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Incest Guddi )(Kachi umer ki)

उस दिन अमन का पहली बार था किसी कच्ची कली के साथ.. उस रात घर पे अमन और अनामिका के अलावा घर पे कोई नही था जिसका फायदा अनामिका ने खूब उठाया.. उसने अपनी सहेली की भतीजी चिंकी को अपने घर पढ़ाई के बहाने बुलाया और अपने बेडरूम में सारी व्यवस्था कर दी.. चिंकी भी अमन को लाइक करती थी इसलिए वो भी तैयार थी.. लेकिन जब उसे अनामिका ने बताया कि ये विकराल और काले सॉप जैसा अमन का लंड उसके जॉघ के बीचो-बीच घुसेगा, बेचारी की तो हालत ही खराब हो गयी.. उसने तो टीवी और मूवीज में हीरो-हीरोईन को आपस में गले लगते और किस करते देखा था उसे क्या पता के उसके अलावा भी कुछ होता है.. अनामिका के इतना समझाने पर भी वो अमन का लेने के लिए तैयार ही नही हो रही थी.. आखिरकार किसी तरह अनामिका ने बहला फुसला कर उसकी टांगे फैलवा ही दी और अमन ने भी मौका देख कर उसकी पतली टांगो के बीच अपना मूसल धांस दिया.. सारी रात कमरा चिंकी की आह से गूंजता रहा और वो भी तब जब अनामिका ने उसके मुँह को अच्छी तरह से ढक रखा था.. अमन का वो पहला एक्सीपिरियंस था इतनी टाईट और मुलायम चूत के साथ.. पूरी रात अमन ने अपनी पूरी ताकत के साथ चिंकी का बाजा बजाया.. सुबह तक चिंकी की हालत किसी मैराथन में दौड़ रहे एक थके हुए रनर की तरह हो गयी थी.. सुबह होने पर अनामिका ने चिंकी को पेन किलर देकर और डरा धमका कर, प्यार से भी अपना मुँह ना खोलने का वादा लिया और वापस घर भेज दिया.. बस तभी से अमन को कसी हुई चूत का चस्का लग गया जिसे आज वो अपनी बहन के ससुराल में उसकी छोटी ननद के साथ जारी किये हुए था।

और यहाँ तो वो अपने दोस्त यश के साथ था। गुड्डी की चोटी बंधने के बाथ यश ने गुड्डी के नीचे खुद को खिसका दिया, गुड्डी अब यश की बॉडी को उपर ही घोड़ी बनी हुई थी और अमन गुड्डी के पीछे ही उसकी गांड के छेद पर अपना लंड सेट किये हुए तेल से डुबो रहा था..


अनामिका ने प्रिया का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके पीछे खड़ी हो गयी ठीक वैसे जैसे अभी सामने पर्दा खुलने वाला है और स्टेज पर परफार्मेंस स्टार्ट होने वाली हो।

प्रिया तो एकदम से स्टैचू बन गयी थी.. उसे अब तक यकीन नही हो रहा था कि ये सब वो अपनी आँखो से सच में देख रही है। उसका छोटा सा दिल अपनी पूरे ताकत से धड़के जा रहा था.. उसे तो उसकी मम्मी ने इतना बताया था कि जब लड़का लड़की शादी करते है और एक साथ रहते है और एक दूसरे से प्यार करते है लेकिन मम्मी ने ये नही बताया कि प्यार ऐसे होता है

प्रिया ने जब बच्चे के बारे में पूछा था तो मम्मी ने बताया था कि “ भगवान एक दिन सोते हुए लड़के-लड़की के पास प्यारा से बेबी रख के चले जाते है.. “

तो क्या वो सब झूठ था..उसकी मम्मी उससे झूठ बोल रही थी अब तक.. तो क्या मम्मी ने भी पापा के साथ--- हे भगवान.. ये सब क्या सोच रही है वो..


“ मुझे पता है तुम क्या सोच रही हो..”


“ भाभी वो गुड्डी.. उसे परेशानी...”


“ कुछ नही होगा उसे.. उसकी मर्जी से ही ती हो रहा है ये सब.. अब तुम बस नजारा देखो और मजे लो “

अमन ने अपना सुपाड़ा गुडडी के नन्हे से पिछवाड़े में घुसेड़ना स्टार्ट किया.. वैसे तो गुड्डी अब तक सैकड़ो बार चुद चुकी थी अमन और

यश दोनो से लेकिन हर बार उसे लगता कि जैसे वो पहली बार ही कर रही हो और दोनो के लिंग थे भी इतने बड़े और लम्बे.. और गुड्डी के शरीर के हिसाब से तो बहुत ज्यादा बड़े थे..

जैसे ही अमन ने अपना लिंग प्रवेश कराना शुरु किया...गुड्डी का सारा कान्फिडेंस एक बार फिर से गायब हो गया.. उसका गुदा द्वार धीरे धीरे बड़ा हो रहा था सेब के आकार का तो अमन के सुपाड़ा ही था और वही सबसे ज्यादा दुख देता था गुड्डी को

वो बेचारी आँख मिंचे अमन के लिंग प्रवेश के पूरे होने का इन्तजार कर रही थी लेकिन अमन का लिंग तो जैसे ना खत्म होने वाली एक लम्बी डण्डी बन गयी थी जिसे कोई गुड्डी की उस छोटी सी गाण्ड में डाले ही जा रहा था... गुड्डी की गांड का छेद अपनी नॉर्मल अवस्था से 7-8 गुना ज्यादा फैल चुका था, पूरी तरह से लाल और तेल से चमकता हुआ अमन के लिंग का अगला हिस्सा उसमें धीरे धीरे ऐसे छेद कर रहा था जैसे धरती को कोई मशीन पानी के लिये छेद रही हो। गुड्डी का मांस अपने पूरे तनाव पर था अमन का लिंग भी.. गुड्डी की ऑख से आँसू की एक बूँद टपक कर उसके नीचे लेटे यश पर गिर पड़ी.. ना जाने कितनी बार वो इस दर्द की सीमा पार करती थी और हर बार उसे इतना दर्द सहना पड़ता था। यश ने गुड्डी के सर को पकड़ के अपने पास खींचा और उसके छोटे छोटे होंठो पर अपने होंठ रख दिये.. मारे विवशता से गुड्डी ने यश के होंठों को कस के दबा लिया.. आधा सुपाड़ा अब तक गुड्डी की गुदा में अपनी जगह बना चुका था.. उस वक्त ऐसे लग रहा था गुड्डी के पीछे वाले छेद को कोई कस के बाहर की तरफ खींच रहा हो पूरी ताकत से.. आधा सुपाड़ा प्रवेश करा कर अमन वहीं पर रुक गया और अनामिका की तरफ देखने लगा.. उस वक्त वो प्रिया कि तरफ चाहकर भी नही देख पा रहा था.. सेक्स का खुमार पूरी तरह से उसपर हावी हो चुका था.. अनामिका ने उसे अपना सर हिलाकर इजाजत दी.. प्रिया कुछ समझ ही नही पायी किस बात की इजाजत अमन भैया, अनामिका भाभी से ले रहे थे.. सच्ची में तो उसे कुछ समझ में नही आ रहा था लेकिन फिर भी वो वहां पर खड़ी होकर वो सब कुछ देख रही थी.. उसका वहां से हटने का मन ही नही कर रहा था।


अनामिका से इजाजत मिलते ही अमन ने गुड्डी के पैरो को थोड़ा और पैलाया और अपनी कमर को हल्के से पीछे करके पूरी ताकत से पूरा लिंग एक झटके में ही अन्दर कर दिया..

घच्च्चाकक !!!


“ गुँउउउउउउउउउउउउउउउउउउ...आआआआआआआआआआआ..”

यश ने सही टाईमिंग पे गुड्डी का मुँह अपने हाथ से कस कर दबा लिया था नही तो उसकी चीख इतनी तेज थी घर क्या पूरा मोहल्ला अब तक जान जाता कि गुड्डी किस तरह का होमवर्क कर रही है।
झटका इतना तेज था कि अपने हाथ से पूरा ताकत से बिस्तर पकड़ कर रखने के बावजूद गुड्डी भरभरा कर यश के उपर लेट गयी। अनामिका को तो ये डर था की कही लिंग बाहर निकल ना जाये लेकिन अमन ने समझदारी दिखाते हुए खुद को भी गुड्डी के बॉडी के हिसाब से आगे बढ़ा लिया था। गुड्डी को तो ऐसा लग रहा था कि कोई तलवार लेकर उसे पीछे से काट रहा है.. इतना दर्द हो रहा था कि वो बेतहाशा अपने हाथ पाँव पटके जा रही थी.. अमन कि भी आँखे बन्द हो गयी थी लेकिन मजे से, पूरा लिंग अन्दर जाते ही उसे लग रहा था जैसे किसी मखमल के कपड़े में उसने अपना लिंग अन्दर डाल दिया हो..

