दोस्तों ये कहानी सुरु होती है एक छोटे से गाँव से। इस कहानी में रिश्तों में चुदाई की किस्से भी होंगे। तो जिसे इन्सेस्ट पसंद नहीं वो ये कहानी न पढ़े। इसके किरदार के बारे में थोडा बता देती हु।
माधवी:- एक कमसिन खूबसूरत सेक्सी लड़की।बहोत ही सीधी साधी लड़की है। अपने काम से काम रखने वाली लड़की। स्कूल पढाई और परिवार यही इसकी जिंदगी है।सेक्स की दुनिया का जादा कुछ पता नहीं।
प्रभा:-माधवी की माँ उम्र 36 साल। ये भी बला की खूबसूरत और सेक्सी औरत है। पढ़ी लिखी होने के कारन रहन सहन बहोत अच्छा है।
जसवंत:- माधवी के पिता। ये किसान है। बहोत खेती होने के कारन पैसो की कोई कमी नहीं।
सागर:- माधवी का बड़ा भाई। शहर में पढता है। उम्र 19 साल। महीने में एक बार गाँव आता है सबसे मिलाने के लिए। बाकि किरदार भी है। जैसे जिक्र होगा वैसे बताउंगी। तो कहानी सुरु करते है।
* *
प्रभा:- माधवी कितनी देर लगाती है नहाने में??चल मुझे खाना बनाना है तेरे बाबा के लिए।
माधवी:- हो गया माँ...आ रही हु। ठीक से नहाने भी नही देती हो।
प्रभा:-आधे घंटे से अंदर है।
माधवी बहार आती है।
माधवी:- क्या माँ आप भी न.....
* लेकिन प्रभा उसकी बात सुनाती भी नहीं और झट से अंदर चली जाती है।
माधवी अपने कमरे में जाके तैयार होने लगति है।*
जसवंत अपने कम निपटा के आता है। जैसे वो बाहर हॉल में आता है...
जसवंत:- प्रभा खाना हो गया क्या??
*माधवी :- बाबा माँ नाहा रही है।
जसवंत:- अच्छा उसको कहना की मैं खेत के लिए निकल रहा हु। खाना लेने चंदू को भेज दूंगा।
चंदू:-- शादी शुदा जसवंत के यहाँ खेतो में कम करनेवाला नोकर। उम्र 34 साल। बहोत ही चोदु किस्म का इंसान। इसकी बुरी नजर माधवी और उसकी माँ पे है। जसवंत के यहाँ सालो से काम करता है इसकी वजह से सब उसे अपने परिवार का ही समजते है।
माधवी:- ठीक है।
प्रभा जल्दी नहाके खाना बना देती है। माधवी भी तैयार होके अपना टिफिन उठाके स्कूल के लिए निकल पड़ती है।
रस्ते में अपनी दोस्त प्रियंका के घर होते हुए दोनों दोस्त स्कूल के लिए निकल पड़ते है।
प्रियंका:--ये भी बहोत खूबसूरत है। लेकिन बहोत चंट है। ये पुरे गाँव की खबरे रखती है। ऐसे सेक्स की बातें करने में बहोत मजा आता है। लेकिन माधवी इसे हमेशा चुप करवा देती है। दोनों विपरित स्वाभाव की होने के बावजूद बहोत गहरे दोस्त
*बरसात का मौसम चारो तरफ हरियाली। ऐसे में गाँव बहोत ही खूबसूरत लगता है। स्कूल गाँव के थोडा बाहर था। गाँव से लेके स्कूल का रास्ता थोडा सुनसान ही रहता था। लेकिन स्कूल के टाइम नहीं होता था। रस्ते में कुछ मनचले लडके अपनी आखे सेकने बैठे रहते थे। वो सिर्फ दूर से देख के आहे भरते रहते थे। कोई कुछ बोलता नहीं था।*
* *माधवि और प्रियंका अपने क्लास में जाके बैठ जाती है। इस बात से अनजान की उसकी जिंदगी कुछ दिनों में पूरी बदलने वाली है।
भाग 2इधर माधवी के घर पे.....
