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Fetish छोटी उम्र समझ बड़ी.

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Fetish छोटी उम्र समझ बड़ी.
samhans Offline
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#1
12-12-2017, 05:46 AM
यह मेरी काल्पनिक कहानी है...मैंने आज तक कोई कहानी लिखी नहीं..कुछ गलती रहे तो please ignore .

मार्किट की मुलाकात...

मैं संदीप...पर सैंडी नाम से दोस्तों में परिचित हु. कॉलेज ख़तम होते ही छोटी सी नौकरी पे लगा..६००० महीने के कमाता हु. जिम्मेदारी और कोई शौक ना होनेसे मेरा इतने में चल जाता है. २० साल की उम्र में इतना पैसा मेरे लिए काफी है....काम के सिलसिले में मेरे शेठ ने इस छोटे शहर में ट्रांसफर किया.

एक छोटा सा हफ्ता बाजार, जो की अपने देश में आज भी होता है जहा छोटे छोटे गांव के लोग हफ्ते में एक बार खरीदारी के लिए आते है. मैं और मेरे दोस्त खरीदारी के चक्कर में एक गली में आ गए. जहा पे रस्ते पे छोटे दुकानदार अपनी दुकाने बिछाए हुए थे. इतने में एक जगह से आवाज पूछते हुए आयी..तुम्हे कही पैसे गिरे हुए मिले ? मुझसे यही पर कही गिर गए है!!! एक 35-४0 के आसपास की उम्र की औरत पूछ रही थी. हमने भी ढूंढ़ने की कोशिश की पर कुछ नहीं मिला. बहोत ढूंढ़ने किए बाद वो औरत औरत निराश होके आगे चली गयी. कुछ देर बाद वो औरत एक दुकानदार से गिडगिडाके कुछ किराना सामान उधर पे मांग रही थी पर दुकानदार बड़ी बेदरदी से उसे नकार रहा था. वो निराश हो के एक जगह बैठ गयी. हम लोग आगे निकले पर वो औरत की तस्वीर नज़र हैट नहीं रही थी. मैं दोस्तों की आगे निकलने बोलै और वो औरत को ढूंढ़ने लगा. वो अभी भी वही बैठी थी...दुकान के पास. मैंने उसे पूछा..क्या आपके पैसे मिले..? उसने मेरी तरफ देखते हुए गर्दन हिलाई और रोने लगी. मेरे पास खाना बनाने के लिए कुछ सामान नहीं है...मेरे पास दो सौ रूपये थे ..पर वो भी कही गिर गए. क्या तुम कुछ मदद कर सकते हो..? मैंने उसे अपने जेब से पांच सौ का नोट दिया...और वहा से निकला.
शाम को कुछ खाके अपने छोटे से किराये के घर पंहुचा...दिमाग से वो औरत जा नहीं रही थी..पलंग पे लेटे लेटे उसके ख्याल आ रहे थे..औरत बड़ी उम्र की थी पर खूबसूरत थी..काला ब्लाउज और पिले कलर की काष्टें की साड़ी(महाराष्ट्र की गावो में आज भी ऐसे साडी पहनी जाती है). उसके उरोज काफी बड़े थे..गोरीसी थी..और साडी में गांड भी मस्त मोटी लगती थी. शहरो की औरतो की तरह मेकअप होता..तो बेहद खूबसूरत लगती. पता नहीं पर ..मैं वो शरीर देखकर आकर्षित हो रहा था.
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urc4me Offline
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#2
12-12-2017, 11:31 AM
Shuruaat Achchhi
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dpmangla Online
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#3
14-12-2017, 03:16 PM
Congrats on A New Chapter
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samhans Offline
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#4
16-12-2017, 06:02 AM
मस्त शाम:
एक हफ्ता गुजर गया..अपना काम ख़तम करके कंपनी के गोडाउन से बहार आया..अपनी सायकल लेके घर की तरफ बढ़ा. मस्त शाम थी..इतना जल्दी घर जाके भी क्या करू..? ये सोचके..सायकल हाथ से ढकलते हुए आगे बढ़ रहा था. सुनो...!! पीछे से आवाज आयी...मुँह पे कपड़ा बंधे हुए एक औरत ने पुकारा..यह लकड़ीया मेरे सर पे रख दो जरा..मैंने सायकल बाजु में करते हुए वो लकड़ियों का ढेर उसके सर के कपडे के ऊपर रख दिया...अरे तुम वही लड़के हो ना..? वो बोली. फिर उसने एक हाथ से मुँह का कपडा निकाला और बोली पहचाना..? वही औरत..मार्केटवाली...
उसके साथ चलते चलते बात करने लगा..
तुम्हारे पैसे वापस देने है..पर अभी भी मेरे पास कुछ नहीं है..पर वापस ज़रूर करुँगी..
मैं: दे देना ...जब आपसे हो सके..!! वैसे आप कहा रहती हो..?
औरत: आगे.. पहाड़ी रास्ते से शॉर्टकट है..मैं वहा से जाती हु. थोड़ा दूर है. मैं निकलती हु आगे से..आप के पैसे वापस कर दूंगी.
मैं: रुकिये ...एक काम करते है..वो लकडिया मेरे सायकल पे बांध दो ..मैं आपको छोड़ देता हु.
थोड़ा हा ना करते वो तैयार हो गयी...लकडिया सायकल पे बांध के..हम दोनो साथ में चलते रहे..वो रास्ता जंगल की तरफ जा रहा था..कोई इंसान का नामोनिशान नहीं..थोड़ी घबराहट के वजह से...कुछ बात नहीं कर पाया..अँधेरा होने में अभी वक़्त था.
औरत: मेरी तरफ देखते हुए ...डरो मत ..इधर कोई जानवर नहीं आता...और आएगा तो भी इंसान से ज्यादा खतरनाक नहीं होगा...वो हसते हुए बोली..पुरे रस्ते में वो मेरे और मेरे काम के बारे में पूछ रही थी..
औरत: अच्छा तो तुम मुंबई से हो..दीखते तो बच्चे हो..शादी हुयी है ?(मैंने नकारार्थी गर्दन हिलायी)लड़की जैसे शर्माओ मत..(बातें करते करते हम एक जगह रुक गए).
मैं: क्या हुआ..? क्यों रुके हम लोग..
औरत: आ गया मेरा घर..
मैं: कहा?
औरत: ये झाडिया थोड़ी साइड करके अंदर आ जाओ.
उन् झाड़ियों के अंदर से ...आगे एक झोपड़ा दिखा..उस झोपड़े के पास सायकल रुकाके लकडिया उतारदी..और बोला..
मैं: चल ता हु मैं...कुछ देर में अँधेरा हो जायेगा..
औरत: अरे हमारे घर पानी भी नहीं पिओगे ..? बराबर है..गरीब हु मैं..
मैं: ऐसा नहीं..पर..
चलिए बोल के वो झोपड़े के अंदर आया..कोई..टाला नहीं...बस छोटा सा दरवाजा..मैं थोड़ा सरप्राइज था..उसने एक चटाई बिछा दी..और मुझे बैठने कहा..मैं एक गद्दे जैसा कुछ था उसपे बैठ गया..
आपके husband नहीं दिख रहे है...
औरत: वो जोर से हसी..और मुझे पानी का ग्लास दिया..
(पानी पीते पीते एक नज़र उस छोटे से घर पे डाली..
एक चूल्हा था..२-४ बर्तन..एक कपडे की बोरी थी..लकड़ी की सीडी ..और एक कोने में खुला बाथरूम था ..जो की आधा ढका था..बाथरूम के ऊपर एक डोरी पे फटी हुयी लेडीज चड्डी और एक कपडा सुख रहा था .) अगर मैं सच बोलू तो शायद तुम मेरी सूरत कभी देखना पसंद नहीं करोगे..
(मैं थोड़ा बौखलाया..ये औरत ऐसा अचानक से क्या बोल रही है..मेरा चेहरा देख के वो बोले लगी ) तुम छोटे हो पर समज पाओगे...दरअसल मैं वेश्या का काम करती थी..पर अभी नहीं करती..भाग आयी मै उधर से. एक शेठ ने मुझे रखेल बनाके रखा था. उसकी मौत के बाद उसकी बीवी ने मुझे भागने पर मज़बूर किया..कुछ महीने पहले यहाँ पहुंची..इस लिए लोगो से दूर रहना पसंद करती हु. और कुछ छोटा मोटा मजदूरी का काम करके पेट भरती हु..
(ये सब सुनके मेरे होश उड़ गए..अपने आप को सँभालते हुए ..)
मैं: मैं निकलता हु..थोड़ी देर में अँधेरा हो जायेगा..
औरत: रुको मैं चाय राखी है ...पीके जाना..
मैं: नहीं मुझे देर हो रही है..और मैं खड़ा होके जाने लगा.
औरत: मैं समझ गयी..तुम्हे एक रांड के हाथ की चाय नहीं पीनी है..
मैं: आप ऐसी बात मत कीजिये..मैंने हर बार आपको बिना जाने मदद की..और शायद आगे भी करूँगा..पि लेटे हु मैं चाय..करके बैठ गया..
(वह चाय बना रही थी..मेरी नजरे उसके शरीर को ताक रही थी..उसकी सच्चाई जानने के बाद तो नज़र जैसे उसके शरीर को और अंदर तक देखने लगी..झुकते वक़्त उसकी गांड मेरी तरफ पोज़ देती थी..चाय बनाके एक ग्लास में मेरे तरफ दिया..) चाय पीते पीते मैंने पूछा..मैं आपको क्या बोलू..?
वह हसके मेरी तरफ देखने लगी..
औरत: एक रांड को कोई कुछ भी नाम दे..
मैं: आप बार बार रांड शब्द बोलोगी तो मैं चलता हु..
औरत: बुरा मत मनो..पहला अपना नाम बताओ..
मैं: मुझे मेरे दोस्त सैंडी बोलते है..
औरत: मैं भी तुम्हे अपना दोस्त समझके सैंडी बोलूंगी..मेरे नाम संगीता है..
मैं: चलिए संगीताजी मैं निकलता हु..
संगीता : थोड़ी देर रुकते तो अच्छा रहता...बहोत दिन के बाद किसी के साथ बातें कर पायी. मेरा न कोई साथी ..न कोई पडोसी ..ना कोई दोस्त..कुछ देर ठहरते तो मुझे भी अच्छा लगता और तुम्हारा फायदा भी होता...
मैं: मतलब ..?
संगीता: मुझे पता है ..पुरुषो की नज़रे..मैं चाय बनाते वक़्त ..तुम्हारी नज़रे क्या ढूंढ रही थी..मैं अच्छे से जानती हु..मुझे ये भी पता है तुम मेरे शरीर को ताक़ रहे थे..सही ना...बोलो..
मैं: (मैं डर गया)...मुझे माफ़ कीजिये..प्लीज..
संगीता: अरे अरे ...इसमें माफ़ी मांगने की क्या बात है..तुम तरुण पुरुष हो..ये सब नैचरल है.. मैंने तुम्हे अपना दोस्त बोला है..और मुझे तुमसे और तुम्हारी नज़रो से कोई प्रॉब्लम नहीं..ले देख लो..(उसने अपना पल्लू साइड किया )
मैं : (मैं देखता रह गया..शॉक हो गया ) मैं जा रहा हु..
संगीता: थोड़ा रुकते तो...मुझे नंगा देख पाते.
मैं: क्या
संगीता: हा ..मुझे अभी नहाना है..
मैं: (खुद को सँभालते हुए ) संगीताजी..मुझे माफ़ करो..आप और आपका शरीर इतना खूबसूरत है..की मैं अपने आपको कण्ट्रोल नहीं कर पाया...मुझ से गलती हो गयी..एक बड़ी उम्र की महिला को इस नज़र नहीं देखना चाहिए था मुझे..
संगीता: मेरे दोस्त इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं..ये उम्र में ऐसा होना साहजिक है..और मैं कहा बुरा मान रही हु..इससे गंदे नज़र की मुझे आदत है..रांड जो ठहरी..!!!
मैं: आप फिर से खुद को रांड बोल रही हो..
संगीता: (हस के ) अच्छा वो छोडो ..कभी तुमने नंगी औरत देखी है..?
(मैंने शरमाते हुए नज़र निचे कर ली, ) शर्माओ मत सैंडी..मैं नहाने जा रही हु..(ऐसा बोल के वो बाहर ही एक छोटे से झरने से पानी लेने गयी..और मुझे मदद के लिए इशारा किया. दोनों साथ में झरने पास गए ..मैंने उसे बाल्टी भरवाने में मदद की..) तुम बाल्टी लेके चलो मै आती हु.,,
मैं: (डर के ) आप कहा जा रही हो..?
संगीता: अरे बाबा...मूतने जाना है मुझे..!!!(थोड़ा आगे जाके...एक पत्थर के पास ...वो निचे बैठ गयी...उसकी गोरी गोरी गांड मुझे अच्छे से दिख रही थी..)चल अभी..
मैं: आप बहोत बिंदास हो..
संगीता: तुम्हे दोस्त बनाया इसलिए ..(अंदर आते हुए) अब तुम यहाँ बैठो..और मैं नहाती हु..और हा बिना संकोज देखना मेरे नंगे बदन को..शर्माना नहीं. (अँधेरा हो रहा था..पर थोड़ा बहोत नजर आ रहा था.वो अपना ब्लाउज उतारने लगी..अंदर कोई ब्रा नहीं थी..मुझे उसकी नंगी पीठ दिख रही थी..फिर वो अपनी मराठी साड़ी उतारने लगी...अंदर फटी चड्डी पहनी थी..वैसेही वो मेरे पास आयी और मेरे गालो में पप्पी ली..और बोला)
शर्माना नहीं..(फिर वो बाथरूम में गयी..मेरे तरफ मुँह कर के अपनी चड्डी उतारी..उसकी स्तन बहोत बड़े थे ..बड़ी उम्र थी पर बदन काफी आकर्षित था..मेरी नज़र उसकी चूत पे अटक गयी...उसपे बाल थे..पर थोड़े अंधकार के वजह से अंदर तक नहीं देख पा रहा था..अपने नंगे बदन पे वो पानी लेने लगी..फिर साबुन लगाने लगी..वो झुकते वक़्त उसके लटके स्तन बहोत अच्छे लग रहे थे..मेरी नज़र उसकी गांड की खाचे में देखने की कोशिश कर रही थी..साबुन का पानी उसके कंधो से होकर जांघो तक फिसल रहा था.. मेरी फटी आखे देख कर वो स्माइल कर रही थी) क्या हुआ सैंडी...?
मैं: (मेरी हालत ख़राब थी..) मैं बाथरूम होके आता हु..
संगीता: (जोर से हस के ) ठीक है.
(इतने देर से दबाके बैठा था...बाहर आके पानी फट गया..आके फिर बैठ गया..अभी उसका पिछवाड़ा मेरी तरफ था..गोरी गोरी उसकी पीठ और गांड मस्त लग रही थी..अभी एक कपडे से वो अपने बदन को पोछ रही थी..उसके बाद उसने वो कपडा छाती तक लपेटा..और रस्सी से चड्डी लेकर पहनने लगी..)
सैंडी वह से ब्लाउज देना..(मेरे दाए हाथ की तरफ एक पुराना ब्लाउज था..मैंने उसके हाथो में दिया..अपने बदन का कपडा हटा कर वो ब्लाउज पहनने लगी..उसकी चड्डी आगे से थोड़ी लटकी हुयी थी..जिससे उसके चुत के बाल स्पष्ट रूप से दिख रहे थे..सुने एक छोटा कपडा उठाया..और आदिवासी साडी की तरह पहना..उस साडी में उसकी ज्यादा तर जांघो का हिस्सा दिख रहा था..
