राहुल की मम्मी को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ राहुल की मम्मी के मांसल और भरे हुए बदन के कटाव
और उभार को देखते ही वीनीत के जांघों के बीच हलचल सी मचने लगी। वह तुरंत मिठाई की दुकान के अंदर प्रवेश किया और सीधे राहुल की मम्मी मतलब कि अलका के पास पहुँच गया। अलका जलेबियां ले रही थी अलका को जलेबी लेते देख विनीत बोला।
हाय अांटी आप यहां क्या कर रही हो?
कुछ नहीं बेटा बस बच्चों के लिए जलेबी ले रही थी। तुम्हें यहां क्या चाहिए क्या तुम भी यहाँ मिठाई खरीदने आए हो।
हाँ मुझे भी सफेद रसगुल्ले खरीदने थे। ( तब तक दुकान वाले ने अलका की जलेबियों को पेक करके अलका को थमा दिया ... विनीत की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी वह अलका से नज़दीकियां बढ़ाना चाहता था। वह अलका से क्या बात करें क्या ना करें उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। तभी उसने झट से आव देखा ना ताव तुरंत अलका की कलाई थाम ली ... अलका ईस तरह से एक अन्जान लड़के द्वारा अपनी कलाई पकड़े जाने से उसका बदन एकबारगी झनझना सा गया। उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही विनीत जल्दी से उसे लगभग खींचते हुए पास में ही पड़ी कुर्सी पर बिठा दिया। और जल्दी से मिठाई की काउंटर पर गया।
अलका अभी भी सहमी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार एक अनजान लड़का इस तरह से उसकी कलाई पकड़ के कुर्सी पर क्यों बैठा कर गया। अलका के मन मे मंथन सा चल रहा था। वह कुछ और सोच पाती इससे पहले ही वीनीत हाथ में दो कटोरिया लिए उसकी तरफ ही बढ़ा आ रहा था।
अलका विनीत को और उसके हाथ में उन दो कटोरियों को आश्चर्य से देखे जा रही थी। तब तक वीनीत ने दोनों कटोरियों को टेबल पर रख दिया और पास में ही पड़ी कुर्सी को खींचकर टेबल की दूसरी तरफ रख के बेठ गया। अलका आश्चर्य से कभी कटोरी में रस में डूबी हुई सफेद रसगुल्ले को तो कभी विनीत की तरफ देखे जा रही थी। वह विनीत से बोली।
यह क्या है बेटा?
( विनीत ने अपने दीमाग मे पुरा प्लान फीट कर लिया था। वह अलका से झूठ बोलते हुए बोला।)
आंटी जी आज मेरा जन्मदिन है और मैं चाहता था कि मैं अपना जन्मदिन किसी अच्छे और खूबसूरत इंसान के साथ मनाऊँ। लेकिन दिनभर घूमने के बाद मुझे ना तो कोई खूबसूरत इंसान और ना ही अच्छा इंसान मिला ।
और एेसे मै मुझे लग ही नहीं रहा था कि मैं अपना जन्मदिन मना पाऊंगा। लेकिन शायद भगवान भी नहीं चाहता था कि मैं अपने जन्मदिन पर इस तरह से उदास रहूं इसलिए उसने आपको भेज दिया। और मैं भी एक पल भी गवाँए बीेना आपको इस तरह से यहां बिठा दिया इसके लिए माफी चाहता हूं।
( अलका को सारी बातें समझ में आने लगी थी। वह विनीत के रवैये से और उसकी बात करने की छटा से मंत्रमुग्ध सीे हो गई थी। विनीत में सफेद रसगुल्ले की एक कटोरी को अलका की तरफ बढ़ाते हुए बोला)
लीजीए आंटी मुंह मीठा कीजिए...
