हेलो दोस्तों मेरा नाम रवि है और आज में आप लोगो के सामने मेरी भाभी की चुदाई की कहानी ले कर आया हु। इस कहानी में आपको बतावुगा की कैसे बारिस के ठन्डे मौसम में मुझे गरम भाभी की चुदाई करने का मौका मिला था ।
मेरी एक छोटी फॅमिली है जिस में मेरे आलावा मेरे भाई और भाभी भी शामिल है। मेरा भाई अनिल की जो एक सरकारी दफ्तर में काम करता है और मेरी भाभी नीलिमा की जो एक हाउसवाइफ है ।
में स्कूल के टाइम में भी अकसर चुदाई के सपने देखा करता था। कभी कबर भाभीयो की चुदाई की कहानी पड़ने मिलती इस कारन कभी सोचता रहता की भाई की शादी के बाद भाभी आयी तो उसे भी इस कहानी की तरह चोदुँगा।
समय बीतने के बाद भाई की शादी हो गई और भाभी घर आयी तो में भाभी की चुदाई के बारे मे चोचता रहता । अकसर भाभी को सोरी छुपे देखता। पर भाभी बहुत सीधी और संस्कारी थी। ये कुछ महीनो में समाज गया और अपनी भाभी की चुदाई का इरादा छोड़ दिया।
घर में हम दोनों एक छत के निचे होने के बजसे कभी कबर हम दोनों में छोटी मोती नोक जोक हो जाती और कभी कबर हम दोनों एक दूसरे की मस्ती भी किया करते। इस इस तरह २ साल बीत गये।
पर शायद मेरे नसीब में भाभी की चुदाई लिखी थी इस लिए एक दिन ऐसा आ ही गया की जब मुझे भाभी की चुदाई करने का मौका मिल गया।
उन दिनों बारिस का मौसम था और उन दिनों में भाई के दोस्त की शादी होने वाली थी और इस वजसे मेरे भाई को उसकी शादी में आने का आमंत्रण मिला।
मेरे भाई के दोस्त ने शादी के लिए हॉल बुक किया था और शादी से पहले रात को सब कार्यकम रखे थे इस वजसे हम लोग करीबन साम को हॉल पॉच गये। और फिर रात को सब कार्यकर्म का आनद उठाया और फिर रात को हॉल में ही सो गये।
सुबह में उठा तब मेने देखा की बारिश जोरो सोरो से हो रही थी। पर हॉल पेक होने की वजसे शादी में कोय दिकत नहीं आने वाली थी। इस लिए सब बिंदास हो कर शादी के लिए तैयार हो रहे थे।
में भी तैयार हो कर निचे वाले हॉल में पहुचा। वह भाई और भाभी साथ में खड़े थे तो में भी उनके पास गया। तब मेरी और भाभी पे पड़ी उस दिन भाभी बहुत सुन्दर दिख रही थी।
में भाई के साथ बाते करते हुवे पता चला की रत से बहुत बारिस गिर रही है और न्यूज़ में भी बताया है की इन २-३ दिनों तक बहुत बारिस गिरने की सभावना है। थोड़ी देर हमने बात की फिर स्टेज पर दूल्हा आ गया। और फिर शादी की रस्मे सुरु हो गई और सब लोग वो देख ने के लिए खुर्ची पर बेथ गये।
करीबन डुपेर के १ बजे खाना शुरू हो गया इस लिए हम लोग खाने के लिए गये। खाने के दौरान मेरे भाई ने बताया की उनको ऑफिस से फ़ोन आया था की उनके अंडर में आने वाले गांव में से कुछ गांव में बारिस के वजसे नुकसान हुवा इस वजसे उनको जाना पड़ेगा। और उनोने कहा की अभी शादी ख़तम ही होने वाली है तो जैसे ही बारिस धीमी हो तो तुम्हारी भाभी को ले कर घर चले जाना।
मेने भी भाई की बात में हामी भरते हुवे खा की भाभी को बताया की आप जा रहे हो । तो उनोने खा की अभी बता देता हु। और फिर वो भाभी के पास चले गये।
खाने के बाद में भी बैग पैक कर के त्यार हो गया और फिर बारिश कम होने का इंतज़ार करने लगा। करीबन ४ बजे बारिस थोड़ी धीमी हुतो मेने बैग को प्लास्टिक से कवर करके मेरी बाइक के साइड में अछि तरह से बढ़ दिया।
और फिर भाभी को बुलाया की अभी बारिस थोड़ी कम हुवी है तो निकल जाते है और भाभी को ये सही लगा तो वो भी मेरे साथ चलने लगी।
