• HOME
  • AWARDS
  • Search
  • Help
Current time: 29-07-2018, 11:17 PM
Hello There, Guest! ( Login — Register )
› XXX STORIES › Hindi Sex Stories v
« Previous 1 ..... 5 6 7 8 9 10 11 ..... 61 Next »

Desi मेरी अन्तर्वाशना रेखा भाभी के साथ

Verify your Membership Click Here

Pages ( 3 ): 1 2 3 Next »
Thread Modes
Desi मेरी अन्तर्वाशना रेखा भाभी के साथ
chutphar Offline
New Bee
*
Joined: 18 Jun 2014
Reputation: 0


Posts: 16
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 0


db Rs: Rs 25.55
#1
03-12-2017, 09:19 AM
नमस्कार दोस्तो, मैं महेश कुमार सरकारी नौकरी करता हूँ। मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं.. जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है.. अगर होता भी है तो ये मात्र संयोग ही होगा।
मेरी पहले की कहानियों में आपने मेरे बारे में जान ही लिया होगा। अब मैं उसके आगे का एक वाकिया लिख रहा हूँ उम्मीद करता हूँ कि ये आपको पसन्द आएगा। चलो अब कहानी का मजा लेते हैं।
मेरी परीक्षाएं समाप्त हुए हफ्ता भर ही हुआ था कि मेरे भैया दो महीने की छुट्टी आ गए जिसके कारण मुझे ड्राईंगरूम में सोना पड़ा।
मैंने सोचा था कि परीक्षाएं समाप्त होने के बाद पायल भाभी के साथ खुल कर मजे करूंगा.. मगर भैया के छुट्टी पर घर आ जाने के कारण मेरे सारे ख्वाब अधूरे रह गए, मेरे दिन बड़ी मुश्किल से गुजर रहे थे, भैया को भाभी के कमरे में सोते देखकर, मैं बस जलता रहता था और वैसे भी मैं क्या कर सकता था, आखिरकार वो उनकी बीवी है।
बस इसी तरह दिन गुजर रहे थे कि एक दिन पापा ने मुझे बताया कि गाँव से रामेसर चाचा जी काफी बार फोन कर चुके हैं, वो मुझे गाँव बुला रहे हैं।
पापा ने बताया कि फसल की कटाई होने वाली है और गाँव के मकान की हालत देखे भी काफी दिन हो गए हैं इसलिए छुट्टियों में मैं कुछ दिन गाँव चला जाऊँ।
रामेसर चाचा मेरे सगे चाचा नहीं हैं.. वो गाँव में हमारे पड़ोसी हैं जिसके कारण उनसे हमारे काफी अच्छे सम्बन्ध हैं। मेरे पापा की शहर में नौकरी लग गई थी इसलिए हम सब शहर में रहने लग गए थे। गाँव में हमारा एक पुराना मकान और कुछ खेत हैं। घर में तो कोई नहीं रहता है.. पर खेतों में रामेसर चाचा खेती करते हैं, फसल के तीन हिस्से वो खुद रख लेते हैं.. एक चौथाई हिस्सा हमें दे देते हैं।
गाँव में मेरा दिल तो नहीं लगता है.. मगर यहाँ रहकर जलने से अच्छा तो मुझे गाँव जाना ही सही लगा, इसलिए मैं गाँव जाने के लिए मान गया और अगले ही दिन गाँव चला गया।
गाँव में जाने पर चाचाजी के सभी घर वाले बड़े खुश हो गए। चाचाजी के घर में चाचा-चाची, उनकी लड़की सुमन, रेखा भाभी व उनका छः साल का लड़का सोनू है।
रेखा भाभी विधवा हैं उनके पति विनोद भैया का दो साल पहले ही खेत में पानी लगाते समय साँप काटने के कारण स्वर्गवास हो गया था।
मैं देर शाम से गाँव पहुंचा था इसलिए कुछ देर सभी से बातें करते-करते ही खाने का समय हो गया। वैसे भी गाँव में सब लोग जल्दी खाना खा कर.. जल्दी ही सो जाते हैं और सुबह जल्दी उठ भी जाते हैं।
खाना खाने के बाद सब सोने की तैयारी करने लगे।
गर्मियों के दिन थे और गर्मियों के दिनों में गाँव के लोग अधिकतर बाहर ही सोते हैं इसलिए मेरी चारपाई भी चाचाजी के पास घर के आँगन में ही लगा दी गई।
वैसे तो उनका घर काफी बड़ा है.. जिसमें चार कमरे और बड़ा सा आँगन है, मगर इस्तेमाल में वो दो ही कमरे लाते हैं। जिसमें से एक कमरे में चाची व सोनू सो गए और दूसरे कमरे में सुमन व रेखा भाभी सो गए। बाकी के कमरों में अनाज, खेती व भैंस का चारा आदि रखा हुआ था।
खैर.. कुछ देर चाचाजी मुझसे बातें करते रहे और फिर सो गए। मुझे नींद नहीं आ रही थी.. क्योंकि जहाँ हम सो रहे थे.. भैंस भी वहीं पर बँधी हुई थी, जिसके गोबर व मूत्र से बहुत बदबू आ रही थी, साथ ही वहाँ पर मच्छर भी काफी थे।
मैं रात भर करवट बदलता रहा.. मगर मुझे नींद नहीं आई। सुबह पाँच बजे जब चाची जी भैंस का दूध निकालने के लिए उठीं.. तब भी मैं जाग ही रहा था।
मैंने चाची को जब ये बताया तो वो हँसने लगीं और उन्होंने कहा- तुम्हें रात को ही बता देना चाहिये था, तुम यहाँ पर नए हो ना.. इसलिए तुम्हें आदत नहीं है, कल से तुम रेखा व सुमन के कमरे में सो जाना। वो दोनों उठ गई हैं.. तुम अभी उनके कमरे में जाकर सो जाओ।
मगर मैंने मना कर दिया और तैयार होकर चाचा-चाची के साथ खेतों में चला गया। रेखा भाभी के लड़के सोनू को भी हम साथ में ले आए। सुमन की परीक्षाएं चल रही थीं इसलिए वो कॉलेज चली गई।
रेखा भाभी को खाना बनाना और घर व भैंस के काम करने होते हैं.. इसलिए वो घर पर ही रहीं।
फसल की कटाई चल रही थी.. इसलिए चाचा-चाची तो उसमें लग गए.. मगर मुझे कुछ करना तो आता नहीं था इसलिए मैं सोनू के साथ खेलता रहा और ऐसे ही खेतों में घूमता रहा।
सभी के लिए दोपहर का खाना रेखा भाभी को लेकर आना था। मगर मैं ऐसे ही फ़ालतू घूम रहा था, इसलिए मैंने चाची जी से कहा- दोपहर का खाना मैं ले आता हूँ।
इस पर चाचाजी ने भी हामी भरकर कहा- ठीक है.. ऐसे भी रेखा को घर पर बहुत काम होते हैं।
करीब दस बजे मैं दोपहर का खाना लेने के लिए घर चला गया। जब मैं घर पर पहुँचा तो देखा कि घर पर कोई नहीं है। मैंने सोचा कि रेखा भाभी यहीं कहीं पड़ोस के घर में गई होंगी.. इसलिए मैं भाभी के कमरे में जाकर बैठ गया और उनके आने का इन्तजार करने लगा।
मुझे कुछ देर ही हुई थी कि तभी रेखा भाभी दौड़ती हुई सी सीधे कमरे में आईं।
अचानक ऐसे रेखा भाभी के आने से एक बार तो मैं भी घबरा गया मगर जब मेरा ध्यान रेखा भाभी के कपड़ों की तरफ गया तो बस मैं उन्हें देखता ही रह गया। क्योंकि रेखा भाभी मात्र ब्रा व एक पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थीं।
रेखा भाभी नहाकर आई थीं.. इसलिए भाभी ने नीचे बस काले रंग का पेटीकोट व ऊपर सफेद रंग की केवल एक ब्रा पहन रखी थी। भाभी ने अपने सिर के गीले बालों को तौलिए से बाँध रखा था। उन कपड़ों में रेखा भाभी का संगमरमर सा सफेद शरीर.. ना के बराबर ढका हुआ था।
मुझे देखते ही भाभी दरवाजे पर ही ठिठक कर रूक गईं क्योंकि उन्हें अन्दाजा भी नहीं था कि कमरे में मैं बैठा हो सकता हूँ।
मुझे देखकर रेखा भाभी इतनी घबरा गईं कि कुछ देर तक तो सोच भी नहीं पाईं.. कि वो अब क्या करें। भाभी वहीं पर बुत सी बनकर खड़ी हो गईं, उम्म्ह… अहह… हय… याह… तब तक मैं भाभी के रूप को आँखों से पीता रहा।
फिर रेखा भाभी जल्दी से पलट कर दूसरे कमरे में चली गईं। भाभी के दूसरे कमरे में चले जाने के बाद भी मैं भाभी के रूप में ही खोया रहा।
सच में रेखा भाभी इस रूप में कयामत लग रही थीं.. ऐसा लगता था कि भाभी को ऊपर वाले ने बड़ी ही फुर्सत से बनाया होगा।
भाभी का गोल चेहरा.. काली व बड़ी-बड़ी आँखें, पतले सुर्ख गुलाबी होंठ, लम्बा व छरहरा शरीर, बस एक बड़े सन्तरे से कुछ ही बड़े आकार की उन्नत व सख्त गोलाइयां और भरे हुए माँसल नितम्ब.. आह्ह.. उनको देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो छः साल के बच्चे की माँ भी हो सकती हैं।
 •
      Find
Reply


