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Group Sex मैं सब करने के लिए तैयार हूँ।(LONG STORIE)

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Group Sex मैं सब करने के लिए तैयार हूँ।(LONG STORIE)
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#1
14-07-2018, 08:43 PM
मेरे पति का पार्टनरशिप में प्रॉपर्टी का बिज़नस था, मगर पता नहीं क्या हुआ, उनका बिज़नस धीरे धीरे घटता गया और हम दिनों दिन बर्बाद होते चले गए। हालात ये हो गए कि घर में खाने को भी न बचा। जो कुछ भी था, घर, गहना, सब बेच कर भी हमारा बिजनेस उठ नहीं पाया।
यूं कहें कि हम सड़क पर आ गए।

फिर एक दिन हमे ऐसे घर में किराए पर रहने को मजबूर होना पड़ा, जिसको देख कर ही मुझे रोना आ गया। गन्दी सी कॉलोनी में, तंग सी गली में बहुत ही छोटा, दो कमरों का मकान, और उस मकान का किराया देने का भी पैसा हमारे पास पूरा नहीं था। वैसे तो मैं पढ़ी लिखी थी, मगर मुझे भी कोई जॉब नहीं मिल रही थी, ऐसा लगता था कि जैसे बदकिस्मती हमारे पीछे लट्ठ लेकर पड़ी है, मेरे पति जिस काम में भी हाथ डालते, वहां पर नुकसान ही होता।
अभी तो यह शुक्र था कि मेरा बेटा छोटा था, सिर्फ डेढ़ साल की, इस लिए उसके स्कूल का या और कोई टेंशन नहीं था।

जैसे तैसे हम दिन गुज़ार रहे थे, मेरे पति इतने परेशान थे कि कितने कितने दिन मुझे हाथ तक नहीं लगाते थे। मैंने भी कई बार कोशिश की मगर उन में तो जैसे उत्तेजना खत्म ही हो गई थी। मेरा दिल करता चुदने को मैं मुँह में लेकर चूसती, उनकी मुट्ठ मारती, मगर उनका लंड तो जैसे खड़ा होना ही भूल गया था। जो पहले मेरे ज़रा सा छूने पर अकड़ जाता था, अब कितनी कितनी देर मैं उस से खेलती, उसे जगाने का, खड़ा करने की कोशिश करती, मगर सब बेकार।
हर रात मेरी हालत पहले से भी खराब होती जा रही थी। जब मनोरंजन के अन्य साधन समाप्त हो जाते हैं तो सेक्स ही एक मुफ्त का मनोरंजन रह जाता है, मेरे नसीब में वो भी नहीं लिखा था.

जब मैंने देखा कि मेरा पति तो बिल्कुल कंडम हो चुका है, कारोबार की चिंता ने उस को खा लिया है, तो मैंने अपनी कामवासना शांत करने के लिए आस पास देखना शुरू किया। मगर जिस मोहल्ले में हम अब आ कर रह रहे थे, वहाँ का आस पड़ोस इतना बेकार सा था कि मेरा खुद का दिल नहीं किया कि मैं ऐसे किसी गंदे से आदमी के नीचे लेटूँ।
फिर एक दिन मेरे दिल में विचार आया कि जब हमारा काम बहुत अच्छा था, तो हमारे पुराने मोहल्ले में एक शिप्रा नाम की औरत रहती थी, सब उसको कहते थे कि ये बहुत गंदी औरत है, धन्धा करती है, खुद भी अपना जिस्म बेचती है और आगे लड़कियाँ भी सप्लाई करती है। बड़े बड़े अफसरों और ऊंचे ओहदे दारों, पदाधिकारियों तक उसकी पहुँच थी।
मैंने सोचा क्यों न उसके पास जा कर पूछूँ, हो सकता है, एक पंथ दो काज हो जाएँ। मुझे काम भी मिल जाए, पैसा भी मिले और मेरी चूत भी ठंडी हो जाए।

अगले दिन मैं तैयार हो कर वापिस अपने पुराने एरिया में गई शिप्रा के घर उससे मदद मांगने, कुछ काम मांगने!
जब मैं अपने पुराने घर के आगे से निकली तो मेरी आँखों में आंसू आ गए, मेरा रोना निकल गया। कोई वक़्त था, जब मैं इस घर की मालकिन थी, बड़ी शान से इस घर से अपनी गाड़ी में निकलती थी, मगर आज उसी घर के आगे से मैं रिक्शा में धक्के खाते जा रही थी। जिसने हमारा घर खरीदा था, उसकी गाड़ी घर के अंदर खड़ी थी, नया पेंट करवा कर उन्होंने घर को और सुंदर बना लिया था।
अपने आँसू पौंछ कर मैं शिप्रा के घर के आगे रिक्शा से उतरी, मेन गेट की घंटी बजाई, अंदर से नौकर ने आ कर दरवाजा खोला, वो मुझे पहचानता था, उसने मुझे नमस्ते की, मैंने शिप्रा मैडम ले लिए पूछा, तो वो मुझे अंदर ले गया।
अंदर ड्राइंग रूम में मुझे बैठा कर वो शिप्रा को बताने चला गया।

थोड़ी देर बाद शिप्रा आई, खूबसूरत जिस्म, सुंदर चेहरा, मेक अप से और भी सुंदर लग रहा था। बढ़िया परफ्यूम, मुझसे बड़ा खुश हो कर मिली, बहुत सी बातें हुई। फिर उसने मुझे पूछा- अच्छा बता, मैं तेरे लिए क्या कर सकती हूँ?
मैंने कहा- यार शिप्रा, हमारी हालत बहुत खराब है, मुझे काम चाहिए, कोई भी, कैसा भी, मगर काम चाहिए ताकि मैं कुछ पैसा अपने घर के लिए कमा सकूँ।
वो बोली- अरे भोली, ऐसे नहीं कहते, कोई भी काम दे दो। तुम इतनी सुंदर हो, कोई भी तुम्हारा गलत फायदा उठा सकता है।
मैंने कहा- मुझे परवाह नहीं, चाहे गलत काम हो, गंदा काम हो, मैं सब करने के लिए तैयार हूँ।
वो बोली- सोच ले बाद में मत कहना!
मैंने कहा- मैं सब सोच कर ही आई हूँ।
वो बोली- तो ठीक है, आज शाम को 8 बजे मेरा एक आदमी तुम्हें कनॉट प्लेस में मिलेगा। तुम उस से बात कर लेना, तुम्हें सब समझा भी देगा। तुम उस पे आँख बंद करके विश्वास कर सकती हो। पक्का प्रोफेशनल है.

मैं शिप्रा से उस आदमी का फोन नंबर ले कर आ गई। बिटिया को पड़ोसन ने संभाल लिया था, शाम को ठीक 8 बजे मैं सी पी पहुँच गई, और एक जगह, बस स्टाप से थोड़ी दूर जा कर खड़ी हो कर उस आदमी की वेट करने लगी। अब मैं उसको पहचानती तो थी नहीं, रात 10 बजे तक वेट करके मैं घर वापिस आ गई।
अगले दिन फिर शाम को 8 बजे पहुंची, फिर भी नहीं आया। अगले दिन फिर गई, उसको कई बार फोन भी किया, मगर उसने एक बार भी फोन नहीं उठाया। पर आज मैं सोच रही थी कि अगर आज वो नहीं आया, तो कल सुबह जा कर शिप्रा से मिलूँगी।
करीब आधे घंटे बाद, एक आदमी मेरे पास आया और बोला- हैलो मैडम!
मैंने उसकी ओर देखा, पतला दुबला सा बड़ा ही साधारण सा आदमी, वो बोला- आप बस का इंतज़ार कर रही हैं?
मैंने कहा- नहीं, क्यों?
वो बोला- मैं आपको पिछले तीन दिन से देख रहा हूँ, आप रोज़ आती हैं, बस स्टाप से दूर खड़ी हो कर रोज़ किसी का इंतज़ार करती हैं, बस आती है, पर आप बस नहीं पकड़ती। इसका मतलब कि आपको बस नहीं चाहिए।

मैंने कहा- तो तुमसे मतलब?
उसकी बातों से मुझे खीज सी आई, वो बोला- अगर आप फ्री हैं, तो हम कुछ बात कर सकते हैं।
मैं सोच रही थी ‘यार, ये शिप्रा का आदमी आया नहीं और ये फालतू का मेरा भेजा खा रहा है।’

मैंने पूछा- क्या बात करनी है?
वो बोला- जो चीज़ आप ढूंढ रही हैं, मैं वो चीज़ आपको दिला सकता हूँ।
मैंने पूछा- तुम्हें क्या पता, मैं क्या ढूंढ रही हूँ।
वो बोला- आप अपने लिए ग्राहक ढूंढ रही हैं।
बड़ी पते की बात कही थी उसने!

मैंने कहा- तुम्हें कैसे पता, हो सकता है मैं किसी का इंतज़ार कर रही होऊँ?
वो बोला- मैडम जी 18 साल हो गए, इसी कनॉट प्लेस में धन्धा करते हुये, लड़की कीचाल देख कर बता देता हूँ कि  करती है, कितना चुदी है। मेरा यही धन्धा है। आपको पहले दिन देख कर ही समझ गया था कि मार्केट में नया माल आ गया है और पहली बार आया है। काम करना है तो बोलो, वरना खड़ी रहो यहीं।

मैंने सोचा शिप्रा का आदमी तो आया नहीं, ये भी शायद कोई दल्ला होगा, अगर ये काम दिलवा रहा है, तो दिक्कत क्या है, अभी इस से बात कर लेती हूँ, काम तो शुरू हो, कल को शिप्रा से भी मिल आऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, क्या करना होगा मुझे?
वो बोला- मैडम जी बिजनस की बात सड़क पर न होती। कहीं बैठ कर बात करें?
मैंने कहा- ठीक है।

उसने एक आटो को सीटी मार कर रुकवाया और हम दोनों बैठ कर चल दिये।
मैं बिलकुल अकेली, एक अंजान आदमी के साथ पता नहीं कहाँ जा रही थी। आटो वाले को उस आदमी ने एक बार भी रास्ता नहीं बताया। हम सीधा एक घर के आगे रुके, उसके साथ ही उतर कर मैं डरती डरती उस घर के अंदर गई।
अंदर घर में ही एक जिम बना था, जहां कुछ लड़कियाँ एक्सरसाइज़ कर रही थी। अंदर एक छोटे से ड्राइंग रूम में हम जा बैठे। एक लड़की आ कर हमे कोल्ड ड्रिंक दे गई।

मुझे डर तो लग रहा था, मगर मैं पी गई क्योंकि मैंने सोच लिया था, अगर इस ड्रिंक में नशे की दवाई भी हुई, तो भी मुझे ज़्यादा से ज़्यादा ये लोग चोदेंगे ही।
फिर वो आदमी बोला- देखो प्रीति, अब मैं सीधा मुद्दे पर आता हूँ।
मैंने पूछा- तुम्हें मेरा नाम कैसे पता?
वो बोला- जिसे तुम तीन दिन से देख रही थी, वो मैं ही हूँ, मुझे शिप्रा मैडम ने ही भेजा है। वो हमारी बॉस हैं। यहाँ अब तक तुमने जितनी भी लड़कियां देखी हैं, वो सब की सब काम करती हैं। हमारा पूरा नेटवर्क है, तुम अपनी मर्ज़ी से इस धन्धे में आ सकती हो पर जा नहीं सकती। तुम पहले एक आम गृहणी थी, इसी वजह से तुम्हारा जिस्म बेडौल हो चुका है। तुम्हें खुद को फिट करना होगा, उसके बाद तुम्हें काम मिल पाएगा। अब अगर तुम इसी जिस्म के साथ काम शुरू कर दोगी, तो तुम्हें ज़्यादा से ज़्यादा 500 रुपए पर शॉट मिलेंगे। मगर मैडम चाहती हैं कि तुम 5000 रुपये पर शॉट और 25000 रुपये पर नाईट की आइटम बनो। तुम बहुत सुंदर हो, सेक्सी हो, तुम्हारे मम्मे, गांड और जांघ सब अच्छी सॉलिड हैं, मगर बदन पर चर्बी थोड़ी ज़्यादा है, उस फालतू चर्बी को
निकालना पड़ेगा। तुम दिल्ली में टॉप की रंडी बन सकती हो, तुम्हारे चेहरे का भोलापन बहुत बड़ी पूंजी है तुम्हारी। अब सीधा सीधा पूछता हूँ। रंडी बनने को तैयार हो?