क्या हुआ सैंडी..?
मैं: कुछ नहीं ..वो आपका ब्लाउज एक साइड से फटा है..
संगीता: मेरे पास कपडे बहोत कम है..इसलिए घर में ऐसेही कपडे पहनती हु..(अभी लग भाग अँधेरा हुआ था )
मैं : मैं जाता हु अभी..आप बहोत खूबसूरत हो.
संगीता: कोई बात नहीं, और फिर आना.
(वहा से लगभग मैं भागा था....क्या करता ज़िन्दगी में पहली बार नंगी औरत जो देखि थी..सबकुछ मेरे लिए एक सरप्राइज था .
(उस रात पूरी रात संगीता आंटी के नाम से masturbate कर रहा था. )
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samhans Offline
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#5
16-12-2017, 06:19 AM
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आंटी का बुखार..

उस दिन के बाद ..मुझे मेरा मन खा रहा था..क्या मैं कुछ बुरा कर रहा हु..? मन में काफी सारे सवाल थे..पर रात होतेहि वही नज़र में रहती..संगीता आंटी..
आज दो हफ्ते हो गए..मन को बहोत कण्ट्रोल किया..पर नहीं गया संगीता आंटी के पास...याद तो अभी भी सताती है...उसका बदन चेहरे से हटता नहीं..ऑफिस को दो दिन की छुट्टी थी...एक दीन तो आराम करने में गुजरा..पर दूसरा दिन ..टाइम पास के लिए बहाना ढूंढ़ने लगा..सायकल उठाई..अपने आप जंगल की तरफ बढ़ रहा था..वही झाड़ियों से निकल कर चोरी से अंदर झाकने लगा..संगीता आंटी कही नज़र नहीं आ रही थी..झोपड़े का दरवाजा धीरे से खोला ..और अंदर गया..संगीता आंटी जमीन पर सोई थी..उनके पास जाते वक़्त ग्लास को पैर टकराया..आवाज से आंटी ने देखा..और बोली..
सैंडी तू है...बहोत दिन बाद आये..(आवाज में नरमाई थी)
मैं: क्या हुआ संगीताजी...आप की तबियत सही नहीं लग रही है..
संगीता: हा सर दर्द के मारे फटा जा रहा है..
मैं: मैं सर दबा दू आपका..?
संगीता: कर दो प्लीज...(ऐसा बोल के उसके सर को हाथ लगाया...तेज़ बुखार था..आंटी को..)
मैं: संगीताजी आपको तेज़ बुखार है..चलिए डॉक्टर के पास लेके चलता हु..
संगीता: रहने दो तुम थोड़ा सर दबा दो..कुछ देर में अच्छा लगेगा..(सर दबाते दबाते..उसको नींद लग गयी.. मैं उठके सायकल ली और मार्किट में मेडिकल में गया..कुछ पैरासिटामोल टेबलेट लेली और फिर आ गया.. वो अभी भी नींद में थी..मैं ग्लास में पानी लेकर...उनको उठाने लगा..)
मैं: संगीताजी मैंने बुखार की गोली लाई है ..प्लीज खा लीजिये..(मेरा कहा मानते हुए..उसने गोली खाई..और जहा मैं बैठा था..मेरे जांग पे सर रख के सोने लगी..एक हाथ से मैं उसका सर दबा रहा था..आंटी ने मेरा दूसरा हाथ अपने सीने पे रखा..थोड़ी देर बाद मुझे भी नींद लग गयी..एक दो घंटे बाद आंटी खुद पानी पीने उठी..तो मेरी नींद टूट गयी..शायद गोली से बुखार उतर गया था..क्यूंकि वो अभी काफी फ्रेश लग रही थी..शायद वायरल फीवर था..वो पास आके बैठी.)
मैं: अब कैसा लग रहा है (मैंने उनके माथे में टच किया)
संगीता: सर अभी हल्का लग रहा है.. थैंक यू सैंडी..तुम आज सही वक़्त आये और मुझे मदद की..नहीं तो ये दोपहर के गर्मी में मेरा सर फटा जा रहा था..
मैं: चलो आपको मैं डॉक्टर को पास लेके चलता हु..नहीं तो बुखार फिर आएगा..
संगीता: नहीं आएगा अभी..जब भी मेरा सर दर्द करता है..मुझे थोड़ी देर बुखार रहता है..पहले से है ऐसा..और ये कड़क गर्मी के वक़्त ज्यादा परेशानी रहती मुझे..पर अब ठीक हु..(अभी भी दोपहर के ४ बजे थे..वो बाथरूम की ओर गयी..अपने मुँह पे पानी मारने लगी..) सैंडी..आ जाओ तुम भी मुँह को पानी लगा लो..अच्छा लगेगा..
मैं: नहीं ..मैं ठीक हु..टॉयलेट होके आता हु..(मैं बहार मूतने आया..बाहर अभी भी तेज धुप थी..अंदर आके बाथरूम में हाथ और मुँह पानी से धोया..आंटी ने अपना पल्लू आगे किया...) नहीं ठीक है..मेरे पास रुमाल है..(बोल के नीचे बैठा..आंटी भी मेरे पास बैठ गयी..वो अभी भी अपना छाती का पसीना पल्लू से पोछ रही थी..)
संगीता: उफ़ क्या गर्मी है..ऐसा लगता है कपडे फेक दू..( मैं मन ही मन हँसा..एक तो जांघो के ऊपर साड़ी..उसपे भी जगह जगह होल्स..जब मुँह धो रही थी..साड़ी को होल्स से उसके गोरे कूल्हे दिख रहे थे..) वो अपने पल्लू से छाती का पसीना पोछ रही थी..
मैं: (मजाक में) लगता है आपका बुखार सचमुच उतर गया..
संगीता: हा हा..तुम्हारा हाथ जो लगा मेरे शरीर को..
मैं: शरीर को नहीं ..माथे को..(वो हसी ..)
संगीता: मुझे ब्लाउज उतरना पड़ेगा..पसीने से गिला हो गया है..(उसने ब्लाउज निकल के साइड किया ..आज उजाले में और पास से उसके बड़े स्तन देख रहा..गोरे गोरे बड़े बॉल्स..उसपे काले निप्पल्स..पसिनेसे त्वचा चमक रही थी..)तुम्हे कोई ऐतराज तो नहीं..
मैं: उस दिन आपने तो पुरे उतारे थे..अभी क्या ऐतराज़ रहेगा..!!
संगीता: (जोर से हसी) अच्छा ये बताओ...इतने दिन कहा थे..?
मैं: अपने काम में बिजी था..
संगीता: मुझे लगा तुम्हे बुरा लगा..
मैं: बुरा नहीं..पर मेरे लिए थोड़ा अजीब था..पहली बार एक नंगी औरत जो देखी थी..
संगीता: (हस के) पहली बार..? कभी फोटो तो देखे रहेंगे..?
मैं: नहीं देखा कभी..
संगीता: तुझे ये तो पता है..सेक्स क्या होता है..
मैं: सच कहु तो पूरी तरह से नहीं..फिल्मो में हीरो हेरोइंस रोमांस करते है..शायद वही होगा..
संगीता: चलो मतलब आज फिर नंगा होना पड़ेगा..पर कर लुंगी अपने छोटे दोस्त के लिए..(मेरे सामने अपनी नंगी छाती दिखाते हुए..) ये पता है क्या है..ये औरत के स्तन है..और ये निप्पल्स..(मेरे दोनों हाथ उसने अपने स्तन पे रखे..) तुम दबा सकते हो इन्हे..(बहोत मुलायम और नरम थे ..उसने अपनी साड़ी खोलनी शुरू किया..अपनी चड्डी उतारी और गोल घूमती हुयी बोली ) देख लो औरत का शरीर.(वो खड़ी मेरे नज़दीक आने लगी..उसकी चुत मेरे आँखों के सामने थी..उस दिन खाली बाल दिख रहे थे..आज नजदीक से बालो के अंदर एक खाचा दिख रहा था )
संगीता: (अपनी चुत दिखाते हुए) इसको चुत कहते है..अंग्रेजी में पुस्सी.(वो मेरे सामने निचे बैठी और अपनी टांगे ऊपर की..) देखो मेरे चुत को..जब कोई पुरुष सेक्स करता है..वो अपना लंड इसमें डालता है..(अपनी चुत के लिप्स को पकड़के वो फ़ैलाने लगी..) यहाँ से पुरुष का लंड अंदर जाता है..(बालो के अंदर का दरवाजा देख के मैं हैरान था और उसका वो अवतार देख के मेरे पैंट का तम्बू खड़ा हुआ..) (फिर वो खड़ी हुयी ..पलटके बोली..)देखो मेरी गांड (वो गांड के बड़े बड़े और गोरे गोले उसके बिच की दरार..सबकुछ एकदम नजदीक से देख रहा था..उसके बट्ट के निचे से चुत की झलक अच्छी लग रही थी..पर मेरी हाथ लगाने की हिम्मत नहीं थी..मेरे दोनों हाथ मेरी पैंट सँभालने में बिजी थे..(मैं तुरंत उठके ..बहार की और भागा और बोला)
मैं: आप प्लीज कपडे पहनिए ..मेरे से रहा नहीं जा रहा है..(बाहर आतेहि..जैसे ही पैंट की ज़िप निचे की...लम्बी पिचकारी निकली..थोड़ी देर बाहर एक पत्थर पे शांत बैठा...वो कपडे पेहेनकर बाहर आयी..और मेरे पास बैठ गयी..शाम के लगभग ६ बजे रहेंगे..गर्मी की जगह ठंडी हवा ने ली थी..पसीना सूखने लगा था..एक अजीब सी थरथराहट और हल्कापन महसूस हुआ..मेरे कंधे पे हाथ रखे वो बोली )
संगीता: क्या हुआ..?
मैं: कुछ नहीं..
संगीता: डरो नहीं..ये सबको होता है..शायद तुमने कभी ये सब महसूस नहीं किया..चलो अंदर..चाय पीकर जाओ..
(हम दोनों अंदर गए..थोड़ी देर बाद चाय पिके मैं निकला.
संगीता: जरा रुको..(वो अंदर एक संदूक से कुछ पैसे लेके आयी और मेरे हाथ में रख दिए ) ये तुम्हारे पैसे जो तुमने दिया थे..कलही मुझे काम के पैसे मिले है..
मैं: संगीताजी..(उसके हाथो में पैसे देकर) ये पैसो से अपने लिए underwears खरीद लेना...फटी चड्डी से आपके छुपे अंग देख कर अच्छा तो लगता है..पर आपकी गरीब हालात पर तरस भी आता है...(मैं वहा से चलता बना)
आज आंटी का बुखार उतरने पहोच गया पर...रातभर मुझे बुखार चढ़ा था......
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samhans Offline
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16-12-2017, 06:21 AM
दिवाली की यादें..

संगीता आंटी की पिछली मुलाकात ३ दिन पहले हुयी थी..दूसरे दिन मेरे सीनियर ने मुझे गोडाउन जाके स्टॉक चेक करने कहा..हमारे कंपनी का गोडाउन १० km दूर था..बस द्वारा मैं वहा जाता था..थोड़े दिन में दिवाली आएगी..उससे पहले मुझे स्टॉक स्टेटमेंट सबमिट करना था..
संगीता आंटी याद आती थी..पर काम इतना रहते उनसे मिलना पॉसिबल न हुआ...एक दिन घर वापस आतें वक़्त..बस से मैंने आंटी के जैसी औरत देखि..जो की एक और महिला के साथ पैदल चल रही थी..घर कुछ आधे किलोमीटर पे था..पता नहीं पर अपने आप को उतरने से रोक न पाया..उतरके उन् औरतो को ढूंढ़ते हुए मैं पीछे की और चल रहा था..थोड़ा करीब जाने पर पता चला उसमे से एक संगीता आंटी ही थी..पर बात करू या न करू..साथ में दूसरी औरत जो थी..वो दोनों जैसे ही सामने से गुजरा रही थी..मैं बस के वेट करने का बहाना करने लगा..आखिर मुझे आंटी ने पुकार लिया..
संगीता: सैंडी...तुम यहाँ क्या कर रहे हो..?
मैं: ऑफिस के सिलसिले बहार गया था..और गलती से बस से जल्दी उतर गया...पर आप यहाँ कैसे..?
संगीता: हम नजदीक में इट के भट्टी के लिए मजदूरी काम करते है..और अब घर जा रहे है..अरे हा..ये मेरी सहेली कांता है..मेरे साथ काम करती है..और कान्ता ये सैंडी है..मेरी बहोत मदद करता है..(कान्ता आंटी से छोटी लग रही थी..पर दिखने में वो भी कम नहीं थी..वो पंजाबी ड्रेस में थी..हम तीनो साथ चलने लगे..) तो सैंडी दिवाली में क्या करने वाले हो..मुंबई जाओगे..?
मैं: हा..सोच रहा हु ३ दिन की छुट्टी है..तो मुंबई होके आउ..
संगीता: तो कब निकलोगे..?
मैं: शायद परसो..
कांता: संगीता मैं यहाँ से निकलती हु..कल काम पे मिलेंगे..(कांता ने जाते हुए दोनों को हाथ दिखाया)
संगीता: तो तुम परसो जा रहे हो..
मैं: हा..
संगीता: तो कल आना मेरे गरीबखाने..दिवाली में तुम नहीं रहोगे तो कल ही मुँह मीठा कराउंगी..
मैं: try करूँगा..(मैं अपने घर जाने जल्दी में था..आंटी को बाय बोलके घर पहुंचा..रात में सोते वक़्त मन में तारे तोड़ रहा था..हाला की मेरी आंटी को छूने की भी daring नहीं होती..सुबह उठके ऑफिस रिपोर्ट किया..और ऑफिस से सीधा मार्किट चला गया..आंटी के लिए साड़ी खरीदने..ज्यादा पैसे नहीं थे मेरे पास पर.. सस्ते वाली साडी खरीद ली..और साइकिल पर आंटी के घर के तरफ बढ़ने लगा..साढे छः बजे थे..मैं वो झोपड़े में घुस गया..पर वहा कोई नहीं था..मैं समझ गया आंटी काम से अभी आती ही होगी..उतने में वो आ गयी..मुझे अचानक से सामने देख कर चौक गयी.)
संगीता: तुमने तो मुझे डराही दिया..कब आये तुम...
मैं: अभी कुछ देर पहले..
संगीता: मैं हाथ मुँह धोती हु..रुको ज़रा..(ऐसा बोल के वो बाथरूम की तरफ गयी..कुछ देर में अपना मुँह पोछते हुए मेरे पास आयी..)मैं कुछ मीठा खिलाती हु तुम्हे..(एक छोटी थाली में लड्डू दिया..)ये लो ..गरीब के घर की दिवाली समझ के तुम अपना मुँह मीठा करो..(actually लड्डू मुझे पसंद नहीं..पर आंटी का कहा कैसे न माने..!!उसने चूल्हा जलाया और चाय बनाने लगी..) कुछ देर में चाय हो जाएगी..तब तक मैं चेंज करती हु..( वो मेरे सामने चेंज कर रही थी..पर अँधेरे के कारन कुछ ठीक से नहीं दिख रहा था..बस नंगा आकार चूल्हे के उजाले में थोड़ा दिख रहा था..) उसने दिया उठाया और जलाने लगी..मैं अपनी हमेशा की जगह बैठा था..झोपड़ा इतना छोटा था..की और कहा बैठ नहीं सकता था..दिया जलने के बाद देखा वो पिले कलर का कपडा नाम के लिए साडी जैसा पहना था..पर लगभग वो लंगोट लग रहा था..उसकी ज्यादातर जाँघे खुली थी..ब्लाउज को बटन्स नहीं बल की गाठ मरी हुयी थी..जिससे उसके स्तनों का ऊपरी हिस्सा पूरा दिख रहा था..इतने में मुझे खरीदी हुयी साड़ी का ध्यान आया..)