urc4me Offline
Archer Bee
***
Joined: 17 Feb 2017
Reputation: 40


Posts: 1,555
Threads: 0

Likes Got: 60
Likes Given: 6


db Rs: Rs 20.6
#2
03-12-2017, 11:38 AM
(03-12-2017, 09:19 AM)chutphar : नमस्कार दोस्तो, मैं महेश कुमार सरकारी नौकरी करता हूँ। मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं.. जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है.. अगर होता भी है तो ये मात्र संयोग ही होगा।
मेरी पहले की कहानियों में आपने मेरे बारे में जान ही लिया होगा। अब मैं उसके आगे का एक वाकिया लिख रहा हूँ उम्मीद करता हूँ कि ये आपको पसन्द आएगा। चलो अब कहानी का मजा लेते हैं।
मेरी परीक्षाएं समाप्त हुए हफ्ता भर ही हुआ था कि मेरे भैया दो महीने की छुट्टी आ गए जिसके कारण मुझे ड्राईंगरूम में सोना पड़ा।
मैंने सोचा था कि परीक्षाएं समाप्त होने के बाद पायल भाभी के साथ खुल कर मजे करूंगा.. मगर भैया के छुट्टी पर घर आ जाने के कारण मेरे सारे ख्वाब अधूरे रह गए, मेरे दिन बड़ी मुश्किल से गुजर रहे थे, भैया को भाभी के कमरे में सोते देखकर, मैं बस जलता रहता था और वैसे भी मैं क्या कर सकता था, आखिरकार वो उनकी बीवी है।
बस इसी तरह दिन गुजर रहे थे कि एक दिन पापा ने मुझे बताया कि गाँव से रामेसर चाचा जी काफी बार फोन कर चुके हैं, वो मुझे गाँव बुला रहे हैं।
पापा ने बताया कि फसल की कटाई होने वाली है और गाँव के मकान की हालत देखे भी काफी दिन हो गए हैं इसलिए छुट्टियों में मैं कुछ दिन गाँव चला जाऊँ।
रामेसर चाचा मेरे सगे चाचा नहीं हैं.. वो गाँव में हमारे पड़ोसी हैं जिसके कारण उनसे हमारे काफी अच्छे सम्बन्ध हैं। मेरे पापा की शहर में नौकरी लग गई थी इसलिए हम सब शहर में रहने लग गए थे। गाँव में हमारा एक पुराना मकान और कुछ खेत हैं। घर में तो कोई नहीं रहता है.. पर खेतों में रामेसर चाचा खेती करते हैं, फसल के तीन हिस्से वो खुद रख लेते हैं.. एक चौथाई हिस्सा हमें दे देते हैं।
गाँव में मेरा दिल तो नहीं लगता है.. मगर यहाँ रहकर जलने से अच्छा तो मुझे गाँव जाना ही सही लगा, इसलिए मैं गाँव जाने के लिए मान गया और अगले ही दिन गाँव चला गया।
गाँव में जाने पर चाचाजी के सभी घर वाले बड़े खुश हो गए। चाचाजी के घर में चाचा-चाची, उनकी लड़की सुमन, रेखा भाभी व उनका छः साल का लड़का सोनू है।
रेखा भाभी विधवा हैं उनके पति विनोद भैया का दो साल पहले ही खेत में पानी लगाते समय साँप काटने के कारण स्वर्गवास हो गया था।
मैं देर शाम से गाँव पहुंचा था इसलिए कुछ देर सभी से बातें करते-करते ही खाने का समय हो गया। वैसे भी गाँव में सब लोग जल्दी खाना खा कर.. जल्दी ही सो जाते हैं और सुबह जल्दी उठ भी जाते हैं।
खाना खाने के बाद सब सोने की तैयारी करने लगे।
गर्मियों के दिन थे और गर्मियों के दिनों में गाँव के लोग अधिकतर बाहर ही सोते हैं इसलिए मेरी चारपाई भी चाचाजी के पास घर के आँगन में ही लगा दी गई।
वैसे तो उनका घर काफी बड़ा है.. जिसमें चार कमरे और बड़ा सा आँगन है, मगर इस्तेमाल में वो दो ही कमरे लाते हैं। जिसमें से एक कमरे में चाची व सोनू सो गए और दूसरे कमरे में सुमन व रेखा भाभी सो गए। बाकी के कमरों में अनाज, खेती व भैंस का चारा आदि रखा हुआ था।
खैर.. कुछ देर चाचाजी मुझसे बातें करते रहे और फिर सो गए। मुझे नींद नहीं आ रही थी.. क्योंकि जहाँ हम सो रहे थे.. भैंस भी वहीं पर बँधी हुई थी, जिसके गोबर व मूत्र से बहुत बदबू आ रही थी, साथ ही वहाँ पर मच्छर भी काफी थे।
मैं रात भर करवट बदलता रहा.. मगर मुझे नींद नहीं आई। सुबह पाँच बजे जब चाची जी भैंस का दूध निकालने के लिए उठीं.. तब भी मैं जाग ही रहा था।
मैंने चाची को जब ये बताया तो वो हँसने लगीं और उन्होंने कहा- तुम्हें रात को ही बता देना चाहिये था, तुम यहाँ पर नए हो ना.. इसलिए तुम्हें आदत नहीं है, कल से तुम रेखा व सुमन के कमरे में सो जाना। वो दोनों उठ गई हैं.. तुम अभी उनके कमरे में जाकर सो जाओ।
मगर मैंने मना कर दिया और तैयार होकर चाचा-चाची के साथ खेतों में चला गया। रेखा भाभी के लड़के सोनू को भी हम साथ में ले आए। सुमन की परीक्षाएं चल रही थीं इसलिए वो कॉलेज चली गई।
रेखा भाभी को खाना बनाना और घर व भैंस के काम करने होते हैं.. इसलिए वो घर पर ही रहीं।
फसल की कटाई चल रही थी.. इसलिए चाचा-चाची तो उसमें लग गए.. मगर मुझे कुछ करना तो आता नहीं था इसलिए मैं सोनू के साथ खेलता रहा और ऐसे ही खेतों में घूमता रहा।
सभी के लिए दोपहर का खाना रेखा भाभी को लेकर आना था। मगर मैं ऐसे ही फ़ालतू घूम रहा था, इसलिए मैंने चाची जी से कहा- दोपहर का खाना मैं ले आता हूँ।
इस पर चाचाजी ने भी हामी भरकर कहा- ठीक है.. ऐसे भी रेखा को घर पर बहुत काम होते हैं।
करीब दस बजे मैं दोपहर का खाना लेने के लिए घर चला गया। जब मैं घर पर पहुँचा तो देखा कि घर पर कोई नहीं है। मैंने सोचा कि रेखा भाभी यहीं कहीं पड़ोस के घर में गई होंगी.. इसलिए मैं भाभी के कमरे में जाकर बैठ गया और उनके आने का इन्तजार करने लगा।
मुझे कुछ देर ही हुई थी कि तभी रेखा भाभी दौड़ती हुई सी सीधे कमरे में आईं।
अचानक ऐसे रेखा भाभी के आने से एक बार तो मैं भी घबरा गया मगर जब मेरा ध्यान रेखा भाभी के कपड़ों की तरफ गया तो बस मैं उन्हें देखता ही रह गया। क्योंकि रेखा भाभी मात्र ब्रा व एक पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थीं।
रेखा भाभी नहाकर आई थीं.. इसलिए भाभी ने नीचे बस काले रंग का पेटीकोट व ऊपर सफेद रंग की केवल एक ब्रा पहन रखी थी। भाभी ने अपने सिर के गीले बालों को तौलिए से बाँध रखा था। उन कपड़ों में रेखा भाभी का संगमरमर सा सफेद शरीर.. ना के बराबर ढका हुआ था।
मुझे देखते ही भाभी दरवाजे पर ही ठिठक कर रूक गईं क्योंकि उन्हें अन्दाजा भी नहीं था कि कमरे में मैं बैठा हो सकता हूँ।
मुझे देखकर रेखा भाभी इतनी घबरा गईं कि कुछ देर तक तो सोच भी नहीं पाईं.. कि वो अब क्या करें। भाभी वहीं पर बुत सी बनकर खड़ी हो गईं, उम्म्ह… अहह… हय… याह… तब तक मैं भाभी के रूप को आँखों से पीता रहा।
फिर रेखा भाभी जल्दी से पलट कर दूसरे कमरे में चली गईं। भाभी के दूसरे कमरे में चले जाने के बाद भी मैं भाभी के रूप में ही खोया रहा।
सच में रेखा भाभी इस रूप में कयामत लग रही थीं.. ऐसा लगता था कि भाभी को ऊपर वाले ने बड़ी ही फुर्सत से बनाया होगा।
भाभी का गोल चेहरा.. काली व बड़ी-बड़ी आँखें, पतले सुर्ख गुलाबी होंठ, लम्बा व छरहरा शरीर, बस एक बड़े सन्तरे से कुछ ही बड़े आकार की उन्नत व सख्त गोलाइयां और भरे हुए माँसल नितम्ब.. आह्ह.. उनको देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो छः साल के बच्चे की माँ भी हो सकती हैं।