एक बार फिर उसने अपना लिंग धीरे धीरे करके बाहर निकाला, गुड्डी को वापस घोड़ी की पोजीशन में सेट किया और इस बार दुगनी रफ्तार से पेल दिया। इस बार अमन के अण्डे गुड्डी के नितम्बो से भिड़ गये।
गुड्डी का दर्द अब थोड़ा सा कम हो गया था.. एक बार जगह बनने के बाद हर बार ऐसा ही होता था.. हालांकि गुदा मैथुन में मर्द को ज्यादा मजा आता है लेकिन अनामिका ने गुड्डी को सिखाया था कि अगर सही तरीके से किया जाए तो लड़की को ज्यादा मजा आता है.. और ये बात गुड्डी ने फील भी किया था जब जब अमन अपना लिंग बाहर कि तरफ खिंचता था उससे जो उसकी गांड के अन्दर वैक्यूम बनता था वो तो उसे जन्नत की सैर करा देता था.. उसी को लिए तो वो इतना दर्द बरदाश्त करती थी। आलम तो ये था कि अब धीरे धीरे गुड्डी को चूत से ज्यादा गांड मरवाने में मजा आता था।

अब तक अमन इंजन के पिस्टन की तरह रफ्तार पकड़ चुका था और धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था। गुड्डी के गले से अब चीख की जगह सिर्फ आह कि आवाज निकल रही थी.. वो अपने नीचे लेटे यश को देख रही थी जो उसकी एकदम से छोटी निप्पल को अपने दाँत से पकड़ कर काट रहा था। कुछ देर बाद अनामिका ने यश को खांसकर कुछ इशारा किया.. य़श ने इशारा समझते ही पहले पागलों की तरह चोद रहें अमन को रुकने का इशारा किया फिर अपने लिंग को हाथ में लेकर गुड्डी के योनि पर सटा दिया। प्रिया ने तो अपने मुँह पर हाँथ रख लिया..


“ भाभी ये तो दोनो.. एक साथ...”


“ हा हा.. अरे यार अभी तुम पता नही है.. एक लड़की तभी पूरी तरह से औरत बनती है जब वो तीन लोगो का लिंग अपने शरीर में प्रवेश करा ले.. पहला उसका पति, दूसरा उसका भाई और तीसरा कोई अजनबी..”


“ भाई से भी.. हाय राम..”


“ अरे उसी तो सबसे पहले होता है मेरी रानी.. और सबसे मजेदार भी “


“ लेकिन भाभी.. गुड्डी तो अभी काफी छोटी है.. वो क्या...”


“ सेक्स के खेल में कुछ छोटा वोटा नहीं होता.. एक बात याद रखना प्रिया.. कम से कम उमर की लड़की भी बड़े से बड़े लिंग को अपने अन्दर ले सकती है.. मेरी फ्रेंड के घर की कई लड़कियों को जानती हुँ मैं जो उमर में तुमसे भी छोटी है लेकिन एक गदहे का भी घोंट ले वो। बस अच्छे से करना आना चाहिए.. समझी बुद्धु.. !! “

प्रिया समझने का इशारा करते वापस गुड्डी की तरफ देखने लगी जबकि इस वक्त उसे कुछ समझ नही आ रहा था।

उधर गुड्डी कीसी मेमने की तरह उन दोनो शेर के बीच फसी थी.. और

वो दोनो शेर पूरी बेरहमी से उस मेमने का शिकार कर रहे थे।
अकेले अमन के लिंग ने ही गुड्डी के गुदा और चूत का हिस्सा घेर रखा था उसमें यश के लिए बिल्कुल जगह नही थी। गुड्डी की कमर थी भी छोटी, आखिर अभी तो उसके शरीर ने विकास करना शुरू किया था लेकिन इस वक्त उसके नितम्ब इतने छोटे छोटे थे कि अमन के एक हाथ में उसकी पूरी कमर आ जाए.. उस पर अमन ने अपना पूरा लिंग गुड्डी की गांड में जड़ तक डाल रखा था.. यश की लाख कोशिश के बावजूद भी वो गुड्डी की योनि में अपना लिंग डालने के लिए जगह नही बना पा रहा था।

तभी अनामिका ने यश की प्राब्लम समझी और प्रिया को वही छोड़कर वो गुड्डी को पास आ गयी। गुड्डी को उसने अपनी कमर और ऊपर उठाने के इशारा किया लेकिन गुड्डी अब बात करने के हालत में नही थी। उसकी आँखे धीरे धीरे बन्द होने लगी थी.. कुछ उस दर्द की वजह से और कुछ मजे की वजह से.. अनामिकना ने तब खुद ही मामला सम्हाला और गुड्डी की कमर पकड़ के उसे थोड़ा उपर उठाया जिससे उसेक नीचे थोड़ी सी जगह बन गयी.. अनामिका जानती थी की लड़कीयों कि चूत और गांड के बीच ज्यादा स्पेस नही होता इसलिए उसने यश का तन्नाया हुआ लिंग अपने हाथ में पकड़ा और गुड्डी के आगे वाले छेद में निशाना बैठा दिया.. जगह इतनी कम थी की अमन और यश के लिंग आपस में टच हो रहे थे लेकिन अनामिका ने यश के लिंग को अपने हाथ से अच्छी तरह से पकड़ रखा था। अनामिका की कोमल और मेंहदी भरी हथेली का स्पर्श पाकर तो यश का लिंग और भी ज्यादा टाईट हो गया.. ये देखकर अनामिका के होंठो पर एक स्माईल आ गयी लेकिन उस वक्त उसे गुड्डी का ध्यान था। अनामिका ने यश को धक्का देने का इशारा किया

पहले तो थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन फिर यश ने मौंका देखकर खूब जोर का धक्का मारा और दूसरा लंड भी गुड्डी के आगे वाले हिस्से में अन्दर तक धंस चुका था। गुड्डी तो जैसे नींद से जागी हों.. पलंग के शीशे में उसे अपने कमर के नीचे का हिस्सा थोड़ा थोड़ा दिख रहा था.. दो दो बलिष्ठ और जवान मर्दों के लंड अपनी दोनो छोटे छेंद में देखकर खुद आश्चर्य हो रहा था कि वो कैसे इन दोनो का अपने अन्दर ले पायी।
अब तक दोनो अपनी पूरी रफ्तार में आ चुके थे यश का लंड तो जैसे जैसे गुड्डी के अन्दर जाता उसके पेट में वो साफ साफ दिख रहा था जैसे कोई साँप उसके पेट में घूम रहा हों।

प्रिया अब तक यकीन नही कर पा रही थी की उससे मात्र 2 साल बड़ी गुडड् इतने बड़े बड़े मर्द कैसे हैन्डल कर ले रही है। उसने तो एक बार अपनी उँगली बाथरुम में अपने उसमें डाली थी तो बहुत तेज दर्द हुआ था।

गुड्डी अब हर धक्के पर सातवें आसमान पर पहुँच रही थी। पीछे से अमन का वैक्यूम और आगे से यश का ऑरगेज्म.. इससे ज्यादा मजा उसे अपनी लाईफ में कभी नही आया था.. किसी भी काम में... यहाँ तक की किसी खेल में भी.. ये खेल उसकी जिन्दगी का सबसे मजेदार खेल था जिसे वो हर समय खेलना चाहती थी..

धक्को की रफ्तार बढ़ती जा रही थी.. पूरा पलंग ऐसे हिल रहा था जैसे कीसी सुहागन की पहली सुहागरात हो। गुड्डी कीसी खिलौने की तरह उन दोनो की बीच उछल रही थी.. वो दोनो के बीच एकदम बच्ची लग रही थी जैसे कोई पिता अपनी छोटी बच्ची को गोद में लेकर दुलार कर रहा हो.. और थी भी वो बच्ची..

लगभग 25 मिनट के बाद अमन के गले से गुर्राने की आवाज आने लगी..