( वैसे तो सफेद रसगुल्ले को देखकर अलका के मुंह में भी पानी आ गया लेकिन वह अपने आपको रसगुल्ले खाने से रोके रही। उसे इतना उतावला पन दिखाना ठीक नहीं लग रहा था। क्योंकि कुछ भी हो वह अभी भी इस लड़के को पूरी तरह से जानती नहीं थी बस एक दो ही मुलाकात तो हुई थी ईससे। अलका बड़ी असमंजस में थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस लड़के के द्वारा ऑफर किया हुआ यह सफेद रसगुल्ले की कटोरी को पकड़े या इंकार कर के यहां से चली जाए। लेकिन सफेद रसगुल्ले को खाने की लालच भी उसके मन में पनप चुकी थी। वह खुद की शादी में ही सफेद रसगुल्ले का स्वाद चख पाई थी उसके बाद उसने कभी भी सफेद रसगुल्ले को मुंह से नहीं लगाया। तभी विनीत द्वारा एक बार फिर से मुंह मीठा करने की बात को मानते हुए उसने कटोरी में से एक रसगुल्ले को उठा ली और अपनी गुलाबी होंठ को खोलकर दांतों के बीच रखकर आधे रसगुल्ले को काट ली। विनीत उसके गुलाबी होठों को देखता रह गया और मन ही मन उसके होंठ पर अपने होंठ को सटा कर उसका मधुर रस पीने की कल्पना करने लगा। )
आंटी जी आपने मेरी बात रख ली इसलिए मैं आपको धन्यवाद करता हूं। मेरे जन्मदिन को आपने सफल बना दिया।
अरे मैं तो भूल ही गई( और अपने हाथ को आगे बढ़ाकर वीनीत से हाथ मिलाते हुए उसे जन्मदिन की ढेर सारी बधाई दी।)
जन्मदिन मुबारक हो हैप्पी बर्थडे टू यू..... वैसे मैं बेटा तुम्हारा नाम नहीं जानताी हुँ।
विनीत........ वीनीत नाम है मेरा।
ओके.....हैप्पी बर्थडे टू यू वीनीत।
थैंक्यू आंटी। लेकिन आपने अपना नाम नहीं बताया अब तक
मेरा नाम अलका है।
वाह बड़ा ही प्यारा नाम है( विनीत की बात सुनते ही अलका मुस्कुरा दी। दोनों वहीं 20 मिनट तक बैठे रहे। दोनों में काफी बातें हुई एक हद तक अलका को विनीत बड़ा प्यारा लगने लगा था खास करके उसकी मन लुभाने वाली बातें । ज्यादातर वीनीत ने अलका की खूबसूरती की तारीफ ही की थी जोकि अलका को कुछ अजीब लेकिन बड़ी लुभावनी लग रहीे थी।
यह शाम की मुलाकात दोनों की जिंदगी में काफी हलचल मचाने वाली थी। अलका के जीवन में ये लड़का काफी हद तक उतार चढ़ाव और रिश्तो में तूफान लाने वाला था।
इस मुलाकात से ही दोनों काफी हद तक खुलना शुरू हो गए थे। विनीत को घर जाने में देर हो रही थी लेकिन फिर भी वह यहां से जाना नहीं चाहता था उसे अलका का साथ बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था। यही हाल अलका का भी हो रहा था विनीत के साथ उसे अच्छा लग रहा था लेकिन उसे घर भी जाना था क्योंकि घर पर उसके दोनों बच्चे इंतजार कर रहे थे। इसलिए वह बेमन से कुर्सी से उठते हुए बोली मुझे घर जाना होगा काफी समय हो गया है।
ठीक है आंटी जी मुझे भी अब जाना ही होगा। लेकिन मेरा इतना साथ देने के लिए थैंक यू( जवाब मे अलका मुस्कुराकर दुकान के बाहर जाने लगी तब वीनीत भी झट से मिठाईयेां के पेक कराकर दुकान से बाहर आ गया और अलका के साथ चलने लगा। अलका आगे आगे चल रही थी और वह पीछे पीछे। विनीत की नजर अलका की गदराई गांड पर ही टिकी हुई थी। अलका को मालूम था कि विनीत उसके पीछे-पीछे आ रहा है और इस तरह से विनीत का उसके पीछे-पीछे आना उसे अच्छा भी लग रहा था। अलका की मटकती हुई गांड वीनीत के कलेजे पे छुरियां चला रही थी। वह मन मैं ही सोच रहा था कि काश इसको चोदने का मौका मिल जाता तो लंड की किस्मत ही खुल जाती।
यही सब सोचते हुए विनित अलका के पीछे कुछ दूरी चला था कि उबड़ खाबड़ रस्ते पर अलका का बैलेंस डगमगाया और उसका पैर फिसल गया। वह गिरने से तो बच गई लेकिन उसके सैंडल की पट्टी टूट गई।