Achchhi Shuruaat
 •
      Find
Reply


dpmangla Online
Archer Bee
***
Joined: 22 Jul 2016
Reputation: 60


Posts: 4,861
Threads: 0

Likes Got: 212
Likes Given: 6,365


db Rs: Rs 59.79
#3
03-12-2017, 04:23 PM
Nice Starting
 •
      Find
Reply


chutphar Offline
New Bee
*
Joined: 18 Jun 2014
Reputation: 0


Posts: 16
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 0


db Rs: Rs 25.55
#4
04-12-2017, 10:01 AM (This post was last modified: 20-12-2017, 08:13 PM by rajbr1981.)
भाभी का गोल चेहरा.. काली व बड़ी-बड़ी आँखें, पतले सुर्ख गुलाबी होंठ, लम्बा व छरहरा शरीर, बस एक बड़े सन्तरे से कुछ ही बड़े आकार की उन्नत व सख्त गोलाइयां और भरे हुए माँसल नितम्ब.. आह्ह.. उनको देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो छः साल के बच्चे की माँ भी हो सकती हैं।
कुछ देर बाद रेखा भाभी कपड़े पहन कर फिर से कमरे में आईं और उन्होंने मुझसे पूछा- तुम कब आए?
भाभी मुझसे आँखें नहीं मिला रही थीं क्योंकि रेखा भाभी बहुत ही शरीफ व भोली हैं.. ऊपर से वो विधवा भी हैं।
मैंने भी भाभी से आँखें मिलाने की कोशिश नहीं की.. ऐसे ही उन्हें अपने आने का कारण बता दिया।
रेखा भाभी ने जल्दी ही मुझे खाना बाँध कर दे दिया और मैं भी बिना कुछ कहे चुपचाप खाना लेकर खेतों के लिए चल पड़ा। मैं रास्ते भर भाभी के बारे में ही सोचता रहा।
रेखा भाभी के बारे में पहले मेरे विचार गन्दे नहीं थे.. मगर भाभी का रूप देखकर मेरी नियत खराब हो रही थी, मेरे दिल में हवश का शैतान जाग गया था, मैं सोच रहा था कि विनोद भैया का देहान्त हुए दो साल हो गए है इसलिए रेखा भाभी का भी दिल तो करता ही होगा।

खेत में भी मैं रेखा भाभी के बारे में ही सोचता रहा और दिल ही दिल में उन्हें पाने के लिए योजना बनाने में लग गया।
शाम को मैं चाचा-चाची के साथ ही खेत से वापस आया, घर आकर खाना खाया और फिर सभी सोने की तैयारी करने लगे। चाची ने मेरी चारपाई रेखा भाभी व सुमन दीदी के कमरे में लगवा दी थी और साथ ही मेरी चारपाई के नीचे मच्छर भगाने की अगरबत्ती भी जला दी।
उस कमरे में एक डबलबैड था.. जिस पर सुमन व रेखा भाभी सोते थे और साथ ही कुर्सियां टेबल, अल्मारी व कुछ अन्य सामान होने के कारण ज्यादा जगह नहीं थी.. इसलिए मेरी चारपाई बेड के बिल्कुल साथ ही लगी हुई थी।
सुमन की परीक्षाएं चल रही थीं.. इसलिए खाना खाते ही वो पढ़ाई करने लगी। रेखा भाभी घर के काम निपटा रही थीं.. इसलिए वो थोड़ा देर से कमरे में आईं और आकर चुपचाप सो गईं।
मैंने उनसे बात करने की कोशिश की.. मगर उन्होंने बात करने के लिए मना कर दिया क्योंकि सुमन भी वहीं पढ़ाई कर रही थी।
कुछ देर पढ़ाई करने के बाद सुमन भी सो गई।
दीवार के किनारे की तरफ सुमन थी और मेरी चारपाई की तरफ रेखा भाभी सो रही थीं। वो मेरे इतने पास थीं कि मैं चारपाई से ही हाथ बढ़ाकर उन्हें आसानी से छू सकता था। लेकिन यह बहुत ही खतरनाक हो सकता था....
 •
      Find
Reply


