24-07-2018, 10:59 PM
जब शाम को रजबीर काल्पेश से मिल कर पायल की घर की तरफ निकलता है तब उसे …
रास्ते मे एक बाकचा दिखता है जो की किसी च्छेज के लिए रो रहा था ….
और उसके मा बाप उसे समझा रहे थे की जो बाइसिकल बाकचा माँग रहा है वह बहुत बढ़ी है
उसकी उमेर के बाकचो के लिए…. छ्होटी साइकल ही लेनी चाहिए पर बच्चा ज़िद पे अदा रहा था और
वही बाइसिकल के लिए ज़िद कर रहा था … इन तीनो कामिलाप देख के उसे अपने बचपन की यादो मे खो जाता है
सोचते सोचते कब वपेयल का घर आजाता है पता ही नही चलता…..
अगर पायल की मा ने दरवाजा ना खोला होता तो रजबीर ख़यालो मे ही खोया रहता
पायल की मा करीब कारेब 32-35 की तो होगी ही पायल कीमा और रजबीर की मा दोनो एक ही क्लास मे पढ़ते थे और दोनो की लोवे मॅरेज ही हुए थी … वैसे देखा जाए तो पायल की मा बाला की खूबसूरत थी 32-28-32 उसका फिग अभी तक मेनटेन था… भाई हो भी क्यू ना रोज सुबह एक्षसेरसीसे जो करती थी…वैसे आज पायल की मा कहर बरसा रही थी स्लीव्ले & बॅकलेस ब्लाउस और नेट की वर्क वाली हल्के मेहदी कलर की सारी मे कयामत लग रही थी ..उपेर से बॅकलेस ब्ल्ौसवे की डोरे बड़ी मुश्किल से आयेज का भर संभाल रहे थे…
चलिए देखते पायल की घर मे क्या हो रहा है
पयल की मा [प्कं]- बैठो रजबीर
र-(बैठ जाता है) हा
प्कं-कुछ लोगे ठंडा गरम छाई कॉफी
र-कुछ नही बस पानी
प्कं-पानी देते हुए हा ये लो
जब पयल की मा रजबीर को पानी देती है रजबीर को उनके पर्फ्यूम की महक से कुकछ सुकून मिलता है जब महक के साथ दो पर्बतो की बीच घाटी के साथ कला तिल देखता है तो कुछ हलचल पैरो के बीच मे महस्सूस होती है…. इसी बीच जल्दी से ग्लास ले लेता है पूरा ग्लास पेट मे खाली कर देता है
उसे कुछ समाज़ नही आता की आंटी से नज़रे कैसे मिले उसे लगता है उससे कोई बड़ी ग़लती होगआई है
प्कं-पायल शॉपिंग के लिए बाहर गयी है कुछ ही देर मे अज़यगी…
रजबीर – कब गयी है (अपनी नज़रे पयल की मा की पैरो की तरफ ही रखते हुए)
प्कं-यही कुच्छ 4-4.30 बजे तक ठीक से याद नही
रजबीर-[पहली बार उसे पसीना छूटता है वो भी एसी रूम मे]आप की इजाज़त हो तो मई घर जाना चाहता हू … आज कुछ तबीयत खराब लग रही है
प्कं-अभी अभी तो आए हो आते ही जाने की बात कर रहे हो… और ये क्या पसीना क्यू आ रहा है[रजबीर के पास आते हुए उस के गले हट लगा के चेक कर्ट है ] तुम तो काफ़ी ठंडे पद गये हो…
रजबीर –घर चला जौंगा तो सब ठीक हो जायगा….और कड़ा हो के निकलता है…
तभी पायल बाहर से शॉपिंग बॅग्स लेते हुए उंड़र आती है…रजबीर को बाहर्रा आता देख ..
पायल-मेरे आते ही जा रहे हो बात करना तो डोर देख के ही भाग रहे हो
र-वैसी बात नही पायल मेरी तबीयत कुछ ठीक नही लग रही तुम्हे कल प्रॉब्लम्स समझौँगा आज नही हो पायगा
प-[उसका चेहरा देख के ही साँझ जाती है सच कह रहा है] ठीक है
प्कं-ठीक है क्या ठीक है चलो हम डॉक्टेर के पास चलते है
र-नही नही उसकी कोई ज़रूरत नही है स्कूल मे तोड़ा जाड़ा खेलनेसए वीकनेस आया है बस और कुछ नही
प्कं-ठीक है लेकिन एक शर्त पे…
र-शर्त…
प्कं-पायल ड्राइवर के साथ रजबीर को घर छोड़के अजाओ
प- जी मा …मई अभी कहती हू
और शूपिंग बॅग्स मा के हाथ मे दे देती है और रजबीर के साथ गाड़ी मई बैठ जाती है…
रास्ते मे एक बाकचा दिखता है जो की किसी च्छेज के लिए रो रहा था ….
