• HOME
  • AWARDS
  • Search
  • Help
Current time: 29-07-2018, 11:16 PM
Hello There, Guest! ( Login — Register )
› XXX STORIES › Hindi Sex Stories v
« Previous 1 ..... 4 5 6 7 8 9 10 ..... 61 Next »

Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा

Verify your Membership Click Here

Pages ( 2 ): 1 2 Next »
Thread Modes
Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा
Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#1
14-01-2018, 08:03 PM
दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा


[ये कहानी मराठी लेखक सागर की है मैं इसको हिंदी फोंट मेँ पेश कर रहा हूँ ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसको पढ़ के आनंद लें ]


जब मैं किशोरावस्था का था तब से मेरे मन मे लड़कियों के बारे मेँ लैंगिक आकर्षण चालू हुआ था .मैं हमेशा लड़की और सेक्स के बारे मे सोचने लगा . एक किशोर लडके के अंदर सेक्स के बारे मेँ जो जिज्ञासा होती है और उसे जानने के लिए वो जो भी करता है वह सब मैं करने लगा . मिसाल के तौर पर , लड़कियां और औरतों को चुपके से निहारना , उनके गदराये अंगो को देखने के लिए छटपटाना . उनके पहने हुए कपड़ो के अंदर के अंतर्वस्त्रों के रंग और पैटर्न जानने की कोशिश करना . चुपके से वयस्कों की फिल्में देखना , ब्लू -फ़िल्म देखना . अश्लील कहानियां पढ़ना वगैरा वगैरा . धीरे धीरे मेरे संपर्क मेँ रहने वाली और मेरे नजर मे आने वाली सभी लड़कियां और औरतों के बारे मे मेरे मन मेँ काम लालसा जागने लगी . मैं स्कूल की मेरे से बड़ी लड़कियां , चिकनी और सुन्दर मैडम , रास्ते पे जा रही लड़कियां और औरतें , हमारे अड़ोस पड़ोस मे रहने वाली लड़कियां और औरतें इन सब की तरफ काम वासना से देखने लगा . यहाँ तक कि मेरे रिश्तेदारी मेँ की कुछ लड़कियां और औरतों को भी मैं काम वासना से देखने लगा था . 

एक बार मैंने अपनी सगी बड़ी बहन संगीता दीदी को कपडे बदलते समय ब्रा और पैंटी मेँ देखा . जो मैंने देखा उसने मेरे दिल मेँ घर कर लिया और मैं काफी उत्तेजित भी हुआ . पहले तो मुझे शर्म आयी कि अपनी सगी बहन को भी मैं वासना भरी निगाह से देखता हूँ . लेकिन उसे वैसे अधनंगी अवस्था मे देखकर मेरे बदन मेँ जो काम लहरे उठी थी और मैं जितना उत्तेजित हुआ था वैसा मुझे पहले कभी महसूस नहीं हुआ था . बाद में मैं अपनी बहन को अलग ही निगाह से देखने लगा . मुझे एक बार चुदाई की कहानियों की एक हिंदी की किताब मिली . उस किताब मे कुछ कहानियां ऐसी थी जिनमें नजदीकी रिश्तेदारों के लैंगिक सम्बन्धो के बारे मेँ लिखा था . जिनमें भाई -बहन की चुदाई की कहानी भी थी जिसे पढ़ते समय बार बार मेरे दिल मे मेरी बहन , संगीता दीदी का ख़याल आ रहा था और मैं बहुत ही उत्तेजित हुआ था . वो कहानियां पढके मुझे थोड़ी तसल्ली हुई कि इस तरह के नाजायज सम्बन्ध इस दुनिया मेँ हैं और मैं ही अकेला ऐसा नहीं हूँ जिसके मन मेँ अपनी बहन के बारे मे कामवासना है. 

मेरी बहन , संगीता दीदी , मेरे से 6 साल बड़ी थी . उसका एकलौता भाई होने की वजह से वह मुझे बहुत प्यार करती थी . काफी बार वो मुझे प्यार से अपने बाँहों मेँ भरती थी , मेरे गाल की पप्पी लेती थी . मैं तो उस की आँख का तारा था . हम एक साथ खेलते थे , हँसते थे , मजा करते थे . हम एक दूसरे के काफी करीब थे . हम दोनों भाई -बहन थे लेकिन ज्यादातर हम दोस्तों जैसे रहते थे . हमारे बीच भाई -बहन के नाते से ज्यादा दोस्ती का नाता था और हम एक दूसरे को वैसे बोलते भी थे . संगीता दीदी साधारण मिडिल-क्लास लड़कियों जैसी लेकिन आकर्षक चेहरेवाली थी . उसकी फिगर 'सेक्सबॉम्ब ' वगैरा नहीं थी लेकिन सही थी . उसके बदन पर सही जगह 'उठान ' और 'गहराइयाँ ' थी . उसका बदन ऐसा था जो मुझे बेहद पागल करता था और हर रोज मुझे मूठ मारने के लिए मजबूर करता था . घर मेँ रहते समय उसे पता चले बिना उसे वासना भरी निगाह से निहारने का मौका मुझे हमेशा मिलता था . उसके साथ जो मेरे दोस्ताना ताल्लुकात थे जिसकी वजह से जब वो मुझे बाँहों मेँ भरती थी तब उसकी गदराई छाती का स्पर्श मुझे हमेशा होता था . हम कहीं खड़े होते थे तो वो मुझसे सट के खड़ी रहती थी , जिससे उसके भरे हुए सुडौल नितम्ब और बाकी नाजुक अंगो का स्पर्श मुझे होता था और उससे मैं उत्तेजित होता था . इस तरह से संगीता दीदी के बारे मे मेरा लैंगिक आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था . 