मैं: संगीताजी..मैंने आपके लिए दिवाली भेटवस्तू लायी है..(ऐसा बोल के साडी की थैली उसके हाथ में दी..उसने साडी बाहर निकलते हुए कहा) ..इसकी क्या ज़रूरत थी..तुमने इतना खर्चा क्यों किया..?
मैं: मुझे आपको दिवाली गिफ्ट लेनाही था..तो मैंने साडी ली आपके लिए..
संगीता: मुझे ये पसंद है..पर तुम्हे खर्चा करने की जरुरत नहीं थी..(उसने साडी की थैली एक जगह टँगायी..और चाय देने लगी और अपने लिए भी गिलास में ले लिया..और मेरे पास बैठ गयी..थोड़ी देर बिना कुछ बोले वो चाय पि रही थी..)
मैं: संगीताजी ..क्या हुआ..?
संगीता: (खाली कप रखते हुए..) कुछ नहीं..पर तुम से पैसे और गिफ्ट लेने में मुझे सही नहीं लग रहा..
मैं: आप एक तरफ से..दोस्त भी बोलते हो..और दोस्त से मदद और गिफ्ट आपको सही नहीं लगता..!!!
(मुझे वो कही खोयी सी लगी..उसका ध्यान खींचने के लिए मैंने कहा..)
मैं: क्या हुआ संगीताजी आप ठीक तो है..?
संगीता: है ..ये साडी देख कर कुछ पुराने दिन याद आयी....(वो थोड़ी मायूस लग रही थी..मैंने अपना टॉपिक चेंज किया..)
मैं: संगीताजी..वो आपकी सहेली कहा रहती है..?
संगीता: (मेरा अजीब सवाल से बौखलाई..और स्माइल की ) वाह बेटे कांता अच्छी लगी लगता है..
मैं: नहीं मैंने ऐसेही पूछा..
संगीता: वो यहाँ से थोड़ा दूर रहती..हम एक दूसरे को 3 साल से जानते है..
मैं: पर आपने तो कहा था..एक शेठ ने आपको रखेल रखा था ..जो की पिछले साल मर गया..
संगीता: हा वो बात सही है..पर शेठ को एक से ज्यादा रंडियो के साथ सेक्स करना अच्छा लगता था..इस लिए उसने तीन रंडिया पाल राखी थी..जिसमे मैं एक थी..दूसरी कांता थी..और तीसरी अलका ..जो उम्र में मुझसे भी बड़ी थी..
मैं: अलका? वो कहा है..?
संगीता: पता नहीं ..शेठ की औरत ने उसकी मौत के बाद हम तीनो को धक्के मारके घर से निकाला.कुछ दिनों पहले ही कांता की मुलाकात हो गयी..और मैनेही उसे मेरे साथ इट भट्टी की मजदूरी के लिया लगा दिया..
(आंटी फ्लैशबैक में गयी) पिछले साल शेठ ने हम तीनो को दिवाली के कुछ दिन पहले साडिया दी थी..उस दिन शेठ बहोत पिया हुआ था..उसकी बीवी उसके साथ झगड़ा कर रही थी..उसको हमे साडिया देना अच्छा नहीं लगा था..शेठ हम तीनो को अपने बडेसे घर में रखता था...ये भी उसको खटकता था...पर बाद में उसने ignore किया..वैसे भी शेठ का खानदान रंडीगिरी के शौक के लिए मशहूर था..पर इस बार साड़ियों के वजह से बाद ज्यादा बिगड़ गयी..शेठ ने हम तीनो को अपने गाड़ी में बिठाया और गेस्ट हाउस में लेके आया..वो नशे में चूर था..गेस्ट हाउस के बैडरूम हम तीनो को बुलाया..
शेठ: (अलका को..)ये बड़ी औरत आ इधर और मेरे कपडे उतार..(अलका उसके कपडे उतार रही थी..उतने में गाड़ी की आवाज आयी..सेठानी आके सीधा बैडरूम में घुस गयी..)
सेठानी: (गुस्से से ) क्या शौक पाला है मेरे मर्द ने..इसका बाप एक एक के साथ सोता था..और ये सब के साथ एक साथ सोता है..
शेठ: (नशे में चूर ..भड़क उठा..) मेरे बाप का नाम लेती है साली..(सेठानी की ओर आया और सबके सामने उसके कपडे उतारने लगा..नहीं उतरे तो फाड़ने लगा..हम तीनो देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी..वो हमारी और देख के बोला ) तुम तीनो क्या देख रही हो निकालो सब अपने कपडे..सब नंगे हो जाओ मेरे सामने..सेठानी रो रही थी..हम तीनो ने पुरे कपडे निकल दिए..शेठ अलका और कांता को बोला) खड़ा करो इस औरत के मेरे सामने ..कस के पकड़लो साली को(सेठानी की और इशारा किया..कांता और मैंने शेठ की बात मानते हुए..सेठानी को उठाया और उसके हाथ पकड़के शेठ के सामने खड़े हो गए) साली मेरे बाप का नाम लेता है ..अभी बताता हु..संगीता तू इधर आ..घुटने पे बैठ और ये साली की छूट चूसना चालू कर..
संगीता: क्या..?(इतने में शेठ ने मेरे बाल पकडे ..और सेठानी की चुत चाटने की जबरदस्ती करने लगा..(हमारे पास उसके आर्डर सुनने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं था..मैं डर के जोश में आके सेठानी चुत अपने जुबानसे रगड़ने लगी..चाटने लगी..पहले सेठानी ने प्रतिकार किया..पर अलका और कांता उसको कस के पकडे हुए थी..कुछ देर बाद शेठानि का प्रतिकार बंद हुआ..शायद अब वो एन्जॉय कर रही थी..)
शेठ: (अलका और कांता को) तुम दोनों उसके थन्नो के साथ खेलो..(शेठ नंगा चेयर पे बैठ गया, सेठानी निचे लेट गयी..हम तीनो एक एक कर के उसकी चुत चाट रहे थे..अपने होटो से रगड़ रहे थे..उसकी चुत गीली हो गयी थी..शेठ पास आके अपना लंड सेठानी के मुँह में घुसेड़ दिया..हम तीनो सेठानी के अंग अंग का स्वाद ले रहे थे..सेठानी अपने होठो से शेठ का लंड सेहला रही थी..थोड़ी देर बाद सेठ उठा और अपना लंड सेठानी के चुत में दाल दिया...और बारी बारी हमारी चुत चाट रहा था..सेठानी एक्साइट होके चिल्ला रही थी..शेठ भड़का और बोला ) संगीता अपनी चुत साली के मुहमे दाल और इसका आवाज बंद कर..(मैं सेठानी के मुँह में अपनी चुत रख दी..उसकी जबान का स्पर्श मुझे एक्साइट कर रहा था..थोड़ी देर में शेठ ने मुझे घुटने के बल झुकाया और मेरे गांड में लंड डालने लगा..पर वो अंदर नहीं जा रहा था..मुझे धक्का देके उसने कांता को खींचा और उसके गांड में अपना लंड घुसेड़ दिया..कांता जोर से चिल्लाई..उसने एक एक करके हम सबको खूब चुदवाया कुछ देर बाद अलका को निचे खिचके बिठाया और उसके मुँह में अपना लंड दे दिया..अलका अनुभवी रांड थी..वो लंड को जुबान से सेहलाती..मुँह में अंदर तक घुसेड़ति और बहार निकलती..शेठ कण्ट्रोल के बहार हो गया..झटके से लंड मुहसे बहार निकालके क्रीम सेठानी के मुँह पे छिड़क दिया..और पास के बेड पे जाके लेट गया..सेठानी बाथरूम में भाग गयी...हम तीनो ने भी..अपने कपडे पहनकर बाहर बैठ गए..कुछ देर में सेठानी बाहर आके गाड़ी से निकल गयी..हम जैसे तैसे जहा मिले उधर सो गए..अलका ने मुझे और कांता को सुबह जल्दी उठाया..और शेठ के पास गए..उतने में शेठ बाथरूम से निकला और कुछ पैसे देकर बोला..)
शेठ: ये पैसे रखलो दिवाली के लिए..और यही कुछ बनाकर खालो (ये कहकर वो वहा से गाड़ी लेकर चला गया..और रात हम वही थे...एक सुबह कुछ गुंडे आये और हमको धक्के मार के बाहर निकाले..बाहर सेठानी खड़ी थी..)
सेठानी: मेरा मरद रात को कार एक्सीडेंट में मर गया..अब तुम तीनो अपना रास्ता नापो..और हा तुम्हारी ये नयी साडिया..दिवाली के लिए काम आएगी..
(हम तीनो वहा से चलते बने..अलका मुंबई के ट्रैन से चली गयी..मैं यहाँ आके बस गयी..और कांता भी यही कही आस पास थी..मैं और कांता अब मजदूरी कर रहे है..अलका के बारे में कुछ भी पता नहीं..)
संगीता आंटी की ये स्टोरी सुनके..सुन्न हो गया..मन में सोच रहा था ...पता नहीं तीनो ने क्या क्या सहा होगा ऐयाश शेठ के पास...कुछ देर बाद..आंटी को अलविदा करके मैं वहा से चलता बना..मुझे सुबह मुंबई जाना था..
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samhans Offline
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#7
16-12-2017, 06:22 AM
अलका आंटी से मुलाक़ात..

शाम ६ बजे के करीब मैं मुंबई पंहुचा..काफी थक गया था...पुरे सफर में आंटी के बारे में सोच रहा था..उसकी कहानी सुनके..मैं सोच नहीं सकता के ऐसा भी कभी हो सकता..आंटी पे भरोसा है..पर मैं बस कल्पनाही कर सकता हु..मेरे आने से घर में सब खुश थे..मैं दो महीने बाद अपने घर आया था..सब जगह दिवाली का माहौल था...मेरा दोस्त प्रमोद मुझे मिलने आ गया..प्रमोद मेरा सबसे करीबी दोस्त था..पर तो भी आंटी का किस्सा मैं उससे discuss नहीं कर सकता था..मेरे मासूम चेहरा और कम हाइट की वजह से मेरी इमेज एक मासूम और टैलेंटेड लड़के की है..पर प्रमोद की बात कुछ और थी..वो एक बिंदास लड़का था..लगभग हर शौक वो आजमा चूका था..पर उसकी सेक्रेट्स बस मेरे साथ शेयर किया करता था..
प्रमोद: कैसे हो दोस्त..काम कैसे चल रहा है..बड़े दिनों बाद आया..कोई लड़की के चक्कर में फसा तो नहीं..(मजाक में अकल के तारे तोड़ रहा था)
मैं: (धीरे से) यहाँ सबके सामने कुछ भी मत बोल..(वो हँसा)
प्रमोद: अच्छा ठीक बाद में बात करेंगे ...आराम से..डिनर के बाद नाके पे मिल.
मैं: अच्छा ठीक है..
(घर में आज दिवाली की पूजा चल रही थी..आज स्पेशल पकवान थे..इतने दिनों बाद घर का खाना खाके अच्छा लगा ,,घर पे बोल के मैं प्रमोद से मिलने नाके पे पहोच गया..प्रमोद वहा सिगरेट फुक रहा था..)..
प्रमोद: ओह ..आ गए भाईसाब..मुझे लगा टालोगे...
मैं: हम बहोत दिनों बाद मिले है..इसलिए नहीं टाल पाया..वैसे भी आज खाना बहोत हुआ..बोल प्रमोद कैसा तू..तुम्हारा exam कैसे रहा..अभी तो सब सब्जेक्ट क्लियर करेगा ना ..(मैं हसके बोला)
प्रमोद: वो तो किसी भी हाल में करना पड़ेगा..नहीं तो अबकी बार घर के बहार निकल देंगे..तेरा काम कैसे चल रहा है..उधर..
मैं: (निचे देख के) अच्छा चल रहा है.
प्रमोद: साले ..कुछ छुपा रहा मुझसे..कोई लड़की का चक्कर तो नहीं..
मैं: ऐसा कुछ नहीं..
प्रमोद: देख सैंडी ..कुछ है मन में बोल दे..मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा..
मैं: नहीं यार ..मै काम करने वहा गया हु...लड़की ढूंढ़ने नहीं..? हा पर कुछ बातें बतानी है तुझे..पर प्रॉमिस कर किसीसे बताएगा नहीं..
प्रमोद : बता ..मैं प्रॉमिस करता हु..
मैं: प्रमोद मुझे रंडीबाज़ार लेके चलेगा..
प्रमोद: अबे या क्या बोल रहा है..
मैं: प्रमोद..गलत मत सोच...मुझे बस देखना है उधर..नए ऑफिस में लोग मज़ाक उड़ाते है मेरा..बच्चा बोलते है मुझे ..इसलिए मालूम करना है..ले चलेगा..मै ऐसा वैसा नहीं करूँगा ..बस मुझे एक बार ले चल..
प्रमोदहस के )..चलो ये भी दिखाएंगे भाई साहब को..बोलो कब चलना है..
मैं: मेरी छुट्टी दो दिन है..हम सुबह चले जायेंगे.
प्रमोद: (जोर से हस रहा था) अबे च्युते वो ऐसा गार्डन है..जहा पे फूल रात में खिलते है..सुबह जाके क्या करेगा...कल रात चलते है..
मैं: वो जगह है किधर..?
प्रमोद: मुंबई में ग्रांट रोड सबसे फेमस मार्किट है..
मैं: ठीक है कल रात निकलते है..पर किसी को कुछ बोल मत..
(वहा से हम घर लौट आये..सुबह उठतेही दिवाली को तैयारियां..थोड़े मिले बोनस के पैसे से घरवालों के लिए कुछ कपडे ख़रीदे..पूरा दिन उसमे गुजर गया..डिनर के बाद ..नाके पे प्रमोद से मिलने पंहुचा..प्रमोद पहलेसे वही था..)
प्रमोद: चले..!!ट्रैन से जायेंगे..
मैं: ओके
(ट्रैन से हम ग्रांट रोड स्टेशन पहुंचे..कुछ दूर पैदल चलते चलते हम एक पतली सड़क पे पहुंचे..वहा हमे कुछ औरते डार्क मेकअप के साथ खड़ी दिखी..)
प्रमोद: यहाँ से रंडीबाज़ार शुरू होता है..चल आगे चलते है..मैं एक शक्श को जनता हु इधर...
(वहा पे जिधर नज़र डाले ऊपर से औरते निचे इशारा कर रही थी..वो कोई ब्रा में तो कोई ब्लाउज से अपनी गलिया दिखा रही थी.. एक पुराणी बिल्डिंग के पास आके हम रुके..)प्रमोद ने एक पानटपरी वाले से पूछा ..भाईसाब रमेश कालू..किधर मिलेगा..? उस पानवाले ने सामने की तरफ इशारा किया..वह एक छोटे हाइट का आदमी खड़ा था..उसकी तरफ प्रमोद बढ़ा..)
प्रमोद: रमेश..पहचाना मुझे..
रमेश: साहब जानता हु आपको..बोलो क्या सेवा करू..
