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Gay शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड

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Gay शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड
Himanshu bajaj Offline
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#1
03-08-2017, 12:58 AM (This post was last modified: 03-08-2017, 03:16 AM by Himanshu bajaj.)
मेरा नाम हिमांशु बजाज है मेरी उम्र 25 साल है और मैं ठीक ठाक दिखने वाला लड़का हूँ.. मुझे अपनी उम्र के आस-पास के लड़कों में ही रुचि है.. और जाहिर सी बात है कि मुझे भी लड़कों में रुचि है तो मेरी जिंदगी में भी कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जो पाठकों के साथ मैं शेयर करना चाहूँगा..
उन्हीं में से एक घटना मैं आपके सामने विस्तार से बताने जा रहा हूँ..
बात अप्रैल 2013 की है जब मैं अपनी मौसी के लड़के आकाश की शादी में सोनीपत गया हुआ था.. और मेरे लिए शादी का मतलब जवान लड़कों का मेला जो अपनी जवानी के चर्म पर होते हैं।
और शादी में इस तरह के वाकये बहुत होते हैं जब लड़के किसी लड़की को पटाने की खूब कोशिश करते हैं यानि सेक्स कहीं न कहीं उनके दिमाग में चल रहा होता है।
चल तो मेरे दिमाग में भी रहा था लेकिन लड़की के लिए नहीं बल्कि किसी हैंडसम से लड़के के लिए.. और ऐसा ही एक लड़का था रवि.. जो मेरी मौसी के लड़के का दोस्त था।
सब शादी के काम में लगे हुए थे और मेरी नजर सुबह से लेकर रवि पर ही बनी हुई थी।
रवि की उम्र करीब 26 साल के आस पास थी, वो 6 फीट का हट्टा कट्टा और अच्छा खासा हैंडसम लड़का था, गेहूँआ रंग.. माथे पर बिखरे हुए बाल.. छोटी छोटी काली सेक्सी आँखें.. लंबी सी नाक ..चेहरे पर हल्की दाढ़ी और हल्की मूछें ..गाजरी रंग के होंठ.. और कातिल मुस्कान..
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उसको मुस्कुराते देख मन करता था उसको ‘आई लव यू…’ बोल दूं उसके कदमों पर गिर के..

दिल तो उस पर पहली बार देखते ही आ गया था जब उसने सफेद रंग की कॉटन वाली आधी बाजू वाली फिट शर्ट पहन रखी थी.. लगभग 16 इंच के डोले थे जिन पर बाजू कसी हुई थी और बल खा रही थी..
छाती के दो बटन खुले हुए जिनमें से उसकी छाती के बाल बाहर आ रहे थे जो उसके मर्द होने का अहसास करा रहे थे।

शर्ट के नीचे हल्के ब्लू कलर की जींस थी जिसमें उसकी मोटी मोटी जांघें thighs कसी हुई थी.. उसके कूल्हे भी काफी सुडौल थे।
जब चलता था तो उसकी कसी हुई जींस उसके सामान को और उभार देती थी जिसे देखकर मन ललच उठता था..
क्या चाल थी उसकी… जैसे कोई पहलवान चला आ रहा हो..
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मैंने सोच लिया था कि चाहे कुछ भी इसके लंड को एक बार तो जरुर चखना है!
जैसे जैसे दिन चढ़ा, काम जोरों से चलने लगा, कोई हलवाई के पास लगा है तो कोई रिश्तेदारों को संभाल रहा है।
मैं रवि के आस पास ही मंडरा रहा था ताकि उससे बात करने का मौका मिले..
वो कुर्सी पर खड़ा होकर दरवाजे पर फूल माल लटकाने में व्यस्त था.. जल्दी ही भगवान ने मेरी सुनी.. उसे माला की जरूरत थी और आस पास कोई नहीं था..
उसने मुझे आवाज़ दी.. भाई जरा इधर आकर ये माला पकड़ा दे मुझे..
क्या भारी आवाज़ थी.. गज़ब ..बिल्कुल मर्दों वाली..
मैं पास गया और माला ऊपर की ओर उसके हाथ में पकड़ा दी।
ऐसा करते हुए मेरा मुंह कुर्सी पर खड़े रवि की जिप की टक्कर में ठीक सामने आ गया..

हाय क्या सामान था उसका.. जिप संभाल नहीं पा रही थी..
शर्ट ऊपर उठी तो उसकी जींस के बटन के ऊपर पेट के बाल भी नजर आ गए..
मैं तो देखता ही रह गया.. क्या सेक्सी जिस्म था उसका..

