सफर का आनंद
लेखक: अंजान ©
लेखक: अंजान ©
इंजिनियरिंग पास करने के बाद मेरी नयी नौकरी लगी थी और अपने ऑफिस के काम से मैं नई दिल्ली से बंगलौर जा रहा था। ऑफिस वालों ने मेरा रेलवे टिकट कर्नाटक ऐक्सप्रेस में फर्स्ट ऐ-सी में करवा दिया था। मैं अपनी यात्रा के दिन शाम को आठ बजे नई दिल्ली स्टेशन पर पहुँच गया। दिसंबर का महीना था, इसलिये बाहर ठंड बहुत पड़ रही थी और मैं अपनी सीट में बैठ गया। थोड़ी देर के बाद ट्रेन चल पड़ी और टी-टी आया और टिकट चेक कर के चला गया। हमारे कूपे में एक ही परिवार की दो औरतें थीं और उनके साथ एक आदमी था। मेरा अपर बर्थ था और ट्रेन छूटने के बाद मैं थोड़ी देर तक नीचे बैठा रहा और फिर मैं अपनी बर्थ पे जाकर कंबल तान कर आँख बँद करके सो गया। नीचे वो अदमी और औरतें गप-शप लड़ा रहे थे। उनकी बात सुन कर मुझे लगा कि वो आदमी एक मल्टी नैशनल कंपनी में सीनियर ऐक्ज़िक्यूटिव पोस्ट पर काम करता है और जो औरत बड़ी उम्र की थी, उसके ऑफिस से संबंध रखती है। मैं आँखें बंद कर के उनकी बातें सुन रहा था। पहले तो मुझे लगा था कि दोनों औरतें बहने हैं लेकिन फिर उनकी बातों से लगा कि दोनों औरतों में माँ और बेटी का संबंध है और वो सब मस्ती करने के लिये बंगलौर जा रहे हैं, लेकिन घर पर ऑफिस का काम बता कर आये हुए हैं।
छोटी उम्र वाली लड़की की उम्र लगभग इक्कीस-बाईस साल थी और दूसरी की उम्र लगभग पैंतालीस-छियालीस साल थी। मुझे उनकी बातों से मालूम पड़ा कि माँ का नाम फ़रीदा और लड़की का नाम नाज़ है। दोनों माँ और बेटी उस आदमी को सर कह कर पुकार रही थीं। दोनों ही औरतें देखने में बहुत सुंदर थी और दोनों ने अच्छे और फ़ैशनेबल सलवार कमीज़ पहने हुए थे और सभ्य मुसलमान औरतों की तरह शालीनता सिर को दुपट्टे से ढका हुआ था। दोनों ने हल्का और उचित मेक-अप किया हुआ था और दोनों के पैरों में काफी ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने हुए थे। दोनों का फिगर भी बहुत सैक्सी था। छोटी वाली के मम्मे उसके कमीज़ के ऊपर से दिखने में भारी-भारी और तने हुए दिखते थे और उसके चुत्तड़ गोल-गोल लेकिन कम उभरे थे। दूसरी औरत के मम्मे भी बहुत बड़े-बड़े थे और उसके चुत्तड़ भी खूब बड़े-बड़े और फैले हुए थे। उनके साथ के आदमी की उम्र लगभग तीस-बत्तीस साल रही होगी और देखने में बहुत स्मार्ट और यंग था। तीनों आपस में काफी घुल मिल कर बातें कर रहे थे।
थोड़ी देर के बाद मेरी आँख लग गयी। रात के करीब बारह बजे मेरी आँख खुल गयी क्योंकि मुझे बहुत प्यास लगी हुई थी। मैंने अपनी आँख खोली तो देखा कि कूपे में नाईट लैंप जल रहा है और वो तीनों अभी भी बातें कर रहे हैं। फिर मेरी नाक में शराब की महक आयी तो मैंने धीरे से नीचे झाँका तो मेरी आँखें फैल गयीं। वहाँ तो नज़ारा ही बदल गया था। उस समय नाज़ खिड़की के साथ मेरे नीचे वाले बर्थ पर बैठी हुई थी और दूसरे बर्थ पर फ़रीदा और सर बैठे हुए शराब पी रहे थे। नाज़ के हाथ में भे शराब का पैग था। दो खिड़कियों के बीच में छोटी सी फोल्डेबल टेबल पे व्हिस्की की बोतल रखी हुई थी। उस समय दोनों माँ और बेटी अपने कपड़े बदल चुकी थीं। फ़रीदा एक हल्के नीले हाऊज़ कोट में थी और नाज़ एक गुलाबी रंग की मैक्सी पहने हुए थी। उनके पैरों में पेन्सिल हील के सैंडल अभी भी मौजूद थे। मज़े की बात यह थी कि मुझको लग रहा था कि दोनों माँ और बेटी अपने-अपने हाऊज़ कोट और मैक्सी के अंदर कुछ नहीं पहन रखी हैं| सर सिर्फ़ टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने हुए थे। मुझे लगा कि तीनों काफी शराब पी चुके हैं क्योंकि तीनों काफी झूम रहे थे। शराब पीते-पीते सर ने फ़रीदा को अपने और पास खींचा तो फ़रीदा पहले नाज़ की तरफ देखी और फिर सर के बगल में कंधे से कंधा मिला कर टाँग के ऊपर टाँग चढ़ा कर बैठ गयी। फ़रीदा जैसे ही सर के पास बैठी तो सर अपना हाथ फ़रीदा के कंधे पर रख कर फ़रीदा के कंधे को सहलाने लगे। फ़रीदा ने एक बार नाज़ की तरफ देखा और चुप-चाप अपना ड्रिंक लेने लगी। नाज़ भी सर और मम्मी की तरफ देख रही थी। उसकी आँखें शराब के सुरूर में भारी सी लग रही थीं।
छोटी उम्र वाली लड़की की उम्र लगभग इक्कीस-बाईस साल थी और दूसरी की उम्र लगभग पैंतालीस-छियालीस साल थी। मुझे उनकी बातों से मालूम पड़ा कि माँ का नाम फ़रीदा और लड़की का नाम नाज़ है। दोनों माँ और बेटी उस आदमी को सर कह कर पुकार रही थीं। दोनों ही औरतें देखने में बहुत सुंदर थी और दोनों ने अच्छे और फ़ैशनेबल सलवार कमीज़ पहने हुए थे और सभ्य मुसलमान औरतों की तरह शालीनता सिर को दुपट्टे से ढका हुआ था। दोनों ने हल्का और उचित मेक-अप किया हुआ था और दोनों के पैरों में काफी ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने हुए थे। दोनों का फिगर भी बहुत सैक्सी था। छोटी वाली के मम्मे उसके कमीज़ के ऊपर से दिखने में भारी-भारी और तने हुए दिखते थे और उसके चुत्तड़ गोल-गोल लेकिन कम उभरे थे। दूसरी औरत के मम्मे भी बहुत बड़े-बड़े थे और उसके चुत्तड़ भी खूब बड़े-बड़े और फैले हुए थे। उनके साथ के आदमी की उम्र लगभग तीस-बत्तीस साल रही होगी और देखने में बहुत स्मार्ट और यंग था। तीनों आपस में काफी घुल मिल कर बातें कर रहे थे।
थोड़ी देर के बाद मेरी आँख लग गयी। रात के करीब बारह बजे मेरी आँख खुल गयी क्योंकि मुझे बहुत प्यास लगी हुई थी। मैंने अपनी आँख खोली तो देखा कि कूपे में नाईट लैंप जल रहा है और वो तीनों अभी भी बातें कर रहे हैं। फिर मेरी नाक में शराब की महक आयी तो मैंने धीरे से नीचे झाँका तो मेरी आँखें फैल गयीं। वहाँ तो नज़ारा ही बदल गया था। उस समय नाज़ खिड़की के साथ मेरे नीचे वाले बर्थ पर बैठी हुई थी और दूसरे बर्थ पर फ़रीदा और सर बैठे हुए शराब पी रहे थे। नाज़ के हाथ में भे शराब का पैग था। दो खिड़कियों के बीच में छोटी सी फोल्डेबल टेबल पे व्हिस्की की बोतल रखी हुई थी। उस समय दोनों माँ और बेटी अपने कपड़े बदल चुकी थीं। फ़रीदा एक हल्के नीले हाऊज़ कोट में थी और नाज़ एक गुलाबी रंग की मैक्सी पहने हुए थी। उनके पैरों में पेन्सिल हील के सैंडल अभी भी मौजूद थे। मज़े की बात यह थी कि मुझको लग रहा था कि दोनों माँ और बेटी अपने-अपने हाऊज़ कोट और मैक्सी के अंदर कुछ नहीं पहन रखी हैं| सर सिर्फ़ टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने हुए थे। मुझे लगा कि तीनों काफी शराब पी चुके हैं क्योंकि तीनों काफी झूम रहे थे। शराब पीते-पीते सर ने फ़रीदा को अपने और पास खींचा तो फ़रीदा पहले नाज़ की तरफ देखी और फिर सर के बगल में कंधे से कंधा मिला कर टाँग के ऊपर टाँग चढ़ा कर बैठ गयी। फ़रीदा जैसे ही सर के पास बैठी तो सर अपना हाथ फ़रीदा के कंधे पर रख कर फ़रीदा के कंधे को सहलाने लगे। फ़रीदा ने एक बार नाज़ की तरफ देखा और चुप-चाप अपना ड्रिंक लेने लगी। नाज़ भी सर और मम्मी की तरफ देख रही थी। उसकी आँखें शराब के सुरूर में भारी सी लग रही थीं।