प्रमोद: कुछ अच्छे एल्बम दिखा..(रमेश ने कुछ फोटो निकाले..और प्रमोद को दिखाने लगा..प्रमोद मुझे भी दिखाने लगा )
प्रमोद: बोल सैंडी ..इसमेसे choose कर..(वो सब यंग लड़कियों की फोटोज थी..रमेश ने मेरे expressions देख और एलबम्स निकली..और प्रमोद के हाथ में दी..)
रमेश: साहब..ये थोड़ी बड़े उम्रवाली है..
प्रमोद: सैंडी..इसमेसे देखना है तो देख..तब तक मैं अपने लिए पहले एल्बम से देखता हु..(कुछ देर बाद एक मध्यम औरत की फोटो रमेश को दी..और प्रमोद ने भी एक फोटो रमेश को दी..
रमेश: साहब बिल्डिंग के पीछे लॉज है..लॉज और लड़की दोनों का मिलके 4००० लूंगा..
प्रमोद: रमेश तू अपना दोस्त होके इतना मांगता है..
रमेश: चलो..मेरा कमिशन छोड़के 3००० देदो.(प्रमोदने कुछ नोट उसके हाथ में थमा दिए..और हम लॉज की तरफ चलने लगे )
मैं: प्रमोद..मैं सेक्स नहीं करनेवाला..(प्रमोद चौंक गया,.)
प्रमोद: तो क्या करेगा?
मैं: मुझे अलका नाम की औरत को खोजना है..जो की ३५-४० उम्र की है..वो मेरे दोस्त की सहेली थी..तुम भी अपने साथ वाली लड़की को पूछना..
प्रमोद: (हैरान होके..हाथ जोड़के ) तुम महान हो प्रभु..औरत का पता पूछने खर्चा करवाया..हम लॉज में आ गए..रमेशने मुझे 2nd फ्लोर पे ४ नम्बर रूम में जाने बोला ..मैंने प्रमोद को देखा और ऊपर जाने लगा..४ नंबर रूम का दरवाजा खुला था..इतने में अंदर से एक औरत की बुलाने के आवाज आयी...अंदर रूम में एक काली सावली सी थोड़ी औरत..पान खाती हुयी ट्रांसपैरंट nighty पहने हुई थी..उसका पूरा अंग nighty से दिख रहा था..वो मेरे पास आयी..)
औरत: पहली बार है..
मैं: हां
औरत : लगता है सब मुझे सिखाना पड़ेगा..कोई बात नहीं ..अपने कपडे उतार लो..(इतना बोलते हुए वो पलट गयी..और अपनी nighty उतारने लगी..उसकी सावली नंगी गांड मेरे सामने थी..उसने मेरी तरफ देखा )
औरत: तुम्हारे कपडे भी मुझेही उतारने होंगे..?
मैं: दरअसल मैं कुछ और काम से इधर आया हु..मुझे कुछ पूछना है आप से..
औरत: मेरा टाइम ख़राब मत कर..इधर सब का एकही काम होता है..वो है चोदना..करना है तो कर नहीं तो निकल..!!
मैं: मैंने पुरे पैसे दिए है..आपको मुझे वक़्त देना होगा..(वो परेशान होके वैसी नंगी हालत में मेरे पास बैठी...)
औरत: बोल क्या है..
मैं: आप कोई अलका नाम की औरत को जानते हो ..जो एक साल पहले यहाँ कही आयी है..नासिक से..उम्र करीब ३५-४० साल होगी..
औरत: (परेशान होके ) साले..दीखता बच्चा है..तुझे अलका चाहिए थी तो इधर क्यों आया..
मैं: प्लीज आप को अगर पता है तो बता दो..मैं चला जाऊंगा..
औरत: (मेरे सामने आके..उसने एक टांग टेबल पे रखते अपनी चूत मेरे सामने की ..उसकी चुत काली थी..उसपे बाल नहीं थे..) देख बच्चे..ये चूत देख रहा ना..वो अलका की हो या कोई भी औरत की हो..चोदने के लिए सब एक जैसी है..तू मेरा टाइम खोटा मत कर...
मैं: प्लीज आपको पता हो तो बता दीजिये..
औरत: (सर पे हात रख कर)..ठीक है.. यहाँ से आगे तीन बिल्डिंग छोड़के आगे मेडिकल के सामने उसका झोपड़ा है..उधर जा..और हां ..वो अपने झोपड़े में धंदा करती है..
(मैं उधर से निकला..मेडिकल ढूंढ़ने लगा..उसके सामने एक chawl जैसा था..मैंने खड़ी औरतो से पूछ के वो दरवाजा नॉक किया..)अंदर से आवाज आयी..रुको जरा ..थोड़ा टाइम रुकना पड़ेगा..१०मिनट बाद दरवाजा खुला ..एक आदमी बहार निकला..और मुझे अन्दर से आने बोला..अंदर गया..एक गोरी सी ४०-४५ उम्र की औरत..पेटीकोट छाती तक पहने हुए थी..वो बोली..कितना दोगे..कुछ नहीं बोल पाया..
औरत: तुम सोचो तब तक मैं बाथरूम हो आती हु..(वो झोपड़े के पीछेवाले दरवाजे से गयी..मैं मन में सोच रहा था..काश यही संगीता आंटी की फ्रेंड हो....कुछ देर बाद वो आ गयी..)
मैं: आप अलकाजी है ना..?(उसने गर्दन हिलाके हां कर दिया) दरसल मुझे संगीताजी ने मुझे आप बारे मै बताया..जिनके साथ आप काम करती थी..(वो चौंक गयी..) संगीता, कान्ता और आप एक साथ काम करते थे..
औरत: संगीता तुम्हे कहा मिली..?
मैं: जी ..नासिक के पास एक जगह मेरे ऑफिस का गोडाउन है..मै उधर काम करता हु..कुछ दिनों पहले संगीताजी से मेरी पहचान हुयी..उन्होंने आप के बारे में बताया..मैं मुंबई आया..सोचा आपको ढूंढ लू..
(उसने संगीता आंटी की खैरियत के बारे पूछा ..मैंने भी सगीता आंटी का सब हलचाल उसको बताया..)
अलका: चलो अच्छा है..संगीता और कान्ता ने रंडीगिरि छोड़ दी..पर मेरे से ना हो पाया..(उसने मेरे बारे में पूछा और कुछ देर में सहेज बात करती रही..अब मैं उसके लिए कस्टमर नहीं गेस्ट था..)चलो अच्छा है..अनजान जगह संगीता के लिए कोई तुम्हारे जैसा दोस्त मिला..
मैं: अगर मैं उनका दोस्त हु..तो आपका भी दोस्त बनने मि मुझे कोई ऐतराज़ नहीं.
अलका: एक रांड से दोस्ती करोगे..?
मैं: संगीताजी मुझे अपना दोस्त मानती है..और उसकी दोस्त मेरी दोस्त..संगीताजी ने पिछले साल दिवाली में आप तीनो के साथ क्या गुजरी सब कुछ मुझे अपना दोस्त समझके बताया..मुझे समझा नहीं आप का शेठ कैसे मरा?
अलका: मरा क्या मारा होगा सेठानी ने ..और वो उसी लायक था..बहोत शारीरिक पीड़ा देता था..(उसने अब तक जो पेटीकोट शरीर पे लटका था..वो उतार दिया..और नंगी होकर मेरी तरफ पीठ की..अलकाजी की उम्र बड़ी थी पर वो भी नंगी बहोत अच्छी लग रही थी..संगीता आंटी से थोड़ी वो मोटी और गोरी भी थी...उसके स्तन संगीता आंटी से बड़े थे पर थोड़े लटके थे...गांड भी थोड़ी बड़ी थी...)(उसके पीठ पे दो जगह..कूल्हों पे एक जगह काले दाग थे..) देखो ये सिगरेट से जलने के निशान..ये सब वो हरामी की करतूत है..अच्छा हुआ मर गया. संगीता और कांटा को भी हंटर से मारता था..वो छोडो तुम क्या लोगे..रुको मैं कोल्ड ड्रिंक मांगती हु..(उसने बहार आवाज दी..कोई एक थम्प उप की बोतल भेज दो..बहार जो चार वेश्याएं खड़ी थी..एक ने पासवाले दुकानसे लेकर दिया..) कान्ता कैसी है..
मैं: वो भी संगीताजी के साथ मजदूरि करती है..पर मेरा उनसे इतना परिचय नहीं..अलकाजी आप कपडे पेहेन लीजिये..
अलका: (हसते हुए..) दरअसल मेरा एक कस्टमर आनेवाला है..वो आने के बाद फिर कपडे निकलने होंगे..इसलिए ये टाइम पे नंगी रहती हु..तुमको कोई ऐतराज़ है..तो ये पेटीकोट चढ़ा लेती हु..(उसने फिर से पेटीकोट अपने छाती तक चढ़ा लिया..) लगता है..तुमने नंगी औरत देखि नहीं..इसलिए परेशान हो रहे हो..
मैं: ऐसा नहीं..आप भी संगीताजी की तरह खूबसूरत हो..संगीताजी अक्सर अपने घर में बहोत कम कपड़ो में रहती.. कम मजदूरी में वो अपना खर्चा चलती है..उसके पास ज्यादा कपडे है नहीं..बहोत गरीब है वो..
अलका: पर वो इज्जत का काम करती ..मेरी जैसी वेश्या नहीं..अरे हा.मेरे पास संगीता की कुछ अमानत है..उसे दे देना..रुको मैं निकालती हु..इसके लिए मुझे कपाट के ऊपर की संदूक निकालनी होगी..(आंटी संदूक निकलने के लिए टेबल पर चढ़ गयी..मुझे निचे से पेटीकोट अंदर सब कुछ दिख रहा था..उसने संदूक निकालके मेरे हाथ में दी..उतरके उसमे से सोने की अंगूठी. मुझे दी )ये संगीता की अमानत है..उसे दे देना..
एक बार संगीता का नंगा डांस देख शेठ ने खुश होके ये अंगूठी दी थी..वैसे संगीता डांस अच्छा कर लेटी है..
मैं : क्या आपका शेठ संगीताजी को डांस करने लगता था..?
अलका: वो हम तीनो से जो चाहे करवाता था..अगर न करे तो हंटर से मारता था..बहोत बार हम तीनो बिना कपड़ो के उसकी सामने नाचते थे..उसे अच्छा लगता था..
मैं: ठीक है ..संगीताजी की अमानत मैं दे दूंगा...(कुछ देर मैं चुप था...और क्या बात करे समझ मै नहीं आ रहा था..)
अलका: सैंडी..कुछ देर में एक कस्टमर आनेवाला है..तुम्हे जाना होगा..(मैं चुप था ) क्या हुआ सैंडी..कहा खो गए..
मैं: अलकाजी..एक बात बोलू..बुरा तो नहीं मानोगे..
अलका: बोलो..
मैं: अलकाजी सेक्स कैसे करते है देखना है ..मुझे नहीं पता वो क्या होता है..अगर आपको ऐतराज ना हो तो मै कही छुपके आपको आपके कस्टमर के साथ सेक्स करते हुए देख सकता हु..?
अलका: (जोर से हंसी..) तो तू मेरी चुदाई देखेगा..?
मैं: अगर आपको ऐतराज नाहो तो..
अलका: ऐसा नहीं कर सकती..कस्टमर को पता चला तो प्रॉब्लम होगा..
मैं: ठीक है तो मैं चलता हु...(इतने में बाहर से किसी ने दरवाजा नॉक किया..)
अलका: जरा ५ मिनट रुकिए..
मैं: अलकाजी शायद आपका कस्टमर आया मैं चलता हु..(और मैं जाने लगा)
अलका: रुको ..इस परदे के पीछे छुप जाओ..परदे को फटे होल से देख सकते हो....(ऐसा बोल के उसने मेरा हाथ पकड़के परदे के पीछे लेके गयी..परदे के तरफ अँधेरा था..) ज्यादा हिलना मत..नहीं तो मैं फस जाउंगी..
मैं: ठीक है..(परदे में एक होल से मुझे अच्छे से दिख रहा था..मैं अपनी पोजीशन लेके परदे के पीछे बैठ गया..)
(अपना पेटीकोट ठीक करवाके..और गर्दन पे दुपट्टा डाले वो दरवाजा खोलने गयी..दरवाजे से एक आदमी अंदर आया..)
अलका: साहब..आप सरकारी होने का फायदा उठा रहे हो..आज कुछ देना होगा..दिवाली का वक़्त है..
आदमी: लगता है तुम को ..मुझ पे भरोसा नहीं है ..ये लो पैसे और मिठाई..(उसने पैसे और एक मिठाई का बॉक्स अपने बैग से निकाल के उसे दे दिया..)
अलका: कंडोम लाये हो..या दे दू..?
आदमी: मेरे पास है..आज चॉकलेट फ्लेवर लाया हु..ये ले..(अपनी जेब से निकाल कर उसके हात मे दिया..उसने वो साइड में टेबल पे रेख दिया..)
अलका: उतारिये अपने कपडे...
आदमी: उतारता हु..पर अंडरवियर तुझे उतरना होगा..
(ऐसा बोल के उसने अपने एक एक कपडे उतर दिया..और अलका आंटी के सामने आ गया..आंटी ने अपने पेटीकोट की नाड़ी खींच ली..और पेटीकोट झट से निचे गिर गया..अलका आंटी का शरीर बहोत गोरा था..उसके बड़े स्तन और चुत दिख रही थी..वो निचे घुटनो के बल बैठ गयी..और एक हात से अंगूठा ऊपर कर के मेरी और मुस्कुरायी..उसने आदमी की चड्डी निचे की और उसका लैंड अपने मुँह में लेके रगड़ने लगी..अपने लिपस्टिक वाले होट उसके लैंड पे रगड़ा रही थी..जांघो के बिच से आंटी की चुत मुझे अच्छे से नजर आ रही थी..आंटी के चुत पे बिलकुल भी बाल नहीं थे.. कुछ देर बाद वो आदमी का लंड काफी बड़ा हुआ था..आंटी उठके खड़ी हो गयी...उसने अपना दाहिने साइड का निप्पल वो आदमी के मुँह में दिया..वो बेदर्दी से निप्पल को चूस रहा था..उसका एक हाथ आंटी का बाया स्तन रगड़ रहा था..आंटी का स्तन इतना बड़ा था की उसके हात में नहीं समां रहा था..उसका दूसरा हाथ आंटी के दाहिने कूल्हे को दबा रहा था..आंटी ने अपने दोनों स्तन से वो आदमी का चेहरा बीचोबीच ढक डाला...अब आदमी अपने एक हाथ से आंटी की चुत रगड़ रहा था.....वो निचे बैठा और आंटी की चुत चाटने लगा...आंटी की नज़रे मेरी और देख के मुस्कुरा रही थी..वो आदमी खड़ा हुआ..और आंटी को कंडोम लेने के लिए इशारा किया..आंटी कंडोम का पैकेट लेके निचे बैठ गयी..३-४ बार उसके लंड को फिर से मुँह से चूसा.. दातो से कंडोम का पैकेट फाड् के वो रबर तानके उसके लंड पे चढ़ा दिया..उसके बाद वो पलंग पे लेट गयी..अपनी टांगे उठाके अपनी चुत की ओर ऊँगली दिखाके वो आदमी को इशारा किया..(आंटी के चुत का खाचा दिख रहा था...)आदमी ने अजीब सी स्माइल करते हुए..धीरे से अपना लंड आंटी के चुत में अंदर तक डाल के अन्दर बाहर हो रहा था..आंटी के सामने वो आदमी एकदम पतला लग रहा था..आंटी के चेहरे पे कोई एक्सप्रेशन नहीं था..वो बस लेटी थी..और बिच बीचमे परदे की ओर देखती थी..१०-१५ मिनट तक ये चलता रहा..मेरी हालत ख़राब थी..मैं अपने लंड को दोनों हाथो में थामे हुए था..पैंट गीली हो रही थी..पास में एक कपडा पड़ा था..शायद आंटी की चड्डी थी..मैं अपना लंड पैंट के ज़िप से निकालके आंटी के चड्डी से दबा रहा था..)
