14-07-2018, 08:43 PM
मेरे पति का पार्टनरशिप में प्रॉपर्टी का बिज़नस था, मगर पता नहीं क्या हुआ, उनका बिज़नस धीरे धीरे घटता गया और हम दिनों दिन बर्बाद होते चले गए। हालात ये हो गए कि घर में खाने को भी न बचा। जो कुछ भी था, घर, गहना, सब बेच कर भी हमारा बिजनेस उठ नहीं पाया।
यूं कहें कि हम सड़क पर आ गए।
फिर एक दिन हमे ऐसे घर में किराए पर रहने को मजबूर होना पड़ा, जिसको देख कर ही मुझे रोना आ गया। गन्दी सी कॉलोनी में, तंग सी गली में बहुत ही छोटा, दो कमरों का मकान, और उस मकान का किराया देने का भी पैसा हमारे पास पूरा नहीं था। वैसे तो मैं पढ़ी लिखी थी, मगर मुझे भी कोई जॉब नहीं मिल रही थी, ऐसा लगता था कि जैसे बदकिस्मती हमारे पीछे लट्ठ लेकर पड़ी है, मेरे पति जिस काम में भी हाथ डालते, वहां पर नुकसान ही होता।
अभी तो यह शुक्र था कि मेरा बेटा छोटा था, सिर्फ डेढ़ साल की, इस लिए उसके स्कूल का या और कोई टेंशन नहीं था।
जैसे तैसे हम दिन गुज़ार रहे थे, मेरे पति इतने परेशान थे कि कितने कितने दिन मुझे हाथ तक नहीं लगाते थे। मैंने भी कई बार कोशिश की मगर उन में तो जैसे उत्तेजना खत्म ही हो गई थी। मेरा दिल करता चुदने को मैं मुँह में लेकर चूसती, उनकी मुट्ठ मारती, मगर उनका लंड तो जैसे खड़ा होना ही भूल गया था। जो पहले मेरे ज़रा सा छूने पर अकड़ जाता था, अब कितनी कितनी देर मैं उस से खेलती, उसे जगाने का, खड़ा करने की कोशिश करती, मगर सब बेकार।
हर रात मेरी हालत पहले से भी खराब होती जा रही थी। जब मनोरंजन के अन्य साधन समाप्त हो जाते हैं तो सेक्स ही एक मुफ्त का मनोरंजन रह जाता है, मेरे नसीब में वो भी नहीं लिखा था.
जब मैंने देखा कि मेरा पति तो बिल्कुल कंडम हो चुका है, कारोबार की चिंता ने उस को खा लिया है, तो मैंने अपनी कामवासना शांत करने के लिए आस पास देखना शुरू किया। मगर जिस मोहल्ले में हम अब आ कर रह रहे थे, वहाँ का आस पड़ोस इतना बेकार सा था कि मेरा खुद का दिल नहीं किया कि मैं ऐसे किसी गंदे से आदमी के नीचे लेटूँ।
फिर एक दिन मेरे दिल में विचार आया कि जब हमारा काम बहुत अच्छा था, तो हमारे पुराने मोहल्ले में एक शिप्रा नाम की औरत रहती थी, सब उसको कहते थे कि ये बहुत गंदी औरत है, धन्धा करती है, खुद भी अपना जिस्म बेचती है और आगे लड़कियाँ भी सप्लाई करती है। बड़े बड़े अफसरों और ऊंचे ओहदे दारों, पदाधिकारियों तक उसकी पहुँच थी।
मैंने सोचा क्यों न उसके पास जा कर पूछूँ, हो सकता है, एक पंथ दो काज हो जाएँ। मुझे काम भी मिल जाए, पैसा भी मिले और मेरी चूत भी ठंडी हो जाए।
अगले दिन मैं तैयार हो कर वापिस अपने पुराने एरिया में गई शिप्रा के घर उससे मदद मांगने, कुछ काम मांगने!
जब मैं अपने पुराने घर के आगे से निकली तो मेरी आँखों में आंसू आ गए, मेरा रोना निकल गया। कोई वक़्त था, जब मैं इस घर की मालकिन थी, बड़ी शान से इस घर से अपनी गाड़ी में निकलती थी, मगर आज उसी घर के आगे से मैं रिक्शा में धक्के खाते जा रही थी। जिसने हमारा घर खरीदा था, उसकी गाड़ी घर के अंदर खड़ी थी, नया पेंट करवा कर उन्होंने घर को और सुंदर बना लिया था।
अपने आँसू पौंछ कर मैं शिप्रा के घर के आगे रिक्शा से उतरी, मेन गेट की घंटी बजाई, अंदर से नौकर ने आ कर दरवाजा खोला, वो मुझे पहचानता था, उसने मुझे नमस्ते की, मैंने शिप्रा मैडम ले लिए पूछा, तो वो मुझे अंदर ले गया।
अंदर ड्राइंग रूम में मुझे बैठा कर वो शिप्रा को बताने चला गया।
थोड़ी देर बाद शिप्रा आई, खूबसूरत जिस्म, सुंदर चेहरा, मेक अप से और भी सुंदर लग रहा था। बढ़िया परफ्यूम, मुझसे बड़ा खुश हो कर मिली, बहुत सी बातें हुई। फिर उसने मुझे पूछा- अच्छा बता, मैं तेरे लिए क्या कर सकती हूँ?
मैंने कहा- यार शिप्रा, हमारी हालत बहुत खराब है, मुझे काम चाहिए, कोई भी, कैसा भी, मगर काम चाहिए ताकि मैं कुछ पैसा अपने घर के लिए कमा सकूँ।
वो बोली- अरे भोली, ऐसे नहीं कहते, कोई भी काम दे दो। तुम इतनी सुंदर हो, कोई भी तुम्हारा गलत फायदा उठा सकता है।
मैंने कहा- मुझे परवाह नहीं, चाहे गलत काम हो, गंदा काम हो, मैं सब करने के लिए तैयार हूँ।
वो बोली- सोच ले बाद में मत कहना!
मैंने कहा- मैं सब सोच कर ही आई हूँ।
वो बोली- तो ठीक है, आज शाम को 8 बजे मेरा एक आदमी तुम्हें कनॉट प्लेस में मिलेगा। तुम उस से बात कर लेना, तुम्हें सब समझा भी देगा। तुम उस पे आँख बंद करके विश्वास कर सकती हो। पक्का प्रोफेशनल है.
मैं शिप्रा से उस आदमी का फोन नंबर ले कर आ गई। बिटिया को पड़ोसन ने संभाल लिया था, शाम को ठीक 8 बजे मैं सी पी पहुँच गई, और एक जगह, बस स्टाप से थोड़ी दूर जा कर खड़ी हो कर उस आदमी की वेट करने लगी। अब मैं उसको पहचानती तो थी नहीं, रात 10 बजे तक वेट करके मैं घर वापिस आ गई।
अगले दिन फिर शाम को 8 बजे पहुंची, फिर भी नहीं आया। अगले दिन फिर गई, उसको कई बार फोन भी किया, मगर उसने एक बार भी फोन नहीं उठाया। पर आज मैं सोच रही थी कि अगर आज वो नहीं आया, तो कल सुबह जा कर शिप्रा से मिलूँगी।
करीब आधे घंटे बाद, एक आदमी मेरे पास आया और बोला- हैलो मैडम!
मैंने उसकी ओर देखा, पतला दुबला सा बड़ा ही साधारण सा आदमी, वो बोला- आप बस का इंतज़ार कर रही हैं?
मैंने कहा- नहीं, क्यों?
वो बोला- मैं आपको पिछले तीन दिन से देख रहा हूँ, आप रोज़ आती हैं, बस स्टाप से दूर खड़ी हो कर रोज़ किसी का इंतज़ार करती हैं, बस आती है, पर आप बस नहीं पकड़ती। इसका मतलब कि आपको बस नहीं चाहिए।
मैंने कहा- तो तुमसे मतलब?
उसकी बातों से मुझे खीज सी आई, वो बोला- अगर आप फ्री हैं, तो हम कुछ बात कर सकते हैं।
मैं सोच रही थी ‘यार, ये शिप्रा का आदमी आया नहीं और ये फालतू का मेरा भेजा खा रहा है।’
मैंने पूछा- क्या बात करनी है?
वो बोला- जो चीज़ आप ढूंढ रही हैं, मैं वो चीज़ आपको दिला सकता हूँ।
मैंने पूछा- तुम्हें क्या पता, मैं क्या ढूंढ रही हूँ।
वो बोला- आप अपने लिए ग्राहक ढूंढ रही हैं।
बड़ी पते की बात कही थी उसने!
मैंने कहा- तुम्हें कैसे पता, हो सकता है मैं किसी का इंतज़ार कर रही होऊँ?
वो बोला- मैडम जी 18 साल हो गए, इसी कनॉट प्लेस में धन्धा करते हुये, लड़की कीचाल देख कर बता देता हूँ कि करती है, कितना चुदी है। मेरा यही धन्धा है। आपको पहले दिन देख कर ही समझ गया था कि मार्केट में नया माल आ गया है और पहली बार आया है। काम करना है तो बोलो, वरना खड़ी रहो यहीं।
मैंने सोचा शिप्रा का आदमी तो आया नहीं, ये भी शायद कोई दल्ला होगा, अगर ये काम दिलवा रहा है, तो दिक्कत क्या है, अभी इस से बात कर लेती हूँ, काम तो शुरू हो, कल को शिप्रा से भी मिल आऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, क्या करना होगा मुझे?