भाभी ने साड़ी पहनी थी तो वो एक साइड हो कर बेथ गई और उनको एक हाथ मेरे खड़े पर रख दिया और फिर मुझे बाइक चलाने को कहा।
मेने कारबी १५ मिनट बाइक चली तब तक तो बारिस धीमी थी पर फिर बारिस फ़ास्ट होने लगी तो मेने बाइक एक जाड़ के निचे लगा दी और दोनों जाड़ के निचे आ गए पर इस दौरान हम दोनों भीग गये थे।
हम दोनों पेड़ के नीस खड़े थे उस दौरान मेने भाभी को देख तो एक नजर से देखता ही रह गया। बारिस के वजसे भाभी की साड़ी भी गयी थी और उनकी साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी इस वजसे उनके दोनों बूब्स का उभार साफ दिख रहा था।
मेरा मन तो ऐसे ही भाभी को देख ने का कर रहा था पर फिर सोच की अगर बारिस और जयादा हो गई तो घर पोछने में दिकत होगी। इस लिए मेने भाभी से कहा की अभी और देर नहीं करनी चाहिए और हमें निकलना चाहिए। मेरी बात भाभी को भी सही लगी इस लिए हम फिर अपने घर की और निकल गये।
मेरे नजर के सामने तो अभी भी भीगी भाभी ही थी। फिर मेने सोच की कुना बाइक की ब्रेक मरी जाये जिसे भाभी मेरी और करीब आजाये और मेने जैसी ब्रेक का जतका दिया भाभी के मुलायम बूब्स मेरी पीठ पर आ गए। इस दौरान उनका दूसरा हाथ भी मेरे काढ़े पर आ गया।
उस थड़ी में मेरे कंधे पर भाभी के वो दो गर्म हाथ मुजमे अलग ही हल चल कर रहे थे। इस मज़े को जयादा समय तक लेने के लिए में बाइक स्लोव चला रहा था। ताकि भाभी मेरे साथ जयादा समय रे सके। और कभी कभी में ब्रेक भी मर देता था ताहि उनका बदन मेरी पीठ पर आ सके।
थोड़े समय भाभी को बारिस के बजसे थड़ी लग रही थी और उनके मुहमे से ठण्ड के वजसे कप कपाहट की आवज मेरे कानो में आरही थी।
बारिस की थड़ी के वजसे भाभी के हाथ मेरे काढ़े पर से धिरे धिरे निचे जाने लगे और फिर मेरे पेट की और आने लगे।
मुझे अब महूस होने लगा था की भाभी मेरी और धिरे धिरे अपने बदन को जुका रही थी। और मेरे बदन की गर्मी से अपनी ठंडी को दूर कर रही थी। उस समय मेरे अंदर भी बहुत हलचल हो रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद मुझे महसूस होने लगा की भाभी ने पाने दोनों हाथ को मेरे पेट की और रख कर उसके बदन को मेरी पीठ से लिपट रही थी। भाभी की जैसे मुझे भी थड़ी तो लग रही थी पर भाभी की इस हरकत से मुझे भी गर्मी मिल रही थी।
फिर तो भाभी ने अपने सर को भी मेरी पीठ पर रख कर मुझे पूरी तरह लिपट गई। भाभी की इस हरकत से में भी भाभी की गर्मी मरे पीठ पर मासूस कर पा रहा था । और मेरा लैंड भी अभी इन हरकतों से उठ कर सलामी देने की त्यारी में था।
इस हसीं लम्हे को में बिकुल गवाना नहीं चाहता था इस लिए में अपनी बाइक को बहुत ही धीमी चला रहा था की जिसे में इस हालत का पूरा मज़ा ले सकू।
कुछ समय में मुझे ऐसा लग रहा था की सायद भाभी भी अभी खुद पर काबू नहीं कर पा रही है। क्युकी मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की भाभी अपने होतो को मेरे पीठ पर रगड़ रही है।
और कभी मेरे काढ़े पर भी किस कर देती। मेरे बदन को और कस के पकड़ रही थी ।
म अब समज गया था की भाभी अभी चुदाई के पुरे मूड में है और मेने भी तय कर लिया की जो होगा देखा जायेगा पर आज तो भाभी की चुदाई करनी ही है।
अब हम लोग घर पॉच ने ही आये थे। जो रास्ता सिर्फ १ घंटे का था उसे उस दिन मेरे २ घंटे में तय किया था।
अब जब हम घर पोछे तो भाभी ने मेरे बदन को छोड़ कर निचे उतर गई और फिर बिना कुछ बोले ही दवाजे की और जाने लगी। में भी जल्दीसे बाइक पे लटका सामान निकल कर भाभी के पीछे घर के अंदर चला गया .....