dpmangla Online
Archer Bee
***
Joined: 22 Jul 2016
Reputation: 60


Posts: 4,861
Threads: 0

Likes Got: 212
Likes Given: 6,365


db Rs: Rs 59.79
#5
04-12-2017, 05:42 PM
Nice Post
 •
      Find
Reply


chutphar Offline
New Bee
*
Joined: 18 Jun 2014
Reputation: 0


Posts: 16
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 0


db Rs: Rs 25.55
#6
10-12-2017, 05:01 PM (This post was last modified: 10-12-2017, 05:02 PM by chutphar.)
अब तक आपने पढ़ा..
मुझे पापा के कहने पर गाँव जाना पड़ा, गाँव में मेरे पड़ोसी चाचा की विधवा बहू को देख कर मेरा उन पर दिल आ गया।
अब आगे..
रेखा भाभी के इतने पास होने के कारण मेरे दिल में एक अजीब गुदगुदी सी हो रही थी.. मगर कुछ करने कि मुझमें हिम्मत नहीं थी। मैं पिछली रात को ठीक से नहीं सोया था इसलिए पता नहीं कब मुझे नींद आ गई और सुबह भी मैं देर तक सोता रहा।
सुबह जब रेखा भाभी कमरे की सफाई करने के लिए आईं तो उन्होंने ही मुझे जगाया। मैं उठा.. तब तक चाचा-चाची खेत में जा चुके थे और सुमन भी कॉलेज चली गई थी।
घर में बस मैं और रेखा भाभी ही थे.. मेरा दिल तो कर रहा था कि रेखा भाभी को पकड़ लूँ.. मगर इतनी हिम्मत मुझमें कहाँ थी। इसलिए मैं उठकर जल्दी से खेत में जाने के लिए तैयार हो गया।
मैं काफी देर से उठा था तब तक दोपहर के खाने का भी समय हो गया था.. इसलिए खेत में जाते समय रेखा भाभी ने मुझे दोपहर का खाना भी बनाकर दे दिया।
इसके बाद खेत से मैं शाम को चाचा चाची के साथ ही घर वापस आया।
सुबह मैं देर से उठता था इसलिए रोजाना की मेरी यही दिनचर्या बन गई कि मैं दोपहर का खाना लेकर ही खेत में जाता और शाम को चाचा चाची के साथ ही खेत से वापस आता। मगर जब भी घर में रहता तो किसी ना किसी बहाने से रेखा भाभी के ज्यादा से ज्यादा पास रहने की कोशिश करता रहता और रेखा भाभी को पटाने की कुछ ना कुछ तरकीब बनाता रहता।
मगर रेखा भाभी ने मुझमे कोई रूचि नहीं दिखाई और भाभी के प्रति मेरी वासना बढ़ती ही जा रही थी।
एक सुबह नींद खुलने के बाद भी मैं ऐसे ही चारपाई पर लेटा हुआ ऊंघ रहा था कि तभी मेरे दिमाग में एक योजना आई। मुझे पता था कि रेखा भाभी मुझे जगाने के लिए नहीं.. तो कमरे में सफाई करने के लिए तो जरूर ही आएंगी और घर में मेरे व रेखा भाभी के अलावा कोई है भी नहीं, इसलिए मुझे इस वक्त किसी का डर भी नहीं था।
सुबह-सुबह पेशाब के ज्वर के कारण मेरा लिंग उत्तेजित तो था ही.. ऊपर से रेखा भाभी के बारे में सोचने पर मेरा लिंग बिल्कुल लोहे सा सख्त हो गया।
मैंने अपने अण्डरवियर व पायजामे को थोड़ा सा नीचे खिसका कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और इस तरह से व्यवस्थित कर लिया कि रेखा भाभी जब कमरे में आएं.. तो उन्हें मेरा उत्तेजित लिंग आसानी से नजर आ जाए। फिर मैं सोने का बहाना करके भाभी के कमरे में आने का इन्तजार करने लगा।
मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा क्योंकि कुछ देर बाद ही रेखा भाभी कमरे में आ गईं।
भाभी के आते ही मैं जल्दी से आँखें बन्द करके सोने का नाटक करने लगा। भाभी मुझे जगाने के लिए मेरी चारपाई की तरफ बढ़ ही रही थीं कि वो वहीं पर रुक गईं और फिर जल्दी से वापस बाहर चली गईं।
मैं सोच रहा था कि रेखा भाभी मेरे उत्तेजित लिंग को देखकर शायद खुद ही मेरे पास आ जाएं.. मगर ऐसा कुछ तो नहीं हुआ। ऊपर से रेखा भाभी के ऐसे चले जाने के कारण मुझे डर लगने लगा कि कहीं भाभी मेरी शिकायत ना कर दें।
रेखा भाभी के जाने के बाद मैं काफी देर तक ऐसे ही लेटा रहा क्योंकि मैं चाहता था कि भाभी को ऐसा लगे कि मैं सही में ही सो रहा हूँ। मगर भाभी को शायद शक हो गया था कि मैंने जानबूझ कर ऐसा किया है क्योंकि जब तक मैं खुद ही उठकर बाहर नहीं गया तब तक भाभी दोबारा कमरे में नहीं आईं और ना ही मुझे जगाने की कोशिश की।
जब मैं खुद ही उठकर बाहर गया तब भी रेखा भाभी मुझसे ठीक से बात नहीं कर रही थीं.. इसलिए मैं खेत में जाने के लिए तैयार हो गया और इस दौरान भाभी ने मुझसे बस एक-दो बार ही बात की होगी।
इसके बाद रोजाना की तरह ही मैं दोपहर का खाना लेकर खेत में चला गया और शाम को चाचा चाची के साथ ही घर वापस आया।
शाम को जब मैं घर आया तो मुझे डर लग रहा था कि कहीं रेखा भाभी सुबह वाली बात चाचा-चाची को ना बता दें मगर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।
इसके बाद तो मेरी भी दोबारा ऐसी कुछ हरकत करने की कभी हिम्मत नहीं हुई। अब रेखा भाभी को पता चल गया था कि मेरी नियत उनके प्रति क्या है.. इसलिए उन्होंने मुझसे बातें करना बहुत ही कम कर दिया और मुझसे दूर ही रहने की कोशिश करने लगीं।
सुबह भी जब तक मैं सोता रहता.. तब तक वो कमरे में नहीं आती थीं।
इसी तरह हफ्ता भर गुजर गया और इस हफ्ते भर में मैंने रेखा भाभी को याद करके काफी बार हस्तमैथुन किया.. मगर उनके साथ कुछ करने की मैं हिम्मत नहीं कर सका।
एक बार रात को सोते हुए ऐसे ही मेरी नींद खुल गई। मैंने सोचा कि सुबह हो गई.. मगर जब मैंने बाहर देखा तो बाहर बिल्कुल अन्धेरा था। फिर मैंने रेखा भाभी व सुमन की तरफ देखा, वो दोनों सो रही थीं।
मगर जब मेरा ध्यान रेखा भाभी पर गया तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं, क्योंकि रेखा भाभी के कपड़े अस्त-व्यस्त थे। उनकी साड़ी व पेटीकोट उनके घुटनों के ऊपर तक हो रखे थे।
कमरे में अन्धेरा था। बस खिड़की से चाँद की थोड़ी सी रोशनी आ रही थी.. जिसमें रेखा भाभी के संगमरमर सी सफेद गोरी पिण्डलियाँ ऐसे दमक रही थीं जैसे कि उन्हीं में से ही रोशनी फूट रही हो।
भाभी के घुटनों तक के दूधिया सफेद नंगे पैरों को देखकर मेरा लिंग अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया और मेरे लिए अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो गया।
मुझे डर लग रहा था मगर फिर भी मैं अपने आपको रोक नहीं सका और धीरे से अपना एक हाथ रेखा भाभी के नंगे घुटने पर रख दिया और कुछ देर तक मैं बिना कोई हरकत किए ऐसे ही लेटा रहा, ताकि अगर रेखा भाभी जाग भी जाएं तो उन्हें लगे कि मैं नींद में हूँ।
कुछ देर इन्तजार करने के बाद जब रेखा भाभी ने कोई हरकत नहीं की तो मैं धीरे-धीरे अपने हाथ को रेखा भाभी की जाँघों की तरफ बढ़ाने लगा।
मैं रेखा भाभी की जाँघों की तरफ बढ़ते हुए धीरे-धीरे उनकी साड़ी व पेटीकोट को भी ऊपर की तरफ खिसका रहा था। जितना मेरा हाथ ऊपर की तरफ बढ़ता रेखा भाभी की संगमरमरी सफेद जाँघें भी उतनी ही नंगी हो रही थीं।
जैसे-जैसे भाभी की जांघें नंगी हो रही थीं..वैसे वैसे ही मानो कमरे में उजाला सा हो रहा था। क्योंकि उनकी जाँघें इतनी गोरी थीं कि अन्धेरे में भी दमक रही थीं।
1 user likes this post1 user likes this post  • pappu49
      Find
Reply


