16-07-2017, 02:30 PM 
		
	
	
	
	मॉम की तंद्रा भंग हुई...
उन्होने आँखे खोल कर सोनिया को देखा, जो ठीक उनके सामने, प्यासी नज़रों से, अपने होंठों पर जीभ फेरती हुई पड़ी थी...
मॉम को उसपर दया आ गयी...
और उन्होने अपना मुँह मेरे लंड से निकाल लिया.
और उन्होने बड़े प्यार से वो लंड सोनिया दी की तरफ लहरा दिया...
फिर तो उन दोनो के लिए वो मेरा लंड खिलौना सा बन कर रह गया...
पर उनके इस खेल ने मेरी हालत खराब कर दी...
मॉम के गर्म मुँह से निकल कर जब सोनिया दी के तड़पते मुँह में मेरा लंड गया तो मैने पीछे से उनके बालो को कस के पकड़ लिया...
पर उनपर कोई असर नही पड़ा...
वो मेरे लंड को एक ही बार में अंदर तक घुसाकर चूसती चली गयी...
उफफफ्फ़......
मेरा मन तो कर रहा था की चीखे मारु....
गालियां दू उन दोनो माँ बेटियो को....
ठूस कर अपना लंड उनके मुँह में बारी-2 से घुसाऊ...
पर सोनिया दी की कसम ने मेरे मुँह और आँखो पर ताला लगा रखा था...
मैं वो सब सिर्फ़ महसूस कर सकता था..
अपने मज़े को बयान नही कर सकता था...
ये कैसा टॉर्चर भरा काम दे दिया था सोनिया दी ने मुझे...
पर जो प्रोमिस मैंने किया था, उसे बचाने के लिए मैं चुपचाप लेटा रहा...
पर मेरे लंड पर मेरा कोई कंट्रोल नही था...
वो तो बेकाबू सा होकर, जंगली घोड़े की तरह, हिनहिनाता हुआ..कभी मॉम के मुँह में तो कभी सोनिया दी के मुँह में जाकर मज़े ले रहा था...
और उसकी ये खुशी उसके चेहरे से टपक भी रही थी...
बूँद-2 करके...
और ये बूंदे उस आने वाले तूफान का संकेत थी, जो मेरी बॉल्स के अंदर उबाले खा रहा था...
और जल्द ही, उनके इस खेल की वज से , वो पल भी आ ही गया, जब मेरे लंड का वो चिपचिपा बरसाती पानी, अपने अंदर की सारी सीमाओं को तोड़कर , माँ -बेटी के रिश्तो की परवाह किए बिना, उन्हे अपने तूफ़ान में लेकर बहता चला गया....
एक के बाद एक कई पिचकारियां मेरे लंड से निकल कर हवा में उछलने लगी...
और उन दोनों के बीच जैसे होड़ सी लगी हुई थी की कौन कितना माल पी कर जाएगा...
सोनिया दी को तो पहले से ही मेरा मिल्कशेक पसंद था...
अब उस जूस की चाह रखने वालो में एक और नाम भी जुड़ चुका था...
मेरी मॉम का...
क्योंकि आज मेरे लंड से निकले माल की ज़्यादा बूंदे , मॉम ने ही अपनी जीभ से समेत कर अपने अंदर पहुँचाई थी...
सोनिया दी ने अपना ज़ोर लगाकर मुझे बेड पर बाँधकर नही रखा होता तो मेरी कमर का तीर कमान बन गया होता...
और उन्ही की वजह से मैं , आँखे खोलकर, अपने चेहरे के पूरे एक्सप्रेशन्स के साथ उस ऑर्गॅज़म को महसूस कर पाया था...
मेरे हाथ आख़िर तक उनके बालों को खींचते रहे और इस वजह से मुझे भी झड़ने में काफ़ी आनंद आया..
मुझे तो अभी भी विश्वास नही हो पा रहा था की मेरी बहन और माँ ने मिलकर, नींद ही नींद में , मेरे लॅंड के साथ बलात्कार कर दिया था..
पर जो भी हुआ था बहुत अच्छा हुआ था...
क्योंकि ये वो पहली सीढ़ी थी, जो बहुत उपर तक आकर, आनंद के वो दरवाजे खोलने वाली थी, जिसके बाद हर दिन और हर रात मस्ती से भरी होने वाली थी...
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