ही…
मुख-सुख की अभ्यस्त अंजलि जल्दी ही स्खलित होने के कगार पर आ पहुँची। अनुभवी खिलाड़ी प्रकाश ने मुँह हटा लिया। अंजलि ने उसके मुँह से मिलने के लिए कमर उठाई तो प्रकाश ने योनि के उभार पर एक प्यार भरी चपत जड़ दी। अवाक होकर अंजलि की हलचल बंद हो गई।
मैंने प्रकाश को देखा, वह आत्मविश्वास से भरा था।
हमने भी अपने हरकतें रोक दीं।
कुछ क्षणों बाद प्रकाश उस पर पुनः झुका और हम भी चालू हुए। पुनः अंजलि स्खलन पर पहुँचने को हुई कि वह उठ गया। वही चपत, वही अपमानजनित स्थिरता। फिर से शुरूआत।
तीसरे दौर में तो अंजलि बेकरार हो गई। वह आतुरता में कमर उठा कर प्रकाश का सिर अपनी योनिस्थल पर लगाने लगी। हमारी पकड़ने की कोशिश को भी उसने हाथ से झटक दिया।
निर्णय का क्षण आ गया था, लोहा गरम था, अब उस पर चोट की जरूरत थी।
प्रकाश बड़ी देर से सम्हाले था। उसने तेज़ी से अपनी  पैंट और चड्डी उतारी और वह अंजलि की चौड़ी टांगों के बीच आ गया।
उसका लिंग मुझसे लम्बा और मोटा था।
मैं उत्कंठापूर्वक देखने लगा। सुषमा उसके लिंग को चूम कर गीला कर रही थी और प्रकाश उसे अंजलि की योनि-होंठों पर रख कर उनके बीच ऊपर-नीचे फिरा रहा था।
मेरे अंदर झुरझुरी सी होने लगी, मेरी पत्नी की योनि में एक पराए मर्द का लिंग घुसने वाला था, उसके मुँह से सी-सी निकल रही थी।
लिंगमुंड ऊपर से नीचे तक लंबाई में घूमते हुए योनी की अंदर की बनावट और बुनावट का जायजा ले रहा था, गीले होंठों ने फ़ैल कर लिंग को बीच में उतरने का रास्ता दे दिया था।
कुछ ही सहलाहटों के बाद अंजलि ने लिंग अंदर लेने के लिए कमर उचकाई। उधर प्रकाश ने लिंग को योनि के मुँह पर लगा रखा था।
असल काम की घड़ी, वर्षों प्रतीक्षा की घड़ी, मेरी पतिव्रता पत्नी की योनि में परपुरूष के प्रवेश की घड़ी… और मैं – उसका पति – उत्साह से उसकी योनि के होंठों को फैलते देख रहा था।
प्रकाश कोमलता से लिंग को अंदर धकेल रहा था।
योनी में लिंग को डूबते देख मैं आनन्द के सागर में डूबा जा रहा था। जैसे ही प्रकाश ने एक धक्के के साथ पूर्ण प्रवेश की क्रिया सम्पन्न की, पेड़ू से पेड़ू सटे और लिंग अदृश्य हुआ, मेरी उत्तेजना की इंतिहा हो गई। आनन्द के अतिरेक से मेरा लावा बह निकलाı मैं  किसी तरह पैंट पर हाथ रख कर उसे इधर उधर फैलने से बचाने की कोशिश करने लगा।
प्रकाश हँसा लेकिन सुषमा का रवैया अलग था। उसने सहानुभूति से मेरा माथा सहलायाı वह मेरी तरफ आई और उसने मेरे पैंट का बकल खोल कर जिप नीचे की और उसे कमर से चड्डी सहित खींच कर बाहर निकाल दिया।
अंजलि को भी कुछ अजीब होने का पता चल गया और उसने गरदन उठा कर ‘क्या हुआ’ पूछा। पर प्रकाश के धक्के चालू हो गए थे और कोई औरत संभोग के धक्कों के बीच कहीं और ध्यान दे तो कैसे।
मैं प्यार से उसके गाल थपथपाकर उसे आश्वस्त करना चाहता था पर मैं स्वयं लज्जित था। सुषमा मुझे चादर से पोंछ रही थी। मेरा लिंग सिकुड़ कर छोटा हो गया था जिसे मैं हाथों से छिपा रहा था।
सुषमा ने उसे हाथ में ले कर सहलाया और हंसते हुए कहा- देखना, जल्दी ही बड़ा हो कर यह बड़ा काम करेगा।
प्रकाश और अंजलि की रतिक्रिया, पुरुष और स्त्री की कामलीला, मेरी आँखों के आगे चल रही थी – लेकिन अब मेरा मन उचट गया था।
हालाँकि मुझे अंजलि का “चुदना” अच्छा लग रहा था – अंजलि की कमर उचक रही थी और प्रकाश हुमक हुमक कर धक्के लगा रहा था - वैसा ही कामोत्तेजक मैथुन जैसा मैंने चाहा था, पर मैं अपने को इससे नहीं जोड़ पा रहा था।
वे दोनों काफी देर से गरम थे, कुछ ही मिनट में वे चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए।
प्रकाश ने मुझे पूछा - कहाँ करूँ?
मैंने उसे अंदर ही झड़ जाने को कह दिया।
अंजलि पिल्स पर थी इसलिए कोई चिंता नहीं थी। दोनों एक-दूसरे से चिपट कर साथ-साथ ‘झड़ने’ लगे।
सुषमा मेरे अलगाव को समझ गई थी। वह तेज औरत थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा - इन दोनों को थोड़ी देर आराम करने दें। आइये, हम बाहर चलते हैं।
 