संगीता दीदी के लिए मैं उसका नटखट छोटा भाई था . वो मुझे हमेशा छोटा बच्चा ही समझती थी और पहले से मेरे सामने ही कपडे वगैरा बदलती थी . पहले मुझे उस बारे में कभी कुछ लगता नहीं था और मैं कभी उसकी तरफ ध्यान भी नहीं देता था . लेकिन जब से मेरे मन मे उसके प्रति कामवासना जाग उठी तब से वो मेरी बड़ी बहन न रहके मेरी कामदेवी बन गयी थी . अब जब वो मेरे सामने कपडे बदलती थी तब मैं उसे चुपके से कामुक निगाह से देखता था और उसके अधनंगे बदन को देखने के लिए छटपटाता था . जब वो मेरे सामने कपडे बदलती थी तब मैं उसके साथ कुछ न कुछ बोलता रहता था जिसकी वजह से बोलते समय मैं उसकी तरफ देख सकता था और उसकी ब्रा मेँ कसी गदराई छाती को देखता था . कभी कभी वो मुझे उसकी पीठ पर अपने ड्रेस की जिप लगाने के लिए कहती थी तो कभी अपने ब्लाउज के बटन लगाने के लिए बोलती थी . उसकी जिप या बटन लगाते समय उसकी खुली पीठ पर मुझे उसकी ब्रा की पट्टियां दिखती थी . कभी सलवार या पेटीकोट पहनते समय मुझे संगीता दीदी की पैंटी दिखती थी तो कभी कभी पैंटी मे भरे हुए उसके नितम्ब दिखाई देते थे . उसके ध्यान मेँ ये कभी नहीं आया की उसका छोटा भाई उसकी तरफ गंदी निगाह से देख रहा है . दीदी की ब्रा और पैंटी मुझे घर मेँ कही नजर आयी तो उन्हें देखकर मैं काफी उत्तेजित हो जाता था . ये वही कपडे है जिसमे मेरे बहन की गदराई छाती और प्यारी चूत छुपी होती है इस ख़याल से मैं दीवाना हो जाता था . कभी कभी मुझे लगता था की मैं ब्रा या पैंटी होता तो चौबीस घंटे मेरी बहन की चूचियों या चूत से चिपक के रह सकता था . 

 •
      Find
Reply


Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#2
14-01-2018, 08:04 PM
जब जब मुझे मौका मिलता था तब तब मैं संगीता दीदी की ब्रा और पैंटी चुपके से लेकर उसके साथ मूठ मारता था . मैं उसकी पैंटी अपने लंड पर घिसता था और उसकी ब्रा को अपने मुंह पर रखकर उसके कप चूसता था . जब मैं उसकी पहनी हुई पैंटी को मुंह मे भरकर चूसता था तब मैं काम वासना से पागल हो जाता था . उस पैंटी पर जहाँ उसकी चूत लगती थी वहां पर उसकी चूत का रस लगा रहता था और उसका स्वाद कुछ अलग ही था . मेरे खड़े लंड पर उसकी पैंटी घिसते घिसते मैं कल्पना करता था कि मैं अपनी बहन को चोद रहा हूँ और फिर उसकी पैंटी पर मैं अपने वीर्य का पानी छोड़ कर उसे गीला करता था . संगीता दीदी के नाजुक अंगो को छू लेने से मैं वासना से पागल हो जाता था और उसे छूने का कोई भी मौका मैं छोड़ता नहीं था .

हमारा घर छोटा था इसलिए हम सब एक साथ हाल मेँ सोते थे और मैं संगीता दीदी के बगल मेँ सोता था . आधी रात के बाद जब सब लोग गहरी नींद मेँ होते थे तब मैं संगीता दीदी के नजदीक सरकता था और हर तरह की होशियारी बरतते हुए मैं उससे धीरे से लिपट जाता था और उसके बदन की गरमी को महसूस करता था . उसके बड़े बड़े छाती के उभारो को हलके से छू लेता था . उसके नितम्बों को जी भर के हाथ लगाता था और उनके भारीपन का अंदाजा लेता था . उसकी जांघो को मैं छूता था तो कभी कभी उसकी चूत को कपडे के ऊपर से छूता था . मेरे मन में मेरी बहन के बारे में जो काम लालसा थी उस बारे मेँ मेरे माता , पिता को कभी कुछ मालूम नहीं हुआ . उन्हें क्या , खुद संगीता दीदी को भी मेरे असली खयालात का कभी पता न चला कि मैं उसके बारे मे क्या सोचता हूँ . मेरे असली खयालात के बारे मे किसी को पता न चले इसका मैं हमेशा ख्याल रखता था . मेरे मन मेँ संगीता दीदी के बारे में काम वासना थी और मैं हमेशा उसको चोदने के सपने देखता था लेकिन मुझे मालूम था कि हकीकत में ये असंभव है . मेरी बहन को चोदना या उसके साथ कोई नाजायज काम सम्बन्ध बनाना ये महज एक सपना ही है और वो हकीकत में कभी पूरा हो नहीं सकता ये मुझे अच्छी तरह से मालूम था . इसलिए उसे पता चले बिना जितना हो सके उतना मैं उसके नाजुक अंगो को छूकर या चुपके से देखकर आनंद लेता था और उसे चोदने के सिर्फ सपने देखता था . 