माला टांगकर उसने पूछा- आकाश के दोस्त हो तुम?
मैंने कहा- नहीं मैं उसकी मौसी का लड़का हूँ..
उसने कहा- ठीक है..
बस इतना कहकर वो कुर्सी लेकर अंदर चला गया.. और मैं जींस में फंसे उसके मोटे मोटे कूल्हों को देखता रह गया।
टांगें फैला कर जब चलता था तो क्या मर्द लगता था वो..
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उसके बाद वो कहाँ गायब हुआ कुछ पता नहीं चला।
धीरे धीरे शाम हुई और करीब 5 के करीब वो दोबारा मुझे घर में दिखा..
भावनाओं में बहकर मैंने पूछ डाला- आप कहाँ चले गए थे सुबह से?
वो कातिल मस्कान के साथ मुस्कुराया और बोला- क्यूं कुछ काम था क्या..
मैं होश में आया और बोला- नहीं बस ऐसे ही.. आकाश भैया पूछ रहे थे..
वो बोला- आकाश तो मेरे साथ ही था।
मेरी चोरी पकड़ी गई और मैंने बहाना बनाया- नहीं वो आपका कोई दोस्त पूछ रहा था।
वो बोला- ठीक है मैं बात कर लूंगा..
रात आई और 8 बजे डीजे वाले बाबू ने गाने बजाने शुरु कर दिए..
सब फ्लोर पर इकट्ठा होने लगे..
आकाश के सभी दोस्त आ चुके थे लेकिन मेरी आंखें रवि को ढूंढ रही थी..
मैंने इधर उधर देखा तो वो घर के बाहर हल्की रोशनी में कार के पास खड़े होकर शायद शराब पीने में मस्त थे।
मैं वापस आ गया..
कुछ देर बाद वो आ गया और मैं उसको देखकर आँखें सेंकने लगा।
वो फ्लोर पर आकर मस्ती में नाचने लगा.. और मैं उसके भरे शरीर के हर एक हिस्से को देखकर अपनी कल्पनाओं में लगा रहा।
2 घंटे तक नाचने के बाद डीजे बंद हुआ और सब घर के अंदर चले गए और अपनी अपनी सोने की जगह तलाशने लगे।
रवि अभी भी नशे में था, उसने आकाश को गुट नाइट बोला और वो ऊपर छत की तरफ जाने लगा।
गर्मी के दिन थे तो मैंने सोचा कि शायद रवि छत पर सोने वाला है.. मैं भी उसके साथ सोने की प्लानिंग में लग गया।
मैंने मौसी को बोला कि मौसी मुझे बहुत गर्मी लग रही है मेरा नीचे सोने का मन नहीं कर रहा है..
मौसी बोली- कोई बात नहीं बेटा, तू ऊपर छत पर सो जा रवि के साथ..
मौसी ने जैसे मेरे मुंह की बात छीन ली..
मैं उछलता हुआ सीढियाँ चढ़ कर छत पर पहुंचा तो देखा रवि फर्श पर बिछे गद्दे पर टांगें फैला कर पड़ा हुआ है।
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.. मैं धीरे से उसकी बगल में जाकर लेट गया।
वो नशे में था और शायद सो चुका था.. उसने सेंडो बनियान पहन रखी थी जिसकी पट्टी उसकी छाती पर कसी हुई थी और पूरी छाती के बाल दिख रहे थे।
उसके हाथ उसके सिर के पीछे खुले हुए थे और उसकी बगल के बालों में से पसीने की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी जिसे पाकर मैं मदहोश हुआ जा रहा था..
मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके पैरों वाली साइड में उसकी तरफ मुंह करके लेट गया और उसकी फैली टांगों के बीच बने उसकी जिप के ऊभार को देखने लगा।
उसका हाथ अचानक उसकी जिप पर आया और खुजाने लगा जिससे उसका लंड एक साइड में नजर आने लगा।
अब तो मैं बेकाबू हुआ जा रहा था.. मैंने धीरे से उसके साइड में आए हुए लंड पर हल्के से हाथ रखा और दबाकर देखा।
हाय, क्या लंड था.. सोया हुआ भी 6 इंच का लग रहा था..
अब तो हद हो गई… मैंने धीरे से उसकी जींस का बटन खोला और जिप को खोल दिया।
लाल रंग के अंडरवियर में लंड साइड में लगा हुआ था जिसकी शेप एकदम साफ दिख रही थी और मस्त लग रही थी और उसके भारी भारी आंड उसकी जिप को अभी भी उठाए हुए थे।
मैंने धीरे से अंडरवियर के ऊपर से ही लंड को छूआ और मेरे बदन में सरसराहट सी दौड़ गई.. एक जवान मर्द मेरे सामने खुली जिप के साथ लेटा है जिसका मस्त सा लंड अंडरवियर में छिपा है और मैं उसे देखने के लिए बेताब हूँ।
यह सोचकर मैंने खुद पर काबू खो दिया और उसके लंड को वहीं पर किस कर लिया, अब उसको प्यार से सहला रहा था..
अब मैंने पूरा हाथ उसके लंड और आंड पर रख दिया जिससे उसने टांगें थोड़ी और फैला दीं और उसका मर्द-पना और छलकने लगा।
अब मैं पागल हो चुका था.. मैंने धीरे से उसके लाल अंडरवियर की पट्टी तगड़ी के पास से उठाई और उसके नीचे दिख रही झाटों में होंठ रख दिए, उनको सूंघा तो मदमस्त हो गया.. क्या खुशबू थी उसके लौड़े की..
अब रहा नहीं गया और उसके साये हुए 6 इंच के लंड को मुंह में ले लिया.. वो वैसे ही लेटा रहा, मैं लंड को आंड तक मुंह में लेकर चूस रहा था।
2 मिनट तक चूसने के बाद उसमें तनाव आना शुरु हुआ और देखते देखते उसका लंड 8.5 इंच का होकर मुंह में झटके मारने लगा।
वो एकदम से उठा और एक सेकेंड के लिए मुझे देखकर नशे में ही मुस्कुराया और वापस गद्दे पर गिर गया।
मैं एक बार के लिए सहमा लेकिन उसका मूसल जैसा खड़ा लंड देखकर फिर से सब भूल उसको चूसने में लग गया, कभी उसके आंड चूसता कभी लंड का लाल सुपाड़ा, कभी पेट के बाल चूमता कभी झांट.. पागल हो चुका था मैं उसे पाकर..
8-10 मिनट तक चूसने के बाद उसके हाथ मेरे सिर पर आ गए और वो मुंह को लौड़े पर धकेलने लगा.. उसने मेरे बाल पकड़े और पूरा लंड आंडों तक मुंह में घुसा दिया जो मेरे हलक में जा लगा..
कुछ सेकेंड तक ऐसे ही रखा और फिर चुसवाने लगा..
उसका लंड अब झड़ने वाला था और 15-20 सेकेंड बाद उसके मस्त लौड़े से निकली वीर्य की पिचकारियों ने मेरा मुंह भर दिया..
उसके नमकीन और कुछ कुछ कड़वे वीर्य को मैं हवस की आग में पी गया..
मैंने उसका लंड मुंह से निकाला और उसकी जिप को वापस से बंद करके उसकी बगल में लेट गया..
वो अभी भी नशे में था और अपनी भारी सी टांग मेरे पेट पर रख कर सो गया।
उसका एक डोला मेरे मुंह पर रखा हुआ था जिसके चलते उसकी बगल के बाल मेरी नाक पर थे और उसकी खुशबू को लेते लेते कब मुझे नींद आ गई, कुछ पता नहीं चला..
इससे आगे की कहानी दूसरे भाग में जल्दी ही बताऊँगा। यह कहानी आपको अगर पसंद आई हो तो प्लीज़ लाइक करें और थ्रेड पर कमेंट्स जरूर करें।
 
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03-08-2017, 03:19 AM
delicious cock suck


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#3
03-08-2017, 03:21 AM
चूस साले मेरा लंड!


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#4
03-08-2017, 03:22 AM
चूसने का मज़ा


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#5
03-08-2017, 03:24 AM
और चूसो मेरा लंड!


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#6
03-08-2017, 03:25 AM
लंड देखने का चस्का!


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#7
03-08-2017, 07:51 PM (This post was last modified: 03-08-2017, 08:18 PM by rajbr1981.)
दोस्तो, जैसा कि मैं पहली कहानी में बता चुका हूं कि मौसी के लड़के आकाश का दोस्त रवि मुझे बहुत भा गया था और उसके नशे की हालत का फायदा उठाकर उसी रात मैंने उसका 8.5 इंच का लंड चूसा था..
तो कहानी को आगे बढ़ाते हुए मैं आपको बताता हूं कि आगे क्या हुआ..

वह रात मेरे लिए जैसे सपनों की रात थी.. मेरी पसंद का जवान लड़का जो एक असली मर्द था, मुझे उसके साथ सोने का मौका मिला था और उसके वीर्य को चखने का सौभाग्य भी..
तो दोस्तो, उस रात की सुबह मेरे लिए असमंजस भरी थी, समझ नहीं आ रहा था कि रवि से नज़रें कैसे मिलाऊँगा.. वो मेरे बारे में क्या सोचेगा.. कहीं उसने आकाश या मौसी को बता दिया तो मेरे घर वालों की शादी में क्या इज्जत रह जाएगी!
मैंने हवस के नशे में उसक लंड चूस तो लिया लेकिन अब बहुत पछता रहा था.. इसलिए मैं चुपचाप सुबह जल्दी उठकर नीचे आ गया था रवि को ऊपर सोता हुआ छोड़कर..
एक घंटे बाद रवि नीचे आया..
हमेशा की तरह उसके चेहरे पर वही हल्की सी मुस्कान थी जिसे देखकर मैं उस पर लट्टू हो गया था लेकिन अबकी बार मैं उसे निहारने की बजाय उससे नजरे चुराने लगा.. मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि उसके सामने खड़ा रह सकूँ, मैं अंदर चला गया और वो फ्रेश होकर यहाँ वहाँ काम में लग गया।
मैं भी 12-1 बजे तक उसके सामने नहीं आया..

फिर सब लोग घुड़चढ़ी के लिए तैयार होने लगे..
आकाश को 2 बजे तक तैयार करके घोड़ी पर बिठा दिया गया।
मैं जैसे ही बाहर आया, मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं..

सामने रवि खड़ा था..
उसने स्काई ब्लू रंग की हाफ बाजू की शर्ट पहन रखी थी जो उसकी छाती पर खिंची हुई थी और कसे हुए डोलों के साथ उसके हाथों पर मर्दाना बाल बड़े मस्त लग रहे थे.. उसने सफेद रंग की कॉटन की पैंट पहन रखी थी जो काफी पतले फेबरिक की थी और उसमें से उसकी काली फ्रेंची उसकी जांघों पर कसी हुई साफ नजर आ रही थी जो जिप के पास जाकर एक बड़ा उभार बना रही थी।


मैंने एक नजर उसको देखा और फिर चुपचाप बगल में से निकल गया।
वो कुछ नहीं बोला और कुछ देर बाद सब ढोल के आगे नाचने लगे.. रवि भी आ गया..
लेकिन कल की तरह उसने आज भी पी ली थी और वो मस्ती में नाच रहा था।
मेरे लिए भी अच्छा मौका उसको जी भर कर देखने का..

