17-01-2018, 01:20 PM
अब मैंने अपने आपको पूरी तरह स्वतंत्र पाया। मेरे मन में कोई दोष या अपराधी भाव नहीं रहा। अब मैं मेरे प्रेमीको पूरी तरह मेरा शारीरिक भोग करनेके लिए आझाद थी। राज भी हमारा संवाद सुन रहा था।
उसने सब सुन सके ऐसे कहा, “ पति और पत्नी के बिच में मात्र शारीरिक सम्बन्ध के अलावा सामाजिक, आर्थिक और मानसिक सम्बन्ध भी होता है और वह ऐसे प्रयोगों से आहत नहीं होना चाहिए।
पति हमेशा अपनी पत्नी के साथ बंधा हुआ है और होना भी चाहिए। हमने तो मात्र एक ऐसा प्रावधान चुना है की जिससे हम मर्यादित दायरेमें अपनी कामुकता को थोड़ी छूट दे सकें। ”
और फिर उसने मेरे होठों पर अपने होंठ ऐसे दबाये की मैं देखती ही रह गयी। राज का लन्ड बड़े उफान पर था। मैं जानती थी की वह मुझे चोदने के लिए बडा ही उतावला हो रहा था। मैं आज उससे बहुत बहुत प्यार करना चाहती थी। मेरे मनमें भी जो घुटन थी वह आज अनावृत हो रही थी। मैं आज पूरी उच्छ्रुन्ख्लता से राज और अनिल दोनों से चुदवाना चाहती थी।
मैंने राज के लन्ड को जोर से हिलाना शुरू किया। मेरे नरम हाथों से अपना लन्ड फुर्ती से हिलाने के कारण राज के मुंहसे अनायास ही आह.. निकल पड़ती थी। जिसे सुन नीना अपने पति की और टेढ़ी नजर से देखना और कटाक्ष भरी मुस्कान देना नहीं चुकती थी। राज का लन्ड एकदम स्निग्ध हो चुका था। राज झुक कर मेरे मम्मों को चाटने लगा।
अपना एक हाथ उसने मेरी चूत पर रखा और मेरी साफ़ स्निग्ध चूत को महसूस करने लगा। फिर धीरे से उसने मेरी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दी। उसका दुसरा हाथ मेरी गांड को प्यारसे सहलाने, दबाने और हल्कीसी चूंटी भरने में जुटा हुआ था। राज की यह कारवाई से मैं गरम होती जा रही थी। पुरे कमरे का माहौल सेक्स की खुशबु से जैसे लिप्त था। बिच बिच में हम में से किसी न किसी के मुंह से हलकी सी आह या सिसकारी निकल पड़ती थी जिससे हम दोनों युगल एक दूसरे की गति विधियां एक तिरछी नजर देख लेते थे।
उधर मैंने देखा की मेरे पति अनिल और नीना रुक रुक कर मेरी और राज की प्रेम क्रीड़ा देख कर जैसे उसका आस्वादन कर रहे थे। मेर पति नीना की चूँचियों को झुक कर बड़े प्यार से चाट रहा था और एक हाथसे नीना की चूत सहला रहा था। शायद उसकी उंगलियां भी नीना की चूत की गहराईयों का मुआइना कर रही थी जिस कारण नीना भी काफी गरम लग रही थी और अपना चूतड गद्दे पर रगड़ रही थी। नीना के हाथ मेरे पति का कड़क और चिकनाई से पूरी तरह लिप्त लन्ड को प्यार से धीरे धीरे सहला रहे थे पर यह सब करते हुए भी उनकी नजरें हम पर टिकी हुयी थीं।
मैंने अपना हाथ बढाकर नीना का हाथ मेरे हाथ में लिया। नीना ने भी बड़े प्यार से मेरे हाथ में अपना हाथ दिया और वह मेरी उँगलियों और मेरे हाथ को प्यार से दबा कर जैसे अपने मन के अंदर हो रही हलचल से मुझे अवगत करा रही थी। उस समय मुझे औरतों को अपने प्रिय पराये मर्द से पहली बार चुदवाने में कैसी उत्तेजना, झिझक और रोमांच का अनुभव होता है उसका कुछ आभास हो रहा था। यह एक ऐसा अनुभव है जिसको समझना शायद पुरुषों के लिए नामुमकिन है।