मैंने उसकी बात सुनी और थोड़ा सोच कर बोली- हाँ, मैं मन से तैयार हूँ।
तो उस आदमी ने मुझे 5000 रुपये दिये, और बोला- ये शिप्रा मैडम ने दिये हैं तुम्हारे लिए। ऐसा हमारा कोई सिस्टम नहीं कि हर नई लड़की को अड्वान्स में पैसे दें, मगर शिप्रा मैडम ने तुम्हारे लिए खास तौर पर भेजें हैं, घर जाओ, कुछ ले जाना। कल सुबह 8 बजे यहीं आ जाना, तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू करनी होगी।

मैं पैसे लेकर घर आ गई।
अगले दिन सुबह वहीं पहुंची। सबसे पहले मुझे जिम पर एक्सरसाइज़ करवाई गई, काफी सख्त कसरत थी मगर मैंने की। मुझे ग्राहक को देखने का, उसको अपनी आँखों से बांधने का, चलने का, बात करने का बहुत तरह के चीज़ें सिखाई गई।
एक महीने की सख्त ट्रेनिंग ने मुझे बिलकुल छरहरी और चुस्त दरुस्त बना दिया।

फिर एक दिन शिप्रा भी वहाँ आई और मुझे देख कर बहुत खुश हुई।
मैंने उस से कहा- यार, थोड़े पैसे चाहिए थे, वो 5000 तो कब के खत्म हो गए।
उसने मेरा चूतड़ दबा कर कहा- मुझसे क्यों मांगती है, अपना खुद का कमा!
मैंने कहा- अरे यार, अभी ये तेरी ट्रेनिंग ही खत्म नहीं हो रही, मैं तो कितने दिन से वेट कर रही हूँ। पर आप लोग कोई काम करवाते ही नहीं मुझसे।
शिप्रा बोली- आज रात को तुम्हारा पहला ग्राहक आ रहा है। आज हमारे धन्धे में तेरी नाथ उतरवाई है। शाम को तैयार हो कर आना। बदन पर कोई बाल न हो। अगर घर पर तैयार नहीं हो सकती
तो यहाँ पर आ जाना, यहीं तुमको तैयार कर देंगे।

शाम को करीब 7 बजे मैं वापिस उसी घर में जा पहुंची, वहाँ शिप्रा ने मुझे अपने सामने दो लड़कियों से तैयार करवाया। सुंदर सी साड़ी में मैंने जब खुद को शीशे में देखा, तो एक बार सोचा, अरे यार तू इतनी सुंदर लग रही है, इतनी सुंदर लड़की ये क्या काम करने जा रही है। मगर ये मेरे दिल में अक्सर उठने वाला विचार था, हमेशा से कि अगर मैं रंडी होती तो कैसा होता। और आज मैं सच में एक रंडी का काम करने जा रही थी।
ओफिशियली रंडी बनने जा रही थी मैं!

शिप्रा मुझे अपनी कार में लेकर एक बहुत बड़े होटल में पहुंची। हम दोनों रिसेप्शन से पूछ कर ऊपर आठवीं मंज़िल पर एक रूम में पहुंचे।
बेल बजाई, अंदर से जवाब आया- आ जाओ, खुला है।
हम दोनों अंदर गई।
अंदर करीब 40-42 साल का एक आदमी था, बढ़िया कोट पैन्ट में वो काफी अच्छी पेर्सोनलिटी का मालिक था। शिप्रा ने उसके गले लग कर उसको ग्रीट किया, उसने हल्के से मुझे भी हग किया। हम सब सोफ़े पर बैठ गए।


तभी वेटर आया और हम सब के लिए शेम्पेन गिलासों में डाल कर दे गया। मैंने आज तक कभी शेम्पेन नहीं पी थी, बीअर या वाइन पी थी।
हमने चीयर्स कह कर गिलास टकराए और शेम्पेन पी। शिप्रा ने मेरे बारे में उसे बताया कि नई लड़की है, आज पहली बार काम पे आई है।


शिप्रा हमारे साथ करीब 20 मिनट रही और हम तीनों ने एक एक गिलास शेम्पेन और कुछ फ्राइड काजू खाये। फिर शिप्रा मुझे गुड लक कह कर उस आदमी के पास छोड़ कर चली गई।
उस आदमी का नाम अरुण था। अरुण किसी बड़ी कंपनी का मालिक था, वो मुझे अपने साथ नीचे होटल के डाइनिंग हाल में ले गया।


मैं ड्रिंक्स तो ले लेती हूँ, पर मैं हूँ वेजेटेरियन, वो भी वेजेटेरियन था, हमने अपने लिए खाना ऑर्डर किया। बहुत ही मज़ेदार खाना था। बहुत दिनों बाद मैंने किसी फाइव स्टार में खाना खाया था। पहले अपने पति के साथ को बहुत बार आई थी।

खाना खा कर हम बाहर घूमने चले गए। गाड़ी में हम दोनों कितनी देर दिल्ली की सड़कों पर घूमते रहे, रास्ते में आईस क्रीम खाई, पान भी खाया। हम दोनों आपस में काफी घुल मिल गए। आप से तुम पर आ गए। खूब हँसे, एक दूसरे से मज़ाक किया।

मैं बहुत खुश थी, अरुण एक बहुत ही अच्छा दोस्त बन गया था मेरा।
फिर उसने मुझे कहा- प्रीति, तुम बहुत प्यारी हो, मैं तुम्हें सरे बाज़ार किस करना चाहता हूँ।
मैंने कहा- मुझे कोई ऐतराज नहीं, आज रात मैं आपकी हूँ, आप जो चाहो मेरे साथ कर सकते हो।


उसने कार रोकी और हम दोनों कर से बाहर आए। सड़क पर पूरा ट्रेफिक था, उसने मुझे बाजू से पकड़ कर अपनी और खींचा और मेरी ठुड्डी को पकड़ पर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये, प्रेम से भरपूर चुंबन था जिसका मैंने भी भरपूर जवाब दिया।
एक जाती हुई कार में से एक आदमी बोला- अबे सालो, इतनी गर्मी है तो हमें भी बुला लो।
मगर हमे दुनिया की कोई परवाह नहीं थी, मुझे ऐसे लग रहा था, जैसे मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ आई हूँ।


मुझे चूम के वो बोला- अब मेरा सब्र खत्म हो रहा है, वापिस होटल चलें।
मैंने कहा- ज़रूर चलिये।
हम कार में बैठ कर वापिस होटल आ गए।


रूम में आकर, अरुण ने अपना कोट उतारा और अपनी टाई खोली। मैं वैसे ही धीरे धीरे झूमते हुये खिड़की के पास जा कर खड़ी हो गई और बाहर सड़क पर जाने वाली गाड़ियों को देखने लगी। अपने शूज वगैरह उतार कर अरुण मेरे पीछे आ खड़ा हुआ। बड़े प्यार से उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर से फिसलते हुये मेरे पेट तक लाया, मेरे को अपनी बाहों में भर कर मेरे कंधे पर अपनी ठुड्डी टिका कर बोला- क्या देख रही हो जानेमन?
मैंने भी अपना सर पीछे उसके कंधे पर रखा और कहा- कुछ नहीं बस बाहर जा रही उन गाड़ियों को देख रही हूँ, हर कोई भागम भाग में लगा है।


अरुण ने एक हल्का सा किस मेरी गर्दन पे किया और बोला- और इस भागम भाग में दो प्यार करने वाले, एक दूसरे में खो जाना चाहते हैं।
मैंने अपना चेहरा अरुण की तरफ घुमाया तो उसने मेरे गाल पे चूमा और बोला- चलें बेड पे?
मैंने कहा- आपकी मर्ज़ी हुज़ूर, जहां कहोगे मैं वहीं बिस्तर बन जाऊँगी।


अरुण बहुत खुश हुआ और उसने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया। उसके एक हाथ की उँगलियाँ मैंने अपने बूब को टच करती हुये महसूस की। मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, मगर अब तो मेरा सारा बदन ही उसका था, जहां मर्ज़ी टच करे या कुछ भी करे।

बड़े आराम से उसने मुझे बेड पे लेटाया और मेरे पाँव के पास बैठ गया, मेरा एक पाँव अपने हाथ में उठाया, मेरा सेंडल उतारा और मेरे पाँव के अंगूठे के पास चूमा। उसके चूमने से मेरे निप्पल और मेरी चूत के अंदर तक जैसे करंट सा लगा हो, मैंने अपने मुट्ठियाँ भींच ली।
फिर उसने मेरा दूसरा सेंडल उतारा और उसके अंगूठे से लेकर एड़ी तक 3-4 बार चूमा। हर बार मेरे बदन में सनसनी सी हुई।


फिर मेरे पाँव से अपना हाथ फेरता हुआ मेरे घुटने तक आया, मगर मेरी साड़ी ऊपर नहीं उठाई। उसके बाद सरक कर मेरे बिल्कुल ऊपर आ गया, एक हाथ मेरे इस तरफ, दूसरा हाथ दूसरी तरफ टिका कर वो मेरे ऊपर झुका और मेरे माथे पर चूम लिया।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली।
फिर अरुण ने मेरी दोनों पलकों को चूमा, मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। उसने मेरे दोनों गालों को चूमा, मेरी सांस तेज़ हो गई और फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये, मैं काँप उठी।
पहली बार कोई पराया मर्द मुझे प्यार कर रहा था, चाहे उसके लिए मैं सिर्फ एक गश्ती थी जिसे उसने पैसे देकर सारी रात के लिए खरीदा था, मगर मेरे लिए मेरी ज़िंदगी का यह पहला तजुरबा था, आज मैं शादीशुदा होते हुये, अपने पति को धोखा देने जा रही थी।
जा रही थी क्या, धोखा दे चुकी थी, किसी गैर मर्द के साथ, उसके बिस्तर पर, उसकी बांहों में!