आधे रास्ते जाने के बाद वो भीड़ से बाहर निकला और थोड़ा अलग सा जाकर फोन पर बात करने लगा.. और हंसने लगा..
फिर उसने अपना लंड खुजलाया और चेहरे के भाव थोडे शरारती हो गए.. शायद उसकी गर्लफ्रेंड का फोन था..
कुछ सेकेंड बाद मैंने देखा उसका बल्ज(जिप का उभार) धीरे धीरे बढ़ रहा है.. शायद लड़की की बातों का असर था।

देखते देखते उसकी सफेद पैंट में एक उसकी चैन के एक तरफ 9 इंच का मोटा सा गोल डंडा नजर आने लगा जो चलते हुए उसकी पेंट में बाहर निकलने को हो रहा था।
उसने फोन जेब में रख लिया और एक कोने में पेशाब करने जाने लगा..


मैं ये सब छुपकर देख रहा था..
वो पास में एक कोने में गया और टांगें चौड़ी खोल कर मूतने लगा..
क्या मर्द लग रहा था वो मूतते समय..


मेरा दिल मचल गया कि भाग कर उसके पास जाऊँ और उसके खड़े लंड को मुंह में भर लूं..


लेकिन किसी तरह काबू करके रह गया..

घुडचढ़ी कुछ देर बाद खत्म हुई और बारात की तैयारी होने लगी।
सब लोग अपनी गाड़ियों में बैठ गए और बाराती जाने लगे.. बचा मैं और पड़ोस का एक लड़का.. मौसा जी ने रवि को बुलाया और कहा कि तू अंश को अपने साथ ले जा दूसरे लड़के को हम बस में भेज देंगे।

ये सुनकर मेरे पैरों तले से ज़मीन खिसक गई..
मैंने टाल मटोल करने की कोशिश की लेकिन मौसा जी नहीं माने..
मैं डरते हुए रवि की गाड़ी में पिछली सीट पर बैठ गया..

रवि बोला- आगे आ जाओ..
मैंने खुद से कहा- मर गया बेटा अब तो तू..
और मैं जाकर आगे वाली सीट पर उसकी बगल में बैठ गया।

गाड़ी चली और उसने गाने लगा दिए..
हम आधे रास्ते में थे और मैं अपनी उधेड़़बुन में लगा हुआ था कि अचानक एक भारी भरकम आवाज से मेरे ख्याल टूटे- अंश..!!
मैंने संभलकर बोला- हाँ रवि भैया?
‘रात को तुम क्या कर रहे थे..’

मेरी आधी सांस ऊपर और आधी नीचे.. मैंने कहा- भैया वो…
मेरी गर्दन शर्म के मारे गड़ गई और मुंह उतर गया..

‘अरे बोल यार ..बता तो सही?’
‘भैया, आप डांटोगे तो नहीं?’
‘नहीं डांटूंगा… बता तो सही?’

‘भैया मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ..’
‘हा हा हा हा..’ वो ठहाका मारकर हंसा पड़ा और बोला- क्यूं.. मैं क्या लड़की हूं जो तू मुझे पसंद करता है?
‘नहीं, मेरा वो मतलब नहीं था!’
‘भैया पता नहीं लेकिन आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो!’

‘अच्छा.. क्या अच्छा लगता है मुझमें?’
‘आपकी आवाज़.. आपका मुस्कुराना.. आपका चलना..’
वो और जोर से हंसने लगा और बोला- ठीक है..

मैं उसके रिएक्शन का इंतजार करता रहा लेकिन वो कुछ नहीं बोला।
फिर मैंने धीरे से पूछा- भैया आप मुझसे नाराज तो नहीं हो ना?
वो बोला- बिल्कुल नहीं!
‘मुझे लगा आप मुझे मारोगे.. पीटोगे और मम्मी को बता दोगे!’
‘नहीं ऐसा कुछ नहीं है.. मैं तुम्हारी फीलिंग समझ सकता हूँ।’

‘लेकिन पहले मैं तुम जैसों को गंडवा ही समझता था क्योंकि मुझे पहले भी एक बार तुम जैसा ही लड़का मिला था जिसने मेरे लंड को बस में छूने की कोशिश की थी तो मैंने उसको सबके सामने भरी बस में थप्पड़ मार दिया था और उसको खूब गाली दी और गंडवा कहकर बस से बाहर निकाल दिया था.. लेकिन बाद में मुझे पता चला कि वो हमारे ही आस पास के एरिया का था और उसने बेइज्जती होने के कारण नहर में कूद कर आत्म हत्या कर ली थी..’
‘लेकिन तेरी भाभी ज्योति से मैंने जब इस बारे में बात की तो उसने मुझे समझाया कि आजकल लड़के भी लड़कों को पसंद करते हैं.. जो लड़के मर्दों को पसंद करते हैं उनकी फीलिंग बिल्कुल लड़कियों वाली होती है। वो भी किसी लड़के को ऐसे ही पसंद करते हैं जैसे हम लड़कियाँ करती हैं और दूसरी तरह के समलैंगिक गांड मारने में रुचि रखते हैं.. और तीसरी तरह के बायसेक्सुएल होते हैं जो लड़की और लड़का दोनों के साथ संबंध बनाने की इच्छा रखते हैं..’
ज्योति ने मुझे समझाया कि मान लो अगर तुम किसी लड़की को पसंद करते हो तो तुम भी कोशिश करोगे उसके करीब जाने की.. उसको टच करने की.. ऐसा ही समलैंगिक!
तब जाकर मुझे अपने गुस्से पर अफसोस हुआ कि मैंने बिना सोच-विचार के उस अनजाने लड़के की भावना को समझे बिना ही उसको थप्पड़ मार दिया जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी जिंदगी खत्म कर ली.. इसलिए मुझे तुम पर बिल्कुल गुस्सा नहीं है।

रवि की ये बातें सुनकर मेरी आंखों से आंसू गिरने लगे थे..
उसने मेरी तरफ देखा, सिर पर हाथ फेरा और मुझे अपनी गोद में लिटा लिया और गाड़ी चलाता रहा।

मैं अंदर से भाव विभोर था और रवि से प्यार करने लग गया था…
लेकिन साथ ही उसकी मर्दाना जांघों पर सिर रखे हुए मेरी वासना भी जागने लगी थी और मेरे होंठ बिल्कुल उसकी जिप के सामने आ गए थे लेकिन वो आराम से गाड़ी चला रहा था।


फिर उसने पूछा- और क्या पंसद करते हो तुम मुझमें?
‘सब कुछ भैया…आपकी हर चीज़ आपकी बॉडी.. आपकी चेस्ट.. चेस्ट के बाल.. आपकी थाईज़…’

वो मेरा मुंह अपनी जिप में घुसाते हुए बोला- और ये?
मैं मुस्करा दिया और हाँ बोला।
मेरे हाँ कहते ही उसने अपने बाएं हाथ से मेरे सिर को आगे धकेलते हुए मेरा मुँह अपने आंडों में घुसा दिया और ऐसे ही सिर को पकड़ के आगे पीछे करते हुए जिप के उभार पर मारता रहा।

और कुछ ही सेकेंड्स में उसकी सफेद पैंट में से दिख रही काली फ्रेंची में एक सख्त रॉड सी साइड में आकर झटके मारने लगी।
मैंने अब खुद ही उसको हाथ में दबाकर उसका जायजा लिया और जिप को खोलकर हाथ अंदर डाल दिया, उसकी टांगें सीट पर और चौड़ी फैल गईं और मैंने फ्रेंची के ऊपर से लंड को हाथ में ले लिया।

मेरा मुंह उसने अपनी फ्रेंची में घुसा दिया, पसीने और लंड की खुशबू लिए उसकी अंडरवियर को मैंने जीभ से चाट लिया जिससे उसके लौड़े ने जोर से ऊपर की ओर सलामी मार दी।
अब उसने खुद ही अंडरवियर हटाकर अपना 8.5 इंच का प्रीकम छोड़ रहा लौड़ा मेरे मुंह में दे दिया और गांड उठाकर मुंह को चोदने लगा।