वो बोला- मैडम जी बिजनस की बात सड़क पर न होती। कहीं बैठ कर बात करें?
मैंने कहा- ठीक है।
उसने एक आटो को सीटी मार कर रुकवाया और हम दोनों बैठ कर चल दिये।
मैं बिलकुल अकेली, एक अंजान आदमी के साथ पता नहीं कहाँ जा रही थी। आटो वाले को उस आदमी ने एक बार भी रास्ता नहीं बताया। हम सीधा एक घर के आगे रुके, उसके साथ ही उतर कर मैं डरती डरती उस घर के अंदर गई।
अंदर घर में ही एक जिम बना था, जहां कुछ लड़कियाँ एक्सरसाइज़ कर रही थी। अंदर एक छोटे से ड्राइंग रूम में हम जा बैठे। एक लड़की आ कर हमे कोल्ड ड्रिंक दे गई।
मुझे डर तो लग रहा था, मगर मैं पी गई क्योंकि मैंने सोच लिया था, अगर इस ड्रिंक में नशे की दवाई भी हुई, तो भी मुझे ज़्यादा से ज़्यादा ये लोग चोदेंगे ही।
फिर वो आदमी बोला- देखो प्रीति, अब मैं सीधा मुद्दे पर आता हूँ।
मैंने पूछा- तुम्हें मेरा नाम कैसे पता?
वो बोला- जिसे तुम तीन दिन से देख रही थी, वो मैं ही हूँ, मुझे शिप्रा मैडम ने ही भेजा है। वो हमारी बॉस हैं। यहाँ अब तक तुमने जितनी भी लड़कियां देखी हैं, वो सब की सब काम करती हैं। हमारा पूरा नेटवर्क है, तुम अपनी मर्ज़ी से इस धन्धे में आ सकती हो पर जा नहीं सकती। तुम पहले एक आम गृहणी थी, इसी वजह से तुम्हारा जिस्म बेडौल हो चुका है। तुम्हें खुद को फिट करना होगा, उसके बाद तुम्हें काम मिल पाएगा। अब अगर तुम इसी जिस्म के साथ काम शुरू कर दोगी, तो तुम्हें ज़्यादा से ज़्यादा 500 रुपए पर शॉट मिलेंगे। मगर मैडम चाहती हैं कि तुम 5000 रुपये पर शॉट और 25000 रुपये पर नाईट की आइटम बनो। तुम बहुत सुंदर हो, सेक्सी हो, तुम्हारे मम्मे, गांड और जांघ सब अच्छी सॉलिड हैं, मगर बदन पर चर्बी थोड़ी ज़्यादा है, उस फालतू चर्बी को
निकालना पड़ेगा। तुम दिल्ली में टॉप की रंडी बन सकती हो, तुम्हारे चेहरे का भोलापन बहुत बड़ी पूंजी है तुम्हारी। अब सीधा सीधा पूछता हूँ। रंडी बनने को तैयार हो?
मैंने उसकी बात सुनी और थोड़ा सोच कर बोली- हाँ, मैं मन से तैयार हूँ।
तो उस आदमी ने मुझे 5000 रुपये दिये, और बोला- ये शिप्रा मैडम ने दिये हैं तुम्हारे लिए। ऐसा हमारा कोई सिस्टम नहीं कि हर नई लड़की को अड्वान्स में पैसे दें, मगर शिप्रा मैडम ने तुम्हारे लिए खास तौर पर भेजें हैं, घर जाओ, कुछ ले जाना। कल सुबह 8 बजे यहीं आ जाना, तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू करनी होगी।
मैं पैसे लेकर घर आ गई।
अगले दिन सुबह वहीं पहुंची। सबसे पहले मुझे जिम पर एक्सरसाइज़ करवाई गई, काफी सख्त कसरत थी मगर मैंने की। मुझे ग्राहक को देखने का, उसको अपनी आँखों से बांधने का, चलने का, बात करने का बहुत तरह के चीज़ें सिखाई गई।
एक महीने की सख्त ट्रेनिंग ने मुझे बिलकुल छरहरी और चुस्त दरुस्त बना दिया।
फिर एक दिन शिप्रा भी वहाँ आई और मुझे देख कर बहुत खुश हुई।
मैंने उस से कहा- यार, थोड़े पैसे चाहिए थे, वो 5000 तो कब के खत्म हो गए।
उसने मेरा चूतड़ दबा कर कहा- मुझसे क्यों मांगती है, अपना खुद का कमा!
मैंने कहा- अरे यार, अभी ये तेरी ट्रेनिंग ही खत्म नहीं हो रही, मैं तो कितने दिन से वेट कर रही हूँ। पर आप लोग कोई काम करवाते ही नहीं मुझसे।
शिप्रा बोली- आज रात को तुम्हारा पहला ग्राहक आ रहा है। आज हमारे धन्धे में तेरी नाथ उतरवाई है। शाम को तैयार हो कर आना। बदन पर कोई बाल न हो। अगर घर पर तैयार नहीं हो सकती
तो यहाँ पर आ जाना, यहीं तुमको तैयार कर देंगे।
शाम को करीब 7 बजे मैं वापिस उसी घर में जा पहुंची, वहाँ शिप्रा ने मुझे अपने सामने दो लड़कियों से तैयार करवाया। सुंदर सी साड़ी में मैंने जब खुद को शीशे में देखा, तो एक बार सोचा, अरे यार तू इतनी सुंदर लग रही है, इतनी सुंदर लड़की ये क्या काम करने जा रही है। मगर ये मेरे दिल में अक्सर उठने वाला विचार था, हमेशा से कि अगर मैं रंडी होती तो कैसा होता। और आज मैं सच में एक रंडी का काम करने जा रही थी।
ओफिशियली रंडी बनने जा रही थी मैं!
शिप्रा मुझे अपनी कार में लेकर एक बहुत बड़े होटल में पहुंची। हम दोनों रिसेप्शन से पूछ कर ऊपर आठवीं मंज़िल पर एक रूम में पहुंचे।
बेल बजाई, अंदर से जवाब आया- आ जाओ, खुला है।
हम दोनों अंदर गई।
अंदर करीब 40-42 साल का एक आदमी था, बढ़िया कोट पैन्ट में वो काफी अच्छी पेर्सोनलिटी का मालिक था। शिप्रा ने उसके गले लग कर उसको ग्रीट किया, उसने हल्के से मुझे भी हग किया। हम सब सोफ़े पर बैठ गए।
तभी वेटर आया और हम सब के लिए शेम्पेन गिलासों में डाल कर दे गया। मैंने आज तक कभी शेम्पेन नहीं पी थी, बीअर या वाइन पी थी।
हमने चीयर्स कह कर गिलास टकराए और शेम्पेन पी। शिप्रा ने मेरे बारे में उसे बताया कि नई लड़की है, आज पहली बार काम पे आई है।
शिप्रा हमारे साथ करीब 20 मिनट रही और हम तीनों ने एक एक गिलास शेम्पेन और कुछ फ्राइड काजू खाये। फिर शिप्रा मुझे गुड लक कह कर उस आदमी के पास छोड़ कर चली गई।
उस आदमी का नाम अरुण था। अरुण किसी बड़ी कंपनी का मालिक था, वो मुझे अपने साथ नीचे होटल के डाइनिंग हाल में ले गया।
मैं ड्रिंक्स तो ले लेती हूँ, पर मैं हूँ वेजेटेरियन, वो भी वेजेटेरियन था, हमने अपने लिए खाना ऑर्डर किया। बहुत ही मज़ेदार खाना था। बहुत दिनों बाद मैंने किसी फाइव स्टार में खाना खाया था। पहले अपने पति के साथ को बहुत बार आई थी।
खाना खा कर हम बाहर घूमने चले गए। गाड़ी में हम दोनों कितनी देर दिल्ली की सड़कों पर घूमते रहे, रास्ते में आईस क्रीम खाई, पान भी खाया। हम दोनों आपस में काफी घुल मिल गए। आप से तुम पर आ गए। खूब हँसे, एक दूसरे से मज़ाक किया।
मैं बहुत खुश थी, अरुण एक बहुत ही अच्छा दोस्त बन गया था मेरा।
फिर उसने मुझे कहा- प्रीति, तुम बहुत प्यारी हो, मैं तुम्हें सरे बाज़ार किस करना चाहता हूँ।
मैंने कहा- मुझे कोई ऐतराज नहीं, आज रात मैं आपकी हूँ, आप जो चाहो मेरे साथ कर सकते हो।
उसने कार रोकी और हम दोनों कर से बाहर आए। सड़क पर पूरा ट्रेफिक था, उसने मुझे बाजू से पकड़ कर अपनी और खींचा और मेरी ठुड्डी को पकड़ पर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये, प्रेम से भरपूर चुंबन था जिसका मैंने भी भरपूर जवाब दिया।
एक जाती हुई कार में से एक आदमी बोला- अबे सालो, इतनी गर्मी है तो हमें भी बुला लो।
मगर हमे दुनिया की कोई परवाह नहीं थी, मुझे ऐसे लग रहा था, जैसे मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ आई हूँ।
मुझे चूम के वो बोला- अब मेरा सब्र खत्म हो रहा है, वापिस होटल चलें।
मैंने कहा- ज़रूर चलिये।
हम कार में बैठ कर वापिस होटल आ गए।
रूम में आकर, अरुण ने अपना कोट उतारा और अपनी टाई खोली। मैं वैसे ही धीरे धीरे झूमते हुये खिड़की के पास जा कर खड़ी हो गई और बाहर सड़क पर जाने वाली गाड़ियों को देखने लगी। अपने शूज वगैरह उतार कर अरुण मेरे पीछे आ खड़ा हुआ। बड़े प्यार से उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर से फिसलते हुये मेरे पेट तक लाया, मेरे को अपनी बाहों में भर कर मेरे कंधे पर अपनी ठुड्डी टिका कर बोला- क्या देख रही हो जानेमन?