चंदू:- भाभी...भाभी...मालिक का टिफिन हो गया हो तो दे दीजिये।
प्रभा:- हा हा ...हो गया है ये लो।
* प्रभा टिफिन लेके चंदू को देती है। चंदू प्रभा को देखते ही रहता है। उसकी बड़ी बड़ी चुचिया चलते वक़्त ऊपर निचे होते देख चंदू का लंड खड़ा होने लगता है।
चंदू:- मन में....आय हाय उम्म्म क्या चुचिया है...मन करता है अभी दबा दू...जी भर के चुसू दबाउ अह्ह्ह काश ये मेरी बीवी होती दिन रात इसको चोदते रहता।
प्रभा:- क्या हुआ चंदू भैया ??क्या सोचने लगे??
चंदू:-अ..आ..वो कुछ नहीं...ठीक है मैं निकलता हु।
* *चंदू जाने के लिए मुड़ा...लेकिन थोडा आगे जाके वापस मुद के देखा ...प्रभा अपने कमरे की तरफ जा रही थी...उसकी मटकती गांड को देख अपना लंड मसलने लगा।
चंदू:-बस एक बार ये मुझे मिल जाय...ऐसी जमके चूत और गांड मारूँगा की कभी भूल नहीं पाएगी। अभी तो इसकी बेटी भी जवान हो गयी है। बिलकुल अपनी माँ पे गयी है। दोनों चोदने मिल जाय एक बार बस....ये सोचते हुए चंदू खेतो की तरफ निकल पड़ा।
*
घर पे प्रभा अपना काम निपटा के आराम करने लगती है। ''ये चंदू आजकल बहोत घूरने लग गया है। इसकी शिकायत करनी पड़ेगी इनसे। घर में जवान बेटी है। कही उसके साथ इसने ऐसा वैसा कर दिया तो??''
ये सोच के प्रभा थोड़ी घबरा जाती है। लेकिन अगले पल जब वो खुदको आईने में देखती है तो...'' वैसे चंदू की भी कोई गलती नही है...मैं हु ही इतनी सेक्सी...लेकिन आजकल ये मुझपे ध्यान ही नहीं देते। जब नयी नयी शादी हुई थी तब ये कितनी चुदाई करते थे मेरी। जब मौका मिला वही अपना लंड मेरी चूत में पेल देते थे। कई बार सासु माँ और ससुरजी ने भी देख लिया था। लेकिन ये नहीं सुधरे। लेकिन अब देखो घर पे कोई नहीं रहता फिर भी महीने में एकाद बार चोदते है। खैर मुझे भी अब चुदाई में जादा दिलचस्पी नहीं रही। चलो थोड़ी देर सो जाती हु। माधवी आ जायेगी थोड़ी देर में।
* **
*माधवी का स्कूल खत्म हो चूका था। वो घर जाने के लिए निकली....लेकिन जैसे वो स्कूल के कंपाउंड में आयी उसने देखा की सागर की बाइक वहा खड़ी है।
माधवी:- प्रियंका वो देख भैया की बाइक...वो आये है शायद...चल ऑफिस में देखते है।
प्रियंका:- हा चल ...उनके साथ ही घर चलते है...मेरे पैरो में दर्द है..मैं तो ये सोच सोच के पागल हो रही थी की घर तक पैदल कैसे जाउंगी...सागर को मेरे लिए ही भेजा है भगवान् ने...
*उनकी ये बाते चल रही थी की सागर उनके पिछेसे आ रहा था और उसने प्रियंका की बाते सुन ली।
सागर:- हा बिलकुल तेरे लिए ही भेजा है मुझे....
दोनों चौक के पीछे देखती है...
माधवी:-भैया आप यहाँ कैसे??