एक हाथ स्टेयरिंग पर और एक मेरे सिर पर.. वो मस्ती से मेरा मुंह चोदे जा रहा था और मैं उसके लंड को अपने गर्म मुंह में लेता हुआ मस्ती से चूसे जा रहा था।

एका एक उसने गाड़ी साइड में रोक दी और दोनों हाथों से मेरे सिर पकड़कर गले तक लंड को उतारने लगा..
मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था।

फिर उसने अपनी पैंट को घुटनों तक नीचे सरका दिया और फ्रेंची को जांघों पर ले आया जिससे उसके मोटे मोटे आंड आजाद हो गए..
उसकी जांघों के बाल और काले झाटों में उसका 9 इंच का लंड देखकर मैं भी पागल हो रहा था, उसके आंड मुंह में समा भी नहीं पा रहे थे लेकिन मैं भी रवि की कमर को बाहों में भरकर जीभ से उसके आंडों को आनंदित करने लगा।

उसने सीट पीछे की और आराम से लेटकर आंड चुसवाने लगा।
मैंने उसकी शर्ट को ऊपर छाती तक उठा दिया जिससे उसका सेक्सी बदन आधा नंगा हो गया और मैं उस पर हाथ फेरता हुआ उसकी जांघों की चुम्मी लेने लगा जिससे उसका नशा और बढ़ गया।

मैं उसके आंड और लंड को बारी बारी से चूसने लगा। अब उसका लौड़ा भी काफी कड़ा हो गया था और उसका जोश भी बढ़ गया था.. उसने लंड की स्किन को नीचे किया और बोला- जरा टोपा चूस दे..

मैं लॉलीपोप की तरह उसके मोटे लाल सुपारे को चूसने लगा और वो मदहोश होने लगा.. उसका नमकीन प्रीकम बूंद बूंद करके बाहर आ रहा था जिसे मैं बार बार जीभ से चाट रहा था।
वो चर्म पर पहुंचने वाला था और उसने फिर से सिर को लोड़े में घुसाया और दो झटकों में उसके वीर्य की गर्म गर्म पिचकारी मेरे गले में लगने लगी जिसे मैं प्यार से पी गया और उसका लौड़ा चाट चाट कर साफ किया।

वो उठा.. पैंट ऊपर की और उसी कातिल मुस्कान से मुस्कराया।
हमने गाड़ी स्टार्ट की और लड़की वालों के घर की तरफ गाडी दौड़ा दी।

कहानी अभी बाकी है दोस्तो.. आप अपनी राय देना न भूलें!
जल्दी ही तीसरे भाग के साथ आपके बीच लौटूंगा..

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rajbr1981 : 03-08-2017, 08:18 PM

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Good-luck
rajbr1981

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03-08-2017, 09:53 PM (This post was last modified: 03-08-2017, 10:06 PM by Himanshu bajaj.)

दोस्तो, दूसरे भाग में मैंने रवि का लंड दूसरी बार चूसा था और वो भी कार में..
अब हम लड़की वालों के गांव की तरफ बढ़ रहे थे.. सोनीपत के गन्नौर का छोटा सा ही गांव था जिसमें एक इंटों की बनी हुई लाल सड़क गांव के अंदर ले जा रही थी.. कुछ दूरी पर 10-12 कारें सड़क के दोनों तरफ खड़ी हुईं थी क्योंकि अंदर जाकर गांव की गली संकरी हो जा रही थी और उसमें कारों के आने जाने लायक जगह नहीं थी।

यह गाँव का बाहरी छोर था जहाँ गिने चुने घर ही थे और उनसे आगे खेत शुरु हो जाते थे।
यहीं पर बारातियों की कारों को ठहरा दिया गया था।

हमने अपनी कार वहीं पर लगाई और बाहर निकल कर कपड़े ठीक किए। रवि बाहर निकला तो उसकी पैंट पर जाघों के पास सिलवटें पड़ी हुई थीं जो उस गबरु जवान को और सेक्सी लुक दे रही थीं।

हमने कार लॉक की और गांव में अंदर की तरफ चल दिये। मैं मन ही मन खुश था कि रवि मुझसे नाराज नहीं है और वो मेरे घर वालों को भी कुछ नहीं बतायेगा.. यही सोचते सोचते चले जा रहा था कि कुछ दूरी पर दूल्हे (आकाश) की सवारी जा रही थी और बाराती उसके आगे खूब हुड़दंग मचाते हुए नाच रहे थे।
रवि भी जाकर भीड़ में शामिल हो गया और नाचने लगा।
शाम के करीब 6 बज चुके थे और सूरज ने अपनी गर्मी देनी लगभग बंद ही कर दी थी लेकिन नाच नाच कर रवि पसीने से तर बतर हो रहा था, उसकी स्काई ब्लू शर्ट पसीने में भीग चुकी थी और बनियान साफ नजर आ रही थी जो उसके जिस्म से चिपकी हुई थी।

नाचते बजाते बारात लड़की वालों के दरवाजे पर पहुंची और सारी भीड़ वहीं जाकर इकट्ठा हो गई.. मैं दूल्हे के पीछे ही खड़ा था और मेरे पीछे आकर रवि खड़ा हो गया.. सांसों से भरा हुआ पसीने से लथ-पथ वो आगे खड़ी लड़कियों को ताड़ने लगा.. उसके दोनों हाथ मेरे कंधों पर थे जो काफी भारी थे.. लेकिन उनकी छुअन मुझे अच्छी लग रही थी।
रवि एक लड़की को ताड़ने में व्यस्त था और मैं यह देखकर हैरान था कि वो लड़की भी उसे देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और शर्मा रही थी।
इन सब के बीच मुझे महसूस हुआ की रवि ने अपनी जिप मेरी गांड पर लगा रखी है और मेरे कंधों को दबाते हुए उभरे हुए लंड को मेरी गांड पर रगड़ रहा है।
मैंने भी अपनी गांड उसकी तरफ निकाल दी और लंड पर रख दी.. जिससे उसने मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया पैंट के ऊपर से ही लंड को गांड में घुसाने की कोशिश करने लगा।
और यह सब वो उस सामने खड़ी लड़को देखते हुए कर रहा था।

मैंने अपना एक हाथ पीछे किया और उसके खड़े लंड को पैंट में से ही पकड़ लिया..लंड फ़ुंफ़कारे मार रहा था लेकिन उसने हाथ हटवा दिया।
लोग अंदर जाने लगे… जयमाला की रस्म हुई और बाराती खाने की तरफ बढ़े।
मैं और रवि भी खाने के बाद फेरों की रस्म के लिए आगे चल दिये।
फेरे शुरु हुए और पंडित ने मंत्र उच्चारण शुरु किया.. मेरी नजर रवि पर थी और उसकी नजर उस लड़की की हरकतों पर थी जो अपने हाथ में एक कागज का टुकड़ा लिए वहाँ खड़ी थी।

रवि की नजरों में आते हुए उसने वो टुकड़ा वहीं गिराया और वहाँ से चली गई।
मैं समझ गया कि जरूर दाल में कुछ काला है।

कुछ देर बाद रवि भी उठ कर चला गया।
अब मेरे दिल-ओ-दिमाग में कोतूहल मचा हुआ था जिसने मुझे ज्यादा देर वहाँ टिकने नहीं दिया, मैं भी बाहर की तरफ निकल आया और रवि को ढूंढने लगा।
मैंने सोचा कि रवि अपनी कार में जाकर शराब पी रहा होगा.. यही सोचकर मैं कार की तरफ बढ़ने लगा.. इस वक्त ना तो दिन रह गया था और ना ही रात हुई थी लेकिन फिर भी चीजें नजर आ रही थीं।

मैं धीरे धीरे कार के पास पहुंचा और अंदर झांका तो मेरे दिल की धड़कन हथोड़े की तरह बढ़ गई…
गाड़ी की सीट नीचे हो रखी थी, रवि ने घुटनों तक पैंट निकाल रखी थी और वो लड़की आधी नंगी होकर उसके नीचे लेटी हुई थी.. और रवि अपनी भारी सी गांड को ऊपर नीचे करते हुए धक्के लगा रहा था।

एकाएक उसकी नजर मुझ पर पड़ी उसने एक नजर मुझे देखा लेकिन उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया, बस एक आंख मारी और अपने काम में लगा रहा।
लड़की नीचे थी तो मुझे देख नहीं पाई..
मैं वहीं सन्न खड़ा होकर वो नज़ारा देखने लगा..