जब संगीता दीदी 24 साल की हो गयी तब उसकी शादी के लिए लडके देखना मेरे माता , पिता ने चालू किया . हमारे रिश्तेदारों में से एक 33 साल के लडके का रिश्ता उसके लिए आया . लड़का पुणे मे रहता था . उसके माता , पिता नहीं थे . उसकी एक बड़ी बहन थी जिसकी शादी हो गयी थी और उसका ससुराल पुणे में ही था . अलग प्लाट पर लडके का खुद का मकान था . उसकी खुद की राशन की दुकान थी जिसे वो मेहनत कर के चला रहा था . संगीता दीदी ने बिना किसी ऐतराज के यह रिश्ता मंजूर कर लिया . लेकिन मुझे इस लडके का रिश्ता पसंद नहीं था . संगीता दीदी के लिए ये लड़का ठीक नहीं है ऐसा मुझे लगता था और उसकी दो वजह थी . एक वजह ये थी कि लड़का 33 साल का था यानी संगीता दीदी से काफी बड़ा था . शादी नहीं हुई इसलिए उसे लड़का कहना चाहिए नहीं तो वो अच्छा खासा अधेड़ उम्र जैसा आदमी था . इसलिए वो मेरी जवान बहन को कितना सुखी रख सकता है इस बारे मेँ मुझे आशंका थी . और उनकी उम्र के ज्यादा फरक की वजह से उनके ख़यालात मिलेंगे की नहीं इस बारे मेँ भी मुझे आशंका थी . सिर्फ उसका खुद का मकान और दुकान है इसलिए शायद संगीता दीदी ने उसके लिए हाँ कर दी थी . दूसरी वजह ये थी की उसके साथ शादी हो गयी तो मेरी बहन मुझसे दूर जाने वाली थी . उसने अगर मुंबई का लड़का पसंद किया होता तो शादी के बाद वो मुंबई मेँ ही रहती और मुझे उससे हमेशा मिलना आसान होता . लेकिन मेरी बहन की शादी की बारे मे मैं कुछ कर नहीं सकता था , ना तो मेरे हाथ मेँ कुछ भी था . देखते ही देखते उसकी शादी उस लडके से हो गयी और वो अपने ससुराल , पुणे मे चली गयी . उसकी शादी से मैं खुश नहीं था लेकिन मुझे मालूम था कि एक ना एक दिन ये होने ही वाला था . उसकी शादी होकर वो अपने ससुराल जाने ही वाली थी , चाहे उसका ससुराल पुणे मे हो या मुंबई में . यानी मेरी बहन मुझसे बिछड़ने वाली तो थी ही और मुझे उसके बिना जीना तो था ही . 
 •
      Find
Reply


Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#3
14-01-2018, 08:05 PM
संगीता दीदी के जाने के बाद मैं उसके जवान बदन को याद कर के और उसकी कुछ पुरानी ब्रा और पैंटी हमारे अलमारी में पड़ी थी , उसका इस्तेमाल कर के मैं मूठ मारता था और मेरी काम वासना शांत करता था . दीदी हमेशा त्यौहार के लिए या किसी ख़ास दिन की वजह से मायके यानी हमारे घर आती थी और चार आठ दिन रहती थी . जब वो आती थी तब मैं ज्यादातर उसके आजु बाजू में रहता था . मैं उसके साथ रहता था , उसके साथ बातें करता रहता था . गए दिनों में क्या क्या , कैसे कैसे हुआ ये मैं उसे बताता रहता और उसके साथ हंसी मजाक करता था . इस तरह से मैं उसके साथ रहके उसको काम वासना से निहारता रहता था और उसके गदराये बदन का स्पर्श सुख लेता रहता था .

शादी के बाद संगीता दीदी कुछ ज्यादा ही सुन्दर , सुडौल और मादक दिखने लगी थी . उसकी ब्रा , पैंटी चुपके से लेकर मैं अब भी मूठ मारता था . उसकी ब्रा और पैंटी चेक करने के बाद मुझे पता चला कि उनका नंबर बदल गया था . इसका मतलब ये था कि शादी कि बाद वो बदन से और भी भर गयी थी . अगर बहुत दिनों से संगीता दीदी मायके नहीं आती तो मैं उससे मिलने पुणे जाता था . मैं अगर उसके घर जाता तो दो चार दिन या तो एक हफ़्ता वहां रहता था . उसके पति दिनभर दुकान पर रहते थे . खाना खाने कि लिए वो दोपहर को एक घंटे कि लिए घर आते थे और फिर बाद में सीधा रात को दस बजे घर आते थे . दिनभर संगीता दीदी घर में अकेले ही रहती थी .

जब मैं उसके घर जाता था तो सदा उसके आसपास रहता था . भले ही मैं उसके साथ बातें करता रहता था या उसके किसी काम में मदद करता रहता था लेकिन असल में मैं उसके गदराये अंगो के उठान और गहराइयों का , उसकी साड़ी और ब्लाउज के ऊपर से जायजा लेता था . और इधर से उधर आते जाते उसके बदन का अनजाने में हो रहे स्पर्श का मजा लेता था . उसके कभी ध्यान में ही नहीं आयी मेरी काम वासना भरी नजर या वासना भरे स्पर्श ! उसने सपने में भी कभी कल्पना की नहीं होगी के उसके सगे छोटा भाई के मन में उसके लिए काम लालसा है .

शादी के बाद एक साल में संगीता दीदी गर्भवती हो गयी . सातवे महीने में डिलीवरी के लिए वो हमारे घर आयी और नवें महीने में उसे लड़का हुआ . बाद में दो महीने के बाद वो बच्चे के साथ ससुराल चली गयी . फिर तीन चार साल ऐसे ही गुजर गए और उस दौरान वो फिर से गर्भवती नहीं हुई . वो और उसका पति शायद अपने एक ही लडके से खुश थे इसलिए उन्होंने दूसरे बच्चे के बारे में सोचा नहीं .

इस दौरान मैंने मेरी स्कूल और कॉलेज की पढाई खत्म की और मैं एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करने लगा . कॉलेज के दिनों में कई लड़कियों से मेरी दोस्ती थी और दो तीन लड़कियों के साथ अलग अलग समय पर मेरे प्रेम संबंध भी थे . एक दो लड़कियों को तो मैंने चोदा भी था और उनके साथ सेक्स का मजा भी लूट लिया था . लेकिन फिर भी मैं अपनी बहन की याद में काम व्याकुल होता था और मूठ मारता था . संगीता दीदी के बारे में काम भावना और काम लालसा मेरे मन में हमेशा से थी . मेरे मन के एक कोने के अंदर एक आशा हमेशा से रहती थी कि एक दिन कुछ चमत्कार होगा और मुझे मेरी बहन को चोदने को मिलेगा .