मेरे होंठों को उसने चूसा तो मैंने भी उसका साथ दिया, वो अगर मेरे ऊपर के होंठ को चूसता तो मैं उसके नीचे वाले होंठ को चूसती, और अगर वो मेरे नीचे वाले होंठ को चूसता, तो मैं उसके ऊपर वाले होंठ को चूसती।
बड़ा ही करमाती था यह चुम्बन। मैंने अपनी बांहें उसके गले में डाल दी तो वो मेरे ऊपर ही लेट गया, उसके सीने का वज़न मैंने अपनी छाती पर महसूस किया। मेरे गले लग कर उसने मेरे कान के पास और गर्दन के आस पास चूमना शुरू कर दिया।
ये मुझे ही गुदगुदी करता है, मैं हंस पड़ी और मचल उठी। अपने हाथों से उसके हटाने लगी, तो उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए। मेरी दोनों बाहें पूरी खोल दी, और फिर मेरे सीने की ओर देखा।
काली साड़ी और काली ब्लाउज़ में मेरे गोरे बूब्स का एक शानदार क्लीवेज दिख रहा था। उसने अपने मुँह से मेरी साड़ी का पल्लू पीछे हटाया और मेरे दिख रहे क्लीवेज को बड़े ध्यान से देखा, फिर मेरी आँखों में देखा।
मैंने मन ही मन सोचा- खा जा इन्हें यार, अब ये सब तुम्हारा है।


उसने मेरी आँखों में देखते देखते मेरे क्लीवेज पर किस किया, मैं ज़रा सी भी हरकत नहीं की तो उसने अपनी जीभ ही मेरी क्लीवेज में फिरा दी। यह सच में बहुत उत्तेजक था, मैं भी कसमसा गई।
उसने मेरे क्लीवेज को अपनी मुँह में भर लिया और फिर से चाटा।
जब उसने मुँह हटाया तो उसका थूक मेरे बोबों पर लगा था, उसने मेरे हाथ छोड़े मगर मैंने अपनी बांहें वैसे ही फैला कर रखी। उसने अपने हाथ से मेरे ब्लाउज़ के हुक खोले, सभी हुक खोल कर मेरे ब्लाउज़ के दोनों पल्लों को अगल बगल रख दिया। मैचिंग ब्लाक ब्रा में गोरे मम्मे देख कर उसकी आँखों में जो चमक आई, वो मैंने साफ तौर पर देखी।


मेरे दोनों मम्मों को अपने हाथों में पकड़ कर उसने दबाया, जिस से मेरा क्लीवेज और बड़ा बन गया, उसने मेरे सारे क्लीवेज को अपनी जीभ से चाट लिया। सिर्फ चाटा नहीं, मेरे मम्मो के अपने मुँह में लेकर चूस डाला, इतनी ज़ोर से चूसा कि मेरे मम्मों पर उसके चूसने के गुलाबी निशान पड़ गए।
“ओह ऋतु, तुम तो ज़बरदस्त हो।”
मैंने कहा- ऋतु? अरुण मेरा नाम प्रीति है।
वो बोला- ओह सॉरी प्रीति, मैं भूल गया था। मुझे मेरे पत्नी याद आ गई।
मैंने कहा- कोई बात नहीं।


फिर उसने उठ कर अपनी शर्ट उतारी, बनियान उतारी। अच्छा खासा जिस्म बनाया था, पक्का जिम जाता होगा क्योंकि अब मैं भी जाने लगी थी, तो जिस्म देख कर पहचान जाती थी कि बंदा जिम जाता है या नहीं।
फिर उसने अपनी पैन्ट भी उतारी। नीचे में चड्डी में से मैंने उसके लंड को देखा, खड़ा हो चुका था।


मैं उठ कर बैठ गई और अपना ब्लाउज़ उतारने लगी, तो वो बोला- नहीं प्रीति, उठो मत, लेटी रहो। जो भी करूंगा, मैं ही करूंगा।
मैं फिर से लेट गई।


वो मेरे पास आकर बैठ गया, उसने मेरे पाँव के पास से मेरी साड़ी ऊपर उठाई और मेरे घुटने तक उठा दी। मेरी चिकनी टांग पर हाथ फेर कर उसे चूमा, फिर और ऊपर उठाई और मेरी गोरी जांघों को अपने हाथों से सहला कर, चूम कर देखा।
घुटनों तक तो ठीक था, मगर जब उसने मेरी जांघों को छूआ और चूमा तो मेरा मन भी मचल उठा। उसने मेरी साड़ी और ऊपर उठाई, और मेरी पैन्टी को उसने देखा। सारी साड़ी उसने मेरे पेट पे रख दी और मेरी पैन्टी और मेरे जिस्म पर हाथ फेर कर देखा। मेरे पेट पर हाथ रख कर उसने अपने अंगूठे से मेरी चूत को छुआ, मेरी पैन्टी के ऊपर से ही अपने अंगूठे से मेरी चूत के दाने को मसला।


मुझे बहुत ही आनंद की अनुभूति हुई, उसके हर स्पर्श में जैसे बिजली थी, मुझे छूता तो जैसे करंट सा लगता, या पर पुरुष का स्पर्श ही ऐसा होता है। उसने अपने दोनों हाथों से मेरी पैन्टी को नीचे को खिसकाया, मैंने भी अपनी कमर ऊपर को उठाई तो उसने मेरी पैन्टी उतार दी। मेरी नंगी चूत को पहले उसने ध्यान से देखा, फिर पूछा- शादी हो चुकी तुम्हारी?
मैंने कहा- हाँ!
वो बोला- और बच्चे?
मैंने कहा- एक बेटी है, सवा एक साल की।
“हूँ” उसने कहा और मेरी चूत पे किस किया, और फिर आस पास की जगह को चाट कर देखा जैसे टेस्ट कर रहा हो, नमक है या नहीं।


फिर अपने हाथ से मेरी चूत की दोनों फाँकें खोली और मुँह लगा कर अंदर तक जीभ से चाट गया। मैं एक दम से उछल पड़ी, इतनी गुदगुदी, इतनी सनसनी। मगर उसने मुझे फिर से नीचे को दबा
दिया।
“पहली बार सेक्स कर रही हो?” उसने कहा।
मैंने कहा- हाँ, अपने पति के अलावा आज पहली बार है, तभी मुझे झुंझुनाहट बहुत ज़्यादा हो रही है।
वो मुस्कुराया और बोला- बस आज ही होगी।
और वो फिर से मेरी चूत को चाटने लगा।


चाटने क्या लगा, अंदर तक मुँह डाल कर खा ही गया। मैंने भी अपनी टाँगें ऊपर उठा कर अपनी चूत को पूरी तरह खोल कर उसके सामने कर दिया कि ‘ले बेटा खा।’
वो नीचे गांड से चाटना शुरू करता और ऊपर चूत तक आ जाता। वो ऐसे चूत को चाट रहा था, जैसे उसे कभी चाटने को मिली ही न हो।
मैंने पूछा- आपको चूत चाटना बहुत पसंद है क्या?
वो बोला- बहुत पसंद है, मुझे इसमें मज़ा आता है, मगर मेरी पत्नी चाटने नहीं देती। उसको ये काम गंदा लगता है, इसी लिए मैंने शिप्रा से कहा कि मुझे ऐसी लड़की दो, जो कम चली हो या अभी चली ही न हो ताकि मैं उसकी चूत चाट कर मजा ले सकूँ। ज़्यादा और अलग अलग लोगों से चुदने के बाद तो औरत की चूत में गंदी सी स्मेल आने लगती है, और वो मुझे पसंद नहीं। तुम्हारी
चूत एक दम फ्रेश है, इसमें से तो खुशबू आ रही है इसी लिए मैं इसे चाट कर मजा ले रहा हूँ। तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?
मैंने कहा- जी नहीं, बल्कि मुझे भी चटवाना बहुत पसंद है, कई बार तो मैं अपने पति से कहती हूँ बस चाटते रहो, तब तक जब तक मैं झड़ न जाऊँ।


उसने पूछा- लंड चूसती हो?
मैंने कहा- हाँ, बड़े शौक से!
उसने अपनी चड्डी उतारी और मेरी तरफ अपनी कमर कर दी। उसने भी अपनी कमर के सब बाल साफ कर रखे थे। हल्के भूरे रंग का 7 इंच का लंड। मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा, उसकी चमड़ी पीछे को हटा कर उसका टोपा बाहर निकाला और अपने मुँह में ले लिया।
लंड चूसना मुझे बहुत अच्छा लगता है, इस लिए मैंने बड़े प्यार से उसे चूसा, ताकि उसे खूब मजा आए। इस बात का ख्याल रखा कि मेरे दाँत उसके लंड पे न लगें, उसे कोई तकलीफ न हो बल्कि मजा आए।


उसके चाटने से मेरी चूत पानी पानी हो रही थी।
उसने कहा- तुम तो बहुत पानी छोड़ रही हो?
मैंने कहा- इस वक़्त मैं पूरी गर्म हूँ। और जब औरत गर्म होती है तो पानी तो छोड़ती ही है।


उसने अपनी पैन्ट की जेब से एक कोंडोम का पैकेट निकाला एक कोंडोम निकाल कर मुझे दिया- चढ़ाओ इसे!
उसने कहा तो मैंने उसके लंड को पकड़ कर उस पर कोंडोम चढ़ाया। मुझे फिर से लेटा कर उसने अपना लंड मेरी चूत पे रखा और धीरे धीरे हिला हिला कर अंदर डाला। बड़े आराम से उसका कड़क लंड मेरी चूत में समाता चला गया और उसने अपनी कमर मेरी कमर से मिला दी, मतलब पूरा लंड मेरी चूत ने निगल लिया था।


वो आगे पीछे हो कर चोदने लगा तो मैंने कहा- आपने मेरे पूरे कपड़े उतार कर तो देखे ही नहीं, ना ही मेरी ब्रा खोल कर देखी?
वो बोला- कोई जल्दी नहीं, सारी रात अपनी है। पहले एक बार मैं तुम्हें उस रूप में चोदूँगा, जिस रूप में तुम्हें सबसे पहले देखा था। बाद में पूरी नंगी करके चोदूँगा।
मैंने कहा- ठीक है.


उसके बाद वो मुझे चोदता रहा, मैंने अपने हाथ उसके दोनों कंधों पर रखे और अपनी टाँगें फैला कर ऊपर को उठा रखी थी। मुझे चुदाई की झनझनाहट ज़्यादा होती है इसलिए मैं तो सिर्फ 5 मिनट में ही झड़ गई, मगर वो आराम से लगा रहा।
कोई 8-9 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गया और मेरे ऊपर ही लेट गया।


मैंने उसको अपनी बाहों में ले लिया और उसके कान के पास किस करके पूछा- मजा आया आपको?
वो बोला- बहुत मजा आया।


कुछ देर लेटे रहने के बाद वो उठा, कोंडोम उतारा और बाथरूम में चला गया। मुझे भी फ्रेश होना था तो उसके पीछे पीछे मैं भी बाथरूम में चली गई। मैंने अपनी साड़ी उठाई और कमोड पर बैठ कर पेशाब करने लगी।
उसने भी वाश बेसिन पर अपना लंड गर्म पानी से धोया।


मैं पेशाब करके उठी तो उसने कहा- प्रीति, अपनी साड़ी उतार दो.
मैंने अपनी साड़ी खोली तो उसने कहा- बाकी सब कपड़े भी उतार दो, और बिल्कुल नंगी हो जाओ।
मैंने अपना पेटीकोट, ब्लाउज़, ब्रा सब उतार दिया।


उसने बाथटब में पानी भरा और बीच में बैठ गया- आओ!
उसने कहा तो मैं भी बाथटब में चली गई।
हम दोनों गले में बाहें डाल, एक दूसरे से चिपक कर बाथ टब के गर्म पानी में लेटे रहे।


“जानती हो प्रीति, मुझे तुमसे प्यार हो गया है, पता नहीं हमारे जिस्म मिले इस लिए, या तुम बहुत सबमिसिव हो, मेरी हर बात मानती हो इसलिए। मगर मैं दोबारा भी तुमसे मिलना चाहूँगा।”
मैंने कहा- बड़ी खुशी से, मैं भी खुश हूँ कि मेरा पहला ग्राहक जो मुझे मिला, वो बहुत ही नेकदिल है और एक शानदार मर्द है।
उसने मुझे चूमा तो मैंने भी उसके होंठ चूम लिए।


उसके बाद रात में उसने मुझे दो बार और चोदा, न सिर्फ खुद मज़े किए, मुझे भी तृप्त किया।
एक रात में तीन बार चुदने के बाद मैं पूरी खुश थी।


उसने मुझे 2000 रुपये दिये और बोला- यह तुम्हारा इनाम है। बाकी जो तुम्हारा और शिप्रा का हिसाब है तुम देख लेना।
सुबह 8 बजे मैं अपने घर वापिस आई।


मेरा पति और मेरी बेटी दोनों सो रहे थे, सारी रात जाग कर आई थी, तो आते ही कपड़े बदले और सो गई, करीब 12 बजे उठी तो गुड़िया खेल रही थी, मुझे देख कर रोने लगी।
मैंने उसे अपने सीने से लगाया, अपनी टी शर्ट उठाई और उसे दूध पिलाने लगी।


मेरे पति मेरे पास ही बैठे थे, बोले- रात तुम शादी में जा कर हमें भूल ही गई? बेबी को भी बोतल से दूध पिला कर सुलाया।
मैंने कहा- अरे पूछो मत बहुत बढ़िया शादी थी।
इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई, प्रताप आया था, वो मुझे 20000 रुपये देकर चला गया।