आदमी: उठ..doggy स्टाइल बैठ जा..(आंटी ने अब अपने घुटनो के बल बैठते हुए अपनी गांड आदमी की तरफ की..आदमी ने पीछे से अपना लंड आंटी के चुत में डाल दिया...और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा..आंटी के दोनों स्तन मस्त लटक रहे थे..जोर जोर से हिल रहे थे..वो आदमीकी जाँघे आंटी के कूल्हों पे पटक रही थी और शोर मचा रही थी..अब वो आदमी अपना लंड आंटी के गांड में घुसाने लगा..आंटी ने हाथ रख के उसे ना बोली..)
अलका: साहब ये मत करो दर्द होता है..
आदमी: चुप साली..आज पैसे दिया हु..तेरी गांड मारे बिना नहीं जाऊंगा ..
अलका: रुको जरा..
(ऐसा बोल के उसने हेयर ऑइल की बोतल ली..उसमेसे थोड़ा ऑइल अपने ऊँगली को लगा के अपने गांड के होल में ऑइल लगाने लगी..फिर से वो doggy पोजीशन में आके ..) करो अभी साहब..पर धीरे से..
(आदमी ने अपना लंड धीरे धीरे आंटी के गांड की होल में घुसेड़ दिया..आंटी ऑंखें बंद करके अपने एक हाथ मुँह पे रख के चिल्लाई..आदमी का लंड आंटी के गांड में अंदर बाहर हो रहा था..१० मिनट बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला..उसके लंड को लगा कंडोम पानी से लटक रहा था..वो पीछे के दरवाजे से बाथरूम की ओर गया..आंटी एक कपडे से अपनी चुत साफ़ कर रही थी..मेरा तो पानी कब का निकाल गया था..आंटी की चड्डी मेरे वीर्य से भीग गयी थी..उसे उधर ही छोड़के मैंने खुद को सवारा..वो आदमी कुछ ही देर में बाहर आके अपने कपडे पेहेन के आंटी की और देखा और बोला)
आदमी: आज बहोत मजा आया..
(वो तुरंत वह से चला गया..अलका आंटी बाथरूम गयी..मैं भी बाहर आके बैठ गया..कुछ देर बाद आंटी अपना बदन धोके बाहर आयी ..अपने नंगे बदन को मेरे सामने तोलिये से पोछ रही थी..)
अलका: क्यों सैंडी..अच्छा लगा..?
मैं: मुझे नहीं पता था..चोदना इसे कहते है..?
अलका: लोग रांड को इसी तरीके से चोदते है..उसकी दर्द के बारे मै नहीं सोचते..
(अलका आंटी खुद को..मेकअप कर रही थी..टेबल पर नंगी बैठ कर लाली पाउडर कर रही थी..अपने होटो पर लिपस्टिक लगा के रही थी...)
अलकाजी मैं चलता हु..कल शाम को मैं नासिक चला जाऊंगा..और हा..आपको हैप्पी दिवाली..इन् पैसो से अपने लिए मेरी तरफ से कुछ गिफ्ट खरीद लेना..
(अलका आंटी उठके खड़ी हो गई..मेरे पास आके लिपट गयी..उसके नंगे बदन का जैसे मुझे करंट लग गया..मैं उसके बड़े स्तन महसूस कर रहा था..)
अलका: हम रंडियो का कोई दोस्त नहीं होता...संगीता का ख्याल रखना..(वो रो रही थी..)
मैं: प्लीज आप रोईए मत ..अपने रुमाल से उसकी आखें पोछ दी..अगली बार मुंबई आऊंगा जरूर मिलूंगा..संगीताजी को पता भी नहीं है..की मैं आपको ढूंढ पाउँगा..चलता हु..
(बाहर आके मैं प्रमोद को देख रहा था...वो मेडिकल के पास नज़र आया..)
प्रमोद: किधर था तू...मैं कब से तुझे ढूंढ रहा था..
मैं: वो औरत मिल गयी..
प्रमोद: मिल के क्या किया...
मैं: कुछ नहीं..उसकी दोस्त का मैसेज दे दिया..
प्रमोद: कुछ नहीं..? तू सच में भोला है..या बना रहा है..
मैं: तुझ से क्यों छुपाऊंगा..चल अभी..और ये सब कहानी घर तक नहीं जानी चाहिए..
प्रमोद: घर तक जायगी भी...तो मैं मरूंगा..तू तो वैसे भी मासूम दीखता है.

(रात के ३ बजे थे..कोई ट्रैन नहीं थी..हम टैक्सी करके घर आ गए..कल शाम को मेरी रिटर्न ट्रैन है...और हा सुबह संगीता आंटी को कुछ गिफ्ट भी खरीदना है... )
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samhans Offline
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16-12-2017, 06:24 AM
मुंबई से वापसी..

दो दिन की छुट्टिया बहोत जल्द बीत गयी...आज फिर से घर छोड़ने का बहोत दुःख हो रहा है...अपना सामान अच्छे से पैक करके रेलवे स्टेशन पहुंचा..प्रमोद मेरे साथ आया था..स्टेशन पर बहोत भीड़ थी..अच्छा हुआ मैंने पहलेसे रिजर्वेशन कर रखा था..अपनों घरवालों को और अच्छे पलो बहोत मिस कर रहा था..
प्रमोद: सैंडी तेरी एक पार्टी बाकि है..
मैं: किस बात की..?
प्रमोद: साले कल तुम्हारे घरवालों ने तुम्हे मोबाइल फ़ोन जो गिफ्ट किया है..
मैं: आखिर तुझे पता चल गया..दे दूंगा पार्टी..अगली बार आऊंगा तो याद दिलाना..
प्रमोद: मैं...अगली बार लड़कियों का खर्चा तेरा..(छपरी स्माइल दे रहा था)
मैं: अगली बार हम पार्टी करेंगे ..रात की बात भूल जा..
(ट्रैन प्लेटफार्म पे आ गयी..भीड़ काफी उमड़ चुकी थी..मैं अपना बोगी नंबर देख के डब्बे में चढ़ रहा था..उतने में ट्रैन में चढ़ते समय..एक ३२-३४ उम्र की महिला मुझसे जोर से टकराई..वो मुझे पुश करते हुए जबरदस्ती आगे जा रही थी..डब्बे में आतेहि..मेरे बैग से टकराके वो गिर गयी...मेरे कुछ बोलने से पहले उसने मेरे गाल पे थप्पड़ लगा दिया और आगे निकल गयी..मैं देखतेहि रह गया..अपना सीट नंबर ढूंढा तो विंडो में उसके सामने था..उसने अजीब तरीकेसे मुझे देखा और नज़र घुमा ली..प्रमोद बाहर विंडो में आ खड़ा हुआ..
प्रमोद: क्या हुआ सैंडी..?
मैं: कुछ नहीं गलती मेरी थी..
प्रमोद: (हसके) ऐसी गलतिया तू हमेशा करता है..चल ट्रैन छूट रही है..अपना ख्याल रखना..
मैं: अपना रिजल्ट बताने फ़ोन करना..मेरा नंबर घर से ले लेना..(ट्रैन तेजी से बढ़ रही थी..वो पीछे छूट गया..
मैंने हलके से वो महिला की तरफ नज़र डाली..वो काफी सुन्दर थी..गुलाबी साड़ी पहने हुयी थी..देखने से अमीरजादी लग रही थी..अभी शायद मेरे लिए उसका गुस्सा काम हुआ था..क्यूंकि वो स्माइल करते हुए विंडो के बाहर देख रही थी..हमारे आजुबाजु में सभी रिज़र्व सीट्स फुल थी..मैं खिड़की से बाहर की ओर देखने लगा..ट्रैन के रफ़्तार के साथ नज़रो के सामने अभी भी बितायी हुयी रात याद आ रही थी..मिस कर रहा था अच्छे पलो को..मन में आया अगर मैं खुद अलका आंटी को सेक्स करने का डिमांड करता..तो भी आंटी शायद मना ना करती..खुद को मन ही मन में पूछ रहा था..अगर मौका मिला तो संगीता आंटी और अलका आंटी से सेक्स कर पाउँगा!!!..पर मेरा मन उसके लिए कभी तैयार नहीं होगा..क्यूंकि मेरे मन में उन् सबके लिए एक अलग जगह थी..हा पर कभी ऐसा होता भी है तो सबकुछ करूँगा पर अपना लंड उनके चुत में कभी न डालूंगा..मैंने खुद से ही पक्का कर लिया..मैं अपने खयालो में खोया था..सामने वाली महिला ने मेरे हाथ को छुवा..कुछ बोलना चाहती थी..)
महिला: सुनो..मैं बाथरूम हो आती हु..प्लीज् मेरे बैग का ध्यान रखना.
मैं: ठीक है..(कैसी औरत है..इसनेही मुझे ट्रैन में चढ़ते वक़्त थप्पड़ मारा और अभी ये मुझे request कर रही है.!! कुछ देर बाद वो आकर अपने सीट पर बैठ गयी..)
महिला: थैंक यू. (मैंने सिर्फ स्माइल किया..कुछ देर जाने के बाद वो बात करने लगी..) I am सॉरी..ट्रैन में चढ़ते वक़्त गलती मेरे थी..पर मैंने बिना सोचे आपको थप्पड़ दिया..(मैंने एक बार उसे देखा और चुप था ) नाम क्या है तुम्हारा..और कहा जा रहे हो..?
मैं: मुझे लोग सैंडी करके बुलाते है ..पर मेरा नाम संदीप है..नासिक उतरूंगा..वहां से दस किलोमीटर चिंचोली कर के जगह है(जगह का नाम काल्पनिक है)..मेरा ऑफिस और गोडाउन है..मैं वह काम करता हु..
महिला: मैं भी तो चिंचोली जा रही हु..दरअसल मैं एक छोटीसी कंपनी की डायरेक्टर और ओनर हु..हमारे कंपनी का गोडाउन और गेस्ट हाउस भी वहा है..बगल में मेरा बंगलो भी है..
मैं: तो कंपनी की डायरेक्टर होके आप ट्रैन से जा रही हो..?
महिला: (स्माइल देकर) बिच रस्ते में घाट के पास कही रोड का काम चल रहा है..उस कारन बहोत ट्रैफिक है..मैं अपनी गाड़ी वापस छोड़ जो रिजर्वेशन टिकट मिला ले लिया..
(मैं थोड़ा संकोचित और घबराया सा गया..एक अमीर महिला से पाला पड़ा था. वो समझ गयी..)
तुम बिंदास्त होकर बात कर सकते हो..अभी हमदोनो का सफर एक है..तुम चिंचोली में अकेले रहते हो..?
मैं: हा..दरअसल मैं मुंबई का हु..और मेरा जॉब उधर है..एक किराये का मकान लिया है..कंपनी मेरे लिए पे करती है..
महिला: ये मेरा कार्ड है..आकर मिल सकते हो..(कार्ड पर नाम सलोनी लिखा था)
मैं:थप्पड़ तो नहीं मिलेगी..?(मजाक में )
महिला: मिलेगी..मगर प्यार से..
मैं: सलोनीजी आप चिंचोली में अकेली रहती हो..?
सलोनी : मेरे साथ मेरी सौतेली माँ रहती है..मुझसे ६ साल बड़ी है..और थोड़ी मानसिक बीमार है..पप्पा ३ साल पहले गुजर गए..
(हवा से सलोनिका पल्लू साइड हो रहा था..उसके स्लीवलेस ब्लाउज से छाती की गल्ली छलक रही थी..दूसरे साइड का विंडो पे बैठे आदमी की नज़रे सलोनिके खुले बदन को जैसे खोज रही थी..)
मैं: सलोनिजि आपका पल्लू सवार लीजिये..
(सलोनी समझ गयी..उसने स्माइल करके..अपनी छाती पूरी ढक ली..कुछ देर बाद उसे नींद लगी..मैं भी उसका चेहरा ताकते हुए सो गया.. उसनेही मुझे उठाया..)
सलोनी: सैंडी..!!! चलो नासिक आ गया..
(हम दोनों ट्रैन से उतर गए..स्टेशन के बाहर उसका ड्राइवर वेट कर रहा था..वो गाड़ी में बैठ गयी..)
सैंडी चलो मैं तुम्हे ड्राप करती हु..(शाम के ७ बजे थे..) पिछली सीट पर मैं सलोनी के एकदम करीब था..उसके बदन की खुसबू मैं महसूस कर रहा था..)
कल संडे है..मेरे घर आ जाओ..मुझे तुमसे काम है.. (मैंने भी हा में जवाब दिया..)
ड्राइवर..रुको इधर मुझे मम्मी के लिए फल लेने है..(ड्राइवर ने गाड़ी साइड में ली...सलोनी ने कुछ apples और केले लिए...पैसे निकालके के लिए अपना पर्स खोला उसमे से कुछ गिर गया..तब तक सलोनिने फल लिए और ड्राइवर को चलने के लिए कहा..गाड़ी चलने लगी..)
सैंडी बैग से कुछ गिरा है..प्लीज ढूंढो..(अँधेरे की वजह से ठीक से दिख नहीं रहा था..मैंने मोबाइल की टोर्च ऑन की और ढूंढ़ने लगा..वो चीज मिल गयी..वो था एक sex toy जिसे इंग्लिश में dildo भी बोलते है.. मैंने सलोनी की और देखा..उसने कुछ न बोलने का इशारा किया..और तुरंत वो चीज मेरे हाथ से छीनकर बैग में डाल दी..मैं बस सलोनी की ओर देख रहा था..सलोनी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा..और एकदम धीरे से बोली..) चुप बैठो ..कुछ बोलो मत..वो मम्मी के लिए लाया है यूरोप से..घर आओ कल..सब बताउंगी..
(कुछ देर बाद मैंने एक जगह गाड़ी रोकने के लिए कहा..और उतर गया..सलोनी हाथ से bye कर रही थी..चेहरे पर थोड़ी शर्म सी थी उसके..और गाड़ी निकल गयी..मैं मन ही मन मुस्कुराया और चलने लगा..मेरी सायकल मैं गोडाउन के पार्किंग में राखी थी..जो नजदीक था..मैंने साइकिल लिया और घर चला गया..थकान के वजह से बिना खाना खाये सो गया..कब नींद लगी पता नहीं चला..सुबह उठके तैयार होके..सायकल ली..एक और प्लास्टिक का बैग लेकर..संगीता आंटी की तरफ बढ़ गया..आंटी को मिलने के लिए बहोत बेताब था..रस्ते मैं मुझे सैंडी करके आंटी की आवाज आयी..आंटी कही से अपने घर की ओर जा रही थी..सायकल से उतर के आंटी के साथ चलने लगा..वैसे आंटी का घर नजदीक ही था..)
मैं: संगीताजी..कहा से आ रही हो आप..?
संगीता: कुछ सामान और सब्जी खरीदने गयी थी..कैसे रहा मुंबई में..