“ एक बूँद भी मेंरे चद्दर पर नही गिरनी चाहिए.. नही तो तुम्ही लोग से साफ कराऊँगी “

अमन किसी तरह 3-4 स्ट्रोक और लगाए और आखिरी बार अपना पूरा लिंग गुड्डी के गांड में अन्दर तक डाल दिया और अपने वीर्य निकालने लगा। गुड्डी कि पूरी गांड अमन के वीर्य से भर गयी.. उधर यश भी अब तक अपना वीर्य छोड़ चुका था.. उन दोनो के वीर्य की गरम बूँदे गुड्डी अपने अन्दर महसूस कर रही थी.. उसका मन पूरी तरह से सन्तुष्ट हो चुका था और शरीर तो ना जाने कब का जवाब दे चुका था। पूरी तरह से स्खलित होने के बाद अमन ने गुड्डी के जिस्म से अपने वीर्य और गुड्डी के गुदा रस से सना अपना लंड बाहर निकाला और गुड्डी को पकड़ के बिस्तर के दूसरी तरफ फेंक दिया। गुड्डी की आँखे अमन से मिली और दोनो मुस्करा पड़े। अमन ने पास में ही पड़ी एक चढ्ढी उठायी और अपने लिंग को साफ करने लगा..

ध्यान से देख रही प्रिया को अचानक एक जोर का झटका लगा..ये तो उसकी ही अन्डरवियर है..

तभी कमरें से बाहर आवाज आती है.. “ प्रिया.. कहाँ है तू इतनी देर से..”

आवाज सुनते ही प्रिया दौड़कर बाहर निकल गयी.. बाहर उसकी मम्मी

उसे अनामिका के रूम से बाहर निकलते देख कर उससे पूछने लगती है


“ क्या कर रही थी अनामिका के रूम में “

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वो.. वो.. एक मैथ्स का क्वेश्चन नहीं समझ आ रहा था मम्मी वहीं अनामिका भाभी से समझ रही थी..”

प्रिया खुद चौक गयी अपनी सफेद झूठ पर.. इतनी आसानी से वो झूठ बोल रही थी.. आखिर क्यो वो ये सब छिपा रही थी..

अभी प्रिया की मम्मी बाहर खड़ी होकर बात कर ही रही थी की तभी अमन जो कि अब पूरे कपड़े पहन चुका था गेट पर खड़ा होकर प्रिया की मम्मी को देख रहा था।

सुधा अमन देखते ही थोड़ी नर्वस हो गयी और तभी अमन ने उसे आँख मार दी.. वो इसके लिए तैयार नही थी उसे अचानक खांसी आ गयी.. आखिर अमन जानता था कि सुधा के पेट में उसका बच्चा पल रहा था

और सुधा भी।

जाते जाते प्रिया मुड़कर अमन की तरफ देखने लगी, अमन ने हाथ हिलाकर उसे बॉय किया.. कुछ सोचने के बाद प्रिया ने भी एक स्माईल के साथ हाथ उठाकर अमन को बॉय किया।

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UPDATE: 18
प्रिया बनी दुल्हन पार्ट-1


अब तक प्रिया अनामिका से काफी फ्रैंक हो चुकी थी.. सुधा से उसने अनामिका के पास जाने की इजाजत ले ली थी.. सुधा को उसने बताया था कि अनामिका भाभी उसे होमवर्क करने में हेल्प करती थी और गुड्डी के साथ उसका और भी ज्यादा मन लगता था पढ़ाई में..


ये तो प्रिया ही जानती थी कि अनामिका के रूम में जाकर वो कितनी पढ़ाई करती थी। प्रिया अपने नोट्स लेकर अनामिका के रूम में आती और एक तरफ फेंक देती.. वो तो वो अपनी मम्मी को दिखाने को लिए लाती थी.. हर रोज वो गुड्डी की चुदाई अपने आँखो से देखती थी और अनामिका उसे सेक्स के बारे में खूब ढेर सारी जानकारियाँ देती थी.. अनामिका के मोबाईल में खूब ढेर सारे भोजपुरी गाने और मूवींज थी जिसे प्रिया बड़े चाव से देखती थी। लेकिन मोबाईल में जो उसका सबसे फेवरेट चीज थी, वो थी अनामिका को हिडेन फोल्डर में रखीं ब्लु फिल्में। एक से बढ़कर एक.. कैटगेरी वाइज- इबोनी, ऐनल, डबल पेन्ट्रेशन, बीबीडब्लयू। आते ही वो अनामिका का फोन कब्जा कर लेती थी और वही बिस्तर पर लेटकर चलाने लगती थी और हेडफोन लगाकर लॉक्ड सेक्शन में विडियों फाईल्स खोल लेती थी.. पॉसवर्ड उसे अनामिका ने बता दिया था.. उस सेक्शन में उसे हर तरह के विडियों मिल जाते थे..

एक विडियों को उसने प्ले किया तो प्ले होते ही उसमें एक काला से लम्बा आदमीं एक गोरी औरत को दिवाल से सटाकर उसके पिछवाड़े में अपना काला भुजंग लगातार डाले जा रहा था। प्रिया तो मारे हैरानी के उस लड़की के चेहरे का एक्सप्रेशन देख रही थी.. वो लड़की बड़े मजे में
“ फक मी..फक मी“ चिल्लाए जा रही थी..

“ भाभी.. इस लड़की को दर्द नही हो रहा है.. इतना बड़ा..“

“ ऩहीं यार उसे तो अच्छा लग रहा है तुम खुद ही देख सकती हो“

सबसे ज्यादा आशचर्य प्रिया को गैंगबैंग सेक्स देखकर हुआ।

“ भाभी ये लड़की तो इतने लोगो के साथ... “

“ और नही तो क्या.. इसका तो रिकार्ड है 719 लोगो के साथ एक ही दिन और लगातार..“

“ हाय राम“

“ क्या हाय राम.. कोई भी लड़की बड़े आराम से कर सकती है ऐसा.. कुछ चीजो का ख्याल रखना पड़ता है, यहाँ तो सब डरपोक है कोई ट्राई ही नही करना चाहती..“

“ आपने किया है भाभी“

“ हा हा.. हाँ कालेज टाईम में किया है 2 बार.. मेरे ग्रुप में 4 लड़के थे और हम तीन सहेलियाँ। पहली बार तो एक सहेली के घर हम सब गये थे जब उसकी मम्मी कुछ दिनों के लिए घर से बाहर गयी हुई थी तब हम सब एक साथ ही सब कुछ कर रहे थे एक दूसरे के सामने और बीच-बीच में पार्टनर बदल दे रहे थे“

“ क्यों पार्टनर क्यों बदल रहे थे प्रिया ने बड़े इन्टरेस्ट के साथ पूछा“

“ ये हम लड़कियों का पहले से ही प्लान था.. रूचि मेरे ब्वायफ्रेंड को टेस्ट करना चाहती थी और मै अनीता और रूचि दोनो के ब्वायफ्रेंड को“

“ ही ही.. भाभी आप लोग तो जैसे कोई खाना खा रहे थे ऐसा लग रहा है..“

“ हा हा.. जवानी में ये सब खाना ही लगता है डियर.. जब तुम जवान होगी तब समझ आयेगा.. रात दिन बस इसी के सपने देखोगी, उस वक्त लगेगा कोई भी मिल जाए और तुम्हारे बिल में अपना साँप डाल दे“

दोनो एक साथ हँस पड़ी.. अब प्रिया भला क्या बताती अनामिका को.. कि जवानी तो बहुत दूर की बात है उसका तो लड़कपन से ही बहुत मन करता है कि कोई उसके जांघो के बीज घुसे और समा जाऐ उसके तन बदन में।

अनामिका भी प्रिया के मन की बात अच्छी तरह से समझ रही थी.. वो जानती थी कि लोहा धीरे धीरे गरम हो रहा है, उसे बस एक चोट अच्छे से करना है.. लेकिन जल्दबाजी नही.. अगर लोहा अच्छे से ना पका तो टूटने का भी डर रहता है।


गुड्डी.. वो तो एकदम से आवारा हो चुकी थी। दिन भर घर में अनामिका के रूम में घुसे रहना और वहाँ से खाली होने पर पूरे गाँव में घूमना। वैसे तो कभी कभी स्कूल जाती थी लेकिन महीने के ज्यादातर दिन वो गाँव कि अपनी हमउम्र सखी-सहेलियों के साथ गाँव भर में आवारागर्दी करती। और उसकी सहेलियाँ किसी सभ्य घराने कि नही थी.. कोई घास काटने वाली तो कोई उसके घर में काम करने वाली.. एक दो उसकी सहेलियों की बहने थी और कुछ उसकी सहेलियों की सहेलियाँ..

