चाणक्य कह गए हैं- कभी किसी के आगे न खोलें ये चार राज
सैकड़ों सालों पहले चाणक्य द्वारा दी गई शिक्षा आज भी व्यवहारिक है तो इसके पीछे कई वजह है. चाणक्य न सिर्फ मानव मन का गहन अध्ययन किया था बल्कि मनुष्य के सामाजिक व्यवहार को भी उन्होंने सुक्ष्म दृष्टि से परखा था. चाणक्य की नीतियां हमें कटु लग सकती हैं पर इनपर अमल किया जाए तो ये कई परेशानियों से हमें बचा सकती हैं.
हमे कभी भी अर्थ नाश यानी अपने धन की हानी का राज किसी को नहीं बताना चाहिए. अगर हमारी आऱ्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो यथा संभव इस राज को राज ही रखने में भलाई है क्योंकि समाज में अक्सर लोग गरीब व्यक्ति को आर्थिक मदद करने से कतराते हैं.
चाणक्य ने दूसरी बात ये बताई है कि हमे अपने मन के संताप यानी अपने दुख किसी को नहीं बताना चाहिए. अक्सर लोग हमारे दुखों का मजाक बनाते हैं. ऐसे में हमे किसी बात का दुख हो और हमें पता चले कि लोग उस दुख का मजाक बना रहें हैं तो हमारा दुख औऱ बढ़ जाता है.
चाणक्य के इस श्लोक के अनुसार जो तीसरा राज है जिसे हर हाल में गुफ्त रखा जाना चाहिए वह है अपनी गृहणी या पत्नी का चरित्र. हमें अपने घर के झगड़े, घरलू क्लेश आदि दूसरों को नहीं बताना चाहिए. इसका समाज में हमारे सम्मान पर नकरात्मक असर पड़ता है.
चाणक्य ने चौथी और अंतिम गुफ्त रखने वाली बात बताते हुए कहा कि यदि कोई नीच व्यक्ति आपका अपमान कर दे तो यह बात किसी को बतई नहीं जानी चाहिए. इस तरह की घटना की जानकारी जब समाज में फैलती है तो लोग हमारा माजाक बनाते हैं जिस वजह से हम्मारे सम्मान को क्षति पहुंचती है.
1 user likes this post1 user likes this post • rajbr1981