वीनीत जल्दी से आगे बढ़ा और अलका के लग पहुंच गया।
क्या हुआ आंटी आपको चोट तो नहीं लगी।
( अलका संभलते हुए) नहीं बेटा चोट तो नहीं लगी लेकिन मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई..... अब मुझे बिना सैंडल के नंगे पांव ही घर जाना होगा।
(अलका को परेशान देखकर विनीत भी परेशान हो गया और वह बोला)
आंटी जी एेसे कैसे आप नंगे पांव घर जाएंगी लाइए अपनी सेंडल मुझे दीजिए मैं उसे ठीक करवा कर लाता हूं।
नहीं बेटा मैं चली जाऊंगी इतना परेशान मत हो।
नही आंटी जी आप कैसे अपने घर तक यूंही नंगे पैर जाएंगे आप जिद मत करिए मुझे दे दीजिए सेंडल मैं तुरंत बनवा कर ले आता हूं यही पास में ही है ।
( अलका को यूँ अपना सेंडल निकालकर विनीत को देना बड़ा अजीब सा लग रहा था। विनीत के लाख मनाने पर अलका उसे सैंडल देने के लिए तैयार हुई। अलका की भी मजबूरी थी क्योंकि उसे भी कहीं नंगे पांव आना जाना अच्छा नहीं लगता था।
अलका के पांव की सैंडल पाकर विनीत बहुत खुश हो रहा था वह अलका को वही रुकने के लिए कहकर सैंडल सिलवाने के लिए चला गया।
अलका वहीं पास में फुटपाथ पर रखी हुई कुर्सी पर बैठ गई और वीनीत का इंतजार करने लगी। थोड़ी ही देर बाद विनीत लगभग दौड़ते हुए उसके पास आ रहा था जैसे ही पास में पहुंचा अलका के उठने से पहले ही वह सैंडल लेकर अलका के कदमों में झुक गया और बोला।
लाईए आंटी जी में आज आपको अपने हाथों से सैंडल पहना देता हूं। ( अलका उसके मुंह से इतना सुनते ही एक दम से शर्मा गई और उसे हाथों से रोकने लगी लेकिन वह वीनीत को रोक पाती इससे पहले ही विनीत ने अलका के पांव को अपने हाथ में ले लिया और अपने हाथ से अलका की साड़ी को पकड़ कर थोड़ा ऊपर की तरफ उठाया करीब दो तीन इंच ही ऊपर साड़ी को उठाया था लेकिन विनीत की इस हरकत पर अलका एकदम से शहम गई। उसने मन ही मन ऐसा महसूस कर लिया कि कोई उसकी साड़ी को उठाकर नंगी कर रहा है। अलका कुछ बोल पाती इससे पहले ही विनीत ने सैंडल को उसके पांव में डालकर सेंडल की पट्टी को लगा दिया।
सैंडल पहनाने में विनीत को केवल सात आठ सेकेंड ही लगे थे लेकिन इतने मिनट में अलका की मखमली दूधिया पैरों के स्पर्श को अपने अंदर महसूस कर लिया।
विनीत ने अपनी उंगलियों को अलका की चिकने पैर सहलाया था जिससे विनीत का लंड टनटना के खड़ा हो गया था।
अलका अंदर ही अंदर कसमसा रही थी उसको बड़ी शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह बार बार अपने अगल बगल नजर घुमा कर देख ले रही थी कि कोई देख तो नही रहा है। लेकिन सब अपने अपने काम में मस्त थे किसी को फुर्सत कहां थी कि उन लोगों को देख सके।
सैंडल पहरा कल विनीत खड़े होते हुए बोला।
लो आंटी अब आप अपने घर नंगे पांव नहीं जाएंगी।
( अलका उसकी बात पर मुस्कुरा दी और उसे थैंक्स कह के अपने घर की तरफ चल दी। विनीत वही खड़े-खड़े अलका को गांड मटकाते हुए जाते देखता रहा
वह कभी अलका को तो कभी अपनी ऊंगलियों को आपस में मसलते हुए उसके नरम नरम मखमली पैरों के बारे में सोचने लगा और तब तक वहीं खड़े रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई।
इसके बाद वह भी अपने घर की तरफ चल दीया।)
अलका को आज घर पहुंचने में काफी लेट हो गया था।
राहुल और सोनू दोनों अलका का इंतजार कर रहे थे।
अपनी मम्मी को आता देख राहुल बोला।
क्या हुआ मम्मी आज इतना लेट क्यों हो गयी?
क्या करूं बेटा आज रास्ते में मेरी सेंडल की पट्टी टूट गई थी और उसी को ठीक कराने में देरी हो गई।