मैं: इसबार मुंबई में मजा आया..आप को विस्तार से बताता हु..आप के लिए खुशखबरी है..
(हम संगीता के घर में पहोच चुके)
संगीता: बताओ क्या खुशखबरी है..
(मैंने अपने पॉकेट से अंगूठी निकली..और आंटी के हाथ में दी..)
ये अंगूठी देखि है कही पर..
मैं: शायद ये आपके शेठ ने बख्शीश में दी है..
संगीता: हा बराबर..ये वही है..पर तुम्हारे पास कैसी..?
मैं: संगीताजी मैं मुंबई में अल्काजी से मिला..उन्होंने ये आपको देने के लिए कहा..
संगीता:क्या? सच में तुम उसे मिले..!!कैसी है वो..
मैं: वो अच्छी है..पर आज भी वो वहा पर वेश्या का काम करती है..वो जहा रहती है वो अच्छा एरिया नहीं है..बहोत miss करती है आप दोनों को..
संगीता: बेचारी ने बहोत सहा है और अभी भी सेह रही है..
मैं: संगीताजी..मैंने आपके लिए कुछ लाया है..(मैंने दिवाली के पकवान ..मिठाई उनके हाथ में दी..)
मैंने और भी कुछ लाया हु..
संगीता: क्या..
मैं: संगीताजी मैं आपके लिए underwear लेने गया था..मुझे उधर आपके साइज के बारे में समझ नहीं आ रहा था..और मुझे वो खरीदने में भी शर्म सा लग रहा था..मैंने मेरा शॉप है बोल के अलग अलग साइज की 8-10 लेके आया हु..प्लीज देख लेना..और एक ब्लाउज पीस भी है..
संगीता: (जोर जोर से है रही थी) सैंडी तुमने जो पैसे दिए थे मैंने उसे दो सस्तेवाली खरीदी थी..लेकिन एक बात है..ऐसे गिफ्ट के बारे में किसीने सोचा नहीं होगा..(वो जोर जोर से हसते हुए बोल रही थी..उतना मैं शर्म से पानी पानी हो रहा था..)ठीक है..दिखाओ तो क्या लाया है..मेरे दोस्त ने..(वो एक एक निकल रही थी..और मेरी ओर देख के हंस रही थी..) इस में कुछ छोटी है..जो मेरे किसी काम की नहीं..(उसकी हसी अभी भी नहीं रुक रही थी..मैं उठके जाने लगा..उसने मेरा हाथ पकड़ा और बिठा दिया..)कोई बात नहीं हीरो.. जो छोटी है वो कान्ता के काम आएगी..(मैं शर्म से निचे देख रहा था..वो हाथो से मेरा चेहरा ऊपर करके बोली ) मेरे लिए ब्रा और चड्डिया लाने के लिए मैं बहोत आभारी हु मेरे भोले दोस्त..(उसने दरवाजा बंद किया..और अपना ब्लाउज उतारा..एक काली ब्रा उठाकर पेहेन ली..)
कैसी लग रही है सैंडी..?
मैं: अच्छी है.. (दिवार पे टंगा आइना हाथ में लेके आंटी देख रही थी..आंटी ने साड़ी उतारना चालू किया..अंदर नीले कलर का नायलॉन का चड्डी था..शायद पहले दी हुए पैसो से आंटी ने ख़रीदा था..आंटी ने वो चड्डी उतार दी..आज कुछ अलग था..)
मैं: संगीताजी आप के निचे अभी बाल नहीं है..
संगीता: हा..कल कान्ता आयी थी..मैंने उसके मदद से चुत के बाल हटा दिए..चुभते थे..
(आंटी की चुत आज बहोत मस्त लग रही थी..एकदम क्लीन shaved ..आंटी एक कॉटन की चड्डी उठाई और पहनी..) मुझे पसंद आयी सैंडी..(वो चड्डी आंटी के लिए एकदम परफेरक्ट थी..आंटी के गांड को वो मस्त फिट हो रही थी..) अब वो पिंक कलर की देना..(आंटी ने पिंक कलर की उठके पहनी..) बोल सैंडी कैसी है..?(वो बहोत छोटी थी...उससे बस आंटी की चुत का खाचा ढक रहा था..पीछे से नाम के एक पतला सा धागा था..जो आंटी की गांड से होकर चुत तक था..उसकी पूरी गांड नंगी थी..)
मैं: संगीताजी ये मत पहनिए..
संगीता: मुझे आदत है इसकी..हमारा शेठ हमारे लिए ऐसे कपडे लाता था..
मैं तुम्हारे लिए कभीकभार पहन लुंगी घर में..बाहर नहीं पेहेन सकती ..नहीं तो साड़ी बार बार गांड में अटकेगी..(उसने सब उतारके अपना नायलोन कि चड्डी..एक पुराना ब्लाउज और छोटा फटा हुआ साड़ी का टुकड़ा पेहेन लिए..वो साडी में उसकी जाँघे खुली थी..और मेरे पास बैठ गयी. आंटी एक निप्पल फटे ब्लाउज के होल से बाहर आ गया..
मैं: संगीताजी आपका निप्पल ब्लाउज से बहार निकला है..(उसने निप्पल अंदर डालके ब्लाउज एडजस्ट किया)
संगीता: लगता है..मेरा निप्पल सैंडी को देखना चाहता है..(वो मज़ाक में बोली.. .मैंने अपना नया मोबाइल दिखाया...)
संगीता: वा..अच्छा है..
मैं: घरवालों ने गिफ्ट किया..आप वो अंगूठी का क्या करोगी..?
संगीता: देखती हु..उसके कितने पैसे मिलते है..एक शिलाई मशीन लेने की इच्छा है..
मैं: वो सोने की अंगूठी मालुम होती है..लगता है आपकी इच्छा पूरी होगी..
(इतने में कान्ता दरवाजे से आ गयी..उसने सलवार कमीज पहना था..)
संगीता: कान्ता ..पता है..सैंडी अलका से मिला था..मुंबई में
कान्ता: सच में..
मैं: हा कांताजी..वो आप दोनों को पूछ रही थी..
संगीता: और वो अंगूठी भी अलका के पास रह गयी थी..वो भी लेकर आया है..
कान्ता: अरे वा..संगीता तुम्हारी तो लाटरी लग गयी..
संगीता: और हा सैंडी मेरे लिए भी कुछ लाया है..(मैं अपनी जगह से उठकर आंटी के मुँह पर हाथ रखने लगा..(आंटी जोर से हंस रही थी..)
मैं: संगीताजी..प्लीज..
(कान्ता खुद उठके प्लास्टिक बैग टटोलने लगी..उस को भी जोर से हसी आयी..मैं उठके जाने लगा..कान्ता ने दौड़ के मुझे पकड़के बिठा दिया.. )
कान्ता: क्या संगीता..दुनिया तुम्हारी इज़्ज़त उतारती थी..आज सैंडी ने तुम्हारी इज़्ज़त ढकने का काम किया है..उसका मज़ाक मत उड़ाओ..
संगीता: मुझे माफ़ कर दो सैंडी..कान्ता उसमेसे सैंडी ने गलती से कुछ कम साइज की लायी है..तुम्हे आ जाएगी..
कान्ता: मैं क्यों लू..सैंडी ने तुम्हारे लिए लायी है. तुम ही रख लो..
मैं: संगीताजी उन्हें फेक दो..(मुझे थोड़ा गुस्सा आ रहा था..कान्ता ने देखा और बोली..)
कान्ता: देखो संगीता..सब ब्रा और चड्डिया सैंडी तुम्हारे लिए लाया है..पर..अगर सैंडी मुझे पहनाने के लिए तैयार है..तो मैं मेरे साइज की सब ले लुंगी..
संगीता: पहले मैं तुम दोनों की दोस्ती करवाती हु..दोनों दोस्ती का हाथ बढ़ाओ और गले लग जाओ..
(कान्ता ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया..मैंने भी हाथ मिलाया ..और उसने मुझे जबरदस्ती लिपट लिया..संगीता आंटी ने दरवाजा बंद किया..कान्ता उतार दे तेरे कपडे..)
कान्ता: मैं क्यों उतारू..सैंडी उतरेगा..
संगीता: सैंडी कर दे तुहि उसको नंगा..अडेल है वो..छोड़ेगी नहीं..
(कान्ता ने मुझे जबरदस्ती उठा दिया..मैंने उसकी कमीज उतार दी..अंदर कुछ नहीं पहना था..कान्ता संगीता आंटी से यंग थी..उसके स्तन संगीता आंटी से छोटे थे..पर निप्पल मस्त लग रहे थे..)
कान्ता: देख क्या रहा है सैंडी..सलवार उतार दे..(मैंने सलवार का नाडा खींचा..और सलवार निकल दी..कान्ता ने अंदर पुराणी फूलो की डिज़ाइन की चड्डी पहनी थी..मैंने उसे भी..निचे कर दिया..मेरी नज़र कान्ता की चुत पे अटक गयी..वो बेहद खूबसूरत थी..एकदम टकली चुत थी उसकी..बालो का नामोनिशान नहीं..) संगीता लगता है..सैंडी मेरी चुत को हेलो कर रहा है..( मैं चौक गया ..और उसकी चड्डी निकाल दी और एक अच्छी सी छोटी रेड कलर की ब्रा उसके छाती पे पहनाने लगा..मुझसे ब्रा के हुक लग नहीं रहे थे..संगीताजी ने मदद की..फिर उसके साथ वाली रेड कलर की पैंटी कान्ता को पहनाई..रेड कलर की अंडरवियर कान्ता को जच रही थी..वो अपने आप को आइना हाथ में लेकर घूम घूम के देख रही थी..कान्ता की गांड संगीता आंटी से कम मोटी थी..पर उसकी फिगर एकदम परफेक्ट थी..)
कान्ता: संगीता..दाने दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम...सैंडी अच्छी लगी मुझे..संगीता को पहनाया की नहीं..
मैं: उनका पहलेही हो गया..(दोनों हंस पड़ी..)
(कान्ता अंडरवियर में मेरे पास आके चिपक के बैठ गयी..)
संगीता: आनेवाले बुधवार को कान्ता को जन्मदिवस है..हम मेरे यहाँ मनाएंगे..मैं कल ही अंगूठी बेच दूंगी..तुम्हे आना पड़ेगा..
मैं: कौन कौन आएगा..?
कान्ता: पगले पुरे गांव को बुलाएगा..? दोनो को चुदवाने..!!!! हम तीन रहेंगे.. तुम्हे आना पड़ेगा..
मैं: ठीक है..केक मैं लाता हु..
कान्ता: केक ही नहीं..मेरे लिए गिफ्ट भी लाएगा..और मुझे मेकअप सेट चाहिए तुमसे..
संगीता: (हंस के) कैसी बेशरम है..गिफ्ट भी मांग के ले रही है..
मैं: ले आऊंगा..संगीताजी मैं चलता हु..लंच कर के कही और भी जाना है..मेरे मेस का टाइम हो गया..
संगीता: इधर खा लेते हमारे साथ.. मैं अभी बनाती हु...नहीं आप खालो मुझे थोड़ा जल्दी है..
(मैं उठके जाने लगा..कान्ता अभी भी अंडरवियर में मेरे पास आके लिपट गयी..)
कान्ता: बुधवार को याद से आना...नहीं तो तुमने लायी हुयी सब ब्रा चड्डिया वापिस कर दूंगी..
(मैं हा बोलके मुस्कुराके वहा से निकल गया.....)
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samhans Offline
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16-12-2017, 06:25 AM
मदद...

संगीता आंटी से मैं फटाफट मेस में गया..बहोत भूक लगी थी..कल शाम से कुछ खाया नहीं था..खाने खाके अपने घर गया..और मुंबई लायी हुयी चीजे निकालने लगा..मुझे उसमे सलोनी का विजिटिंग कार्ड मिला..अरे ..मैं तो इसको भूल गया था. कार्ड पर लिखा हुआ नंबर मोबाइल में save किया और डायल किया..सामने से शायद सलोनी की आवाज थी..
सलोनी: (फ़ोन में) hello ..who is there ? ..
मैं: सलोनीजी..मैं सैंडी..कैसी हो आप..
सलोनी: ओह..सैंडी..तुम आए नहीं मैंने बुलाया है था न तुम्हे..
मैं: सलोनिजि मैं सुबह बिजी था..चाहे तो अभी आकर मिलता हु..
सलोनी: ठीक है आ जाओ..कार्ड पर एड्रेस है..या फिर गाड़ी भेजू तुम्हारे लिए..
मैं: जी ज़रूरत नहीं..मैं अपनी साइकिल पर आ जाऊंगा..एक आधे मिनट के अंदर..
सलोनी : ठीक है..bye ..
(मैंने अपनी साइकिल ली ..और चल पड़ा एड्रेस ढूंढ़ने ..एड्रेस मिलने में कोई मुश्किल नहीं थी..उस इलाके में गिनेचुने बंगले थे..कुछ २० मिनट्स में बंगले के पास पहोच गया.. सिक्योरिटी को मैंने बताया..पर वो छोड़ने के लिए तैयार नहीं था..उतने में सलोनी वहा पर आ गयी..)
सलोनी: वॉचमन इसे कभी भी रोकना नहीं..चलो सैंडी..(सलोनी चमकीले nighty में थी..वो मुझे बंगले के अंदर लेकर गयी..बाहर से बंगला इतना खास नहीं लगता था..पर अंदर बहुत सुन्दर था..उधर स्वीमिंग टैंक भी था..बड़ा गार्डन भी था..बाहर से कुछ भी पता नहीं चल रहा था..चौकीदार को भी अंदर का नहीं दीखता था..मुझे वो एक हॉल में ले गयी..वहा पर साडी पहने हुए एक बेहद खूबसूरत औरत सोफे पर बैठी थी..उसके हाथ में शराब का ग्लास था..टेबल पर भी बोतल थी..) मम्मी ये मेरा दोस्त सैंडी है..ट्रैन में पहचान हुयी..और सैंडी ये मेरी मम्मी नाम अपर्णादेवी है..
अपर्णा: बैठो सैंडी सोफे पर..सलोनी इसके लिए कुछ खाने का इंतजाम करो..
मैं: नहीं नहीं..मैं अभी लंच करके आया हु..बाद में मैं चाय पि लूंगा..(सलोनी अंदर गयी..) अपर्णाजी अभी आप कैसी है..सलोनी ने बोलै..आप बीमार हो..
अपर्णा: नहीं बच्चे ..मेरी बीमारी न मैं किसी को बता सकती हु..न सेह सकती हु..
(सलोनी मेरे लिए पानी का ग्लास लेकर आयी..मैंने थोड़ा पानी पिया और ग्लास टेबल पर रख दिया..सलोनी ने मुझे दूसरे कमरे में आने का इशारा किया..)
सलोनी: तो सैंडी ..मेरा घर कैसा लगा..
मैं: सलोनीजी आप बहोत अमीर हो..मैं ऐसा आलीशान घर पहली देख रहा हु..
सलोनी: but डिअर सैंडी..आमिर होना ही सबकुछ नहीं होता..उसकी आँख गीली हुयी थी..
मैं: सलोनिजि आप क्यों रो रही हो..?
सलोनी: कल वो सेक्स toy गाड़ी में तुमने देखा था..तुम्हारे मन में मेरे लिए गंदे ख्याल आये रहेंगे मेरे बारे में ..है ना..और आने भी चाहिए..सैंडी मेरी मम्मी दिन रात नशे में रहती है..उसको ना कभी नींद आती है ना कभी वो खुल के बाते करती है..कई डॉक्टर्स को दिखाया..वो सोने का इंजेक्शंस देते..और ये २-३ दिन बेहोशी जैसे पड़ी रहती..मैंने उसको लन्दन के मनोउपचार डॉक्टर को दिखाया..उसने भी कहा..ये मन ही मन में कुछ सोचती रहती है..