मैंने भी अपना सर पीछे उसके कंधे पर रखा और कहा- कुछ नहीं बस बाहर जा रही उन गाड़ियों को देख रही हूँ, हर कोई भागम भाग में लगा है।
अरुण ने एक हल्का सा किस मेरी गर्दन पे किया और बोला- और इस भागम भाग में दो प्यार करने वाले, एक दूसरे में खो जाना चाहते हैं।
मैंने अपना चेहरा अरुण की तरफ घुमाया तो उसने मेरे गाल पे चूमा और बोला- चलें बेड पे?
मैंने कहा- आपकी मर्ज़ी हुज़ूर, जहां कहोगे मैं वहीं बिस्तर बन जाऊँगी।
अरुण बहुत खुश हुआ और उसने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया। उसके एक हाथ की उँगलियाँ मैंने अपने बूब को टच करती हुये महसूस की। मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, मगर अब तो मेरा सारा बदन ही उसका था, जहां मर्ज़ी टच करे या कुछ भी करे।
बड़े आराम से उसने मुझे बेड पे लेटाया और मेरे पाँव के पास बैठ गया, मेरा एक पाँव अपने हाथ में उठाया, मेरा सेंडल उतारा और मेरे पाँव के अंगूठे के पास चूमा। उसके चूमने से मेरे निप्पल और मेरी चूत के अंदर तक जैसे करंट सा लगा हो, मैंने अपने मुट्ठियाँ भींच ली।
फिर उसने मेरा दूसरा सेंडल उतारा और उसके अंगूठे से लेकर एड़ी तक 3-4 बार चूमा। हर बार मेरे बदन में सनसनी सी हुई।
फिर मेरे पाँव से अपना हाथ फेरता हुआ मेरे घुटने तक आया, मगर मेरी साड़ी ऊपर नहीं उठाई। उसके बाद सरक कर मेरे बिल्कुल ऊपर आ गया, एक हाथ मेरे इस तरफ, दूसरा हाथ दूसरी तरफ टिका कर वो मेरे ऊपर झुका और मेरे माथे पर चूम लिया।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली।
फिर अरुण ने मेरी दोनों पलकों को चूमा, मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। उसने मेरे दोनों गालों को चूमा, मेरी सांस तेज़ हो गई और फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये, मैं काँप उठी।
पहली बार कोई पराया मर्द मुझे प्यार कर रहा था, चाहे उसके लिए मैं सिर्फ एक गश्ती थी जिसे उसने पैसे देकर सारी रात के लिए खरीदा था, मगर मेरे लिए मेरी ज़िंदगी का यह पहला तजुरबा था, आज मैं शादीशुदा होते हुये, अपने पति को धोखा देने जा रही थी।
जा रही थी क्या, धोखा दे चुकी थी, किसी गैर मर्द के साथ, उसके बिस्तर पर, उसकी बांहों में!
मेरे होंठों को उसने चूसा तो मैंने भी उसका साथ दिया, वो अगर मेरे ऊपर के होंठ को चूसता तो मैं उसके नीचे वाले होंठ को चूसती, और अगर वो मेरे नीचे वाले होंठ को चूसता, तो मैं उसके ऊपर वाले होंठ को चूसती।
बड़ा ही करमाती था यह चुम्बन। मैंने अपनी बांहें उसके गले में डाल दी तो वो मेरे ऊपर ही लेट गया, उसके सीने का वज़न मैंने अपनी छाती पर महसूस किया। मेरे गले लग कर उसने मेरे कान के पास और गर्दन के आस पास चूमना शुरू कर दिया।
ये मुझे ही गुदगुदी करता है, मैं हंस पड़ी और मचल उठी। अपने हाथों से उसके हटाने लगी, तो उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए। मेरी दोनों बाहें पूरी खोल दी, और फिर मेरे सीने की ओर देखा।
काली साड़ी और काली ब्लाउज़ में मेरे गोरे बूब्स का एक शानदार क्लीवेज दिख रहा था। उसने अपने मुँह से मेरी साड़ी का पल्लू पीछे हटाया और मेरे दिख रहे क्लीवेज को बड़े ध्यान से देखा, फिर मेरी आँखों में देखा।
मैंने मन ही मन सोचा- खा जा इन्हें यार, अब ये सब तुम्हारा है।
उसने मेरी आँखों में देखते देखते मेरे क्लीवेज पर किस किया, मैं ज़रा सी भी हरकत नहीं की तो उसने अपनी जीभ ही मेरी क्लीवेज में फिरा दी। यह सच में बहुत उत्तेजक था, मैं भी कसमसा गई।
उसने मेरे क्लीवेज को अपनी मुँह में भर लिया और फिर से चाटा।
जब उसने मुँह हटाया तो उसका थूक मेरे बोबों पर लगा था, उसने मेरे हाथ छोड़े मगर मैंने अपनी बांहें वैसे ही फैला कर रखी। उसने अपने हाथ से मेरे ब्लाउज़ के हुक खोले, सभी हुक खोल कर मेरे ब्लाउज़ के दोनों पल्लों को अगल बगल रख दिया। मैचिंग ब्लाक ब्रा में गोरे मम्मे देख कर उसकी आँखों में जो चमक आई, वो मैंने साफ तौर पर देखी।
मेरे दोनों मम्मों को अपने हाथों में पकड़ कर उसने दबाया, जिस से मेरा क्लीवेज और बड़ा बन गया, उसने मेरे सारे क्लीवेज को अपनी जीभ से चाट लिया। सिर्फ चाटा नहीं, मेरे मम्मो के अपने मुँह में लेकर चूस डाला, इतनी ज़ोर से चूसा कि मेरे मम्मों पर उसके चूसने के गुलाबी निशान पड़ गए।
“ओह ऋतु, तुम तो ज़बरदस्त हो।”
मैंने कहा- ऋतु? अरुण मेरा नाम प्रीति है।
वो बोला- ओह सॉरी प्रीति, मैं भूल गया था। मुझे मेरे पत्नी याद आ गई।
मैंने कहा- कोई बात नहीं।
फिर उसने उठ कर अपनी शर्ट उतारी, बनियान उतारी। अच्छा खासा जिस्म बनाया था, पक्का जिम जाता होगा क्योंकि अब मैं भी जाने लगी थी, तो जिस्म देख कर पहचान जाती थी कि बंदा जिम जाता है या नहीं।
फिर उसने अपनी पैन्ट भी उतारी। नीचे में चड्डी में से मैंने उसके लंड को देखा, खड़ा हो चुका था।
मैं उठ कर बैठ गई और अपना ब्लाउज़ उतारने लगी, तो वो बोला- नहीं प्रीति, उठो मत, लेटी रहो। जो भी करूंगा, मैं ही करूंगा।
मैं फिर से लेट गई।
वो मेरे पास आकर बैठ गया, उसने मेरे पाँव के पास से मेरी साड़ी ऊपर उठाई और मेरे घुटने तक उठा दी। मेरी चिकनी टांग पर हाथ फेर कर उसे चूमा, फिर और ऊपर उठाई और मेरी गोरी जांघों को अपने हाथों से सहला कर, चूम कर देखा।
घुटनों तक तो ठीक था, मगर जब उसने मेरी जांघों को छूआ और चूमा तो मेरा मन भी मचल उठा। उसने मेरी साड़ी और ऊपर उठाई, और मेरी पैन्टी को उसने देखा। सारी साड़ी उसने मेरे पेट पे रख दी और मेरी पैन्टी और मेरे जिस्म पर हाथ फेर कर देखा। मेरे पेट पर हाथ रख कर उसने अपने अंगूठे से मेरी चूत को छुआ, मेरी पैन्टी के ऊपर से ही अपने अंगूठे से मेरी चूत के दाने को मसला।
मुझे बहुत ही आनंद की अनुभूति हुई, उसके हर स्पर्श में जैसे बिजली थी, मुझे छूता तो जैसे करंट सा लगता, या पर पुरुष का स्पर्श ही ऐसा होता है। उसने अपने दोनों हाथों से मेरी पैन्टी को नीचे को खिसकाया, मैंने भी अपनी कमर ऊपर को उठाई तो उसने मेरी पैन्टी उतार दी। मेरी नंगी चूत को पहले उसने ध्यान से देखा, फिर पूछा- शादी हो चुकी तुम्हारी?