पति ने पूछा- ये पैसे कहाँ से आए?
मैंने कहा- मैंने अपनी दोस्त से उधार मांगे हैं।
फिर वो मेरे बूब की ओर देख कर बोला- ये निशान कैसे हैं?
मैंने झूठ ही कह दिया- अरे रात मेरी तबीयत सी खराब हो गई थी, तो केमिस्ट से दवा ली, पर लगता है वो दवा रिएक्शन कर गई।
उसने मेरी तरफ देखा और बाथरूम में घुस गया।

बेवकूफ़ तो वो भी नहीं था, मगर हमारे घर के हालात ऐसे थे, और ये जो ताज़े ताज़े 20000 रुपये आए थे, उस पैसे ने उसका मुँह बंद कर दिया था। और मेरे को एक नई आज़ादी और पैसा कमाने का नया राह दिखा दिया था।
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#2
14-07-2018, 08:46 PM
मगर जो मुझे मेरा पहला कस्टमर मिला, अरुण जी, उन्होंने में मुझे बाद में भी बहुत बार बुलाया। हालांकि शिप्रा के कहने पर मुझे और लोगों को भी खुश करना पड़ा, मगर मुझे खुद भी अरुण जी बहुत अच्छे लगते थे।
धीरे धीरे अरुण जी और मेरी आपस में बहुत दोस्ती हो गई, और अपने घर की भी हर एक बात आपस में शेअर करते थे।
उन्हीं दिनों मैंने अरुण जी को अपने बारे में सब कुछ बताया, कैसे मैं रानी से रंडी बनी। तो अरुण जी ने मेरे पति से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की। मैं मेरे पति को लेके अरुण जी के पास गई, उन्होंने मेरे पति से बात की और उनकी नया बिजनेस खड़ा करने में मदद की।

मेरे पति ने भी मेहनत की और हमारा काम फिर से ठीक हो गया, इतना तो नहीं जितना पहले था मगर फिर भी हम संभल गए।
थोड़े से दिनों बाद ही हमने एक नया फ्लैट किराए पर ले लिया। धीरे धीरे सब सुधरने लगा, मेरा प्रेम अरुण जी के लिए और भी बढ़ गया।
बेशक मेरे पति को पता चल चुका था कि मेरे और अरुण जी के बीच में क्या संबंध है, पर अरुण जी के उस पर एहसान ही इतने थे कि मेरे पति ने कभी इस बारे में मुझसे भी बात नहीं की, मगर उसके बाद न ही कभी उन्होंने मेरे साथ सेक्स किया।

मेरी भी सेक्स की ज़रूरत अरुण जी पूरी कर रहे थे, तो न मैंने न मेरे पति ने कभी एक दूसरे को सेक्स के लिए कहा। हो सकता है, मेरे पति ने भी बाहर कोई चक्कर चला लिए हों।
खैर, जहां हमने अपना नया फ्लैट लिया था, वह पर हमारे पड़ोस में एक और परिवार रहता था, जिनसे हमारा पहले दिन से दोस्ताना हो गया था। दोनों मियां बीवी बहुत ही खुशमिजाज़ थे… पिंकी और जतिन।

पिंकी कुछ ही दिनों में मेरी बहुत अच्छी सहेली बन गई। अक्सर हम अपने अपने घर का काम निपटा कर एक दूसरे के घर चली जाती। कभी मैं उसके घर तो कभी वो मेरे घर! बहुत सी बातें करती, एक साथ शॉपिंग, घूमना फिरना, खाना पीना।
ज़िंदगी बहुत ही मस्त हो गई थी, और पिंकी की स्वभाव से बिल्कुल मेरी तरह थी, बिंदास। जो मुँह में आया, बोल दिया, जो मन में आया, कर दिया।

धीरे धीरे हमारी दोस्ती इस हद तक गहरी हो गई कि मैंने उसको अपने बारे में सब कुछ बता दिया; अपने बारे में, पति के बारे में, शिप्रा के बारे में, अरुण जी और मेरे सम्बन्धों के बारे में!
मगर पिंकी बोली- कोई बात नहीं यार, ज़िंदगी में इंसान को बहुत से समझौते करने पड़ते हैं। तूने कुछ गलत नहीं किया है।

मेरे मन को बड़ी तसल्ली मिली कि चलो मेरी सहेली को मेरे किसी भी काम से कोई ऐतराज नहीं। अब तो मैं पिंकी को बता कर भी चली जाती थी कि आज अरुण जी के पास जा रही हूँ।
कभी कभी मुझे भी शक सा होता था कि शायद पिंकी का भी बाहर कोई चक्कर है, मगर उसने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया, मैंने भी ज़्यादा ज़ोर देकर कभी नहीं पूछा।
एक दिन वैसे ही मैं उसके घर गई, उस वक़्त वो बाथरूम में थी, मैंने अंदर जा कर देखा तो वो अपनी टाँगों और चूत पर वीट लगा रही थी।
मुझे देख कर वो बोली- अरे यार अच्छा हुआ तू आ गई। ज़रा मेरी हेल्प कर, जहां मेरी नज़र नहीं जा रही वहाँ पे वीट लगा दे।

मैं हंस कर उसके सामने बैठ गई, उसने अपनी पूरी टांगें फैला रखी थी; मैंने उसकी चूत और गांड पर वीट लगा दी।
फिर वो बोली- अरे यार मेरा न चाय पीने को दिल कर रहा है, थोड़ी सी बना ला!

मैं उठ कर किचन में चाय बनाने चली गई। वहीं किचन में उसका फोन पड़ा था। तभी व्हाट्सअप्प पर उसके कुछ मेसेज आए।
वैसे ही कौतुहूल वश मैंने उसका फोन उठाया और जब खोल कर देखा तो मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई। उसमें पिंकी एक साथ 4 लड़कों के साथ सेक्स में मशगूल थी। वो चारों एक साथ उसको पकड़े हुये थे। कोई उसकी चूत मार रहा है, कोई उसके मम्मे दबा रहा है, कोई उसके मुँह में अपना लंड दे रहा है।

मैं तो पिक्स देख कर डर गई, मुझे लगा शायद कोई पिंकी को ब्लैक मेल कर रहा है, तभी ऐसी पिक्स भेजी, मैं तो चाय बीच में ही छोड़ कर भागी, उसके पास। मैंने उसे मोबाइल दिया और कहा- तेरे मेसेज आए हैं, देख ले।
उसने मेसेज देखे और फिर मेरी तरफ देख कर बोली- तुमने मेरे मेसेज चेक किए थे?
मैंने कहा- हाँ, बस वैसे ही बेखयाली में देख बैठी, बाद में बुरा भी लगा के मुझे ऐसे तुम्हारा मोबाइल नहीं देखना चाहिए था।

उसने बड़ी निराशा से एक ठंडी सांस छोड़ी।
मैंने पूछा- ये लड़के कौन है, तुम्हें कहीं ये तस्वीरें दिखा कर ब्लैक मेल तो नहीं कर रहे?
वो परेशान हो कर बोली- नहीं यार, तुम नहीं समझोगी।
मैंने कहा- अरे ऐसे कैसे नहीं समझूँगी। शादीशुदा बाल बच्चेदार औरत हूँ। तुम्हारी दोस्त हूँ, मैंने भी तो अपनी हर तुम्हें बताई है, तुम भी बता दो।

वो पहले तो बैठी सोचती रही, फिर बोली- तो ये बात सिर्फ हम दोनों के बीच में ही रहनी चाहिए, बस, सिर्फ़ तुम और मैं!
मैंने कहा- वादा।
तो उसने मुझे बताया- यार मेरी दिक्कत ये है कि मेरा एक मर्द से दिल नहीं भरता, मुझे तो अपने सभी सुराखों में मर्द का लंड चाहिए, आगे पीछे, मुँह में हाथ में। और सब मुझे प्यार से नहीं मार मार कर चोदें मुझे। मुझे वहशी सेक्स पसंद है। मार पीट कर, गालियां निकाल कर, जलील कर के।

मैंने कहा- तो जो तेरे साथ पिक्स में हो रहा है, सब तेरी मर्ज़ी से हो रहा है।
वो बोली- हाँ, और जैसे मैं उन्हें पहले कह देती हूँ, आज ये सब करना, वैसे ही वो करते हैं।
मैं तो उसकी बात सुन कर हैरान रह गई।

मैंने कहा- यार, थोड़ा बहुत वाइल्ड सेक्स तो मुझे भी पसंद है, मगर तू तो बहुत आगे निकली हुई है।
वो बोली- निकली हुई नहीं हूँ, निकल चुकी हूँ। सच कहूँ तो अब नॉर्मल सेक्स मुझे कोई मज़ा नहीं आता है। पति आता है, 5 मिनट चूमता चाटता है, 2 मिनट चुसवाता है, 10 मिनट चोदता है, मगर मैं जैसे एक बेजान मशीन की तरह उसके सब हुकुम मानती हूँ। मगर मज़ा एक सेकंड का भी नहीं आता है।

मैंने थोड़ी सी दिलचस्पी लेकर पूछा- क्या इसमें सच में बहुत मज़ा आता है?
उसने मेरी आँखों में देखा और बोली- साली, लगी लार टपकाने तेरी चूत भी?
और मुझे ज़ोर से कमर पर चिकोटी काटी, फिर थोड़ा सा संयत हो कर बोली- सच में यार, बहुत बहुत मज़ा आता है। एक लंड चूत में, एक मुँह में, दो हाथ में, अगर तू गांड में लेना चाहे तो एक गांड में भी। इतनी रगड़ाई होती है, इतनी रगड़ाई होती है, साला ज़िंदगी का मज़ा आ जाता है। तुझे करवाना है तो बोल?

मैं तो जैसे सुन्न सी हो गई- अरे नहीं यार, 4-5 लड़के, अगर साले मेरा रे.प कर दे तो?
वो बोली- तो साली तेरी आरती उतारेंगे वो क्या।
अगर देखा जाए तो यह एक ओरगानाइज्ड रे.प ही है, मगर इस रे.प में तुम्हारी अपनी मर्ज़ी शामिल है। तुम सिर्फ अपनी मर्ज़ी से उनको अपना जिस्म दे देती हो। बाकी उनकी मर्ज़ी वो इसको कैसे इस्तेमाल करते हैं। अगर तुम्हें कोई खास चीज़ पसंद है, तो वो भी तुम्हारे साथ करेंगे। मगर करेंगे अपने स्टाइल से, बस तुम एक खिलौना होगी, तुम्हारे जिस्म से खेलेंगे वो, मार पीट, गली, थूकना, मूतना सब करेंगे।

मुझे ये सब बड़ा एक्साइटिंग सा लगा; मैंने कहा- यार सच कहूँ दिल तो मेरा भी कर रह है, पर डर सा लगता है।
पिंकी बोली- डर मत मैं तेरे साथ चलूँगी। दोनों सहेलियां मिल के एंजॉय करेंगी।
मैंने उसे हामी भर दी।

कुछ दिन बाद उसने मुझे कहा- मैंने प्रोग्राम फिक्स कर लिया है, अपना भी और तेरा भी, तैयार रहना, दोनों चलेंगी।
मैं खुश हो गई।
वैसे मैं हमेशा अपना फेशियल, वैक्सिंग, सब कुछ हमेशा रेगुलर करवाती हूँ। पर उस काम के लिए मैं स्पेशियली ब्यूटी पार्लर गई और खास टच अप करवाया, ताकि मेरी खूबसूरती में कोई कमी न रह जाए।

बुधवार का दिन था, पति के जाने के बाद, मैं करीब 10 बजे तैयार हो गई और बेटी को क्रेच में छोड़ कर पिंकी के पास जा पहुंची। हम दोनों उसकी कार में बैठ कर निकली और फिर किसी के घर गई। मैं नहीं जानती किसका घर था; मैंने पिंकी से पूछा- किसका घर है, यहाँ सेफ तो है न?
वो बोली- चिंता मत कर डार्लिंग, अपने यार का ही घर है, और बिल्कुल सेफ है, मैं हमेशा यहीं आती हूँ।