सागर:- अरे वो *स्कूल में कुछ काम था।
माधवी:- मुझे बता देते मैं कर देती....और आपने फ़ोन भी नहीं किया।
सागर:- क्यू मेरे ऐसे अचानक आने से तू खुश नहीं है क्या?? प्रियंका को देख कैसे खुश हो रही है।
माधवी:- वो तो घर पे पैदल नहीं जाना पड़ रहा इस बात से खुश है।
सागर:- हा चलो जल्दी...देखो लग रहा है बरसात होने वाली है।
*सागर बाइक सुरु करता है। माधवी पीछे बैठती है उसके पीछे प्रियंका।
थोड़ी दूर जाते है लेकिन बरसात जोर से सुरु हो जाती है। जब तक किसी पेड़ के निचे जाते तीनो बहोत भीग जाते है।
* माधवी अपने बैग से बड़ी पॉलिथीन की बैग निकालती है और उसमे अपना और प्रियंका का बैग रख देती है।
इधर सागर की नजर भीगी हुई प्रियंका पर पड़ती है।सफ़ेद सलवार पानी से भीग के पूरी तरह उसके बदन से चिपक जाती है।जिससे उसकी अंदर पहनी सफ़ेद ब्रा साफ़ साफ़ नजर आने लगाती है। प्रियंका को ये बात समज आ जाती है की सागर उसे देख रहा है। उसे मन ही मन बहोत अच्छा लगता है। वो अपनी चुन्नी ठीक करने के बहाने से उसे ऐसे एडजस्ट कराती है जिससे सागर को उसकी चुचिया देखने में आसानी हो। वो बहोत दिनों से मन ही मन सागर से प्यार करती है पर दोस्त का भाई होने के कारन कुछ कहती नहीं।
सागर उसकी चुचियो की गोलाई और साइज़ देख के चौक जाता है। उसे पहली बार अहसास होता है की प्रियंका अब जवान हो गयी है।और कमाल की जवानी निखर आई है उसकी। वो पेड़ के निचे खड़े थे मगर थोड़ी फवारे उन पर पद रही थी। सागर प्रियंका के चहरे पे पड़ती बारिश की बुंदे को देखता है। उसका भीगा चेहरा देख उसे कुछ होने लगता है। उसकी उभरती जवानी और खूबसूरती सागर के मन में भर जाती है।
सागर:- वाओ प्रियंका कितनी सेक्सी लग रही है। इसके सामने तो मेरी कॉलेज की लडकिया पानी कम चाय है।
* सागर कभी उसकी चूची को तो कभी उसके चेहरे को तो कभी उसके होटो को देखता है।प्रियंका शर्मा के निचे देखते रहती है। लेकिन उसे पता होता है की सागर उसे देख रहा है।
माधवी:- भैया क्या हुआ कहा खो गए??
*ये सुनके सागर और प्रियंका दोनों संभल जाते है।
माधवी:- मैंने बैग रख दिए है अच्छेसे अब चलो ये बारिस नहीं रुकने वाली।
* वो तीनो फिर से बाइक पे बैठ के घर पहोच जाते है।
सागर और माधवी प्रियंका को उसके घर पे छोड़ देते है। प्रियंका अपने भीगे कपडे चेंज करने बातरूम जाती है। अपनी चुनरी निकल के बाजु में रखती है। अपने आप को देखते ही उसे अहसास होता है की उसके भीगे कपडे उसके बदन से चिपके हुए है।वो देखती है की सागर ने उसे कैसे रूप में देख लिया था। एक अजीब सी लहर उसके पुरे शारीर में दौड़ जाती है। जब वो अपने सारे कपडे निकल के नंगी होती है तो देखती है उसकी चुचिया बहोत टाइट हो चुकी है। उसके गुलाबी निप्प्ल्स एकदम तने हुए है। बारिश के मौसम की ठंडी हवाये उसके शरीर में रोंगटे खड़ी कर चुकी है। लेकिन प्रियंका को उस ठण्ड में भी प्यारी सी गर्मी का अहसास हो रहा था। जब उसने अपने बदन को छुवा उसकी उत्तेजना *और भी बढ़ गयी। वो अपनी आँखे बंद करके सोचती है की कैसे सागर उसे देख रहा था। जब से प्रियंका जवान हुई थी न जाने कितनी बार सागर के बारे में सोच के उसने अपनी चूत में उंगली डाल के उसे चोदा था। पर आज की बात कुछ और ही थी। आज उसकी चूत कुछ जादा ही मस्त हो रही थी। बारिश का पानी और अपनी चूत से निकला रस दोनों मिक्स हो रहे थे। ठन्डे पानी और अपनी चूत का गरम रस उसकी चूत को आज अलग ही मजा दे रहे थे। उसने एक उंगली चूत पे घुमाते हुए दूसरे हाथ में अपना चुचियो का गुलाबी निप्पल मसलने लगी। आँखे बंद कर सागर के बारे में सोचते हुए अपनी चूत को उंगली से चोदने लगी।