मैंने कहा- हाँ!
वो बोला- और बच्चे?
मैंने कहा- एक बेटी है, सवा एक साल की।
“हूँ” उसने कहा और मेरी चूत पे किस किया, और फिर आस पास की जगह को चाट कर देखा जैसे टेस्ट कर रहा हो, नमक है या नहीं।
फिर अपने हाथ से मेरी चूत की दोनों फाँकें खोली और मुँह लगा कर अंदर तक जीभ से चाट गया। मैं एक दम से उछल पड़ी, इतनी गुदगुदी, इतनी सनसनी। मगर उसने मुझे फिर से नीचे को दबा
दिया।
“पहली बार सेक्स कर रही हो?” उसने कहा।
मैंने कहा- हाँ, अपने पति के अलावा आज पहली बार है, तभी मुझे झुंझुनाहट बहुत ज़्यादा हो रही है।
वो मुस्कुराया और बोला- बस आज ही होगी।
और वो फिर से मेरी चूत को चाटने लगा।
चाटने क्या लगा, अंदर तक मुँह डाल कर खा ही गया। मैंने भी अपनी टाँगें ऊपर उठा कर अपनी चूत को पूरी तरह खोल कर उसके सामने कर दिया कि ‘ले बेटा खा।’
वो नीचे गांड से चाटना शुरू करता और ऊपर चूत तक आ जाता। वो ऐसे चूत को चाट रहा था, जैसे उसे कभी चाटने को मिली ही न हो।
मैंने पूछा- आपको चूत चाटना बहुत पसंद है क्या?
वो बोला- बहुत पसंद है, मुझे इसमें मज़ा आता है, मगर मेरी पत्नी चाटने नहीं देती। उसको ये काम गंदा लगता है, इसी लिए मैंने शिप्रा से कहा कि मुझे ऐसी लड़की दो, जो कम चली हो या अभी चली ही न हो ताकि मैं उसकी चूत चाट कर मजा ले सकूँ। ज़्यादा और अलग अलग लोगों से चुदने के बाद तो औरत की चूत में गंदी सी स्मेल आने लगती है, और वो मुझे पसंद नहीं। तुम्हारी
चूत एक दम फ्रेश है, इसमें से तो खुशबू आ रही है इसी लिए मैं इसे चाट कर मजा ले रहा हूँ। तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?
मैंने कहा- जी नहीं, बल्कि मुझे भी चटवाना बहुत पसंद है, कई बार तो मैं अपने पति से कहती हूँ बस चाटते रहो, तब तक जब तक मैं झड़ न जाऊँ।
उसने पूछा- लंड चूसती हो?
मैंने कहा- हाँ, बड़े शौक से!
उसने अपनी चड्डी उतारी और मेरी तरफ अपनी कमर कर दी। उसने भी अपनी कमर के सब बाल साफ कर रखे थे। हल्के भूरे रंग का 7 इंच का लंड। मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा, उसकी चमड़ी पीछे को हटा कर उसका टोपा बाहर निकाला और अपने मुँह में ले लिया।
लंड चूसना मुझे बहुत अच्छा लगता है, इस लिए मैंने बड़े प्यार से उसे चूसा, ताकि उसे खूब मजा आए। इस बात का ख्याल रखा कि मेरे दाँत उसके लंड पे न लगें, उसे कोई तकलीफ न हो बल्कि मजा आए।
उसके चाटने से मेरी चूत पानी पानी हो रही थी।
उसने कहा- तुम तो बहुत पानी छोड़ रही हो?
मैंने कहा- इस वक़्त मैं पूरी गर्म हूँ। और जब औरत गर्म होती है तो पानी तो छोड़ती ही है।
उसने अपनी पैन्ट की जेब से एक कोंडोम का पैकेट निकाला एक कोंडोम निकाल कर मुझे दिया- चढ़ाओ इसे!
उसने कहा तो मैंने उसके लंड को पकड़ कर उस पर कोंडोम चढ़ाया। मुझे फिर से लेटा कर उसने अपना लंड मेरी चूत पे रखा और धीरे धीरे हिला हिला कर अंदर डाला। बड़े आराम से उसका कड़क लंड मेरी चूत में समाता चला गया और उसने अपनी कमर मेरी कमर से मिला दी, मतलब पूरा लंड मेरी चूत ने निगल लिया था।
वो आगे पीछे हो कर चोदने लगा तो मैंने कहा- आपने मेरे पूरे कपड़े उतार कर तो देखे ही नहीं, ना ही मेरी ब्रा खोल कर देखी?
वो बोला- कोई जल्दी नहीं, सारी रात अपनी है। पहले एक बार मैं तुम्हें उस रूप में चोदूँगा, जिस रूप में तुम्हें सबसे पहले देखा था। बाद में पूरी नंगी करके चोदूँगा।
मैंने कहा- ठीक है.
उसके बाद वो मुझे चोदता रहा, मैंने अपने हाथ उसके दोनों कंधों पर रखे और अपनी टाँगें फैला कर ऊपर को उठा रखी थी। मुझे चुदाई की झनझनाहट ज़्यादा होती है इसलिए मैं तो सिर्फ 5 मिनट में ही झड़ गई, मगर वो आराम से लगा रहा।
कोई 8-9 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गया और मेरे ऊपर ही लेट गया।
मैंने उसको अपनी बाहों में ले लिया और उसके कान के पास किस करके पूछा- मजा आया आपको?
वो बोला- बहुत मजा आया।
कुछ देर लेटे रहने के बाद वो उठा, कोंडोम उतारा और बाथरूम में चला गया। मुझे भी फ्रेश होना था तो उसके पीछे पीछे मैं भी बाथरूम में चली गई। मैंने अपनी साड़ी उठाई और कमोड पर बैठ कर पेशाब करने लगी।
उसने भी वाश बेसिन पर अपना लंड गर्म पानी से धोया।
मैं पेशाब करके उठी तो उसने कहा- प्रीति, अपनी साड़ी उतार दो.
मैंने अपनी साड़ी खोली तो उसने कहा- बाकी सब कपड़े भी उतार दो, और बिल्कुल नंगी हो जाओ।
मैंने अपना पेटीकोट, ब्लाउज़, ब्रा सब उतार दिया।
उसने बाथटब में पानी भरा और बीच में बैठ गया- आओ!
उसने कहा तो मैं भी बाथटब में चली गई।
हम दोनों गले में बाहें डाल, एक दूसरे से चिपक कर बाथ टब के गर्म पानी में लेटे रहे।
“जानती हो प्रीति, मुझे तुमसे प्यार हो गया है, पता नहीं हमारे जिस्म मिले इस लिए, या तुम बहुत सबमिसिव हो, मेरी हर बात मानती हो इसलिए। मगर मैं दोबारा भी तुमसे मिलना चाहूँगा।”
मैंने कहा- बड़ी खुशी से, मैं भी खुश हूँ कि मेरा पहला ग्राहक जो मुझे मिला, वो बहुत ही नेकदिल है और एक शानदार मर्द है।
उसने मुझे चूमा तो मैंने भी उसके होंठ चूम लिए।
उसके बाद रात में उसने मुझे दो बार और चोदा, न सिर्फ खुद मज़े किए, मुझे भी तृप्त किया।
एक रात में तीन बार चुदने के बाद मैं पूरी खुश थी।
उसने मुझे 2000 रुपये दिये और बोला- यह तुम्हारा इनाम है। बाकी जो तुम्हारा और शिप्रा का हिसाब है तुम देख लेना।
सुबह 8 बजे मैं अपने घर वापिस आई।
मेरा पति और मेरी बेटी दोनों सो रहे थे, सारी रात जाग कर आई थी, तो आते ही कपड़े बदले और सो गई, करीब 12 बजे उठी तो गुड़िया खेल रही थी, मुझे देख कर रोने लगी।
मैंने उसे अपने सीने से लगाया, अपनी टी शर्ट उठाई और उसे दूध पिलाने लगी।
मेरे पति मेरे पास ही बैठे थे, बोले- रात तुम शादी में जा कर हमें भूल ही गई? बेबी को भी बोतल से दूध पिला कर सुलाया।
मैंने कहा- अरे पूछो मत बहुत बढ़िया शादी थी।
इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई, प्रताप आया था, वो मुझे 20000 रुपये देकर चला गया।
पति ने पूछा- ये पैसे कहाँ से आए?
मैंने कहा- मैंने अपनी दोस्त से उधार मांगे हैं।
फिर वो मेरे बूब की ओर देख कर बोला- ये निशान कैसे हैं?