क्रमशः
 
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#122
23-07-2016, 08:09 PM
मैंने एक पोलिथीन के बैग में हम दोनों के लिए एक एक जोड़ी एक्स्ट्रा कपड़े रख लिए थे। वे काम आ गए।
हम होटल के रेस्टोरेंट में चले आए। कॉफी की चुस्कियाँ लेते हुए सुषमा ने कहा- बहुत कामोत्तेजक था न? पहली बार इतनी उत्तेजना को झेलना असंभव सा होता है।
मुझे उस वक्त वह बहुत अच्छी लगी –अंजलि की तुलना में उसके सामान्य चेहरे-मोहरे के बावजूद। लगा कि इसके भरे-भरे वक्षों और मांसल नितम्बों को सह जाऊंगा। उसने मुझे बधाई दी, अंजलि के चरमोत्कर्ष की।
‘हाँ, यह मेरा बहुत बड़ा सपना था।’ मैंने कहा।
‘मैंने कहा था न उन्हें एक बार हमारे साथ होने दीजिए, वे खुद आगे बढ़ कर यह करवाएँगी। पर यह सपना आपके सहयोग के बिना सच नही होता। आपको पूरा श्रेय जाता है।’
रेस्तराँ का हल्का संगीत मेरे दिमाग के थके रेशों को सुकून दे रहा था। कॉफी की चुस्कियों के बीच वह मुझे देख रही थी, शायद अंदाजा लगा रही थी कि बिस्तर पर मैं कैसा साबित होऊंगा।
‘आप पक्के जेंटलमैंन हैं.’
मैं अचकचा गया - यह आपने क्या कहा!
‘ठीक कह रही हूँ। हम लोगों ने कई दम्पतियों के साथ किया है। मर्द तो स्वैप के लिए कमरे में आते ही मुझ पर टूट पड़ते हैं। वे अपने खुद के मज़े पर ध्यान देते हैं पर आपने अंजलि जी पर ध्यान दिया। आप उन्हें बहुत चाहते हैं। यह भी पहली बार ही देखा कि कोई पुरुष अपनी पत्नी को इस काम में लिप्त देख कर ही स्खलित हो जाए। इतनी चाहत तो दुर्लभ है।’
मैं शरमा गया।
‘प्रकाश के साथ अपनी पत्नी को अकेले छोड़ कर बाहर आने में भी आपने एतराज नहीं किया। अपनी पत्नी और पर-पुरुष पर इतनी उदारता और भरोसा कम लोग ही दिखा पाते हैं।’
मैं उससे नजर मिलाए रखने की कोशिश कर रहा था, पर संकोच हावी हो जाता था। मुझे लगा मैं सचमुच बहुत सभ्य व्यक्ति हूँ।
‘मैं आपके साथ अकेले होना चाहती थी, इसलिए बाहर बुला लिया। कमरे में भी मैं आपके साथ अकेले ही…’
मुझे उसकी बात सुन कर स्वयं पर गर्व महसूस हुआ|
‘आपको एतराज तो नहीं होगा?’ उसने पूछा।
मैंने ना कहा।
‘अंजलि जी को?’
मैंने जवाबी सवाल किया - प्रकाश को तो बुरा नहीं लगेगा? वो आपको ‘काम’ करते नहीं देख पाएँगे तो?
‘उन्होंने मुझे कई बार यह करते देखा है, मेरी इच्छा उनके लिए सबसे बड़ी है।’
‘और अंजलि कहती है कि मैं तुमको दूसरी औरत के साथ नहीं देख सकती, इतना प्यार करती हूँ तुमको।’
वह हँस पड़ी, ‘सही कहा, मुझे भी ईर्ष्या होती है उस वक्त!’
‘कहाँ, आज तो आपने बढ़-चढ़ कर सहयोग किया।’
‘आपकी खातिर!’
दोनों हँस पड़े।
उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया, मैंने चारों ओर देखा, लोग अपने में डूबे थे, मैंने टेबल के नीचे पाँव बढ़ा कर उसके पाँवों को महसूस किया, लगा कि एक बार फिर से किशोर वय की घड़ी लौट आई है।
मेरा लिंग फ़ड़क उठा।
औरत साधारण हो तो भी उसका साथ होना मादकता ले जाता है।
कॉफी खत्म करके हम एक-दूसरे का हाथ पकड़े कमरे तक वापस आए।
कमरा प्रकाश ने खोला। अंजलि कपड़े पहन चुकी थी। वह शर्म से सिकुड़ी हुई बैठी थी।
प्रकाश कमर से ऊपर से निवस्त्र था, उसका चेहरा खुशी से चमक रहा था।