प्रियंका:- अह्ह्ह स्स्स्स सागर उफ्फ्फ कब तक तड़पाओगे मुझे अह्ह्ह उम्म्म्म देखो न मेरी चूत कैसे गीली हो रही है तुम्हारी याद में अह्ह्ह्ह
आज प्रियंका की उत्तेजना उफान पर थी। उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी की दो उंगलिया भी एक साथ उसकी चूत में आसानी से अंदर बाहर हो रही थी। प्रियंका जल्द ही अपनी मंजिल पर पहोच चुकी थी।
प्रियंका हांफ़ते हुए वाही निचे बैठ गयी। आज से पहले ऐसा अहसास उसे कभी नहीं हुआ था। थोड़ी देर बाद वो नहाके और अपने कपडे चेंज करके वापस अपने कमरे में आ गयी।
* इधर सागर का हाल भी कुछ ऐसाही था। बार बार उसे प्रियंका का वो भीगा बदन आँखों के सामने आ रहा था। बारिश की बुँदे उसके माथे से होते हुए उसके चहरे को उसके होटो को छूती उसके गले से उतरकर उसकी चुचियो की दरारों में समाती देख उसे एक अनोखा अहसास हो रहा था। उसका लंड वो नजारा देख के तबसे खड़ा था। बड़ी मुश्किल से माँ और माधवी से उसने छुपाया था। और जिस वक़्त प्रियंका सागर के बारे में सोच के चूत को उंगलियो रगड़ रही थी उसी वक़्त सागर भी प्रियंका के नाम की मुठ मार रहा था।
**
* आग दोनों तरफ लग चुकी थी। लेकिन दोनों की समश्या एक ही थी*
* * * "माधवी"
सागर सोच पड़ा था की प्रियंका तक वो अपने दिल की बात कैसे पोहचाये?? उसे उससे जादा फिकर इस बात की थी की अगर माधवी को पता चल गया तो ???और उसने माँ बाबा को बता दिया तो उसकी खैर नहीं। क्यू की वो जानता था उसकी बहन बहोत ही सीधी थी।
* प्रियंका भी यही सोच के परेशान हो रही थी की सागर उसे पसंद करने लगा है ये बात उसे पता चल चुकी है पर माधवी को कैसे समझाएगी??
* दूसरे दिन सुबह हमेशा की तरह माधवी स्कूल जाने के लिए निकली तो सागर ने उसे रोक लिया।
सागर:- माधवी चल मैं तुझे छोड़ देता हु।
माधवी:- क्यू आप नहीं जा रहे क्या??आपका कॉलेज??
सागर:- अरे आज शुक्रवार है ....अभी फिर दो दिन छुट्टी है ....सोचा की अब सोमवार को ही जाऊंगा।
माधवी:- सच भैया?? चलिए....
* *दोनों बाइक पे बैठ के प्रियंका के घर पहोचते है।*
प्रियंका:- अरे सागर..... भैया आप गए नहीं...
* *सागर को भैया कहना उसे बहोत जान पे आ रहा था...पर दिल पे पत्थर रख के उसने पूछा।
माधवी:- हा भैया दो तिन दिन बाद जाने वाले है।
* ये सुनके प्रियंका बहोत खुश हो गयी।
वो तीनो बाइक से स्कूल पहुंचे।
सागर और प्रियंका एक दूसरे को छुप छुप के देख रहे थे। कभी कभार जब उनकी नजरे टकरा जाती तो दोनों भी एक प्यार भरी स्माइल कर देते। ये बहोत ही खूबसूरत वक़्त होता है दो प्यार करने वालो के लिए। छुप छुप के एक दूसरे को देखना। होटो पे तो खामोशी होती है पर दिल के अंदर न जाने कितने अरमान आंगडाइ ले रहे होते
सागर उन दोनों को स्कूल छोड़ने के बाद जाने के लीये मुड़ता है। लेकिन उसे पिछेसे प्रियंका के पुकारने की आवाज आती है। वो रुक जाता है। प्रियंका उसके पास आती है।
प्रियंका:- सागर ..स्कूल से लेने के लिए भी आओगे ना??
*पहले तो प्रियंका के सिर्फ सागर कहने से उसे एक अलग ही ख़ुशी मिलती है और दूसरा प्रियंका उसे स्कूल से लेने के लिए बुला रही होती है।
सागर:- हा आऊंगा ना....
प्रियंका:- ठीक है बाय...