अमन और यश के लगातार चोदने की वजह से उसके जिस्म में काफी बदलाव हो चुके थे.. उसकी छाती थोड़ी भर गई थी और कमर के नीचे का हिस्सा तो और भी भारी हो गया था। उसकी गलती भी नही थी जो लड़की पूरे जी-जान से लगातार दो एक्सीपिरीयंस मर्दों से दिन-रात चुदती रहे तो उसके जिस्म में बदलाव आना लाजमी है। गुड्डी की मम्मी भी उस पर खास ध्यान नही दे पा रही थी.. आस पड़ोस की औरते की चुगली का हिस्सा रहता था गुड्डी का बदन।

“ तुमने देखा है उसे शिल्पी की अम्मा“

“ हाँ बहन देखा तो है.. लेकिन आजकल के बच्चो का खान पान भी तो ऐसा है हो सकता है उसका शरीर ऐसे ही बना हो“

“ अरे नही बहन.. मै तो देखकर ही बता सकती हूँ.. हो ना हो ये किसी के साथ मुँह काला कर रही है“

“ राम जाने बहन.. अभी तो बहुत छोटी है.. पता भी नही होगा अभी तो उसे ये सब..“

“ अरे पिंकी की भौजाई परसों भोरहीं में गयी थी लोटा लेकर.. उसने अपनी आँखो से देखा इसको और नजकऊ भुजवां के लड़के को.. बता रही थी जिस तरह से दोनो कर रहे थे कि जवान दूल्हा दूल्हन भी शर्मा जाए“

“ हाय दईयां.. इतनी कम उमर से ही ये सब.. अभी से ये हाल है तो जवानी में क्या करेगी महारानी..”

“ क्या करेगी हमारी बहूँ बेटियों को बिगाड़ेगी और क्या“

“ सुना है कि सुधा की जो नई पतोहु आई है वही ये सब सिखा रही है उसके घर की लड़कियों को..”

“ हाँ आई भी तो दक्खिन से है.. वहाँ की लड़किया तो जन्म से ही छिनार होती है.. मैने तो पहले ही उसे बोला था कि मत कर उस तरफ शादी.. लेकिन लोग भलाई को जलन समझ लेते है बहन.. अब भुगते ! “

“ सही कहती हो बहन.. जोखू के यहाँ भी तो दक्खिन से ही बीह के लाए थे.. जुम्मा जुम्मा 2 महीने भी नही हुए थे कि देवर से धसवाँ लिया अपने में.. और जोखू की बिटियाँ को भी अपने जाल में फसाकर खुद की तरह छिनार बना दिया.. भाग गई देवर के साथ ही.. उसकी बिटियाँ भी चुदवाते चुदवाते ही तो निपुर गयी थी किसी बीमारी से“

गाँव भर में गुड्डी के करतूतो की चर्चा होती.. औरते तो औरते, मर्द भी पप्पू की दुकान पे चाँय के साथ इसी बात पर चर्चा करते.. गाँव के आवारा लड़के इसी फिराक में रहते थे कि बस एक बार गुड्डी मिल जाए.. और इतनी टाईट माल किसे नही चाहिए थी भला.. उसी के चक्कर में गाँव भर के लड़के दिन दिन भर सड़को पर बैठे रहते कि बस एक झलक मिल जाए उसकी.. और रात रात भर गाव की पगडंडियों और खेतो की खांक छानते.. और तो और सुबह सुबह 4 बजे भोर से ही ट्यूबवेल के पास सारे भँवरो की भीड़ लग जाती थी कि शायद गुड्डी भी लोटा लेकर आ जाए.. वहीं तो एक अड्डा था जहाँ गाँव भर की महिलाऐँ सुबह निपटने जाती थी और कुछ निपटने जाती थी। चुदाई और सफाई दोनो धुवाँधार होते थे वहाँ।

लेकिन गुड्डी को इन सब बातो से कोई फर्क नही पड़ता था.. वो तो अपने झुण्ड में सबसे आगे रहती थी और दिन भर कभी यहाँ-कभी वहाँ घूमती थी। वैसे तो उसे बोलने वाला कोई नही था, आखिर गाँव के सबसे अमीर और सभ्य परिवार की लड़की थी लेकिन जब कोई परिवार का या रिश्तेदार मिल जाता तो वो ननकी और गोबरी को पीछे छुप जाती थी।

अमन और यश दोनो ने जी भर कर गुड्डी के काम रस का पान कर लिया था.. जब गुड्डी का जिस्म उन दोनो के सेक्स का आदी हो गया तो दोनो का इन्टरेस्ट कम हो गया.. वैसे भी अमन का ध्यान तो गुड्डी से भी टाईट माल प्रिया के ऊपर था और यश तो रोज कोई ऩई चिड़ियाँ फांस लेता था। अनामिका का भी ध्यान अब गुड्डी से हटकर प्रिया को फांसने में लगा था। गुड्डी करती भी तो क्या

अभी तो उसके मजे और आनन्द के दिन शुरु हुए थे। जब उसकी प्यास बढ़नी शुरू हुई तो पानी ही खत्म हो गया इसलिए उसने घर के बाहर की तरफ रूख कर लिया था.. और वैसे भी उसे घर के बाहर नये नये लोगो से मिलना ज्यादा मजा देता था।

आज उसकी टोली लखन चाचा की आम की बारी में इकट्ठा हुई थी। सबसे बड़े पेड़ के नीचे 5-6 लगभग हमउमर की लड़कियाँ इधर उधर बैठ कर आपस में बाते कर रही थी.. उसमे सबसे छोटी गुड्डी ही लग रही थी.. ननकी एकदम से पतली और गुड्डी की हाईट के बराबर था जबकी गोबरी की हाईट और उमर दोनो से ज्यादा थी उसका पूरा जिस्म भरा हुआ था जैसे किसी विकसित औरत का.. मीठी थोड़ी ठीक ठाक थी पूरे ग्रुप में वही एक थी जो गुड्डी की खूबसूरती के आस पास था बाकि लड़कियाँ भी कुल मिलाकर ननकी और गोबरी की तरह थी।

“ ऐ गुड्डी !! सुना है कि छंगूवां तेरे प्यार में दिवाना हो चुका है“
आम कि पत्ती में तिनके से छेद करते हुए गोबरी गुड्डी से बोली|

“ ये कौन है“

“ छंगू बिरहज का बड़ा लड़का है, पूरा पागल है एक आँख से कान भी.. सुना है कि हलफ उठाया है उसने कि तुझे अपनी दुल्हन बना कर रहेगा नही तो कुवारा ही रहेगा.. “ ननकी ने अपनी आँखे बड़ी करके ऐसे बताया जैसे कोई मूवी की स्टोरी सुना रही हो

“ ही ही पागल है वो.. इतनी आसानी से ये गुड्डी किसी के हाथ नही आने वाली.. और जिस काम के लिए शादी होती है वो तो मै बिना शादी के ही कर चुकी हूँ तब मै उस बेवकूफ से शादी क्यो करूँगी..“

“ और वो पिंटू का क्या करेगी वो तो गुडो का सरदार है.. उसकी बहन कह रही थी कि तुझे उठाने की बात कर रहा था“ मीठी ने बीच में टोका

“ अब जब जालिम उठा ही लेगा तो मैं भी अपनी फ्राँक उठा लूंगी और क्या“

सारी टोली में ठहाका फैल गया। अभी बाते चल ही रही थी कि तभी दूर एक पेड़ के पीछे से किसी गाय के रम्भाने की आवाज आई.. आवाज सुनकर ननकीं ने वहाँ देखा तो उसका चेहरा ही बदल गया.. उसने सबकी तरफ देखा..सारी लड़कियाँ एक साथ पेड़ पर चढने लगी, गुड्डी को कुछ समझ नही आया, अचानक क्या हो गया.. ये सब पेड़ चढ़ने का कम्पीटीशन क्यो करने लगी

“ क्या हुआ ? “

“ अरे वहाँ देख बुद्धु“
सामने गुड्डी ने देखा तो एक काली सी बहुत ही बड़ी और ताकत वर गाय उसकी तरफ दौड़ती चली आ रही थी