हम अंदर जा कर बैठी तो एक नौजवान सा लड़का हमें ड्रिंक्स दे गया।
पिंकी ने उस से पूछा- सब आ गए?
वो बोला- हां जी, सब अंदर ही हैं, आपका ही इंतज़ार कर रहे हैं।

पिंकी ने मुझे हाथ मारा और हम दोनों उठ कर चल दी, मैं बड़े धड़कते दिल जा रही थी… पता नहीं क्या होगा, कैसा होगा।
जब बेडरूम में पहुंचे तो वहाँ पहले से 4 लड़के बैठे थे, वो बीअर पी रहे थे और नमकीन खा रहे थे, हमें देख कर उठ खड़े हुये, “हैलो मैम!” कह कर एक लड़के ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके बाद हमने सभी लड़कों से हाथ मिलाया।
सभी लड़के करीब करीब 25-27 साल के आस पास थे। हम भी उनके सामने बैठ गई।

उस लड़के ने हमे बीयर ऑफर की, मगर हमारे पास तो पहले से ही सॉफ्ट ड्रिंक थी।
वो बोला- छोड़ो यार, कहाँ कोका कोला पी रही हो, बच्चों वाली ड्रिंक? ये पियो!
कह कर उसने दो गिलासों में बीयर डाल कर हमको दी; हम भी बीयर पीने लगी।

एक लड़के ने पूछा- तो आज आप पहली बार गैंग बैंग में आई हैं?
मुझे पहले तो गैंग बैंग सुन कर बड़ी सनसनी सी हुई, फिर मैंने कहा- हाँ! पिंकी ने आपकी तारीफ ही इतनी की कि मुझे आना पड़ा।
वो हंस पड़े, बोले- कोई बात नहीं आप भी करेंगी।

कुछ देर में हमारी बीयर खत्म हो गई, तो एक लड़का बोला- आज बोंडेज गैंग बैंग करें?
पिंकी बोली- हाँ, ठीक रहेगा, बहुत दिन से किया भी नहीं।
उन लड़कों ने पहले तो रूम को लॉक किया, फिर अपने कपड़े उतारने लगे, मगर सिर्फ चड्डियाँ नहीं उतारी। उनकी चड्डी में भी उनके लंड की शेप दिख रही थी, और मैं मन ही मन बड़ी उत्साहित सी हो रही थी कि ये चार लोग एक साथ मुझे चोदेंगे, और पता नहीं क्या क्या करेंगे।

फिर उन्होंने एक अलमारी से बहुत सा और समान भी निकाला, जिसमें रस्सियाँ, बेल्टें, चाबुक और ना जाने क्या क्या था। वैसे अभी तक मैंने ये सब पॉर्न वीडियोज़ में तो देखा था, पर कभी अनुभव नहीं किया था।
सामान निकाल कर उसने हमें कहा- चलिये, आप भी तैयार हो जाइए।
पिंकी उठी और उसने अपनी जीन्स, टी शर्ट, ब्रा पैन्टी सब उतार दी; पिंकी बोली- पहले मैं तुम्हें कर के दिखाती हूँ, तुम देखो, बाद में मेरी तरह तुम्हें भी ऐसे ही बांधा जाएगा।
मैं बैठी देखती रही।

उन लड़कों ने पिंकी को उल्टा लेटा कर पीछे से उसकी बाहें, रस्सी से बड़ी मजबूती से बंधी, फिर पैर बांध दिये, मुँह में एक छोटी से गेंद फंसा कर उस पर बेल्ट बांध दी। इतनी कस कर बांधा उसे कि वो हिल भी नहीं पा रही थी; न ही बोल पा रही थी।
फिर उन चारों लड़कों ने अपनी अपनी चड्डियां भी उतार दीच एक साथ हवा में 4 मजबूत, कडक लंड लहरा उठे।
क्या नज़ारा था… मेरा दिल किया कग मैं उन चारों के लंड पकड़ कर चूस लूँ।
मगर मेरी बारी अभी आई नहीं थी।

एक लड़का पिंकी के पास गया और उसे बालों से पकड़ कर खींच कर घूमा दिया, वो बेचारी दर्द के मारे चीख पड़ी, मगर मुँह बंधा होने के कारण, उसकी आवाज़ उसके ही मुँह में दब कर रह गई। एक लड़का बोला- देख माँ की लौड़ी कैसे ड्रामा कर रही है, जैसे बड़ी सती सावित्री हो।
दूसरा बोला- भाई मैं जानता हूँ इसे, साली एक नंबर की चुदक्कड़ है, रंडी साली, घरवाले के अलावा भी कुतिया के 2 चक्कर और हैं।

एक लड़के ने पिंकी का चेहरा पकड़ा और बोला- देख जानेमन, आज तेरे पे दिल आ गया है, चुपचाप अपने आप देगी तो ठीक, वरना चोद हमने तुम्हें वैसे भी देना है, बोल क्या कहती है, तेरी मर्ज़ी से या हमारी मर्ज़ी से।
फिर उसने पिंकी का मुँह खोला तो वो बोली- तुम्हारी मर्ज़ी से।
लड़का बोला- शाबाश, इसी खुशी में ले अपनी माँ के यार का लंड चूस कर बता, कैसे चूसते हैं।
लड़के ने अपना लंड उसके मुँह को लगाया, तो पिंकी उसके लंड को चूसने लगी।

बाकी लड़के पिंकी के बदन पर ऐसे हाथ फेर रहे थे, जैसे उन्हें पहली बार कोई नंगी औरत देखने को मिली हो, या बहुत देर बाद कोई औरत नंगी दिखी हो।
सबने अपने अपने लंड अपने हाथ में पकड़ रखे थे, और पिंकी का नंगा बदन सहला रहे थे।

सामने बैठी मैं अलग से तड़प रही थी, सच कहूँ तो मुझे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। मैं तो खुद उठ कर उनके बीच में जाने को बेचैन थी। तभी अचानक दो लड़के मेरी तरफ एकदम से भाग कर आए और जैसे मुझ पर हमला कर दिया हो। मेरी दोनों बाजू पकड़ी और मुझे खींच कर वहीं ले गए, मुझे धक्का दे कर नीचे गिरा दिया, और फिर चारों ने पकड़ कर मेरे हाथ पाँव दबा लिए, मुझे पता था कि ये सब नाटक है, पर फिर भी एक बार तो मैं डर गई।
मुझे ज़मीन पर लेटा कर एक लड़का मेरे ऊपर आ चढ़ा और बड़ी ही डरावनी सी हंसी हंस कर उसने मेरे दोनों मम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा, बिल्कुल ऐसे जैसे किसी शिकारी को उसका शिकार मिला जाता है और वो उसे खाने से पहले दबोच कर उसकी बेचारगी का मज़ा लेता है।
जिन लड़कों ने मेरी टांगें पकड़ रखी थी, उन दोनों ने मेरी जीन्स का बटन और ज़िप खोली और मेरी पैन्ट उतारने लगे, जो लड़का मेरे ऊपर बैठा था, उसने मेरी टी शर्ट ऊपर को उठाई और खींच कर उतार दी, मेरी ब्रा पैन्टी भी एक सेकंड में उतार दी, अभी जो मैं बैठी देख रही थी, दो पल बाद वहीं अब मेरी भी हालत हो गई थी।
पिंकी के साथ मैं भी नंगी लेटी हुई थी, पहले तो मुझे भी शर्म सी आई कि यार चार बिल्कुल अंजान लड़के जिनके मैं नाम भी नहीं जानती, उनके सामने मैं बिल्कुल नंगी लेटी थी, और वो सब थोड़ी देर बाद मुझे चोद रहे होंगे।
मगर एक बात यह भी थी कि मुझे इस सब में रोमांच भी बहुत आ रहा था, मैं बहुत खुश थी, जैसे मैं अपनी पसंद का कोई काम पहली बार करके देख रही हूँ।

मुझे नंगी करके चारों लड़के मेरे ही आस पास आकर बैठ गए और कुत्तों की तरह गुर्राने लगे। फिर एक लड़के ने अपने लंड पर कोंडोम चढ़ाया और वो तो पिंकी को घोड़ी बना कर चोदने लगा, ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो, और उसे बस एक मिनट में ही उसे चोद कर भाग जाना हो।
बाकी तीन में से एक ने मेरे मुँह को अपनी तरफ घुमाया, और बोला- चल मादरचोद, ले इसे मुँह में!
और अपना लंड ला कर मेरे होंठों पर रख दिया।
मैंने मुँह खोला और चूसने लगी, वो बोला- देखो साली भैंण की लौड़ी को, कैसे लंड चूस रही है, कुतिया कहीं की!
और उसने मेरे बूब को ज़ोर से पकड़ कर दबा दिया। अब दबाया तो उसमें से दूध निकल आया।

उसने तभी बाकी लड़कों को भी बताया- अबे ये देखो, साली दुधारू है, भैंणचोदी के थण भरे पड़े हैं दूध से, पी लो रे। इसका ही दूध पी कर तगड़े हो कर इसी की चूत मारेंगे।
सब बेहूदा सा हंसने लगे और दोनों मेरे मम्मे बड़ी बेदर्दी से दबा दबा कर उनका दूध निकालने लगे। मुझे दूध निकालने से कोई ऐतराज नहीं था, मगर यार दबाओ तो प्यार से मगर ये तो ऐसे निचोड़ रहे थे, जैसे नींबू को निचोड़ते हैं।

मुझे बहुत दर्द हुआ, मैंने उनसे कहा भी- अरे यार दर्द होता है, आराम से दबा लो!
मगर एक ने मेरे एक चांटा मारा और बोला- चुप साली हरामजादी, अब तू हमारी गुलाम है, हम जैसा चाहेंगे, तेरा इस्तेमाल करेंगे.
और वो फिर वैसे ही मेरे मम्मे दबा दबा कर दूध निकालते रहे, जो लड़का मेरे ऊपर बैठा था, वो पीछे को खिसका और मेरी दोनों जांघें चौड़ी करके मेरी चूत चाटने लगा।

ये मेरे लिए बहुत आनंद दायक था, मुझे चूत चटवाना बहुत पसंद है।
प्रीति को भी घोड़ी बन कर हाथ पैर बंधे होने के बावजूद चुदाई का मज़ा आ रहा था, उसके चेहरे की संतुष्टि देख कर लगता था कि वो बहुत मज़ा ले रही है।
मगर एक लड़के ने कहा- अबे तू उस छिनाल से क्या चिपटा है, उसकी तो बीसों दफा मारी है, इधर आ, ये नया पीस बहुत बढ़िया है, इसको चूस के मज़ा ले!

और वो लड़का वहीं उसे बीच में ही छोड़ कर आ गया।
पिंकी का मुंह तो बंधा था, उसने कुछ कुनमुनाहट सी की आवाजें निकाल कर जैसे कहा भी- अरे मेरा होने वाला है, मेरा तो करवा जा!
मगर उसने तो सुना ही नहीं।

चारों लड़कों ने बारी बारी पहले मेरा दूध पिया, सब ने मज़े ले ले कर, मेरे मम्मों और दूध के साथ खेला। फिर पिंकी को भी खींच कर ले आए और उसे भी कहा मेरे दूध पीने को।
और उसका मुँह भी मेरे मम्मे से लगवा कर उसे मेरा दूध चुसवाया।

बड़ा ही अजीब सा माहौल था।
एक बात और देखी मैंने, वो चारों लड़के एक दूसरे से कोई घिन नहीं करते थे, जैसे एक लड़का मुझे लंड चुसवा रहा है, तो दूसरे का दिल किया तो उसने मेरे मुँह से उसके लंड निकाला और अपना मुँह लगा मेरे होंठ चूसने लगा। जो लड़का मेरी चूत चाट रहा था, उसने तो चाट चाट कर मेरा पानी ही गिरवा दिया।
मैं उन चारों की गिरफ्त में तड़प कर शांत हो गई मगर वो चाटने से नहीं हटा। बल्कि उसके बाद वो जा कर पिंकी की चूत चाटने लगा। उसने पिंकी का मुंह खोल दिया.
पिंकी बोली- अबे भोंसड़ी के, जीभ नहीं, अपना लंड डाल।
मगर वो चाटता रहा!