मैं जैसे जैसे बड़ा और समझदार होते जा रहा था वैसे वैसे संगीता दीदी मेरे से और भी दिल खोल के बातें करने लगी थी और मुझसे उसका व्यवहार और भी ज्यादा दोस्ताना सा हो गया था . हम दोस्तों की तरह किसी भी विषय पर कुछ भी बातें करते थे या गपशप लगाते थे . आम तौर पे भाई -बहन लैंगिक भावना या कामजीवन जैसे विषय पर बातें नहीं करते है लेकिन हम दोनों धीरे धीरे उस विषय पर भी बातें करने लगे . हालांकि मैंने संगीता दीदी को कभी नहीं बताया कि मेरे मन में उसके लिए काम वासना है . यहाँ तक कि मेरे कॉलेज लाइफ कि प्रेमसंबंध या सेक्स लाइफ के बारे में भी मैंने उसे कुछ नहीं बताया . उसकी यही कल्पना थी कि सेक्स के बारे में मुझे सिर्फ कही सुनी बातें और किताबी बातें मालूम है .
 •
      Find
Reply


Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#4
14-01-2018, 08:06 PM
समय गुजर रहा था और मैं 22 साल का हो गया था . संगीता दीदी भी 28 साल की हो गयी थी . संगीता दीदी की उम्र बढ़ रही थी लेकिन उसके गदराये बदन में कुछ बदलाव नहीं आया था . मुझे तो समय के साथ वो ज्यादा ही हसीन और जवान होती नजर आ रही थी . कभी कभी मुझे उसके पति से ईर्ष्या होती थी के वो कितना नसीबवाला है जो उसे संगीता दीदी जैसी हसीन और जवान बीवी मिली है . लेकिन असलियत तो कुछ और ही थी . मुझे संगीता दीदी के कहने से मालूम पड़ा कि वो अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं है . उसके बड़ी उम्र के पति के साथ उसका काम जीवन भी आनंददायक नहीं है . शादी के बाद शुरू शुरू में उसके पति ने उसे बहुत प्यार दिया . उसी दौरान वो गर्भवती रही और उन्हें लड़का हुआ . लेकिन बाद में वो अपने बच्चे में व्यस्त होती गयी और उसके पति अपने धंधे में उलझते गए . इस वजह से उनके कामजीवन में एक दरार सी पड़ गयी थी जिसे मिटाने की कोशिश उसके पति नहीं कर रहे थे . एक दूसरे से समझौता , यही उनका जीवन बन रहा था और धीरे धीरे संगीता दीदी को ऐसे जीवन की आदत होते जा रही थी . दिखने में तो उनका वैवाहिक जीवन आदर्श लगा रहा था लेकिन अंदर की बात ये थी कि संगीता दीदी उससे खुश नहीं थी .

भले ही मेरे मन में संगीता दीदी कि बारे में काम भावना थी लेकिन आखिर मैं उसका सगा भाई था इसलिए मुझे उसकी हालत से दुःख होता था और उस पर मुझे तरस आता था . इसलिए मैं उसे हमेशा तसल्ली देता था और उसकी आशाएँ बढ़ाते रहता था . उसे अलग अलग जोक्स , चुटकुले और मजेदार बातें बताते रहता था . मैं हमेशा उसे हंसाने की कोशिश करता रहता था और उसका मूड हमेशा आनंददायक और प्रसन्न रहे इस कोशिश में रहता था . जब वो हमारे घर आती थी या फिर मैं उसके घर जाता था , तब मैं उसे बाहर घुमाने ले जाया करता था . कभी शॉपिंग के लिए तो कभी सिनेमा देखने के लिए तो फिर कभी हम ऐसे ही घूमने जाया करते थे . कई बार मैं उसे अच्छे रेस्टारेंट में खाना खाने लेके जाया करता था . संगीता दीदी के पसंदीदा और उसे खुश करने वाली हर वो बात मैं करता था , जो असल में उसके पति को करनी चाहिए थी .
 •
      Find
Reply


Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#5
14-01-2018, 08:06 PM
एक दिन मैं ऑफिस से घर आया तो माँ ने बताया कि संगीता दीदी का फोन आया था और उसे दिवाली के लिए हमारे घर आना है . हमेशा की तरह उसके पति को अपनी दुकान से फुरसत नहीं थी उसे हमारे घर ला के छोड़ने की इसलिए संगीता दीदी पूछ रही थी कि मुझे समय है क्या , जा के उसे लाने के लिए . संगीता दीदी को लाने के लिए उसके घर जाने की कल्पना से मैं उत्तेजित हुआ . चार महीने पहिले मैं उसके घर गया था तब क्या क्या हुआ ये मुझे याद आया .

दिनभर संगीता दीदी के पति अपनी दुकान पर रहते थे और दोपहर के समय उसका लड़का नर्सरी स्कूल में जाया करता था . इसलिए ज्यादातर समय दीदी और मैं घर में अकेले रहते थे और मैं उसे बिना झिझक निहारते रहता था . काम करते समय दीदी अपनी साड़ी और छाती के पल्लू के बारे में थोड़ी बेफिक्र रहती थी जिससे मुझे उसके छाती के उभारो की गहराइयाँ अच्छी तरह से देखने को मिलती थी . फर्शपर पोछा मारते समय या तो कपडे धोते समय वो अपनी साड़ी ऊपर कर के बैठती थी तब मुझे उसकी सुडौल टाँगे और जांघ देखने को मिलती थी . 

दोपहर के खाने के बाद उसके पति निकल जाते थे और मैं हॉल में बैठकर टीवी देखते रहता था . बाद में अपना काम खत्म कर के संगीता दीदी बाहर आती थी और मेरे बाजू में दिवान पर बैठती थी . हम दोनों टीवी देखते देखते बातें करते रहते थे . दोपहर को दीदी हमेशा सोती थी इसलिए थोड़े समय बाद वो वही पे दिवान पर सो जाती थी .

जब वो गहरी नींद में सो जाती थी तब मैं बिना झिझक उसे बड़े गौर से देखता और निहारता रहता था . अगर संभव होता तो मैं उसके छाती के ऊपर का पल्लू सावधानी से थोड़ा सरकाता था और उसके उभारों की सांसो की ताल पर हो रही हलचल को देखते रहता था . और उसका सीधा , चिकना पेट , गोल , गहरी नाभि और लचकदार कमर को वासना भरी आँखों से देखते रहता था . कभी कभी तो मैं उसकी साड़ी ऊपर करने की कोशिश करता था लेकिन उसके लिए मुझे काफी सावधानी बरतनी पड़ती थी और मैं सिर्फ घुटने तक उसकी साड़ी ऊपर कर सकता था .