“ इससे क्यो डर रहीं हो तुम लोग.. ये तो सिर्फ एक गाय है“

“ अरे वो गाय नही है महारानी जी छुट्टा साँड़ है.. जल्दी से पेड़ पर चढ़ जाओ नही तो अपनी सींग तुम्हारी गांड में डालकर खुद पेड़ पे चढ़ा देगा“

गुड्डी का तो दिल बैठ गया ये सुनकर.. उसे तो पेड़ पे चढ़ना आता ही नही

1 user likes this post  • dpmangla
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तभी गोबरी एक डाल नीचे आती है और अपना एक हाथ नीचे की तरफ करती है जिसे गुड्डी पकड़ कर आराम से पेड़ पर चढ़ जाती है। उसके चढ़ने के तुरन्त बाद ही वो साँड़ ठीक गुड्डी की जगह आकर पेड़ पे एक जोरदार टक्कर मार देता है और मुँह से अजीब अजीब आवाजे निकालने लगता हैं, जैसे उसे पता हो कि उसके चढ़ने के लिए यहाँ पर कई सारी गाये बैठी हो।

“ तू तो बहुत बोला करती है गुड्डी की तूने बहोत बडे बड़े पेल्हर अपने बिल में घुसवाये हैं, बोल इसका ले पायेगी ? “

“ ही ही ही ही !!“

सारी लड़कियाँ गोबरी की बात सुनकर हस देती है.. वही तो देख रही थी गुड्डी.. सनसनाता हुआ लाल रंग का किसी तलवार की तरह लटक रहा था उसका वो, सच में किसी औरत के अन्दर जाए तो चीर ही डाले.. गुड्डी उसका साईज अपनी आँखो से नापने की कोशिश कर रही थी.. उसे पता चल गया कि जितना साईज उसके मुँह से लेकर उसके कमर तक है उतना लम्बा तो उसका लिंग है.. सपने में भी नही सोच सकती थी गुड्डी इसके बारे में..

गुड्डी की तरफ से कोई जवाब ना पाकर गोबरी ने उसे फिर से छेड़ा..

“ तूने किसी मर्द का कभी लिया भी है कि नही.. बस ऐसे ही फेकती रहती है हम नादानो के आगे.. तेरी उमर से तो नही लगता कि तू अभी ठूकाई के लिए तैयार भी है“

इतना सुनना था कि गुड्ड ने वही डाली पे बैठे बैठे गोबरी का हाथ पकड़ा और अपनी फ्राक उपर उठा के उसकी बीच वाली ऊँगली अपनी योनि के अन्दर एक बार में ही घुसा दी...

“ गच्चाकककककककक“

गोबरी तो सन्न रह गयी.. उसे बिल्कुल अन्दाजा नही था कि गुड्डी ऐसा

भी कर सकती है.. उसके साथ ही सारी लड़कियाँ गोबरी की ऊँगली को गुड्डी के योनि में पूरी तरह से घुसी देखकर दंग थी।

“ अच्छी तरह से टटोल लो.. फिर ना कहना कि गुड्डी तूने कुछ बताया ही नहीं“

गोबरी ने अपनी ऊँगली बाहर निकाली और उसे ध्यान से देखने लगी.. कहाँ उसका अपना छेंद जिसमें उसकी ऊँगली का अगला हिस्सा भी चला जाए तो आँख से आँसू निकल आते थे कहाँ गुड्डी में तो उसकी पूरी ऊँगली ही... और फिर गोबरी को छोड़कर बाकी सारी लड़कियाँ एकदम जोर से हसने लगी.. गुड्डी भी उनका साथ दे रही थी।

इधर प्रिया को फसाने के लिए अनामिका ने अपने जाल फैला दिये थे..
प्रिया स्कूल से आते ही खाना खाकर सीधे अनामिका के रूम में घुस जाती थी और फिर सोने के टाईम में ही अपनी मम्मी के पास जाती थी।

अब तो उसे स्कूल के काम की भी ज्यादा परवाह नही थी.. उसे तो बस राहुल सर को खुश करना पड़ता था बाकि वो खुद ही सम्हाल लेते थे..
उधर प्रिया की मम्मी भी प्रिया को बहुत कुछ नही बोल पाती थी क्योकिं वो खुद अमन से हर दूसरे-तीसरे दिन चुद जाया करती थी.. अब जब खुद ही पाप करें तो अपनी बेटी को किस अधिकार से रोंके..
और अब तो उसके पेट में अमन का बच्चा भी ठहर गया था.. हालांकि अगर वो चाहती तो उस बच्चे को दवा खा कर रोक सकती थी लेकिन पता नही क्यो वो उसे पाल रही थी.. वो जानती थी की प्रिया के पापा बिजनेस के सिलसिले में लगभग हमेंशा बाहर ही रहते है और अगर 5-6 महीने में उसका पेट बाहर निकलना शुरू होगा तो घर वाले उससे सवाल करेंगे ही लेकिन वो चाहकर उस बच्चे के खुद की कोख से नही हटा पा रही थी।

प्रिया को भी धीरे-धीरे ये माहौल अच्छा लग रहा था.. वो हर समय अनामिका भाभी की नकल करने की कोशिश करती.. उसकी तरह बोलने की.. चलने की.. रहने की यहाँ तक की कपड़े पहनने में भी वो अनामिका की नकल करती.. अभी से ही अनामिका ने उसे पैडेड ब्रा, क्राउचलेस पैन्टी, ट्रान्सपैरेंट ब्लाऊज के बारे में समझा दिया था.. अनामिका ने उसके लिए एक डीप नेक का समीज और सूट सिलवा दिया था, हालांकि लो कट में प्रिया के सपाट सीने के अलावा कुछ नही दिखता था लेकिन अनामिका ने बताया था कि जल्द ही उसके भी स्तन अनामिका के बराबर हो जायेंगे। अन्डरवियर तो अनामिका ने छुड़वा ही दिया था..

प्रिया को ऊपर क्या अच्छा लगेगा क्या अच्छा नहीं लगेगा कौन से कपड़े पहनेगी कौन से नही पहनेगी क्या खायेगी क्या पीयेगी कहां जायेगी सब कुछ अनामिका ही तय करने लगी। प्रिया की मम्मी कुछ बोलने की कोशिश करती तो अमन उसे चुप करा देता था।

य़ही तो प्लान था अनामिका का.. धीरे धीरे प्रिया को उसकी पकड़ से आजाद करा देना और अमन के नीचे लाना.. उसी के लिए तो उस पर इतने पैसे खर्च कर रही थी वो.. मंहगी मंहगी ड्रेस और मेकअप सब कुछ वो प्रिया को देती थी।

अमन अनामिका से हमेंशा कहता

“ एक-एक पैसे को मैं अच्छी तरह से वसुलूंगा दीदी“

“ अब चिड़ियाँ फासनी है तो दाना तो डालना ही पड़ेगा भैया“

प्रिया धीरे धीरे अनामिका के रंग में रंगती जा रही थी। अब तो वो अपनी मम्मी की बात भी अनसुना कर देती थी। स्कूल में उसे पढ़ाई से ज्यादा इश्क के पेंग लडाने में मजा आता था। लड़को को स्कूल के बाहर मिलना, उन्हें आँख मारना. कई कई से तो एकदम सेक्सी बाते तक कर लेती थी। ये अभी उसके सीखने का दौर था, और वो सीख भी रही थी बहुत जल्दी और बहुत तेज..