इधर एक और लड़के ने अपने लंड पे कोंडोम चढ़ाया और मेरी चूत में लंड डाल कर पेलने लगा।
साले का लंड भी अच्छा था, और दम भी था, मगर उसे मेरे मज़े की नहीं, सिर्फ अपनी चुदाई की पड़ी थी। नीचे चूत में लंड, एक लंड मुँह में, दोनों मम्मों पर दो मुँह। मेरे तो सभी ज़रूरी अंग बिज़ी थे, सिर्फ एक गांड ही बची हुई थी।

पर एक लड़के ने पूछ ही लिया- मैडम, आपको बी साइड चलाने का शौक है?
मैं समझ गई कि मेरी गांड के बारे में पूछ रहा है, मैंने मना कर दिया- नहीं, मुझे सिर्फ ए साइड चलानी ही अच्छी लगती है।

मगर पिंकी बोली- मादरचोद, मेरी चला ले बी साइड, इसको देख कर सभी की माँ चुद गई, जो मुझे छोड़ कर इस हरामज़ादी के तलवे चाट रहे हो?
एक लड़का बोला- अरे यार, नया माल सबको पसंद होता है।

जो लड़का मुझे चोद रहा था, उसने करीब 20 मिनट की मेरी शानदार चुदाई की, मैं दो बार और झड़ गई। उसके उतरते ही, एक और लड़का कोंडोम चढ़ा कर आ गया। अगले 4 घंटे तक वो लड़के बारी बारी आते गए, और मुझे चोदते गए।
 उन्होंने।

फिर उन्होंने पिंकी को भी खोल दिया। खुलने के बाद तो पिंकी भी जैसे उनकी ही हो गई, वो भी मुझे जलील करने और मारने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी। मेरे दोनों चूतड़ उन लोगों ने मार मार कर सुर्ख कर दिये थे। मम्मे भी दबा दबा कर लाल कर दिये।
चुदाई लगातार चल रही थी, एक उतरता तो दूसरा चढ़ जाता। मैं चुद कर पहली बार इतनी बार झड़ी थी। 5-6 बार झड़ने के बाद तो न मैं झड़ी और न ही मेरी चूत ने पानी छोड़ा… बिल्कुल सूखी। और जब मेरी सूखी रगड़ाई हुई, तब मेरी चीख निकली।
यह तो सुनने में या पढ़ने में मज़ेदार लग सकता है, मगर सच में, सच में बहुत ही दुखदाई था। मैं चाहती थी के मैं भाग कर यहाँ से चली जाऊँ।

मगर सब ने मुझे ऐसे मजबूती से पकड़ रखा था कि मैं तो हिलने का भी नहीं सोच सकती थी। मैंने पूछा- अरे बस करो यार, अब तो मुझे मज़ा आना भी बंद हो गया। अब तो छोड़ दो मुझे।
तब एक लड़के ने कहा- ठीक है, थोड़ी देर आराम कर लो, बाद में देखेंगे, दूसरी शिफ्ट लगा लेंगे।

जब वो लड़का मुझे चोद कर नीचे उतरा तो मैं तो अपना पेट पकड़ कर गांठ बन कर लेट गई।
पिंकी ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- यार पेट दुख रहा है, सालों ने मार मार घस्से मेरा तो पेट ही हिला दिया।

पिंकी ने मुझे थोड़ा पानी ला कर दिया, मैं बैठ कर पीने लगी। पानी पी कर मैं बाथरूम में गई, वहाँ अंदर मैंने शीशे में खुद को देखा, सत्यानाश करके रख दिया था मेरा उन लोगों ने। फ्रेश हो कर, खुद को थोड़ा सेट करके मैं बाहर आई, तो देखा दो जन पिंकी को चोद रहे थे, एक पीछे गांड में एक मुँह मे।
मुझ से भी पूछा, मगर मैंने साफ मना कर दिया।

सुबह की घर से निकली मैं, शाम के 5 बज गए थे।
उसके बाद जब पिंकी फ्री हुई, तो हमने अपने अपने कपड़े पहने और वापिस घर आ गईं।
मैंने पिंकी से कहा- तौबा यार, ये तो तुमको ही मुबारक हो, कैसे सह लेती हो सब? मैं तो न करूंगी फिर कभी!
पिंकी बोली कुछ नहीं, सिर्फ हंस कर मेरे कंधे पर थपथपा दिया।

एक हफ्ते तक मुझे सेक्स के बारे में सोचने का भी मन नहीं किया।
एक दिन अरुण जी ने बुलाया, तो मैं चली गई, मगर मज़ा नहीं आया, उस इंसान के साथ भी, जिसे मैं दिल से प्यार करती थी। उसके भी करीब एक हफ्ते बाद मैंने रात को पिंकी को फोन किया। “हैलो, हाँ यार क्या कर रही है, मैं सोच रही थी, अगर तू फ्री है, तो किसी दिन घूमने चलें किसी होटल में।
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14-07-2018, 08:50 PM
कुछ दिन मैं ठीक रही मगर बाद मुझे फिर से वही सब याद आने लगा। सच में गैंगबैंग तो बहुत ही मज़ेदार सेक्स है; एक साथ 4-5 लोग आपको एक साथ चोदते हैं; इससे हर औरत की, ज़बरदस्त चुदाई की, लंबी और खूब देर तक चुदाई की, एक से ज़्यादा लंड लेने की, ज़्यादा मर्दों के साथ खेलने की, वाइल्ड सेक्स की, रफ सेक्स की, गालियां खाने, गालियां निकालने की, मार खाने हर तरह की इच्छा पूरी हो जाती है। और अगर आपके साथ आपकी कोई खास सहेली भी हो, जैसे मेरे साथ पिंकी थी, तो उस सहेली के साथ आपका शर्म का पर्दा भी उठ जाता है।
पिंकी और मेरा एक दूसरी के सामने कपड़े बदलना या और किसी वजह से नंगी होना तो आम बात थी, मगर उस दिन तो हम दोनों एक दूसरी के सामने चुद कर बिल्कुल ही बेहया हो गई। अब तो आपस में बात करते वक़्त हम एक दूसरी को माँ बहन की गाली देना, गांड, फुद्दी, लंड, चुत सब बोलने लगी थी। अब तो जब भी हम मिलती, हमारी बातों का मेन मुद्दा  ही होता था।
ऐसे ही एक दिन बाद दोपहर हम दोनों, मेरे ही घर पर बैठी बात कर रही थी, मैं अपनी बेटी को दूध पिला रही थी; पिंकी मेरे बूब्स को बड़े ध्यान से देख रही थी, उसकी शादी को भी तीन साल हो गए थे, मगर अभी उसको बच्चा नहीं हुआ था।
मैंने पूछा- क्या देख रही है?
वो बोली- क्या दूध पिलाने में सच में बहुत आनंद मिलता है।
मैंने कहा- क्यों, तूने क्या अपने मम्में नहीं चुसवाए, तुझे पता तो है।

वो बोली- अरे वो नहीं यार, उन लोगों का या मेरे पति का मम्में चूसने का तरीका अलग होता है, वो सेक्स की ज़रूरत है, मैं पूछ रही हूँ, बच्चों के तरीके से।
मैंने कहा- तो ले देख ले, तू ट्राई करके देख!
मैंने अपनी बेटी पिंकी की गोद में डाल दी।
पिंकी ने मेरी तरफ देखा, मैंने कहा- देखती क्या है, उठा अपना ब्लाउज़ और देख अपना दूध पिला के।

उसने अपने ब्लाउज़ के हुक खोले, अपना ब्रा ऊपर उठाया, और अपने मम्में का निप्पल मेरी बेटी के मुँह में दिया; मासूम बच्ची उसे ही दूध समझ कर चूसने लगी।
पिंकी की आँखें बंद हो गई, शायद उसे बहुत आनंद या तृप्ति का एहसास हुआ।

मगर दूध ना होने के कारण मेरी बेटी रोने लगी, तो मैंने उसे पिंकी से लिया और अपने सीने से लगा लिया; वो मेरा दूध पीने लगी।
पिंकी चुप सी हो गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- यार कुछ पल के लिए मुझे माँ बनने का एहसास हुआ, बच्चों के दूध पीने में और बड़ों के मम्में चूसने के तरीके में ज़मीन आसमान का फर्क है, इसकी अलग संतुष्टि है, उसका अलग आनंद है।

मैंने पूछा- तो तेरा दिल भी करता है माँ बनने को?
वो बोली- इसमें पूछने वाली क्या बात है, हर औरत का दिल करता है कि वो माँ बने।
मैंने पूछा- तो दिक्कत क्या है?
वो बोली- यार हम दोनों मियां बीवी कोशिश तो पूरी कर रहे हैं। हर बार वो अंदर ही पिचकारी मारता है। हम दोनों की सेक्स लाइफ भी बहुत अच्छी चल रही है, मगर पता नहीं क्यों बच्चा कंसीव नहीं हो रहा।
मैंने कहा- तो डॉक्टर को दिखा।
वो बोली- अरे यार डॉक्टर को भी दिखा लिया, सब ठीक है, हम दोनों की सभी रिपोर्टस ठीक आई हैं, पर पता नहीं क्यों, बच्चा कंसीव ही नहीं हो रहा।

मैंने मज़ाक में कहा- तो साली पति बदल के देख ले।
वो बोली- मैं भी यही सोच रही हूँ, तू मेरी सहेली है, एक सलाह तो दे?
मैंने पूछा- पूछ तो।
वो बोली- तेरा पति कैसा रहेगा।
हम दोनों हंस पड़ी।

खैर हमारा हंसी मज़ाक तो चलता ही रहता है, अब मैं आपको बताती हूँ, असली बात।
मेरे पति ने अपने बिज़नस को बढ़ाने के लिए, एक विदेशी कंपनी से समझौता किया, उस विदेशी कंपनी का माल हमें यहाँ मँगवा का इंडिया में बेचना था। अरुण जी ने भी मेरे पति की बहुत हेल्प की और मेरे पति की काम शुरू हो गया।
जब काम शुरू हो गया, तो उस कंपनी का एक मैनेजर यहाँ इंडिया आया, यह देखने कि जिस क्वालिटी का माल वो भेज रहे हैं, क्या उस क्वालिटी का माल आगे हम बेच रहे हैं, या नहीं।
अरुण जी से मैंने बात की, वो बोले- ये सब ड्रामा है, वो यहाँ आएगा, पर रिपोर्ट वो लिखेगा, जो तुम चाहोगे, बशर्ते तुम उसके मुँह में अपने शब्द डाल दो।
मैंने कहा- वो कैसे?
अरुण जी बोले- बहुत कुछ होता है, पैसा दे कर, गिफ्ट दे कर, कोई सुंदर लड़की दे कर। किसी भी तरह बस उसको खरीद लो।

मैंने अपने पति से बात की, वो बोले- देख लेंगे।
जिस दिन वो अंग्रेज़ अफसर इंडिया आया, तो मेरे पति ने उसका रहने का इंतजाम एक फाइव स्टार होटल में किया, उसको हर तरह की सुख सुविधा दी।
एक दिन अपने घर डिनर पे भी बुलाया। थोड़ा, महफिल को और बढ़िया करने के लिए हमने अपने एक दोस्त को भी परिवार सहित बुला लिया। पिंकी और उसका पति भी आए थे। हल्का म्यूजिक, वाईन, स्कॉच, वेज, नॉन वेज, हर तरह का खाना पीना था। पार्टी बहुत ही मज़ेदार थी, हमें उस अंग्रेज़ मैनेजर को बहुत सारे गिफ्ट भी दिये।

38-40 साल का दूध से भी गोरा, गुलाबी रंगा का अंग्रेज़। कद कोई 6 फीट 2 इंच। जिम जाता होगा, इसलिए बॉडी भी अच्छी बना रखी थी। पिंकी ने तो मुझे कीचन में कह दिया- यार अगर मैं इस अंग्रेज़ से ट्राई करूँ, तो मेरा बच्चा कितना गोरा पैदा होगा।
खैर मज़ाक की बात थी।