उनके घर में बंद रूम जैसा बाथरूम नहीं था बल्कि किचन के एक कोने में नहाने की जगह थी . दो तरफ में कोने की दीवार , सामने से वो जगह खुली थी और एक तरफ में चार फुट ऊंची एक छोटी दीवार थी . संगीता दीदी सुबह जल्दी नहाती नहीं थी . सुबह के सभी काम निपटाने के बाद और उसके पति दुकान में जाने के बाद वो आराम से आठ नौ के दरम्यान नहाने जाती थी . उसका लड़का सोता रहता था और दस बजे से पहले उठता नहीं था . मैं भी सोने का नाटक करता रहता था . नहाने के लिए बैठने से पहले संगीता दीदी किचन का दरवाजा बंद कर लेती थी . मैं जिस रूम में सोता था वो किचन को लगा के था . मैं संगीता दीदी के हलचल का जायजा लेते रहता था और जैसे ही नहाने के लिए वो किचन का दरवाजा बंद कर लेती थी वैसे ही मैं उठकर चुपके से बाहर आता था .

 •
      Find
Reply


Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#6
14-01-2018, 08:07 PM
किचन का दरवाजा पुराने स्टाइल का था यानी उसमें वर्टीकल गैप थे . वैसे तो वो गैप बंद थे लेकिन मैंने गौर से चेक करके मालूम कर लिया था कि एक दो जगह उस गैप में दरार थी जिसमें से अंदर का कुछ भाग दिख सकता था . नहाने की जगह दरवाजे के बिलकुल सामने चार पांच फुट पर थी . दबे पांव से मैं किचन के दरवाजे में जाता था और उस दरार को आँख लगाता था . मुझे दिखाई देता था कि अंदर संगीता दीदी साड़ी निकाल रही थी . बाद में ब्लाउज और पेटीकोट निकालकर वो ब्रा और पैंटी पहने नहाने की जगह पर जाती थी . फिर गरम पानी में उसे चाहिए उतना ठंडा पानी मिलाके वो नहाने का पानी तैयार करती थी .

फिर ब्रा , पैंटी उतारकर वो नहाने बैठती थी . नहाने के बाद वो खड़ी होकर टॉवेल से अपना गीला बदन पौंछती थी . फिर दूसरी ब्रा , पैंटी पहन के वो बाहर आती थी . और फिर पेटीकोट , ब्लाउज पहन के वो साड़ी पहन लेती थी . पूरा समय मैं किचन के दरवाजे के दरार से संगीता दीदी की हरकते चुपके से देखता रहता था . उस दरार से इतना सब कुछ साफ साफ दिखाई नहीं देता था लेकिन जो कुछ दिखता था वो मुझे उत्तेजित करने के लिए और मेरी काम वासना भड़काने के लिए काफी होता था .
 
वो सब बातें मुझे याद आयी और संगीता दीदी को लाने के लिए मैं एक पैर पर जाने के लिए तैयार हो गया . मुझे टाइम नहीं होता तो भी मैं टाइम निकालता . दूसरे दिन ऑफिस ना जा के मैंने इमरजेंसी लीव डाल दी और तीसरे दिन सुबह मैं पुणे जानेवाली बस में बैठ गया . दोपहर तक मैं संगीता दीदी के घर पहुँच गया . मैंने जान बूझकर संगीता दीदी को खबर नहीं दी थी कि मैं उसे लेने आ रहा हूँ क्योंकि मुझे उसे सरप्राइज करना था . उसने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही आश्चर्य से वो चींख पडी और खुशी के मारे उसने मुझे बाँहों में भर लिया . इसका पूरा फायदा लेके मैंने भी उसे जोर से बाँहों में भर लिया जिससे उसकी बड़ी बड़ी चूचियां मेरी छाती पर दब गयीं . बाद में उसने मुझे घर के अंदर लिया और दिवान पर बिठा दिया .

मुझे बैठने के लिए कहकर संगीता दीदी अंदर गई और मेरे लिए पानी लेकर आयी . उतने ही समय में मैंने उसे निहार लिया और मेरे ध्यान में आया कि वो दोपहर की नींद ले रही थी इसलिए उसकी साड़ी और पल्लू अस्तव्यस्त हो गया था . मुझे रिलैक्स होने के लिए कहकर वो अंदर गयी और मुंह वगैरा धोके , फ्रेश होकर वो बाहर आयी . हमने गपशप लगाना चालू किया और मैं उसे गये दिनों के हाल हवाल के बारे में बताने लगा . बातें करते करते मेरे सामने खड़ी रहकर संगीता दीदी ने अपनी साड़ी निकाल दी और वो उसे फिर से अच्छी तरह पहनने लगी . मैं उसके साथ बातें कर रहा था लेकिन चुपके से मैं उसको निहार भी रहा था .

 •
      Find
Reply


Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#7
14-01-2018, 08:08 PM
संगीता दीदी के साड़ी निकालने के बाद सबसे पहले मेरी नजर अगर कहीं गई तो वो उसके ब्लाउज में कसकर भरे हुए छाती के उभारपर . या तो उसका ब्लाउज टाइट था या फिर उसकी चूचियां बड़ी हो गयीं थीं क्योंकि ब्लाउज उसकी चूचियों पर इस कदर टाइट बैठा था कि ब्लाउज के दो बटनों के बीच में गैप पड़ गया था , जिसमें से उसकी काली ब्रा और गोरे गोरे रंग की चूचियों की झलकियां नजर आ रही थी . सपाट चिकने पेट पर उसकी गोल नाभि और भी गहरी मालूम पड़ रही थी . उसका पहना हुआ पेटीकोट उसके गुब्बारे जैसे फूले हुए नितम्बों पर कसके बैठा था .