लड़की का कमीज उसकी छाती तक उठा हुआ था और उसकी ब्रा भी ऊपर सरकी हुई थी जिससे उसकी चूचियाँ आधी नंगी दिख रही थीं… गोल गोल दूधिया रंग के नुकीले वक्ष थे उसके जो बिल्कुल तने हुए थे।
रवि उसके निप्पलों को मसल रहा था और वो सिसकारियाँ लेते हुए उसके नीचे चुद रही थी। ले लिया।
लड़की ने दोनों टांगे रवि की कमर पर टिका रखी थीं और वो पूरा मजा लेते हुए उसकी चूत को चोदे जा रहा था।

अब रवि नीचे की तरफ आया और उसकी चूत को चाटने लगा.. लड़की पागल सी हो गई और रवि के हाथ अपने चूचों पर रखते हुए उसे फिर से अपने ऊपर खींच लिया औऱ उसका लंड अपनी चूत में
रवि भी पूरे जोश में था.. लड़की ने टांगें थोड़ी फैला दी जिससे रवि बिल्कुल उसकी छाती पर लेट गया.. उसकी छाती उसके चूचे पर जा टिकी और वो रवि को चूमने लगी पागलों की तरह और रवि की गांड को अपने हाथों से दबाते हुए लंड को चूत में धकेलने लगी।
अब रवि की स्पीड भी बढ़ गई थी और गाड़ी हिलने लगी..
रवि ने उसके चूचों को दोनों हाथों में भरा और जोर जोर से दबाते हुए उसकी चूत में तेज तेज धक्के मारने लगा।
वो लड़की चीखने लगी.. और ‘आह आह..’ करते हुए 2 मिनट बाद रवि उसकी चूत में झड़ गया और उसी पर गिर गया।

अब मैं भी वहाँ से खिसक लिया कि कहीं लड़की को पता न चल जाए..
लेकिन मेरे अंदर जो वासना आग जग चुकी थी उसका क्या करता..

दोस्तो, हवस ऐसी चीज है जिसके पीछे भागते हुए हम कब क्या कर बैठते हैं कुछ पता नहीं चलता!
वही हालत मेरी थी.. मैं गांव की तरफ जा रहा था तो देखा एक जवान लड़का पास की झाड़ियों में पेशाब कर रहा था..
मैं भी जान बूझकर वहाँ पेशाब करने खड़ा हो गया ताकि उसका लंड देख सकूं और मेरी इस हरकत को वो भी देख रहा था।

काफी अच्छा लंड था उसका.. सोया हुआ लगभग 4 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा.. मुझे देखते हुए उसका लंड भी थोड़ा बड़ा हो गया.. लेकिन उसने लंड अंदर डाला और जिप बंद करके जाने लगा।
लेकिन मेरी प्यास का क्या.. मैं तिलमिलाया और सोचने लगा कि क्या कह कर इसको रोकूं?
ज्यादा न सोचते हुए मैंने कहा- भैया.. जरा सुनो!
वो बोला- क्या हुआ बोलो?

मैंने कहा- आपकी जींस बहुत अच्छी है.. कहाँ से ली?
बोला- घर के पास वाली दुकान से!
मैंने कहा- दिखाना कपड़ा कैसा है?

यह कहकर मैंने उसकी जींस का जायजा लेना शुरु किया..
कभी जेब में हाथ डाला कभी उसकी जांघों पर फेरा.. ऐसा करते हुए उसका लंड टाइट होने लगा था और साइड में दिखने लगा।
बहाने से मैं घुटनों पर बैठा और कहा- जिप दिखाना ज्यादा खिंचती तो नहीं है..
ऐसा करते वक्त मैंने बहाने से उसके लंड को छू लिया।

छूते ही लंड ने झटका मारा और उसने खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर लंड पर रगड़वाने लगा.. उसका लंड पूरा तन गया और बोला- चूसेगा
मैंने हाँ में सिर हिला दिया..
मैंने मन में कहा.. ‘मैं तो चाहता ही यही था..’

हम थोड़ा झाड़ियों के अंदर गए और मैंने बेसब्र होते हुए उसकी जींस जाघों तक नीचे की और फ्रेंची में लंड निकाल कर जोर जोर से चूसने लगा।
वो भी आहें भरने लगा औऱ ईस..ईस्स.. की आवाज़ें निकालता हुआ मजे से चुसवाने लगा।

फिर उसने मुझे पास के एक पेड़ से लगा दिया और मेरे मुंह को चूत बनाकर चोदने लगा। मैं भी उसके लंड को पूरा अंदर ले जा रहा था..
5 मिनट बाद उसने अपना वीर्य मेरे मुंह में छोड़ दिया और लंड को अंडरवियर से साफ करके वहाँ से निकल लिया।
ना उसने कुछ पूछा ना मैंने कुछ बताना चाहा..

फिर मैं भी वहाँ से आ गया और रवि को तलाशने लगा।
अब विदाई की तैयारी हो रही थी और आधे बाराती जा भी चुके थे।
विदाई के बाद मैं और रवि भी वापस जाने के लिए गाड़ी में बैठे, गाड़ी स्टार्ट की और आकाश की गाड़ी के पीछे पीछे हम घर की तरफ चल पड़े…
ना मैं कुछ बोल रहा था और ना ही रवि..

फिर रवि ने मेरी तरफ देखा और कहा- क्या सोच रहा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं भैया!
‘तो गुमसुम क्यों बैठा है? मन में कोई सवाल है तो पूछ ले!’

मैंने कहा- आप गाड़ी में जिस लड़की के साथ सेक्स कर रहे थे, वो कौन थी?
वो हंस पड़ा और बोला- वो आकाश की पत्नी की सहेली थी..
मैंने पूछा- तो आप एक दूसरे को पहले से जानते थे?
वो बोला- नहीं.. लेकिन जब मैं रिश्ते के टाइम पर यहाँ आया था तो इसने आकाश की पत्नी से मेरे बारे में पूछा था और फिर आकाश ने मुझे बताया था.. मैं भी बस एक मौके का इंतजार कर रहा था और वो मुझे आज मिल गया.. बहुत मज़ा आया उसकी चूत मारने में..

ये सब बातें करते हुए घर के नजदीक पहुंच गए थे हम..
घर पहुंच कर कार से उतरते हुए रवि बोला- अंश.. शादी तेरे भाई आकाश की है औऱ सुहागरात मैं उसकी बीवी की सहेली के साथ पहले ही मना कर आ गया..
यह बोलते हुए वो ठहाका मारकर हंसा और घर की तरफ चल दिया।

उसकी मस्तानी चाल को देखते हुए मैंने मन ही मन कहा- और मेरी सुहागरात भैया?
जल्दी ही लौटूंगा अगले भाग के साथ..
थ्रेड में प्रयुक्त चित्र इंटरनेट से लिए गए हैं,यदि किसी व्यक्ति विशेष को आपत्ति है तो फोरम में लेखक को सूचित करें, सामग्री को हटा लिया जाएगा।
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Himanshu bajaj Offline
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#9
03-08-2017, 10:05 PM
तीसरे भाग में मैंने आपको बताया था कि रवि ने किस तरह लड़की वालों के घर में मेरी गांड पर लंड लगाया था और उसके बाद उसने वहीं पर एक लड़की की चूत को भी शांत किया था..
और विदाई के बाद हम घर पहुंच गए थे..