मैंने झूठ ही कह दिया- अरे रात मेरी तबीयत सी खराब हो गई थी, तो केमिस्ट से दवा ली, पर लगता है वो दवा रिएक्शन कर गई।
उसने मेरी तरफ देखा और बाथरूम में घुस गया।
बेवकूफ़ तो वो भी नहीं था, मगर हमारे घर के हालात ऐसे थे, और ये जो ताज़े ताज़े 20000 रुपये आए थे, उस पैसे ने उसका मुँह बंद कर दिया था। और मेरे को एक नई आज़ादी और पैसा कमाने का नया राह दिखा दिया था।
यूं कहें कि हम सड़क पर आ गए।
फिर एक दिन हमे ऐसे घर में किराए पर रहने को मजबूर होना पड़ा, जिसको देख कर ही मुझे रोना आ गया। गन्दी सी कॉलोनी में, तंग सी गली में बहुत ही छोटा, दो कमरों का मकान, और उस मकान का किराया देने का भी पैसा हमारे पास पूरा नहीं था। वैसे तो मैं पढ़ी लिखी थी, मगर मुझे भी कोई जॉब नहीं मिल रही थी, ऐसा लगता था कि जैसे बदकिस्मती हमारे पीछे लट्ठ लेकर पड़ी है, मेरे पति जिस काम में भी हाथ डालते, वहां पर नुकसान ही होता।
अभी तो यह शुक्र था कि मेरा बेटा छोटा था, सिर्फ डेढ़ साल की, इस लिए उसके स्कूल का या और कोई टेंशन नहीं था।
जैसे तैसे हम दिन गुज़ार रहे थे, मेरे पति इतने परेशान थे कि कितने कितने दिन मुझे हाथ तक नहीं लगाते थे। मैंने भी कई बार कोशिश की मगर उन में तो जैसे उत्तेजना खत्म ही हो गई थी। मेरा दिल करता चुदने को मैं मुँह में लेकर चूसती, उनकी मुट्ठ मारती, मगर उनका लंड तो जैसे खड़ा होना ही भूल गया था। जो पहले मेरे ज़रा सा छूने पर अकड़ जाता था, अब कितनी कितनी देर मैं उस से खेलती, उसे जगाने का, खड़ा करने की कोशिश करती, मगर सब बेकार।
हर रात मेरी हालत पहले से भी खराब होती जा रही थी। जब मनोरंजन के अन्य साधन समाप्त हो जाते हैं तो सेक्स ही एक मुफ्त का मनोरंजन रह जाता है, मेरे नसीब में वो भी नहीं लिखा था.
जब मैंने देखा कि मेरा पति तो बिल्कुल कंडम हो चुका है, कारोबार की चिंता ने उस को खा लिया है, तो मैंने अपनी कामवासना शांत करने के लिए आस पास देखना शुरू किया। मगर जिस मोहल्ले में हम अब आ कर रह रहे थे, वहाँ का आस पड़ोस इतना बेकार सा था कि मेरा खुद का दिल नहीं किया कि मैं ऐसे किसी गंदे से आदमी के नीचे लेटूँ।
फिर एक दिन मेरे दिल में विचार आया कि जब हमारा काम बहुत अच्छा था, तो हमारे पुराने मोहल्ले में एक शिप्रा नाम की औरत रहती थी, सब उसको कहते थे कि ये बहुत गंदी औरत है, धन्धा करती है, खुद भी अपना जिस्म बेचती है और आगे लड़कियाँ भी सप्लाई करती है। बड़े बड़े अफसरों और ऊंचे ओहदे दारों, पदाधिकारियों तक उसकी पहुँच थी।
मैंने सोचा क्यों न उसके पास जा कर पूछूँ, हो सकता है, एक पंथ दो काज हो जाएँ। मुझे काम भी मिल जाए, पैसा भी मिले और मेरी चूत भी ठंडी हो जाए।
अगले दिन मैं तैयार हो कर वापिस अपने पुराने एरिया में गई शिप्रा के घर उससे मदद मांगने, कुछ काम मांगने!
जब मैं अपने पुराने घर के आगे से निकली तो मेरी आँखों में आंसू आ गए, मेरा रोना निकल गया। कोई वक़्त था, जब मैं इस घर की मालकिन थी, बड़ी शान से इस घर से अपनी गाड़ी में निकलती थी, मगर आज उसी घर के आगे से मैं रिक्शा में धक्के खाते जा रही थी। जिसने हमारा घर खरीदा था, उसकी गाड़ी घर के अंदर खड़ी थी, नया पेंट करवा कर उन्होंने घर को और सुंदर बना लिया था।
अपने आँसू पौंछ कर मैं शिप्रा के घर के आगे रिक्शा से उतरी, मेन गेट की घंटी बजाई, अंदर से नौकर ने आ कर दरवाजा खोला, वो मुझे पहचानता था, उसने मुझे नमस्ते की, मैंने शिप्रा मैडम ले लिए पूछा, तो वो मुझे अंदर ले गया।
अंदर ड्राइंग रूम में मुझे बैठा कर वो शिप्रा को बताने चला गया।
थोड़ी देर बाद शिप्रा आई, खूबसूरत जिस्म, सुंदर चेहरा, मेक अप से और भी सुंदर लग रहा था। बढ़िया परफ्यूम, मुझसे बड़ा खुश हो कर मिली, बहुत सी बातें हुई। फिर उसने मुझे पूछा- अच्छा बता, मैं तेरे लिए क्या कर सकती हूँ?
मैंने कहा- यार शिप्रा, हमारी हालत बहुत खराब है, मुझे काम चाहिए, कोई भी, कैसा भी, मगर काम चाहिए ताकि मैं कुछ पैसा अपने घर के लिए कमा सकूँ।
वो बोली- अरे भोली, ऐसे नहीं कहते, कोई भी काम दे दो। तुम इतनी सुंदर हो, कोई भी तुम्हारा गलत फायदा उठा सकता है।
मैंने कहा- मुझे परवाह नहीं, चाहे गलत काम हो, गंदा काम हो, मैं सब करने के लिए तैयार हूँ।
वो बोली- सोच ले बाद में मत कहना!
मैंने कहा- मैं सब सोच कर ही आई हूँ।
वो बोली- तो ठीक है, आज शाम को 8 बजे मेरा एक आदमी तुम्हें कनॉट प्लेस में मिलेगा। तुम उस से बात कर लेना, तुम्हें सब समझा भी देगा। तुम उस पे आँख बंद करके विश्वास कर सकती हो। पक्का प्रोफेशनल है.
मैं शिप्रा से उस आदमी का फोन नंबर ले कर आ गई। बिटिया को पड़ोसन ने संभाल लिया था, शाम को ठीक 8 बजे मैं सी पी पहुँच गई, और एक जगह, बस स्टाप से थोड़ी दूर जा कर खड़ी हो कर उस आदमी की वेट करने लगी। अब मैं उसको पहचानती तो थी नहीं, रात 10 बजे तक वेट करके मैं घर वापिस आ गई।
अगले दिन फिर शाम को 8 बजे पहुंची, फिर भी नहीं आया। अगले दिन फिर गई, उसको कई बार फोन भी किया, मगर उसने एक बार भी फोन नहीं उठाया। पर आज मैं सोच रही थी कि अगर आज वो नहीं आया, तो कल सुबह जा कर शिप्रा से मिलूँगी।
करीब आधे घंटे बाद, एक आदमी मेरे पास आया और बोला- हैलो मैडम!
मैंने उसकी ओर देखा, पतला दुबला सा बड़ा ही साधारण सा आदमी, वो बोला- आप बस का इंतज़ार कर रही हैं?
मैंने कहा- नहीं, क्यों?
वो बोला- मैं आपको पिछले तीन दिन से देख रहा हूँ, आप रोज़ आती हैं, बस स्टाप से दूर खड़ी हो कर रोज़ किसी का इंतज़ार करती हैं, बस आती है, पर आप बस नहीं पकड़ती। इसका मतलब कि आपको बस नहीं चाहिए।
मैंने कहा- तो तुमसे मतलब?
उसकी बातों से मुझे खीज सी आई, वो बोला- अगर आप फ्री हैं, तो हम कुछ बात कर सकते हैं।
मैं सोच रही थी ‘यार, ये शिप्रा का आदमी आया नहीं और ये फालतू का मेरा भेजा खा रहा है।’
मैंने पूछा- क्या बात करनी है?
वो बोला- जो चीज़ आप ढूंढ रही हैं, मैं वो चीज़ आपको दिला सकता हूँ।
मैंने पूछा- तुम्हें क्या पता, मैं क्या ढूंढ रही हूँ।
वो बोला- आप अपने लिए ग्राहक ढूंढ रही हैं।
बड़ी पते की बात कही थी उसने!
मैंने कहा- तुम्हें कैसे पता, हो सकता है मैं किसी का इंतज़ार कर रही होऊँ?
वो बोला- मैडम जी 18 साल हो गए, इसी कनॉट प्लेस में धन्धा करते हुये, लड़की कीचाल देख कर बता देता हूँ कि करती है, कितना चुदी है। मेरा यही धन्धा है। आपको पहले दिन देख कर ही समझ गया था कि मार्केट में नया माल आ गया है और पहली बार आया है। काम करना है तो बोलो, वरना खड़ी रहो यहीं।
मैंने सोचा शिप्रा का आदमी तो आया नहीं, ये भी शायद कोई दल्ला होगा, अगर ये काम दिलवा रहा है, तो दिक्कत क्या है, अभी इस से बात कर लेती हूँ, काम तो शुरू हो, कल को शिप्रा से भी मिल आऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, क्या करना होगा मुझे?