dpmangla Online
Archer Bee
***
Joined: 22 Jul 2016
Reputation: 60


Posts: 4,861
Threads: 0

Likes Got: 212
Likes Given: 6,365


db Rs: Rs 59.79
#7
10-12-2017, 06:31 PM
Nice but Short
 •
      Find
Reply


chutphar Offline
New Bee
*
Joined: 18 Jun 2014
Reputation: 0


Posts: 16
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 0


db Rs: Rs 25.55
#8
12-12-2017, 10:29 AM
मैं रेखा भाभी की जाँघों की तरफ बढ़ते हुए धीरे-धीरे उनकी साड़ी व पेटीकोट को भी ऊपर की तरफ खिसका रहा था। जितना मेरा हाथ ऊपर की तरफ बढ़ता रेखा भाभी की संगमरमरी सफेद जाँघें भी उतनी ही नंगी हो रही थीं।
जैसे-जैसे भाभी की जांघें नंगी हो रही थीं.. वैसे वैसे ही मानो कमरे में उजाला सा हो रहा था। क्योंकि उनकी जाँघें इतनी गोरी थीं कि अन्धेरे में भी दमक रही थीं।
धीरे-धीरे मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी मखमल सी नर्म मुलायम माँसल व भरी हुई जाँघों पर पहुँच गया जो कि इतनी नर्म मुलायम व चिकनी थी कि अपने आप ही मेरा हाथ फिसल रहा था।
मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी जाँघों पर पहुँच गया था.. मगर रेखा भाभी की तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही थी, शायद वो गहरी नींद में थीं।
इससे मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई और मैं अपने हाथ को रेखा भाभी की दोनों जाँघों के बीच धीरे-धीरे अन्दर की तरफ ऊपर बढ़ाने लगा।
थोड़ा सा ऊपर बढ़ते ही डर व घबराहट के कारण मेरा पूरा शरीर काँपने लगा। क्योंकि अब मेरा हाथ रेखा भाभी के जाँघों के जोड़ पर पहुँच गया था। उन्होंने साड़ी व पेटीकोट के नीचे पेंटी पहन रखी थी।
अन्धेरे के कारण मैं ये तो नहीं देख पा रहा था कि उनकी पेंटी कैसे रंग की है.. मगर हाँ वो जरूर किसी गहरे रंग की थी। मैंने धीरे से, बहुत ही धीरे से हाथ को उनकी पेंटी के ऊपर रख दिया और पेंटी के ऊपर से ही उनकी योनि का मुआयना करने लगा।
उनकी योनि बालों से भरी हुई थी जो कि पेंटी के ऊपर से ही मुझे महसूस हो रहे थे।
मैं धीरे-धीरे उनकी योनि को सहला ही रहा था कि तभी अचानक से रेखा भाभी जाग गईं.. उन्होंने मेरा हाथ झटक कर दूर कर दिया और जल्दी से उठकर अपनी साड़ी व पेटीकोट को सही करने लगीं।
ये सभी काम उन्होंने एक साथ और बिजली की सी रफ्तार से किए। डर के मारे मेरी तो साँस ही अटक गई, मैं जल्दी से सोने का नाटक करने लगा मगर भाभी को पता चल गया था कि मैं जाग रहा हूँ।
मैंने थोड़ी सी आँख खोलकर देखा तो रेखा भाभी अपने कपड़े सही करके बैठी हुई थीं और मेरी ही तरफ देख रही थीं।
मैं डर रहा था कि कहीं रेखा भाभी शोर मचाकर सबको बता ना दें। डर के मारे मेरा दिल इतनी जोरों से धड़क रहा था कि मैं खुद ही अपने दिल की धड़कन सुन पा रहा था। मगर फिर कुछ देर बाद रेखा भाभी सुमन की तरफ करवट बदल कर फिर से सो गईं।
मैं सोने का नाटक कर रहा था मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी। अभी जो कुछ हुआ मैं उसी के बारे में सोच रहा था।
मैं सोच रहा था कि अगर रेखा भाभी को शोर मचाना होता और मेरी शिकायत करनी होती तो अभी तक वो कर देतीं। शायद वो भी बदनामी से डर रही हैं और वैसे भी रेखा भाभी बहुत शरीफ हैं। शायद इसलिए उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। ये बात मेरे दिमाग में आते ही मुझमें हिम्मत आ गई और एक बार फिर मैंने धीरे से रेखा भाभी की जाँघ पर हाथ रख दिया।
 •
      Find
Reply