माँ कसम !. क्या सेक्सी हो गयी थी मेरी दीदी ! साड़ी का पल्लू अपने कंधेपर लेकर संगीता दीदी ने साड़ी पहन ली और फिर कंघी लेकर वो बाल सुधारने लगी . हमलोग अब भी बातें कर रहे थे और बीच बीच में वो मुझे कुछ पूछती थी और मैं उसको जवाब देता था . अलमारी के आईने में देखकर वो कंघी कर रही थी जिससे मुझे उसे साइड से निहारने को मिल रहा था . जब जब वो हाथ ऊपर कर के बालो में कंघी घुमाती थी तब तब उसकी चूचियां ऊपर नीचे हिलती नजर आ रही थीं . मेरा लंड तो एकदम टाइट हो गया अपनी बहन की हलचल देखकर .
बाद में शाम तक मैं संगीता दीदी से बातें करते करते उसके आजूबाजू में ही था और वो घरेलू कामो में व्यस्त यहां वहां घूम रही थी . मैंने उसे अपने भांजे के बारे में पूछा कि वो कब नर्सरी स्कूल से वापस आएगा तो उसने कहा कि उसका स्कूल तो दिवाली की छुट्टियों के लिए बंद हो गया था और परसो ही उसकी ननद आयी थी और उसे अपने घर रहने के लिए ले के गयी थी , एक दो हफ़्ते के लिए . मैंने उसे पूछा कि एक दो हफ़्ते उसका बेटा कैसे उससे दूर रहेगा तो वो बोली उसकी ननद के बच्चों के साथ वो अच्छी तरह से घुलमिल जाता है और कई बार उनके घर वो रहा है . उस दिन भी उसने ननद के साथ जाने की जिद कर ली इसलिए वो उसे लेकर गयी .

और इसी वजह से संगीता दीदी ने हमारी माँ को फोन कर के बताया कि उसे दिवाली कि लिए हमारे घर आना है क्योंकि दिनभर घर में अकेली बैठकर वो बोर हो जाती है . मैंने उसे पूछा कि उसके मुंबई जाने के बाद उसके पति के खाने का क्या होगा तो वो बोली उसका कोई टेंशन नहीं है और वो बाहर होटल में खा लेंगे . सच बात तो ये थी कि उसे मायके जाने के बारे में उसके पति ने ही सुझाव दिया था और वो झट से तैयार हो गयी थी . मैंने उसे कहा के मुझे मेरे भांजे को मिलना है तो उसने कहा कि कल हम उसकी ननद के घर जायेंगे उससे मिलने के लिए .

रात को संगीता दीदी के पति आये और मुझे देखकर उन्हें भी आनंद हुआ . हमने यहां वहां की बातें की और उन्होंने मेरे बारे में और मेरे माता , पिता के बारे में पूछा . उन्होंने मुझे दो दिन रहने को कहा और फिर बाद में संगीता दीदी को आठ दिन के लिए हमारे घर ले जाने के लिए कहा . मैंने उन्हें 'ठीक है' कहा.. 
 •
      Find
Reply


Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#8
14-01-2018, 08:09 PM
दूसरे दिन दोपहर को संगीता दीदी और मैं उसकी ननद के घर जाने के लिए तैयार हो रहे थे . संगीता दीदी ने हमेशा की तरह बिना संकोच मेरे सामने कपडे बदल लिए और मैंने भी अपनी आदत के अनुसार उसके अधनंगे बदन का चुपके से दर्शन लिया . बहुत दिनों के बाद मैंने अपनी बहन को ब्रा में देखा . उफ !! कितनी बड़ी बड़ी लग रही थी उसकी चूचियां ! देखते ही मेरा लंड उठने लगा और मेरे मन में जंगली ख्याल आने लगे कि चर्र से उसकी ब्रा फाड़ दूँ और उसकी भरी हुई चूचियां कस के दबा दूँ . लेकिन मेरी गांड में उतना दम नहीं था .

बाद में तैयार होकर हम बस से उसकी ननद के घर गए और मेरे भांजे यानी मेरी बहन के लडके को हम वहां मिले . अपने मामा को देखकर वो खुश हो गया . हम मामा -भांजे काफी देर तक खेलते रहे . मैंने जब उसे पूछा की अपने नाना , नानी को मिलने वो हमारे घर आएगा क्या तो उसने 'नहीं ' कहा . उसके जवाब से हम सब हंस पड़े . दीदी ने उसे बताया कि वो आठ दिन के लिए मुंबई जा रही है और उसे अपनी आंटी के साथ ही रहना है तो वो हंस के तैयार हो गया . बाद में मैं और दीदी बस से उसके पति की दुकान पर गए . एक आध घंटा हमलोग वहां पर रुके और फिर वापस घर आये . बस में चढ़ते , उतरते और भीड़ में खड़े रहते मैंने अपनी बहन के मांसल बदन का भरपूर स्पर्शसुख लिया . 

घर आने के बाद वापस संगीता दीदी का कपडे बदलने का प्रोग्राम हो गया और वफादार दर्शक की तरह मैंने उसे कामुक नजर से चुपके से निहार लिया . जब से मैं अपनी बहन के घर आया था तब से मैं कामुक नजरसे उसका वस्त्रहरण करके उसे नंगा कर रहा था और उसे चोदने के सपने देख रहा था . मुझे मालूम था कि ये संभव नहीं है लेकिन यही मेरा सपना था , मेरा टाइमपास था , मेरा मूठ मारने का साधन था .
 •
      Find
Reply


Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#9
14-01-2018, 08:09 PM
दूसरे दिन दोपहर को मैं हॉल में बैठकर टीवी देख रहा था . संगीता दीदी मेरे बाजू में बैठकर कुछ कपड़ो को सी रही थी . हमलोग टीवी देख रहे थे और बातें भी कर रहे थे . मैं रिमोट कंट्रोल से एक के बाद एक टीवी के चैनल बदल रहा था क्योंकि दोपहर के समय कोई भी प्रोग्राम मुझे इंटरेस्टिंग नहीं लग रहा था . आखिर मैं एक मराठी चैनल पर रूक गया जिसपर Ad चल रहे थे . रिमोट बाजू में रखकर मैंने सोचा के Ad ख़त्म होने के बाद जो भी प्रोग्राम उस चैनल पर चल रहा होगा वो मैं देखूँगा . Ad ख़त्म हो गये और प्रोग्राम चालू हो गया .