रवि तो अपनी सुहागरात मना चुका था लेकिन मैंने जो रवि को अंदर ही अंदर अपना पति मान लिया था, वो भावना मेरे भीतर घर कर गई थी जो मुझे हर पल बेचैन रखती थी..
लेकिन करता भी तो क्या..
रवि तो एक बांका जवान मर्द था..
वो मुझे एक लड़की समझ कर कैसे प्यार कर सकता था और ना ही मैं उसको इस बात के लिए बाध्य कर सकता था.. उसने मेरी भावनाओं को समझा, मेरे लिए तो वही बहुत बड़ी बात थी।

खैर दुल्हन घर आ गई और सारे घर में खुशी और हंसी ठहाकों का माहौल बन गया और रस्में होने लगीं।
रवि भी अब आकाश के साथ व्यस्त हो गया था और घर की महिलाएँ दुल्हन की देख रेख में लगी थीं।

रात का एक बज चुका था और सभी लोग बेहद थक गए थे। सारा दिन थका होने के बाद मुझे बहुत जोर की नींद आ रही थी और आँखें खुली रखना मुश्किल हो रहा था.. आखिरकार मैंने नींद के सामने घुटने टेक दिए और मैं छत पर सोने चला गया.. वही गद्दा.. वही चांदनी रात.. लेकिन कमी थी तो बस मेरी चांद की.. जो पता नहीं कहाँ लोगों की भीड़ में छुपा हुआ था..

मैं निढाल होकर गद्दे पर गिर गया.. और आँखें झपकी लेने लगी ही थी कि सीढ़ियों में किसी के पैरों की आवाज़ सुनाई देने लगी जो धीरे धीरे तेज़ होती जा रही थी।
आँखें खोलीं तो रवि सीढ़ियाँ चढ़ चुका था.. ‘तू सोया नहीं अभी?’
‘नहीं भैया, बस सोने ही वाला था!’

‘आज तो बहुत थक गए यार..’ कहते हुए उसने शर्ट निकाल दी और सेंडो बनियान पहने हुए वो मेरे पास आकर गद्दे पर गिर गया और उसके बदन की खुशबू मेरे चारों तरफ फैल गई जिससे मेरे मन में चल रही बेचैनी को थोड़ा सुकून मिला।
‘हिमांशु.. यार, आज सिर थोड़ा भारी भारी सा लग रहा है पता नहीं नींद आएगी या नहीं.. क्या करुँ?’
‘रवि भैया, आप बुरा ना मानो तो मैं आपका सिर थोड़ा दबा दूँ?’
‘अरे पगले, बुरा मानने वाली क्या बात है इसमें.. तू तो मेरा भाई है.. आ जा…’

मैं उठकर उसके सिरहाने जा बैठा और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया और उसके घने घने बालों में हाथ फेरने लगा।
बस क्या बताऊँ दोस्तो, दिल से एक ही आरजू बार बार निकल रही थी कि यह रात कभी खत्म न हो..
मैं यूं ही उसके बालों में हाथ फेरता रहूँ और वो मेरी गोद में लेटा रहे..

लेकिन जल्दी ही उसे नींद आ गई और उसके खर्राटें शुरु हो गए..
थका तो मैं भी था लेकिन डर रहा था अगर मैं हिला तो उसकी नींद टूट जाएगी और वैसे ही उसके सिर में दर्द है..
और रात तो लगभग बीत ही चुकी है और थोड़ी देर में सुबह हो जाएगी.. इसलिए मैं रात भर उसके सिर को गोद में रखे हुए बैठा रहा ..और समय बीतता गया, चिड़ियाओं ने चहचहाना शुरु कर दिया..

सुबह के समय थोड़ी ठंड बढ़ गई थी, मैंने चादर से रवि के मुंह को ढका और नीचे आ गया।
हाथ मुंह धोकर मैं सुबह की सैर पर निकल गया लेकिन मन में वही बेचैनी फिर शुरु हो गई.. क्या करूँ.. कुछ समझ नहीं आ रहा था.. कहीं मुझे रवि से प्यार तो नहीं हो गया.. वो चला गया तो कैसे रहूँगा उसे देखे बिना?

इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढता हुआ मैं वापस घर आया तो 8 बज चुके थे और सब लोग दुल्हन के वापस जाने की तैयारी में लगे हुए थे।
मैं नहाया धोया, नाश्ता किया तब तक 10 बज गए और रवि ने गाड़ी तैयार कर दी। आकाश भी तैयार था, बस दुल्हन का आना बाकी था।

दस मिनट बाद दुल्हन आई और वो दोनों गाड़ी मैं बैठे और आकाश की ससुराल के लिए निकल गए।
धीरे धीरे करके मेहमान और रिश्तेदार जाने लगे।

शाम हो गई और मेरे अकेलेपन ने मुझे अंदर ही अदर काटना शुरु कर दिया.. रवि का अभी तक कोई अता पता नहीं था।
फिर 6 बजे के करीब आकाश की कार घर के बाहर आकर थम गई और भाभी तथा आकाश भैया घर की तरफ आने लगे लेकिन रवि?? वो तो था ही नहीं.. अब मैं क्या करूँ.. किससे पूछूँ और कैसे पूछूँ.. किसी को भी हमारी दोस्ती के बारे में नहीं पता था..

लेकिन मेरा सवाल मौसी ने ही पूछ लिया- अरे आकाश.. रवि कहाँ है.. उसको कहाँ छोड़कर आ गए?
‘माँ वो रास्ते में अपने किसी दोस्त के पास किसी काम से चला गया..!’

मैं समझ गया कि पीकर आएगा..
अब इंतज़ार करने के अलावा के मेरे पास कोई चारा नहीं था।

8 बज गए.. घर में हमारे अलावा एक रिश्तेदार ही और बचा था, बाकी सब जा चुके थे और घर काफी खाली खाली लगने लगा था।
खाने की तैयारी होने लगी.. सबने खाना खाया, तब तक 10 बज चुके थे लेकिन रवि की कोई खबर अभी तक मुझे नहीं मिल पाई थी.. मैं कभी छत पर जाता कभी गली में.. उसे देखने के लिए आंखें तरस गईं थीं।

12 बज गए और मुझे जोरों की नींद आने लगी क्योंकि पहली रात भी नहीं सो पाया था मैं और सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि मुझे ये पता नहीं लग पा रहा था कि आज रवि कहाँ सोने वाला है क्योंकि घर में दो कमरे खाली थे, एक पीछे वाला और एक छत पर.. लेकिन मैं पीछे वाले कमरे में ही उसका इंतज़ार करने लगा ताकि वो घर आए तो मुझे पता लग जाए।
लेकिन आखों ने मेरा साथ नहीं दिया और मैं गहरी नींद में सो गया..
रात के करीब 1 बजे का समय रहा होगा कि अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई भारी भरकम वज़न मेरे ऊपर आकर गिर गया है..
एकदम से आंख खुली तो रवि नशे में धुत्त मेरे ऊपर गिरा हुआ था.. उसका 80 किलो का भार मुझे टस से मस नहीं होने दे रहा था।

हालांकि मुझे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी फिर उसके बदन का मेरे पूरे बदन को स्पर्श करना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. उसका जिप वाला भाग मेरे लंड के ऊपर टिका हुआ था जिससे मुझे अति आनंद की अनुभूति हो रही थी..
मैंने पेट पर रखे अपने हाथ बाहर निकाले तो उसने भी अपनी मजबूत बाजुओं मेरे दोनों हाथों बेड पर दबा लिया।

आगे की कहानी के लिए बस थोड़ा सा इंतज़ार...
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03-08-2017, 10:27 PM
रात के करीब 1 बजे का समय रहा होगा कि अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई भारी भरकम वज़न मेरे ऊपर आकर गिर गया है..