मैंने उससे हाथ मिला कर उसे धन्यवाद कहा।
‘अरे भाई साहब, धन्यवाद तो मुझे कहना चाहिए। इतनी अच्छी…’ मैंने उसे बीच में ही रोका और अंजलि की बगल में बैठते हुए उसे अपने से सटा कर उसके कान में कहा - बधाई हो, मेरी रानी!!
वह शरम से और सिमट गई।
मुझे गर्व हुआ कि वह मेरी है।
कुछ देर तक इधर-उधर की बातें करने के बाद सुषमा ने कहा कि यहाँ रेस्टोरेंट में कॉफ़ी बहुत अच्छी मिलती है। वे दोनों वहां की कॉफ़ी का आनंद अवश्य लें। प्रकाश उसका इशारा समझ गया और कुछ मिनट बाद मैं और सुषमा कमरे में अकेले थे।
सुषमा के साथ एकांत खास था।
प्रकाश और अंजलि में कोई बात नहीं हुई थी, सीधे संभोग हुआ था; यहाँ परिचय की गरमाहट उत्पन्न हो चुकी थी।
शुरू में सुषमा देखने में ही नहीं, बात करने में भी साधारण लगी थी लेकिन अंजलि का मैथुन कराने में उसके योगदान और अभी इस थोड़ी देर के वार्तालाप ने बहुत फर्क डाल दिया था।
अंजलि के साथ कुछ हद तक जबरदस्ती करनी पड़ी थी पर सुषमा के साथ तालमेल था, सहयोग था – एक-दूसरे के कपड़े उतारने से लेकर चूमने, सहलाने और हर चीज में।
वह मेरी छाती में मुँह घुसा कर मुझे चूमती थी और मैं उसकी पीठ पर रीढ़ के ऊपर के कोमल माँस को महसूस करता था, उसके बालों को सूँघता था, उसके गुलगुले गालों पर होंठों को दबाता था और उसके स्तनों को हाथों में भर लेता था, उसके चूचुकों के बड़े से वृत को मैं अपने होंठों की गोलाई से नापता था और धीरे से उन्हें मुँह के अंदर खींच लेता था।
वह मेरे सिर पर हाथ फेरती और मेरी कमर में हाथ डाल मुझे अपने मुँह पर खींच लेती थी, उसकी ‘आ…ह’ की आवाजों में उत्तेजना और समर्पण थे, उसका माँसल बदन मेरे आकार में ढल कर मुझसे मिलता था।
उसके बदन के अन्य हिस्सों में भी स्तनों को दबाने-सहलाने जैसा आनन्द आता था।
हमने एक-दूसरे को होंठों को पिया, वक्ष-स्थल को चाटा, कहीं कोई वर्जना महसूस नहीं की।
हमारे कमर के नीचे कपड़े क्रमशः ही खुले, साए की डोर और पैंट की चेन एक साथ खुले, पैंटी और चड्डी की साथ-साथ विदाई हुई, जैसे दूल्हा और दुल्हन साथ विदा होकर जा रहे हों।
उसने मुझे ‘यू आर लवली’ कहा था और उस वक्त मुझे ‘’यू आर सो सेक्सी” कहना भी झूठ नहीं लगा था।
जब वह मेरे ऊपर होती थी तो वह मुझ पर छा ही जाती थी और जब मैं उसके ऊपर होता था तो उसका स्वामी, उसको काबू में रखने वाला मालिक महसूस करता था।
स्वाभाविक था कि हम 69 की मुद्रा में उतरते, दोनों में एक दूसरे के लिए कोई हिचक नहीं थी, अपने अपने जीवन साथियों के साथ इसके लिए प्रशिक्षित थे।
उसके भगोष्ठों में भराव और गहराई अधिक थी, उन्हें उंगलियों से फैलाना पड़ता था और मेरे होंठों के चारों तरफ घिराव का एहसास ज्यादा होता था, उनमें मेरे होंठ ज्यादा डूबते थे, उसकी भगनासा भी बड़ी थी, जिस पर होंठ अच्छे से कसते थे।
उसे भी मेरे अपेक्षाकृत छोटे लिंग को चूसने में सुविधा हो रही थी।
यह मिलन के क्षणों में उत्पन्न हो जाने वाला प्यार था। मैथुन-पूर्व की क्रिया में वह मुझे और मैं उसे प्यार कर रहे थे।
मैं एक बार स्खलित होकर धैर्यपूर्वक रतिक्रिया करने की स्थिति में था जबकि वह अपने कुशल मुख-संचालन से मेरे धैर्य की परीक्षा ले रही थी।