उस प्रोग्राम में वो मुंबई के नजदीकी हिल स्टेशन के बारे में इंफार्मेशन दे रहे थे . पहले उन्होंने महाबलेश्वर के बारे में बताया . फिर वो खंडाला के बारे में बताने लगे . खंडाला के बारे में बताते समय वो खंडाला के हरेभरे पहाड़ , पानी के झरने और प्रकृति से भरपूर अलग अलग लुभावनी जगह के बारे में वीडियो क्लिप्स दिखा रहे थे . स्कूल के बच्चो की ट्रिप , ऑफिस के ग्रुप्स , प्रेमी युगल और नयी शादीशुदा जोड़ी ऐसे सभी लोग खंडाला जा के कैसे मजा करते है यह वो डाक्यूमेंटरी में दिखा रहे थे .

"
कितनी सुन्दर जगह है ना खंडाला !" संगीता दीदी ने टीवी की तरफ देखकर कहा . 
"
हाँ ! बहुत ही सुन्दर है ! मैं गया हूँ वहां एक दो बार " मैंने जवाब दिया . 
"
सच ? किसके साथ सागर “ संगीता दीदी ने लाड़ से मुझे पूछा .
"
एक बार मेरे कॉलेज के ग्रुप के साथ और दूसरी बार हमारे सोसायटी के लड़कों के साथ “
"
तुम्हें तो मालूम है , सागर ." संगीता दीदी ने दुखी स्वर में कहा , "अपनी पुणे -मुंबई बस खंडाला से होकर ही जाती है और जब जब मैं बस से वह से गुजरती हूँ तब तब मेरे मन में इच्छा पैदा होती है की कब मैं यह मनमोहक जगह देख पाऊँगी ." 
"
क्या कहा रही हो , दीदी ?" मैंने आश्चर्य से उसे पूछा , "तुमने अभी तक खंडाला नहीं देखा है ?" 
"
नहीं रे , सागर .. मेरा इतना नसीब कहाँ “
"
कमाल है , दीदी ! तुम अभी तक वहां गयी नहीं हो ? पुणे से तो खंडाला बहुत ही नजदीक है और जीजू तुझे एक बार भी वहाँ नहीं लेके गए ? मैं नहीं मानता , दीदी “
"
तुम मानो या ना मानो ! लेकिन मैं सच कह रही हूँ . तुम्हारे जीजू के पास टाइम भी है क्या मेरे लिए "
संगीता दीदी ने नाराजगी से कहा .
"
ओहो! कम ऑन दीदी ! तुम उन्हें पूछो तो सही . हो सकता है वो काम से फुरसत निकालकर तुझे ले जाये खंडाला “ 
“
मैंने बहुत बार उन्हें पूछा है सागर “ संगीता दीदी ने शिकायत भरे स्वर में कहा , "लेकिन हर बार वो दुकान की वजह बताकर नहीं कहते हैं. तुम्हे बताऊँ , सागर ? तुम्हारे जीजू ना , बिलकुल भी रोमांटिक नहीं हैं . अब तुमसे क्या बताऊँ , शादी के बाद हम दोनों हनीमून के लिए भी कही नहीं गए थे . उन्हें रोमांटिक जगह पर जाना पसंद नहीं हैं . उनका कहना हैं कि ऐसी जगह पर जाना याने समय और पैसा दोनों बरबाद करना हैं । 
1 user likes this post1 user likes this post  • nk2722
      Find
Reply


Sameer303 Offline
New Bee
*
Joined: 14 Jan 2018
Reputation: 40


Posts: 41
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 20


db Rs: Rs 5.5
#10
14-01-2018, 08:10 PM
मुझे तो पहले से शक था कि मेरे जीजू बड़ी उम्र के थे इसलिए उन्हें रोमांस में इंटरेस्ट नहीं होगा . और उनसे एकदम विपरीत , संगीता दीदी बहुत रोमांटिक थी . संगीता दीदी के कहने पर मुझे बहुत दुःख हुआ और तरस खा कर मैंने उससे कहा , "दीदी ! अगर तुम्हें कोई ऐतराज ना हो तो मैं तुम्हें ले जा सकता हूँ खंडाला “ 
“
सच सागर “ , संगीता दीदी ने तुरंत कहा और अगले ही पल वो मायूस होकर बोली "काश ! तुम्हारे जीजू ने ऐसा कहा होता ? क्योंकि ऐसी रोमांटिक जगह पर अपने जीवनसाथी के साथ जाने में ही मजा होता हैं . भाई और बहन के साथ जाने में नहीं ."
“
कौन कहता हैं ऐसा ? “ मैंने थोड़ा गुस्से से कहा , “सुनो , दीदी ! जब तक हम एक दूसरे के साथ कम्फर्टेबल हैं और वैसी रोमांटिक जगह का आनंद ले रहे हैं तो हम भाई -बहन हैं इससे क्या फर्क पड़ता हैं ? और वैसे भी हम दोनों में भाई -बहन के नाते से ज्यादा दोस्ती का नाता हैं . हम तो बिलकुल दोस्तों जैसे रहते हैं . है कि नहीं , दीदी ? “
“
हाँ रे मेरे भाई , मेरे दोस्त !! “ संगीता दीदी ने खुश होकर कहा , लेकिन फिर भी मुझे ऐसा लगता हैं कि मेरे पति के साथ ऐसी जगह जाना ही उचित हैं . 
“
तो फिर मुझे नहीं लगता कि तुम कभी खंडाला देख सकोगी , दीदी . क्योंकि जीजू को तो कभी फुरसत ही नहीं मिलेगी दुकान से “
“
हाँ , सागर ! ये भी बात सही हैं तुम्हारी . ठीक हैं !.. सोचेंगे आगे कभी खंडाला जाने के बारे में”
 