* सागर भी उसे बाय बोलके वापस गाँव की तरफ निकल पड़ता है।
इधर प्रभा घर पे अकेली थी। जसवंत का टिफिन लेने के लिए चंदू आता है। घर के बाहर से आवाज देता है पर प्रभा अभी भी खाना बना रही होती है। चंदू थोडा अंदर जाता है। किचन में प्रभा काम कर रही थी।उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी। चंदू उसे देखता है। प्रभा की साडी कमर से खिसकी हुई थी। उसकी गोरी कमर को देख चंदू का लंड में हलचल होने लगाती है।
चंदू:- अह्ह्ह स्स्स साली क्या मस्त लग रही है। पसीने की बुँदो से क्या चमक रही है। साड़ी भी क्या कसके पहनती है पूरी गांड उभर के दिखती है। उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह मेरा लंड तो पूरा खड़ा हो गया।
प्रभा को अहसास होता है की दरवाजे पे कोई खड़ा है। वो पलट के देखती है। चंदू पैजामे के ऊपर से अपना लंड मसलते हुए देख लेती है। चंदू झट से अपना हाथ हटाता है।
चंदू:- वो भाभी टिफिन.....
प्रभा:- हा बस हो ही गया।....आप बैठो बाहर....और पलट के कम करने लगती है....लेकिन पलटते वक़्त वो चंदू के खड़े लंड को एक नजर देखने से खुद को रोक नहीं पाती।
चंदू बाहर जाके बैठ जाता है।
प्रभा:- साला कमीना...आज तो हद्द हो गयी...लगता है इसकी शिकायत करनी ही पड़ेगी। कैसे मुझे देख के लंड मसल रहा था। लेकिन उसका लंड बहोत बड़ा लग रहा था। माधवी के बाबा से भी बड़ा। उफ्फ्फ ये मैं क्या सोच रही हु। एक पराये आदमी के लंड के बारे में???छी....लेकिन अगर उसका लंड बड़ा है तो है उसमे क्या??शर्म के मारे ठीक से देख नहीं पायी। लेकिन जितना देखा उससे तो काफी मोटा और लंबा लग रहा था। और उसकी बीवी भी तो बोल रही थी की जब वो उसे चोदता है तो उसकी चूत फाड़ देता है। क्यू न एक बार अच्छेसे देख लू कितना बड़ा है?? चुप कर कुछ भी क्या?? अरे मैं कोनसा चुदने वाली हु उससे बस एक बार देखना है और वो भी पैजामे के ऊपर से।
आखिर प्रभा का मन उसके लंड को एक बार देखने के अधीर हो उठता है। वो अपनी साडी को थोडा साइड में कर लेती है ताकि वो उसकी चुचियो को देख सके ताकि उसका लंड खड़ा हो जाय।
प्रभा:- चंदू भैया जरा यहाँ आइये...
चंदू प्रभा की आवाज सुनके अंदर जाता है।
चंदू:- जी भाभी...क्या हुआ??
प्रभा:- ये तेल खत्म हो गया है। वो बड़ी कैन से इस छोटी कैन में डाल दीजिये।*
चंदू:- जी भाभी अभी डाल देता हु।...चंदू की वासना भरी नजर प्रभा की चुचियो पे पड़ती है जो उसकी डीप नैक ब्लाउज में से थोड़ी दिख रही थी। चंदू का लंडमें फिर से तनाव आने लगता है। प्रभा तिरछी नजरो से देख के मन ही मन खुश हो रही थी। वो एक छोटी प्लेट में कैन रखती है ताकि तेल जमीन पे न गिरे। वो उसे चंदू के सामने रख देती है और खुद उसके साइड में निचे बैठ जाती है। चंदू खड़ा होने के कारन और प्रभा थोडा निचे की तरफ झुकने से चंदू को आधे से जादा चुचिया दिखने लगी थी। चंदू का लंड झटके मारने लगा था क्यू की इसकी उसने कभी उम्मीद नहीं की थी। प्रभा थोडा तिरछी नजरो से देखती है। पतले पैजामे में से चंदू का अंडर वियर साफ़ दिख रहा था। और उसके लंड का आकर भी।
प्रभा:- हा भैया अब डाल दो....धीरे से डालना...निचे गिरना नहीं चाहिए।
चंदू:- जी भाभी.....मन में..साली डाल दो तो ऐसे बोल रही है जैसे *अपनी चूत में लंड डालने को कह रही है। उम्म्म्म्म भाभी बस एक बार चूत में डालने के लिये कहदो कसम से ऐसा मजा दूंगा न अह्ह्ह्ह्ह्ह
*चंदू ये सब सोच रहा था और अपने लंड को झटके दिए जा रहा था। प्रभा उसके खड़े लंड का साइज़ देख पागल सी हो गयी थी। इतना तगड़ा लंड इतने करीब से देख के उसकी चूत गीली होने लगी थी।
प्रभा:- मन में..हाय रे क्या मस्त लंड है उफ्फ्फ्फ़ किस्मत वाली है इसकी बीवी उम्म्म्म मेरे पति का इतना बड़ा होता तो कितना मजा आता चुदने में स्सस्सस्सस
तेल की छोटी कैन भट चुकी थी मगर दोनों अपने खयाल में मस्त थे।
प्रभा का ध्यान कैन पे जाता है...