chutphar Offline
New Bee
*
Joined: 18 Jun 2014
Reputation: 0


Posts: 16
Threads: 2

Likes Got: 2
Likes Given: 0


db Rs: Rs 25.55
#9
12-12-2017, 10:56 AM (This post was last modified: 12-12-2017, 10:58 AM by chutphar.)
[quote="chutphar" pid='1398793' dateline='1513051197']
मैं रेखा भाभी की जाँघों की तरफ बढ़ते हुए धीरे-धीरे उनकी साड़ी व पेटीकोट को भी ऊपर की तरफ खिसका रहा था। जितना मेरा हाथ ऊपर की तरफ बढ़ता रेखा भाभी की संगमरमरी सफेद जाँघें भी उतनी ही नंगी हो रही थीं।
जैसे-जैसे भाभी की जांघें नंगी हो रही थीं.. वैसे वैसे ही मानो कमरे में उजाला सा हो रहा था। क्योंकि उनकी जाँघें इतनी गोरी थीं कि अन्धेरे में भी दमक रही थीं।
धीरे-धीरे मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी मखमल सी नर्म मुलायम माँसल व भरी हुई जाँघों पर पहुँच गया जो कि इतनी नर्म मुलायम व चिकनी थी कि अपने आप ही मेरा हाथ फिसल रहा था।
मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी जाँघों पर पहुँच गया था.. मगर रेखा भाभी की तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही थी, शायद वो गहरी नींद में थीं।
इससे मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई और मैं अपने हाथ को रेखा भाभी की दोनों जाँघों के बीच धीरे-धीरे अन्दर की तरफ ऊपर बढ़ाने लगा।
थोड़ा सा ऊपर बढ़ते ही डर व घबराहट के कारण मेरा पूरा शरीर काँपने लगा। क्योंकि अब मेरा हाथ रेखा भाभी के जाँघों के जोड़ पर पहुँच गया था। उन्होंने साड़ी व पेटीकोट के नीचे पेंटी पहन रखी थी।
अन्धेरे के कारण मैं ये तो नहीं देख पा रहा था कि उनकी पेंटी कैसे रंग की है.. मगर हाँ वो जरूर किसी गहरे रंग की थी। मैंने धीरे से, बहुत ही धीरे से हाथ को उनकी पेंटी के ऊपर रख दिया और पेंटी के ऊपर से ही उनकी योनि का मुआयना करने लगा।
उनकी योनि बालों से भरी हुई थी जो कि पेंटी के ऊपर से ही मुझे महसूस हो रहे थे।
मैं धीरे-धीरे उनकी योनि को सहला ही रहा था कि तभी अचानक से रेखा भाभी जाग गईं.. उन्होंने मेरा हाथ झटक कर दूर कर दिया और जल्दी से उठकर अपनी साड़ी व पेटीकोट को सही करने लगीं।
ये सभी काम उन्होंने एक साथ और बिजली की सी रफ्तार से किए। डर के मारे मेरी तो साँस ही अटक गई, मैं जल्दी से सोने का नाटक करने लगा मगर भाभी को पता चल गया था कि मैं जाग रहा हूँ।
मैंने थोड़ी सी आँख खोलकर देखा तो रेखा भाभी अपने कपड़े सही करके बैठी हुई थीं और मेरी ही तरफ देख रही थीं।
मैं डर रहा था कि कहीं रेखा भाभी शोर मचाकर सबको बता ना दें। डर के मारे मेरा दिल इतनी जोरों से धड़क रहा था कि मैं खुद ही अपने दिल की धड़कन सुन पा रहा था। मगर फिर कुछ देर बाद रेखा भाभी सुमन की तरफ करवट बदल कर फिर से सो गईं।
मैं सोने का नाटक कर रहा था मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी। अभी जो कुछ हुआ मैं उसी के बारे में सोच रहा था।
मैं सोच रहा था कि अगर रेखा भाभी को शोर मचाना होता और मेरी शिकायत करनी होती तो अभी तक वो कर देतीं। शायद वो भी बदनामी से डर रही हैं और वैसे भी रेखा भाभी बहुत शरीफ हैं। शायद इसलिए उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। ये बात मेरे दिमाग में आते ही मुझमें हिम्मत आ गई और एक बार फिर मैंने धीरे से रेखा भाभी की जाँघ पर हाथ रख दिया।
मगर रेखा भाभी को नींद नहीं आई थी इसलिए उन्होंने तुरन्त मेरा हाथ झटक कर दूर कर दिया और चादर ओढ़ लिया और सुमन के और पास को खिसक गईं।
अब तो मुझे यकीन हो गया था कि रेखा भाभी डर रही हैं इसलिए किसी से कुछ नहीं कहेंगी। मैंने उनके इसी डर का फायदा उठाने की सोचा, इससे मुझमें फिर हिम्मत आ गई।
मैं सोने का नाटक करके रेखा भाभी को नींद आने का इन्तजार करने लगा। करीब आधे-पौने घण्टे तक मैं ऐसे ही इन्तजार करता रहा और जब मुझे लगा कि रेखा भाभी गहरी नींद सो गई हैं.. तो मैंने धीरे से उनकी तरफ फिर अपना हाथ बढ़ा दिया।