वो बोला- मैडम जी बिजनस की बात सड़क पर न होती। कहीं बैठ कर बात करें?
मैंने कहा- ठीक है।
उसने एक आटो को सीटी मार कर रुकवाया और हम दोनों बैठ कर चल दिये।
मैं बिलकुल अकेली, एक अंजान आदमी के साथ पता नहीं कहाँ जा रही थी। आटो वाले को उस आदमी ने एक बार भी रास्ता नहीं बताया। हम सीधा एक घर के आगे रुके, उसके साथ ही उतर कर मैं डरती डरती उस घर के अंदर गई।
अंदर घर में ही एक जिम बना था, जहां कुछ लड़कियाँ एक्सरसाइज़ कर रही थी। अंदर एक छोटे से ड्राइंग रूम में हम जा बैठे। एक लड़की आ कर हमे कोल्ड ड्रिंक दे गई।
मुझे डर तो लग रहा था, मगर मैं पी गई क्योंकि मैंने सोच लिया था, अगर इस ड्रिंक में नशे की दवाई भी हुई, तो भी मुझे ज़्यादा से ज़्यादा ये लोग चोदेंगे ही।
फिर वो आदमी बोला- देखो प्रीति, अब मैं सीधा मुद्दे पर आता हूँ।
मैंने पूछा- तुम्हें मेरा नाम कैसे पता?
वो बोला- जिसे तुम तीन दिन से देख रही थी, वो मैं ही हूँ, मुझे शिप्रा मैडम ने ही भेजा है। वो हमारी बॉस हैं। यहाँ अब तक तुमने जितनी भी लड़कियां देखी हैं, वो सब की सब काम करती हैं। हमारा पूरा नेटवर्क है, तुम अपनी मर्ज़ी से इस धन्धे में आ सकती हो पर जा नहीं सकती। तुम पहले एक आम गृहणी थी, इसी वजह से तुम्हारा जिस्म बेडौल हो चुका है। तुम्हें खुद को फिट करना होगा, उसके बाद तुम्हें काम मिल पाएगा। अब अगर तुम इसी जिस्म के साथ काम शुरू कर दोगी, तो तुम्हें ज़्यादा से ज़्यादा 500 रुपए पर शॉट मिलेंगे। मगर मैडम चाहती हैं कि तुम 5000 रुपये पर शॉट और 25000 रुपये पर नाईट की आइटम बनो। तुम बहुत सुंदर हो, सेक्सी हो, तुम्हारे मम्मे, गांड और जांघ सब अच्छी सॉलिड हैं, मगर बदन पर चर्बी थोड़ी ज़्यादा है, उस फालतू चर्बी को
निकालना पड़ेगा। तुम दिल्ली में टॉप की रंडी बन सकती हो, तुम्हारे चेहरे का भोलापन बहुत बड़ी पूंजी है तुम्हारी। अब सीधा सीधा पूछता हूँ। रंडी बनने को तैयार हो?
मैंने उसकी बात सुनी और थोड़ा सोच कर बोली- हाँ, मैं मन से तैयार हूँ।
तो उस आदमी ने मुझे 5000 रुपये दिये, और बोला- ये शिप्रा मैडम ने दिये हैं तुम्हारे लिए। ऐसा हमारा कोई सिस्टम नहीं कि हर नई लड़की को अड्वान्स में पैसे दें, मगर शिप्रा मैडम ने तुम्हारे लिए खास तौर पर भेजें हैं, घर जाओ, कुछ ले जाना। कल सुबह 8 बजे यहीं आ जाना, तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू करनी होगी।
मैं पैसे लेकर घर आ गई।
अगले दिन सुबह वहीं पहुंची। सबसे पहले मुझे जिम पर एक्सरसाइज़ करवाई गई, काफी सख्त कसरत थी मगर मैंने की। मुझे ग्राहक को देखने का, उसको अपनी आँखों से बांधने का, चलने का, बात करने का बहुत तरह के चीज़ें सिखाई गई।
एक महीने की सख्त ट्रेनिंग ने मुझे बिलकुल छरहरी और चुस्त दरुस्त बना दिया।
फिर एक दिन शिप्रा भी वहाँ आई और मुझे देख कर बहुत खुश हुई।
मैंने उस से कहा- यार, थोड़े पैसे चाहिए थे, वो 5000 तो कब के खत्म हो गए।
उसने मेरा चूतड़ दबा कर कहा- मुझसे क्यों मांगती है, अपना खुद का कमा!
मैंने कहा- अरे यार, अभी ये तेरी ट्रेनिंग ही खत्म नहीं हो रही, मैं तो कितने दिन से वेट कर रही हूँ। पर आप लोग कोई काम करवाते ही नहीं मुझसे।
शिप्रा बोली- आज रात को तुम्हारा पहला ग्राहक आ रहा है। आज हमारे धन्धे में तेरी नाथ उतरवाई है। शाम को तैयार हो कर आना। बदन पर कोई बाल न हो। अगर घर पर तैयार नहीं हो सकती
तो यहाँ पर आ जाना, यहीं तुमको तैयार कर देंगे।
शाम को करीब 7 बजे मैं वापिस उसी घर में जा पहुंची, वहाँ शिप्रा ने मुझे अपने सामने दो लड़कियों से तैयार करवाया। सुंदर सी साड़ी में मैंने जब खुद को शीशे में देखा, तो एक बार सोचा, अरे यार तू इतनी सुंदर लग रही है, इतनी सुंदर लड़की ये क्या काम करने जा रही है। मगर ये मेरे दिल में अक्सर उठने वाला विचार था, हमेशा से कि अगर मैं रंडी होती तो कैसा होता। और आज मैं सच में एक रंडी का काम करने जा रही थी।
ओफिशियली रंडी बनने जा रही थी मैं!
शिप्रा मुझे अपनी कार में लेकर एक बहुत बड़े होटल में पहुंची। हम दोनों रिसेप्शन से पूछ कर ऊपर आठवीं मंज़िल पर एक रूम में पहुंचे।
बेल बजाई, अंदर से जवाब आया- आ जाओ, खुला है।
हम दोनों अंदर गई।
अंदर करीब 40-42 साल का एक आदमी था, बढ़िया कोट पैन्ट में वो काफी अच्छी पेर्सोनलिटी का मालिक था। शिप्रा ने उसके गले लग कर उसको ग्रीट किया, उसने हल्के से मुझे भी हग किया। हम सब सोफ़े पर बैठ गए।
तभी वेटर आया और हम सब के लिए शेम्पेन गिलासों में डाल कर दे गया। मैंने आज तक कभी शेम्पेन नहीं पी थी, बीअर या वाइन पी थी।
हमने चीयर्स कह कर गिलास टकराए और शेम्पेन पी। शिप्रा ने मेरे बारे में उसे बताया कि नई लड़की है, आज पहली बार काम पे आई है।
शिप्रा हमारे साथ करीब 20 मिनट रही और हम तीनों ने एक एक गिलास शेम्पेन और कुछ फ्राइड काजू खाये। फिर शिप्रा मुझे गुड लक कह कर उस आदमी के पास छोड़ कर चली गई।
उस आदमी का नाम अरुण था। अरुण किसी बड़ी कंपनी का मालिक था, वो मुझे अपने साथ नीचे होटल के डाइनिंग हाल में ले गया।
मैं ड्रिंक्स तो ले लेती हूँ, पर मैं हूँ वेजेटेरियन, वो भी वेजेटेरियन था, हमने अपने लिए खाना ऑर्डर किया। बहुत ही मज़ेदार खाना था। बहुत दिनों बाद मैंने किसी फाइव स्टार में खाना खाया था। पहले अपने पति के साथ को बहुत बार आई थी।
खाना खा कर हम बाहर घूमने चले गए। गाड़ी में हम दोनों कितनी देर दिल्ली की सड़कों पर घूमते रहे, रास्ते में आईस क्रीम खाई, पान भी खाया। हम दोनों आपस में काफी घुल मिल गए। आप से तुम पर आ गए। खूब हँसे, एक दूसरे से मज़ाक किया।
मैं बहुत खुश थी, अरुण एक बहुत ही अच्छा दोस्त बन गया था मेरा।
फिर उसने मुझे कहा- प्रीति, तुम बहुत प्यारी हो, मैं तुम्हें सरे बाज़ार किस करना चाहता हूँ।
मैंने कहा- मुझे कोई ऐतराज नहीं, आज रात मैं आपकी हूँ, आप जो चाहो मेरे साथ कर सकते हो।
उसने कार रोकी और हम दोनों कर से बाहर आए। सड़क पर पूरा ट्रेफिक था, उसने मुझे बाजू से पकड़ कर अपनी और खींचा और मेरी ठुड्डी को पकड़ पर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये, प्रेम से भरपूर चुंबन था जिसका मैंने भी भरपूर जवाब दिया।
एक जाती हुई कार में से एक आदमी बोला- अबे सालो, इतनी गर्मी है तो हमें भी बुला लो।
मगर हमे दुनिया की कोई परवाह नहीं थी, मुझे ऐसे लग रहा था, जैसे मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ आई हूँ।
मुझे चूम के वो बोला- अब मेरा सब्र खत्म हो रहा है, वापिस होटल चलें।
मैंने कहा- ज़रूर चलिये।
हम कार में बैठ कर वापिस होटल आ गए।
रूम में आकर, अरुण ने अपना कोट उतारा और अपनी टाई खोली। मैं वैसे ही धीरे धीरे झूमते हुये खिड़की के पास जा कर खड़ी हो गई और बाहर सड़क पर जाने वाली गाड़ियों को देखने लगी। अपने शूज वगैरह उतार कर अरुण मेरे पीछे आ खड़ा हुआ। बड़े प्यार से उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर से फिसलते हुये मेरे पेट तक लाया, मेरे को अपनी बाहों में भर कर मेरे कंधे पर अपनी ठुड्डी टिका कर बोला- क्या देख रही हो जानेमन?
