बिल्डिंग्स के बीचो बीच स्वीमिंग पूल था, जो पानी से लबालब भरा हुआ था...
उसे देखकर मेरे मन में एक विचार आया और मैने तुरंत साक्षी से कहा
''चलो, नीचे चलते है...स्वीमिंग पूल में ..ऐसे ही नंगे...अगला राउंड वहीँ करेंगे, पानी में ''
मेरे हिसाब से तो इस प्लान में भी कोई गड़बड़ नही होने वाली थी क्योंकि चोकीदार सो चुका था और आस पास , दूर-2 तक और कोई भी नही था..पर वो कहते है ना, प्लानिंग हमेशा हमारे हिसाब से नहीं चलती, मेरे साथ भी वही हुआ
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अब आगे
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मैने जान बूझकर साक्षी को आगे चलने दिया...
मुझे हमेशा से ही गांड मटकाती लड़किया पसंद थी...
और ये तो नंगी थी इस वक़्त..
इसलिए उसकी नंगी और मटक रही गांड को देखकर मेरा मन बाग-2 हो गया..
मैने आगे बढ़कर उसकी गांड पर एक चपत लगा दी..
आउच की आवाज़ के साथ उसने शरारती नज़रों से पलटकर मुझे देखा और फिर से मटकती हुई आगे निकल गयी...
पूल के पास पहुँचकर उसने अपना पैर पानी में डाला तो काँप सी गयी...
पानी बहुत ही ठंडा था.
उसके निप्पल तन कर खड़े हो गये..
मैने आगे बड़ा और सीधा उनपर मुँह लगाकर उन कठोर अंगूर के दानों को चूसने लगा...
वो मस्ती भरी सिसकारी मारकर अपनी आँखे बंद करके मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी...
और जब मुझे लगा की वो ठंडे पानी के बारे में भूल गयी है तो मैं उसे लेकर पानी में कूद गया...
ठंडे पानी ने हम दोनो के जिस्मों को जकड़ सा लिया...
बेचारी चीखती रह गयी..
और मैं हंस-हंसकर दोहरा हो गया...
पर उस ठंडे पानी से बचने का उसने जल्द ही एक तरीका ढूँढ लिया...
अपने जिस्म को मुझसे चिपका कर वो दुगनी तेज़ी से मुझे स्मूच करने लगी...
उसका ये करना मेरे और उसके बदन में एक नयी उर्जा पैदा कर रहा था...
हम दोनो किस्स कर ही रहे थे की साक्षी ने एक जोरदार चीख मारी...
मैं तो एकदम से डर सा गया की कहीं पानी में उसे किसी कीड़े ने तो नही काट लिया...
मैने आँखे खोली तो वो डरी हुई नजरों से सामने की तरफ देख रही थी...
मैने जब पलटकर उधर देखा तो मेरी भी फट्ट कर हाथ में आ गयी..
वहां बिल्डिंग का चोकीदार खड़ा था..
हाथ में लट्ठ लिए..
एक पल के लिए तो मुझे समझ ही नही आया की कैसे मैं इस सिचुएशन का सामना करू...
और तब तक उस बूड़े चोकीदार की आवाज़ आई : "कौन हो साहब....और यहाँ क्या कर रहे हो...''
उसकी आवाज़ में जो नर्मी थी, उसने मुझे थोड़ी हिम्मत दी...
और वैसे भी उस चोकीदार की उम्र ही इतनी थी की मेरे एक झापड़ से वो नीचे गिर पड़ता...
इसलिए उसके धमकाने से भी मुझे डरने की कोई ज़रूरत नही थी.
मैं थोड़ी कड़क आवाज़ में बोला : "कुछ नही चाचा...बस ऐसे ही थोड़ी मस्ती हो रही है... मेरा फ्लॅट भी इसी बिल्डिंग में है...वो सातवे माले पर...वही दिखाने लाया था अपनी गर्लफ्रेंड को...और चलते-2 सोचा की थोड़ी मस्ती कर लू...बस ....इसलिए....ये सब...''
उस बूड़े की नज़रें अभी भी मेरे पीछे दुबक कर खड़ी साक्षी पर थी...
हालाँकि पहले उसने शायद साक्षी को टॉपलेस देख लिया था...
और शायद इसी वजा से उसकी आवाज़ में थोड़ी नर्मी थी...
वरना अभी तक अपने लट्ठ को पटककर हमे भगा चुका होता...
और मेरी बात सुनकर तो वो थोड़ा और भी नर्म सा हो गया...