मैं झड़ने की स्थिति में आया तो उसने मुझे रोका नहीं। केवल लिंग को अपने मुँह से बाहर निकाल  वह उसे अपनी मुट्ठी से घर्षण देती गई - अपने चेहरे के ठीक सामने।
यह स्खलन अपूर्व था - परम आनन्ददायक। अंजलि ने मेरे वीर्य-स्खलन को इतने नज़दीक से कभी नहीं देखा था।
मैंने अपने चरम सुख के दौरान उसके नितम्बों को कस कर अपने ऊपर दबाए रखा और उसकी योनि के अंदर जीभ उतार कर गुदगुदा कर, चूस-चाट कर उसे झड़ने के लिए प्रेरित करता रहा। वह मुझ पर मानों कृपा बरसाती हुई मेरे मुँह में ‘द्रवित’ हुई।
हम दोनों ऐसे शिथिल हुए कि देर तक एक-दूसरे की जाँघों में ही पड़े रहे। वापस सीधे होने पर लाड़ जताते हुए एक दूसरे के होंठों को चखा, चूसा।
जहां मैं चिंतित था कि अब पुनः स्खलित होने के बाद संभोग कैसे कर पाऊँगा, वह निश्चिंत और खुश थी।
ईश्वर की माया!
यह आपस का विनिमय, बंद कमरे का यह एकांत, आज का यह दिन, यह क्षण अद्वितीय थे।
मैंने अंजलि को याद किया और उसके प्रति कृतजता महसूस की… वह राजी नही होती तो यह संभव नहीं होता।
अभी वह प्रकाश के साथ पता नहीं कहाँ क्या कर रही होगी।
मेरे लिए यह विस्मयकारी ही था कि सुषमा मुझे इतना पसंद करेगी। मैं भूल चला था कि मेरी बाँहों में पड़ी यह औरत शुरू में मुझे उतनी पसंद नहीं आई थी। वास्तविक रति के समय आँखों की अपेक्षा त्वचा से मिल रहा अनुभव ज्यादा काम आता है। और इस क्षेत्र में सुषमा अद्भुत थी – सर्वत्र नर्म, कोमल, गद्देदार, बिस्तर में उसका व्यवहार भी आत्मविश्वास भर देने वाला था।
बीसेक मिनट की शांति।
सुषमा काफी देर की संचित उत्तेजना के कारण बड़ी तीव्रता से स्खलित हुई थी। उसकी थकान अधिक थी, मैंने भी कुछ देर झपकी सी ली।
पर वास्तविक ‘काम’ के लिए दोनों ही उत्सुक थे।
सुषमा के जिस मुख ने मुझे शिथिल बनाया था उसी ने मुझे पुनः जगा दिया। ऐसे मुख-कौशल से तो मुर्दे का भी उठ जाता। मुझे उसने इतना कठोर कर दिया कि दिल की धड़कनें लिंग में गूंजने लगी।
मुझे पूरी तरह से तैयार कर के सुषमा ने कहा- देखो तो!
भाले की तरह तना हुआ मेरा लिंग लक्ष्य भेदने को आतुर था।
 ‘बदमाश कहीं का…’ कहते हुए उसने उसे शरारत से थपथपाया और मेरे ऊपर आने लगी।
पर कमान मैं सम्हालना चाहता था। मैंने उसे खींच कर अपने बगल में लम्बा किया और उसके ऊपर आ गया, उसकी जंघाओं को फैलाया और फिर जैसे मक्खन में छुरी उतरती चली गई।
पूर्ण प्रवेश के बाद सुषमा की ‘आ…ह’ के निश्वास ने जतला दिया कि वह इससे संतुष्ट है। उसकी योनी अंजलि की तरह संकुचित नहीं थी पर अंदर बहुत ही कोमल थी – ताजे निकाले गए मक्खन की तरह। उसकी कोमलता को महसूस करके मेरा लिंग और फूल गया। मैं सक्रिय हुआ। मैं उसे इतना आनन्दित कर देना चाहता था कि वह भूल न पाए। वह दूसरे की पत्नी है तो क्या हुआ, मेरा साथ उसे हमेशा याद रहे।
मेरे धक्के शक्तिशाली हो चले थे। जल्दी ही मेरा आदिम पुरुष मुझ पर हावी हो गया। सुषमा मानों खुशी से किलक रही थी, उसे अनुमान नहीं था कि यह सभ्य पुरुष इतना आक्रामक निकलेगा। उसकी ‘आह आह’ मुझे अपनी क्षमता के प्रति ‘वाह वाह’ सी लग रही थी।