“आगे क्या , दीदी ! हम अभी जा सकते हैं खंडाला “
“
अभी ? क्या पागल की तरह बात कर रहे हो “ संगीता दीदी ने हैरानी से कहा . 
"
अभी यानी . परसों हम मुंबई जाते समय , दीदी !" मैंने हंस के जवाब दिया . 
"
मुंबई जाते समय ? संगीता दीदी सोच में पड़ गयी , "ये कैसे संभव हैं , सागर ?" 
"
क्यों नहीं , दीदी ?" मैं उत्साह से उसे बताने लगा , "सोचो ! हम परसों सुबह मुंबई जा रहे हैं अपने घर , ठीक ? हम यहाँ से थोड़ा जल्दी निकलेंगे और खंडाला पहुंचते ही वहां उतर जायेंगे .फिर उस दिन हम खंडाला घूमेंगे और फिर दूसरे दिन सुबह की बस से हम हमारे 
घर जायेंगे ." 
"
वो तो ठीक हैं . लेकिन रात को हम खंडाला में कहाँ रहेंगे ? " संगीता दीदी ने आगे पूछा . 
"
कहाँ यानी ? होटल में , दीदी !" मैंने झट से जवाब दिया . 
"
होटल में ??" संगीता दीदी सोच में पड़ गयी , "लेकिन हम उसी दिन रात को मुंबई नहीं जा सकते क्या ?" 
"
जा सकते हैं ना , दीदी ! लेकिन उससे कुछ नहीं होगा सिर्फ हमारी भागदौड़ ज्यादा होगी . क्योंकि हम पूरा खंडाला घूमेंगे जिससे रात तो होगी ही . और फिर तुम तो पहली बार खंडाला देखोगी और घूमोगी तो उस में समय तो लगेगा ही . और घूम फिर के तुम जरूर थक जाओगी और तुम्हें फिर आराम की जरूरत पड़ेगी . इसलिए रात को होटल में रुकना ही ठीक रहेगा”
"
वैसे तुम्हारी बात तो ठीक हैं , सागर !" संगीता दीदी को मेरी बात ठीक लगी और वो बोली , "लेकिन सिर्फ इतना ही कि रात को होटल में भाई के साथ रहना थोड़ा अजीब सा लगता हैं "
"
ओहो , कम आन , दीदी ! हम अजनबी तो नहीं हैं . और हम भाई -बहन हैं तो क्या हुआ , हम दोस्त भी तो हैं . तुम्हे जरा भी अजीब नहीं लगेगा वहां . तुम सिर्फ देखो , तुम्हें बहुत मजा आएगा वहां ." 
 •
      Find
Reply


« Next Oldest | Next Newest »
Pages ( 2 ): 1 2 Next »


Possibly Related Threads...
Thread Author Replies Views Last Post
Incest  माँ बेटी की अधूरी इच्छा Rakesh1999 79 22,176 3 hours ago
Last Post: Hotboy1769
Incest  दूसरी तरफ मेरी बीवी भी अब पूरी नंगी थी, anita manoj 3 2,915 21-07-2018, 05:03 PM
Last Post: Incest lover
Incest  एक बहिन को, उसके भाई के सामने नंगा नही होना चाहिए था।” Incest lover 11 4,494 20-07-2018, 03:39 PM
Last Post: anita manoj
Incest  बेटेको चूत चाहिए और मां को लंड | दोनों की जरूरत पूरी हो जाएगी Incest lover 1 3,905 19-07-2018, 05:03 PM
Last Post: Pooja das
Incest  दीदी तुम ऐसा क्यों कर रही हो? Incest lover 1 3,244 19-07-2018, 04:59 PM
Last Post: Pooja das
Incest  मैंने दीदी संगीता की ब्रा और पेंटी Incest lover 2 2,494 16-07-2018, 12:01 PM
Last Post: Incest lover
Incest  संध्या आज मैं तुम्हारी अतृप्त वासना की इच्छा पूरी करता हूँ Incest lover 4 2,373 15-07-2018, 06:37 PM
Last Post: Pooja das
Incest  दीदी के साथ हनीमून Rajasingh 267 1 15,580 19-03-2018, 02:15 AM
Last Post: dpmangla
Incest  भाई बहन की चुदाई दास्तान by - Play Boy of Rajasthan Play Boy of Rajasthan 6 19,956 02-03-2018, 06:49 PM
Last Post: dpmangla
Incest  ये गलत है (भाई-बहन का प्यार) Completed honey boy 512 1,205,670 24-01-2018, 02:32 PM
Last Post: rahul01311

  • View a Printable Version
  • Subscribe to this thread


Best Indian Adult Forum XXX Desi Nude Pics Desi Hot Glamour Pics

  • Contact Us
  • en.roksbi.ru
  • Return to Top
  • Mobile Version
  • RSS Syndication
Current time: 29-07-2018, 11:16 PM Powered By © 2012-2018
Linear Mode
Threaded Mode


indian sexy storis  milky boobs video  mallu blue filim  milkman boobs  Mastrammust  sexystories.in  aunties sex pics  pavadai pundai  boor ki khani  rendi pic  telugu sex sites  hottest bengali girl  mom ki kahani  free hindi adult jokes  sexy wet armpit  hindi sexy storys  pictures of women with hairy armpits  telugu full sex stories  xxdx videos  pundai vivaram  kerala chachi  rani gand  hot desi aunties pics  मराठी xxx Bp मुबई  sexy storiez in urdu  xxx in malayalam  bap beti sex story  urdu sec stories  hinde sexi store  vahini marathi story  oriya hot stories  namitha ass pics  malayalam pdf sex stories  new tamil sex storeys  tamil sexy stories latha  xxx video of mahdvi,sonu,babita,anjali  hot bengali boudis  tamil palana video  doodhwala stories  chut lund story  pictures of girls striping  mangala bhabi cler face hd images sex  saali ki chut  kashmir sexy girls  hindi bhabi sex story  desi sax story  real life navel  punjabi sexx  sex kathalu  www.sexstroies  hot shakila images  urdu sex stories in roman  tamil mami sex story  lund or gand  urdu fount sex kahani  tamil sex pdf stories  nude mujra videos  desi maa beta sex stories  hot aunty wet  www.desimaid.info  xxx pitchars  www shakeela hot  desi honeymoon videos  insect desi stories  bhabhi ka pani  wife swapping story in india  sexy images of tamil aunties  sexy neha photo  sex malayalam katha  tamil aunty sex pics  hot desi aunties pictures  sexy andhra aunties  taelugu sex  aunties back  hindhi sexy story  maa beta sexy story  bhabhi nanad ki chudai ki bate incect  desi orn  heroines sex images  Shakeela baboos nippals imegas  desisluts  ग्राहकों के लौड़ों पर बैठना और अपनी जवानी का रस पिलाना  telugu ses stories  family incect  desi real life aunty  school girl desi  aunties hot in saree images  lund ka nasha  real life mallu girls