एकदम से आंख खुली तो रवि नशे में धुत्त मेरे ऊपर गिरा हुआ था.. उसका 80 किलो का भार मुझे टस से मस नहीं होने दे रहा था।
हालांकि मुझे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी फिर उसके बदन का मेरे पूरे बदन को स्पर्श करना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. उसका जिप वाला भाग मेरे लंड के ऊपर टिका हुआ था जिससे मुझे अति आनंद की अनुभूति हो रही थी..
मैंने पेट पर रखे अपने हाथ बाहर निकाले तो उसने भी अपनी मजबूत बाजुओं मेरे दोनों हाथों बेड पर दबा लिया।
मैंने उसकी मोटी मोटी सख्त उंगलियों में अपनी नरम कोमल उंगलियाँ डाल दीं जिससे उसे मेरी तरफ से सहयोग का इशारा मिल गया।
उसके छाती से पसीने की खुशबू आ रही थी जो मुझे अजीब सुरूर की तरफ लिए जा रही थी। उसकी सासों आती शराब की महक मुझे
गुलाबों सी लगने लगी थी जो सीधा मेरी सासों में घुल रही थी और उसकी हर सांस को मैं अपनी सांस के साथ जानबूझ कर अंदर ले जा रहा था ताकि उसको जी सकूं..
मैंने पतली सी कॉटन की निक्कर पहन रखी थी जो सिर्फ मेरी जांघों तक को ढके हुए थी। मैंने अपनी दोनों टांगें हल्के से बाहर निकालीं और रवि की गांड पर दोनों तरफ से रख दीं जिससे उसका जिप का उभार मेरी जांघों के अंदर तक चला गया और मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी।
अब उसने मेरी गर्दन पर हल्के से चूमना शुरू किया और मेरी टांगों की पकड़ उसके मोटे मोटे कूल्हों पर बढ़ने लगी, मेरे हाथों को बेड पर दबोचे हुए वो धीरे धीरे अपने उभार को मेरी जांघों के अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा।
मैं भी अपनी टांगों से उसकी गांड को दबाते हुए उसका साथ देने लगा।
अब वो हुआ जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था..
उसने एकदम से अपने गाजरी होंठ, जिनमें से नशीली महक आ रही थी, मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे निचले होंठ को चूसने लगा।
मेरी आंखें हैरानी से खुलीं तो देखा तो उसकी आंखें बंद हैं और वो नशीला मर्द अपने लाल लाल होठों से मेरे होंठ चूसने में मदहोश है।
मेरे आनंद का ठिकाना नहीं रहा और मैं नागिन की तरह अपने चंदन से लिपटने लगा..
होंठ छोड़कर वो फिर से मेरी गर्दन पर चूमने लगा और मेरी आहें निकलना शुरु हो गईं। मैंने उसको कसकर बाहों में भर लिया और उसको अपने अंदर समाने के लिए बेताब हो उठा, उसकी छाती से आती पसीने की खुशबू.. उसकी महकती सासें और मेरी जांघों के बीच में उसके लंड का अहसास.. इन तीनों के तालमेल से मैं बेकाबू होता जा रहा था।
मैंने उसको उठाने की कोशिश की तो उसने मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरी छोटी छोटी चूचियों को अपने मजबूत हाथों से मसल दिया। अब वो अपनी भुजाओं से मुझे ऊपर उठाता हुआ खुद पीठ के बल लेट गया और मुझे अपनी पैंट की जिप पर बैठा दिया और उसी कातिल मुस्कान के साथ आंख मार दी।
अब बारी मेरी थी, मैं सीधा उसकी गर्दन पर टूट पड़ा, उसे पागलों की तरह चूमने लगा।
उसने अपनी शर्ट के बटन खोले और मैंने बनियान में से बाहर आ रहे उसकी छाती के बालों में मुंह दे दिया और उनको चूमने लगा।
मैंने उसकी बनियान निकालने में मदद की जिससे उसकी पहलवानों जैसी छाती नंगी हो गई और छाती के उभारों के बीच में हल्के भूरे रंग के उसके निप्पल देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया, मैंने झट से उनको मुंह में लिया और चूसने लगा।
उसकी छाती के पसीने का नमकीन स्वाद उसके निप्पलों में मिल रहा था जो मुझे पागल किए जा रहा था।
अब मैं उसके पेट के बालों के चूमता हुआ नीचे नाभि तक पहुंचा तो उसकी फॉर्मल पैंट का हुक बीच में आ गया जिसमें कुछ हल्के हल्के
छोटे झाटों के बाल ऊपर आ रहे थे।
उसकी फॉर्मल ग्रे पैंट में उसका लंड बाईं तरफ अकड़ा हुआ झटके मार रहा था और प्रीकम की बूंदें पैंट को लंड की टोपी के पास से गीली कर रही थीं।
मैंने पैंट के ऊपर से प्रीकम को चाटा और लंड को किस कर लिया जिससे लंड ने जोर का झटका मारा और मैंने हाथ में लंड को भर
लिया।
आनंद से उसके रसीले होंठों से सिसकी निकल गई।
मेरे हाथ पैंट के हुक पर पहुंच गए, उसकी पैंट का हुक खोलते समय मेरे मुहं से लार गिरने लगी थी।
हुक खुलते ही उसने पैंट घुटनों तक सरका दी और ग्रे जॉकी के अंडरवियर में उसका लंड फुक्काड़े मारता हुआ फ्रेंची को उसकी बालों भरी जांघों से एक इंच ऊपर की ओर उठाता हुआ तंबू बना रहा था।
जांघों पर फ्रेंची की लाइन के साथ साथ बालों में प्रीकम लगा हुआ था जिसे मैं जीभ से चाट गया और फ्रेंची में से ही लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा।
उसने अपने हाथों से मेरे बाल पकड़े और फ्रेंची में तने लौड़े पर मेरे होंठों को फिराने लगा.. कभी आंडों में घुसाता और कभी दांतों में फंसा देता।
अब मेरे सब्र का बांध टूटा और मैंने फ्रेंची का जांघों तक खींच दिया और उसका 9 इंच का प्रीकम से सना लंड मेरी नाक पर जा लगा जिससे वीर्य की खुशबू आ रही थी और टोपी की भीग चुकी थी। स्किन के अंदर दिख रहे लाल सुपारे में मूत्र मार्ग की दरार पर ताजी चमकीली प्रीकम की बूंद आई थी जिसे मैं चाट गया..
और लंड को अपने गर्म मुंह में भर लिया..
उसका हथियार लोहे जैसा तप रहा था और मैं उसे बेतहाशा चूसे जा रहा था।
उसने पेंट पूरी निकाल दी थी और अब वो मर्द मेरे सामने घुटनों तक आ चुकी फ्रेंची में नंगा लेटा हुआ अपना 9 इंच का लौडा मुंह में पेले जा रहा था।
एकाएक उसने सिरहाने पड़ा तकिया उठाया और अपनी कमर के नीचे रख दिया जिससे मेरी नाक उसकी बालों भरी गांड में जा घुसी और होंठ उसकी गांड के छेद पर..
मुझे भी होश नहीं था कि क्या हो रहा है और मैं पसीने में गीले हो चुके उसकी गांड के बालों को सूंघता हुआ उसके छेद को चाटने लगा।
उसने अपनी भारी भरकम टांगें मेरी कमर पर डाल दी और हाथों से मेरा सिर पकड़कर गांड में दबाया और चटवाने लगा।
उसकी गद्देदार बालों भरी गांड में मुंह देकर चाटने में जो मजा मुझे आ रहा था वो शायद दुनिया की किसी चीज़ में नहीं आ सकता था..
मैं जीभ को नुकीली करके उसकी गांड में घुसाने की कोशिश कर रहा था और दाएं हाथ से उसके लंड की मुट्ठ मार रहा था।
5 मिनट तक गांड चाटने के बाद अब मैंने फिर से लंड को गले तक मुंह में भरा और चूसने लगा लेकिन तुरंत ही मुझे उठाया और बेड पर कमर के बल पटक दिया.. उसने फ्रेंची उतार फेंकी और पूरा नंगा होकर घुटनों के बल खड़ा होकर मेरी निक्कर को निकाल फेंका और टी-शर्ट को फाड़ दिया।
अब उसने मेरी गर्दन को पकड़ा और अपनी तरफ खींचकर मुंह में एक बार लंड को घुसाया और दो धचके मार कर निकाल लिया जिससे पूरे लंड पर थूक लग गया।
अब उसने मेरी टांग ऊपर उठाई और गांड में थूक दिया और अपने लंड के अगले भाग से उस थूक को मेरी गांड पर फैला दिया।
अब उसने अपने 3 इंच मोटे लंड का 4 इंच की गोलाई वाला सुपाड़ा मेरी गांड पर रखा और धक्का दिया।
मैं कसमसा गया.. लेकिन लंड अंदर नहीं जा सका.. गांड काफी टाइट थी।
उसने थोड़ा और जोर लगाया और आधी टोपी अंदर चली गई लेकिन उस वक्त मुझे ऐसा दर्द हुआ कि मेरी आंखें बाहर निकल आईं और मैं आधा बेहोशी की हालत में पहुंच गया।
अब रवि का सब्र टूट रहा था, उसने दोनों हाथों में मेरी दोनों जांघों को दबोचा और एक जोर का धक्का लगा दिया और गांड को फाड़ता हुआ आधा लंड अंदर जा घुसा।
मैं कराह गया और रोने लगा..
उसने मेरे मुंह पर हाथ रखा और एक जोर के झटके में सार पूरा लंड गांड में उतार कर मेरे ऊपर लेट गया।
कुछ सेकेंड तक ऐसे ही रहने के बाद उसने मेरे मुंह पर से हाथ हटाया तो मेरी आंखों से पानी बह रहा था।
वो उठा और धीरे धीरे से लंड को गांड में हिलाना शुरु किया जिससे दर्द में कुछ कमी आई… और उसने हल्के हल्के धक्के मारने शुरु किए।
दोस्तो, जब उसका लंड मेरी गांड के छेद पर से रगड़ खाता हुआ अंदर बाहर जा रहा था तो उसके लंड की टोपी पर हो रही उत्तेजना से मिलने वाले आनन्द को मैं रवि के चेहरे पर साफ देख सकता था जिससे उसके होंठ खुल गए थे और वो जोशीले अंदाज में अपना औजार अंदर बाहर किए जा रहा था और जिससे देखकर मुझे अंदर खुशी मिल रही थी।
दर्द इतना था कि आंसू बनकर आंखों से बह रहा था लेकिन फिर भी उसके चेहरे को देखते हुए मैं मुस्कुराता हुआ उसके लंड को लिए जा रहा था।
धीरे धीरे गांड का दर्द और कम हुआ और मैं उसकी चुदाई का आनंद लेने लगा।
वो इंजन था और उसका लौड़ा पिस्टन.. जिसका रिदम ऐसा बन गया था कि उसको लंड को लेते समय मुझे स्वर्ग सा अनुभव होने लगा था।
उसने मेरे हाथ पकड़े और उनको चूमता हुआ बोला- आई लव यू अंश…
बस इतना कहना था कि मेरी आँखों से आंसुओं झड़ी बहने लगी.. अब तो वो जान भी मांगता तो भी हंसते हंसते दे देता… अब मेरा भी फर्ज था कि मैं भी उसको और आनंदित करूं..
तो मैंने अपनी गांड के छेद को टाइट कर लिया जिससे उसके लोड़े पर गांड की पकड़ और मजबूत हो गई और उसकी उत्तेजना दोगुनी हो गई।
जिसका परिणाम यह हुआ कि उसने दोनों हाथों से मेरी चूची कस कर दबा ली और मुझे वहशी जानवर की तरह दांत भींच कर चोदने.. मैं भी उसका पूरा साथ देने लगा.. उसके आंड मेरे चूतड़ों से टकरा कर फट फट की आवाज करने लगे और इस क्रिया में उसका लौड़ा मेरी गांड की गुफा बना चुका था।
5 मिनट तक इसी स्पीड से चोदने के बाद उसकी गति एकदम से बढ़ी और वो पसीने से तरबतर मेरी गांड गर्म गांड में अपने गर्म वीर्य की पिचकारी मारता हुआ मेरे ऊपर आकर गिर गया, उसके वीर्य की बारिश ने मेरे तन मन को तृप्त कर दिया।
मैंने अपनी दोनों टांगें उसके चूतड़ों पर लपेट दी और उसको बाहों में कस कर भर लिया।
वो इसी मुद्रा में मेरे ऊपर ही सो गया.. रात भर मैं उसको प्यार करता रहा।
जिस रवि की एक छुअन के लिए सैकड़ों लड़कियाँ तरसती हैं, वो मेरी बाहों में था..