राज ने मुझे पलंग पर लीटा दिया और धीरे से मेरे ऊपर चढ़ने को तैयार हुआ। जैसे ही राज ने मुझे अपनी टांगों के बिच में लिया की मैंने अपनी टांगें राज के कन्धों पर रख दी। राज को मेरी गीली और रस बहाती हुई चूत अपनी आखों के सामने नजर आ रही थी। मेरी नंगी चूत देख कर उसकी हालत क्या रही होगी यह समझना कठिन नहीं था। राज ने झुक कर मेरी चूत को प्यार से चूमा और उसे वह अपनी जीभ से चाटने लगा। फिर अपनी जीभ का सिरा मेरी चूत में डाल कर मुझे चुदवाने के लिए उकसाने लगा। मैं तो वैसे ही मेरी गरमाई चूत मैं उसका लन्ड डलवाने के लिए पागल हो रही थी ।
जब राज मुझे चोदने के लिए अग्रसर हुए और अपना लन्ड मेरी चूत के आसपास लहराने लगे तो मैंने उसे बड़े प्यार से पकड़ा और धीरे धीरे से उसे सहलाते हुए मेरी चूत के केंद्र बिन्दु पर रखा। फिर उसे मेरी चूत में दबा कर मैंने जैसे राज को अपना लन्ड मेरी चूत में डालने के लिए आमंत्रित किया।
यह करते हुए मेरे दिल की धड़कनें कितनी तेजी से चल रही थीं और मेरे मन का क्या हाल हो रहा होगा यह तो वाचक ( और खासकर महिलाएं जिन्हें ऐसा करने का मौक़ा मिला है ) ही समझ सकते है।
उस समय राज ने मेरी भावनाओं को समझते हुए अपना लन्ड मेरी चूत में डालने से पहले झुक कर मेरे होठों पर अपने होंठ रखे और मुझे प्यार भरा चुम्बन करते हुए बोले,
“ अनीता, मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ और जब से हम मिले तब से तुम्हें चाहने और चोदने की इतनी प्रबल प्रगाढ़ इच्छा थी की मैं पागल हो रहा था। पर मैं तुहारी भावनाओं का सम्मान करता हूँ और तुमने मुझे अपना सर्वस्व देकर जो सम्मानित किया है इससे मैं अभिभूत हूँ।
मैं और नीना आप और अनिल के पति पत्नी के रिश्ते का पूरा आदर करते हैं और मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ की न तो मैं आप पर और न ही नीना आप के पति पर किसी भी तरह का अधिपत्य जमाने की इच्छा रखेंगे या कोशिश करेंगे। हमारे एक दूसरे से सेक्स करने से हमारे मूल संबंधों में कोई भी तरह की दरार या दुरी नहीं आएगी बल्कि पति पत्नी के रिश्ते और मजबूत होंगे यह विश्वास आपको दिलाना चाहता हूँ। ”
राज की बात सुनकर मेरी आँखें नम हो रही थी। तब राज ने एक हल्का धक्का देकर मेरी गीली चूत में अपना स्निग्ध, तना हुआ मोटा लंबा लन्ड घुसेड़ा। मेरी चूत की भग्न रेखा से अंदर जाते हुए मुझे पहली बार राज के लन्ड के स्पर्श और घर्षण से इतनी उत्तेजना और रोमांच का अनुभव हुआ जिसे वर्णन करना मेरे लिए संभव नहीं है। बस मैं इतना ही कहूँगी की मैं अपने आपको बड़ा भाग्यशाली मान रही थी की मुझे ऐसा अवसर प्राप्त हुआ जिसमें मुझे मेरे पति को किसी तरह के अँधेरे में रखने की जरुरत नहीं पड़ी और फिर भी मुझे ऐसा रोमांचक अनुभव हो रहा था।
जैसे राज ने मुझे चोदने की फुर्ती बढ़ाई वैसे ही मैं भी अपने चूतड़ को उठा उठा कर राज के धक्कों का जव्वाब दे रही थी जिससे मैं उसका लन्ड मेरे पुरे अंदरूनी सुरंग में ले पाऊं। मेरे पुरे बदन में राज की चुदाई से जैसे आग फ़ैल रही थी। मैं राज को और चोदने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी।