 •
      Find
Reply


urc4me Offline
Archer Bee
***
Joined: 17 Feb 2017
Reputation: 40


Posts: 1,555
Threads: 0

Likes Got: 60
Likes Given: 6


db Rs: Rs 20.6
#10
12-12-2017, 11:27 AM
(12-12-2017, 10:56 AM)chutphar : [quote="chutphar" pid='1398793' dateline='1513051197']
मैं रेखा भाभी की जाँघों की तरफ बढ़ते हुए धीरे-धीरे उनकी साड़ी व पेटीकोट को भी ऊपर की तरफ खिसका रहा था। जितना मेरा हाथ ऊपर की तरफ बढ़ता रेखा भाभी की संगमरमरी सफेद जाँघें भी उतनी ही नंगी हो रही थीं।
जैसे-जैसे भाभी की जांघें नंगी हो रही थीं.. वैसे वैसे ही मानो कमरे में उजाला सा हो रहा था। क्योंकि उनकी जाँघें इतनी गोरी थीं कि अन्धेरे में भी दमक रही थीं।
धीरे-धीरे मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी मखमल सी नर्म मुलायम माँसल व भरी हुई जाँघों पर पहुँच गया जो कि इतनी नर्म मुलायम व चिकनी थी कि अपने आप ही मेरा हाथ फिसल रहा था।
मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी जाँघों पर पहुँच गया था.. मगर रेखा भाभी की तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही थी, शायद वो गहरी नींद में थीं।
इससे मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई और मैं अपने हाथ को रेखा भाभी की दोनों जाँघों के बीच धीरे-धीरे अन्दर की तरफ ऊपर बढ़ाने लगा।
थोड़ा सा ऊपर बढ़ते ही डर व घबराहट के कारण मेरा पूरा शरीर काँपने लगा। क्योंकि अब मेरा हाथ रेखा भाभी के जाँघों के जोड़ पर पहुँच गया था। उन्होंने साड़ी व पेटीकोट के नीचे पेंटी पहन रखी थी।
अन्धेरे के कारण मैं ये तो नहीं देख पा रहा था कि उनकी पेंटी कैसे रंग की है.. मगर हाँ वो जरूर किसी गहरे रंग की थी। मैंने धीरे से, बहुत ही धीरे से हाथ को उनकी पेंटी के ऊपर रख दिया और पेंटी के ऊपर से ही उनकी योनि का मुआयना करने लगा।
उनकी योनि बालों से भरी हुई थी जो कि पेंटी के ऊपर से ही मुझे महसूस हो रहे थे।
मैं धीरे-धीरे उनकी योनि को सहला ही रहा था कि तभी अचानक से रेखा भाभी जाग गईं.. उन्होंने मेरा हाथ झटक कर दूर कर दिया और जल्दी से उठकर अपनी साड़ी व पेटीकोट को सही करने लगीं।
ये सभी काम उन्होंने एक साथ और बिजली की सी रफ्तार से किए। डर के मारे मेरी तो साँस ही अटक गई, मैं जल्दी से सोने का नाटक करने लगा मगर भाभी को पता चल गया था कि मैं जाग रहा हूँ।
मैंने थोड़ी सी आँख खोलकर देखा तो रेखा भाभी अपने कपड़े सही करके बैठी हुई थीं और मेरी ही तरफ देख रही थीं।
मैं डर रहा था कि कहीं रेखा भाभी शोर मचाकर सबको बता ना दें। डर के मारे मेरा दिल इतनी जोरों से धड़क रहा था कि मैं खुद ही अपने दिल की धड़कन सुन पा रहा था। मगर फिर कुछ देर बाद रेखा भाभी सुमन की तरफ करवट बदल कर फिर से सो गईं।
मैं सोने का नाटक कर रहा था मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी। अभी जो कुछ हुआ मैं उसी के बारे में सोच रहा था।
मैं सोच रहा था कि अगर रेखा भाभी को शोर मचाना होता और मेरी शिकायत करनी होती तो अभी तक वो कर देतीं। शायद वो भी बदनामी से डर रही हैं और वैसे भी रेखा भाभी बहुत शरीफ हैं। शायद इसलिए उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। ये बात मेरे दिमाग में आते ही मुझमें हिम्मत आ गई और एक बार फिर मैंने धीरे से रेखा भाभी की जाँघ पर हाथ रख दिया।
मगर रेखा भाभी को नींद नहीं आई थी इसलिए उन्होंने तुरन्त मेरा हाथ झटक कर दूर कर दिया और चादर ओढ़ लिया और सुमन के और पास को खिसक गईं।
अब तो मुझे यकीन हो गया था कि रेखा भाभी डर रही हैं इसलिए किसी से कुछ नहीं कहेंगी। मैंने उनके इसी डर का फायदा उठाने की सोचा, इससे मुझमें फिर हिम्मत आ गई।
मैं सोने का नाटक करके रेखा भाभी को नींद आने का इन्तजार करने लगा। करीब आधे-पौने घण्टे तक मैं ऐसे ही इन्तजार करता रहा और जब मुझे लगा कि रेखा भाभी गहरी नींद सो गई हैं.. तो मैंने धीरे से उनकी तरफ फिर अपना हाथ बढ़ा दिया।