मैं जोश से छलक रहा था, नीचे से आने वाली हर उचकन का जवाब दुगुने जोर की धँसान से देता। परवाह नहीं थी कि मेरे नीचे शय्या उछल रही है या औरत। मैं उसके अंदर लिंग को घुमा-घुमा कर एक-एक कोने, एक-एक सलवट को मसल रहा था।
मेरे ललाट का पसीना उसके चेहरे पर गिरा तो उसने मुझे पकड़ लिया- रुको अब।
मैं रुकने के मूड में नहीं था लेकिन उसने प्लीज प्लीज कहकर मुझे रुकने पर मजबूर कर दिया।
वह पलट कर मेरे ऊपर आई और मेरे लिंग को अपने अंदर डालती मुझ पर बैठ गई।
गजब का एहसास… सचमुच दो बदन एक जान! वह कुछ देर तक स्थिर रह कर इस एहसास में डूबी रही। फिर अपने को मेरे ऊपर गोल गोल घुमा कर लिंग को योनि में घिसने लगी। वह ऊपर-नीचे हो रही थी और मैं उसमें डूबा लिंग पर उसके चिकने घर्षण का आराम से आनन्द ले रहा था। जांघों पर गिरते उसके भारी नितंबों के कोमल मखमली भार का मैं भी कमर उचका कर जवाब दे रहा था।
पहली बार पर-स्त्री को ‘चोदने’ का विलक्षण अनुभव… इसमें ज्यादा देर ठहरना संभव नहीं हो पाता, लेकिन दो दो स्खलनों के बाद मैं टिक सकता था। लेकिन सुषमा चरम सुख के करीब चली आई थी।
मैंने उसे स्खलित होने से रोका और पलटा कर उसे डॉगी स्टाइल में ले लिया।
मैं हर विविधता का आनन्द ले लेना चाहता था। परंतु वह थक चुकी थी और मेरे धक्कों को ज्यादा देर झेल नहीं पाई। वह मुँह के बल पड़ गई। मैंने नितम्बों को ऊँचा करने के लिए उसके नीचे तकिया लगा दिया। अगले कुछ ही धक्को में उसके हाथ-पैर अकड़ गए और वह चुपचाप स्खलित हो कर  निढाल हो गई। अंजलि का स्खलन अगर उग्र और आवाजों भरा होता था तो सुषमा का शांत और अंतर्मुखी था।
आनन्द का चरम क्षण मेरे लिए भी आ पहुँचा। मैंने सुषमा से पूछना चाहा कि ‘कहाँ निकालूं?’ पर वह बेसुध थी।
मेरा ज्वालामुखी उसके अंदर ही फूट पड़ा।
स्वैप के लिए आई है तो तैयार हो कर ही आई होगी! वैसे भी आज संभोगोपरांत गर्भ निरोधकों की कमी नहीं!
मेरा लावा बह बहकर उसके भीतर समाने लगा और मैंने अपने आपको उसके ऊपर शिथिल छोड़ दिया।
यह तीसरा चरम सुख, तीसरा परमानन्द सबसे बढ़ कर था। आज पता चला कि परस्त्री के साथ संभोग का असली सुख क्या होता है। मैं उस आनंदमयी शिथिलता में डूब कर धीरे धीरे अचेत सा हो गया।
जब चेतना लौटी तो मैंने अपने आप को अकेला पाया। सुषमा बाथरूम में थी। निकली तो बाथरोब लपेटे!
मैं भी बाथरूम जा कर साफ-सुथरा हुआ।
हमने प्रकाश को फोन लगाया और लौट आने को कहा।
वे लौटे तो प्रकाश सम्भोग के एक और दौर के लिए इच्छुक था। अंजलि जैसी सुंदर स्त्री मिल रही हो तो किसका मन नहीं ललचाएगा। मेरी भी इच्छा थी कि एक राउंड और हो जाये पर अंजलि अनिच्छुक थी। घर से निकले काफी देर हो चुकी थी और अंजली को बच्चों की चिंता हो रही थी!’
हमने विदा ली, फिर मिलने का वादा किया और बाहर निकल आए।
टैक्सी में बैठा मैं लक्ष्य कर रहा था अंजलि के चेहरे को। वह गंभीर थी पर नाराज नहीं दिख रही थी! कुछ भी हो, आनन्द तो उसने भी लिया ही था।
मैंने अपनी खुशी पर ध्यान केन्द्रित किया - कैसी कल्पनातीत घटना हुई है। बरसों पुरानी मनोकामना पूरी हो गई – ईश्वर का लाख लाख शुक्र! ईश्वर के साथ-साथ अंजलि का भी!
 