खाना वाना सब हो गया और अंग्रेज़ अपने होटल वापिस चला गया।
अगले दिन पति जब काम से वापिस आए तो बड़े परेशान से थे। मैंने परेशानी का कारण पूछा, तो बोले- यार बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया हूँ, ये अंग्रेज़ का बच्चा तो बड़ा ही कमीना निकला। कहता है, जो कहोगे, जैसी कहोगे वैसे रिपोर्ट बना दूँगा, मगर मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी।
मैंने पूछा- क्या शर्त है उसकी?
मेरे पति बोले- वो तुम्हें मांग रहा है, एक रात के लिए।

मैंने थोड़ा सोचा और फिर कहा- देखो, आपने मैंने, हम दोनों ने इस बिजनेस के लिए बहुत सी कुर्बानियाँ दी हैं, अगर वो एसा चाहता है, तो मैं तैयार हूँ।
मेरे पति से मैंने इस बारे में बहुत खुल कर बात की और उन्हें इसके लिए समझाया और राज़ी कर लिया।

दरअसल बात ये थी कि मैं तो खुद उस अंग्रेज़ को देख कर लार टपका रही थी; मेरी तो दिल की मुराद पूरी हो गई थी। फिर मैंने सोचा कि यार पिंकी भी तो अंग्रेज़ से बच्चा पैदा करना चाहती थी, क्यों न अपनी दोस्त का भी काम करवा दूँ साथ में!
मैंने पिंकी से फोन पे बात की, तो वो खुशी से उछल पड़ी।

हमने उस से अगले दिन शाम के 6 बजे की डिनर की एप्पोइंटमेंट फिक्स की। पिंकी घर पे बोल के आई के वो हमारे साथ किसी पार्टी में जा रही है, सो लेट ही आएगी।
मेरे पति हम दोनों को शाम को अपनी गाड़ी से उस अंग्रेज़ के होटल में छोड़ आए।

हम जा कर लॉबी में बैठ गईं और दो मिनट बाद ही वो अंग्रेज़ आ गया, उसका नाम जॉर्ज था। हम तीनों पहले बार में गए, वहाँ हमने वाईन ऑर्डर की। सबने वाईन पी।
जॉर्ज, हम सब बहुत खुश थे, जॉर्ज ने मुझसे पिंकी को साथ लाने की वजह पूछी।
मैंने उस से कहा- इसकी वजह मैं आपको बाद में बताऊँगी।

उसके बाद खाना खा कर हम करीब 9 बजे जॉर्ज के रूम में चले गए।
रूम में जा कर जॉर्ज ने कहा- लेडीज़, मैं आपको एक बात बताना चाहता हूँ, मुझे बहुत पहले से ही भारतीय औरतें पसंद रही हैं। वहाँ इंग्लैंड में भी मैं अक्सर भारतीय औरतों को बुला कर उनके साथ सेक्स किया करता था। भारतीय औरतें, बहुत ही लाजवाब होती हैं। मगर एक बात और थी, क्योंकि जिन औरतों से मेरे संबंध रहे वो सब वेश्याएँ थी, तो मुझे हमेश कोंडोम पहन कर सेक्स करना पड़ता था, मगर मैं चाहता था कि मैं किसी भारतीय औरत से सेक्स करूँ, और वो भी बिना कोंडोम के। तो क्या मैं आपके साथ बिना कोंडोम के सेक्स कर सकता हूँ?
मैंने कहा- बिल्कुल जॉर्ज, हम दोनों शुद्ध घरेलू औरतें हैं, और न ही हमारे किसी और मर्द के साथ संबंध है, तुम बिलकुल निश्चिंत हो कर हमसे सेक्स कर सकते हो।

वो बहुत खुश हुआ, उसने हम दोनों के होंठों पर एक एक किस की और बोला- मैं अभी आया!
और वो बाथरूम में चला गया।

5 मिनट बाद जब वो बाथरूम से बाहर आया तो उसके बदन पर काले रंग की चमड़े की टाईट ड्रेस थी, हाथ में चाबुक, और मुँह पर भी नकाब था।
हम देख कर बड़ी हैरान हुई कि ये सब क्या है।
मैंने उस से पूछा भी- जॉर्ज, ये सब क्या है?
वो बोला- सेक्स करते हुये मुझे मार खाना और मारना बहुत पसंद है, ये सब उसके लिए है।

हम दोनों को भी तो ये सब पसंद था तो हमने कोई आपत्ति नहीं जताई। हमारे पास आ कर वो हम दोनों के हाथ पकड़ कर बेड के पास ले गया।
पहले उसने मेरी साड़ी का आँचल उठाया और ब्लाउज़ में मेरे मम्में देख कर बोला- ऊ… क्या हिंदुस्तानी मम्मा है।
फिर उसने मेरी साड़ी खोल दी; मैं पेटीकोट और ब्लाउज़ में रह गई। उसके बाद उसने पिंकी की भी साड़ी उतारी और ब्लाउज़ में से उसके भी मम्में दबा कर देखे। फिर जा कर बेड के बीचों बीच लेट गया और हम दोनों को अपनी अगल बगल बुलाया- आ जाओ हसीनाओ, मेरे आस पास अपने हुस्न का जादू बिखेर दो।

एक तरफ मैं तो दूसरी तरफ पिंकी आकर लेट गई।
उसने हम दोनों को अपनी आगोश में लेकर हम दोनों का एक एक मम्मा पकड़ लिया और दबाया- वाह क्या बात है भारतीय मम्मों की, रसीले और मुलायम।
पिंकी बोली- इसके मम्में तो दूध से भरे हैं।
वो बोला- सच में? बहुत साल हो गए माँ का दूध पिये, आज पीऊँगा।

हम दोनों उसके सीने पर हाथ फेरने लगी।
कसरत कर के पत्थर की तरह सख्त जिस्म कर रखा था उसने। वो कभी मेरी तरफ मुँह करता और मेरे होंठ चूसता तो कभी पिंकी की तरफ मुँह करके उसके होंठ चूसता।
फिर बोला- चलो लेडीज़, अब मुझे नंगी हो कर दिखाओ, मैं तुम लोगों के  देखना चाहता हूँ।

हम दोनों उठी और किसी रंडी की तरह अपनी ब्लाउज़ के बटन खोले, ब्रा खोली, पेटीकोट के नाड़े खोले और फिर अपनी अपनी पैन्टी उतार कर बिलकुल नंगी हो गई।
जॉर्ज बोला- ओ हो, तुम लोगों की झांट कहाँ गई।
मैंने कहा- हमने साफ कर दी।
वो बोला- अरे नहीं, मुझे झांट वाली औरतें बहुत पसंद है। झांट हों, बगल में बाल हों।
पिंकी बोली- पर अब क्या हो सकता है।
जॉर्ज बोला- कोई बात नहीं, आ जाओ।

हम फिर से उसके साथ लेट गई।
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14-07-2018, 08:51 PM
जॉर्ज बोला- चलो लेडीज़, अब मुझे नंगी हो कर दिखाओ, मैं तुम लोगों के नंगे जिस्म देखना चाहता हूँ।
हम दोनों उठी और किसी रंडी की तरह अपनी ब्लाउज़ के बटन खोले, ब्रा खोली, पेटीकोट के नाड़े खोले और फिर अपनी अपनी पैन्टी उतार कर बिलकुल नंगी हो गई।
जॉर्ज बोला- ओ हो, तुम लोगों की झांट कहाँ गई।
मैंने कहा- हमने साफ कर दी।
वो बोला- अरे नहीं, मुझे झांट वाली औरतें बहुत पसंद है। झांट हों, बगल में बाल हों।
पिंकी बोली- पर अब क्या हो सकता है।
जॉर्ज बोला- कोई बात नहीं, आ जाओ।
हम फिर से उसके साथ लेट गई।

अब आगे:
उसने पहले पिंकी का मम्मा पकड़ा और अपने मुँह में लेकर चूसा। पिंकी को मज़ा आया तो उसने पैन्ट के ऊपर से ही जॉर्ज के लंड को सहलाया। थोड़ा सा चूस कर फिर उसने मेरा मम्मा अपने मुँह में लिया, और जैसे ही चूसा, दूध से उसका मुँह भर गया, घूंट भर के वो बोला- आ हा, मज़ा आ गया, क्या टेस्टी दूध है।
और उसने बड़ा दबा दबा कर मेरे मम्मों को चूसा।

फिर उसने पिंकी से कहा- मेरी चड्डी उतारो!
पिंकी ने उसकी चमड़े की चड्डी उतारी तो वो देख कर हैरान रह गई। जितना बड़ा आम भारतीय मर्दों का लंड खड़ा हो कर होता है, उसका ढीला लंड उतना लंबा और मोटा था। पिंकी ने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
जॉर्ज बोला- तुम तो बहुत अच्छा लंड चूसती हो, प्रीति, तुम अपनी चूत मेरे मुँह पर रखो मैं तुम्हारी चूत चाटना चाहता हूँ।

मैं आगे को होकर जॉर्ज के मुँह पर बैठ गई। अपना मुँह खोल कर जॉर्ज ने मेरी चूत को अपने मुँह में ले लिया और अपने दोनों हाथों में मेरे दोनों मम्में पकड़ लिए.
जैसे जैसे वो चूत चाट रहा था, वैसे वैसे वो मेरे मम्में दबा दबा कर दूध भी निकाल रहा था। मेरा दूध मेरे मम्मों से चू कर पेट से हो कर जॉर्ज के मुँह पर उसके कंधों पर भी गिर रहा था।
अब दूध मेरे आता ही बहुत है, तो मैंने तो जैसे जॉर्ज का मुँह ही धो दिया था, अपने दूध से।

जॉर्ज सच बहुत बड़ा चटोरा था चूत का। ऐसे ज़बरदस्त चटाई की मेरी की मैं तो उसके मुँह पर बैठी बैठी ही झड़ गई। जितना भी मेरी चूत से पानी गिरा, वो सब पी गया, चाट गया, मुझे ठंडी करके उसने मुझे नीचे उतार दिया और फिर पिंकी को 69 बनाने को कहा।
पिंकी जॉर्ज के ऊपर उल्टा लेट गई, जॉर्ज उसकी चूत चाटने लगा तो मैं और पिंकी उसका लंड चूसने लगी। साढ़े 9 या 10 इंच का उसका लंडन और उसी हिसाब से मोटा भी। हम दोनों उसका गुलाबी लंड चूसते हुये सोच रही थी कि अगर ये चुदाई में भी ज़बरदस्त हुआ, तो हम दोनों की तो किस्मत खुल जाएगी, आज रात; चूत तो दोनों की खुलेगी ही खुलेगी।

4 मिनट में उसने पिंकी को भी स्खलित कर दिया उसकी चूत चाट कर; वो भी तड़प कर, झड़ कर जॉर्ज के मुँह से उठ गई।
फिर जॉर्ज ने मुझे कहा- प्रीति, तुम मुझे बहुत सुंदर लगती हो, इसलिए मैं पहले तुमसे सेक्स करूंगा।
मैंने कहा- क्यों नहीं जॉर्ज, तुम एक शानदार मर्द हो, मुझे पूरी उम्मीद है अपने लंड से भी तुम मुझे पूरी तरह से संतुष्ट करोगे। पर तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है, ऐसा लंड तो मैंने पॉर्न मूवीज़ में ही देखा है, मुझे डर लग रहा है, मैं इतना बड़ा लंड ले भी पाऊँगी या नहीं।
वो हंस कर बोला- अरे नहीं डार्लिंग, डरो मत, मेरा लंड बहुत ही शांत और प्रेमी स्वभाव का है, ये तुम्हारी में चूत में जा कर मोम की तरह पिघल जाएगा, तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी, बस मज़ा ही मज़ा आयेगा।