Pichhala update dobara diya.
 •
      Find
Reply


« Next Oldest | Next Newest »
Pages ( 3 ): 1 2 3 Next »


Possibly Related Threads...
Thread Author Replies Views Last Post
Wife  मेरी वाईफ अनुपमा Incest lover 5 4,671 3 hours ago
Last Post: Pooja das
Incest  माँ बोली – मेरी बेटी बिलकुल मुझपर गयी है. Incest lover 4 1,024 4 hours ago
Last Post: Pooja das
Desi  छोटी बहन के साथ rajbr1981 140 577,467 Yesterday, 11:06 PM
Last Post: rajbr1981
Desi  मेरी पहली चुदाई Incest lover 2 2,784 27-07-2018, 09:14 PM
Last Post: anita manoj
Incest  मेरी बहन नेहा के नन्गे जिस्म की तस्वीर Incest lover 7 1,196 27-07-2018, 05:16 PM
Last Post: Pooja das
Group Sex  दोनों ने अपना सारा माल मेरी बीवी के सामने ज़मीन पर गिरा दिया। Incest lover 2 1,053 27-07-2018, 05:08 PM
Last Post: Pooja das
Wife  मेरी पत्नी उन्हें देखते हुए ही मेरे लंड को मसल रही थी। anita manoj 3 1,038 26-07-2018, 07:57 PM
Last Post: Incest lover
Wife  मेरी धर्मपत्नी बनी पोर्नस्टार anita manoj 3 1,014 25-07-2018, 03:36 PM
Last Post: Pooja das
Wife  मेरी बीवी की बेवफाई की कहानी anita manoj 0 939 25-07-2018, 02:17 PM
Last Post: anita manoj
Incest  मेरी कज़िन बहन सोमी खूबसूरत और मस्त है, Incest lover 0 744 25-07-2018, 12:25 PM
Last Post: Incest lover

  • View a Printable Version
  • Subscribe to this thread


Best Indian Adult Forum XXX Desi Nude Pics Desi Hot Glamour Pics

  • Contact Us
  • en.roksbi.ru
  • Return to Top
  • Mobile Version
  • RSS Syndication
Current time: 29-07-2018, 11:17 PM Powered By © 2012-2018
Linear Mode
Threaded Mode


tamil sex kathai akka  telugu romantic boothu kathalu  new puku dengudu kathalu  mera nalla khola  marathisex stori  priyamani boob  telugu sex kathaku  clothed unclothed forum  xxx picchars  indian aunties in bikini  bhai sex stories  Malayalam massage bee  nude hollywood heroins  desi lund stories  desi aunty chudai story  breastfeeding adults pics  doodwali  hindi stories xxx  balatkar hindi story  meena nude pics  hindi sax kahani  shakeela in nude  didi ki jawani  khala ki  sexy storys in urdo  homosx  big tited asian girls  www.desi rupa  sex stories of mastram  sex bichy chudai bhabi photos boor .in  hindi chachi stories  kalla kadhal  insects sex stories  desi aunties hot pictures  exbii aunty back  mahi boobs  erotic wife swapping stories  bhai bahan ki story  urdu dirty stories  sexfee.com  exhibionist wives  desi nude aunties  telugu sex kathaluu  www.nepalisex  antarvashna hindi sex stories  katrina armpits  malayalam sex katakal  marathi sex comics  tamil hot auntys images  analfuckvideo  vill girl  gandi sex story  sexy stories in marathi  tamil homely sex video  hindi chudai ki story  desi mallu story  tamil sex kathai in tamil language  secxy imege  naked mms videos  incests comics  desi hidden cameras  dressed and undressed females  18year xxxvideo  marati sex story  indian pussis  erotic stories marathi  incent sex storys  dsi porn sites  mom satisfies son  andhra mallu hot  aunty nudu  hindi font sex  didi sexy story  sexys stories  aunty undress  hindi sex story in hindi font  maa hindi sex stories  telugu sex stories pdf download  gangu sex  meri gand mari  indin xxxvideos  chaddi utar di  hindi kahaniya sexi  ennaku pundai pal veandu in tamilm  urdo saxy stories  poder gondho  squeeze boobs videos