वो बोला : "मालिक...वो तो ठीक है..पर इस तरह चोरी छुपे...रात के समय यहाँ आना...और यहां आकर ये सब करना....सही नही है...''
तब तक मेरे दिमाग़ ने पूरी तेज़ी से चलना शुरू कर दिया था...
मैने अपने पीछे से साक्षी को खींचकर बाहर निकाला और कहा : "अर्रे चाचा...ऐसे काम के लिए ऐसी ही जगह सही रहती है...तुम्हे हमारी मस्ती देखनी है तो आराम से देखो ''
एक बार फिर से साक्षी के मोटे मुममे देखकर उस बुड्ढे मी आँखे चमक उठी...
साक्षी ने गुस्से से मुझे देखा और चौकीदार की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी और मेरे कान में फुसफुसाई : "ये क्या कर रहे हो सोनू.....मैने कुछ नही पहना हुआ है और तुम मुझे उसके सामने कर रहे हो...''
मैने भी उसके नंगे चुतड़ों को पानी में मसला और उसे अपनी छाती से चिपकाकर कहा : "मेरी जान...इस बूड़े से डरने की कोई ज़रूरत नही है...तुम्हारे लिए तो मैं इस बूढ़े चौकीदार से तो क्या, पूरी दुनिया से लड़ जाऊं ..पर इसे देखकर मेरे दिमाग़ में एक और आइडिया आया है...क्यो ना आज इस बूड़े को इसकी जिंदगी की सबसे हसीन रात दिखाई जाए...हम दोनो सब कुछ करेंगे...इसी के सामने...एंड इट विल बी रियली एक्साइटिंग ....बोलो क्या बोलती हो...''
मेरी बात सुनकर साक्षी की आँखे गोल हो गयी....
शुरू में तो वो मेरी बात सुनकर काफ़ी खुश हुई जब मैने पूरी दुनिया से लड़ने वाली बात कही...
पर बाद में जो मैने कहा, उसे सोचकर ही उसकी हालत खराब हो गयी...
ठंडी में भी पसीना सा निकालने लगा उसके चेहरे से....
शरीर काँप सा गया ये सोचकर की वो मुझसे चुदाई करवाएगी और वो बूड़ा सामने बैठकर सब देखेगा...
उसके दिल का तो पता नही पर उसकी चूत ने हाँ कर दी...
क्योंकि उससे बाते करते हुए मैने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी थी...
ये जानने के लिए की वहां पर उसे कैसा फील होगा ये सब सुनकर...
और वही हुआ
जैसा मैने सोचा था...
एक गर्म पिचकारी निकलकर मेरी उंगली को झुलसा सी गयी...
जो इस बात का संकेत था की वो उपर से मना कर रही है पर अंदर से उसे भी ये आइडिया एकदम रोमांचक लग रहा है...
वैसे भी, इतना रिस्क लेकर वो मेरे साथ आ ही गयी थी तो इस तरह की छोटी मोटी परेशानियो से डरना बेकार था..
मैने उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए उसके कान में कहा
''ये सब करके एक नयी एक्साइटमेंट मिलेगी हमें ... एक नयी किक्क मिलेगी, जो जिंदगी भर याद रहेगी...और इस चौकीदार की उम्र भी तो देखो...इस अंधेरे में इसे हमारे चेहरे भी सही से नही दिख रहे होंगे... और कल के बाद हमें कौन सा इसके सामने दोबारा आना है जो इससे डरने की ज़रूरत पड़े...जो भी होगा..सिर्फ़ आज की रात के लिए...और सिर्फ़ हमारे बीच में ही...इसने बीच में कोई बदतमीज़ी की तो मैं इसकी टांगे तोड़ दूँगा..और फिर हम यहाँ से निकल लेंगे...प्रोमिस...''
मेरी बात ख़त्म होने की देर थी की उसने उछलकर मुझे जोरदार तरीके से स्मूच कर दिया...
मैने भी उसके कूल्हे पकड़कर उसे हवा में उठा लिया और उसकी स्मूच का जवाब देने लगा...
और मुझे पता था की इस वक़्त वो बूड़ा चौकीदार साक्षी की नंगी गांड सॉफ देख पा रहा होगा...
मैने कनखियो से उस तरफ देखा तो मेरा अनुमान सही था...
वो फटी हुई आँखो से साक्षी की गोरी गांड को देखकर अपने लंड वाले हिस्से को मसल रहा था...
अब ये तो पता नही की इस उम्र में भी उसका खड़ा होता होगा या नही...
पर ऐसे सीन को देखकर उसे सहलाना तो बनता ही था ना...