मैं: पर ऐसा कब से है...
सलोनी: पप्पा ने एक सुन्दर स्त्री के साथ शादी की थी..उह्नोने दुनिया को दिखने के लिए एक शोकेस पीस घर लाया था..मम्मा को बाद में पता चला मेरे पप्पा को किसी औरत में कोई इंट्रेस्ट नहीं था..वो गे थे..पर बाहर हर किसी को उनके बारे में पता नहीं था..उन्होंने एक बार भी मम्मी को शरीरसूख़ दिया नहीं..मम्मी ने औलाद के लिए मुझे कही से गोद लिया है..पप्पा गुजरने पर उसने अपनी मन की बातें मेरे पास जाहिर की..अपनी दिल का छुपा दर्द मुझे सुनाया..मम्मी को ज़िन्दगी में कभी सेक्स मिला नहीं..वो अब तक सेक्स के लिए तरस रही है..खानदान और समाज की इज़्ज़त की खातिर अब तक वो अपनी तीव्र इच्छा मन में दबाके बैठी है..इसी कारण मैं सेक्स toys लाती हु उसके लिए..अब तक मैं खुद उसके साथ बिस्तर में लेस्बियन सेक्स करती आयी हु..कितनी बार उसको ब्लू फिल्म्स तक दिखाई..पर असर दिन ब दिन उल्टा होता गया..बाहर किसी पर भरोसा नहीं कर सकती..सबकी नज़रे हमारी प्रॉपर्टी दिखती है..और इज़्ज़त का भी सवाल है..सोसाइटी में हमारा अच्छा स्टेटस है..सैंडी मेरी बिनती है..क्या.....तुम ...मेरी ...मम्मी के साथ....
मैं: सलोनीजी..ये आप क्या बोल रही हो..सौतेली है..पर मम्मी है आपकी..
सलोनी: इसलिए तो उसका दर्द देखा नहीं जाता..कभी कभी उसका दिमाग पागल हो जाता है..
मैं: तो डॉक्टर को दिखाओ उनको..
सलोनी: सब करके हो गया ..गोलिया इंजेक्शन से मरे जैसे पड़ी रहती है..
मैं: सलोनीजी..मैं जा रहा हु..(मैं उठकर जाने लगा..सलोनी घुटनो पर बैठ कर रो रही थी..मैं वापस आके सलोनी को उठाया..) सलोनीजी ..मैंने कभी सेक्स नहीं किया है..
सलोनी: मैं मदद करुँगी..पर प्लीज ..वरना वो खुदखुशी कर देगी..तुम्हे देखकर मुझे पहली बार उम्मीद नज़र आ रही है...मैं अपनी मम्मी को खुश देखना चाहती हु..बहोत डिप्रेशन में है वो..
(मैं वहा से उठकर भाग गया..सब बातें सुनकर सर चकरा गया था..dinner कैसे तो कर लिया..बिस्तर पर लेटा था..पता नहीं...पर मैंने सलोनी का नंबर डायल किया..उसका रोता चेहरा याद आ रहा था..)
मैं: सलोनीजी..मैं कल आकर आपको मिलता हु..पर (उसने मेरी बात काट दी..रोते हुए बोल रही थी..)
सलोनी: सैंडी दोपहर से मम्मी कुछ भी बात नहीं कर रही..चुपचाप बैठी है..प्लीज अभी आ जाओ..
मैं: पर अभी रात के ११ बजे है..
सलोनी: कोई बात नहीं..मैं गाड़ी भेजती हु जहा मैंने तुम्हे उतारा था वहा पहोच जाओ...तुम बस आ जाओ..ऐसा बोल के उसने फ़ोन काट दिया..
(मैं वो जगह जाके खड़ा हो गया..बहोत डर लग रहा था..पता नहीं क्या होगा...कुछ पल में एक कार खड़ी हो गयी..सलोनी खुद कार लेकर आयी थी..बहोत जल्द हम बंगले के अंदर पहोच गए..अपर्णा आंटी सचमुच सोफे पर निस्तेज बैठी थी..)
सलोनी: मम्मी देखो सैंडी आया है तुमसे मिलने के लिए..प्लीज बात करो..
(उसने मेरी तरफ देखा और और बिना एक्सप्रेशन दिए..निचे देखने लगी..वो अपनी मम्मी को बैडरूम लेकर गयी..मैं पीछे पीछे गया..बैडरूम का दरवाजा बंद करके ..उसने अपने मम्मी को वह बिठा दिया..)
सैंडी प्लीज..!!
मैं: पर मैंने आज तक कभी किया नहीं..मुझे डर लग रहा है...
सलोनी: डरो नहीं मैं हु..मैं मदद करुँगी तुम्हे..भरोसा करो मुझ पर..और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा..
तुम प्लीज अपने कपडे उतार दो..
मैं: क्या..?
सलोनी: हां..निकालो अपने कपडे..
(मैंने अपनी टीशर्ट और बनियान उतार दी..और पैंट भी उतार दी..अब मैं सिर्फ अंडरवियर में खड़ा था..)
सैंडी उसे भी उतार दो..
(मैंने वो भी उतार दी..अब मैं बिलकुल नंगा था..अपना लंड दोनों हाथो से छुपा रहा था..सलोनी अपर्णा आंटी के पास गयी..)
सलोनी: मम्मी देखो ..सैंडी तुम्हारे लिए सामने बिलकुल नंगा खड़ा है..
(अपर्णा आंटी ने मेरी तरफ देखा..और देखतेही रह गयी..एक अजीब सी स्माइल उसके चेहरे पर थी..)
सैंडी तुम अपना हाथ हटाओगे प्लीज..
मैं: सलोनिजि मुझे शर्म आ रही है..
(सलोनी मेरे पास आकर..मेरे पीछे खड़ी हुयी..हलके से अपने दोनों हाथ मेरे बगल से डालते हुए..मेरे हाथो को पकड़ा..और पकड़के मेरे हाथ मेरे लंड से हटा दिए...अपर्णा आंटी मेरे लंड की तरफ देख रही थी..)
सलोनी: मम्मी देखो सैंडी के शरीर को..
(अपर्णा आंटी निचे घुटने पर बैठ गयी..और अपने हाथो और घुटने के बल मेरी तरफ चलने लगी..वो नजदीक आ रही थी...और मैं पीछे हट रहा था..पीछे से सलोनिने मुझे रुका दिया..अपर्णा आंटी मेरे लंड के बेहद करीब आ गयी..और घूर के देखने लगी..)
सलोनी: सैंडी डरो नहीं..उसने आदमी का लिंग कभी नहीं देखा..
उसने अपने दोनों हाथ बढ़ा दिए..और मेरे लंड और गोटियों को सवारने लगी..मुझे बेहद गुदगुदी हो रही थी..फिर अपर्णा आंटी ने अपना मुँह आगे करते हुए मेरे लंड को अपने मुँह में दाल दिया..वो उसको मजे लेके चूसने लगी..और मेरी गोटियों और गांड पर अपने हाथ घूमने लगी..मैं बेहद अजीब फील कर रहा था..मेरा लंड लम्बा और मोटा हो रहा था..वैसे वो और उसको मजे लेकर चूसने लगी...)
घबराओ मत सैंडी..मेरी मम्मी ने आज ज़िन्दगी में पहली बार किसी की लंड को छुहा है..उसको जो करना है..करने दो..प्लीज उसका साथ दो..(मैं आहे भर रहा था...सलोनी ने अब अपर्णा आंटी के मुँह से मेरा लंड बहार निकालके उसे खड़ा किया..और उसकी साडी खींच ली..आंटी अभी ब्लाउज और पेटीकोट में थी..वो तुरंत मुझे लिपट गयी..अपनी छाती मेरे छाती से रगड़ने लगी...मैंने आंटी को दूर करने की कोशिश की..अब वो लिपट के उलटी खड़ी होकर पेटीकोट के साथ अपनी गांड मेरे लंड से रगड़ रही थी..सलोनी आगे आके अपनी मम्मी के ब्लाउज के बटन खोलने लगी..बड़े मुश्किल से उसने अपर्णा आंटी का ब्लाउज निकाल कर साइड किया..आंटी ने अंदर बढ़िया सा ब्रा पहना था..उसकी साइज काफी बड़ी थी..उसके पर्पल ट्रांसपैरंट ब्रा से निप्पल दिख रहे थे..सलोनी ने मेरे दोनों हाथ आंटी के दोनों स्तनों पर रख दिए..)
सैंडी..दबाओ जोर से..(मैंने आंटी के स्तन दबाना चालू किया..आंटी के स्तन काफी बड़े थे..मेरे हाथो में समां नहीं रहे थे..आंटी बेताब होके अपने गाल मेरे होठो और गालो पर रगड़ रही थी..उसके चेहरे से कॉस्मेटिक की खुशबु महक रही थी..सलोनी ने आंटी के पेटीकोट का नाडा खींच लिया..आंटी का पेटीकोट धीरे धीरे निचे खिसका..अंदर पर्पल कलर की ट्रांसपैरंट पैंटी पहनी थी आंटी..)
सैंडी साथ दो मम्मी का..उसको चूमो ..रगड़ो..उसके शरीर को दबाके आनंद लो..मैं उसको पलटा देती हु..तुम मम्मी के होठो को चूमना चालू करना..उसने आंटी को मेरी तरफ पलटा दिया..मैं आंटी के होठो के पास अपने होठ लेके टच करके पप्पी ली..) सैंडी ऐसे नहीं..ठीक बेताब होकर उसके होठ चुमलो..
मैं: सलोनिजि मुझे नहीं पता..
सलोनी: रुको मैं दिखाती हु..वो पास आयी..और अपने मम्मी के होठ पूरी तरह अपने होठो के अंदर लेकर चूमने लगी..उसके होठ वो बार बार मुँह में पुरे डाल के चूसती थी..उसने मेरी तरफ देखा..इस तरह करना..
(मैंने अपने होठ आंटी के होठो पर टिका दिए..और आंटी के होठो को अपने होठो से अंदर तक चूस रहा था..आंटी भी साथ दे रही थी..मेरे जुबान को आंटी की जुबान का स्पर्श महसूस हो रहा था..सलोनिने अपर्णा आंटी के ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा हटा दी..मैं आंटी के गोरे गोरे बड़े स्तन देख के हैरान हो गया..बहोत जबरदस्त थे वो..मैंने कब उन् स्तनों को दबाना चालू किया मुझे पताही नहीं चला..आंटी ने एक निप्पल मेरे होठो के पास लाया ..मैंने तुरंत उसे अपने मुँह ने भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा...)
सैंडी तुम बराबर कर रहे..पुरे एक्साइटमेन्ट से करना..(सलोनी ने आंटी की पैंटी निचे की और पैरो से हटा दी..मैं बस आंटी को चूमे जा रहा था..आंटी के निप्पल्स छोड़के ..मैं आंटी की पीठ की तरफ आके गोरी चिकनी पीठ चूमने लगा..निचे कमर तक आया..आंटी की गांड पर अपने होठ और गाल रगड़ने लगा..बहोत मजा आ रहा था..अपने दोनों हाथो से आंटी के कूल्हे अपने उंगलियों से दबा रहा था..उसकी टांगो के बिच में हाथ डालकर चुत को छुआ..मैं अपना कण्ट्रोल खो रहा था..चूमते चूमते खड़ा हो गया..
मैं: सलोनिजि मुझे बाथरूम जाना है..
सलोनी: ठीक है सैंडी बाथरूम हो के आओ ..पर अपना कण्ट्रोल मत खोना..तब तक मैं मम्मी को संभालती हु..
(सलोनी आके घुटने पर बैठ गयी..और अपने मम्मी की चुत चाटने लगी..उसने मुझे आवाज दी..)
सैंडी जल्दी जाकर आओ..(मैं जल्दी से बाथरूम की और गया..मेरा लंड इतना बड़ा हुआ था की..मेरे चलने से भी लहरा रहा था..बाथरूम में अपना पानी निकाला..और अपने लंड पर ठंडा पानी डाल के धो दिया..बाहर एक नैपकिन से उसको क्लीन किया..और बैडरूम पहोच गया..बैडरूम में अपर्णा आंटी बेड पर नंगी लेटी थी..और सलोनी उसकी चुत चूस रही थी..माँ बेटी का एक अजीब रिश्ता देख रहा था..)
सैंडी जल्दी आओ ..(वो वह से उठ गयी..) जल्दी से मम्मी की चुत चूसना चालू करो..जब तक की उसमे से पानी बहना चालू हो जाये ..(मैंने आंटी की चुत के होठ अपने होठो से मसलना शुरू किया..मुझे बहोत मजा आ रहा था..उसके चुत के खाचे में अपनी जुबान दाल कर चाटने लगा..अजीब सी खारी टेस्ट मेरी जुबान को महसूस हो रही थी. ) सैंडी चुत में अपनी ऊँगली घुसा दो..(मैंने अपनी ऊँगली अंदर दाल दी..वो एकदम अंदर तक गई..ऊँगली से चुत को हिलाना चालू किया..आंटी एकदम एक्ससिटेमेंट में थी..चुत का पानी मैंने उंगलीसे महसूस किया..सलोनी पास आयी..अपर्णा आंटी की दोनों टांगे हवा में उठा दी..) सैंडी अब अपना लंड उसमे डाल दो..
मैं: नहीं..मैं नहीं करूँगा..
(सलोनी मेरे पास आकर एक हाथ से मेरा लंड पकड़के आंटी के चुत में डाल दिया ..मेरा लंड अंदर कही अटक रहा था..बाद में धीरे धीरे अंदर पूरा घुसा दिया..आंटी का गरम पानी मेरे लंड को उकसा रहा था..लंड की आगे की चमड़ी अंदर कही टकराके अच्छा फील करा रही थी..अब वो बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था...)
सलोनी: सही कर रहे हो सैंडी..
(उतने में मेरा पानी आंटी के चुत में निकल गया..मैंने अपने हथियार डाल दिये..और आंटी के शरीर पर वैसे ही लेट गया...मेरा सर आंटी के खुले छाती पर था..आंटी अपने हाथो से मेरे बालो को सहलाने लगी..मैं आंटी के शरीर से उठके पलंग पर अपनी पीठ दिवार को टिकाके बैठ गया..सलोनी गालो में हंस रही थी..अपर्णा आंटी मेरे पास आयी..मेरे जांघो पर अपना सर रखके मेरी लंड की और देख रही थी..वो काफी छोटा और चिपचिपा हुआ था..वो अपना मुँह में मेरा लंड भरकर चूसने लगी..सलोनी अपनी मम्मी के सर पर हाथ फेर रही थी..मेरा लंड मुँह में रख के आंटी वैसेही सो गयी..मैंने धीरे से आंटी का सर साइड की तकिया पर रख दिया..सलोनी मेरे बाजु आकर बैठ गयी..)
थैंक यू सैंडी..आज मम्मी बहोत दिन बाद सोई है..
मैं: सलोनिजि मुझे डर लग रहा है..पता नहीं मैंने सही किया है या गलत..(सलोनी ने मेरा सर अपनी छाती से लगाया..मैंने भी हाथो से उसके कमर को लिपट गया..)
सलोनी: डरो नहीं सैंडी..तुमने कुछ बुरा नहीं किया..तुमने किसी की मदद की है..