मैंने भी अपना सर पीछे उसके कंधे पर रखा और कहा- कुछ नहीं बस बाहर जा रही उन गाड़ियों को देख रही हूँ, हर कोई भागम भाग में लगा है।
अरुण ने एक हल्का सा किस मेरी गर्दन पे किया और बोला- और इस भागम भाग में दो प्यार करने वाले, एक दूसरे में खो जाना चाहते हैं।
मैंने अपना चेहरा अरुण की तरफ घुमाया तो उसने मेरे गाल पे चूमा और बोला- चलें बेड पे?
मैंने कहा- आपकी मर्ज़ी हुज़ूर, जहां कहोगे मैं वहीं बिस्तर बन जाऊँगी।
अरुण बहुत खुश हुआ और उसने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया। उसके एक हाथ की उँगलियाँ मैंने अपने बूब को टच करती हुये महसूस की। मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, मगर अब तो मेरा सारा बदन ही उसका था, जहां मर्ज़ी टच करे या कुछ भी करे।
बड़े आराम से उसने मुझे बेड पे लेटाया और मेरे पाँव के पास बैठ गया, मेरा एक पाँव अपने हाथ में उठाया, मेरा सेंडल उतारा और मेरे पाँव के अंगूठे के पास चूमा। उसके चूमने से मेरे निप्पल और मेरी चूत के अंदर तक जैसे करंट सा लगा हो, मैंने अपने मुट्ठियाँ भींच ली।
फिर उसने मेरा दूसरा सेंडल उतारा और उसके अंगूठे से लेकर एड़ी तक 3-4 बार चूमा। हर बार मेरे बदन में सनसनी सी हुई।
फिर मेरे पाँव से अपना हाथ फेरता हुआ मेरे घुटने तक आया, मगर मेरी साड़ी ऊपर नहीं उठाई। उसके बाद सरक कर मेरे बिल्कुल ऊपर आ गया, एक हाथ मेरे इस तरफ, दूसरा हाथ दूसरी तरफ टिका कर वो मेरे ऊपर झुका और मेरे माथे पर चूम लिया।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली।
फिर अरुण ने मेरी दोनों पलकों को चूमा, मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। उसने मेरे दोनों गालों को चूमा, मेरी सांस तेज़ हो गई और फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये, मैं काँप उठी।
पहली बार कोई पराया मर्द मुझे प्यार कर रहा था, चाहे उसके लिए मैं सिर्फ एक गश्ती थी जिसे उसने पैसे देकर सारी रात के लिए खरीदा था, मगर मेरे लिए मेरी ज़िंदगी का यह पहला तजुरबा था, आज मैं शादीशुदा होते हुये, अपने पति को धोखा देने जा रही थी।
जा रही थी क्या, धोखा दे चुकी थी, किसी गैर मर्द के साथ, उसके बिस्तर पर, उसकी बांहों में!
मेरे होंठों को उसने चूसा तो मैंने भी उसका साथ दिया, वो अगर मेरे ऊपर के होंठ को चूसता तो मैं उसके नीचे वाले होंठ को चूसती, और अगर वो मेरे नीचे वाले होंठ को चूसता, तो मैं उसके ऊपर वाले होंठ को चूसती।
बड़ा ही करमाती था यह चुम्बन। मैंने अपनी बांहें उसके गले में डाल दी तो वो मेरे ऊपर ही लेट गया, उसके सीने का वज़न मैंने अपनी छाती पर महसूस किया। मेरे गले लग कर उसने मेरे कान के पास और गर्दन के आस पास चूमना शुरू कर दिया।
ये मुझे ही गुदगुदी करता है, मैं हंस पड़ी और मचल उठी। अपने हाथों से उसके हटाने लगी, तो उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए। मेरी दोनों बाहें पूरी खोल दी, और फिर मेरे सीने की ओर देखा।
काली साड़ी और काली ब्लाउज़ में मेरे गोरे बूब्स का एक शानदार क्लीवेज दिख रहा था। उसने अपने मुँह से मेरी साड़ी का पल्लू पीछे हटाया और मेरे दिख रहे क्लीवेज को बड़े ध्यान से देखा, फिर मेरी आँखों में देखा।
मैंने मन ही मन सोचा- खा जा इन्हें यार, अब ये सब तुम्हारा है।
उसने मेरी आँखों में देखते देखते मेरे क्लीवेज पर किस किया, मैं ज़रा सी भी हरकत नहीं की तो उसने अपनी जीभ ही मेरी क्लीवेज में फिरा दी। यह सच में बहुत उत्तेजक था, मैं भी कसमसा गई।
उसने मेरे क्लीवेज को अपनी मुँह में भर लिया और फिर से चाटा।
जब उसने मुँह हटाया तो उसका थूक मेरे बोबों पर लगा था, उसने मेरे हाथ छोड़े मगर मैंने अपनी बांहें वैसे ही फैला कर रखी। उसने अपने हाथ से मेरे ब्लाउज़ के हुक खोले, सभी हुक खोल कर मेरे ब्लाउज़ के दोनों पल्लों को अगल बगल रख दिया। मैचिंग ब्लाक ब्रा में गोरे मम्मे देख कर उसकी आँखों में जो चमक आई, वो मैंने साफ तौर पर देखी।
मेरे दोनों मम्मों को अपने हाथों में पकड़ कर उसने दबाया, जिस से मेरा क्लीवेज और बड़ा बन गया, उसने मेरे सारे क्लीवेज को अपनी जीभ से चाट लिया। सिर्फ चाटा नहीं, मेरे मम्मो के अपने मुँह में लेकर चूस डाला, इतनी ज़ोर से चूसा कि मेरे मम्मों पर उसके चूसने के गुलाबी निशान पड़ गए।
“ओह ऋतु, तुम तो ज़बरदस्त हो।”
मैंने कहा- ऋतु? अरुण मेरा नाम प्रीति है।
वो बोला- ओह सॉरी प्रीति, मैं भूल गया था। मुझे मेरे पत्नी याद आ गई।
मैंने कहा- कोई बात नहीं।
फिर उसने उठ कर अपनी शर्ट उतारी, बनियान उतारी। अच्छा खासा जिस्म बनाया था, पक्का जिम जाता होगा क्योंकि अब मैं भी जाने लगी थी, तो जिस्म देख कर पहचान जाती थी कि बंदा जिम जाता है या नहीं।
फिर उसने अपनी पैन्ट भी उतारी। नीचे में चड्डी में से मैंने उसके लंड को देखा, खड़ा हो चुका था।
मैं उठ कर बैठ गई और अपना ब्लाउज़ उतारने लगी, तो वो बोला- नहीं प्रीति, उठो मत, लेटी रहो। जो भी करूंगा, मैं ही करूंगा।
मैं फिर से लेट गई।
वो मेरे पास आकर बैठ गया, उसने मेरे पाँव के पास से मेरी साड़ी ऊपर उठाई और मेरे घुटने तक उठा दी। मेरी चिकनी टांग पर हाथ फेर कर उसे चूमा, फिर और ऊपर उठाई और मेरी गोरी जांघों को अपने हाथों से सहला कर, चूम कर देखा।
घुटनों तक तो ठीक था, मगर जब उसने मेरी जांघों को छूआ और चूमा तो मेरा मन भी मचल उठा। उसने मेरी साड़ी और ऊपर उठाई, और मेरी पैन्टी को उसने देखा। सारी साड़ी उसने मेरे पेट पे रख दी और मेरी पैन्टी और मेरे जिस्म पर हाथ फेर कर देखा। मेरे पेट पर हाथ रख कर उसने अपने अंगूठे से मेरी चूत को छुआ, मेरी पैन्टी के ऊपर से ही अपने अंगूठे से मेरी चूत के दाने को मसला।
मुझे बहुत ही आनंद की अनुभूति हुई, उसके हर स्पर्श में जैसे बिजली थी, मुझे छूता तो जैसे करंट सा लगता, या पर पुरुष का स्पर्श ही ऐसा होता है। उसने अपने दोनों हाथों से मेरी पैन्टी को नीचे को खिसकाया, मैंने भी अपनी कमर ऊपर को उठाई तो उसने मेरी पैन्टी उतार दी। मेरी नंगी चूत को पहले उसने ध्यान से देखा, फिर पूछा- शादी हो चुकी तुम्हारी?