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प्रिया बनी दुल्हन पार्ट-2



सुहाग सेज पर बैठी प्रिया, दुल्हन के जोड़े में एक खूबसूरत गुड़िया की तरह लग रही थी। हाथों और पैरों में खूब गाढ़ी मेंहदीं, सलीके से सजाई हुई बालो की चोटी जिसमें बीच में हल्के से सिन्दूर की रेखा, माथे पे एक बड़ी सी बिंदिंयाँ जो उसके छोटे से माथे पर किसी लाल सूरज की तरह दिख रही थी, गले में एक बड़ा सा लटकता हुआ सोने का मंगलसूत्र जिसे प्रिया को उसकी भाभी अनामिका ने गिफ्ट किया था, छोटे-छोटे हाथों मेंचढ़ाई हुई लाल कलर की छोटी छोटी चूड़ीयाँपूरी कलाई भर, लाल रंग का ही एकदम फिटिंग बाडी से चिपका हुआ ब्लाउज, ब्लाउज के बाद से नाभि के नीचे तक पूरा खुला पेट, पेट मे एक काले रंग की करधन जो कि उसकी छोटी और पतली गोरे कमर पर किसी साँप कि तरह लग रहा था, नाभि के खूब नीचे से कढाँईदार लहंगाँ एड़ी तक और पैरो में दो जोड़ी खूब मोटी मोटी पायल जिससे चलने पर छम्म छम्म की आवाज निकलती थी ..कुल मिलाकर उस वक्त प्रिया एक छोटी सी, बला की खूबसूरत दुल्हन लग रही थी। हालांकि बाकी लड़कियों की तरह अभी वो जवान नही थी, अभी भी वो काफी छोटी थी और हाईट तो अभी भी बच्चो वाली ही थी, अब है ही बच्ची तो ये तो होना ही था.. लेकिन यही बात उसे और भी क्यूट बना रही थी ।



इधर अनामिका ने भी कोई कसर नही छोड़ रखी थी उसे एक परफेक्ट दुल्हन बनाने में.. अपनी पहचान की सबसे महंगे ब्यूटी पार्लर की सजाने वाली को घर बुलाया था । पूरे 5 घंटे लगे थे प्रिया को सजाने में। उसकी बाडी के हर एक पार्ट को अच्छी तरह से अनामिका ने जाँचा परखा था।


ऐज को लेकर कोई लफड़ा ना हो इसलिए उसने ये सब कार्यक्रम एक आलीशान होटल में अरेंज्ड कराया था.. और केवल खास मेहमानो को ही इन्वाईट किया गया था जिसमे अनामिका की कालेज की सहेलियाँ और अमन के फ्रेंड्स थे। गुड्डी और उसकी गाँव की कुछ सहेलियो भी शादी में मौजूद थी लेकिन गुड्डी के अलावा और किसी को भी इस शादी के बारे में नही पता था। होटल के पूरे मैनेजमेंट के एक एक स्टाफ को अनामिका ने जम के पैसे दिये थे पूरा कार्यक्रम सीक्रेट रखने के लिए..
प्रिया की मम्मी को भी अनामिका ने यही बताया था कि एक ड्रामा-रिहर्सल के लिए प्रिया को दुल्हन बनना है, पहले तो सुधा ने अनामिका की वजह से परमिशन नही दी लेकिन अमन के लण्ड की गुलाम बन चुकी वो भी ज्यादा विरोध नही कर पाई।



इस वक्त प्रिया एक बड़े से पलंग पर शादी के जोड़े में सिमटी हुई अपनी आँखे झुकाए अपने सुहाग के आने का इन्तजार कर रही थी। उसकी धड़कने अपनी पूरी रफ्तार से दौड़ रही थी, आज रोमांच चरम पर था, इतनी रोमांचिंत तो वो तब भी नही थी जब उसकी मम्मी सुधा उसकी फेवरेट ड्रेस मार्केट से लाई थी.. आखिर आज उसका सपना सच होने जा रहा था, जिस अमन भैया के वो दिन रात सपने देख रही थी आज वो उसके हो ही गये। अपनी मांग मे अमन भैया के नाम का सिन्दूर देखकर ही उसका दिल सातवें आसमान पर उछल रहा था। आज वो उसकी पत्नी बन ही गयी। अर्द्धागिनी.. अब अमन पर उसका पूरा हक था.. तभी तो जिस इंजेक्शन को दूर से ही देखकर वो रोने लगती थी, आज अमन के लिए हसते हसते उसे बरदाश्त कर लिया.. शबाना दीदी ने इंजेक्शन लगाते वक्त बताया कि इससे अमन का तुम्हारे लिए प्यार और भी ज्यादा बढ़ जायेगा.. और अमन को खुश करने के लिए तो वो किसी भी हद तक जा सकती थी।


इन सब चीजो के लिए वो अनामिका भाभी कि जिन्दगी भर के लिए

कर्जदार हो गयी थी आखिर ये सब सम्भव हो सका तो सिर्फ अनामिका भाभी की बदौलत, तभी तो वो सबसे ज्यादा उनको को ही पसन्द करती थी.. अमन भैया से भी ज्यादा। एक वही थी जो उसकी मन की बात जान जाती थी, उसकी हर एक इच्छा वही पूरी करती थी।
अभी प्रिया ये सब सोच ही रही थी की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और दरवाजा खुल गया। प्रिया को लगा कि अमन अन्दर आ गया, उसका छोटा सा दिल अपने छोटे से पिंजड़े में धाड़ धाड़ करके बजने लगा.. वो मारे संकोच के और भी ज्यादा सिमट गयी। सुहागन बनने के बाद लड़की में बदलाव अपने आप ही आ जाते है ये बात प्रिया खुद महसूस कर रही थी.. आखिर इस तरह से शर्माना उसे किसी ने सिखाया तो नही था.. फिर भी वो पता नही क्यो आज वो लाज-शरम की नदी में डुबकिया लगा रही थी।


लेकिन जब उसने अनामिका की आवाज सुनी तब उसे राहत महसूस हुई। प्रिया ने अपनी नजर उठाकर देखा तो अनामिका ने लाल रंग का लंहगा पहन रखा था.. पूरा नेट वाला.. गौर से देखने पर उसके एक एक अंग को आसानी से निहारा जा सकता था.. उसे कोई अन्डरगार्मेन्टस नजर नही आ रहे थे। बेहद खूबसूरत.. गोरा रंग, खिला हुआ चेहरा, दुनिया की सबसे खूबसूरत स्माईल.. और फिगर.. वो तो ऐसा कि स्वर्ग की अप्सराएँ भी शर्मा जाए.. प्रिया, अनामिका को देखकर सोचने लगी क्या वो कभी इतनी सुन्दर बन पायेगी.. अपने अनामिका भाभी की तरह.. चेहरे पर हमेशा एक चमक,किसी को भी खींज लेने वाली लचक, साँचे में ढला बदन, और ये अदाएँ..


अनामिका ने धीरे से दरवाजा बन्द किया और प्रिया के पास आ गयी। उसके हाथ में दो ग्लास थे जिसे उसने पलंग के साईड में रख दिया और प्रिया के सामने बैठ गयी।
आहहहहह कितनी प्यारी लग रही है मेरी बच्ची, नजर ना लग जाए, अनामिका ने काजल का एक टीका उसके माथे पर लगा दिया।
प्रिया अचानक झटके से उठी और अनामिका से खूब कस कर चिपक गयी।

अरे क्या हुआ पागल.. रो क्यों रही है

I Love You भाभी

Love You Too My baby

लेकिन तू रो क्यो रही है.. कोई प्राब्लम है

नही भाभी.. आप प्राब्लम की बात कर रही है, मैने अपनी जिंदगी में

इससे ज्यादा खुशी का पल नही देखा

हा हा बड़ी-बड़ी बाते करने लगी है मेरी बच्ची.. और तेरी जिन्दगी हुई ही कितनी है.. अभी तो तेरी गुड्डे गुड़ियो से खेलने की उमर है.. जब बड़ी हो जाना तब जिन्दगी की बाते करना.. परसो तेरा रिजल्ट आया था.. फिर से आठवीं फेल हो गयी है तू.. पता है कैसे कैसे मैने तुझे पास कराया..


ये सुनते ही प्रिया के होठो पर प्यारी सी स्माईल आ गयी।
लेकिन यार.. मै अभी भी कन्फ्यूज हूँ कि अब मै तुझे किस रिश्ते से बुलाऊ, पहला रिश्ता तो ननद का है क्योकि मेरी तेरे भाई से शादी हुई, अब मेरे भाई से तेरी शादी होने के बाद, मै तेरी ननद हो गयी.. “


“ भाभी आप भी ना..” प्रिया मारे शर्म के गड़ी जा रही थी

1 बाकी तो सब ठीक है लेकिन जब तेरे बच्चे होंगे तब वो मुझे क्या बुलाऐगें य़ हाँ.. बुआ या बड़ी मम्मी.. 2

“ जो आपको पसन्द हो वो बोल देना वही मै उन्हे सिखा दूंगी..”

1 अच्छा बड़ी जल्दी है बच्चे पैदा करने की, पहले खुद तो बड़ी हो जा.. आठवीं तो पास हो नही पा रही, चली है बच्चे पैदा करने..