वो इधर उधर होकर साक्षी के मोटे मुम्मे एक बार फिर से देखने की कोशिश कर रहा था...
मैने सोचा की उसका ये काम आसान कर देता हूँ ....
मैने साक्षी को पानी में उतारा और उसके चेहरे को चूमते हुए उसके बूब्स तक आया और फिर थोड़ा नीचे होकर उसकी नाभि में मैने अपनी जीभ घुसा दी...
मेरे इस हमले से वो चिल्ला उठी और अपना सिर पीछे की तरफ फेंकते हुए मेरे सिर को पकड़ कर अपने पेट पर रगड़ने लगी....
और यही वो मौका था जब उस चौकीदार ने एक बार फिर से उसके बूब्स को देखा...
और वो भी एकदम कड़क हालत में ....
उनकी उँचाई देखकर वो भी दंग सा रह गया...
पानी में उछलते हुए उन गुब्बारो को देखकर उसकी तो हालत ही खराब हो गयी....
और ये सब देखकर मुझे और साक्षी को बहुत मज़ा आ रहा था..
अब तो साक्षी भी मेरे रंग में रंग चुकी थी...
एक अच्छी एक्ससीबीशनिस्ट बनकर वो अपने नंगे जिस्म की अच्छे से नुमाइश कर रही थी उस बूड़े चौकीदार के सामने...
एक अनकहा सा अग्रीमेंट हो चुका था चोकीदार और हमारे बीच...
ना तो उसके बाद चोकीदार ने हमें वहां से जाने के लिए कहा और ना ही हमने चोकीदार को वहां से हटने के लिए...
और इसका कारण सॉफ था की दोनो को ही बराबर के मज़े मिल रहे थे..
मैने साक्षी की कमर को पकड़ा और उसे पानी में चारों तरफ घुमा सा दिया....
उसका नंगा जिस्म और मुम्मे हवा में लहराकर उसके सुंदर शरीर का अच्छे से प्रदर्शन करने लगे...
हवा में घुमाने के बाद जब मैने उसे वापिस अपनी बाहों में दबाया तो उसके चेहरे की खुशी देखने लायक थी...
वो बोली : "यू नॉटी बॉय.... कैसे-2 आइडियास आते है दिमाग़ में तुम्हारे....एंड यू आर राइट ..इट्स सो एक्साइटिंग .... सच में बड़ा मज़ा आ रहा है...''
मैने उसे चूमते हुए कहा : "इस एक्साइटमेंट को थोड़ा और बढ़ाते है...''
वो बोली : "कैसे....''
मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे लेकर किनारे तक आ गया...
उस चौकीदार से थोड़े ही दूर ...
वो थोड़ा पीछे होकर खड़ा हो गया..
मैं उछलकर किनारे पर बैठ गया और मेरा खड़ा हुआ लंड हवा में लहराने लगा...
चौकीदार भी मेरे कड़क लंड को देखकर शायद अपनी जवानी के दिन याद करने लगा था...
मैने साक्षी को इशारा किया और वो आगे आई और एक ही झटके में मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी...
उसके ऊपर हाथ रखकर उसे दबाते हुए, उसका रस निकालने लगी...
ये शायद बूड़े चौकीदार के लिए किसी झटके से कम नही था....
क्योंकि मुझे नही लगता की उसकी उम्र में उसकी बीबी या किसी और ने उसके लंड को चूसा होगा....
ये चूसना चुसवाना तो आजकल की पीडी करने लगी थी...पहले कहां होता था ये सब.
पर जो भी था, मुझे करवाने में और उस बूड़े को देखने में काफ़ी मज़ा आ रहा था...
मैने तो अपनी आँखे बंद कर ली और उस कुतिया की लंड चुसाई का मज़ा लेने लगा..
अचानक साक्षी धीरे से फुसफुसाई..
"सोनू....ओ सोनू....देखो ज़रा उसे....वो क्या कर रहा है....''
मैने चौकीदार की तरफ देखा तो हैरान रह गया...
उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया था और उसे अपने हाथो से मसल रहा था...
उसका बूड़ा हो चुका लंड सही से आकार भी नही ले पा रहा था..
पर वो बूड़ा कोशिश पूरी कर रहा था आज कुछ करने की...
चलो हमारे बहाने ही सही...
आज शायद काफ़ी समय बाद वो झड़ेगा तो सही.
मेरा लंड तो काफ़ी अच्छे से खड़ा हो चुका था...