प्रभा:- बस हो गया भैया...हो गया।
चंदू बड़ी कैन अपनी जगह रख देता है।
चंदू:- और कोई काम हो तो बता दीजिये भाभी...संकोच मत कीजियेगा कभी। चंदू अपना लंड सेट करते हुए कहता है।
प्रभा उसकी बात का मतलब समझ जाती है। प्रभा काफी उत्तेजित महसूस कर रही थी। इस वजह से उसकी हरकते उसे बुरी नहीं लग रही थी।
प्रभा:- नहीं भैया अब कोई काम नहीं....आप जाओ वो टिफिन की राह देख रहे होंगे।
चंदू चला जाता है।
इधर सागर बाइक लेके अपने दोस्त विजय से मिलने उसके घर जाता है।
विजय सागर से दो साल बड़ा है। वो एक तरह से गाँव का लवगुरु है। पढाई छोड़ चूका है। उसके पास बहोत सी गाये और भैंसे है और वो दूध का बिजनेस करता है। वो अक्सर सागर से मिलने शहर जाता है।
सागर उसे मिलके प्रियंका को कैसे पटाना है इसके लिए टिप लेना चाह रहा था।
सागर उसके घर पहोचता है तो उसकी माँ कहती है की वो तबेले में है।
सागर तबेले में जाता है। लेकिन वो जो देखता है उसपे उसे विश्वास नहीं होता।
* विजय तबेले में एक कोने में जहा जानवरो का चारा रखा होता है वह किसी औरत को चोद रहा था। सागर झट से थोडा छुप जाता है। विजय ने उस औरत को घोड़ी बना रखा था ...उसकी साडी को कमर तक चढ़ा रखा था। और पिछेसे उसकी चूत में अपना लंड डाल कच कच चोदे जा रहा था। वो औरत दबी आवाज में अह्ह्ह उम्म्म स्स्स्स धीरे ऐसी आवाजे निकाल रही थी। विजय अब बहोत जोर से उस औरत को चोद रहा था। *सागर ये सब पहली बार देख रहा था। उसका गला सुख चूका था।लेकिन असली झटका उसे तब लगा जब वो औरत पलटी और विजय का लंड चूसने लगी। वो औरत विजय की सगी चाची थी। सागर को खुद की आँखों पे विश्वास नहीं हो रहा था। विजय की चाची उसका लंड पूरा मुह में लेके चूस रही थी। जुबान से चाट रही थी।*
विजय:- हाय रे मेरी जान उम्म्म्म जब तू मेरा लंड चूसती है न तो बहोत प्यारी लगति है।
चाची:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स क्या करू मेरे राजा तेरे लंड का रस इतना अच्छा है न कितना भी पियो पेट ही नहीं भरता।
विजय:- मेरी रानी तो दिन में दो बार तो पिलाता हु ना तुझे और कितना चाहिए??
चाची:- उम्म्म्म अह्ह्ह्ह तेरे लंड के सहारे ही तो मेरी कट रही है अह्ह्ह्ह
चल अब निकाल जल्दी अपना पानी बुझा दे मेरी प्यास अह्ह्ह्ह्ह
विजय:- उम्म्म्म्म तू बातो में लगी है अह्ह्ह्ह चूस ले जल्दी से *अह्ह्ह्ह*
* चाची अब चुप हो के विजय का लंड चूसने लगी और उसके लंड को हिलाने लगी कुछ ही पल में विजय ने अपना सारा पानी चाची के मुह में डाल दिया। चाची भी बड़े चाव से उसे पि गयी।
सागर वहा से झट से निकल गया और बाहर तबेले से थोडा दूर जाके खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद चाची बाहर आयी। सागर को सामने देख के चौक गयी लेकिन अगले पल।संभल गयी और बिना कुछ बोले वहा से निकल गयी।
सागर उसे वहा से जाते हुए देखने लगा। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।