अब आगे कैसे मेने इस बारिस की थड़ी में भाभी की गरम चुत की चुदाई की ....... ..
मेरी एक छोटी फॅमिली है जिस में मेरे आलावा मेरे भाई और भाभी भी शामिल है। मेरा भाई अनिल की जो एक सरकारी दफ्तर में काम करता है और मेरी भाभी नीलिमा की जो एक हाउसवाइफ है ।
में स्कूल के टाइम में भी अकसर चुदाई के सपने देखा करता था। कभी कबर भाभीयो की चुदाई की कहानी पड़ने मिलती इस कारन कभी सोचता रहता की भाई की शादी के बाद भाभी आयी तो उसे भी इस कहानी की तरह चोदुँगा।
समय बीतने के बाद भाई की शादी हो गई और भाभी घर आयी तो में भाभी की चुदाई के बारे मे चोचता रहता । अकसर भाभी को सोरी छुपे देखता। पर भाभी बहुत सीधी और संस्कारी थी। ये कुछ महीनो में समाज गया और अपनी भाभी की चुदाई का इरादा छोड़ दिया।
घर में हम दोनों एक छत के निचे होने के बजसे कभी कबर हम दोनों में छोटी मोती नोक जोक हो जाती और कभी कबर हम दोनों एक दूसरे की मस्ती भी किया करते। इस इस तरह २ साल बीत गये।
पर शायद मेरे नसीब में भाभी की चुदाई लिखी थी इस लिए एक दिन ऐसा आ ही गया की जब मुझे भाभी की चुदाई करने का मौका मिल गया।
उन दिनों बारिस का मौसम था और उन दिनों में भाई के दोस्त की शादी होने वाली थी और इस वजसे मेरे भाई को उसकी शादी में आने का आमंत्रण मिला।
मेरे भाई के दोस्त ने शादी के लिए हॉल बुक किया था और शादी से पहले रात को सब कार्यकम रखे थे इस वजसे हम लोग करीबन साम को हॉल पॉच गये। और फिर रात को सब कार्यकर्म का आनद उठाया और फिर रात को हॉल में ही सो गये।
सुबह में उठा तब मेने देखा की बारिश जोरो सोरो से हो रही थी। पर हॉल पेक होने की वजसे शादी में कोय दिकत नहीं आने वाली थी। इस लिए सब बिंदास हो कर शादी के लिए तैयार हो रहे थे।
में भी तैयार हो कर निचे वाले हॉल में पहुचा। वह भाई और भाभी साथ में खड़े थे तो में भी उनके पास गया। तब मेरी और भाभी पे पड़ी उस दिन भाभी बहुत सुन्दर दिख रही थी।
में भाई के साथ बाते करते हुवे पता चला की रत से बहुत बारिस गिर रही है और न्यूज़ में भी बताया है की इन २-३ दिनों तक बहुत बारिस गिरने की सभावना है। थोड़ी देर हमने बात की फिर स्टेज पर दूल्हा आ गया। और फिर शादी की रस्मे सुरु हो गई और सब लोग वो देख ने के लिए खुर्ची पर बेथ गये।
करीबन डुपेर के १ बजे खाना शुरू हो गया इस लिए हम लोग खाने के लिए गये। खाने के दौरान मेरे भाई ने बताया की उनको ऑफिस से फ़ोन आया था की उनके अंडर में आने वाले गांव में से कुछ गांव में बारिस के वजसे नुकसान हुवा इस वजसे उनको जाना पड़ेगा। और उनोने कहा की अभी शादी ख़तम ही होने वाली है तो जैसे ही बारिस धीमी हो तो तुम्हारी भाभी को ले कर घर चले जाना।
मेने भी भाई की बात में हामी भरते हुवे खा की भाभी को बताया की आप जा रहे हो । तो उनोने खा की अभी बता देता हु। और फिर वो भाभी के पास चले गये।
खाने के बाद में भी बैग पैक कर के त्यार हो गया और फिर बारिश कम होने का इंतज़ार करने लगा। करीबन ४ बजे बारिस थोड़ी धीमी हुतो मेने बैग को प्लास्टिक से कवर करके मेरी बाइक के साइड में अछि तरह से बढ़ दिया।
और फिर भाभी को बुलाया की अभी बारिस थोड़ी कम हुवी है तो निकल जाते है और भाभी को ये सही लगा तो वो भी मेरे साथ चलने लगी।
भाभी ने साड़ी पहनी थी तो वो एक साइड हो कर बेथ गई और उनको एक हाथ मेरे खड़े पर रख दिया और फिर मुझे बाइक चलाने को कहा।
