मेरी प्रियतमा रश्मी
उसका पूरा नाम तो था रश्मी पटेल पर स्कूल में उसे सभी घरवाले रम्मी या रमो कहते थे पर मेरी बाहों में तो वो सदा सिमसिम या निक्कुड़ी ही बनी रही थी। एक नटखट, नाज़ुक, चुलबुली और नादान कलि मेरे हाथों के खुरदरे स्पर्श और तपिश में डूब कर फूल बन गई और और अपनी खुशबूओं को फिजा में बिखेर कर किसी हसीन फरेब (छलावे) के मानिंद सदा सदा के लिए मेरी आँखों से ओझल हो गई। मेरे दिल का हरेक कतरा तो आज भी फिजा में बिखरी उन खुशबूओं को तलाश रहा है......rajbr1981 के दिल से ...