और उसके मा बाप उसे समझा रहे थे की जो बाइसिकल बाकचा माँग रहा है वह बहुत बढ़ी है
उसकी उमेर के बाकचो के लिए…. छ्होटी साइकल ही लेनी चाहिए पर बच्चा ज़िद पे अदा रहा था और
वही बाइसिकल के लिए ज़िद कर रहा था … इन तीनो कामिलाप देख के उसे अपने बचपन की यादो मे खो जाता है
सोचते सोचते कब वपेयल का घर आजाता है पता ही नही चलता…..
अगर पायल की मा ने दरवाजा ना खोला होता तो रजबीर ख़यालो मे ही खोया रहता
पायल की मा करीब कारेब 32-35 की तो होगी ही पायल कीमा और रजबीर की मा दोनो एक ही क्लास मे पढ़ते थे और दोनो की लोवे मॅरेज ही हुए थी … वैसे देखा जाए तो पायल की मा बाला की खूबसूरत थी 32-28-32 उसका फिग अभी तक मेनटेन था… भाई हो भी क्यू ना रोज सुबह एक्षसेरसीसे जो करती थी…वैसे आज पायल की मा कहर बरसा रही थी स्लीव्ले & बॅकलेस ब्लाउस और नेट की वर्क वाली हल्के मेहदी कलर की सारी मे कयामत लग रही थी ..उपेर से बॅकलेस ब्ल्ौसवे की डोरे बड़ी मुश्किल से आयेज का भर संभाल रहे थे…
चलिए देखते पायल की घर मे क्या हो रहा है
पयल की मा [प्कं]- बैठो रजबीर
र-(बैठ जाता है) हा
प्कं-कुछ लोगे ठंडा गरम छाई कॉफी
र-कुछ नही बस पानी
प्कं-पानी देते हुए हा ये लो
जब पयल की मा रजबीर को पानी देती है रजबीर को उनके पर्फ्यूम की महक से कुकछ सुकून मिलता है जब महक के साथ दो पर्बतो की बीच घाटी के साथ कला तिल देखता है तो कुछ हलचल पैरो के बीच मे महस्सूस होती है…. इसी बीच जल्दी से ग्लास ले लेता है पूरा ग्लास पेट मे खाली कर देता है
उसे कुछ समाज़ नही आता की आंटी से नज़रे कैसे मिले उसे लगता है उससे कोई बड़ी ग़लती होगआई है
प्कं-पायल शॉपिंग के लिए बाहर गयी है कुछ ही देर मे अज़यगी…
रजबीर – कब गयी है (अपनी नज़रे पयल की मा की पैरो की तरफ ही रखते हुए)
प्कं-यही कुच्छ 4-4.30 बजे तक ठीक से याद नही
रजबीर-[पहली बार उसे पसीना छूटता है वो भी एसी रूम मे]आप की इजाज़त हो तो मई घर जाना चाहता हू … आज कुछ तबीयत खराब लग रही है
प्कं-अभी अभी तो आए हो आते ही जाने की बात कर रहे हो… और ये क्या पसीना क्यू आ रहा है[रजबीर के पास आते हुए उस के गले हट लगा के चेक कर्ट है ] तुम तो काफ़ी ठंडे पद गये हो…
रजबीर –घर चला जौंगा तो सब ठीक हो जायगा….और कड़ा हो के निकलता है…
तभी पायल बाहर से शॉपिंग बॅग्स लेते हुए उंड़र आती है…रजबीर को बाहर्रा आता देख ..
पायल-मेरे आते ही जा रहे हो बात करना तो डोर देख के ही भाग रहे हो
र-वैसी बात नही पायल मेरी तबीयत कुछ ठीक नही लग रही तुम्हे कल प्रॉब्लम्स समझौँगा आज नही हो पायगा
प-[उसका चेहरा देख के ही साँझ जाती है सच कह रहा है] ठीक है
प्कं-ठीक है क्या ठीक है चलो हम डॉक्टेर के पास चलते है
र-नही नही उसकी कोई ज़रूरत नही है स्कूल मे तोड़ा जाड़ा खेलनेसए वीकनेस आया है बस और कुछ नही
प्कं-ठीक है लेकिन एक शर्त पे…
र-शर्त…
प्कं-पायल ड्राइवर के साथ रजबीर को घर छोड़के अजाओ
प- जी मा …मई अभी कहती हू
और शूपिंग बॅग्स मा के हाथ मे दे देती है और रजबीर के साथ गाड़ी मई बैठ जाती है…