दोनो आपस में ही ठहाके मार कर हसने लगी

भाभी वो शाबाना दीदी ने मुझे किस चीज का इंजेक्शन लगाया है य़

अरे हाँ मै बताना ही भूल गयी ऍ वो फिमेल हारमोन्स बढ़ाने का इंजेक्शन है, ये जो तेरे ना के बराबर छोटे-छोटे नींबू है ना इसे रसदार बनाने के लिए..

प्रिया मारे आश्चर्य के अपने सीने की तरफ देखने लगी..

तो क्या सारी लड़कियाँ इसके लिए इंजेक्शन लेती है य़

हा हा अरे नही पगली ऍऍ पहले लड़की की माहवारी स्टार्ट होती है , फिर किसी लड़के से मिलन के बाद जब वो माँ बनती है तब उसकी छाती में दूध आता है ताकि बच्चे की पेट की भूख मिट सके और साथ ही साथ लड़को के सेक्स की ।

ही ही सच्ची भाभी.. क्या लड़के भी पीते है दुध्धू.. मैने तो देखा है मम्मी लोग सिर्फ छोटे बच्चो को ही पिलाती है..

अरे अभी तुझे नही पता.. बच्चे को दूध पिलाने के बाद भी काफी दूध बचता है जिसे लड़की को हमेशा अपने पति को पिला देना चाहिए इससे दूध भी काफी मात्रा मे बनता है, पति को पोषक तत्व भी मिलते है और दोनो को मजा भी आता है

“ अच्छा भाभी मैने सुना है किसी को भी दूध पिलाने में बड़ा मजा आता है..”

“ हा हा हा हाँ यार मजा तो उसमें भी बहुत आता है अब तूझे क्या बताऊ.. जब मै हाई स्कूल में थी.. तब तो मेरे भी निंबू जैसे थे तो रिस्ते की एक मामी जिनका था, उन्होने मुझको छेड़ने के लिए अपनी उसे मुझे दे दिया और मेरी शर्ट खोल कर उसे मेरे दूध पकड़ा दिये.. तुझे कैसे बताऊ इतना मजा आ रहा था कि मै उसे छोड़ ही नही पा रही थी लग रहा था कि बस वो ऐसे ही खींच खींच के पीता रहे और मै पिलाती रहूँ

लेकिन 1 घंन्टे में ही उस हरामखोर मामी ने उसे छुड़ा लिया..”

“ हा हा हा तब तो मैं सबसे पहले आपको ही दूंगी.. दूध पिलाने के लिए..”

“ हा हा अभी तो तू खुद मेरे पीने लायक है, और जो आज आ रहा है पहले उसका इन्तजाम करो फिर आगे कि सोचना..”
अनामिका ने प्रिया के जेवर से लदे बदन को थोड़ा अपने पास खींचा और उसके छोटे से ब्लाउज के अन्दर हाथ डालकर प्रिया के हल्के से उठे हुए छोटे दाने को अपनी पूरी ताकत से दबा दिया.. प्रिया को एक असहनीय दर्द हुआ और उसके मुँह से एक आह निकल गयी..

निप्पल दबाते ही अनामिका के हाथ थोड़ा सा गीला हो गया, देखने पर उसके हाथ में थोड़ा थोड़ा दूध लगा हुआ था।

अभी थोड़ा थोड़ा दूध आ रहा है.. इंजेक्शन का असर शुरू हो रहा है.. कुछ देर में काफी आ जाएगा..

“ भाभी कोई साईड ईफेक्ट तो नही होगा इसका.. रेखा आंटी कह रही थी कि मेरी उमर की लड़की को दूध नही आना चाहिए!! ”

“ तू इसकी टेन्शन मत ले.. शबाना मेरी बचपन की फ्रेंड है और यू.एस.ए. में डाक्टरी कि पढ़ाई कर के आई है..”



अनामिका चाहती थी कि अमन को अगर कच्ची कली का भोग लगाने के साथ दूध भी मिल जाए तो उसे अच्छा लगेगा.. प्राब्लम ये थी कि प्रिया का तो अभी सीना ही सपाट था.. बहुत हल्की सी उठान और वो भी ध्यान से देखने पर पता चलता था तो भला उसमें दूध कहा से आता.. यहाँ जवान औरतो को भी बच्चे होने के बाद ही दूध आता है.. इसी वजह से अनामिका ने शबाना से कान्टैक्ट किया था. शबाना उसकी कालेज की फ्रेन्ड थी और एक अच्छी डाक्टर भी। अनामिका और शबाना की आपस में खूब पटती थी। जब जब अनामिका को किसी मेडीसीन या हेल्प की जरूरत पड़ती थी वो तुरन्त शबाना से हेल्प मांगती थी.. शबाना अपने बैग में प्रेगनेंन्सी रोकने कि मेडीसीन्स, सेक्स की चाहत बढ़ाने की मेडीसीन्स, और ना जाने किस किस तरह के कंडोम्स, भर भर के लाती थी और अनामिका के बैग में डाल देती थी.. एक तरह से शबाना ने ही अनामिका को ना जाने कितनी बार कुवाँरी माँ बनने से बचाया था.. और जब जब अनामिका को 1-2 दिन लगातार चुदाई करने का चान्स मिलता था तब सेक्स पावर बढ़ाने कि दवाई भी शबाना ही देती थी।
कुछ दिन पहले जब प्रिया और अमन के शादी की बात चली तब अनामिका को टेन्शन हुई.. उसे शबाना कि याद आ रही थी.. और शबाना थी भी तो सात समुन्दर पार.. अनामिका जानती थी कि प्रिया अमन को दिल से प्यार करती है और उससे मिलन के लिए पूरी तरह से तैयार है लेकिन इस बार सिर्फ मन से काम नही चलने वाला था.. भले ही प्रिया कितनी भी तैयार हो जाए लेकिन थी तो अभी छोटी.. गुड्डी तो फिर भी उससे एक साल बड़ी थी लेकिन उसके साथ भी कितनी मुश्किल हुई थी.. हालांकि उस बार अनामिका ने मामला किसी तरह सम्हाल लिया था क्योकि वो यश था.. यश अभी कच्ची कलियों के मामले में नया था इसलिए बात ज्यादा नही बिगड़ी.. लेकिन इस बार तो खुद उसका भाई अमन था वही अमन जिसे उसने बचपन से ही इस खेल के महारथी बना दिया था.. और वो अच्छी तरह से जानती थी कि एक बार अमन शुरु हो जाता था तो फिर बड़ी से बड़ी रण्डी भी पानी मांगने लगती थी तो ये तो प्यारी सी.. मासूम और गुड्डी से भी छोटी प्रिया थी.. और उस पर खुद अमन की पसन्द..

यही सब सोचकर अनामिका ने अमेरिका मे रह रही अपनी फ्रेंड शबाना को फोन लगा दिया।

3-4 घंटी जाने के बाद उधर से किसी ने फोन उठाया

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क्या बात है, आज इतने दिनो के बाद हमारी याद कैसे आ गई मैडम जी को

हा हा मै तो रोज करती हूँ अब तू ही इतनी दूर जा कर बैठ गयी है कि तूझे पता ही नही चलता

अच्छा अब मैडम जी ने हमी पर फेकना स्टार्ट कर दिया
कैसी है तू

मै तो मस्त हूँ यार अपना सेक्सोलाँजिस्ट का कैरियर अच्छा चल रहा है यहाँ पापा तो हास्पिटल खोलने का प्लान बना रहे है... तू बता तेरा कैसा चल रहा है.. तू तो खूब मस्ती कर रही होगी वहाँ.. रिशभ जीजू के साथ..

कहाँ यार तेरे जीजू तो 3 महीने मे ही मुझे अकेला छोड़ कर चले गये... बिजनेस के सिलसिले में उनका टूर है..

अरे यार ये तो नाइंसाफी है.. नयी दुल्हन को भला ऐसे भी कोई छोड़ता है क्या.. इतनी अच्छी घर की थाली छोड़कर बाहर खाना खा रहे है
हा हा हा सही कहा लेकिन मुझे कीई प्राब्लम नही है , यहाँ घर का खाना खाना वालो की कमी नही है और मै तो परोसते परोसते ही परेशान हूँ

हा हा तू बिल्कुल नही बदली अनामिका.. मुझे लगा शादी के बाद ये सब बन्द कर देगी

अरे शादी के बाद ही तो असली मजे स्टार्ट होता है पगली.. ना कोई रोकने वाला और ना कोई टोकने वाला.. जब मन हो और जिसके साथ मन हो कर लो

हाँ यार ये बात भी सही है तेरी .. और यहाँ यू.एस मे तो शादी की भी जरूरत नही है

अच्छा तू अमन को तो जानती है ना मेरा भाई

साली कमीनी, अपने भाई का मूसल जैसा लण्ड मेरी चूत मे धोखे से डलवाने के बाद बोल रही है कि मै उसे जानती हू कि नही, अगर पास मे होती तो तेरे बाल पकड़ के नोच लेती मै अभी..