मैं बोल पड़ी, “ राज आज मुझे खूब चोदो। मेरे पति और तुम्हारी पत्नी को भी आज हम दिखाएँगे की हम भी कुछ कम नहीं। तुम बे झिझक मेरी गर्म चूत में अपना सारा वीर्य उंडेल दो। ”
मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुँचने वाली थी। अचानक मेरे पुरे बदन में एक झटका सा लगा और मेरी चूत में से जैसे फव्वारा निकल पड़ा। मैं ऐसे झड़ रही थी जैसे मैं पहली बार अनिल से उस जंगल में पेड़ के निचे चोदने पर झड़ी थी।
मेरे बदन की हलचल देख राज भी तेजी से अपनी चुदाई की गति बढ़ाते हुए अकडने लगे और एक जोरदार धक्का देकर कराहते हुए उन्होंने अपना वीर्य मेरी चूत में एक फव्वारे की तरह छोड़ा। राज के गरमा गर्म वीर्य से मेरी चूत भर गयी और मेरी कोख जैसे संतृप्त हो गयी। मेरी और राज की चिकनाहट से भरा वीर्य मेरी चूत में से उभर कर गद्दे पर गिरने लगा।
तब मेरे पति अनिल और नीना मिलकर तालियां बजाने लगे। मैंने शर्माते हुए जब उनकी और देखा तो नीना बोली, “ आज मेरी प्यारी अनीता भाभी, न सिर्फ मेरी भाभी रही बल्कि मेरी सौतन भी बन गयी पर मैं अब तुम्हें मेरी बड़ी प्यारी मीठी और अपनी सौतन बहन कहूँगी और तुम भी मुझे ऐसे ही बुला सकती हो। पर हम एक दूसरे के पति को छिनने नहीं बल्कि अपने पति को एक दूसरे से बांटने के लिए ही अग्रसर रहेंगे और हमारे इस नए रिश्तों का आस्वादन करेंगे। हमारे पति तो हमारे ही रहेंगे। ”
और फिर मेरे और राज के कहने पर मेरे पति अनिल और मेरी सौतन बहन नीना एक दूसरे पर ऐसे झपट कर चुदाई में लग गए की मैं और राज देखते ही रह गए।
हमारी कहानी करीब दो साल तक ऐसे ही चलती रही। कभी मैं मेरे दोनों पतियों से चुदती रही तो कभी नीना तो कभी मैं और नीना पूरी रात एक दूसरे के आगोश में एक दूसरे के बदन का आनंद लेते रहे।
उसने सब सुन सके ऐसे कहा, “ पति और पत्नी के बिच में मात्र शारीरिक सम्बन्ध के अलावा सामाजिक, आर्थिक और मानसिक सम्बन्ध भी होता है और वह ऐसे प्रयोगों से आहत नहीं होना चाहिए।
पति हमेशा अपनी पत्नी के साथ बंधा हुआ है और होना भी चाहिए। हमने तो मात्र एक ऐसा प्रावधान चुना है की जिससे हम मर्यादित दायरेमें अपनी कामुकता को थोड़ी छूट दे सकें। ”
और फिर उसने मेरे होठों पर अपने होंठ ऐसे दबाये की मैं देखती ही रह गयी। राज का लन्ड बड़े उफान पर था। मैं जानती थी की वह मुझे चोदने के लिए बडा ही उतावला हो रहा था। मैं आज उससे बहुत बहुत प्यार करना चाहती थी। मेरे मनमें भी जो घुटन थी वह आज अनावृत हो रही थी। मैं आज पूरी उच्छ्रुन्ख्लता से राज और अनिल दोनों से चुदवाना चाहती थी।
मैंने राज के लन्ड को जोर से हिलाना शुरू किया। मेरे नरम हाथों से अपना लन्ड फुर्ती से हिलाने के कारण राज के मुंहसे अनायास ही आह.. निकल पड़ती थी। जिसे सुन नीना अपने पति की और टेढ़ी नजर से देखना और कटाक्ष भरी मुस्कान देना नहीं चुकती थी। राज का लन्ड एकदम स्निग्ध हो चुका था। राज झुक कर मेरे मम्मों को चाटने लगा।
अपना एक हाथ उसने मेरी चूत पर रखा और मेरी साफ़ स्निग्ध चूत को महसूस करने लगा। फिर धीरे से उसने मेरी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दी। उसका दुसरा हाथ मेरी गांड को प्यारसे सहलाने, दबाने और हल्कीसी चूंटी भरने में जुटा हुआ था। राज की यह कारवाई से मैं गरम होती जा रही थी। पुरे कमरे का माहौल सेक्स की खुशबु से जैसे लिप्त था। बिच बिच में हम में से किसी न किसी के मुंह से हलकी सी आह या सिसकारी निकल पड़ती थी जिससे हम दोनों युगल एक दूसरे की गति विधियां एक तिरछी नजर देख लेते थे।