मैं बेड पे लेट गई, तो जॉर्ज मेरे ऊपर आ गया।
मैंने अपनी टाँगें फैलाई, तो जॉर्ज ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और हल्के से अपने लंड का टोपा मेरी चूत में डाला।
गर्म और सख्त लंड मेरी चूत में घुसा, उसके लंड की सख्ती से ही मुझे एहसास हुआ कि यह कोई साधारण लंड नहीं है, आज पक्का मेरी माँ चुदने वाली है।

थोड़ा सा आगे, थोड़ा सा पीछे, ज़्यादा आगे, थोड़ा पीछे, और ज़्यादा आगे, थोड़ा सा पीछे। धीरे धीरे करके जॉर्ज अपना लंड मेरी चूत में उतारने लगा। मैंने पिंकी का हाथ थाम लिया।
जॉर्ज बोला- डरो नहीं, आराम से लो, और लेती रहो। अगर तुम इसके जाने के रास्ते को रोक दोगी तो तुम्हें कष्ट होगा, इस लिए रोको मत, रिलैक्स, आराम से बदन को ढीला छोड़ कर इसे अंदर ही अंदर जाने दो।

पर कितना जाने दो? अभी उसका आधा लंड ही मेरे अंदर घुसा था, पर मुझे लग रहा था, जैसे मेरी सारी चूत भर गई हो। यहाँ तक तो ठीक था, मगर उसके बाद जॉर्ज मेरे ऊपर लेट गया। काफी भारी था। मेरे ऊपर लेट कर उसने मेरे दोनों हाथ अपने हाथों में पकड़ लिए और फिर अपने लंड को मेरे अंदर धकेलने लगा। अब मुझे सच में तकलीफ हुई। कहने को बहुत से औरतें कहती हैं कि बड़ा लंड चाहिए, बड़ा लंड चाहिए, मगर हर देश के लोगों के लंड की हिसाब भगवान ने सोच समझ कर ही रखा है।
मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर जॉर्ज, और ज़ोर से अपने लंड को मेरी चूत में डाल रहा था। हर झटके के साथ मुझे लगता जैसे उसका लंड मेरा जिस्म चीर कर अंदर मेरे कलेजे तक चोट कर रहा है।
बड़ी मुश्किल में फंसी थी मैं… पास बैठी पिंकी भी मेरी हालत देख रही थी, मगर इस वक़्त वो भी मेरी कोई मदद नहीं कर पा रही थी, वो बस मेरे को देख रही थी, और मेरे कंधे को हल्के हल्के दबा रही थी।
एक डर मैं उसकी आँखों में भी देख रही थी, वो भी सोच रही होगी कि अगर इसकी ये हालत है, तो मेरी दुर्गति भी इस से कम नहीं होने वाली।

बेशक मुझे मज़ा भी आ रहा था; मेरी चूत भर भर के पानी छोड़ रही थी। मगर जब वो पीछे से लंड ला कर आगे करता था, तब बड़ी चीख निकलती थी। वैसे तो मैं आम तौर पर 4-5 मिनट में डिस्चार्ज हो जाती थी, मगर उस दिन मैं 10 मिनट की चुदाई के बाद भी डिस्चार्ज नहीं हुई।
फिर जॉर्ज ने मुझे घोड़ी बनने को कहा, जब मैं घोड़ी बन गई और वेट कर रही थी के अब वो फिर अपना विशाल लंड मेरी चूत में डालेगा, मगर तभी एक जोरदार चाबुक मेरे चूतड़ों पर पड़ी। मैं दर्द से चीख पड़ी- आह, जॉर्ज, इतनी ज़ोर से, बहुत दर्द हुआ यार।
मगर वो हंस पड़ा और चाबुक पिंकी को देकर बोला- जब मैं उसके लंड डालूँ तो तुम भी पीछे से मेरे चाबुक मारना!

जब जॉर्ज ने अपना लंड मेरी चूत में डाला तो पिंकी ने उसके चाबुक मारी, मगर हल्के से, तो जॉर्ज बोला- यह क्या, इतनी हल्के से, चाबुक कैसे मारते हैं, मैं बताता हूँ!
उसने पिंकी से चाबुक ली और उसी की गांड पर इतनी ज़ोर से मारी के पिंकी भी तड़प उठी।
फिर चाबुक पिंकी को देकर जॉर्ज बोला- अब पता चला कैसे मारते हैं, जब मैं कहूँ तो मुझे ऐसे मारना।

फिर जॉर्ज ने उसे कहा- अब मारो!
पिंकी भी पूरे जोश के साथ पीछे से खींच के लेकर आई चाबुक, और ऐसी ‘सर्राट’ से चाबुक मारी जॉर्ज के साले की गांड पर चमड़ी खींच दी।
मगर वो तो बहुत खुश हुआ- आह, मज़ा आ गया जानेमन!

दो चार बार मेरे घस्से मार कर बोला- एक बार और मार!
इस बार पिंकी ने उसकी पीठ पर चाबुक से मारा, क्या ज़िद दिखा कर मारा लड़की ने, मगर उस साले अंग्रेज़ को तो इस में भी मज़ा आ रहा। जितना पिंकी उसको खींच कर मारती, उतनी ज़ोर से वो मेरे चूत में अपना लंड पेलता, मतलब एक ही वार में पहले जॉर्ज की चीख निकलती और फिर मेरी।

बड़ी मुश्किल से मैं डिस्चार्ज हुई, मगर जॉर्ज का 10 इंच का भयंकर लंड अभी भी कुतुब मीनार की तरह खड़ा था। मैं जैसे ही डिस्चार्ज हुई, मैंने उसे कह दिया- जॉर्ज मेरा हो गया, अब मुझे छोड़ दो। जॉर्ज ने मुझे छोड़ दिया, अपना लंड बाहर निकाला तो मैंने फिर पिंकी को कहा- चल अब तू आ जा।
पिंकी को भी उसने घोड़ी बना दिया, और जब उसने अपना लंड उसकी चूत पर रखा, मैंने पीछे से एक चाबुक छोड़ी, साले अंगेज़ की औलाद पर; तड़पा दिया ससुरे को।

मगर उसने ऐसा धक्का मारा के आगे मेरी जान पिंकी की चूत फट गई।
वो अलग से चीखी- हाय मेरी माँ।
मगर उस अंग्रेज़ को मार का कोई असर ही नहीं लग रहा था। उसके बदन पर कई निशान बन चुके थे। एक एक निशान तो मेरी और पिंकी की गांड पर भी बन चुका था, मगर हम तो एक एक से ही तड़प उठी थी, मगर वो तो साला 8 निशान अपनी पीठ पर लिए था, और फिर भी खुश था।

पिंकी को चोदते चोदते जॉर्ज बोला- प्रीति, पिंकी को अपना दूध पिलाओ, अपना मम्मा उसके मुँह में दो।
मैंने पिंकी को इशारे से पूछा, उसने सर हिला दिया।
जॉर्ज ने पिंकी को उठा कर अपने सीने से लगा लिया और पिंकी के दोनों मम्में पकड़ लिए, मैं पिंकी को अपना दूध पिलाने के लिए उसके सामने खड़ी हुई, तो मेरा एक मम्मा जॉर्ज ने और दूसरा पिंकी ने पीना शुरू कर दिया। बड़ा आनंद आया अपने दोनों मम्में एक साथ चुसवा कर।

खड़ी हालत में ही जॉर्ज ने पिंकी को खूब चोदा, लंबा लंड होने की वजह से पिंकी की चूत में जॉर्ज का आधा लंड जा रहा था, इसलिए वो मेरे से ज़्यादा मज़ा ले रही थी जॉर्ज के लंड का।
मैंने जॉर्ज से कहा- जॉर्ज तुम्हें पता है, पिंकी को मैं अपने साथ क्यों लेकर आई हूँ?
वो बोला- नहीं, क्यों लाई हो?
मैंने कहा- ये चाहती है कि इसके बच्चे के बाप तुम बनो।

जॉर्ज बड़ा खुश हुआ, उसने पिंकी का मुँह अपनी तरफ घूमा कर पूछा- क्या सच में तुम मेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हो?
पिंकी ने कहा- हाँ मुझे तुम्हारे जैसा, दमदार बेटा चाहिए।
जॉर्ज बोला- पक्का तुम्हें बेटा ही होगा, आज मैं अपना वीर्य तुम्हारे अंदर गिराऊँगा। अगर फिर भी ज़रूरत हुई, तो कल को हम मेरा वीर्य किसी इंफर्टिलिटी सेंटर में जमा करवा आएंगे, ताकि बाद में भी तुम्हें मिल सके।

मैंने कहा- इंफर्टिलिटी सेंटर, वहाँ से तो मैं भी ले सकती हूँ, मेरी बेटी को भी तो एक भाई चाहिए।
मेरी बात पर सब हंस पड़े।

अगले दो घंटे तक जॉर्ज हम दोनों को बदल बदल कर चोदता रहा, हम दोनों का 4-5 बार डिस्चार्ज हो गया, मगर उस माँ के लल्ले का झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। न झड़ने की वजह से उसकी चुदाई और आक्रामक होती जा रही थी।
हम दोनों में से जो भी उसके नीचे होती थी, उसकी तो चीखें बाहर तक सुनी जा सकती थी। कभी हमें खड़ा करके, कभी ऊपर बैठा कर, कभी कैसे कभी कैसे। ब्लू फिल्मों के सभी आसन उसने हम
पर आज़माये।

मैंने जॉर्ज से पूछा- क्या खा कर आए हो जॉर्ज?
तो उसने एक दवा का नाम बताया- इस दवाई को खाने से लंड लंबा मोटा, और दमदार बनता है, और आप अपनी मर्ज़ी तक संभोग कर सकते हो।
मैंने कहा- तो हमें भी ये दवाई दे दो?
वो हंसने लगा और बोला- अगर आपको दे दी, तो फिर जॉर्ज से कौन चुदने आएगी। आप लोगों की चोद कर मेरे मन की मुराद पूरी हो गई, अब तो मैं इंडिया आता ही रहूँगा।

बड़ी मुश्किल से जॉर्ज का वीर्य झड़ा और इतना झड़ा के पिंकी चूत से बाहर ऐसे चू कर आया, जैसे अंदर किसी ने वीर्य की टोंटी खोल दी ही। लंड बाहर निकालने के बाद भी उसके लंड से वीर्य की पिचकारियाँ सी छूट रही थी। पिंकी के मुँह तक उसने धार मारी, फिर मेरे मुँह में अपना लंड दे दिया, मेरे मुँह में भी काफी सारा वीर्य आ गया मगर मैं वीर्य पीती नहीं तो मैंने उसका वीर्य मुँह में तो ले लिया मगर बाद में थूक दिया।
उसके बाद जॉर्ज लेट गया। हमने भी चैन की सांस ली।
अपने आप को फ्रेश करके हम दोनों फिर से तैयार हो गई, जॉर्ज को बाय कह कर हम होटल से निकली। सारे रास्ते हम इस ज़बरदस्त चुदाई की बातें करती आई। जॉर्ज के विशाल और दमदार लंड की।
यह बात हमने भी सोच ली थी कि अगर जॉर्ज फिर से इंडिया आया, तो वो कहे न कहे, हम दोनों उसके पास चुदवाने के लिए ज़रूर जाएंगी।
मैंने तो पिंकी से भी कह दिया- जितना माल उसने तेरे अंदर गिराया है, मुझे तो लगता है तेरे 2 दर्जन बच्चे होंगे।
पिंकी हंस कर बोली- हाँ तू मुझे कुतिया बना दे कमीनी।
मैंने कहा- अरे मैं कहाँ बना सकती हूँ, बनाने वाले ने आज हम दोनों को कुतिया बना दिया। क्या रगड़ा है, अब लगता है, एक हफ्ता पति की हाथ लगाने की ज़रूरत नहीं है।

और ऐसे ही हंसती हुई हम अपने अपने घर पहुँच गई।
उसके बाद पिंकी को एक बेटा हुआ, आज वो दूध सा गोरा बेटा भी डेढ़ साल का हो गया है। जब भी मैं पिंकी के बेटे को प्यार करती हूँ, मुझे हर बार जॉर्ज याद आ जाता है।
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what a hot bitch??
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