***********
 
उधर होटल के कमरे में प्रकाश सुषमा को कह रहा था, ‘आज तो तुमने कमाल ही कर दिया! मुझे लगा था कि यह माल हाथ नहीं लगेगा और मुझे निराश होना पड़ेगा!’
सुषमा ने कहा, ‘सर, आज तक कभी ऐसा हुआ है कि मैं किसी को राज़ी करने में नाकाम हो जाऊं?’
‘इसीलिए तो मैंने तुम्हे अपनी सेक्रेटरी रखा है,’ प्रकाश ने उसकी तारीफ करते हुए कहा. ‘अगले महीने से तुम्हारी सैलरी पांच हज़ार रुपये बढ़ जायेगी।’
सुषमा ने खुश हो कर कहा, ‘थैंक यू सर, अगर इन दोनों को हम ठीक से हैंडल करें तो इस माल का मज़ा आप कई बार लूट सकते हैं।’
प्रकाश - अरे, मेरा बस चलता तो आज ही एक शॉट और लगा लेता पर उसे जाने की जल्दी हो रही थी।
सुषमा -  वो चली गई तो क्या हुआ, सर? ये सेक्रेटरी किसलिए है?
 
समाप्त 
 •
      Find
Reply


vidya Offline
Soldier Bee
**
Joined: 19 Jul 2014
Reputation: 1,065


Posts: 154
Threads: 3

Likes Got: 27
Likes Given: 11


db Rs: Rs 29.17
#123
11-08-2016, 08:16 PM
Very clever.
 •
      Find
Reply


rajbr1981 Online
en.roksbi.ru Aapna Sabka Sapna
****
Verified Member100000+ PostsVideo ContributorMost ValuableExecutive Minister Poster Of The YearSupporter of en.roksbi.ruBee Of The Year
Joined: 26 Oct 2013
Reputation: 4,404


Posts: 118,530
Threads: 3,631

Likes Got: 20,942
Likes Given: 9,112


db Rs: Rs 2,905.1
#124
19-11-2017, 07:47 PM
plz add more story
[Image: 52.gif]
 •
      Website Find
Reply


« Next Oldest | Next Newest »
Pages ( 13 ): « Previous 1 ..... 8 9 10 11 12 13
Jump to page 


Possibly Related Threads...
Thread Author Replies Views Last Post
Incest  मेरा मतलब एकदम मस्त बेटी है आपकी. Incest lover 11 1,554 27-07-2018, 05:15 PM
Last Post: Pooja das
Desi  मेरा पति चोद नहीं सकता है rajbr1981 3 10,442 17-12-2017, 01:26 PM
Last Post: dpmangla
Incest  दीदी मेरा प्यार(completed) arav1284 80 164,591 03-11-2017, 06:30 PM
Last Post: arav1284
Desi  मेरा गुप्त जीवन [Mera Gupt Jeewan] honey boy 413 280,727 24-10-2017, 12:34 PM
Last Post: kinjusattu
Desi  मेरी चूत,मेरा जिस्म rajbr1981 3 13,430 24-10-2017, 01:32 AM
Last Post: neeshu
Incest  मेरा पहला सेक्स अनुभव अपनी बंगालन माँ के साथ Gigolo 12 114,930 06-11-2016, 01:31 AM
Last Post: suraj110
Romantic  मेरा प्रेमी और मकान मालिक का लड़का urpussysucker 16 27,472 07-10-2016, 09:09 PM
Last Post: urpussysucker
Incest  कपडे धोने का काम, मम्मी के साथ urpussysucker 109 482,927 16-03-2016, 01:29 PM
Last Post: urpussysucker
Incest  मेरा लंड और मामी की चूत, मजा आ गया urpussysucker 11 55,172 14-12-2015, 11:37 AM
Last Post: urpussysucker
Desi  मेरा देवर rajbr1981 5 48,207 30-05-2015, 10:05 PM
Last Post: rajbr1981

  • View a Printable Version
  • Subscribe to this thread


Best Indian Adult Forum XXX Desi Nude Pics Desi Hot Glamour Pics

  • Contact Us
  • en.roksbi.ru
  • Return to Top
  • Mobile Version
  • RSS Syndication
Current time: 29-07-2018, 11:19 PM Powered By © 2012-2018
Linear Mode
Threaded Mode


antervasna kahania  xxxnude images  malayalamsex storis  aunties back  girls watching boys jerk off  tamelnadu  hindhi sex stori  desi injection stories  shemale raping men  maa beta incest stories  exbii telugu stories  choti si chut  oli camera photos  hindi adult comics  tamil sexxx story  appa magal sex story  big boobs mom story  desi cleavage  malayalam masala story  my mallu aunty  incent cartoons  achha Pyari nangi  ashram me chudai  ஆன் மார்பகம் சுகம்  tamil sexstoreis  choot mein lund  mysex game  desi injection stories  exbii real aunties  muh se kadva pani aana  www.sex.com marati  sexy hindi comics  free hindi sex kahaniya  அவளை சுவரில் சாத்து வைத்து கைகளை அகல விரித்து சுவற்றில் வைத்து  sex video mms scandal  desi stories lesbian  latest bhabhi stories  hairy armpits girls pics  mallu aunty nude  hot saree aunty photos  hot iss stories  bhai behan sex story hindi  hot stories in telugu font  cartoon incset  desi xxx girls  sex stories hindi fonts  marathi pranay goshti  desi sex school  desi housewife aunties  mami ke saath  sex storis urdu  www.desi porm.com  sexy indian aunties pic  chudai kahaniya hindi  malayalamsex image  hairy armpits of bollywood actress  nri girls in bikini  mombai sax  பெண்கள் அதிக நேரம் யூரின் அடக்க  pics of hijra  mast boob  tamil actress in sexy saree  desi pakistani aunties  nath utarna  /thread-16016-post-972037.html  maa beta ki story  dirty sex kahaniya  kannada interesting stories  sex stories in hindi words  matured indian aunties  stolen amateur photos  mallu girls exbii  bhabhi ki stories  preeti zinta fuck  chawat katha  3sum sex  chute chudai  bap beti kahani  undress pics  desi mms forums  boobes milk  indian sex stories antarvasana  sex stories in exbii  desi boobs mms  desipron video  exbii actress fake  xxx bhabhi or bhaisor  amma puku denganu  maa ko maa  hindu muslim sex story  malyalam sex  tamil sex stories amma  bhai bahan ki sex stories  new tamil sex stores  madhuri patel video