उधर मैंने देखा की मेरे पति अनिल और नीना रुक रुक कर मेरी और राज की प्रेम क्रीड़ा देख कर जैसे उसका आस्वादन कर रहे थे। मेर पति नीना की चूँचियों को झुक कर बड़े प्यार से चाट रहा था और एक हाथसे नीना की चूत सहला रहा था। शायद उसकी उंगलियां भी नीना की चूत की गहराईयों का मुआइना कर रही थी जिस कारण नीना भी काफी गरम लग रही थी और अपना चूतड गद्दे पर रगड़ रही थी। नीना के हाथ मेरे पति का कड़क और चिकनाई से पूरी तरह लिप्त लन्ड को प्यार से धीरे धीरे सहला रहे थे पर यह सब करते हुए भी उनकी नजरें हम पर टिकी हुयी थीं।
मैंने अपना हाथ बढाकर नीना का हाथ मेरे हाथ में लिया। नीना ने भी बड़े प्यार से मेरे हाथ में अपना हाथ दिया और वह मेरी उँगलियों और मेरे हाथ को प्यार से दबा कर जैसे अपने मन के अंदर हो रही हलचल से मुझे अवगत करा रही थी। उस समय मुझे औरतों को अपने प्रिय पराये मर्द से पहली बार चुदवाने में कैसी उत्तेजना, झिझक और रोमांच का अनुभव होता है उसका कुछ आभास हो रहा था। यह एक ऐसा अनुभव है जिसको समझना शायद पुरुषों के लिए नामुमकिन है।
राज ने मुझे पलंग पर लीटा दिया और धीरे से मेरे ऊपर चढ़ने को तैयार हुआ। जैसे ही राज ने मुझे अपनी टांगों के बिच में लिया की मैंने अपनी टांगें राज के कन्धों पर रख दी। राज को मेरी गीली और रस बहाती हुई चूत अपनी आखों के सामने नजर आ रही थी। मेरी नंगी चूत देख कर उसकी हालत क्या रही होगी यह समझना कठिन नहीं था। राज ने झुक कर मेरी चूत को प्यार से चूमा और उसे वह अपनी जीभ से चाटने लगा। फिर अपनी जीभ का सिरा मेरी चूत में डाल कर मुझे चुदवाने के लिए उकसाने लगा। मैं तो वैसे ही मेरी गरमाई चूत मैं उसका लन्ड डलवाने के लिए पागल हो रही थी ।
जब राज मुझे चोदने के लिए अग्रसर हुए और अपना लन्ड मेरी चूत के आसपास लहराने लगे तो मैंने उसे बड़े प्यार से पकड़ा और धीरे धीरे से उसे सहलाते हुए मेरी चूत के केंद्र बिन्दु पर रखा। फिर उसे मेरी चूत में दबा कर मैंने जैसे राज को अपना लन्ड मेरी चूत में डालने के लिए आमंत्रित किया।
यह करते हुए मेरे दिल की धड़कनें कितनी तेजी से चल रही थीं और मेरे मन का क्या हाल हो रहा होगा यह तो वाचक ( और खासकर महिलाएं जिन्हें ऐसा करने का मौक़ा मिला है ) ही समझ सकते है।
उस समय राज ने मेरी भावनाओं को समझते हुए अपना लन्ड मेरी चूत में डालने से पहले झुक कर मेरे होठों पर अपने होंठ रखे और मुझे प्यार भरा चुम्बन करते हुए बोले,
“ अनीता, मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ और जब से हम मिले तब से तुम्हें चाहने और चोदने की इतनी प्रबल प्रगाढ़ इच्छा थी की मैं पागल हो रहा था। पर मैं तुहारी भावनाओं का सम्मान करता हूँ और तुमने मुझे अपना सर्वस्व देकर जो सम्मानित किया है इससे मैं अभिभूत हूँ।