मेने कारबी १५ मिनट बाइक चली तब तक तो बारिस धीमी थी पर फिर बारिस फ़ास्ट होने लगी तो मेने बाइक एक जाड़ के निचे लगा दी और दोनों जाड़ के निचे आ गए पर इस दौरान हम दोनों भीग गये थे।
हम दोनों पेड़ के नीस खड़े थे उस दौरान मेने भाभी को देख तो एक नजर से देखता ही रह गया। बारिस के वजसे भाभी की साड़ी भी गयी थी और उनकी साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी इस वजसे उनके दोनों बूब्स का उभार साफ दिख रहा था।
मेरा मन तो ऐसे ही भाभी को देख ने का कर रहा था पर फिर सोच की अगर बारिस और जयादा हो गई तो घर पोछने में दिकत होगी। इस लिए मेने भाभी से कहा की अभी और देर नहीं करनी चाहिए और हमें निकलना चाहिए। मेरी बात भाभी को भी सही लगी इस लिए हम फिर अपने घर की और निकल गये।
मेरे नजर के सामने तो अभी भी भीगी भाभी ही थी। फिर मेने सोच की कुना बाइक की ब्रेक मरी जाये जिसे भाभी मेरी और करीब आजाये और मेने जैसी ब्रेक का जतका दिया भाभी के मुलायम बूब्स मेरी पीठ पर आ गए। इस दौरान उनका दूसरा हाथ भी मेरे काढ़े पर आ गया।
उस थड़ी में मेरे कंधे पर भाभी के वो दो गर्म हाथ मुजमे अलग ही हल चल कर रहे थे। इस मज़े को जयादा समय तक लेने के लिए में बाइक स्लोव चला रहा था। ताकि भाभी मेरे साथ जयादा समय रे सके। और कभी कभी में ब्रेक भी मर देता था ताहि उनका बदन मेरी पीठ पर आ सके।
थोड़े समय भाभी को बारिस के बजसे थड़ी लग रही थी और उनके मुहमे से ठण्ड के वजसे कप कपाहट की आवज मेरे कानो में आरही थी।
बारिस की थड़ी के वजसे भाभी के हाथ मेरे काढ़े पर से धिरे धिरे निचे जाने लगे और फिर मेरे पेट की और आने लगे।
मुझे अब महूस होने लगा था की भाभी मेरी और धिरे धिरे अपने बदन को जुका रही थी। और मेरे बदन की गर्मी से अपनी ठंडी को दूर कर रही थी। उस समय मेरे अंदर भी बहुत हलचल हो रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद मुझे महसूस होने लगा की भाभी ने पाने दोनों हाथ को मेरे पेट की और रख कर उसके बदन को मेरी पीठ से लिपट रही थी। भाभी की जैसे मुझे भी थड़ी तो लग रही थी पर भाभी की इस हरकत से मुझे भी गर्मी मिल रही थी।
फिर तो भाभी ने अपने सर को भी मेरी पीठ पर रख कर मुझे पूरी तरह लिपट गई। भाभी की इस हरकत से में भी भाभी की गर्मी मरे पीठ पर मासूस कर पा रहा था । और मेरा लैंड भी अभी इन हरकतों से उठ कर सलामी देने की त्यारी में था।
इस हसीं लम्हे को में बिकुल गवाना नहीं चाहता था इस लिए में अपनी बाइक को बहुत ही धीमी चला रहा था की जिसे में इस हालत का पूरा मज़ा ले सकू।
कुछ समय में मुझे ऐसा लग रहा था की सायद भाभी भी अभी खुद पर काबू नहीं कर पा रही है। क्युकी मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की भाभी अपने होतो को मेरे पीठ पर रगड़ रही है।
और कभी मेरे काढ़े पर भी किस कर देती। मेरे बदन को और कस के पकड़ रही थी ।
म अब समज गया था की भाभी अभी चुदाई के पुरे मूड में है और मेने भी तय कर लिया की जो होगा देखा जायेगा पर आज तो भाभी की चुदाई करनी ही है।
अब हम लोग घर पॉच ने ही आये थे। जो रास्ता सिर्फ १ घंटे का था उसे उस दिन मेरे २ घंटे में तय किया था।
अब जब हम घर पोछे तो भाभी ने मेरे बदन को छोड़ कर निचे उतर गई और फिर बिना कुछ बोले ही दवाजे की और जाने लगी। में भी जल्दीसे बाइक पे लटका सामान निकल कर भाभी के पीछे घर के अंदर चला गया .....
अब आगे कैसे मेने इस बारिस की थड़ी में भाभी की गरम चुत की चुदाई की ....... ..