हा हा ठीक है बाबा मै तो मजाक कर रही थी, अच्छा तू अभी वहाँ से छुट्टी लेकर कुछ वीक्स के लिए इण्डिया आ सकती है क्या य़ तेरी हेल्प चाहिए थी

अरे यार अभी इस 3 मन्थ्स मे तो बहुत लोड है यार 3 महीने बाद नही चल सकता

अरे मै तुझे वीक्स मे बुला रही हूँ तू तीन महीने बाद बोल रही है.. चल

ठीक है अब तो बहुत बीजी हो गयी है ना अपनी बेस्ट फ्रेंड के लिए भी टाईम नही है, वही रह अपने बाप का लंण्ड पकड़ के चाट


हा हा अरे यार तू तो बुरा मान गयी.. अच्छा मुझे पूरा मामला बता क्या है मै आ रही हूँ परसो की फ्लाईट पकड़ कर

अनामिका ने पूरी बात शबाना को समझा दिया । पूरी बात सुनने के बाद शबाना ने खुशी खुशी हाँ कर दिया।

अरे तो ये पहले बताना था ना। भला मै एसा मौका कैसे छोड़ सकती हूँ
अच्छा ये बता कि ऐसा पासिबल है की नही.. मेरा मतलब अभी उसकी उमर थोड़ी कम है तो...

ओ मैडम जी अब उमर की बात करोगी तो अभी उसको 10 साल और इन्तजार करना पड़ेगा जब उसके स्तन अपने पूरे आकार मे आ जायेंगे उसके बाद भी उसे अपना पेट फूलाना पड़ेगा तब जाकर कही दूध बनना शुरु होगा

अरे यार तब कैसे होगा

अरे तू इतना टेन्शन क्यो ले रही है. मुझे सब पता है क्या करना है. बस जो हारमोन्स कुछ साल बाद आयेंगे उन्हे मै इंजेक्शन से अभी ला दूँगी।


अच्छा तू आ फिर मिलकर सारी बात करते है।

ओके बाँय।

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प्रिया बनी दुल्हन पार्ट – 3 जैसे ही शबाना एयरपोर्ट से बाहर निकली, बाहर खड़ी अनामिका और गुड्डी ने आवाज देकर उसे बुलाया । अनामिका को देखते ही शबाना उससे गले से लिपट गयी, आस पास खड़े लोगो को लग रहा था कि दो बहने बहुत दिन बाद एक दूसरे से मिल रही थी, बात सच भी थी । अनामिका ने गाड़ी को पार्किंग से बाहर निकाला शबाना को आगे बैठने का इशारा किया । गुड्डी भी झट से पीछे वाला गेट खोलकर सीट पे धम्म से बैठ गयी। अनामिका ने गाड़ी के ईन्जन को हरकत दी, जल्द ही गाड़ी हवा से बाते कर रही थी। थोड़ी फुर्सत मिलते ही शबाना ने अनामिका की तरफ ध्यान दिया । एकदम से निखर गयी थी अनामिका और खुश भी लग रही थी। रेड कलर की लिपस्टिक, और उससे मैच करती सारी और चुड़ीया। सजना सवरना तो उसे कालेज के दिनो से ही पसन्द था और अब तो सुहागन भी बन चुकी थी। क्या देख रही है इतने ध्यान से अचानक से अनामिका की बात सुनकर शबाना झेप गयी क्यो मना है क्या अरे, कैसी बाते कर रही है यार, मैने कभी तुझे किसी बात के लिए मना किया है मजाक कर रही हूँ यार, तेरे तो रंग ढंग बदल गये है जैसे जैसे ये तेरे कपड़े, ये खामोशी, और चेहरे की मुस्कुराहट.. अच्छा कुछ ज्यादा ही नही नोटिस कर रही है मैडम शबाना पीछे सीट पर बैठी लड़की पे नजर डालती है अरे हाँ मै बताना ही भूल गयी ये है गुड्डी, मेरी ननद, गुड्डी ये है मेरी कालेज की फ्रेंड शबाना । हाय.. गुड्डी ने अपने हाथ हिलाते हुए एक प्यारी सी स्माईल दी हैला जी , कैसे हो आप मै ठीक हूँ दीदी, आप बताओ मै भी ठीक हूँ यार, अभी कौन सी क्लास में पढ़ती हो आप पहला बोर्ड होने वाला है दीदी अच्छा, तो पढ़ाई चल रही है अच्छे से वही तो नही चल रही है.. तेरी ननद तो बड़ी प्यारी है यार तो कोई ब्वायफ्रेंड है गुड्डी तुम्हारा गुड्डी का चेहरा मारे शर्म के लाल हो गया कैसी बाते कर रही है दीदी अभी मेरी उमर ही क्या है अच्छा जी और जब 7-8 इंन्च के लँड पे उछलती हो तब उमर नही दिखती ये सनते ही अनामिका और गुड्डी दोनो के चेहरे पर ना चाहते हुए भी हसी आ गयी हाँ दीदी है तो कई लेकिन सब गाँव के ही लड़के है तो कोई दिखने मे उतना अच्छा नही है इसलिये नही बता रही थी अरे पागल भला कोई शकल देखकर भी ब्वायफ्रेंड बनाता है.. बस सुपाड़ा दमदार होना चाहीए हा वो तो सब के एक से एक है शबाना की उत्साह बढ़ाने से अब गुड्डी भी खुलकर बोल रही थी धीरे धीरे गाँव की पगडँडीयाँ भी दिखनी शुरु हो गयी थी.. हरे भरे खेत देखकर शबाना को अपने बचपन की याद आने लगी.. कहा खो गयी शबाना.. अपना टाईम याद आ गया यार.. दीदी आपने भी मेरी तरह खेतो मे भी किया है हाहा अरे अपने टाईम मे तो हम खेत की रानीयाँ कही जाती थी.. तुम्हारी भाभी और मै 24/7 मिलते थे खेतो मे.. हमारी हालत तो ये थी कि अगर कोई हमारे घर के पीछे आवाज लगाता था तो भी हम पहुच जाते थे सच में.. गुड्डी अब तक खुद को ही हिम्मती समझ रही थी लेकिन यहाँ तो.. लेकिन आप कभी पकड़ी नही जाती थी.. मतलब अंकल और आंटी कभी शक नही करते थे पकड़े जाते थे यार लगभग हर दूसरे दिन पकड़े जाते थे.. लेकिन उस उमर मे कहाँ होश रहता था.. पिटाई होने के बाद फिर जब चूत मे खुजली होती थी तो पहुच जाते थे भोर मे ट्यूबवेल पर.. दीदी मुझे भी कुछ बताइये कि मै कैसे करू कि मुझे भी हमेशा ये प्यार मिलता रहे.. अनामिका भाभी तो कुछ हेल्प ही नही करती मेरी.. अच्छा गुड्डी की बच्ची.. आज शबाना दीदी मिल गयी तो मेरे बारे मे एसा सोचने लगी..

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8 2 comments 8

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Nice One

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Story ka start achha hai , parantu story me kuchh baate hai jinko le kar mere man me sawaal uth rahe hai....

1. Story ke anusar madhu ki age 27 year hai, aur uske bete ki age 19 year...(27-19=8) to kya 8 year ki age me madhu ne bete ko paida kar diya !!

2. Rishabh ki age abhi 19 year hai aur office bhi jaane laga ?
Abhi to uski age college ki hai !!

3 . Madhu kyu apni masoom aur pyaari bacchi ko randi bana kar baap , bhai aur saare mohhale ke mardo se chudwana chahti hai ?

4. 
Kya Anamika aur rishabh ki suhagraat me rishabh ko pata nahi chala ki anamika pahle hi chudi chudayi huyi hai... Mayke me ek ek raat me 10-10 lund kha chuki hai fir bhi !!


Muafi chahta hu...
Plz Meri baat ka bura na maaniyega.. mere man me jo sawal uthe wo maine bata diye

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