दोस्तो, क्या बताऊं उस अहसास को.. मेरे पास शब्द नहीं हैं..
खैर मैं ऐसे ही उसके नीचे पड़ा रहा और सुबह के करीब 4 बजे होंगे जब मुझे नींद आई..
सुबह के 10 बजे उठा.. और उठा क्या.. मेरी तो जैसे दुनिया ही लुट गई थी.. मैं बेड पर अकेला पड़ा हुआ था.. कपड़े पहन कर उठ कर भागा.. हाथ मुँह धोया और सीधा छत पर..
मेरी नजरें रवि को ढूंढ रही थीं..
नीचे आया घर में यहाँ वहाँ देखा..
गली में निकला तो उसकी कार वहाँ नहीं थी।
मेरा दिल बैठने लगा.. धड़कन तेज हो गई.. भाग कर अंदर आया और मौसी से पूछा- मौसी रवि को देखा क्या? कहीं गया है क्या वो?
‘बेटा, रवि तो चला गया!’
‘कहाँ…’
‘अपने घर हिसार!’
‘क्या?’
‘हाँ, लेकिन तू ये सब क्यों पूछ रहा है?’
‘कुछ नहीं, बस ऐसे ही..’
कहकर मैं वापस छत की तरफ भागा और कमरे में जाकर उसी गद्दे पर गिर गया जिस पर पहली रात रवि के साथ सोया था.. मेरा कलेजा फटने को आ रहा था.. गद्दे को बाहों में भरकर फूट फूट कर रोने लगा.. रह रह कर उसका मुस्कुराता चेहरा नजरों के सामने घूम रहा था.. उसके साथ गुजारा हर पल.. उसकी हर बात की याद आखों से सैलाब बनकर बहने लगी।
वो चला गया… वो चला गया.. सोच सोच कर दिमाग की नसें फट रहीं थीं।कैसे रहूंगा उसको देखे बगैर...कौन करेगा मुझे उसकी तरह प्यार...इतना सब कुछ होने के बाद भी वो मुझसे मिले बिना ही चला गया...दिल में उसकी इस बेवफाई का गुस्सा कम लेकिन उसके जाने का गम ज्यादा भारी हो रहा था...इतना खूबसूरत सपना इतनी जल्दी टूट गया...हे भगवान..जब ऐसे ही करना था तो उससे मिलाया ही क्यों...ये सवाल किससे करूं..किसके पास जाऊं...किसके कंधे पर सिर रखकर रोऊं...कोई तो बता दो मझे...
बड़ी मुश्किल से आँसुओं को छुपाता हुआ नीचे उतरा और बाहर निकलकर पास की नहर के किनारे जाकर चीख चीख कर रोया..
रवि… रवि… आ जा यार…मैं तेरे बिना नहीं रह सकता...लेकिन वो कहां आने वाला था..वो तो जा चुका था...आगे की कहानी जल्दी ही...

 
थ्रेड में प्रयुक्त चित्र इंटरनेट से लिए गए हैं,यदि किसी व्यक्ति विशेष को आपत्ति है तो फोरम में लेखक को सूचित करें, सामग्री को हटा लिया जाएगा।
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