मैंने कहा- हाँ!
वो बोला- और बच्चे?
मैंने कहा- एक बेटी है, सवा एक साल की।
“हूँ” उसने कहा और मेरी चूत पे किस किया, और फिर आस पास की जगह को चाट कर देखा जैसे टेस्ट कर रहा हो, नमक है या नहीं।
फिर अपने हाथ से मेरी चूत की दोनों फाँकें खोली और मुँह लगा कर अंदर तक जीभ से चाट गया। मैं एक दम से उछल पड़ी, इतनी गुदगुदी, इतनी सनसनी। मगर उसने मुझे फिर से नीचे को दबा
दिया।
“पहली बार सेक्स कर रही हो?” उसने कहा।
मैंने कहा- हाँ, अपने पति के अलावा आज पहली बार है, तभी मुझे झुंझुनाहट बहुत ज़्यादा हो रही है।
वो मुस्कुराया और बोला- बस आज ही होगी।
और वो फिर से मेरी चूत को चाटने लगा।
चाटने क्या लगा, अंदर तक मुँह डाल कर खा ही गया। मैंने भी अपनी टाँगें ऊपर उठा कर अपनी चूत को पूरी तरह खोल कर उसके सामने कर दिया कि ‘ले बेटा खा।’
वो नीचे गांड से चाटना शुरू करता और ऊपर चूत तक आ जाता। वो ऐसे चूत को चाट रहा था, जैसे उसे कभी चाटने को मिली ही न हो।
मैंने पूछा- आपको चूत चाटना बहुत पसंद है क्या?
वो बोला- बहुत पसंद है, मुझे इसमें मज़ा आता है, मगर मेरी पत्नी चाटने नहीं देती। उसको ये काम गंदा लगता है, इसी लिए मैंने शिप्रा से कहा कि मुझे ऐसी लड़की दो, जो कम चली हो या अभी चली ही न हो ताकि मैं उसकी चूत चाट कर मजा ले सकूँ। ज़्यादा और अलग अलग लोगों से चुदने के बाद तो औरत की चूत में गंदी सी स्मेल आने लगती है, और वो मुझे पसंद नहीं। तुम्हारी
चूत एक दम फ्रेश है, इसमें से तो खुशबू आ रही है इसी लिए मैं इसे चाट कर मजा ले रहा हूँ। तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?
मैंने कहा- जी नहीं, बल्कि मुझे भी चटवाना बहुत पसंद है, कई बार तो मैं अपने पति से कहती हूँ बस चाटते रहो, तब तक जब तक मैं झड़ न जाऊँ।
उसने पूछा- लंड चूसती हो?
मैंने कहा- हाँ, बड़े शौक से!
उसने अपनी चड्डी उतारी और मेरी तरफ अपनी कमर कर दी। उसने भी अपनी कमर के सब बाल साफ कर रखे थे। हल्के भूरे रंग का 7 इंच का लंड। मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा, उसकी चमड़ी पीछे को हटा कर उसका टोपा बाहर निकाला और अपने मुँह में ले लिया।
लंड चूसना मुझे बहुत अच्छा लगता है, इस लिए मैंने बड़े प्यार से उसे चूसा, ताकि उसे खूब मजा आए। इस बात का ख्याल रखा कि मेरे दाँत उसके लंड पे न लगें, उसे कोई तकलीफ न हो बल्कि मजा आए।
उसके चाटने से मेरी चूत पानी पानी हो रही थी।
उसने कहा- तुम तो बहुत पानी छोड़ रही हो?
मैंने कहा- इस वक़्त मैं पूरी गर्म हूँ। और जब औरत गर्म होती है तो पानी तो छोड़ती ही है।
उसने अपनी पैन्ट की जेब से एक कोंडोम का पैकेट निकाला एक कोंडोम निकाल कर मुझे दिया- चढ़ाओ इसे!
उसने कहा तो मैंने उसके लंड को पकड़ कर उस पर कोंडोम चढ़ाया। मुझे फिर से लेटा कर उसने अपना लंड मेरी चूत पे रखा और धीरे धीरे हिला हिला कर अंदर डाला। बड़े आराम से उसका कड़क लंड मेरी चूत में समाता चला गया और उसने अपनी कमर मेरी कमर से मिला दी, मतलब पूरा लंड मेरी चूत ने निगल लिया था।
वो आगे पीछे हो कर चोदने लगा तो मैंने कहा- आपने मेरे पूरे कपड़े उतार कर तो देखे ही नहीं, ना ही मेरी ब्रा खोल कर देखी?
वो बोला- कोई जल्दी नहीं, सारी रात अपनी है। पहले एक बार मैं तुम्हें उस रूप में चोदूँगा, जिस रूप में तुम्हें सबसे पहले देखा था। बाद में पूरी नंगी करके चोदूँगा।
मैंने कहा- ठीक है.
उसके बाद वो मुझे चोदता रहा, मैंने अपने हाथ उसके दोनों कंधों पर रखे और अपनी टाँगें फैला कर ऊपर को उठा रखी थी। मुझे चुदाई की झनझनाहट ज़्यादा होती है इसलिए मैं तो सिर्फ 5 मिनट में ही झड़ गई, मगर वो आराम से लगा रहा।
कोई 8-9 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गया और मेरे ऊपर ही लेट गया।
मैंने उसको अपनी बाहों में ले लिया और उसके कान के पास किस करके पूछा- मजा आया आपको?
वो बोला- बहुत मजा आया।
कुछ देर लेटे रहने के बाद वो उठा, कोंडोम उतारा और बाथरूम में चला गया। मुझे भी फ्रेश होना था तो उसके पीछे पीछे मैं भी बाथरूम में चली गई। मैंने अपनी साड़ी उठाई और कमोड पर बैठ कर पेशाब करने लगी।
उसने भी वाश बेसिन पर अपना लंड गर्म पानी से धोया।
मैं पेशाब करके उठी तो उसने कहा- प्रीति, अपनी साड़ी उतार दो.
मैंने अपनी साड़ी खोली तो उसने कहा- बाकी सब कपड़े भी उतार दो, और बिल्कुल नंगी हो जाओ।
मैंने अपना पेटीकोट, ब्लाउज़, ब्रा सब उतार दिया।
उसने बाथटब में पानी भरा और बीच में बैठ गया- आओ!
उसने कहा तो मैं भी बाथटब में चली गई।
हम दोनों गले में बाहें डाल, एक दूसरे से चिपक कर बाथ टब के गर्म पानी में लेटे रहे।
“जानती हो प्रीति, मुझे तुमसे प्यार हो गया है, पता नहीं हमारे जिस्म मिले इस लिए, या तुम बहुत सबमिसिव हो, मेरी हर बात मानती हो इसलिए। मगर मैं दोबारा भी तुमसे मिलना चाहूँगा।”
मैंने कहा- बड़ी खुशी से, मैं भी खुश हूँ कि मेरा पहला ग्राहक जो मुझे मिला, वो बहुत ही नेकदिल है और एक शानदार मर्द है।
उसने मुझे चूमा तो मैंने भी उसके होंठ चूम लिए।
उसके बाद रात में उसने मुझे दो बार और चोदा, न सिर्फ खुद मज़े किए, मुझे भी तृप्त किया।
एक रात में तीन बार चुदने के बाद मैं पूरी खुश थी।
उसने मुझे 2000 रुपये दिये और बोला- यह तुम्हारा इनाम है। बाकी जो तुम्हारा और शिप्रा का हिसाब है तुम देख लेना।
सुबह 8 बजे मैं अपने घर वापिस आई।
मेरा पति और मेरी बेटी दोनों सो रहे थे, सारी रात जाग कर आई थी, तो आते ही कपड़े बदले और सो गई, करीब 12 बजे उठी तो गुड़िया खेल रही थी, मुझे देख कर रोने लगी।
मैंने उसे अपने सीने से लगाया, अपनी टी शर्ट उठाई और उसे दूध पिलाने लगी।
मेरे पति मेरे पास ही बैठे थे, बोले- रात तुम शादी में जा कर हमें भूल ही गई? बेबी को भी बोतल से दूध पिला कर सुलाया।
मैंने कहा- अरे पूछो मत बहुत बढ़िया शादी थी।
इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई, प्रताप आया था, वो मुझे 20000 रुपये देकर चला गया।
पति ने पूछा- ये पैसे कहाँ से आए?
मैंने कहा- मैंने अपनी दोस्त से उधार मांगे हैं।
फिर वो मेरे बूब की ओर देख कर बोला- ये निशान कैसे हैं?
मैंने झूठ ही कह दिया- अरे रात मेरी तबीयत सी खराब हो गई थी, तो केमिस्ट से दवा ली, पर लगता है वो दवा रिएक्शन कर गई।
उसने मेरी तरफ देखा और बाथरूम में घुस गया।
बेवकूफ़ तो वो भी नहीं था, मगर हमारे घर के हालात ऐसे थे, और ये जो ताज़े ताज़े 20000 रुपये आए थे, उस पैसे ने उसका मुँह बंद कर दिया था। और मेरे को एक नई आज़ादी और पैसा कमाने का नया राह दिखा दिया था।