मैं: सलोनिजि आप तो unmarried लगती है..फिर आपको सेक्स के बारे में सबकुछ कैसे पता है..
सलोनी: मैंने सेक्स कही बार किया है..मेरे अब तक ३ बॉयफ्रेंड रह चुके है..तीनो फोरेनर थे..पर पर्मनंट रिलेशन किसी से ना हुआ..(मुझे सुनके थोड़ा अजीब लग रहा था..सलोनी मुझे छोड़कर बैडरूम के बाहर गई..मैंने भी कपडे पेहेन लिए..आंटी गहरी नींद में थी..उसका गोरा नंगा शरीर देख रहा था..सच में कमाल की खूबसूरत थी वो..शायद यंग age में जरूर क़यामत लगती होगी.. सलोनी मेरे पास आयी..और नोटों की गड्डी निकालके मेरे हाथ में दी..)
सलोनी: ये पैसे रख लो ..मेरी मदद करने के लिए..
मैं: सलोनिजि पैसे मैं नहीं ले सकता..आपको मेरी जरुरत थी ..इसलिए मैं आया..(पैसे बेड पर रख मैं वहा से जाने लगा..सलोनी पीछे से दौड़ के आयी और मुझे लिपट गयी..)
थैंक यू वेरी मच सैंडी..मेरी मम्मी को मैं और किसी दूसरे अनजान के साथ नहीं सौप सकती थी..थैंक यू..(वो रो रही थी..मैं वहा से चलता बना..)
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samhans Offline
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#10
16-12-2017, 06:26 AM
मजाक..

बहोत लेट हो गया..मैं लौट के जाने लगा..बंगले के गेट के पास से गुजर रहा था..पीछे से सलोनी गाड़ी लेकर आ गयी.
सलोनी : बैठ जाओ कार में ..मैं तुम्हे छोड़ देती हु..
(मैं गाड़ी में सलोनी की बगल वाली सीट पर बैठ गया..सलोनी nighty में ड्राइविंग कर रही थी..सबकुछ एकदम खामोश था..न सलोनी कुछ बोल रही थी..ना मैं कुछ बोल रहा था..मैंने अपने घर की तरफ गाड़ी को रुकवा दिया..और जाने लगा..)
सलोनी : कल ऑफिस छूटने के बाद घर आ जाना..मैं इंतज़ार करुँगी..bye ..(गाड़ी टर्न लेकर निकल गयी..) मुझे कब नींद लग गयी पता नहीं..सुबह उठने में भी देर हुयी..आज ऑफिस के काम में मेरा मन नहीं लग रहा था..मेरे लंड को अजीब सा दर्द हो रहा था..ऑफिस छूटने के बाद मैं सीधा अपने घर गया..बेड पर पड़े पड़े कल की रात के बारेमे सोचने लगा..मेस जाकर खाना खाया.. घर आते वक़्त रस्ते में मुझे सलोनी का कॉल आया..मैंने कॉल नहीं उठाया..अपने बेड पर लेट कर मैं बस सोचे जा रहा था..मुझसे रहा नहीं गया..मैंने cycle ली और सलोनी के बंगले के तरफ जाने लगा..बहोत जल्द मैं बंगले तक पहोच गया..अंदर हॉल तक मैं गया..अंदर अपर्णा आंटी सोफे पर बैठी थी..आज वो एकदम फ्रेश लग रही..थी..सलोनी उसको फल काट कर दे रही थी..सलोनी ने पिंक कलर की nighty पहनी थी.. सलोनी ने मेरी तरफ देखा..
सलोनी: आओ सैंडी..बैठो फल खालो..
मैं: आंटी की तबियत कैसी है..
सलोनी: मुस्कुराकर..तुम्हारी आंटी को ही पुछलो..देखो उसका चेहरा..आज एकदम खिल उठा है..कल सोई जो है..
मैं: सलोनिजि..इतना बड़ा आपका घर है..पर नौकर चाकर नहीं दीखते..
सलोनी: वो सुबह एक वक़्त आते है..और काम करके जाते है..मैं भी..मम्मी की तबियत के वजह से किसी को दिनभर यहाँ नहीं रुकवाती..
मैं: आंटीजी बात करती है की नहीं..
सलोनी: करती है..पर बहोत कम..मम्मी बताओ सैंडी को..बात करो उसके साथ..
अपर्णा: थैंक यू..सैंडी..कल मुझ से शायद गलती हुयी है..प्लीज मुझे माफ़ करदो..
पर क्या करू..आज तक मैं अपना दर्द सेह रही थी..मैंने बस इज़्ज़त का ख्याल किया..पर इतने सालो में अपने आप को खो दिया..मैंने कई बार खुदखुशी करने की कोशिश की..मैंने अब तक न कोई दोस्त बना पाई..जिस को अपनी मन दास्ताँ बताऊ...सलोनी..बस तूने मेरा दर्द समझा..थैंक यू बेटा..(सलोनी ने पास आकर आंटी के गालो पर चूमा..) मेरे मन और शरीर में सेक्स की वासना कूट कूट के भरी है..मैं उसका इस्तेमाल कभी नहीं कर पायी.. सैंडी..तुहि बता मैंने कल रात जो किया वो गलत था..!!!
मैं: निचे देखते हुए..आंटीजी ..मैं भी नहीं बता सकता वो सही था या गलत..पर मेरे ख्याल से अपने दिमागी इलाज के लिए..आपको जो मन में आये वो करना चाहिए..आप अपनी भावनाये प्रकट कीजिये..आप बात करते रहो..खेलो..नाचो..या जो भी मन में आये भलेही वो कैसा भी हो..अपनी मन की घुटन को बाहर निकालो..यही आपके लिए ठीक रहेगा..(आंटी रो रही थी..) आंटीजी प्लीज रोईए नहीं..
सलोनी: सैंडी उससे रोने दो..अपने पुरे आँसू निकलने दो..सैंडी..एक बात है..बुरा तो नहीं मानोगे..तुम तो मेरे दोस्त हो ..भलेही मम्मी तुमसे बड़ी है..पर तुम उसके दोस्त बनके रहोगे..?
मैं: अगर आंटीजी की मेरे वजह से ठीक हो रही है..तो आंटीजी का दोस्त बनने के लिए तैयार हु..(आंटी मेरे पास आकर लिपट गयी..वो रो रही थी..)
अपर्णा: थैंक यू ..सैंडी..
मैं: (उसको थोड़ा दूर..करके..) आंटीजी पहले आप रोना धोना बंद कीजिये.
अपर्णा: सैंडी मुझे तुम्हे लिपटने दो..
सलोनी: मम्मी ..सैंडी हमारा दोस्त है..कही भागे नहीं जा रहा..
(आंटी ने मुझे छोड़ा पर अभी भी मेरे बेहद करीब थी..उसका ब्लाउज का उभार मुझे टच कर रहा था..)
मैं: हम कुछ बातें करते है..आंटीजी...पहले आपको कुछ तो छंद रहा होगा..जरा उसके बारे में भी बताईये..
अपर्णा: मैं कॉलेज में थी..तब मुझे एक्टिंग और नाचना पसंद था..
मैं: ठीक है आंटीजी..कौनसा गाना लगाउ..आप नाच के दिखाए प्लीज..
अपर्णा: (शर्मा के) सैंडी..अभी शायद मुझे से नहीं हो पायेगा..
सलोनी: मम्मी प्लीज..मुझे भी देखना है..
अपर्णा: ठीक है..मैं क्लासिकल डांस के कुछ स्टेप्स दिखाती हु..मैंने कॉलेज में कत्थक किया था..(आंटी ने अपनी साडी घुटनो के ऊपर जांघो तक एडजस्ट कर ली और डांस करने लगी..जब वो बैठके अपनी पैर फैलाती ..उसकी पिंक चड्डी नज़र आती थी..पर आंटी एन्जॉय कर रही थी..थोड़ी देर में शर्माके अपने मुँह पर हाथ रख कर वो मेरे पास आकर बैठ गयी..हम दोनों ने तालिया बजायी..)
सलोनी : मम्मी अब एक्टिंग भी हो जाये..
अपर्णा: नहीं..मुझ से नहीं होगा..
मैं: आंटीजी करिये प्लीज ..जो भी आप करना चाहो..जो भी आपको याद आये..
अपर्णा: ठीक है..मैंने कॉलेज में एक लड़का लड़की का सीन देखा था..पर सैंडी..तुम्हे मेरा साथ देना होगा..
मैं: नहीं नहीं..मुझे एक्टिंग नहीं आती..
अपर्णा: सैंडी..तुम्हे मैं बोलू वैसा करना है बस..
सलोनी: ये अच्छा होगा..
अपर्णा: ..मैं सीन बताती हु..एक दिन मैंने कॉलेज में देखा..एक लड़का और लड़की अपने प्रेम में मशगूल है..वो एकसाथ चलते चलते एक गार्डन में बैठ जाते है..और प्रेम करना चालू कर देते है..सैंडी..हम दोनों कॉलेज का प्रेमी कपल बन जाते है.. चलो शुरू हो जाते है..
(आंटी ने मेरे कमर में अपना हाथ लिपटा) सैंडी..अपना हाथ से मेरे कमर को पकड़ो..हम कुछ कदम ऐसेही कमर में हाथ डाले चलने लगे..आंटी अपनी गांड मटक के चल रही थी.मुझे बेहद हंसी आ रही थी..) सैंडी हंसो मत..अब ये निचे गार्डन समझलो..और बैठ जाओ..(मैं निचे पैर फैलाके बैठ गया..आंटी भी चिपकके बैठ गयी..)सैंडी मुझे किस करना चालू करो..नहीं तो मैं करती हु..(आंटी ने मुझे किस करना चालू किया..वो अपने होठो को मेरे होठो से रगड़ा रही थी..)सैंडी अब मै सबको ना दिखे इसलिए अपने छाती को पल्लू से ढक रही हु..और तुम एक हाथ से मेरे स्तन को दबाना चालू करो..
मैं: क्या..
(इससे पहले मैं कुछ बोलता ..आंटी ने अपने एक स्तन पर मेरा हाथ रखा..मैंने नरम स्तन को दबाना चालू किया..आंटी किस किये जा रही थी..)
अपर्णा: सैंडी अब अपना हाथ मेरे साडी के निचे डालके मेरे टांगो के बिच में रगड़ो..(मैंने सलोनी की और देखा..उसने इशारे से बढ़ने के लिए कहा..मैंने अपना हाथ निचे से साडी से होते हुए..आंटी के टांगो के बिच टच किया..मेरे हाथो को आंटी के panty का गरम सा स्पर्श हुआ.) सैंडी खाली टच मत करो..मेरी चुत को रगड़ो..मेरी पैंटी में हाथ डालके चुत में अपनी ऊँगली भर दो..आंटी ने अपने हाथो से अपनी पैंटी का कपड़ा सरकाके मेरी ऊँगली चुत में डाल दी..और जोर जोर से किस करने लगी..चुत का गरम स्पर्श मेरी उंगलियों को हो रहा था..)
मैं: आंटीजी बस करो..मैंने अपना हाथ बाहर निकाला..(सलोनी हसते हसते तालिया बजा रही थी..)
सलोनी: मम्मी मुझे नहीं पता था..तुम चालाक भी हो..अच्छा चांस ले रही थी..
(हम उठके सोफे पर बैठ गए..)
अपर्णा: मैं बाथरूम होके आती हु..(वो वहा से बाथरूम की ओर चली गयी..)
सलोनी: हम मम्मी के साथ मज़ाक करते है..तुम एक काम करो ..कही छुप जाओ..
मैं: कहा छूपु..
सलोनी: अरे वो आ रही है..(सलोनी खड़ी हो गयी..जल्दी से मेरे पैरो में nighty के अंदर छुप जाओ..मैं जब तक ना बोलू बाहर मत आना..मुझे उसने अपने nighty में घुसा दिया..(वाह..क्या नज़ारा था..nighty के अंदर सलोनिके नंगे पैरो के बिच का shape मुझे अच्छे से दिख रहा था..उसकी ब्लैक पैंटी दिख रही थी..उसके ब्रा के उभार भी निचे बैठे नज़र आ रहे थे..)
अपर्णा: सलोनी ..सैंडी कहा है...
सलोनी: वो बुरा मानकर चला गया..
अपर्णा: क्या..वो चला गया..(वो उदास हो गयी..और सोफे पर बैठ गयी..पर वो बिना बताये कैसे गया..और वो मुँह पर हाथ रख के रोने लगी..)
सलोनी: अरेरे ..मम्मी रो मत..सैंडी कही नहीं गया..इधर मेरे nighty में छुपा है..हम मज़ाक कर रहे है..
(मैं बाहर आकर हस रहा था..सलोनीभी हस रही थी..)
मम्मी हम लोग आप का मज़ाक उड़ा रहे थे..(अपर्णा आंटी के चेहरे पर गुस्सा था..उसको अच्छा नहीं लगा था..)
सलोनी: सैंडी तुम निकलो..लगता है..मम्मी अभी गुस्से से बेकाबू होगी..ऐसा होता है तो सब चीजे गुस्से से इधर उधर फेकती है..
मैं: मुझे बहोत देर हो गयी.. मुझे जाना है..
अपर्णा: थोड़ी देर रुको सैंडी मुझे भी कुछ मज़ाक करना है..तुम्ही ने कहा था ना ..जो मन में आये बेझिझक करो..
मैं: क्या चाहती हो आंटीजी..
अपर्णा: अब मैं अलग एक्टिंग करती हु..समझलो मैं कुत्तीया हु..
सलोनी: मम्मी ये क्या बोल रही हो..
अपर्णा : हा सलोनी मैं कुत्तीया हु..देखना चाहोगी..(आंटी के चेहरे पर गुस्सा था..)
(आंटी ने अपनी पैंटी उतार दी..और घुटनो और हाथो पर निचे बैठ गयी..हमारी ओर अपनी गांड की और साडी और पेटीकोट खींच कर ऊपर पलट दीया..उसने अपनी गोरी गांड मेरी तरफ की..)
आओ सैंडी..कुत्ता समझ कर इस कुत्तिया की गांड मारो..मेरी गांड तुम्हारा wait कर रही है..
(सलोनी को समझ में नहीं आ रहा था ..क्या करे..मैंने अपनी पैंट उतार दी..अपनी अंडरवियर को निचे किया..मेरा लंड पहलेही बड़ा और मोटा हो चूका था..आंटी की कूल्हों पर चूमा और खड़े होकर अपना लंड पीछे से उसकी चुत में घुसेड़ दिया..उसके कमर को कसके पकड़ते हुए ..मैं उसपर चढ़ गया था..बेकाबू होकर..अपना लंड अंदर बहार कर रहा था..)
अपर्णा: करो सैंडी..और जोर से करो..
(मेरी जाँघे उसके पिछवाड़े पर पटक रही थी..आवाज कर रही थी..आंटी मेरे झटको से हिल रही थी..कुछ ही..देर में मेरा पानी आंटी के चुत में निकल गया..मैं आंटी को छोड़ ज़मीन पर लेट गया..आंटी मेरे पास आकर मेरे लंड पर बैठ गयी..अपने चुत में फिर से मेरा लंड भरने की कोशिश कर रही थी..पर वो पानी निकलने के साथ बेजान हो चूका था...आंटी ने मेरे होठो पर अपने होठ रखे और बोली "ये मेरा मज़ाक था..". सलोनी सब देखतेही रह गयी..सलोनिने मुझे हाथ देकर उठाया..मैं कपडे पेहेन कर वहा से भाग गया..)
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