मैं वापिस पानी में उतरा और साक्षी की दोनों टाँग उठा कर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और फिर उसकी आँखो में देखते हुए एक करारा झटका मारकर उसे अंदर पहुँचा दिया...
मेरा तो पता नही पर साक्षी की सैक्सी आवाज़ सुनकर और उसकी चूत में लंड जाते हुए देखकर उस चौकीदार को ज़रूर हार्टअटेक आने वाला था...
हम दोनो एक दूसरे को बुरी तरह चूम भी रहे थे....
एक दूसरे को रगड़ भी रहे थे और चुदाई भी जबरदस्त कर रहे थे...
वो मेरे ऊपर पूरी चढ़ी हुई थी और पानी के अंदर मेरे लंड को अपनी चूत में अच्छे से घुसवा रही थी
मैने घुमा कर साक्षी को सामने की तरफ कर दिया और उसकी टाँग उठा कर पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया....
ये एक ऐसा एंगल था जिसमे वो साक्षी के पूरे शरीर को नंगा देख पा रहा था...
उसके हिलते हुए मुम्मों को
उसके सैक्सी चेहरे के एक्सप्रेशन को
और
उसकी चूत में जाते हुए लंड को भी...
और साक्षी भी अब चौकीदार की चिंता छोड़कर अच्छे से चुदाई करवा रही थी...
और अब तो पिछली बार की तरह उसकी चूत में दर्द भी नही था...
असली मज़ा तो उसे अब मिल रहा था...
और इस मज़े को एंजाय करते हुए...
झड़ते हुए वो ज़ोर-2 से चिल्लाने लगी..
''आआआआआआआआआआआअहह सोनू....... आई एम लविंग इट........ योउ आर सो गुड़ ...... युवर कॉक इस अमेजिंग..... बहुत मज़ा आ रहा है...... और ज़ोर से चोदो मुझे..... अपने लंबे लंड से.....आहह...सोनू......आई एम कमिंग........ज़ोर से चोदो .....और ज़ोर से......करो.....आहह......ओह.....हियर आई कम......''
और उसके चिल्लाने का असर मेरे लंड पर भी हुआ
उसने भी उसकी चूत की लय से लय मिलाकर झड़ना शुरू कर दिया.....
एक साथ झड़ते हुए हम दोनो के शरीर काँप से रहे थे...
और यही हाल उस बूड़े चौकीदार का भी हो रहा था...
उसकी मेहनत भी रंग ले आई थी और वो भी झड़ चुका था....
उसकी फूली साँसे और उसके सामने फेली हुई लकीरे उसकी हालत बयान कर रही थी...
इतना रोमांच...
इतनी एक्साइटमेंट ....
मुझे आज तक नही हुई थी....
और ये सब करके मुझे अंदर से एक अलग ही तरह की खुशी मिल रही थी...
अपनी दबी हुई इच्छा को इतनी अच्छी तरह से पूरा होते देखकर मुझमें सैक्स के बारे में और भी एक्सपेरिमेंट करने की हिम्मत सी आ गयी थी.
पर वो एक्सपेरिमेंट तो जब होंगे, तब होंगे...
अभी के लिए तो हमें यहाँ से निकलना था...
रात के करीब 4:30 बज रहे थे....
हम दोनो पूल से बाहर निकले और कपड़े पहनकर, आँखो ही आँखो में उस चौकीदार को थेंक्स बोलते हुए बाहर निकल गये...
थेंक्स तो वो चोकीदार भी बोल रहा था अपनी आँखो से...
इतने अच्छे लाइव शो के लिए...
ऐसे पागल रोज-2 नही मिलते होंगे उसे जो उसके सामने आकर चुदाई का खेल प्रस्तुत करे..
बाहर निकलकर हम दोनो काफ़ी देर तक हंसते रहे...
उस चोकीदार की हालत के बारे में बात करते हुए मैं गाड़ी को इधर-उधर घुमाता रहा...
और पता ही नही चला की कब सुबह हो गयी...
करीब 7 बजे मैने साक्षी को उसके घर पर ड्रॉप किया...
जाने से पहले उसने मुझे अच्छे से स्मूच किया और अगली बार जल्द मिलने का, चुदाई करने का वादा भी लिया...
मैं भी करीब 7:30 बजे तक अपने घर पहुँच गया...
दरवाजा पापा ने खोला जो उस वक़्त ऑफीस के लिए तैयार हो रहे थे...
मैं सीधा अपने रूम में जाकर सो गया..
इस बात से अंजान की आज मेरी किस्मत मुझपर कितनी मेहरबान है...
और मेरे साथ आज क्या होने वाला है.