मैं और नीना आप और अनिल के पति पत्नी के रिश्ते का पूरा आदर करते हैं और मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ की न तो मैं आप पर और न ही नीना आप के पति पर किसी भी तरह का अधिपत्य जमाने की इच्छा रखेंगे या कोशिश करेंगे। हमारे एक दूसरे से सेक्स करने से हमारे मूल संबंधों में कोई भी तरह की दरार या दुरी नहीं आएगी बल्कि पति पत्नी के रिश्ते और मजबूत होंगे यह विश्वास आपको दिलाना चाहता हूँ। ”
राज की बात सुनकर मेरी आँखें नम हो रही थी। तब राज ने एक हल्का धक्का देकर मेरी गीली चूत में अपना स्निग्ध, तना हुआ मोटा लंबा लन्ड घुसेड़ा। मेरी चूत की भग्न रेखा से अंदर जाते हुए मुझे पहली बार राज के लन्ड के स्पर्श और घर्षण से इतनी उत्तेजना और रोमांच का अनुभव हुआ जिसे वर्णन करना मेरे लिए संभव नहीं है। बस मैं इतना ही कहूँगी की मैं अपने आपको बड़ा भाग्यशाली मान रही थी की मुझे ऐसा अवसर प्राप्त हुआ जिसमें मुझे मेरे पति को किसी तरह के अँधेरे में रखने की जरुरत नहीं पड़ी और फिर भी मुझे ऐसा रोमांचक अनुभव हो रहा था।
जैसे राज ने मुझे चोदने की फुर्ती बढ़ाई वैसे ही मैं भी अपने चूतड़ को उठा उठा कर राज के धक्कों का जव्वाब दे रही थी जिससे मैं उसका लन्ड मेरे पुरे अंदरूनी सुरंग में ले पाऊं। मेरे पुरे बदन में राज की चुदाई से जैसे आग फ़ैल रही थी। मैं राज को और चोदने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी।
मैं बोल पड़ी, “ राज आज मुझे खूब चोदो। मेरे पति और तुम्हारी पत्नी को भी आज हम दिखाएँगे की हम भी कुछ कम नहीं। तुम बे झिझक मेरी गर्म चूत में अपना सारा वीर्य उंडेल दो। ”
मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुँचने वाली थी। अचानक मेरे पुरे बदन में एक झटका सा लगा और मेरी चूत में से जैसे फव्वारा निकल पड़ा। मैं ऐसे झड़ रही थी जैसे मैं पहली बार अनिल से उस जंगल में पेड़ के निचे चोदने पर झड़ी थी।
मेरे बदन की हलचल देख राज भी तेजी से अपनी चुदाई की गति बढ़ाते हुए अकडने लगे और एक जोरदार धक्का देकर कराहते हुए उन्होंने अपना वीर्य मेरी चूत में एक फव्वारे की तरह छोड़ा। राज के गरमा गर्म वीर्य से मेरी चूत भर गयी और मेरी कोख जैसे संतृप्त हो गयी। मेरी और राज की चिकनाहट से भरा वीर्य मेरी चूत में से उभर कर गद्दे पर गिरने लगा।
तब मेरे पति अनिल और नीना मिलकर तालियां बजाने लगे। मैंने शर्माते हुए जब उनकी और देखा तो नीना बोली, “ आज मेरी प्यारी अनीता भाभी, न सिर्फ मेरी भाभी रही बल्कि मेरी सौतन भी बन गयी पर मैं अब तुम्हें मेरी बड़ी प्यारी मीठी और अपनी सौतन बहन कहूँगी और तुम भी मुझे ऐसे ही बुला सकती हो। पर हम एक दूसरे के पति को छिनने नहीं बल्कि अपने पति को एक दूसरे से बांटने के लिए ही अग्रसर रहेंगे और हमारे इस नए रिश्तों का आस्वादन करेंगे। हमारे पति तो हमारे ही रहेंगे। ”
और फिर मेरे और राज के कहने पर मेरे पति अनिल और मेरी सौतन बहन नीना एक दूसरे पर ऐसे झपट कर चुदाई में लग गए की मैं और राज देखते ही रह गए।
हमारी कहानी करीब दो साल तक ऐसे ही चलती रही। कभी मैं मेरे दोनों पतियों से चुदती रही तो कभी नीना तो कभी मैं और नीना पूरी रात एक दूसरे के आगोश में एक दूसरे के बदन का आनंद लेते रहे।